हिन्दुस्तान देश सोने की चिड़िया और विश्वगुरु के नाम से भी पहचाना जाता रहा है|जिसे जानकर कोई भी व्यक्ती जो किमती सोना और किसी गुरु के बारे में जानता है,वह इस देश के बारे में ये जरुर जान सकता है कि विश्वगुरु की पहचान का मतलब पुरे विश्व को ज्ञान बांटने वाला और सोने की चिड़िया का मतलब कोई सोने की तरह का वह किमती देश, जहाँ पर प्राकृतिक खनिज सम्पदा से लेकर तमाम तरह की वैसी समृद्धी मौजुद है, जहाँ पर की धन संपदा को कमाकर मांगकर,चुराकर,लुटकर कोई भी रातो रात अमिर बन सकता है|जैसे कि रोजमरा जिवन में खुब सारा सोना को कमाकर मांगकर चुराकर लुटकर कोई भी कंगाल से मालामाल हो सकता है|जिसके बारे में समान्य सी बात जिसे भी पता है, उसे जाहिर है यह भी जरुर पता होगा कि अमिर बनने के लिए ही तो अबतक जितने भी विदेशी हमलावर चोर लुटेरे या फिर कमानेवाले, हाथ फैलाने वाले आए हैं,वे तमाम लोग यहाँ प्रवेश करके अमिर बनने से पहले या तो सोने की चिड़ियाँ से गरिब थे या फिर उन्हे किसी बाहरी लुटेरो के द्वारा लुटकर,उनकी समृद्धी को चोरी करके या मांगकर उन्हे गरिब बनाया गया है|जैसे कि इस सोने की चिड़ियाँ को हजारो सालो से समय समय पर उसकी समृद्धी को लुटकर इस देश को गरिबी दाग दिया गया है|जिन लुटेरो में बहुत सारे तो बाद में इसी सोने की चिड़ियाँ सागर में किसी नदी नाले की तरह समा भी गए|जिनमे बहुत से तो अच्छे लोग भी थे जो अपनी मुल भुमी में अपना सबकुछ लुटे लुटाये सरनार्थी बनकर समय समय पर सोने की चिड़ियाँ को ही अपना सुरक्षित ठिकाना समझकर यहीं पर ही बसते चले गए|ऐसे लुटे हुए सरनार्थी द्वारा बाद में किसी देश को सरनार्थी बनकर लुटने की संभावना बहुत कम ही रहती है,बजाय इसके की लुटपाट की लुट निति बनाकर प्रवेश करने वालो द्वारा ही किसी देश को ज्यादे लुटे जाने का खतरा बना रहता है| जैसे की गोरो से,जो सबकुछ लुटने की तैयारी करके देश लुटने आये थे|जो अपनी लुट और गुलाम निति से जिन्हे भी गुलाम करके लुटे उनमे से ज्यादेतर देश उससे पहले गरिब नही थे,पर उन्हे लुटकर और गुलाम करके गरिब बनाया गया|क्योंकि अक्सर लुटेरे किसी का धन दौलत देखकर ही लुट की तैयारी करते हैं|जैसे की अभी का गरिब बीपीएल भारत पहचान जो कभी सोने की चिड़ियाँ की समृद्धी के रुप में न जाने कितने ही कबिलई लुटेरो को अपनी समृद्धी से हजारो साल से आर्कषित करता रहा है,उसकी समृद्धी को लुटकर चुराकर या किसी बाहरी के द्वारा हाथ फैलाकर कभी कभी तो पुरा राजपाट ही भिख में मांगकर और बाद में उसपर कब्जा जमाकर ही इस समृद्ध देश को लंबे समय से गरिबी भुखमरी संक्रमन बाहरी लुटेरो से ही मिली है|जिस सोने की चिड़ियाँ को कभी घुमकड़ भुखड़ लंगटा लुचा चोर लुटेरो ने लुटा और खुदको इस देश