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गुरुवार, 13 मई 2021

अमिरो को पिटते समय मानो पैंट में मुतते हैं , इसलिए सिर्फ उन्हे गरिब ही लापरवाह लोग दिखते हैं

 

अमिरो को पिटते समय मानो पैंट में मुतते हैं , इसलिए सिर्फ उन्हे गरिब ही लापरवाह लोग दिखते हैं

क्यों


प्रजा सुरक्षा के नाम से पिट पिटकर लहु लुहान करने वाले भक्षको को अगर इतना ही सबकी सुरक्षा की चिंता है , तो जिस तरह मंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और उच्च अधिकारियो को सरकारी ढाल कवच सुरक्षा मिलती है , जिसमे डॉक्टर और आपातकाल वाहन भी हर समय उनके द्वारा बाहर आते जाते समय भी मौजुद रहती है , वैसी सुरक्षा लहु लुहान होने वाले प्रजा को भी दिया जाय , फिर कभी यह सिकायत करना की कोरोना से होनेवाली मौते सिर्फ लापरवाही से हो रही है | क्योंकि कहीं पर पढ़ रहा था कि लापरवाह लोग कोरोना से मारे जाएंगे और मास्क लगाने , लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने वाले लोग बच जाएंगे कहकर कई लोगो की खुन भरी पिटाई हो रही है | मानो कोरोना के नाम से गुलामी की ऐसी झांकी देखने को मिल रही है , जिसमे गुलाम करने वाले कोरोना जैसे लोग जो कि पहले किसी महामारी से भी खतरनाक गुलामी देकर अपनी प्रजा की सुरक्षा करने के लिए कोर्ट कचहरी न्याय और रक्षक प्रणाली बनाकर उनके जरिये प्रजा की पिटाई करके सेवा सुरक्षा और न्याय करने का कार्य कर रहे थे | उसी तरह की विकृत मांसिकता को अपडेट करने वाले लोग जैसे मानो किसी की रक्षा करने की जिम्मेवारी उठाकर भक्षक बनकर ही सिर्फ सबसे बड़ा रक्षक बनने की हुनर सिखे होते हैं ! जैसे की कोरोना के पास भी ऐसे ही भक्षक संस्कार है , जो इंसान के भितर जाकर शरिर की रक्षा करेंगे ऐसी गलतफेमी शरिर की सुरक्षा तंत्र के भितर बैठाकर रक्षा प्रणाली में शामिल होकर शरिर को नुकसान पहुँचाते पहुँचाते किसी की हत्या कर देता है | उसी तरह रक्षा करने की बाते करके जो लोग भी रक्षा तंत्र में शामिल होकर लोगो को शारिरिक मांसिक चोट देकर अप्रत्यक्ष रुप से उनकी जान ले रहें है , वे भी दरसल कोरोना की तरह ही रक्षा करने की ढोंग रचकर उनकी हत्या कर रहे हैं | कोरोना से बचने के लिए तो मास्क जरुरी है , पर गुलामी , दुसरो के हक अधिकारो की छिना झपटी और शोषण अन्याय अत्याचार से बचने के लिए कौन सा मास्क लोग पहने जिसकी वजह से हजारो सालो से अनगिनत लोगो की जान गई और अब भी जा रही है | क्या ये लोग लापरवाही की वजह से गुलाम होकर मरे और लापरवाही की वजह से शोषण अत्याचार का शिकार होकर अब भी मारे जा रहे हैं ? जिन्हे भी क्या यह कहकर हत्या करने वाले कोरोना जैसे हानिकारक लोगो से ध्यान हटा लिया जाय कि हमे सिर्फ उनसे बचने का पालन करते रहना है , उन्हे दंडित करने के बारे में नही सोचना है , जिनके भितर कोरोना की ही तरह दुसरो की हत्या करने की भ्रष्ट संस्कार मौजुद है | जिसकी वजह से ये लोग अनगिनत लोगो के मौत का कारन बनते रहे हैं | क्योंकि ऐसे भ्रष्ट लोग जहाँ भी जाते हैं , वहाँ गुलाम शोषण अत्याचार देते हुए कोरोना कि तरह ही मौत देना