प्रचार

कड़वा सत्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कड़वा सत्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 26 नवंबर 2018

आर्य और अनार्य

आर्य और अनार्य 
आर्य और अनार्य , Khoj123 , छुवा छुत ,शोषण अत्याचार ,भारत ,अजादी , गुलामी



कहीं पर एक सवाल पढ़ रहा था , जिसमे यह पुच्छा गया है कि आर्य कौन थे ? हलांकि वर्तमान में भी थे नही बल्कि हैं कहकर मनुवादियो को आर्य कहा जाता है |हलांकि बौद्ध धर्म में आर्य सत्य के बारे में कुछ और ही बतलाया गया है | जिसके बारे में भी जानकर यह समझा जा सकता है कि आर्य का मतलब दरसल उत्तम अथवा श्रेष्ठ होता है | जो खुदको आर्य कहलवाने के लिए मनुवादियो ने मनुस्मृती की रचना करके और छुवा छुत करके कान में गर्म पीघला लोहा डालकर , जीभ काटकर गले में थुक हांडी और कमर में झाड़ु टांगकर , हजारो साल पहले इस आर्य देश में खुदको विशेष प्रकार का आर्य कहलवाया है | जबकि आज यदि मनुस्मृती लागु करके किसी देश में प्रजा सेवा मनुवादी अपनी आरती उतारकर छुवा छुत करते हुए कान में गर्म पीघला लोहा डालने , और जीभ काटने , गले में थुक हांडी टांगने , कमर में झाड़ु टांगने का सेवा करे तो मनुवादियो को पिड़ित शोषित प्रजा आम इंसान मानने के लिए भी तैयार नही होगी | वैसे भी मनुवादी खुदको आर्य कहलवाना जारी रखने के लिए आज भी खुदको उच्च और इस देश के मुलनिवासियो को निच कहकर छुवा छुत करता रहता है | जिसका प्रमाण कई मंदिरो के बाहर बोर्ड लगाये हुए देखकर मिल जाता है | जिस बोर्ड में लिखा रहता है कि शुद्र का प्रवेश मना है | जैसे कि कभी गोरे बोर्ड लगाते थे , जिसमे लिखते थे इंडियन और कुत्तो का प्रवेश मना है | क्योंकि गोरे भी खुदको बहुत बुद्धीमान और श्रेष्ठ समझते थे | जिनको कई देशो को गुलाम करते समय बहुत सत्य बुद्धी मिलती थी अजादी के लिए संघर्ष करने वालो के साथ गुलाम करने का न्याय करके | जिस तरह की आचरण को क्या आर्य अथवा श्रेष्ठ आचरण कहा जाय और पुरी दुनियाँ में इसका प्रचार प्रसार किया जाय कि छुवा छुत और गुलाम करने वाले संस्कार लेकर ही सबसे श्रेष्ठ अथवा आर्य बना जा सकता है |

सोमवार, 5 नवंबर 2018

अब मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की तलाक खबर पीपली लाईव करेगी

मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की खबरे अब ऐसी चलायेगी जैसे तलाक हो चुका है|
जो यदि नही भी होने वाला होगा तो भी ये मनुवादी मीडिया पीपली लाईव कराकर जिस तरह जीतन मांझी को बिहार सरकार की मुख्यमंत्री कुर्सी से तलाक दिलवा दिया था उसी तरह तेज प्रताप का तलाक भी पीपली लाईव करके जल्द दिलवा देगी|मनुवादी मीडिया उन मूल खबरो को मुलता ज्यादेतर नही चलायेगी,जिसके समाधान न होने से हर रोज हजारो लोगो की मौत हो रही है|पर तेज प्रताप यादव द्वारा तलाक की खबरो को पीपली लाईव जरुर करेगी,जिससे की ऐसी खबरो को छिपाया जा सके जो यदि सबतक पहुँच जाय तो मनुवादियो की कुर्सी जाने में तलाक होने से भी कम समय लग जाएगी|जैसे कि कांग्रेस सरकार की दावत थाली 7721 रु,आप पार्टी की दावत थाली 9355 रु.भाजपा सरकार प्रचार प्रसार थाली  4343 करोड़,सोने से जड़ा प्रधान सेवक सुट निलाम 43100000 रु.के बावजुद भी मनुवादी आखिर गरिबी हटाओ और सबके अच्छे दिन आयेंगे वादा करके अबतक क्या कुछ खास किया और नही किया है?जिसकी पीपली लाईव जनता को नही दिखलायेगी|जबकि उसी मनुवादी मीडिया के पास जुमलो और झुठे वादो का भंडार है|जो मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की खबरे अब ऐसी चलायेगी जैसे तलाक हो चुका है|जो यदि नही भी होने वाला होगा तो भी ये मनुवादी मीडिया पीपली लाईव कराकर जिस तरह जीतन मांझी को बिहार सरकार की मुख्यमंत्री कुर्सी से तलाक दिलवा दिया था उसी तरह तेज प्रताप को भी पीपली लाईव करके तलाक जल्द दिलवा देगी|क्योंकि विधान सभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस का जो पिछली कुकर्म बदबु मार रही है,उसे ढकने के लिए तेज प्रताप तलाक खबर का इस्तेमाल करने की कोशिष हो रही है|जिसके बारे में गंभीर होकर तेज प्रताप को भी जरुर सोचनी चाहिए|और कुछ समय और इस बारे में मंथन करके उसका उचित हल अपने परिवार के साथ मिल जुलकर निकालनी चाहिए|क्योंकि मनुवादी लालू परिवार में वैसे भी खास नजर रखकर आपस में फूट डालो राज करो का फंदा लगाकर लार टपका रहा है|जिसका ही नतिजा लालू का जेल जाना है|क्योंकि लालू जिस पशु का चारा घोटाला में जेल सजा काट रहे हैं उस पशु का गैर कानूनी तरिके से पिंक क्रांती लाने वाले और हजारो लाखो करोड़ का चुना लगाने से लेकर विदेशो में कालाधन रखने और विदेशी डॉलर में हजारो करोड़ का दलाली खाने वाले अजाद घुम रहे हैं|क्योंकि वे सभी मनुवादियो का डीएनए हैं|और विदेशो से जो काला लिस्ट आया है,उसमे भी विदेशी डीएनए वाले ही मौजुद होंगे,चाहे तो RTI लगाकर पुछ लिया जाय विरले ही इस देश के मुलनिवासी निकलेंगे|जिन मनुवादियो की दबदबा इस देश के लोकतंत्र का चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है|जिसके चलते ही तो इस कृषी प्रधान देश भारत में  गरिबी भुखमरी से हर रोज हजारो लोगो की मौत होते हुए भी प्रतिदिन 244 करोड़ का खाना बर्बाद होता है|जो सालाना करिब 890000 करोड़ का होता है|वहीं भारत में ही 19 करोड़ 40 लाख लोग हर रोज भुखे पेट सो जाते हैं|क्योंकि उनतक सरकार अन्न जल नही पहुँचा पा रही है|छत्तीसगढ़ के नेता अजीत जोगी जो कलेक्टर और मुख्यमंत्री रह चुके हैं,उन्होने एक राष्ट्रीय चैनल में अन्न भोजन के बारे में बातें करते हुए ये बताया कि सिर्फ छत्तीसगढ़ इतना अन्न पैदा करता है कि वह चाहे तो 1 साल के लिए पूरा देश को अकेले ही भरपेट खिला सकता है|जिसके चलते छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है| जहिर है छत्तीसगढ़ से भी ज्यादे अन्न पैदा करने वाले कई राज्य इस कृषी प्रधान देश में मौजूद है|लेकिन भी आज तक कोई भी ऐसी सरकार पैदा ही नहीं हुई,जो कि उस किसान द्वारा पैदा किए अन्नाज को सरकार अपने जनता मालिक अथवा जरुरतमंदो तक पहुँचा सके|यानी देश का नेतृत्व कर रही मनुवादी सरकार आजतक अन्न जल तक भी नहीं पहुँचा पाई है|जिसके बारे में जानकारी संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दिन 244 करोड़ रुपये का खाना बर्बाद होता है,जो सालाना 89 हजार करोड़ रुपया होता है| 2016 में एक रिपोर्ट आई थी,जिसमे बताया गया था कि अमीर कहलाने वाले देश ब्रिटेन के लोग जितना खाना खाते हैं,उतना खाना गरीब कहलाने वाला ये सोने की चिड़ियां देश बर्बाद करता है|जहाँ पर कुल उत्पादन खाद्य सामग्री का करीब 40 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है|इस देश के नागरिको को 225-230 मिलियन टन खाने की जरुरत होती है,जिसमे भारत का किसान 2015 से 2016 ई. में 270 मिलियन टन उत्पादन किया था,वह भी तब जब वह कर्ज में भी डुबा हुआ है|जो किसान सरकार की नकामी के चलते आत्महत्या भी कर रहा है|जिस किसान का अन्न का अपमान किस तरह से हो रहा है इसकी झांकी एक वैश्विक भूख सूचकांक पर जारी एक ताजा रिपोर्ट से दिख जाता है|जिसमे बतलाया गया है कि दुनिया के 119 विकासशील देशों में भूख के मामले में भारत 100 वें स्थान पर है|जो इससे पहले बीते साल भारत 97 वें स्थान पर था|यानी किसान द्वारा जरुरत से अधिक अन्न का उत्पादन करने के बावजुद भी इस कृषी प्रधान देश की भुखमरी और भी अधिक बड़ते जा रही है|जिस भुखमरी से निपटने में भारत की मनुवादी सरकार बांग्लादेश की सरकार से भी पीछे है|क्योंकि मनुवादी मुलता कृषी के बारे में प्रयोगिक रुप से जानता ही नही था इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले|जिसके चलते वह इस कृषी प्रधान देश भारत का शासक तो बना हुआ है,पर उसके अंदर असल में कृषी सोच है ही नही,इसलिए भारत में अन्न जल और खनिज संपदा का भंडार होते हुए भी गरिबी भुखमरी है|इस समय भारत विश्व में अन्न उत्पादन देश में दूसरा स्थान पर है,और आबादी अनुसार कुपोषण में भी भारत दूसरा स्थान है|जिस भुखमरी कुपोषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनी तमाम योजनाएं फेल साबित हो रही है|क्योंकि वह मनुवादी दबदबा द्वारा चलाई जा रही है|जिसके बारे में मनुवादी मीडिया सायद ही कभी मनुवादी सरकार को घेरते हुए पीपली लाईव करेगी|

शनिवार, 3 नवंबर 2018

गरिबी हटाओ का नारा देनेवाली सुट बुट भाजपा युक्त कांग्रेस को फिर से 7721 रु की दावत थाली चाहिए

चुनाव गरिबी हटाओ,आधुनिक भारत,शाईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया,

कांग्रेस सरकार की दावत थाली 7721 रु,आप पार्टी की दावत थाली 9355 रु.भाजपा सरकार प्रचार प्रसार थाली  4343 करोड़,सोने से जड़ा प्रधान सेवक सुट निलाम 43100000 रु.

