निच जाति की नारी से संभोग करते समय छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है


निच जाति की नारी से संभोग करते समय छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है 

शरिर से छुवाछूत


इस देश के समाज परिवार में मनुवादि सिर्फ अपनी झुठी शान कायम करने के लिए मुलनिवासियो के साथ छुवाछूत करते हैं | क्योंकि उन्होने इस देश को गुलाम बनाकर हजारो सालो तक मनुवादि शासन कायम किया है | जैसे कि गोरो ने दो सौ सालो तक इस देश को गुलाम बनाकर शासन किया है | दोनो ही विदेशी मुल के थे , और दोनो का ही भेदभाव इतिहास दर्ज है | गोरे अंग्रेज गेट के बाहर बोर्ड में यह लिखते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है , और मनुवादि यह लिखते आ रहे हैं कि अंदर निच जाति का प्रवेश मना है | हलांकि जैसा कि सुरु में ही बतलाया कि निच जाति की नारी से संभोग करते समय उनका छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है | क्योंकि शरिर से छुवाछूत करने वाले मनुवादि शरिर से लिपटकर संभोग करते समय छुवाछूत नही करते हैं | अगर संभोग करते समय छुवाछूत करते तो वे कभी भी इस देश के मुलनिवासि नारी से संभोग नही करते | फिर तो इस देश में मनुवादियो का वंशवृक्ष आगे बड़ता ही नही और डायनासोर की तरह लुप्त हो जाते | पर चूँकि उन्होने इस देश की नारी से संभोग करके अपना वंशवृक्ष बड़ाया है , इसलिए मनुवादियो की आबादी भी आज इस देश में करोड़ो की संख्या में मौजुद है | जो आबादी इस देश की नारी से ही जन्म लेकर बड़ रहा है | क्योंकि DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चूका है कि वर्तमान में मौजुद मनुवादि वंशवृक्ष को जिन नारियो ने जन्म दिया है , उसका M DNA और कथित निच जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA एक है | जाहिर है मनुवादि कथित निच जाति के नारियो से संभोग करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ा रहे हैं | जिसके चलते वे भले यूरेशिया से आए हैं , पर वे इस देश को अपनी मातृभूमि मानकर भारत माता भारत माता भी कहते रहते हैं | क्योंकि उनको पता है कि भले उनके पूर्वज विदेशी नारी से जन्म लेकर पुरुष झुंड बनाकर इस देश में आये थे , न कि वे इस देश के पुरुषो द्वारा जन्माये गए थे , पर उनके द्वारा इस देश में प्रवेश करने के बाद जो दोगला वंशवृक्ष जन्मा है , वह इसी देश की नारी से ही जन्मा है | बल्कि आगे भी जन्म लेना जारी है , भले मनुवादि परिवार में पुरुष विदेशी मूल के हैं , पर उनके घर परिवार में मौजुद नारी देशी मूल की है | जिसके साथ संभोग करके मनुवादि अपना वंशवृक्ष आगे बड़ा रहे हैं | क्योंकि मनुवादि सिर्फ झुठी शान के लिए दिखावे में छुवाछूत करते हैं | संभोग करते समय वे छुवाछूत नही करते हैं | वेद पुराण काल में भी मनुवादियो के पूर्वज देव सिर्फ दिखावे के लिए झुठी शान में असुर दानवो को शैतान कहते थे , पर उन्ही शैतानो के कन्याओ से संभोग करके अपना वंशवृक्ष भी बड़ाते थे | जैसे की देवो का राजा इन्द्रदेव ने असुरराज पुलोमा की पुत्री शचि के साथ संभोग करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ाया है | जिन देवो को मनुवादि अपना पूर्वज मानते हैं | देवो ने दानव असुर कन्याओ के साथ संभोग करके अपना वंशवृक्ष बड़ाया इस तरह के उदाहरन वेद पुराण में भरे पड़े हैं | क्योंकि सच्चाई यही है कि मनुवादि अपना दोगला वंशवृक्ष पैदा करके कभी भी यह पूर्ण सत्य साबित नही कर सकते कि वे और उनके पूर्वज देवो ने कथित निच जाति की कन्या और असुर दानव कन्या से संभोग नही किया | क्योंकि मनुवादि निच जाति के नारियो के शरिर को सिर्फ छुवा ही नही है , बल्कि उसके साथ लिपटकर संभोग भी किया है | बल्कि अब भी वे करते हैं | जिसके लिए मनुवादि अपने शरिर के उपर चाहे जितना गंगाजल का छिड़काव करने की ढोंग पाखंड करे , निच जाति का खुन उसके भितर मौजुद है | क्योंकि वर्तमान में