सुरु कर देते हैं | जिनके भ्रष्ट संस्कारो को नजरअंदाज करके सिर्फ उनसे और कोरोना से बचने के उपायो को पुरी तरह से पालन न कर पाने वालो को यह कहकर दोषी घोषित करते रहना कि उनसे बचने के लिए अपना मास्क अथवा ढाल कवच नही लगाने वाले लोग लापरवाही की वजह से मारे जाएंगे यह बाते करके कड़ाई से पालन कराने वालो को जिवन सुरक्षा के बारे क्या सिर्फ यही ज्ञान मिला है कि सिर्फ बिमारी से बचने का उपाय कड़ाई से करते रहना है ? क्योंकि उनको सिर्फ कोरोना से लोगो को बचाने की जिम्मेवारी नही मिलती है , बल्कि गुलामी शोषण अन्याय अत्याचार , गरिबी भुख और अभाव से भी कोई प्रजा न मरे इसकी भी जिम्मेवारी मिलती है | जैसे कि शरिर में रक्षा प्रणाली को सिर्फ कोरोना से लड़ने की जिम्मेवारी नही मिलती है ! बल्कि किसी के शरिर में मौजुद रक्षा तंत्र को तो सिर्फ उस एक शरिर की रक्षा जिम्मेवारी मिलती है , पर प्रजा और खासकर इस देश की रक्षा करने की जिम्मेवारी लाखो रुपये तनख्वा के साथ साथ किमती किमती गाड़ी बंगला वगैरा सारी सुख सुविधा और सुरक्षा देकर जिसे मिलता है , उसे तो इस देश में अभी के समय में सावा अरब से भी अधिक मानव शरिर की रक्षा करने की जिम्मेवारी मिलती है | जिसके साथ साथ देश और देश में मौजुद और भी बहुत कुछ की सुरक्षा करने की जिम्मेवारी उन्हे मोटी तनख्वा और किमती सारी सुख सुविधा गाड़ी बंगला सुरक्षा वगैरा देकर मिलती है | सिर्फ क्या कोरोना से ही मौते लोगो की हो रही है ? जबकि देश के तमाम सुरक्षा जिम्मेवारी को ठीक से न निभा पाने से मरने वालो की भी तादार इतनी ज्यादे है कि उसे यदि महामारी से तुलना किया जाय तो उससे भी ज्यादे खतरनाक साबित होता रहा है | जो न हो तो कितने लोग गुलामी शोषण अन्याय अत्याचार गरिबी भुख अभाव बदहाली से बाहर निकलकर कोरोना से मर रहे हैं , उसकी भी आंकड़ा जुटाया जाय | जिन अमिर लोगो की भी पिटाई होती है क्या मास्क नही लगाने या भिड़ जुटाने लॉकडाउन में बाहर निकलने पर ? क्या गरिब शोषित पिड़ितो की पिटाई करने वाले किसी की रक्षा करने के लिए बिना कोई बड़ी शारिरिक और मांसिक तकलिफ  दिए रक्षा करने की हुनर नही सिख सकते हैं ? क्योंकि जो लोग हर रोज गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे और भी कई ऐसी समस्या से संघर्ष कर रहे हैं , जिनसे भी हर रोज अनेको मौते हो रही है , उन्हे मार पिटकर क्या साबित करना चाहते हैं ये लोग जो अमिरो को पिटते समय मानो पैंट में मुतते हैं , इसलिए लापरवाह लोग सिर्फ उन्हे गरिब ही दिखता है , जिसके कारन ऐसे लोग गरिबो को ही मानो यह कहते दिखते हैं कि जितने लोग कोरोना से मर रहे हैं वे लापरवाह लोग थे , इसलिए मरे इसलिए वे गुनेहगार थे ! और यदि यही कहना चाहते हैं की विदेश से आया कोरोना से मरने वाले सभी लोग लापरवाह थे , फिर तो सायद उनकी नजर में विदेश से आए चोर लुटेरो गुलाम करने वाले लोगो से अबतक इस देश में जितने लोग मरे हैं वे भी लापरवाह लोग थे इसलिए मारे गए ! लापरवाही से तो कोरोना से होनेवाली बिमारी ही नही बल्कि बहुत सी और भी खतरनाक बिमारी लापरवाह से ही होती है , जिसका