In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira. पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं। pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
प्रचार
सोमवार, 26 नवंबर 2018
आर्य और अनार्य
सोमवार, 5 नवंबर 2018
अब मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की तलाक खबर पीपली लाईव करेगी
शनिवार, 3 नवंबर 2018
गरिबी हटाओ का नारा देनेवाली सुट बुट भाजपा युक्त कांग्रेस को फिर से 7721 रु की दावत थाली चाहिए
कांग्रेस सरकार की दावत थाली 7721 रु,आप पार्टी की दावत थाली 9355 रु.भाजपा सरकार प्रचार प्रसार थाली 4343 करोड़,सोने से जड़ा प्रधान सेवक सुट निलाम 43100000 रु.
मंगलवार, 22 अगस्त 2017
कुछ सदस्य खुब सारा धन की रुप श्रृंगार करके अपनी रोजमरा जिवन को रंगीन करते रहते हैं ,और ज्यादेतर तो रोज पेटभर खाने पिने के लिए भी तरसते रहते हैं
रविवार, 20 अगस्त 2017
जैसे बीपीएल रेखा है उसी तरह अमिरी की भी कोई सिमा जरुर हो
स्मार्ट सिटी और बीपीएल भारत के बजाय क्यों नही गरिबी भुखमरी मुक्त संतुलित समृद्धी?
विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी
विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी
"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"
विकाश का पैमाना डॉलर और रुपये की मोल है तो फिर अजादी के समय एक डॉलर और एक रुपये का मुल्य बराबर थी,जिसके हिसाब से हम पिच्छे जा रहे हैं की आगे?
बहुसंख्यक जनता मालिक को रोजगार और खाने पिने की अन्न जल नही मुठीभर के लिए स्मार्ट सिटी बसाकर सबके अच्छे दिन लाने की नही बल्कि भेदभाव अपडेट करने की तैयारी हो रही है
देश में हजारो करोड़ की कर्ज लेकर माफी और छुट कराकर विदेशो में जाकर घी पीना
जवान जय किसान के बारे में 2014 की लोकसभा चुनाव में मर जवान मर किसान कहा गया था,अब सभी किसानो के अच्छे दिन आ गए हैं क्या?
लाल बहादुर शास्त्री द्वारा जय जवान जय किसान का नारा दिया गया था,जिसके बारे में 2014 के लोकसभा चुनाव में ये कहा गया कि कांग्रेस सरकार में मर जवान मर किसान बुरे हालात पैदा हो गयी है,जिससे की हर रोज किसान और जवानो की मौत हो रही है!जिसकी चर्चा करते हुए ये प्रचार प्रसार किया गया कि कांग्रेस के द्वारा दीये गए बुरे हालात को बदलकर किसान और जवान के साथ साथ पुरे देश के लिए अच्छे दिन लायेगी यदि भाजपा चुनाव जीतकर केन्द्र में सरकार बनाती है!साथ ही यह भी कहा गया था कि कांग्रेस ने जो 60 सालो में देश की बुरे हालात पैदा कर दी है,जो अजादी से लेकर 60 सालो तक शासन करने के बाद भी अच्छे दिन नही ला सकी है, उसे भाजपा 60 महिने में ही बदलकर अच्छे दिन ला देगी देश और प्रजा के लिए!जिसके द्वारा किये गए वादो और इरादो के बारे में जानकर कुल मिलाकर मेरी और देश के साथ साथ ज्यादेतर विश्लेशको की नजर में भी न तो कांग्रेस की 60 साल शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी दुर हुई है,और न ही भाजपा की 60 महिना साईनिंग इंडिया शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी मिटी है!रही बात डीजिटल इंडिया शासन की तो उसके भी 37 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजर गए हैं,जो बाकि के भी 23 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजरेंगे जिसकी नजारा हर रोज मिलती ही रहती है!बल्कि अजादी के समय जो पुरे देश की जनसंख्या चालीस करोड़ थी,जो अब अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है!