इस कृषी प्रधान देश भारत में  प्रतिदिन 244 करोड़ का खाना बर्बाद होता है|जो सालाना करिब 890000 करोड़ का होता है|वहीं भारत में ही 19 करोड़ 40 लाख लोग हर रोज भुखे पेट सो जाते हैं|क्योंकि उनतक सरकार अन्न जल नही पहुँचा पा रही है|अजादी से अबतक मनुवादी सरकार चल रही है|जिन मनुवादियो का इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भी दबदबा है|जो मनुवादी सरकार जनता को ठीक से खाना भी नहीं खिला पा रही है|जिसके चलते भारत में 19 करोड़ 40 लाख लोगों को हर रोज भुखे पेट सोना पड़ रहा है|कहने को तो ये देश भी हवा हवाई आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का नारा सुनते सुनते शाईनिंग डीजिटल विकाश करके मंगल तक भी पहुंच गया हैं,इतनी तरक्की इस देश ने भी कर लिए हैं,लेकिन जमिनी स्तर पर सभी जरुरतमंदो तक अन्न जल भी पहुंच पहुंच सके ऐसी आज तक कोई भी सरकार नहीं चुनी गई है|जिसके चलते सिर्फ आधुनिक भारत,गरीबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया,डिजिटल इंडिया की बातें होती रही है|ऐसा नहीं कि यह कृषि प्रधान देश भारत का किसान सबके लिए अन्न पैदा नहीं कर रहा है|जिसका एक उदाहरन हाल ही में पाँच राज्यो में जो विधानसभा चुनाव होने जा रहा है,उससे पहले छत्तीसगढ़ के नेता अजीत जोगी ने एक राष्ट्रीय चैनल में अन्न भोजन के बारे में बातें करते हुए ये बताया कि सिर्फ छत्तीसगढ़ इतना अन्न पैदा करता है कि वह चाहे तो 1 साल के लिए पूरा देश को अकेले ही भरपेट खिला सकता है|जिसके चलते छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है| जहिर है छत्तीसगढ़ से भी ज्यादे अन्न पैदा करने वाले कई राज्य इस कृषी प्रधान देश में मौजूद है|लेकिन भी आज तक कोई भी ऐसी सरकार पैदा ही नहीं हुई,जो कि उस किसान द्वारा पैदा किए अन्नाज को सरकार अपने जनता मालिक अथवा जरुरतमंदो तक पहुँचा सके|यानी सरकार आजतक अन्न जल तक भी नहीं पहुँचा पाई है|जिसके बारे में जानकारी संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दिन 244 करोड़ रुपये का खाना बर्बाद होता है,जो सालाना 89 हजार करोड़ रुपया होता है| 2016 में एक रिपोर्ट आई थी,जिसमे बताया गया था कि अमीर कहलाने वाले देश ब्रिटेन के लोग जितना खाना खाते हैं,उतना खाना गरीब कहलाने वाला ये सोने की चिड़ियां देश बर्बाद करता है|जहाँ पर कुल उत्पादन खाद्य सामग्री का करीब 40 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है|जिसे कहा जा सकता है कि खाया कम जा रहा है,और सरकार के पिच्छे से बर्बाद ज्यादा हो रहा है|जिसके लिए अब अपनी जनता मालिक को खिलाने से ज्यादा शौचालय में ध्यान दे रही है|देखा जाय तो सरकार खुद अपनी नकामी की वजह से खाना बर्बाद करा रही है और मानो बिना खिलाये सबको शौचालय बनाने के लिये कह रही है| जिनमे ज्यादेतर तो उन लोगो को शौचालय बनाने के लिए कही जा रही है,जो भुखे पेट सोते हैं|जिनके लिये भोजन का भी तो इंतजाम होनी चाहिए न कि सिर्फ शौचालय का इंतजाम करके बिना खिलाये खाने को भोजन नही और रहने को घर नही और जोर जबरजस्ती डंडा मारकर भी शौचालय में शौच करने को कहा जाय|ताकि दुनियाँ को बता सके कि भारत में सबके पास शौचालय है|यानि सभी लोग खाते पिते घर के हैं|जो सोने की चिड़ियां का जनता मालिक होकर भी पेटभर खा भी नही पा रहे हैं|क्योंकि उनकी सरकार अपनी जनता मालिक की सेवा में अन्न जल भी उपलब्ध नही करा पा रही है|जबकि इस कृषी प्रधान देश में फसल कटाई के बाद करीब 100000 करोड़ का नुकसान सरकार की नकामी की वजह से हो जाती है|इस देश के नागरिको को 225-230 मिलियन टन खाने की जरुरत होती है,जिसमे भारत का किसान 2015 से 2016 ई. में 270 मिलियन टन उत्पादन किया था,वह भी तब जब वह कर्ज में भी डुबा हुआ है|जो किसान सरकार की नकामी के चलते आत्महत्या भी कर रहा है|जिस किसान का अन्न का अपमान किस तरह से हो रहा है इसकी झांकी एक वैश्विक भूख सूचकांक पर जारी एक ताजा रिपोर्ट से दिख जाता है,जिसमे बतलाया गया है कि दुनिया के 119 विकासशील देशों में भूख के मामले में भारत 100 वें स्थान पर है|जो इससे पहले बीते साल भारत 97 वें स्थान पर था|यानी किसान द्वारा जरुरत से अधिक अन्न का उत्पादन करने के बावजुद भी इस कृषी प्रधान देश की भुखमरी और भी अधिक बड़ते जा रही है|जिस भुखमरी से निपटने में भारत की मनुवादी सरकार बांग्लादेश की सरकार से भी पीछे है|क्योंकि मनुवादी मुलता कृषी के बारे में प्रयोगिक रुप से जानता ही नही था इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले|जिसके चलते वह इस कृषी प्रधान देश भारत का शासक तो बना हुआ है पर उसके अंदर असल में कृषी सोच है ही नही इसलिए भारत में अन्न जल का भंडार होते हुए भी भुखमरी है|इस समय भारत विश्व में अन्न उत्पादन देश में दूसरा स्थान पर है,और आबादी अनुसार कुपोषण में भी भारत दूसरा स्थान है|जिस भुखमरी कुपोषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनी तमाम योजनाएं फेल साबित हो रही है|क्योंकि वह मनुवादी दबदबा द्वारा चलाई जा रही है|जो मनुवादी खुदको तो जन्म से विद्वान पंडित अथवा टैलेंटेड कहकर आरक्षण को लेकर भी छुवा छुत करती रहती है,पर आजतक मनुवादी दबदबा की सरकार बार बार चुनाकर भी प्रयोगिक तौर पर अपनी जन्म से उच्च विद्वान पंडित टैलेंट को नही दिखा पा रही है|क्योंकि मनुस्मृती को जलाकर गोरो से अजादी मिलने के बाद कबका आजाद भारत का ऐसा संविधान लागू हो चुका है,जो कि विश्व में सबसे बड़ी है|जिस संविधान का अनुच्छेद-21 अनुसार सभी नागरिकों को गरिमा के साथ जीने की अधिकार और गारंटी देता है|जिसके बावजुद भी भारत में हर रोज करिब 6000 यानी सालभर में करीब 22 लाख लोग भुख की वजह से मर रहे हैं|जिनतक सरकार अन्न जल तक भी नही पहुँचा पा रही है|जिन भुख और कुपोषण से मरने वाले नागरिको में एक तिहाई तो सिर्फ बच्चे शामिल हैं| जो अपनी किशोर अवस्था,जवानी और बुढ़ापा देखने से पहले ही भुख और कुपोषन से मारे जा रहे हैं|क्योंकि मनुवादी सरकार जरुरत मंद नागरिको के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मिड डे मील जैसे योजना के बावजूद भी भूख और कुपोषण मिटाने में फेल रही है|पर सरकार खुदके लिए गाड़ी बंगला नौकर चाकर और जेड सुरक्षा वगैरा तमाम सुख सुविधा का इंतजाम कितनी अच्छी तरह से करती है,इसकी झांकी पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा अपनी दावत का इंतजाम जो हुई थी यूपीए -2 की सरकार के तीसरा साल पुरा होने की खुशी में,उसमे कांग्रेस सरकार की दावत थाली की किमत 7721 रु की परोसी गयी थी|बल्कि उससे भी बड़कर आप पार्टी की दावत थाली 9355 रुपये और 20020 रुपये की परोसी गयी थी|इतना ही नही सरकार अपने लिये पहनावे और दिखावे के लिए खुदकी प्रचार प्रसार के लिये भी किस तरह से इंतजाम करती होगी इस बात का अंदाजा वर्तमान की भाजपा सरकार द्वारा अपने प्रचार पर 2014 ई. से लेकर 2018 ई. अबतक 4343 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है|जिस भाजपा सरकार के प्रधान सेवक अपने गरिब जनता मालिक की सेवा लाखो रुपये की सुट पहनकर करने के लिए भी चर्चित हो चके हैं|जो सोने से जड़ा लाखो रुपये की सुट की चर्चा इतनी कड़वाहट लाई थी भाजपा सरकार में कि प्रधान सेवक का सोने से जड़ा लाखो रुपये का सुट को उतारकर उसे 4 करोड़ 31 लाख रुपये में निलाम कर दिया गया था|जिस तरह की सेवा करने और कराने के बारे में जानकर ये अच्छी तरह से जाना जा सकता है कि मनुवादी दबदबा चाहे कांग्रेस की सरकार चुनकर आये या फिर भाजपा की सरकार,दोनो ही जनता मालिक को ठीक से अन्न जल तक भी उपलब्ध कराने में फेल साबित हुई है|एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 23 करोड़ टन दाल,और 12 करोड़ टन फल व 21 करोड़ टन सब्जियाँ सर्विश वितरण प्रणाली में कमि की वजह से खराब हो जाती है|विश्व भर में आठ में एक व्यक्ति की मौत कुपोषण से हो रहा है|जिस भुख और कुपोषन की वजह ये प्रतिदिन 24 हजार लोग मरते हैं|जिसका एक तिहाई हिस्सा भारत का है|यानी भारत में प्रतिदिन 6000 लोग भुख और कुपोषण से मारे जा रहे हैं|अथवा जिसदिन कोई पाठक इस जानकारी को लेगा उसदिन भी भारत में ही सिर्फ 6000 मौते भुख और कुपोषन से हो जायेगी|जिसकी जानकारी भुख और कुपोषन से मरने वालो की दबी आवाज को सभी उन जरुरतमंदो तक जरुर पहुँचनी चाहिए जो बहुत बेहत्तर शासन चल रहा है इसकी ढोंग पाखंड करके अच्छे दिन आने और गरिबी हटने की झुठा प्रचार प्रसार करते रहते हैं|क्योंकि अजादी से लेकर अबतक 71 सालो में अबतक इतना भी बेहत्तर सेवा जनता मालिक को नही मिल सका कि उसे अन्न जल की भी कभी न आये रोजमरा जिवन में|जिसके चलते हर साल सिर्फ भारत में ही अन्न जल का भंडार होते हुए भी,भुख प्यास और कुपोषन से 21 लाख 90 हजार नागरिको की मौते हो रही है|ये कोई मामुली नकामी नही है अजादी से अबतक चुनी गयी सरकार की|क्योंकि भुख और कुपोषण से मरने वाले नागरिको में एक तिहाई अबादी बच्चो की हैं|जिस जानकारी को सभी जरुरतमंदो तक जरुर बांटा जाय| धन्यवाद!