इलाज करते करते कोई गरिब ही नही बल्कि उद्योगपति , बड़े नेता , फिल्म दुनियाँ के चर्चित लोग ,खिलाड़ी , इंजिनियर , डॉक्टर , वैज्ञानिक वगैरा तमाम खास क्षेत्र के लोग बड़ी बड़ी बिमारी और अन्य खतरनाक वजह से ग्रस्त होकर मरे और मारे जा रहे हैं ! क्या ये सभी लापरवाह लोग थे इसलिए मरे या मर रहे हैं कहकर यह मान लिया जाय कि ऐसी लापरवाह लोगो की तरह किसी भी इंसान को लापरवाही नही करनी चाहिए , इसलिए इनकी तरह लापरवाह जिवन नही जिनी चाहिए ! क्योंकि इनमे से कई लोग लापरवाही कि वजह से अति खा खाकर मरे , कई लोग अति मिठा खा खाकर सुगर कि बिमारी से मरे , कई लोग तो अति पीपीकर मरे चाहे चाय हो या फिर दारु , उन्हे कहा गया था चाय मत पीना दारु मत पीना फिर भी पीना नही छोड़े , कई लोग तो सारी जिवन खुश रहने के बजाय लापरवाह होकर अति तनाव में दिनो रात डुबकर मरे , कई लोग तो सेक्स की वजह से मरे , कई लोग तो हवा में जहाज वगैरा से उड़ते उड़ते या सागर में पानी जहाज वगैरा तैरते तैरते कोई लापरवाही की वजह से दुर्घटनाग्रस्त होकर मरे , जिस तरह की न जाने कितनी लापरवाही हर रोज हर पल गरिब ही नही अमिर से भी अति अमिर लोग लापरवाही करते रहते हैं | जिसकी वजह से यदि वे कभी मर गए तो क्या उन्हे यह कहते रहना होगा कि ये लोग लापरवाही से मरे जिस तरह की लापरवाही यदि न हो तो कोई नही मरेगा ! जैसे की गाँधी यदि लापरवाही नही करते तो वे बच जाते ,  अंबेडकर यदि लापरवाही नही करते तो वे बच जाते , अटल यदि लापरवाही नही करते तो वे भी बच जाते , उसी तरह तमाम तरह के क्षेत्रो से जुड़े हुए खास लोग चाहे राजनिती समाजिक खेल फिल्मी व्यापार मीडिया वगैरा से जितने भी लोग कोई न कोई लापरवाही कि वजह से मरे , उन सभी के बारे में भी सिर्फ यह दोहराते रहना चाहिए कि ये लोग लापरवाह लोग थे , जिसकी वजह से इनकी जान गई , जिनकी भी क्या पिटाई हो रही थी लापरवाही से बचने के लिए , जैसे की कोरोना से बचने के लिए जो मास्क लगाना और लॉकडाउन का कड़ाई से पालन न करने वालो की खुन भरी पिटाई भी हो रही है , यह बताकर कि मरने वाले लोगो की जान लापरवाही कि वजह से जा रही है ! सिर्फ यही कहकर उनकी खुन भरी पिटाई करके सारी बात समाप्त हो जाती है | जिवन रक्षक क्या सिर्फ मास्क है कि अन्न जल रोटी कपड़ा मकान वगैरा भी है ? सभी लोग इतने अमिर तो नही हैं कि लंबे समय तक घर में बैठकर या फिर जहाजो में हवा हवाई या फिर समुन्द्र के रास्ते पानी जहाजो में विदेशो की सैर सपाटा करते हुए अन्न जल रोटी कपड़ा मकान वगैरा कि खास चिंता किए बगैर जिवन व्यक्तीत करे ! जिवन की चिंता में कोई गरिब यदि भोजन की भी व्यवस्था करने जाता है तो उसकी लहु लुहान पिटाई हो रही है ! साथ साथ भोजन की सामग्री बेचने वालो की भी लहु लुहान पिटाई हो रही है ! क्या सिर्फ बिमारी दुर करने वाली दवाई ही जिवन रक्षक होता है , भोजन नही ? लोग बिना भोजन किए सिर्फ दवा खाकर अपनी जिवन व्क्तीत करें ? जिस सवाल का जवाब जिन्हे ठीक से नही आ रहा हो उन्हे हवाई जहाज और पानी जहाज ही नही बल्कि संसद वगैरा में भी जहाँ कि कोई लहु लुहान गरिब बिना अमिर बने