जिसे कांग्रेस की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ का नारा देकर विकाश सफर तय करते करते भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया का नारा देकर भी वापस उसी चालीस करोड़ बीपीएल भारत पर खत्म होने को है!जिसे दोनो ही पार्टियो को जैसा कि जनता मालिक द्वारा प्रचंड बहुमत से मौका दिया गया है,दो अलग अलग पार्टी के रुप में,उसका फायदा उठाने में ये दोनो पार्टी ही असफल मानी जायेगी इतिहास के पन्नो में जब ये सवाल पुच्छा जायेगा कि अजादी के समय पुरे देश की अबादी जो चालीस करोड़ थी उतनी अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है,जिसके चलते हर रोज गरिबी और भुखमरी से सैकड़ो हजारो मौते हो रही है,उसे तेजी से विकसित होता भारत कैसे कहा जा सकता है?जहाँ कई कई प्रधानमंत्री अपने ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी अब दुर होगी,तब दुर होगी कहते कहते जवानी से बुढ़ापा तक का विकाश सफर तय करते करते अब दुनियाँ से दुर जा चुके हैं,लेकिन उनकी नई पिड़ी के भी आने पर भी गरिबी भुखमरी आजतक दुर नही हुई है!जिसके बारे में ही तो गंभीर होकर जनता मालिक ने भाजपा को सायद ये सोचकर 2014 में भारी बहुमत से जीताया होगा कि सायद कांग्रेस की साठ साल का आधुनिक भारत विकाश सफर तय करते करते गरिबी और भुखमरी का जो अँधेरा छटेगा उजाला आयेगा कहकर अटल की साठ महिना साईनिंग इंडिया में भी जो गरिबी भुखमरी अँधेरा समाप्त नही हुई थी वह अब साठ महिने की डीजिटल इंडिया में सायद समाप्त हो जाय और हर रोज गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो के साथ साथ मर जवान मर किसान जो भाजपा कहती रही है मानो अँधेर नगरी चौपट राजा कांग्रेस शासन में वह भी रोज की सोरगुल चर्चा जल्द समाप्त हो जाय और एक भी किसान और जवान की मौत न हो,जिससे की पुरे देश में वाकई में अच्छे दिनो की उजाला आ गए हैं आस पड़ौस के साथ साथ पुरी दुनियाँ की मीडिया को भी इस देश की गरिबी भुखमरी पुरे ग्रामीण भारत के साथ साथ शहरी धारावी जैसे झुगियो में न दिखे और एक के बदले दस सर लाने का छप्पन इंच का सिना जो कहा गया था कांग्रेस सरकार के समय वह भाजपा सरकार आने के बाद छप्पन इंच का कथित सिना पाकिस्तान जाकर गले मिलकर आने के बाद सायद सबके अच्छे दिन आ गए का जस्न में डुब जाय और कोई किसान भी आत्महत्या न करे भले ही देश का दुश्मन बाहरी या भितरी जो भी हो वह आत्महत्या कर ले इस देश की सुख शांती और समृद्धी देखकर जलन से!जो न होकर पुरे देश में क्या हालात है इसे जानने के लिए वाकई में अच्छे दिन आ गए कहकर वर्तमान की सरकार या उसके समर्थक अब ये आँकड़ा न दिखा दे कि भाजपा शासन में कहाँ किसी मंत्री और उच्च अधिकारी की भुखमरी और गरिबी से मौत हुई है इन सैंतीस महिनो में,बल्कि गरिबी जिवन जिने वाले एक चायवाला भी प्रधानमंत्री का शपथ लेकर लाखो रुपये की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री मंत्री पद का शपथ लेते ही चंद महिनो में ही लाखो रुपयो का सुटबुट पहननेवाला नसीबवाला बन गया है,उस गरिब बीपीएल प्रजा की कृपा से जिनकी कृपा से ही कभी एक और सुटबुटवाला प्रधानमंत्री बनकर बुढ़ापा तक अच्छा खासा खा पीकर गया है!जिनके सुट विदेशो से धुलकर आते थे ये चर्चा आज भी होती है!जिस तरह की सुटबुट अमिरी,गरिब बीपीएल को भी मिले इसके लिए ही तो सायद अजादी के समय कांग्रेस द्वारा आधुनिक भारत की विकाश सफर तय की गयी होगी जो अब भाजपा द्वारा जिसे कांग्रेस ने सुटबुट की सरकार कहा है,जो कि वाकई में भी खुद भी कांग्रेस सुटबुट की सरकार रह चुकी है यदि किसी प्रधानमंत्री का सिर्फ सुटबुट पहनने से ही सुटबुट की सरकार परिभाषित हो जाती है!