के मुलवासियो से रोजमरा जिवन में अमिर और उच्चा बनाया तो कभी गोरो जैसो ने सबकुछ प्लानिंग करके लुटा|जो सुरु में हाथ फैलाकर ईस्ट इंडिया कंपनी बनाकर अपनी गरिबी भुखमरी दुर करते करते अपनी व्यापार कंपनी को लुट इंडिया कंपनी अपडेट करके बाद में फुट डालो और राज करो की निति अपनाकर सोने की चिड़िया को गुलाम बना लिया|ताकि उसे लुटकर खुब सारा धन फ्री में अपने देश ले जा सके|बल्कि उन्हे तो देश गुलाम करने के बाद दुनियाँ का सबसे किमती कोहिनूर हीरा भी मानो गुलाम करने के बदले गिप्ट में मिला है यैसा भोला भाला है ये भोले की पुजा करने वाला सोने की चिड़ियाँ,जहाँ न जाने कितने समय से बाहरी हमलावरो की कड़वा प्याला सत्य शिव की ही तरह पी जाती रही है,ताकि उनकी खतरनाक प्रभाव को रोका या कम किया जा सके|पर फिर भी मानो किसी भस्मासुर की तरह जो भी लुटेरे इस सोने की चिड़ियाँ की समृद्धी को वरदान के रुप में प्राप्त किया ,इसकी ताकत का गलत उपयोग करके उल्टे इस देश के ही पिच्छे लंबे समय तक लगा रहा|पर हाँ जो भी लुटेरे हिन्दुस्तान के पिच्छे भस्मासुर की तरह लगे वे खुद ही मिट गए पर इस देश को इतिहास के पन्नो से मिटा नही सके|जिसमे सबसे मशहुर सिकंदर का नाम आता है जो कि पुरी दुनियाँ को मिटाते मिटाते अंतिम में हिन्दुस्तान में ही आकर मिटा|और मुझे पुरा यकिन है कि गरिबी भुखमरी भी यदि पुरी दुनियाँ को जो लुटा वही अमिर कहकर अपनी गरिबी भुखमरी की चपेट में लेकर सिकंदर की तरह सोने की चिड़ियाँ में प्रवेश किया है किसी घर का भेदी आंभीक द्वारा तो एकदिन उसके द्वारा दी गयी गरिबी भुखमरी भी हिन्दुस्तान के ही द्वारा पहले तो यहीं पर ही गरिबी भुखमरी का हाफ मडर होगी सिकंदर की तरह, उसके बाद ही पुरी दुनियाँ की गरिबी भुखमरी जल्द मिट जायेगी|जो एकदिन होना ही होना है चाहे वर्तमान की पिड़ि के समय में हो या फिर आनेवाली नई पिड़ी के समय में हो|जैसे की गोरो से अजादी मिली,भले उसे मिलने में दो सौ सालो का समय लगा,उसी तरह गरिबी भुखमरी से भी इस देश और दुनियाँ को एकदिन जरुर अजादी मिलेगी|क्योंकि असल में ये देश और पुरी दुनियाँ बल्कि यह पृथ्वी ग्रह ही इतना गरिब नही है कि इस ग्रह के सभी इंसानो की गरिबी भुखमरी दुर न की जा सके और सबको भरपेट अन्न जल उपलब्ध करायी न जा सके,बल्कि इंसानो के बिच ही मौजुद पुरी दुनियाँ को गरिबी भुखमरी देने वाले मुठीभर भ्रष्ट इंसान मौजुद हैं,जिनकी बुद्धी शैतान सिकंदर की तरह ही दिन रात भ्रष्ट होती रहती है,और अपनी नई पिड़ी को भी अपनी भ्रष्ट बुद्धी से चोरी और लुट करना सिखलाती रहती है|जिसके चलते पिड़ि दर पिड़ि ये चोरी लुटमार का सिलसिला किसी जेनेटिक बिमारी की तरह ही इस देश और पुरी दुनियाँ को जकड़े हुए है,जो लुट और चोरी