मौजुद मनुवादि वंशवृक्ष उस नारी के खुन से ही अपना शरिर विकसित करके जन्म लिया और ले रहा  है जिसका M DNA और कथित निच जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA एक है | जिस नारी से ही इस देश के मुलनिवासि भी जन्म लिए और ले रहे हैं | क्योंकि एक ही भारत माता अथवा मदर इंडिया उच्च निच दोनो जातियो को जन्म दे रही है | जिसे मनुवादि भी अपना माँ मानते हैं , और इस देश के मुलनिवासि भी अपना माँ मानते हैं |  न कि इस देश में दो भारत माता है | क्योंकि जैसा कि बतलाया कि उच्च निच दोनो जातियो के परिवार में मौजुद नारियो का M DNA एक है | जबकि उच्च निच जाति कहलाने वाले पुरुषो का DNA अलग अलग है | क्योंकि मनुवादि के वंसज इस देश में सिर्फ पुरुष झुंड बनाकर यूरेशिया से आये हैं | उनके साथ कोई नारी मौजुद नही थी | जिसके चलते कथित उच्च जाति का पुरुष DNA से यूरेशिया के पुरुषो का DNA मिलता है , पर उच्च जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA से यूरेशियन नारी के बजाय इस देश की नारी का M DNA से मिलता है | जो की स्वभाविक भी है , क्योंकि जैसा की बतलाया कि मनुवादियो के पूर्वज इस देश में सिर्फ पुरुष झुंड बनाकर आए थे | और समझदार लोगो को पता रहता है कि किसी का वंश नर नारी दोनो के अंश से आगे बड़ता है | जिसके चलते नर नारी आपस में संभोग करके एक दुसरे की सहयोग से किसी बच्चे का जन्म होता है | क्योंकि पुरुष शुक्राणु के बगैर कोई नारी बच्चा पैदा नही कर सकती | बच्चा पैदा करती तो वह हस्तमैथुन करके माँ बन जाती | जैसे की सायद पुरुष ब्रह्मा ने हस्तमैथुन करके अप्राकृतिक गर्भ धारन करते हुए ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शुद्र को जन्म दिया था | हलांकि पुरुष ब्रह्मा द्वारा अपने मुँह छाती जंघा और चरणो से गर्भ धारन करके बच्चे को जन्म दिया था इस बात को सत्य मानने और प्रचार प्रसार करने वाले सौ प्रतिशत मांसिक तौर पर विकृत लोग होते हैं | जैसे कि हिन्दु धर्म में प्राकृति सूर्य पृथ्वी अग्नि जल वगैरा के रुप में मनुवादियो के पूर्वज देवी देवताओ की पूजा होती है , इस बात को भी सत्य मानने और प्रचार प्रसार करने वाले लोग सौ प्रतिशत मांसिक विकृत लोग होते हैं | जिन्हे अपनी विकृत बुद्धी को ठीक करने के लिए हिन्दु वेद पुराणो को प्राकृतिक प्रमाणित मान्यताओ पर अधारित सत्य को ध्यान में रखकर पढ़ना सुनना और देखना चाहिए | न कि विकृत मनुवादियो की विकृत मांसिकता से हिन्दु वेद पुराण में जो छेड़छाड़ और मिलावट किया गया है , उसे पुर्ण सत्य मानकर खुद मनुवादियो के ढोंग पाखंड से संक्रमित होकर यह प्रचार प्रसार करना चाहिए कि हिन्दु धर्म में सुरु से ढोंग पाखंड मौजुद है | बल्कि हिन्दु वेद पुराणो में ढोंग पाखंड का संक्रमण मनुवादियो ने दिया है | जिसे हटाने पर हिन्दु वेद पुराण प्राकृति प्रमाणित सत्य ज्ञान पर आधारित है | जैसे की यह सौ प्रतिशत सत्य है कि प्राकृति भगवान की कृपा से ही सभी जिव निर्जिवो का वजूद कायम है | और जिससे सबका वजुद कायम है , यह जब विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित है , उस प्राकृति भगवान की पूजा करने में क्या ढोंग पाखंड नजर आता है ? बल्कि मनुवादियो के द्वारा ढोंग पाखंड का यह संक्रमण फैलाया जाता है कि हिन्दु धर्म में चमत्कारी देवी देवताओ की पूजा होता है | जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दु धर्म में साक्षात प्रमाणित मौजुद प्राकृति भगवान का पूजा होता है | क्योंकि हिन्दु मान्यता अनुसार भगवान साक्षात प्राकृति रुप में चारो तरफ मौजुद है | जिस प्राकृति की कृपा से ही सभी इंसानो का जन्म मरन जुड़ा हुआ है | जिस प्राकृति की कृपा से ही देव दानव का भी जन्म हुआ था , जो अब मर चुके हैं | न कि वे अब भी इस धरती पर जिवित विचरण करते हैं | बल्कि साक्षात प्राकृति भगवान पहले भी मौजुद था और अब भी विभिन्न रुपो में मौजुद है | जिससे