बल्कि मैं तो कहुँगा सुट बुट तो गाँधी भी पुरी जवानी पहने थे,जिसके कारन ही तो वे तब की गुलामी समय का लुटपाट करके खनिज संपदा को ढोने और गोरो की खास सुविधा के लिए चलाई जा रही तब की बुलेट ट्रेन से सुटबुटवाला गोरे अँग्रेज द्वारा रेल डब्बा से उठाकर बाहर फैंके गए थे ये कहकर की काला इंडियन को रेल में गोरो की बराबरी का रेल टिकट लेकर उच्च दर्जे की सफर करना नही चाहिए!जो कि गाँधी ने चुँकि गोरो की तरह ही सुटबुट लगाकर गोरो की तरह ही उच्च दर्जे की रेल टिकट लेकर सफर सायद ये सोचकर किया होगा कि जिस अदालत में गाँधी गोरे जज के सामने न्याय की लड़ाई लड़ते रहे गोरे जजो के द्वारा न्याय फैशला सुन सुनकर,वैसी न्याय शासन रेल सफर में भी सायद मिलेगी!जिसके बारे में तब कोई सुटबुटवाला वकिल गोरे जज को क्यों नही कहा कि यीशु मसीह भी अजादी प्रेम के लिए अवाज बुलंद किए थे,और गुलाम करने वालो ने ही यीशु को सुली पर चड़ाया था!जो कि इस देश में गोरे जजो द्वारा गुलामी को न्यायपुर्ण शासन कहकर अजादी के लिए अवाज उठाने वालो को फांसी पर चड़ाना किस तरह का न्याय है?जबकि असल में तो गुलाम करने वालो को बाईबल पढ़कर खुदको ही सजा भले ही सुना न सके पर उन्हे तो यीशु से जरुर क्षमा मांगनी चाहिए थी किसी देश को गुलाम करने और अजादी के वीरो को फांसी पर चड़ाने और जेल यातना समेत कालापानी जैसे और भी कई तरह की क्रुरतापुर्ण सजा देने के लिए!जिससे गाँधी और तमाम वकिल अपने तर्क में क्यों नही गोरे जजो के सामने दलिल पेश किए कि गोरे जजो को भी जज की कुर्सी छोड़कर और गुलाम करके न्याय करने वाली अदालत को बंद करके तमाम गोरो को अपना बोरिया बिस्तर बांधकर वापस चले जाना चाहिए,क्योंकि किसी देश को गुलाम करना इतनी बड़ी गुनाह है कि इसके खिलाफ खुद यीशु मसीह भी अजादी की आवाज बुलंद करके गुलाम करने वालो के द्वारा सुली पर चड़ाये गए थे!जिस बात से क्या गोरे जज अनजान थे जो गुलाम करनेवालो को हौसला बड़ाते रहे?बल्कि अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर कौन सा न्यायपुर्ण शासन चलवा रहे थे अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर?खैर आखिरकार आगे गाँधी को भी इसका यहसास हुआ गोरो द्वारा रेल डब्बे से उठाकर फैके जाने के बाद,जिसके बाद ही तो गाँधी ने जिन गोरो की सुटबुट को पुरी जवानी पहने थे उसे बहिष्कार करो बहिष्कार करो कहकर सुटबुट भष्म करना सुरु कर दिया और बाकियो को भी ये कहे कि तुम भी जिसे अबतक पकड़कर रखे हो उसे भष्म करो, जिसने हमे जकड़कर रखा है!उसके बाद तो गाँधी द्वारा सुटबुट का बहिष्कार ऐसे हुआ कि आज गाँधी का जितने भी मुर्ती बनती है उनमे सायद ही कोई सुटबुटवाला गाँधी की मुर्ती बनाई जाती है!क्योंकि गाँधी के तमाम मुर्ती ग्रामीण धोती पहने हाथ में बुढ़ापा का लाठी लिए होती है!जबकि जवान गाँधी ने सुटबुट लगाकर हाथ में गोरो की नियम कानून की किताब पकड़े भी आधा जिवन जीया है!जिसके बारे में सायद गाँधी की मुर्ती पर किसी तरह की छाप नही छोड़ने की सोच के साथ ही गाँधी की मुर्ती तैयार की जाती है!पर चुँकि गाँधी की बहुत सारी फोटो भी मौजुद है इतिहास के पन्नो में,जिसे तब ज्यादेतर गोरे ही खिचते होंगे,इसलिए गाँधी सुटबुट लगाते हुए कई फोटो में तो नजर आते हैं पर किसी मुर्ती में सुट बुट पहने नजर नही आते हैं!जबकि सुटबुटवाला गाँधी का इतिहास भी तो कई पन्नो में दर्ज की गयी है!