विरले ही अपने गरिब बीपीएल कार्ड लिए दिखता है , वहाँ पर भी कम से कम एक सप्ताह बिना कोई भोजन दिए सिर्फ दवाई के जरिये बंद कमरे में समय कटवाया जाय , पता चल जाएगा कि जिन्दा रहने के लिए सिर्फ मास्क लगाना और लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करना जरुरी है कि भोजन वगैरा भी जरुरी है ! जिनको गरिबी और भुख के बारे में जबतक कम से कम एक सप्ताह तक बिना भोजन दिए लॉकडाउन है कहकर बंद कमरो में नही रखा जाएगा तबतक ये लहु लुहान पिटाई यह कहकर करवाते रहेंगे की लापरवाही नही करनी है , इसलिए लहु लुहान पिटाई की जाती है !  जो पिटाई क्या उनकी भी होनी चाहिए जिसे एक सप्ताह तक हवाई जहाज और पानी जहाज ही नही संसद वगैरा में बिना भोजन के चिकित्सा की खास सुविधा देकर रखा जाएगा ? ऐसा लॉकडाउन का कैसा नजारा होगा जब कोई अमिर हवाई जहाज और पानी जहाज ही नही संसद में भी एक सप्ताह तक भुखा रहकर भुख के मारे तड़पते हुए मास्क और लॉकडाउन की प्रवाह न करते हुए बिना मास्क लगाए वहाँ मौजुद  बहुत से लोग भिड़ लगाकर भोजन या भोजन की सामग्री खोजते हुए कोरोना से संक्रमित होने या फिर पकड़े जाने के बाद लहु लुहान पिटाई का सामना करने के बाद भुख और दर्दभरी पिटाई दोनो से तड़पने लगेंगे | जिस तड़पन से यदि उनमे से कई की मौत इलाज के दौरान ऑक्सिजन वगैरा की कमी से हो जाएगी तो क्या उसे भी लापरवाही से इनकी मौत कोरोना से हुई कहकर बाकि वजहो को नजरअंदाज कर दिया जाएगा ? बल्कि क्या उन्हे भी मरने के बाद दफनाने या जलाने के लिए भी ऐसा सामना करना पड़ेगा जैसे की अनगिनत गरिबो को करना पड़ रहा है ? जिसे नजरअंदाज करके गरिबो की लहु लुहान पिटाई करने और कराने वाले लोगो की लहु लुहान पिटाई तो कभी होगी नही पर कभी तो उनकी भी मौत जरुर होगी , उस समय उनके मरने का कारनो में यदि कोई लापरवाही का पता चले तो ऐसे लोगो के बारे में खासकर उनकी नई पिड़ी यदि इस पोस्ट को गलती से पढ़ लिए हो तो इसे याद करके उस समय तो कम से कम खुदको ऐसे भ्रष्ट संस्कारो से मुक्त कर लेना , जिसमे की गरिबो की लहु लुहान पिटाई और अमिरो को पिटने के बारे में सोचकर भी मानो पैंट में पेशाब हो जाता है ! हलांकि निजि तौर पर मैं मास्क न लगाने या फिर लॉकडाउन का कड़ाई से पालन न करने वालो की लहु लुहान पिटाई हो इसका समर्थन नही करता हूँ , पर समर्थन करने वालो को एक बात जरुर कहना चाहुँगा कि यदि मास्क न लगाने या फिर लॉकडाउन का कड़ाई से पालन न करने वालो की लहु लुहान पिटाई करनी और करवानी ही है , तो फिर भिड़ लगाकर बड़ी बड़ी रैली करने और सम्हारोह , स्टेडियम खेल वगैरा में जो लापरवाही हो रही है , वहाँ के प्रमुख संचालक समेत खास खास लोगो की भी लहु लुहान पिटाई करे और साबित करे कि लापरवाही में क्या अमिर क्या गरिब सबकी लहु लुहान पिटाई होगी ! तब भेदभाव मुक्त पिटाई भी होगी और भिड़ इकठा करके मंच में बिना मास्क लगाये भाषण देते नेता की भी लहु लुहान पिटाई होगी और स्टेडियम या कोई जगह बड़ी सम्हारोह में भिड़ इकठा करके खेलने वाले खास खिलाड़ी और खास अभिनेता अभिनेत्रियो वगैरा की भी लहु लुहान पिटाई होगी !

