वर्तमान की न्याय व्यवस्था
झुठी शान में डुबे हुए कुछ सेखी लोग अपनी नकामी या हार को मानो किसी भोदु की तरह सिर्फ कॉपी का पेज बर्बाद कर करके उसे अंतिम में अपनी भोदुपन को छिपाने के लिए फाड़ते मिटाते रहते हैं|जैसे की कई बुरे लोग अपने एक अपराध और एक झुठ को छिपाने के लिए दस झुठ और दस अपराध करते रहते हैं |क्योंकि उन्हे खुदके द्वारा किए गए कुकर्मो से इतनी शर्म या फिर डर महसुस होती है, कि बिना अपने गलतियो को छुपाये या मिटाये उन्हे दिन रात मानो निंद के साथ साथ चैन भी नही आती है|बजाय इसके कि वे अपनी पहली गलती पर ही उसे कबूल करके उसका प्राश्चित करते या फिर सजा काटते|उसके बाद शांती पुर्वक निश्चित होकर चैन की निंद सोते|पर चुँकि उनके द्वारा जान बुझकर की गई अपराध होती है,इसलिए उन्हे कबूल करके सजा पाने या फिर प्राश्चित करने के बाद भी ये डर और बेचैनी दिन रात सताती रहती है कि बिना कोई कसूर के उन्होने जिस निर्दोश को भी हानि पहुँचाया होगा या तकलिफ दिया होगा वे उनसे जरुर बदला ले सकते हैं, भले वे अपनी पाप करके गंगा में डुबकी मारे या फिर जेल में सजा काटे|जिसके चलते ऐसे मामले में ज्यादेतर लोग कोर्ट कचहरी का सरन लेकर और अपना