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

कुछ सदस्य खुब सारा धन की रुप श्रृंगार करके अपनी रोजमरा जिवन को रंगीन करते रहते हैं ,और ज्यादेतर तो रोज पेटभर खाने पिने के लिए भी तरसते रहते हैं

गरिबी भुखमरी से अबतक पुर्ण रुप से अजाद न हो पाने की बजह से कुछ मुठिभर नागरिक तो देश के तमाम संसाधनो का भरपुर इस्तेमाल करके विदेशी भोग विलास में भी अक्सर लिप्त रहते हैं,जिसके चलते विदेशी बैंको में भी गुप्त खाता खुलती रहती है,जिसका कि कई लिस्ट आ भी चुकि है|जबकि दुसरी तरफ ज्यादेतर तो अपनी रोजमरा जिवन की मुल जरुरतो को भी पुरी नही कर पाते हैं!जाहिर है यदि किसी समृद्ध परिवार में सबके पास संतुलित हक अधिकारो का बंटवारा नही होता है तो आपसी तनाव या फिर आपसी बंटवारा की लड़ाई होती ही रहती है,जो परिवार विकाश की प्रक्रिया में भी बाधा डालती है!क्योंकि किसी संयुक्त परिवार में भी यदि आर्थिक बंटवारा के रुप में कुछ को मोटी रकम बार बार मिलती रहे और बहुतो को मानो अठनी चवनी तो फिर परिवार में जिसे भी बार बार अधिक धन मिलेगा वह अमिरी सेखी मारेगा,और बाकि यदि उसकी तरह अमिरी सेखी मारना भी चाहे मसलन इस देश का चालीस करोड़ बीपीएल में से ही कोई यदि मैं भी सोने की चिड़ियाँ का नागरिक हुँ कहकर अमिरी सुख संसाधन लेना चाहे तो भी बिना खुद धन इकठा किए बगैर सिर्फ भेदभाव बजट बंटवारा धन से कभी भी अमिर नही बन पाऐगा!क्योंकि गोरो से मिली अजादी के बाद भी इस देश परिवार में अबतक भारी आर्थिक भेदभाव होना बंद नही हुआ है!जैसे की गोरो के समय जब देश गुलाम था तो भी एक तरफ तो भारी अबादी गरिबी भुखमरी और कुपोषन का शिकार होने के साथ साथ बाढ़ आकाल और सुखा से मरी जा रही थी और दुसरी तरफ मुठीभर गुलाम करने वाले गोरो की लुट मार मास्टर माईंड के स्वागत में भारी बजट खर्च करके जस्न मनाई जा रही थी!जैसे की इस समय भी एक तरफ तो भारी अबादी के लिए नाम मात्र का बजट बनाकर पिठ पिच्छे कुछ मांसिक विकृत लोग गरिबो को मिलनेवाली सब्सिडी को भी खैरात नही मिलनी चाहिए कहकर अपनी अमिरी की सेखी मारते रहते हैं,जिसमे भी खुद सरकार का ही नेतृत्व करनेवाले एक प्रधानमंत्री का ही खुद कहना है कि गरिब जनता तक जो सहायता पहुँचाई जाती है वह उनतक पहुँचते पहुँचते 85% चोरी हो जाती है!जिसका मतलब साफ है कि चोर लुटेरे उपर से लेकर निचे तक ऐसे मांसिक विकृत लोगो के विचार से मिल रहे खैरात सब्सिडी को भी मुँह मारने के लिए अपनी पहुँच बनाये हुए हैं!जो मिल बांटकर मानो कथित खैरात लुटेरा गैंग बनाकर पिड़ी दर पिड़ी खैरात चोरी को किसी कसाई या बुचड़ खाना की तरह अपना पेशा बनाकर चोरी करते आ रहे हैं!जबकि दुसरी तरफ जो मुठीभर अबादी के लिए देश का बजट का आधा से थोड़ा कम जितनी बड़ी राशि अथवा कई कई लाख करोड़ हर साल सबसे बड़ी राशि खैरात में खर्च की जाती है,क्योंकि फ्री का सरकारी राशि यदि खैरात है तो माफी और छुट भी तो फ्री का बिन हाथ फैलाये मिलनेवाली सरकारी खैरात ही तो है सब्सिडी को खैरात कहने वालो की ही सुझ बुझ से!जिन माफी और छुट के हिस्से से कितनो की खैरात चोरी होती है ये किसी से छुपी नही है!क्योंकि जैसा कि मैने बतलाया कि यदि गरिबो को मिलनेवाली सब्सिडी खैरात है तो मुठीभर धन्ना कुबेरो को जो भी धन सहायता या माफी के नाम से हर साल खर्च की जाती है उसे भी तो बिन मांगे मिलनेवाली खैरात ही माना जायेगा!बल्कि सबसे बड़ी खैरात,इतनी बड़ी खैरात की कई कई राज्यो की बजट बन जाय!जिसमे करोड़ो नागरिको को मिलनेवाली सब्सिडी भी शामिल है!जिसे कुछ मांसिक विकृत लोग खैरात मानते हैं|जो सायद अपनी माँ की दुध को भी खैरात ही मानते होंगे!क्योंकि मदर इंडिया द्वारा अपने नागरिक बच्चो को जिन्दा रहने के लिए और अपनी जिवन में सुधार के लिए जो हक अधिकार मिल रही है,उसे यदि खैरात कही जा रही है तो ऐसे लोगो की अपने माँ की दुध और माता पिता दोनो की ही वसियत को क्या माना जायेगा?जो यदि ये कहते हैं की धन्ना कुबेरो को मिलनेवाली सब्सिडी खैरात नही है| क्योंकि वे टैक्स देते हैं तो ऐसे मांसिक विकृत लोगो को क्या ये मालूम नही की देश में सिर्फ एक प्रकार का टैक्स नही है कि ये मान लिया जाय कि सिर्फ धन्ना कुबेर ही अकेले टैक्स देते हैं,बल्कि रोजमरा जिवन में भिखारी भी टैक्स देता है किसी न किसी रुप में ये टैक्स लेनेवाली सरकार को पता है!जिसके द्वारा दिए गए टैक्स की राशि भी हर साल धन्ना कुबेरो को मिलनेवाली छुट और माफी में शामिल रहती है|जिसे जानते हुए भी सरकार यदि धन्ना कुबेरो को हर साल देनेवाली छुट और माफी जितनी राशि एकबार भी यदि एक एक गरिब को दे दे तो मैं पुरी दावे के साथ कह सकता हुँ कि गरिब किसी धन्ना कुबेर से अधिक टैक्स हर साल चुकाएगा!न की कर्ज लेकर उसे बिना चुकाये घी पिने विदेश भाग जायेगा!कुल मिलाकर टैक्स चोरी हो या फिर कथित खैरात की चोरी,इन दोनो को ही चुराने वाला चोर वह पढ़ा लिखा लंगटा चोर है जो गरिबो के घर में चोरी करके पल रहा है और धन्ना कुबेरो का दुम हिलाना आदत बना लिया है!जिसे ही सबसे पहले आत्मनिर्भर होना पड़ेगा अपनी सरकारी और निजि नौकरी भी छोड़कर कुछ ऐसा काम धंधा करके जिसमे उसे टैक्स की चोरी और कथित खैरात की चोरी करने का मौका ही न मिले!क्योंकि सरकारी नौकरी करते समय सरकारी पद उसे कथित खैरात की चोरी करने का मौका देती है,और टैक्स की चोरी करने के लिए भी निजि तौर पर स्थापित गलत तरिके से कमाई के विभिन्न निजि रास्तो पर चलकर टैक्स की चोरी करने का मौका पैदा करके देती है!जिस तरह की मौको का सामना करके सबसे पहले उसे चोरी की लत को छोड़कर खुदको इस बात के लिए मजबुत करना होगा कि बिना कथित खैरात की चोरी और बिना टैक्स की चोरी किए ही सिर्फ अपनी श्रमधन की कमाई या हक अधिकार से मिली राशि मात्र से ही रोजमरा जिवन की जरुरत को जितनी बड़ी चादर उतनी बड़ी पाँव पसारकर पुरा करना होगा!न कि लालच या अति भोग विलाश करने की लत लगाकर उसकी पुर्ती करने के लिए जैसे कोई बेवड़ा अपनी नशा की पुर्ती करने के लिए उसके साथ साथ चोरी और अपनो के साथ भी अक्सर छिना झपटी करने की भी आदत डाल लेता है,उसी प्रकार ही अति भोग विलास करने वालो की भी बुद्धी जब भ्रष्ट हो जाती है और वे अच्छी खासी सरकारी कमाई या फिर निजि कमाई करते हुए भी अलग से अति भोग विलाश की पुर्ती के लिए टैक्स की चोरी और सब्सिडी अथवा कथित खैरात की चोरी करते रहते हैं तो उससे उनके अपनो को भी खासकर उनकी नई पिड़ि को भी इतिहास में भारी बदनामी का खतरा बना रहता है!जिनको सबसे पहले ये समझना होगा कि बड़े बड़े आविष्कारक और महात्मा समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में सबसे बड़ी बड़ी उपलब्धि पाने वाले लोगो में कम पढ़ा लिखा और गरिबी जिवन भी जिकर ऐसा इतिहास रचकर गये हैं कि उनके सामने कई बड़ी बड़ी डिग्री और पैसे वालो की नई पिड़ी भी ज्यादेतर तो उनके जैसा इतिहास रचने की बस सपने ही देखते रहते है सबकुछ होते हुए भी| इसलिये उन्हे अपनी नई पिड़ी के उज्वल भविष्य के लिये बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने की जरुरत मेरे ख्याल से किसी के मन में कम पढ़ा लिखा और कम पैसे वाला कमजोर और मंद बुद्धीवाला होता है सोचकर भी भारी भुल नही होनी चाहिए|ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ खास हुनर इंसानो को मानो उनके जन्म के समय से ही ऐसी छिपाकर प्राकृतिक द्वारा मिली हुई रहती है कि उसे यदि कोई चाहे भी तो जबतक उसका संपुर्ण रुप प्रकट नही हो जाता इतिहास रचकर,तबतक उसके उस खास गुण की जानकारी के बारे में जानना चाहे भी तो वह नही जान सकता | क्योंकि उसपर किसी की कोई खास ध्यान नही देकर बाकि आम लोगो की ही तरह उसकी भी जिवन छोटी छोटी रोजमरा जरुरत की चीजो के लिये कड़ी संघर्ष कर रही होती है|जिसे देखकर कोई सायद ही ये विश्वास करने को तैयार होगा कि वह गरिब या कम पढ़ा लिखा व्यक्ती इतिहास रचेगा,जबतक की वह अपनी खास गुण को प्रयोगिक रुप से प्रकट नही कर देता|उसके बाद तो उसे न जानने वाले भी मानो ए तो मेरा लंगोटिया यार है,रिस्तेदार है,इसे मैं जानता हुँ वगैरा कहकर जबरजस्ती रिस्ता बनाने लगते हैं | जो इससे पहले तक उसके कई सचमुच का लंगोटिया यार और रिस्तेदार समेत बाकि खास करिबी भी उससे कई मामलो में पिच्छा छुड़ाते रहते हैं ये कहकर कि उसका दिमाक खराब हो गया है उल्टा सिधा सोचता और करता रहता है,वगैरा वगैरा|जिसके चलते ही कई आविष्कारक भी अपने पुराने रुपो में सजे धजे नही दिखते हैं और न ही मिल जुलकर आविष्कार करते दिखते हैं,क्योंकि तब उनका साथ देनेवाला सायद ही विरले लोग मिलते हैं|जिसके चलते मानो वह छिपते छुपाते अपनी छोटी मोटी रोजमरा की मुल जरुरतो की अभाव में भी खाली पेट या खाली जेब सिर्फ अपनी खास छिपी हुई हुनर के खास दम पर दिन रात ऐतिहासिक खोज में लगे रहते हैं|जिसके बारे में चाहे तो कोई भी इतिहास पलटकर महात्मा और कई गरिब और कम पढ़ा लिखा आविष्कारको समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में जो लोग भी गरिबी और कम डिग्री में भी सबसे बड़ी बड़ी उपलब्धी पायी है उसके बारे में विस्तार पुर्वक जानकर पता लगाया जा सकता है|हलांकि मुझे अफसोस लगता है कि ज्यादेतर लोग इस तरह की संघर्ष करके गरिबी से मुक्ती पाने के बाद गरिबो के सुख दुःख में उनके घरो में जाकर उनके साथ खाना पीना आना जाना भुल जाते हैं, जिसे वे इससे पहले हर पल वे खुद भी प्रयोगिक रुप से जी रहे होते हैं|जिसके कारन अमिर लोग तो किसी गरिब के अमिर बनने पर उससे खुब लाभ लेते हैं पर गरिबो को सायद उन गरिब से अमिर बने खास सच्चे अमिरो से कम लाभ ही मिल पाती है|इसलिये भी सायद किसी गरिब या कम पढ़ा लिखा व्यक्ती के महान आविष्कारक या धन्ना वगैरा बनने से भी आजतक गरिबी भुखमरी से संघर्ष करना जारी है| फिलहाल इतना ही,आगे फिर अपनी विचार और ज्ञान बांटने जल्द नई पोस्ट लेकर आउँगा,तबतक के लिये धन्यवाद!