जो स्वभाविक भी है क्योंकि गाँधी सिर्फ बुढ़ापा में मौजुद नही रहे हैं दुनियाँ के सामने बल्कि उनकी जन्म से बुढ़ापा तक कि पुरी जिवन मौजुद रही हैं!जिसकी पुरी तस्वीर पेश करनी चाहिए न की सिर्फ बुढ़ापा वाली मुर्ती बननी चाहिए!जिसके साथ साथ सुटबुटवाला गाँधी की भी मुर्ती बननी चाहिए यदि पुरा गाँधी के बारे में दुनियाँ को बतलाने का मन हो कांग्रेस या अन्य भी पार्टी के साथ साथ किसी भी समाज सुधारक के द्वारा!अथवा जिस तरह धोती पहने हाथ में डंडा लिये बुढ़े गाँधी जगह जगह मुर्तियो और तस्वीरो में दिखते हैं,उसी तरह जवान सुट बुटवाला गाँधी भी सभी जगह जरुर दिखे,न कि सुटबुटवाला प्रधानमंत्री कहकर सिर्फ भाजपा के ही प्रधानमंत्री के बारे में ये बतलाया जाय की वे क्या क्या पहनते हैं!मैने तो उस लाखो रुपयो की सुटबुट खराब हालात का विरोध किया है,जिसमे कोई खुदको जनता का नौकर कहकर मंत्री पद और उच्च अधिकारी पद पर बैठता है और पावर में आने के बाद कई दसक बित जाने के बाद भी जनता मालिक की गरिबी भुखमरी कायम रहती है और उसी तरह की ही गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी रहता है जैसे की लाखो रुपये की सुटबुट पहनने से पहले भी जारी थी!जबकि मंत्री पद की शपथ लेने या उच्च अधिकारी पद पर बैठने से पहले चाहे कोई क्यों न कितना ही गरिब हो उसकी गरिबी रातो रात समाप्त होकर महंगी सुरक्षा और महंगी बंगला गाड़ी और अन्य तमाम तरह की सरकारी सुख सुविधा प्राप्त तो होती ही होती है,पर चंद महिनो में ही रोजमरा जिवन में कितनी भारी बदलाव आ जाती है,इसके बारे में गरिब बीपीएल की कृपा से लाखो रुपयो की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री को लाखो रुपये की सुटबुट पहनकर एक चायवाला से दुनियाँ की सबसे अमिर और ताकतवर कहलाने वाले देशो के मुखिया को चाय पर बुलाकर साथ बैठकर चाय पीने का नसीब प्रदान करना तो सिर्फ एक झांकी है,अजादी से लेकर सतर सालो तक गरिब बीपीएल को इस तरह की सुटबुटवाला नसीब प्राप्त करके अजादी के समय पुरे देश की जो चालीस करोड़ अबादी थी उतनी ही चालीस करोड़ अबादी बीपीएल भारत का नसीब बदलने की कृपा कितनी हुई है ऐसे लाखो रुपये की सुटबुट पहननकर इसकी पीड़ा बतानी तो बाकि है इतिहास के उस पन्नो में जिसे आनेवाली नई पिड़ी जब पढ़ेगी तो अपनी समय की सरकार चुनने से पहले जान पायेगी की 1947 से लेकर 2019 तक का 21वीं सदी का विकाश सफर भारी बहुमत से जिती कांग्रेस सरकार की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ से लेकर भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया विकाश सफर में किसके अच्छे दिन बहुत तेज गति से आते रहे हैं और किसके अबतक और साठ महिना और साठ महिना चाहिए कहते हुए कई चुनाव आए और सरकार बनाकर गरिबी भुखमरी उसी तरह बरकरार रखकर चले गए!जैसा की साठ साल बनाम साठ महिना भाषन अश्वासन देकर 2014 में भारी बहुमत से चुनकर आई भाजपा सरकार बनकर 60 महिना डीजिटल इंडिया विकाश सफर में 37 महिना बित चुके हैं,लेकिन फिर भी आजतक न तो चालीस करोड़ बीपीएल भारत के अच्छे दिन आ गए हैं,और न ही मर जवान मर किसान बुरे हालात बदलकर अच्छे दिन हो गए हैं आत्महत्या करने वाले किसानो और हर रोज दुःखी होने वाले उन जवानो के परिवारो की जिनकी घरो में जवानो की लाश जाना बंद नही हो रही है!जिसे सुख शांती और समृद्धी अच्छे दिन आ गए हैं कैसे मान लिया जाय ये कहकर कि 2019 में भी इसी तरह की ही सुख लानेवाली सरकार बननी चाहिए!