की भ्रष्टाचार बिमारी भी किसी जेनेटिक बिमारी की तरह पुरी तरह ठीक होने में काफी समय लगा रहा है|जिन भ्रष्ट बिमारी में वे लोग सबसे ज्यादे किसी लाइलाज बिमार की तरह ग्रस्त हैं,जो सबसे बड़ी बड़ी चोरी और लुट करते रहते हैं, या करके छिपाये भोग विलास में लिप्त हैं|जो पुरी दुनियाँ की दौलत को लुटकर विश्व लुटेरा न०1 बनकर महान बनना चाहते हैं अपनी लुटी गयी कालाधन से,उनकी भ्रष्ट बुद्धी को जिसदिन भी समझ में आ जायेगी कि लुटपाट करने वाले को कोई भी धर्म पुस्तक में महान नही माना गया है और न ही रोजमरा जिवन में चोर लुटेरो को महान बताकर स्कूल में ये ज्ञान बांटी जाती है कि लुटेरा और चोर बनोगे तो महान कहलाओगे|जो जानते हुए भी जिनकी भी बुद्धी भ्रष्ट होकर शैतान सिकंदर की तरह लुटमार करके महान बनना चाहता हैं|ऐसे भ्रष्ट लोगो की वजह से ही इस देश और दुनियाँ में गरिबी भुखमरी छाई हुई है|नही तो इस सोने की चिड़ियाँ और पुरे पृथ्वी में भी गरिबी भुखमरी एक झटके में ही रातो रात समाप्त हो सकती है|इतनी दौलत अभी भी शैतान सिकंदर की तरह लुटपाट करके खुदको महान बनाने में लगे चंद मुठीभर विश्व स्तरीय चोर लुटेरे पुरे विश्व की समृद्धी को लुट और चुराकर पुरे विश्व में गरिबी भुखमरी दिए हुए हैं|हलांकि उनके द्वारा भी दी गयी गरिबी भुखमरी एकदिन शैतान सिकंदर की तरह ही हिन्दुस्तान के जरिये समाप्त होगी|जिसके बाद ही ये अभी गरिब कहलाने वाला जड़ से समृद्ध देश पुरी दुनियाँ में फिर से खुदको सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु अपडेट कर लेगा पुरी दुनियाँ को गरिबी भुखमरी से मुक्त करके|क्योंकि वैसे भी न तो गरिबी भुखमरी को इस देश और पुरी दुनियाँ में हमेशा के लिए लंबे समय तक रहना है और न ही पुरी दुनियाँ को गरिबी भुखमरी देने वाले इस दुनियाँ में हमेशा के लिए रहने वाले हैं,चाहे क्यों न वे अपनी सारी चोरी और लुट का धन लगा दे खुदकी लुट और चोरी की उधारी अमिरी और खुदको भी अमर बनाने के लिए, लेकिन भी वे और पुरी दुनियाँ की गरिबी भुखमरी एकदिन समाप्त होगी ही होगी|ये प्राकृती का नियम है कि जो जन्मा है उसे एकदिन जाना ही जाना है,चाहे गरिबी भुखमरी हो या फिर गरिबी भुखमरी देने वाले हो|कालाधन को बटोरकर चाहे जितनी अमरता का भोग विलास अमृत पी ले गरिबी भुखमरी देने वाले चोर लुटेरे,एकदिन अंतिम उम्र की झुरियाँ उनपर भी पड़ेगी,जिसे वे दुनियाँ की किसी भी किमती क्रीम से नही मिटा पायेंगे और एकदिन धिरे धिरे उनकी सांस अपने आप उपर निचे होने लगेगी,जिसे वापस जवान करने के लिए दुनियाँ की चाहे जितना भी बड़ा डॉक्टर के नाम अपनी पुरी जिवन की काली कमाई को भी खर्च कर देंगे तो भी वह नही बचा पायेगा|इसलिए मैं तो ऐसे लोगो से जो अपनी जिवन भर