रविवार, 20 अगस्त 2017

जैसे बीपीएल रेखा है उसी तरह अमिरी की भी कोई सिमा जरुर हो

अमिरी गरिबी की खाई इतनी बड़ी होती जा रही है कि उसे सभी राज्यो की सरकार समेत पुरी केन्द्र सरकार भी अजादी के सत्तर सालो तक इतनी सारी गरिबी भुखमरी दुर करने की योजनायें बनाकर भी,देश अजादी के समय चालीस करोड़ अबादी थी,उतनी अबादी वर्तमान में गरिबी रेखा से भी निचे की बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है!कांग्रेस की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का विकाश सफर की सुरुवात करके वर्तमान भाजपा सरकार की साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया विकाश सफर तक सिर्फ हर बार भारी बजट की चुनाव प्रचार करके जनता मालिक के बिच खुब सारा भाषन अश्वासन, उसके बाद जनता मालिक की वोट कृपा से सिर्फ भाजपा कांग्रेस युक्त सरकारे आती जाती रही है!पर इस समृद्ध देश से गरिबी दाग अबतक नही मिट पाई है!इसलिए मेरे ख्याल से देश में अब किसी तीसरी पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनी जाने के बाद एक ऐसा नियम कानून बने की किसी भी नागरिक के पास तय से अधिक राशि इकठा हो तो वह सब देश की सम्पत्ती समझी जाएगी!सभी नागरिक चूँकि देश परिवार के सदस्य होते हैं,जिनका गरिब होना देश परिवार का गरिब होना है!और इस देश में कोई सदस्य अति गरिब कैसे हो सकता है,जबकि सोने की चिड़ियाँ की पहचान बना चुका देश जड़ से प्राकृतिक खनिज सम्पदा और इंसानी बल क्षमता से समृद्ध और ताकतवर देश है!इसलिए जाहिर है इस देश का कोई भी नागरिक जड़ से गरिब हो ही नही सकता यदि सरकार खुद चाहे!बल्कि गरिब उन्हे बनाया जाता रहा है जन्म से ही उनकी हक अधिकारो को मारकर!ताकि वह हमेशा ही लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत आर्थिक और समाजिक राजनैतिक समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में पिछड़ा रहे और कमजोर होकर अपनी हक अधिकारो की ठीक से अवाज न उठा सके!जो दिनभर ज्यादेतर पेट की ही चिंता में लगा रहे,जिससे कि दुसरी तरफ मुठीभर लोग गरिबी भुखमरी से निफिकिर होकर भोग विलाश में भी लिप्त रह सके!जबकि सिर्फ यदि गरिबी और अमिरी के बिच जो असंतुलन बना हुआ है उसे दुर करने के लिए भी ये नियम कानून बने की अति गरिब जैसा की अभी बीपीएल को माना जाता है,उस दायरे में जो भी नागरिक आ जाता है,तो उसे सरकार तुरंत उस दायरे से बाहर निकालने के लिए आर्थिक मदत के रुप में हर महिने छोटी राशि के साथ साथ एकबार एकमुस्त मोटी राशि भी प्रदान करे,जैसे की धन्ना कुबेरो को हर साल छुट या माफी राशि के रुप में मोटी राशि मिलती है!मैं ये नही कह रहा हुँ कि धन्ना कुबेरो की तरह सभी बीपीएल को हजारो करोड़ की मदत मिले जो कि सरकार दे भी नही पायेगी यदि देना चाहे तो भी,बल्कि इस देश के तमाम धन्ना कुबेर भी मिलकर यदि इतनी मोटी राशि सभी चालीस करोड़ बीपीएल को देना चाहे तो भी वे दे नही पायेंगे और सभी कंगाल हो जायेंगे!चाहे तो मन में सिर्फ कल्पना करके ही सभी बीपीएल को एक एक को हजारो करोड़ की राशि देकर देख लें सभी धन्ना कुबेर,दे पायेंगे कि नही दे पायेंगे अपने हिसाब किताब की खाते में!खैर ये तो रही देने की बात कि सरकार किसे कितनी दे सकती है बिना कोई आर्थिक तंगी के,जबकि मुठीभर धन्ना कुबेरो को मोटी आर्थिक मदत हर साल देना सरकार के लिए आम बात है!जबकि सभी धन्ना कुबेर भी मिलकर सभी बीपीएल को एकबार भी इतना दे पाना नामुमकिन है!जो मानो किसी गणेष को बिना अन्नपुर्णा की हाथ से बनी चावल के धन्ना कुबेर के महलो की दावत में छप्पन भोग खिलाने जैसा है!इसलिए सभी बीपीएल को एक एक के खाते में हजारो करोड़ न सही पर लाखो रुपये तो जरुर दी जा सकती है!जो भी यदि नही दे सकती सरकार सभी गरिब बीपीएल के खाते में पन्द्रह से बिस लाख तो भी मेरे ख्याल से एक दो लाख रुपया तो प्रत्येक गरिब बीपीएल को दे ही सकती है सरकार!जो भी यदि नही दे पा रही है तो फिर जिस तरह एक एक धन्ना कुबेर को समृद्धी की खुदाई के लिए खनिज सम्पदा की माईंस गैरकानूनी तरिके से छुट प्रदान करती रही है,जो जमिन वगैरा भी किसी ने कहा टॉफी की किमत पर देती है सरकार,जो यदि सच है तो उसी तरह गैरकानूनी नही बल्कि नियम कानून बनाकर एक एक गरिब बीपीएल को दो चार लाख रुपये की खनिज सम्पदा और जमिन तो दे ही सकती है!ताकि उसे बेचकर या उससे अपनी आमदनी बड़ाकर जल्द अमिर बन सके गरिब बीपीएल!जिसे प्रयोगिक रुप से जानने के लिए धन्ना कुबेरो को जो हर साल आर्थिक छुट और माफी मिलती है उसे बंद करके हर महिने का उन्हे सिर्फ राशन पानी देकर देख ले सरकार पता चल जायेगा कि बीपीएल कार्ड बनवाकर सिर्फ आधा पेट राशन पानी देने से विकाश में तेजी नही आती है!बल्कि सिर्फ जिन्दा रहने की ऐसी बुरी हालात बनती है जिससे की गरिब बीपीएल का जो शारिरिक और वोट देने की क्षमता है उसका इस्तेमाल होने लगता है!जिसके बारे में मैं ये भी लिखने से नही हिचकिचाउँगा कि जिस तरह गुलामो को खटाने के लिए उन्हे सिर्फ जिन्दा रहने की भोजन दी जाती थी ताकि देश की तमाम संसाधनो का उपयोग करके सिर्फ मुठीभर गोरे अँग्रेज और उनके चाटूकार  सहयोगी मिल बांटकर भोग विलास कर सके गुलामो की शारिरिक बल का इस्तेमाल करके बड़ी बड़ी महल और महंगी महंगी तमाम तरह की भोग विलाश करने का निर्माण करने के लिए,जहाँ शारिरिक बल की जरुरत पड़ती है,वहाँ जिस तरह गुलामो की जन बल ताकत का इस्तेमाल की जाती है,उसी तरह ही मेरे ख्याल से अब भी कुछ मुठीभर गोरो के चाटूकार जो देश छोड़कर कहीं बाहर नही गए हैं,बल्कि यहीं पर हैं,क्योंकि सिर्फ गोरो से अजादी मिली है,गोरो की चाटूकार से नही!जाहिर है गोरो के गुलामी भक्त अपने आकाओ की ही नक्से कदम पर चलकर आज भी इस देश के मुलवासियो को दबाकर अन्याय अत्याचार करना नही छोड़े हैं!जिसके चलते यह कहा जा सकता है कि इस देश को अभी अधुरी अजादी मिली है!जिसे पुरी अजादी मिल गयी तब मानी जायेगी जब इस देश के लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो के प्रमुख पदो में इस देश के मुलवासियो की बहुसंख्यक दबदबा कायम हो जायेगी और सबकी गरिबी भुखमरी समाप्त हो जायेगी!उसके बाद ही किसी की भी शोषन अत्याचार करने कि हिम्मत नही होगी ये जानकर कि पुर्ण रुप से अजाद और मजबूत नागरिक का मान सम्मान हक अधिकार लुटकर शोषन अत्याचार करना मतलब मुँह कान तोड़वाने के साथ साथ बहुत कुछ तोड़वाना है!क्योंकि मुझे पुरा यकिन है,जो स्वभाविक भी है कि उच्च पदो में जिनकी भी दबदबा कायम हो जाती है और जो अमिर और ताकतवर बन जाता है,उसके साथ शोषन अत्याचार करने से पहले दिल की धड़कन शोषन अत्याचार करने वालो की इतनी बड़ जाती है कि कई बार तो वे हार मानकर दिल का दौरा का भी शोषन अत्याचार शिकारी होते हुए भी खुद शिकार हो जाते हैं!इसलिए सभी शोषन अत्याचार का शिकार होने वालो को पुरी अजादी मिलना बहुत जरुरी है,ताकि बुराई का खात्मा न भी हो सके तो बुराई किसी सुवर की तरह अपनी दायरे में रहे,जो किसी के पुर्ण अजाद साफ सुथरा माहौल में गु लगा अपना गंदी थुथन गु गु गु करते न मारे!जिससे दुर रहने के लिए गोरे भी सीट(गु) कहकर गंदगी से दुर रहने की शब्द कहते हैं,भले वे दो सौ सालो से भी अधिक समय तक कई देशो को गुलाम करके खुद शोषन अत्याचार गंदगी फैलाते रहे!जिस तरह की गंदगी फैलाने की सोच आज भी जिनकी भी थुथन में भरी हुई है उनसे पोलियो मुक्त अभियान की तरह शोषन अत्याचार मुक्त अभियान चलाकर दो टांग वाले भ्रष्ट सुवरो से पुर्ण अजादी पाना जरुरी है!जिसके लिए ही तो मैं और मेरे जैसे और भी अनगिनत पुर्ण अजादी के नायक इस तरह की सत्य ज्ञान संदेश किसी पोलियो मुक्त दवा की तरह शोषन अत्याचार मुक्त दवा बांटते रहे हैं!जिसे जो भी भितरी मन से पी लेगा उसके अंदर शोषन अत्याचार से लड़ने की क्षमता बड़ जायेगी और कुछ हद तक वह शोषन अत्याचार फैलाने वाले वैक्टिरिया से भी बचा रहेगा!जिससे संक्रमित होकर बहुत से लोगो के मान सम्मान और हक अधिकारो की भारी हानी हो रही है!जिस तरह की भारी हानी से मुक्ती पुर्ण अजादी पाना है!जिसका इंतजार हर वह व्यक्ती कर रहा है जो गोरो से अजादी मिलने के बावजुद भी शोषन अत्याचार का शिकार होता रहा है!जिन तमाम लोगो को एकजुट होकर और अपनी एकता शक्ती का इस्तेमाल करके एक साथ एक ही वार में पुर्ण अजादी पा लेनी चाहिए,अपनी सरकार बनाकर जो अबतक नही बनी है!वह सरकार जिसमे ज्यादेतर उच्च पदो में सेवक सिर्फ छुवा छुत और उच्च निच शोषन अत्याचार का शिकार होने वाले हो ताकि अपनी सरकार बनाकर सौ सोनार की तो एक लोहार कि वार से शोषन अत्याचार करने वाले शिकारी का ही शिकार हो जाय और दुबारा से वह शोषन अत्याचार शिकार करने वाली खुनी पंजा और खुंखार दांत समेत अपने पाँव और जबड़ा भी तुड़वा बैठे!क्योंकि जिस तरह जंगल राज में शेर राजा अपनी प्रजा की सेवा और रक्षा अपने खुनी पंजो से दबोचकर खुंखार जबड़ो के जरिये पेट में ले जाकर रक्षा और सेवा करता है,उसी प्रकार शोषन अत्याचार करने वालो की दबदबा यदी लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में भी कायम है,तो निश्चित तौर पर शोषन अत्याचार कभी भी खत्म नही होने वाली है जबतक की शोषन अत्याचार का शिकार हो रहे लोगो की दबदबा कायम न हो जाय!दबदबा का मतलब सिर्फ एक दो प्रतिशत प्रमुख पदो पर दबदबा कायम करना नही है,बल्कि कम से कम पचास प्रतिशत से अधिक की दबदबा कायम करना है तमाम उच्च पदो में!जो वर्तमान में लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख उच्च पदो में कितनी प्रतिशत शोषन अत्याचार का शिकार होनेवाले लोगो की दबदबा कायम है इसके बारे में चाहे तो पता करके देख लो!पता करने पर कई जगह तो0%मौजुदगी दबदबा कायम मिलेगी!जिस तरह की भेदभाव जाहिर है इस देश की परम्परा और विरासत नही है बल्कि ये परंपरा प्राचिन रोमराज से भेदभाव करने वालो ने या तो नकल करके प्राप्त किया है या फिर प्राचिन रोमराज को वे अपना आदर्श मानते हैं!जिसे ये कृषि प्रधान देश अपना आदर्श के रुप में छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव करने को आदर्श कभी नही मानेगा!तभी तो मनुस्मृती की तुलना रोमराज से करके उसे भष्म करने के बाद बाबा अंबेडकर ने अजाद हिन्दुस्तान की संविधान रचना करके उसे लागू किया गया,ताकि सभी नागरिक गोरो के साथ साथ छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव से भी अजाद हो सके!जो अबतक अजादी के सत्तर साल बित जाने के बावजुद भी पुरे देश समाज में अबतक भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत छुवा छुत और उच्च निच भेदभाव के रुप में मंडराना नही छोड़ा है!जो भष्म होकर भी मानो उसे मुक्ती नही मिली है,क्योंकि इतना पाप किया ही है कि उसे नर्क में भी जगह नही मिल रही है, और यमराज वापस उसकी भ्रष्ट बैताल आत्मा को इसी धरती पर वह भी खासकर भारत में मंडराने के लिए सायद इसलिए भी छोड़ दिया है,ताकि इसबार पुर्ण अजादी मिलते ही उस भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत को या तो माफी के रुप में नर्क में प्रवेश करने की सिफारिश मिल जाय या फिर वह शोषन अत्याचार का शिकार तमाम लोगो की हक अधिकारो को खुद ही सौंपकर अपने सारे अपराधो की इसी धरती में सजा काटकर और अपने पापो की प्राश्चित करके अंत में स्वर्ग जा सके!जिसके बाद ही सायद शोषन अत्याचार का शिकार होने वालो की दबदबा कायम होने के बाद पुर्ण अजादी सत्ययुग आयेगा!क्योंकि इस देश में अभी शोषन अत्याचार करने वालो की दबदबा से उनके द्वारा किए गए पापो का कलयुग चल रहा है!और चुँकि पुरे विश्व को सत्य ज्ञान बांटनेवाला विश्वगुरु ही पुर्ण अजाद नही है तो जाहिर है पुरे विश्व में कलयुग हावी रहेगी पुरे विश्व में गरिबी और भुखमरी देकर किसी न किसी तरिके से शोषन अत्याचार भ्रष्टाचार कायम करके!यानी इस देश को पुर्ण अजादी का मतलब पुरे विश्व को भी गरिबी भुखमरी से अजादी दिलाना है खासकर उन गोरा काला भेदभाव जैसे शोषन अत्याचारो से भी जिससे मुक्ती आजतक तमाम देशो की सरकारे मिलकर भी नही दिला पा रहे हैं!जैसे की गरिबी और भुखमरी से मुक्ती पुरे विश्व की ताकत विश्व बैंक की स्थापना करके भी सारी ताकत और बुद्धी बल इस्तेमाल करके पुरी दुनियाँ से गरिबी और भुखमरी अबतक नही मिट पा रही है,भले ही क्यों न पुरी दुनियाँ अपनी विकाश यात्रा करते हुए चाँद और मंगल तक पहुँच गयी हो!पर आज भी गरिबी और भुखमरी समाप्त करने की खोज नही हो पायी है!जिसे सिर्फ विश्वगुरु ही इस देश को पुर्ण अजादी मिलने के बाद खोज ही नही बल्कि एक झटके में जिस तरह विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर से पुरा विश्व छुटकारा पा लिया था हिन्दुस्तान सागर की सिर्फ करवट लेने से उसी तरह विश्वगुरु को पुर्ण अजादी मिलने के बाद फिर से पुरे विश्व को गरिबी भुखमरी देने वाला शैतान सिकंदर का भुत उतारना भी बाकी है!गोरे अँग्रेजो से अधुरी अजादी तो सिर्फ झांकी है!जिसके बाद ही विश्वगुरु अपडेट होगा!
"धन्यवाद"