शनिवार, 1 मई 2021

निच जाति की नारी से संभोग करते समय छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है


निच जाति की नारी से संभोग करते समय छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है 

शरिर से छुवाछूत


इस देश के समाज परिवार में मनुवादि सिर्फ अपनी झुठी शान कायम करने के लिए मुलनिवासियो के साथ छुवाछूत करते हैं | क्योंकि उन्होने इस देश को गुलाम बनाकर हजारो सालो तक मनुवादि शासन कायम किया है | जैसे कि गोरो ने दो सौ सालो तक इस देश को गुलाम बनाकर शासन किया है | दोनो ही विदेशी मुल के थे , और दोनो का ही भेदभाव इतिहास दर्ज है | गोरे अंग्रेज गेट के बाहर बोर्ड में यह लिखते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है , और मनुवादि यह लिखते आ रहे हैं कि अंदर निच जाति का प्रवेश मना है | हलांकि जैसा कि सुरु में ही बतलाया कि निच जाति की नारी से संभोग करते समय उनका छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है | क्योंकि शरिर से छुवाछूत करने वाले मनुवादि शरिर से लिपटकर संभोग करते समय छुवाछूत नही करते हैं | अगर संभोग करते समय छुवाछूत करते तो वे कभी भी इस देश के मुलनिवासि नारी से संभोग नही करते | फिर तो इस देश में मनुवादियो का वंशवृक्ष आगे बड़ता ही नही और डायनासोर की तरह लुप्त हो जाते | पर चूँकि उन्होने इस देश की नारी से संभोग करके अपना वंशवृक्ष बड़ाया है , इसलिए मनुवादियो की आबादी भी आज इस देश में करोड़ो की संख्या में मौजुद है | जो आबादी इस देश की नारी से ही जन्म लेकर बड़ रहा है | क्योंकि DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चूका है कि वर्तमान में मौजुद मनुवादि वंशवृक्ष को जिन नारियो ने जन्म दिया है , उसका M DNA और कथित निच जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA एक है | जाहिर है मनुवादि कथित निच जाति के नारियो से संभोग करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ा रहे हैं | जिसके चलते वे भले यूरेशिया से आए हैं , पर वे इस देश को अपनी मातृभूमि मानकर भारत माता भारत माता भी कहते रहते हैं | क्योंकि उनको पता है कि भले उनके पूर्वज विदेशी नारी से जन्म लेकर पुरुष झुंड बनाकर इस देश में आये थे , न कि वे इस देश के पुरुषो द्वारा जन्माये गए थे , पर उनके द्वारा इस देश में प्रवेश करने के बाद जो दोगला वंशवृक्ष जन्मा है , वह इसी देश की नारी से ही जन्मा है | बल्कि आगे भी जन्म लेना जारी है , भले मनुवादि परिवार में पुरुष विदेशी मूल के हैं , पर उनके घर परिवार में मौजुद नारी देशी मूल की है | जिसके साथ संभोग करके मनुवादि अपना वंशवृक्ष आगे बड़ा रहे हैं | क्योंकि मनुवादि सिर्फ झुठी शान के लिए दिखावे में छुवाछूत करते हैं | संभोग करते समय वे छुवाछूत नही करते हैं | वेद पुराण काल में भी मनुवादियो के पूर्वज देव सिर्फ दिखावे के लिए झुठी शान में असुर दानवो को शैतान कहते थे , पर उन्ही