सारी दुनिया कायम है | जैसे की इंसानो का जिवन प्राकृति प्राण वायु जल अग्नि वगैरा से कायम है | जिस प्रमाणित सत्य को जानते हुए प्राकृति सूर्य हवा पानी वगैरा की पूजा उसकी कृपा के बदले करने में हर्ज क्या है ? क्योंकि प्राकृति की कृपा के बगैर न तो कोई इंसान जन्म ले सकता है , और न ही जन्म लेकर जिवित रह सकता है | जिसके बारे में सोच समझकर हिन्दु धर्म में सूर्य अग्नि हवा पानी वगैरा के रुप में प्राकृति भगवान की पूजा होता आ रहा है | और हिन्दु कलैंडर जो की प्राकृति पर अधारित है , उसके अनुसार ही बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार भी मनाई जाती है | जिसे मनुवादियो के पूर्वज देवी देवताओ की पूजा बताने वाले लोग मांशिक विकृत लोग होते हैं | क्योंकि उनको बिना मांशिक विकृति के सूर्य अग्नि पृथ्वी पेड़ पौधा पहाड़ पर्वत देवी देवता नजर आ ही नही सकता , खासकर यदि वे भूगोल और प्राकृति विज्ञान पढ़े लिखे हैं | जिसकी पढ़ाई विद्यालय में करते समय क्या वे सूर्य के बारे में परीक्षा में यह लिखकर पास होते रहे हैं कि प्रकाश देनेवाला सूर्य कर्ण का पिता है ? हवा के बारे में यह लिखकर पास हुए हैं कि हम जो प्राण वायु लेते हैं वह भीम और हनुमान का पीता है ? ये तो सिर्फ एक दो उदाहरन है , मनुवादियो ने तो वेद पुराण में मौजुद प्राकृति प्रतिको के नाम से अपने पूर्वजो का नाम जोड़कर यह तक साबित करने की कोशिष किया है कि उनके पूर्वज देवी देवताओ द्वारा पुरी सृष्टी का सृजन और संचालन भी हो रहा है | पवनदेव के द्वारा हवा बहाया जा रहा है , इंद्रदेव द्वारा वर्षा कराया जा रहा है , और सूर्यदेव द्वारा प्रकाश फैलाया जा रहा है | इस तरह की प्रचार प्रसार करके मनुवादि अपने पूर्वजो को भगवान बतलाकर हिन्दु धर्म का पुजारी बनकर दरसल वे सिर्फ अपने पूर्वजो की पूजा करते आ रहे हैं | हलांकि हिन्दु मान्यताओ में अपने माता पिता की पूजा को भी गलत नही माना जाता है , पर हिन्दु वेद पुराण यह कभी नही बतलाता कि मनुवादियो के पूर्वज देवी देवता ही सब इंसानो के माता पिता हैं | वह भी तब जबकि मनुवादि भी खुद यह बतलाते आ रहे हैं कि देवी देवता उनके पूर्वज हैं , न कि जिन्हे वे निच जाति घोषित किए हुए हैं , उनके भी पूर्वज हैं | जबकि मनुवादि और इस देश के मुलनिवासियो का पूर्वज एक होते तो कभी भी वे छुवाछूत नही करते | और DNA रिपोर्ट से भी तो प्रमाणित हो चूका है कि मनुवादियो का DNA और इस देश के मुलनिवासियो का DNA अलग अलग है | जो रिपोर्ट आने से हजारो साल पहले भी मनुवादि खुद भी जानते थे कि वे चूँकि इस देश में बाहर से आए हैं , इसलिए इस देश के मुलनिवासि उनके खानदान के हो ही नही सकते | जिसके चलते ही तो वे अपने पूर्वज देवी देवताओ की पूजा मंदिरो के बाहर यह बोर्ड लगाकर खुद मात्र पुजारी बनकर करते रहे हैं कि मंदिर के अंदर निच जाति का प्रवेश मना है | क्योंकि मनुवादियो को भी छुवाछूत करते समय पता रहता है कि उनके माता पिता वह प्राकृति भगवान नही है , जिसकी पूजा हिन्दु धर्म में होती है | जिस प्राकृति ने जिव निर्जिव सभी को जन्म दिया है | जिसके चलते यह कहना गलत नही होगा कि यदि प्राकृति की कृपा न हो तो चाहे कोई  इंसान हो या फिर दुसरा प्राणी , उसका जन्म मुमकिन ही नही है | जिसके बगैर न तो कोई माता पिता का जन्म होगा और न ही कोई माता पिता किसी बच्चे को जन्म दे पायेंगे | बल्कि किसी इंसान का जन्म के लिए प्राकृति भगवान ने नर नारी दोनो को एक दुसरे का पूरक बनाकर लिंग योनी प्रदान किया हैं | दोनो ही एक दुसरे. की सहायता से माता पिता बनते हैं | न कि वे हस्तमैथुन करके अकेले अकेले माता पिता बनते हैं | जिसे प्राकृति प्रमाणित मान्यताओ पर यकिन न आए वे चाहे तो हस्तमैथुन करके प्रयोगिक पता कर सकते हैं कि वे क्या बिना किसी दुसरे का अंश से अपना वंश बड़ाने के लिए माता पिता बन सकते हैं ? 

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