स्मार्ट सिटी और बीपीएल भारत के बजाय क्यों नही गरिबी भुखमरी मुक्त संतुलित समृद्धी?

"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी

विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी


"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

विकाश का पैमाना डॉलर और रुपये की मोल है तो फिर अजादी के समय एक डॉलर और एक रुपये का मुल्य बराबर थी,जिसके हिसाब से हम पिच्छे जा रहे हैं की आगे?


"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

बहुसंख्यक जनता मालिक को रोजगार और खाने पिने की अन्न जल नही मुठीभर के लिए स्मार्ट सिटी बसाकर सबके अच्छे दिन लाने की नही बल्कि भेदभाव अपडेट करने की तैयारी हो रही है

"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

देश में हजारो करोड़ की कर्ज लेकर माफी और छुट कराकर विदेशो में जाकर घी पीना

लाल बहादुर शास्त्री द्वारा जय जवान जय किसान का नारा दिया गया था,जिसके बारे में 2014 के लोकसभा चुनाव में ये कहा गया कि कांग्रेस सरकार में मर जवान मर किसान बुरे हालात पैदा हो गयी है,जिससे की हर रोज किसान और जवानो की मौत हो रही है!जिसकी चर्चा करते हुए ये प्रचार प्रसार किया गया कि कांग्रेस के द्वारा दीये गए बुरे हालात को बदलकर किसान और जवान के साथ साथ पुरे देश के लिए अच्छे दिन लायेगी यदि भाजपा चुनाव जीतकर केन्द्र में सरकार बनाती है!साथ ही यह भी कहा गया था कि कांग्रेस ने जो 60 सालो में देश की बुरे हालात पैदा कर दी है,जो अजादी से लेकर 60 सालो तक शासन करने के बाद भी अच्छे दिन नही ला सकी है, उसे भाजपा 60 महिने में ही बदलकर अच्छे दिन ला देगी देश और प्रजा के लिए!जिसके द्वारा किये गए वादो और इरादो के बारे में जानकर कुल मिलाकर मेरी और देश के साथ साथ ज्यादेतर विश्लेशको की नजर में भी न तो कांग्रेस की 60 साल शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी दुर हुई है,और न ही भाजपा की 60 महिना साईनिंग इंडिया शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी मिटी है!रही बात डीजिटल इंडिया शासन की तो उसके भी 37 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजर गए हैं,जो बाकि के भी 23 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजरेंगे जिसकी नजारा हर रोज मिलती ही रहती है!बल्कि अजादी के समय जो पुरे देश की जनसंख्या चालीस करोड़ थी,जो अब अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है!जिसे कांग्रेस की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ का नारा देकर विकाश सफर तय करते करते भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया का नारा देकर भी वापस उसी चालीस करोड़ बीपीएल भारत पर खत्म होने को है!जिसे दोनो ही पार्टियो को जैसा कि जनता मालिक द्वारा प्रचंड बहुमत से मौका दिया गया है,दो अलग अलग पार्टी के रुप में,उसका फायदा उठाने में ये दोनो पार्टी ही असफल मानी जायेगी इतिहास के पन्नो में जब ये सवाल पुच्छा जायेगा कि अजादी के समय पुरे देश की अबादी जो चालीस करोड़ थी उतनी अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है,जिसके चलते हर रोज गरिबी और भुखमरी से सैकड़ो हजारो मौते हो रही है,उसे तेजी से विकसित होता भारत कैसे कहा जा सकता है?जहाँ कई कई प्रधानमंत्री अपने ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी अब दुर होगी,तब दुर होगी कहते कहते जवानी से बुढ़ापा तक का विकाश सफर तय करते करते अब दुनियाँ से दुर जा चुके हैं,लेकिन उनकी नई पिड़ी के भी आने पर भी गरिबी भुखमरी आजतक दुर नही हुई है!जिसके बारे में ही तो गंभीर होकर जनता मालिक ने भाजपा को सायद ये सोचकर 2014 में भारी बहुमत से जीताया होगा कि सायद कांग्रेस की साठ साल का आधुनिक भारत विकाश सफर तय करते करते गरिबी और भुखमरी का जो अँधेरा छटेगा उजाला आयेगा कहकर अटल की साठ महिना साईनिंग इंडिया में भी जो गरिबी भुखमरी अँधेरा समाप्त नही हुई थी वह अब साठ महिने की डीजिटल इंडिया में सायद समाप्त हो जाय और हर रोज गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो के साथ साथ मर जवान मर किसान जो भाजपा कहती रही है मानो अँधेर नगरी चौपट राजा कांग्रेस शासन में वह भी रोज की सोरगुल चर्चा जल्द समाप्त हो जाय और एक भी किसान और जवान की मौत न हो,जिससे की पुरे देश में वाकई में अच्छे दिनो की उजाला आ गए हैं आस पड़ौस के साथ साथ पुरी दुनियाँ की मीडिया को भी इस देश की गरिबी भुखमरी पुरे ग्रामीण भारत के साथ साथ शहरी धारावी जैसे झुगियो में न दिखे और एक के बदले दस सर लाने का छप्पन इंच का सिना जो कहा गया था कांग्रेस सरकार के समय वह भाजपा सरकार आने के बाद छप्पन इंच का कथित सिना पाकिस्तान जाकर गले मिलकर आने के बाद सायद सबके अच्छे दिन आ गए का जस्न में डुब जाय और कोई किसान भी आत्महत्या न करे भले ही देश का दुश्मन बाहरी या भितरी जो भी हो वह आत्महत्या कर ले इस देश की सुख शांती और समृद्धी देखकर  जलन से!जो न होकर पुरे देश में क्या हालात है इसे जानने के लिए वाकई में अच्छे दिन आ गए कहकर वर्तमान की सरकार या उसके समर्थक अब ये आँकड़ा न दिखा दे कि भाजपा शासन में कहाँ किसी मंत्री और उच्च अधिकारी की भुखमरी और गरिबी से मौत हुई है इन सैंतीस महिनो में,बल्कि गरिबी जिवन जिने वाले एक चायवाला भी प्रधानमंत्री का शपथ लेकर लाखो रुपये की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री मंत्री पद का शपथ लेते ही चंद महिनो में ही लाखो रुपयो का सुटबुट पहननेवाला नसीबवाला बन गया है,उस गरिब बीपीएल प्रजा की कृपा से जिनकी कृपा से ही कभी एक और सुटबुटवाला प्रधानमंत्री बनकर बुढ़ापा तक अच्छा खासा खा पीकर गया है!जिनके सुट विदेशो से धुलकर आते थे ये चर्चा आज भी होती है!जिस तरह की सुटबुट अमिरी,गरिब बीपीएल को भी मिले इसके लिए ही तो सायद अजादी के समय कांग्रेस द्वारा आधुनिक भारत की विकाश सफर तय की गयी होगी जो अब भाजपा द्वारा जिसे कांग्रेस ने सुटबुट की सरकार कहा है,जो कि वाकई में भी खुद भी कांग्रेस सुटबुट की सरकार रह चुकी है यदि किसी प्रधानमंत्री का सिर्फ सुटबुट पहनने से ही सुटबुट की सरकार परिभाषित हो जाती है!बल्कि मैं तो कहुँगा सुट बुट तो गाँधी भी पुरी जवानी पहने थे,जिसके कारन ही तो वे तब की गुलामी समय का लुटपाट करके खनिज संपदा को ढोने और गोरो की खास सुविधा के लिए चलाई जा रही तब की बुलेट ट्रेन से सुटबुटवाला गोरे अँग्रेज द्वारा रेल डब्बा से उठाकर बाहर फैंके गए थे ये कहकर की काला इंडियन को रेल में गोरो की बराबरी का रेल टिकट लेकर उच्च दर्जे की सफर करना नही चाहिए!जो कि गाँधी ने चुँकि गोरो की तरह ही सुटबुट लगाकर गोरो की तरह ही उच्च दर्जे की रेल टिकट लेकर सफर सायद ये सोचकर किया होगा कि जिस अदालत में गाँधी गोरे जज के सामने न्याय की लड़ाई लड़ते रहे गोरे जजो के द्वारा न्याय फैशला सुन सुनकर,वैसी न्याय शासन रेल सफर में भी सायद मिलेगी!जिसके बारे में तब कोई सुटबुटवाला वकिल गोरे जज को क्यों नही कहा कि यीशु मसीह भी अजादी प्रेम के लिए अवाज बुलंद किए थे,और गुलाम करने वालो ने ही यीशु को सुली पर चड़ाया था!जो कि इस देश में गोरे जजो द्वारा गुलामी को न्यायपुर्ण शासन कहकर अजादी के लिए अवाज उठाने वालो को फांसी पर चड़ाना किस तरह का न्याय है?जबकि असल में तो गुलाम करने वालो को बाईबल पढ़कर खुदको ही सजा भले ही सुना न सके पर उन्हे तो यीशु से जरुर क्षमा मांगनी चाहिए थी किसी देश को गुलाम करने और अजादी के वीरो को फांसी पर चड़ाने और जेल यातना समेत कालापानी जैसे और भी कई तरह की क्रुरतापुर्ण सजा देने के लिए!जिससे गाँधी और तमाम वकिल अपने तर्क में क्यों नही गोरे जजो के सामने दलिल पेश किए कि गोरे जजो को भी जज की कुर्सी छोड़कर और गुलाम करके न्याय करने वाली अदालत को बंद करके तमाम गोरो को अपना बोरिया बिस्तर बांधकर वापस चले जाना चाहिए,क्योंकि किसी देश को गुलाम करना इतनी बड़ी गुनाह है कि इसके खिलाफ खुद यीशु मसीह भी अजादी की आवाज बुलंद करके गुलाम करने वालो के द्वारा सुली पर चड़ाये गए थे!जिस बात से क्या गोरे जज अनजान थे जो गुलाम करनेवालो को हौसला बड़ाते रहे?बल्कि अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर कौन सा न्यायपुर्ण शासन चलवा रहे थे अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर?खैर आखिरकार आगे गाँधी को भी इसका यहसास हुआ गोरो द्वारा रेल डब्बे से उठाकर फैके जाने के बाद,जिसके बाद ही तो गाँधी ने जिन गोरो की सुटबुट को पुरी जवानी पहने थे उसे बहिष्कार करो बहिष्कार करो कहकर सुटबुट भष्म करना सुरु कर दिया और बाकियो को भी ये कहे कि तुम भी जिसे अबतक पकड़कर रखे हो उसे भष्म करो, जिसने हमे जकड़कर रखा है!उसके बाद तो गाँधी द्वारा सुटबुट का बहिष्कार ऐसे हुआ कि आज गाँधी का जितने भी मुर्ती बनती है उनमे सायद ही कोई सुटबुटवाला गाँधी की मुर्ती बनाई जाती है!क्योंकि गाँधी के तमाम मुर्ती ग्रामीण धोती पहने हाथ में बुढ़ापा का लाठी लिए होती है!जबकि जवान गाँधी ने सुटबुट लगाकर हाथ में गोरो की नियम कानून की किताब पकड़े भी आधा जिवन जीया है!जिसके बारे में सायद गाँधी की मुर्ती पर किसी तरह की छाप नही छोड़ने की सोच के साथ ही गाँधी की मुर्ती तैयार की जाती है!पर चुँकि गाँधी की बहुत सारी फोटो भी मौजुद है इतिहास के पन्नो में,जिसे तब ज्यादेतर गोरे ही खिचते होंगे,इसलिए गाँधी सुटबुट लगाते हुए कई फोटो में तो नजर आते हैं पर किसी मुर्ती में सुट बुट पहने नजर नही आते हैं!जबकि सुटबुटवाला गाँधी का इतिहास भी तो कई पन्नो में दर्ज की गयी है!जो स्वभाविक भी है क्योंकि गाँधी सिर्फ बुढ़ापा में मौजुद नही रहे हैं दुनियाँ के सामने बल्कि उनकी जन्म से बुढ़ापा तक कि पुरी जिवन मौजुद रही हैं!जिसकी पुरी तस्वीर पेश करनी चाहिए न की सिर्फ बुढ़ापा वाली मुर्ती बननी चाहिए!जिसके साथ साथ सुटबुटवाला गाँधी की भी मुर्ती बननी चाहिए यदि पुरा गाँधी के बारे में दुनियाँ को बतलाने का मन हो कांग्रेस या अन्य भी पार्टी के साथ साथ किसी भी समाज सुधारक के द्वारा!अथवा जिस तरह धोती पहने हाथ में डंडा लिये बुढ़े गाँधी जगह जगह मुर्तियो और तस्वीरो में दिखते हैं,उसी तरह जवान सुट बुटवाला गाँधी भी सभी जगह जरुर दिखे,न कि सुटबुटवाला प्रधानमंत्री कहकर सिर्फ भाजपा के ही प्रधानमंत्री के बारे में ये बतलाया जाय की वे क्या क्या पहनते हैं!मैने तो उस लाखो रुपयो की सुटबुट खराब हालात का विरोध किया है,जिसमे कोई खुदको जनता का नौकर कहकर मंत्री पद और उच्च अधिकारी पद पर बैठता है और पावर में आने के बाद कई दसक बित जाने के बाद भी जनता मालिक की गरिबी भुखमरी कायम रहती है और उसी तरह की ही गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी रहता है जैसे की लाखो रुपये की सुटबुट पहनने से पहले भी जारी थी!जबकि मंत्री पद की शपथ लेने या उच्च अधिकारी पद पर बैठने से पहले चाहे कोई क्यों न कितना ही गरिब हो उसकी गरिबी रातो रात समाप्त होकर महंगी सुरक्षा और महंगी बंगला गाड़ी और अन्य तमाम तरह की सरकारी सुख सुविधा प्राप्त तो होती ही होती है,पर चंद महिनो में ही रोजमरा जिवन में कितनी भारी बदलाव आ जाती है,इसके बारे में गरिब बीपीएल की कृपा से लाखो रुपयो की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री को लाखो रुपये की सुटबुट पहनकर एक चायवाला से दुनियाँ की सबसे अमिर और ताकतवर कहलाने वाले देशो के मुखिया को चाय पर बुलाकर साथ बैठकर चाय पीने का नसीब प्रदान करना तो सिर्फ एक झांकी है,अजादी से लेकर सतर सालो तक गरिब बीपीएल को इस तरह की सुटबुटवाला नसीब प्राप्त करके अजादी के समय पुरे देश की जो चालीस करोड़ अबादी थी उतनी ही चालीस करोड़ अबादी बीपीएल भारत का नसीब बदलने की कृपा कितनी हुई है ऐसे लाखो रुपये की सुटबुट पहननकर इसकी पीड़ा बतानी तो बाकि है इतिहास के उस पन्नो में जिसे आनेवाली नई पिड़ी जब पढ़ेगी तो अपनी समय की सरकार चुनने से पहले जान पायेगी की 1947 से लेकर 2019 तक का 21वीं सदी का विकाश सफर भारी बहुमत से जिती कांग्रेस सरकार की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ से लेकर भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया विकाश सफर में किसके अच्छे दिन बहुत तेज गति से आते रहे हैं और किसके अबतक और साठ महिना और साठ महिना चाहिए कहते हुए कई चुनाव आए और सरकार बनाकर गरिबी भुखमरी उसी तरह बरकरार रखकर चले गए!जैसा की साठ साल बनाम साठ महिना भाषन अश्वासन देकर 2014 में भारी बहुमत से चुनकर आई भाजपा सरकार बनकर 60 महिना डीजिटल इंडिया विकाश सफर में 37 महिना बित चुके हैं,लेकिन फिर भी आजतक न तो चालीस करोड़ बीपीएल भारत के अच्छे दिन आ गए हैं,और न ही मर जवान मर किसान बुरे हालात बदलकर अच्छे दिन हो गए हैं आत्महत्या करने वाले किसानो और हर रोज दुःखी होने वाले उन जवानो के परिवारो की जिनकी घरो में जवानो की लाश जाना बंद नही हो रही है!जिसे सुख शांती और समृद्धी अच्छे दिन आ गए हैं कैसे मान लिया जाय ये कहकर कि 2019 में भी इसी तरह की ही सुख लानेवाली सरकार बननी चाहिए!जो भाजपा और कांग्रेस सरकार 2019 आते आते कहीं ये कहना न सुरु कर दे कि कांग्रेस भाजपा की सरकार आई तो आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ,साईनिंग इंडिया से भी और आगे की विकाश सफर तय करके वर्तमान में जो गरिब बीपीएल को चंद सौ रुपये या हजार रुपये की सरकारी राशन सब्सिडी मिल रही है उसे प्राप्त करनेवाला वाली सारे बीपीएल कार्ड बदलकर एक एक धन्ना कुबेरो को जो हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि सरकारी माफी और छुट के रुप में मिलती है,उसी तरह की राशि सरकारी कार्ड के रुप में सभी गरिब बीपीएल को भी छुट और माफी मिलने की कार्ड अपडेट की जायेगी,ताकि इस देश के गरिब भी हजारो करोड़ रुपयो की कर्ज लेकर उसे सरकारी माफी मिलने के बाद विदेश जाकर सरकारी छुट के रुप में कर्ज लेकर भी धन्ना कुबेरो की तरह हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि पाकर अपनी आर्थिक कुपोषन दुर करने के लिए मदर इंडिया का दुध का कर्ज लेकर घी पी सके!जबकि चंद धन्ना कुबेरो को कर्ज में हजारो करोड़ की छुट और माफी के रुप में घी पिलानेवाली ये सरकार गरिबी भुखमरी से हर रोज मर रहे बहुसंख्यक नागरिको को ठीक से पानी तक भी नही पीला पा रही है तो क्या सबको सुख शांती और समृद्धी पिलायेगी!जिन दोनो ही पार्टी की सरकार को तो अब कभी कम से कम सत्तर साल के लिये केन्द्र की राजनिती में मौका ही नही देनी चाहिए जबतक की बाकि सबको मौका न मिल जाय कम से कम एक एक बार!और जिनमे से भी यदि कोई पार्टी इन दोनो ही भाजपा कांग्रेस पार्टी से बेहत्तर प्रदर्शन करते हुए देश की गरिबी भुखमरी दुर करके बेहत्तर विकाश पाँच साल में ही बीपीएल दाग को यदि मिटाकर करती है तो उसे तो बार बार मौका देते हुए कम से कम एक दो दशक तो जरुर केन्द्र में चुनते रहना चाहिए जो कि अभी चालीस करोड़ बीपीएल दाग अबतक नही मिटा पानेवाली भाजपा कांग्रेस को क्यों अबतक एकबार से अधिक मौका दी जाती रही है इसे तो मैं गरिबी भुखमरी समाप्त करके तेज विकाश करने की नाम से बार बार एक दो को ही मौका देकर चालीस करोड़ बीपीएल भारत इतिहास दर्ज करना सबसे बड़ी गलत चयन करने की भुल मानता हुँ खासकर उन लोगो की जिन्हे अब भी लगता है कि वे जीते जी भाजपा कांग्रेस के ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी दुर होते देखेंगे!जो सपना कई मंत्री और प्रधानमंत्री समेत कई उच्च अधिकारियो की सपना भी पुरा नही कर सके और चले गये गरिब बीपीएल भारत देखकर, तो आगे ये लोग क्या कहना चाहते हैं कि भाजपा कांग्रेस चालीस करोड़ बीपीएल की गरिबी दुर करने के लिये आगे सबको पंद्रह से बीस लाख की सुट बुट न सही पर पंद्रह से बीस लाख कैश देनेवाली है क्या रामदेव द्वारा सुराग निकलवाकर देश विदेश में जमा 1000 लाख मुल्य का गुप्त कालाधन जब्ती करके!जो करना होता तो कांग्रेस अपने साठ साल की शासन में कबका करती और भाजपा भी साठ महिना साईनिंग इंडिया करने के बाद अब सैंतीस महिना डीजिटल इंडिया करते हुए जरुर करती!जो दोनो ही कुछ भी ऐसा नही करने वाले हैं और न ही इन दोनो ही पार्टियो के नेतृत्व में इस देश में अच्छे दिन आनेवाले हैं गरिबी भुखमरी दुर करके!इसलिये बार बार मैं कहता रहा हुँ कि इन दोनो ही पार्टियो को केन्द्र से बाहर का रास्ता दिखलाये बहुसंख्यक जनता कम से कम गरिब बीपीएल और गरिबो के समर्थक लोग इन दोनो ही पार्टी को भारी वोटो से हाराकर सचमुच का अच्छे दिन लाने की सुरुवात करें!ताकि ये नकली अच्छे दिन लानेवाले कम से कम सत्तर सालो तक ये मंथन करते रहे कि इनसे कौन सी भारी भुल हो गयी है?   "धन्यवाद"