शैतानो के कन्याओ से संभोग करके अपना वंशवृक्ष भी बड़ाते थे | जैसे की देवो का राजा इन्द्रदेव ने असुरराज पुलोमा की पुत्री शचि के साथ संभोग करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ाया है | जिन देवो को मनुवादि अपना पूर्वज मानते हैं | देवो ने दानव असुर कन्याओ के साथ संभोग करके अपना वंशवृक्ष बड़ाया इस तरह के उदाहरन वेद पुराण में भरे पड़े हैं | क्योंकि सच्चाई यही है कि मनुवादि अपना दोगला वंशवृक्ष पैदा करके कभी भी यह पूर्ण सत्य साबित नही कर सकते कि वे और उनके पूर्वज देवो ने कथित निच जाति की कन्या और असुर दानव कन्या से संभोग नही किया | क्योंकि मनुवादि निच जाति के नारियो के शरिर को सिर्फ छुवा ही नही है , बल्कि उसके साथ लिपटकर संभोग भी किया है | बल्कि अब भी वे करते हैं | जिसके लिए मनुवादि अपने शरिर के उपर चाहे जितना गंगाजल का छिड़काव करने की ढोंग पाखंड करे , निच जाति का खुन उसके भितर मौजुद है | क्योंकि वर्तमान में मौजुद मनुवादि वंशवृक्ष उस नारी के खुन से ही अपना शरिर विकसित करके जन्म लिया और ले रहा  है जिसका M DNA और कथित निच जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA एक है | जिस नारी से ही इस देश के मुलनिवासि भी जन्म लिए और ले रहे हैं | क्योंकि एक ही भारत माता अथवा मदर इंडिया उच्च निच दोनो जातियो को जन्म दे रही है | जिसे मनुवादि भी अपना माँ मानते हैं , और इस देश के मुलनिवासि भी अपना माँ मानते हैं |  न कि इस देश में दो भारत माता है | क्योंकि जैसा कि बतलाया कि उच्च निच दोनो जातियो के परिवार में मौजुद नारियो का M DNA एक है | जबकि उच्च निच जाति कहलाने वाले पुरुषो का DNA अलग अलग है | क्योंकि मनुवादि के वंसज इस देश में सिर्फ पुरुष झुंड बनाकर यूरेशिया से आये हैं | उनके साथ कोई नारी मौजुद नही थी | जिसके चलते कथित उच्च जाति का पुरुष DNA से यूरेशिया के पुरुषो का DNA मिलता है , पर उच्च जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA से यूरेशियन नारी के बजाय इस देश की नारी का M DNA से मिलता है | जो की स्वभाविक भी है , क्योंकि जैसा की बतलाया कि मनुवादियो के पूर्वज इस देश में सिर्फ पुरुष झुंड बनाकर आए थे | और समझदार लोगो को पता रहता है कि किसी का वंश नर नारी दोनो के अंश से आगे बड़ता है | जिसके चलते नर नारी आपस में संभोग करके एक दुसरे की सहयोग से किसी बच्चे का जन्म होता है | क्योंकि पुरुष शुक्राणु के बगैर कोई नारी बच्चा पैदा नही कर सकती | बच्चा पैदा करती तो वह हस्तमैथुन करके माँ बन जाती | जैसे की सायद पुरुष ब्रह्मा ने हस्तमैथुन करके अप्राकृतिक गर्भ धारन करते हुए ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शुद्र को जन्म दिया था | हलांकि पुरुष ब्रह्मा द्वारा अपने मुँह छाती जंघा और चरणो से गर्भ धारन करके बच्चे को जन्म दिया था इस बात को सत्य मानने और प्रचार प्रसार करने वाले सौ प्रतिशत मांसिक तौर पर