जो भाजपा और कांग्रेस सरकार 2019 आते आते कहीं ये कहना न सुरु कर दे कि कांग्रेस भाजपा की सरकार आई तो आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ,साईनिंग इंडिया से भी और आगे की विकाश सफर तय करके वर्तमान में जो गरिब बीपीएल को चंद सौ रुपये या हजार रुपये की सरकारी राशन सब्सिडी मिल रही है उसे प्राप्त करनेवाला वाली सारे बीपीएल कार्ड बदलकर एक एक धन्ना कुबेरो को जो हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि सरकारी माफी और छुट के रुप में मिलती है,उसी तरह की राशि सरकारी कार्ड के रुप में सभी गरिब बीपीएल को भी छुट और माफी मिलने की कार्ड अपडेट की जायेगी,ताकि इस देश के गरिब भी हजारो करोड़ रुपयो की कर्ज लेकर उसे सरकारी माफी मिलने के बाद विदेश जाकर सरकारी छुट के रुप में कर्ज लेकर भी धन्ना कुबेरो की तरह हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि पाकर अपनी आर्थिक कुपोषन दुर करने के लिए मदर इंडिया का दुध का कर्ज लेकर घी पी सके!जबकि चंद धन्ना कुबेरो को कर्ज में हजारो करोड़ की छुट और माफी के रुप में घी पिलानेवाली ये सरकार गरिबी भुखमरी से हर रोज मर रहे बहुसंख्यक नागरिको को ठीक से पानी तक भी नही पीला पा रही है तो क्या सबको सुख शांती और समृद्धी पिलायेगी!जिन दोनो ही पार्टी की सरकार को तो अब कभी कम से कम सत्तर साल के लिये केन्द्र की राजनिती में मौका ही नही देनी चाहिए जबतक की बाकि सबको मौका न मिल जाय कम से कम एक एक बार!और जिनमे से भी यदि कोई पार्टी इन दोनो ही भाजपा कांग्रेस पार्टी से बेहत्तर प्रदर्शन करते हुए देश की गरिबी भुखमरी दुर करके बेहत्तर विकाश पाँच साल में ही बीपीएल दाग को यदि मिटाकर करती है तो उसे तो बार बार मौका देते हुए कम से कम एक दो दशक तो जरुर केन्द्र में चुनते रहना चाहिए जो कि अभी चालीस करोड़ बीपीएल दाग अबतक नही मिटा पानेवाली भाजपा कांग्रेस को क्यों अबतक एकबार से अधिक मौका दी जाती रही है इसे तो मैं गरिबी भुखमरी समाप्त करके तेज विकाश करने की नाम से बार बार एक दो को ही मौका देकर चालीस करोड़ बीपीएल भारत इतिहास दर्ज करना सबसे बड़ी गलत चयन करने की भुल मानता हुँ खासकर उन लोगो की जिन्हे अब भी लगता है कि वे जीते जी भाजपा कांग्रेस के ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी दुर होते देखेंगे!जो सपना कई मंत्री और प्रधानमंत्री समेत कई उच्च अधिकारियो की सपना भी पुरा नही कर सके और चले गये गरिब बीपीएल भारत देखकर, तो आगे ये लोग क्या कहना चाहते हैं कि भाजपा कांग्रेस चालीस करोड़ बीपीएल की गरिबी दुर करने के लिये आगे सबको पंद्रह से बीस लाख की सुट बुट न सही पर पंद्रह से बीस लाख कैश देनेवाली है क्या रामदेव द्वारा सुराग निकलवाकर देश विदेश में जमा 1000 लाख मुल्य का गुप्त कालाधन जब्ती करके!जो करना होता तो कांग्रेस अपने साठ साल की शासन में कबका करती और भाजपा भी साठ महिना साईनिंग इंडिया करने के बाद अब सैंतीस महिना डीजिटल इंडिया करते हुए जरुर करती!जो दोनो ही कुछ भी ऐसा नही करने वाले हैं और न ही इन दोनो ही पार्टियो के नेतृत्व में इस देश में अच्छे दिन आनेवाले हैं गरिबी भुखमरी दुर करके!इसलिये बार बार मैं कहता रहा हुँ कि इन दोनो ही पार्टियो को केन्द्र से बाहर का रास्ता दिखलाये बहुसंख्यक जनता कम से कम गरिब बीपीएल और गरिबो के समर्थक लोग इन दोनो ही पार्टी को भारी वोटो से हाराकर सचमुच का अच्छे दिन लाने की सुरुवात करें!ताकि ये नकली अच्छे दिन लानेवाले कम से कम सत्तर सालो तक ये मंथन करते रहे कि इनसे कौन सी भारी भुल हो गयी है? "धन्यवाद"
The chains of slavery
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