जवान जय किसान के बारे में 2014 की लोकसभा चुनाव में मर जवान मर किसान कहा गया था,अब सभी किसानो के अच्छे दिन आ गए हैं क्या?


लाल बहादुर शास्त्री द्वारा जय जवान जय किसान का नारा दिया गया था,जिसके बारे में 2014 के लोकसभा चुनाव में ये कहा गया कि कांग्रेस सरकार में मर जवान मर किसान बुरे हालात पैदा हो गयी है,जिससे की हर रोज किसान और जवानो की मौत हो रही है!जिसकी चर्चा करते हुए ये प्रचार प्रसार किया गया कि कांग्रेस के द्वारा दीये गए बुरे हालात को बदलकर किसान और जवान के साथ साथ पुरे देश के लिए अच्छे दिन लायेगी यदि भाजपा चुनाव जीतकर केन्द्र में सरकार बनाती है!साथ ही यह भी कहा गया था कि कांग्रेस ने जो 60 सालो में देश की बुरे हालात पैदा कर दी है,जो अजादी से लेकर 60 सालो तक शासन करने के बाद भी अच्छे दिन नही ला सकी है, उसे भाजपा 60 महिने में ही बदलकर अच्छे दिन ला देगी देश और प्रजा के लिए!जिसके द्वारा किये गए वादो और इरादो के बारे में जानकर कुल मिलाकर मेरी और देश के साथ साथ ज्यादेतर विश्लेशको की नजर में भी न तो कांग्रेस की 60 साल शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी दुर हुई है,और न ही भाजपा की 60 महिना साईनिंग इंडिया शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी मिटी है!रही बात डीजिटल इंडिया शासन की तो उसके भी 37 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजर गए हैं,जो बाकि के भी 23 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजरेंगे जिसकी नजारा हर रोज मिलती ही रहती है!बल्कि अजादी के समय जो पुरे देश की जनसंख्या चालीस करोड़ थी,जो अब अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है!जिसे कांग्रेस की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ का नारा देकर विकाश सफर तय करते करते भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया का नारा देकर भी वापस उसी चालीस करोड़ बीपीएल भारत पर खत्म होने को है!जिसे दोनो ही पार्टियो को जैसा कि जनता मालिक द्वारा प्रचंड बहुमत से मौका दिया गया है,दो अलग अलग पार्टी के रुप में,उसका फायदा उठाने में ये दोनो पार्टी ही असफल मानी जायेगी इतिहास के पन्नो में जब ये सवाल पुच्छा जायेगा कि अजादी के समय पुरे देश की अबादी जो चालीस करोड़ थी उतनी अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है,जिसके चलते हर रोज गरिबी और भुखमरी से सैकड़ो हजारो मौते हो रही है,उसे तेजी से विकसित होता भारत कैसे कहा जा सकता है?जहाँ कई कई प्रधानमंत्री अपने ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी अब दुर होगी,तब दुर होगी कहते कहते जवानी से बुढ़ापा तक का विकाश सफर तय करते करते अब दुनियाँ से दुर जा चुके हैं,लेकिन उनकी नई पिड़ी के भी आने पर भी गरिबी भुखमरी आजतक दुर नही हुई है!जिसके बारे में ही तो गंभीर होकर जनता मालिक ने भाजपा को सायद ये सोचकर 2014 में भारी बहुमत से जीताया होगा कि सायद कांग्रेस की साठ साल का आधुनिक भारत विकाश सफर तय करते करते गरिबी और भुखमरी का जो अँधेरा छटेगा उजाला आयेगा कहकर अटल की साठ महिना साईनिंग इंडिया में भी जो गरिबी भुखमरी अँधेरा समाप्त नही हुई थी वह अब साठ महिने की डीजिटल इंडिया में सायद समाप्त हो जाय और हर रोज गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो के साथ साथ मर जवान मर किसान जो भाजपा कहती रही है मानो अँधेर नगरी चौपट राजा कांग्रेस शासन में वह भी रोज की सोरगुल चर्चा जल्द समाप्त हो जाय और एक भी किसान और जवान की मौत न हो,जिससे की पुरे देश में वाकई में अच्छे दिनो की उजाला आ गए हैं आस पड़ौस के साथ साथ पुरी दुनियाँ की मीडिया को भी इस देश की गरिबी भुखमरी पुरे ग्रामीण भारत के साथ साथ शहरी धारावी जैसे झुगियो में न दिखे और एक के बदले दस सर लाने का छप्पन इंच का सिना जो कहा गया था कांग्रेस सरकार के समय वह भाजपा सरकार आने के बाद छप्पन इंच का कथित सिना पाकिस्तान जाकर गले मिलकर आने के बाद सायद सबके अच्छे दिन आ गए का जस्न में डुब जाय और कोई किसान भी आत्महत्या न करे भले ही देश का दुश्मन बाहरी या भितरी जो भी हो वह आत्महत्या कर ले इस देश की सुख शांती और समृद्धी देखकर  जलन से!जो न होकर पुरे देश में क्या हालात है इसे जानने के लिए वाकई में अच्छे दिन आ गए कहकर वर्तमान की सरकार या उसके समर्थक अब ये आँकड़ा न दिखा दे कि भाजपा शासन में कहाँ किसी मंत्री और उच्च अधिकारी की भुखमरी और गरिबी से मौत हुई है इन सैंतीस महिनो में,बल्कि गरिबी जिवन जिने वाले एक चायवाला भी प्रधानमंत्री का शपथ लेकर लाखो रुपये की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री मंत्री पद का शपथ लेते ही चंद महिनो में ही लाखो रुपयो का सुटबुट पहननेवाला नसीबवाला बन गया है,उस गरिब बीपीएल प्रजा की कृपा से जिनकी कृपा से ही कभी एक और सुटबुटवाला प्रधानमंत्री बनकर बुढ़ापा तक अच्छा खासा खा पीकर गया है!जिनके सुट विदेशो से धुलकर आते थे ये चर्चा आज भी होती है!जिस तरह की सुटबुट अमिरी,गरिब बीपीएल को भी मिले इसके लिए ही तो सायद अजादी के समय कांग्रेस द्वारा आधुनिक भारत की विकाश सफर तय की गयी होगी जो अब भाजपा द्वारा जिसे कांग्रेस ने सुटबुट की सरकार कहा है,जो कि वाकई में भी खुद भी कांग्रेस सुटबुट की सरकार रह चुकी है यदि किसी प्रधानमंत्री का सिर्फ सुटबुट पहनने से ही सुटबुट की सरकार परिभाषित हो जाती है!बल्कि मैं तो कहुँगा सुट बुट तो गाँधी भी पुरी जवानी पहने थे,जिसके कारन ही तो वे तब की गुलामी समय का लुटपाट करके खनिज संपदा को ढोने और गोरो की खास सुविधा के लिए चलाई जा रही तब की बुलेट ट्रेन से सुटबुटवाला गोरे अँग्रेज द्वारा रेल डब्बा से उठाकर बाहर फैंके गए थे ये कहकर की काला इंडियन को रेल में गोरो की बराबरी का रेल टिकट लेकर उच्च दर्जे की सफर करना नही चाहिए!जो कि गाँधी ने चुँकि गोरो की तरह ही सुटबुट लगाकर गोरो की तरह ही उच्च दर्जे की रेल टिकट लेकर सफर सायद ये सोचकर किया होगा कि जिस अदालत में गाँधी गोरे जज के सामने न्याय की लड़ाई लड़ते रहे गोरे जजो के द्वारा न्याय फैशला सुन सुनकर,वैसी न्याय शासन रेल सफर में भी सायद मिलेगी!जिसके बारे में तब कोई सुटबुटवाला वकिल गोरे जज को क्यों नही कहा कि यीशु मसीह भी अजादी प्रेम के लिए अवाज बुलंद किए थे,और गुलाम करने वालो ने ही यीशु को सुली पर चड़ाया था!जो कि इस देश में गोरे जजो द्वारा गुलामी को न्यायपुर्ण शासन कहकर अजादी के लिए अवाज उठाने वालो को फांसी पर चड़ाना किस तरह का न्याय है?जबकि असल में तो गुलाम करने वालो को बाईबल पढ़कर खुदको ही सजा भले ही सुना न सके पर उन्हे तो यीशु से जरुर क्षमा मांगनी चाहिए थी किसी देश को गुलाम करने और अजादी के वीरो को फांसी पर चड़ाने और जेल यातना समेत कालापानी जैसे और भी कई तरह की क्रुरतापुर्ण सजा देने के लिए!जिससे गाँधी और तमाम वकिल अपने तर्क में क्यों नही गोरे जजो के सामने दलिल पेश किए कि गोरे जजो को भी जज की कुर्सी छोड़कर और गुलाम करके न्याय करने वाली अदालत को बंद करके तमाम गोरो को अपना बोरिया बिस्तर बांधकर वापस चले जाना चाहिए,क्योंकि किसी देश को गुलाम करना इतनी बड़ी गुनाह है कि इसके खिलाफ खुद यीशु मसीह भी अजादी की आवाज बुलंद करके गुलाम करने वालो के द्वारा सुली पर चड़ाये गए थे!जिस बात से क्या गोरे जज अनजान थे जो गुलाम करनेवालो को हौसला बड़ाते रहे?बल्कि अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर कौन सा न्यायपुर्ण शासन चलवा रहे थे अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर?खैर आखिरकार आगे गाँधी को भी इसका यहसास हुआ गोरो द्वारा रेल डब्बे से उठाकर फैके जाने के बाद,जिसके बाद ही तो गाँधी ने जिन गोरो की सुटबुट को पुरी जवानी पहने थे उसे बहिष्कार करो बहिष्कार करो कहकर सुटबुट भष्म करना सुरु कर दिया और बाकियो को भी ये कहे कि तुम भी जिसे अबतक पकड़कर रखे हो उसे भष्म करो, जिसने हमे जकड़कर रखा है!