विकृत लोग होते हैं | जैसे कि हिन्दु धर्म में प्राकृति सूर्य पृथ्वी अग्नि जल वगैरा के रुप में मनुवादियो के पूर्वज देवी देवताओ की पूजा होती है , इस बात को भी सत्य मानने और प्रचार प्रसार करने वाले लोग सौ प्रतिशत मांसिक विकृत लोग होते हैं | जिन्हे अपनी विकृत बुद्धी को ठीक करने के लिए हिन्दु वेद पुराणो को प्राकृतिक प्रमाणित मान्यताओ पर अधारित सत्य को ध्यान में रखकर पढ़ना सुनना और देखना चाहिए | न कि विकृत मनुवादियो की विकृत मांसिकता से हिन्दु वेद पुराण में जो छेड़छाड़ और मिलावट किया गया है , उसे पुर्ण सत्य मानकर खुद मनुवादियो के ढोंग पाखंड से संक्रमित होकर यह प्रचार प्रसार करना चाहिए कि हिन्दु धर्म में सुरु से ढोंग पाखंड मौजुद है | बल्कि हिन्दु वेद पुराणो में ढोंग पाखंड का संक्रमण मनुवादियो ने दिया है | जिसे हटाने पर हिन्दु वेद पुराण प्राकृति प्रमाणित सत्य ज्ञान पर आधारित है | जैसे की यह सौ प्रतिशत सत्य है कि प्राकृति भगवान की कृपा से ही सभी जिव निर्जिवो का वजूद कायम है | और जिससे सबका वजुद कायम है , यह जब विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित है , उस प्राकृति भगवान की पूजा करने में क्या ढोंग पाखंड नजर आता है ? बल्कि मनुवादियो के द्वारा ढोंग पाखंड का यह संक्रमण फैलाया जाता है कि हिन्दु धर्म में चमत्कारी देवी देवताओ की पूजा होता है | जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दु धर्म में साक्षात प्रमाणित मौजुद प्राकृति भगवान का पूजा होता है | क्योंकि हिन्दु मान्यता अनुसार भगवान साक्षात प्राकृति रुप में चारो तरफ मौजुद है | जिस प्राकृति की कृपा से ही सभी इंसानो का जन्म मरन जुड़ा हुआ है | जिस प्राकृति की कृपा से ही देव दानव का भी जन्म हुआ था , जो अब मर चुके हैं | न कि वे अब भी इस धरती पर जिवित विचरण करते हैं | बल्कि साक्षात प्राकृति भगवान पहले भी मौजुद था और अब भी विभिन्न रुपो में मौजुद है | जिससे सारी दुनिया कायम है | जैसे की इंसानो का जिवन प्राकृति प्राण वायु जल अग्नि वगैरा से कायम है | जिस प्रमाणित सत्य को जानते हुए प्राकृति सूर्य हवा पानी वगैरा की पूजा उसकी कृपा के बदले करने में हर्ज क्या है ? क्योंकि प्राकृति की कृपा के बगैर न तो कोई इंसान जन्म ले सकता है , और न ही जन्म लेकर जिवित रह सकता है | जिसके बारे में सोच समझकर हिन्दु धर्म में सूर्य अग्नि हवा पानी वगैरा के रुप में प्राकृति भगवान की पूजा होता आ रहा है | और हिन्दु कलैंडर जो की प्राकृति पर अधारित है , उसके अनुसार ही बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार भी मनाई जाती है | जिसे मनुवादियो के पूर्वज देवी देवताओ की पूजा बताने वाले लोग मांशिक विकृत लोग होते हैं | क्योंकि उनको बिना मांशिक विकृति के सूर्य अग्नि पृथ्वी पेड़ पौधा पहाड़ पर्वत देवी देवता नजर आ ही नही सकता , खासकर यदि वे भूगोल और प्राकृति विज्ञान पढ़े लिखे हैं | जिसकी