उसके बाद तो गाँधी द्वारा सुटबुट का बहिष्कार ऐसे हुआ कि आज गाँधी का जितने भी मुर्ती बनती है उनमे सायद ही कोई सुटबुटवाला गाँधी की मुर्ती बनाई जाती है!क्योंकि गाँधी के तमाम मुर्ती ग्रामीण धोती पहने हाथ में बुढ़ापा का लाठी लिए होती है!जबकि जवान गाँधी ने सुटबुट लगाकर हाथ में गोरो की नियम कानून की किताब पकड़े भी आधा जिवन जीया है!जिसके बारे में सायद गाँधी की मुर्ती पर किसी तरह की छाप नही छोड़ने की सोच के साथ ही गाँधी की मुर्ती तैयार की जाती है!पर चुँकि गाँधी की बहुत सारी फोटो भी मौजुद है इतिहास के पन्नो में,जिसे तब ज्यादेतर गोरे ही खिचते होंगे,इसलिए गाँधी सुटबुट लगाते हुए कई फोटो में तो नजर आते हैं पर किसी मुर्ती में सुट बुट पहने नजर नही आते हैं!जबकि सुटबुटवाला गाँधी का इतिहास भी तो कई पन्नो में दर्ज की गयी है!जो स्वभाविक भी है क्योंकि गाँधी सिर्फ बुढ़ापा में मौजुद नही रहे हैं दुनियाँ के सामने बल्कि उनकी जन्म से बुढ़ापा तक कि पुरी जिवन मौजुद रही हैं!जिसकी पुरी तस्वीर पेश करनी चाहिए न की सिर्फ बुढ़ापा वाली मुर्ती बननी चाहिए!जिसके साथ साथ सुटबुटवाला गाँधी की भी मुर्ती बननी चाहिए यदि पुरा गाँधी के बारे में दुनियाँ को बतलाने का मन हो कांग्रेस या अन्य भी पार्टी के साथ साथ किसी भी समाज सुधारक के द्वारा!अथवा जिस तरह धोती पहने हाथ में डंडा लिये बुढ़े गाँधी जगह जगह मुर्तियो और तस्वीरो में दिखते हैं,उसी तरह जवान सुट बुटवाला गाँधी भी सभी जगह जरुर दिखे,न कि सुटबुटवाला प्रधानमंत्री कहकर सिर्फ भाजपा के ही प्रधानमंत्री के बारे में ये बतलाया जाय की वे क्या क्या पहनते हैं!मैने तो उस लाखो रुपयो की सुटबुट खराब हालात का विरोध किया है,जिसमे कोई खुदको जनता का नौकर कहकर मंत्री पद और उच्च अधिकारी पद पर बैठता है और पावर में आने के बाद कई दसक बित जाने के बाद भी जनता मालिक की गरिबी भुखमरी कायम रहती है और उसी तरह की ही गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी रहता है जैसे की लाखो रुपये की सुटबुट पहनने से पहले भी जारी थी!जबकि मंत्री पद की शपथ लेने या उच्च अधिकारी पद पर बैठने से पहले चाहे कोई क्यों न कितना ही गरिब हो उसकी गरिबी रातो रात समाप्त होकर महंगी सुरक्षा और महंगी बंगला गाड़ी और अन्य तमाम तरह की सरकारी सुख सुविधा प्राप्त तो होती ही होती है,पर चंद महिनो में ही रोजमरा जिवन में कितनी भारी बदलाव आ जाती है,इसके बारे में गरिब बीपीएल की कृपा से लाखो रुपयो की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री को लाखो रुपये की सुटबुट पहनकर एक चायवाला से दुनियाँ की सबसे अमिर और ताकतवर कहलाने वाले देशो के मुखिया को चाय पर बुलाकर साथ बैठकर चाय पीने का नसीब प्रदान करना तो सिर्फ एक झांकी है,अजादी से लेकर सतर सालो तक गरिब बीपीएल को इस तरह की सुटबुटवाला नसीब प्राप्त करके अजादी के समय पुरे देश की जो चालीस करोड़ अबादी थी उतनी ही चालीस करोड़ अबादी बीपीएल भारत का नसीब बदलने की कृपा कितनी हुई है ऐसे लाखो रुपये की सुटबुट पहननकर इसकी पीड़ा बतानी तो बाकि है इतिहास के उस पन्नो में जिसे आनेवाली नई पिड़ी जब पढ़ेगी तो अपनी समय की सरकार चुनने से पहले जान पायेगी की 1947 से लेकर 2019 तक का 21वीं सदी का विकाश सफर भारी बहुमत से जिती कांग्रेस सरकार की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ से लेकर भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया विकाश सफर में किसके अच्छे दिन बहुत तेज गति से आते रहे हैं और किसके अबतक और साठ महिना और साठ महिना चाहिए कहते हुए कई चुनाव आए और सरकार बनाकर गरिबी भुखमरी उसी तरह बरकरार रखकर चले गए!जैसा की साठ साल बनाम साठ महिना भाषन अश्वासन देकर 2014 में भारी बहुमत से चुनकर आई भाजपा सरकार बनकर 60 महिना डीजिटल इंडिया विकाश सफर में 37 महिना बित चुके हैं,लेकिन फिर भी आजतक न तो चालीस करोड़ बीपीएल भारत के अच्छे दिन आ गए हैं,और न ही मर जवान मर किसान बुरे हालात बदलकर अच्छे दिन हो गए हैं आत्महत्या करने वाले किसानो और हर रोज दुःखी होने वाले उन जवानो के परिवारो की जिनकी घरो में जवानो की लाश जाना बंद नही हो रही है!जिसे सुख शांती और समृद्धी अच्छे दिन आ गए हैं कैसे मान लिया जाय ये कहकर कि 2019 में भी इसी तरह की ही सुख लानेवाली सरकार बननी चाहिए!जो भाजपा और कांग्रेस सरकार 2019 आते आते कहीं ये कहना न सुरु कर दे कि कांग्रेस भाजपा की सरकार आई तो आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ,साईनिंग इंडिया से भी और आगे की विकाश सफर तय करके वर्तमान में जो गरिब बीपीएल को चंद सौ रुपये या हजार रुपये की सरकारी राशन सब्सिडी मिल रही है उसे प्राप्त करनेवाला वाली सारे बीपीएल कार्ड बदलकर एक एक धन्ना कुबेरो को जो हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि सरकारी माफी और छुट के रुप में मिलती है,उसी तरह की राशि सरकारी कार्ड के रुप में सभी गरिब बीपीएल को भी छुट और माफी मिलने की कार्ड अपडेट की जायेगी,ताकि इस देश के गरिब भी हजारो करोड़ रुपयो की कर्ज लेकर उसे सरकारी माफी मिलने के बाद विदेश जाकर सरकारी छुट के रुप में कर्ज लेकर भी धन्ना कुबेरो की तरह हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि पाकर अपनी आर्थिक कुपोषन दुर करने के लिए मदर इंडिया का दुध का कर्ज लेकर घी पी सके!जबकि चंद धन्ना कुबेरो को कर्ज में हजारो करोड़ की छुट और माफी के रुप में घी पिलानेवाली ये सरकार गरिबी भुखमरी से हर रोज मर रहे बहुसंख्यक नागरिको को ठीक से पानी तक भी नही पीला पा रही है तो क्या सबको सुख शांती और समृद्धी पिलायेगी!जिन दोनो ही पार्टी की सरकार को तो अब कभी कम से कम सत्तर साल के लिये केन्द्र की राजनिती में मौका ही नही देनी चाहिए जबतक की बाकि सबको मौका न मिल जाय कम से कम एक एक बार!और जिनमे से भी यदि कोई पार्टी इन दोनो ही भाजपा कांग्रेस पार्टी से बेहत्तर प्रदर्शन करते हुए देश की गरिबी भुखमरी दुर करके बेहत्तर विकाश पाँच साल में ही बीपीएल दाग को यदि मिटाकर करती है तो उसे तो बार बार मौका देते हुए कम से कम एक दो दशक तो जरुर केन्द्र में चुनते रहना चाहिए जो कि अभी चालीस करोड़ बीपीएल दाग अबतक नही मिटा पानेवाली भाजपा कांग्रेस को क्यों अबतक एकबार से अधिक मौका दी जाती रही है इसे तो मैं गरिबी भुखमरी समाप्त करके तेज विकाश करने की नाम से बार बार एक दो को ही मौका देकर चालीस करोड़ बीपीएल भारत इतिहास दर्ज करना सबसे बड़ी गलत चयन करने की भुल मानता हुँ खासकर उन लोगो की जिन्हे अब भी लगता है कि वे जीते जी भाजपा कांग्रेस के ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी दुर होते देखेंगे!जो सपना कई मंत्री और प्रधानमंत्री समेत कई उच्च अधिकारियो की सपना भी पुरा नही कर सके और चले गये गरिब बीपीएल भारत देखकर, तो आगे ये लोग क्या कहना चाहते हैं कि भाजपा कांग्रेस चालीस करोड़ बीपीएल की गरिबी दुर करने के लिये आगे सबको पंद्रह से बीस लाख की सुट बुट न सही पर पंद्रह से बीस लाख कैश देनेवाली है क्या रामदेव द्वारा सुराग निकलवाकर देश विदेश में जमा 1000 लाख मुल्य का गुप्त कालाधन जब्ती करके!जो करना होता तो कांग्रेस अपने साठ साल की शासन में कबका करती और भाजपा भी साठ महिना साईनिंग इंडिया करने के बाद अब सैंतीस महिना डीजिटल इंडिया करते हुए जरुर करती!जो दोनो ही कुछ भी ऐसा नही करने वाले हैं और न ही इन दोनो ही पार्टियो के नेतृत्व में इस देश में अच्छे दिन आनेवाले हैं गरिबी भुखमरी दुर करके!इसलिये बार बार मैं कहता रहा हुँ कि इन दोनो ही पार्टियो को केन्द्र से बाहर का रास्ता दिखलाये बहुसंख्यक जनता कम से कम गरिब बीपीएल और गरिबो के समर्थक लोग इन दोनो ही पार्टी को भारी वोटो से हाराकर सचमुच का अच्छे दिन लाने की सुरुवात करें!ताकि ये नकली अच्छे दिन लानेवाले कम से कम सत्तर सालो तक ये मंथन करते रहे कि इनसे कौन सी भारी भुल हो गयी है?   "धन्यवाद"

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...