पढ़ाई विद्यालय में करते समय क्या वे सूर्य के बारे में परीक्षा में यह लिखकर पास होते रहे हैं कि प्रकाश देनेवाला सूर्य कर्ण का पिता है ? हवा के बारे में यह लिखकर पास हुए हैं कि हम जो प्राण वायु लेते हैं वह भीम और हनुमान का पीता है ? ये तो सिर्फ एक दो उदाहरन है , मनुवादियो ने तो वेद पुराण में मौजुद प्राकृति प्रतिको के नाम से अपने पूर्वजो का नाम जोड़कर यह तक साबित करने की कोशिष किया है कि उनके पूर्वज देवी देवताओ द्वारा पुरी सृष्टी का सृजन और संचालन भी हो रहा है | पवनदेव के द्वारा हवा बहाया जा रहा है , इंद्रदेव द्वारा वर्षा कराया जा रहा है , और सूर्यदेव द्वारा प्रकाश फैलाया जा रहा है | इस तरह की प्रचार प्रसार करके मनुवादि अपने पूर्वजो को भगवान बतलाकर हिन्दु धर्म का पुजारी बनकर दरसल वे सिर्फ अपने पूर्वजो की पूजा करते आ रहे हैं | हलांकि हिन्दु मान्यताओ में अपने माता पिता की पूजा को भी गलत नही माना जाता है , पर हिन्दु वेद पुराण यह कभी नही बतलाता कि मनुवादियो के पूर्वज देवी देवता ही सब इंसानो के माता पिता हैं | वह भी तब जबकि मनुवादि भी खुद यह बतलाते आ रहे हैं कि देवी देवता उनके पूर्वज हैं , न कि जिन्हे वे निच जाति घोषित किए हुए हैं , उनके भी पूर्वज हैं | जबकि मनुवादि और इस देश के मुलनिवासियो का पूर्वज एक होते तो कभी भी वे छुवाछूत नही करते | और DNA रिपोर्ट से भी तो प्रमाणित हो चूका है कि मनुवादियो का DNA और इस देश के मुलनिवासियो का DNA अलग अलग है | जो रिपोर्ट आने से हजारो साल पहले भी मनुवादि खुद भी जानते थे कि वे चूँकि इस देश में बाहर से आए हैं , इसलिए इस देश के मुलनिवासि उनके खानदान के हो ही नही सकते | जिसके चलते ही तो वे अपने पूर्वज देवी देवताओ की पूजा मंदिरो के बाहर यह बोर्ड लगाकर खुद मात्र पुजारी बनकर करते रहे हैं कि मंदिर के अंदर निच जाति का प्रवेश मना है | क्योंकि मनुवादियो को भी छुवाछूत करते समय पता रहता है कि उनके माता पिता वह प्राकृति भगवान नही है , जिसकी पूजा हिन्दु धर्म में होती है | जिस प्राकृति ने जिव निर्जिव सभी को जन्म दिया है | जिसके चलते यह कहना गलत नही होगा कि यदि प्राकृति की कृपा न हो तो चाहे कोई  इंसान हो या फिर दुसरा प्राणी , उसका जन्म मुमकिन ही नही है | जिसके बगैर न तो कोई माता पिता का जन्म होगा और न ही कोई माता पिता किसी बच्चे को जन्म दे पायेंगे | बल्कि किसी इंसान का जन्म के लिए प्राकृति भगवान ने नर नारी दोनो को एक दुसरे का पूरक बनाकर लिंग योनी प्रदान किया हैं | दोनो ही एक दुसरे. की सहायता से माता पिता बनते हैं | न कि वे हस्तमैथुन करके अकेले अकेले माता पिता बनते हैं | जिसे प्राकृति प्रमाणित मान्यताओ पर यकिन न आए वे चाहे तो हस्तमैथुन करके प्रयोगिक पता कर सकते हैं कि वे क्या बिना किसी दुसरे का अंश से अपना वंश बड़ाने के लिए माता पिता बन सकते हैं ? 

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...