की काली कमाई से अपना रिस्ता नही तोड़ पा रहे हैं,वे उपर निचे होने वाली अपनी सांस से रिस्ता सांस घुट घुटकर तोड़ने से पहले कालाधन से रिस्ता तोड़ लें,सायद उनकी उपर निचे होनेवाली सांस जो की बड़ी मुश्किल से उनकी पिच्छा छोड़ेगी और उपर निचे होती रहेगी,वह सायद आसानी से उनकी पिच्छा छोड़ दे और अपनी अंतिम समय में उनकी सांस लंबे समय तक रुक रुककर उन्हे तड़पा तड़पाकर दम घोट घोटकर उपर निचे न हो|क्योंकि सारी जिवन की उधारी सुख और भोग विलास पाप पुन्य की अंतिम खाता देखकर अँतिम सांस उपर निचे होते समय सारी पाप पुन्य की हिसाब किताब सुध समेत एक साथ वसुली होती है, ऐसा मुझे लगता है|जिसमे डिस्काउंड तभी मिलती होगी जब सांस उपर निचे होने से पहले ही पाप को मन से कबूल करके कालाधन सौंप दी जाती है सफेद हाथो में न कि काला को काला मन वाला हाथ में सौंपने से डिस्काउंड मिलती होगी,बल्कि वैसी परिस्थिति में तो डबल सांस उपर निचे होती होगी अंतिम समय में|अब कोई भ्रष्टाचारी ये पता लगाने न बैठ जाय की सफेद हाथ किसका है?अभी के लिए बस इतना ही|आगे फिर से वापस इसी तरह की ज्ञान बांटता रहूँगा और भ्रष्टाचारियो की भ्रष्ट बुद्धी में जो की किसी गिली लकड़ी से भी कहीं ज्यादे गिली है,जिसे सुखाने के लिये अबतक कोई यैसी ज्ञान अग्नि नही आ पाई है उनकी जिवन में,जिससे की उनकी भ्रष्ट बुद्धी में सत्य बुद्धी प्रज्वलित हो सके और इस देश और पुरी दुनियाँ से भी गरिबी भुखमरी मिल सके|जिस गिली लकड़ी भ्रष्ट बुद्धी में ज्ञान की फुँक मार रहा हुँ और उम्मिद करता हुँ कि पाठक गणो में जिन्हे भी लगता है की बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की गिली लकड़ी भ्रष्ट बुद्धी में सत्य बुद्धी ज्ञान अग्नि जल्द प्रज्वलित हो और इस देश दुनियाँ से गरिबी भुखमरी जल्द समाप्त हो सके,वे भी अपनी तरफ से सत्य बुद्धी प्रज्वलित करने वाला ज्ञान फुँक समय समय पर मारते रहे,क्योंकि हमारे बिच ही चारो तरफ गरिबी भुखमरी से मौत कहीं न कहीं रोज जारी है,जिसे रोकने और गरिबी भुखमरी दुर करने में सभी मिल जुलकर हम एक साथ सत्य बुद्धी ज्ञान फुँक मारें,सायद बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की भ्रष्ट बुद्धी जो गिली लकड़ी से भी ज्यादे गिली है,उसमे सत्य बुद्धी ज्ञान की अग्नि जल उठे और उन्हे भी जल्द यहसास हो की किसी को गरिबी भुखमरीसे मौत देकर वे कभी भी महान नही कहलाने वाले हैं|भले उनकी लुटमार चोरी भ्रष्टाचारी सोच भ्रष्ट बुद्धी को बहुत से भटके या फिर ब्रेनवाश किए गए लोग जो जीता वही सिकंदर कहकर विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर को महान कहकर और अपना आदर्श मानकर उनकी लुटमार चोरी भ्रष्टाचारी को साथ साथ फोलो करते रहे| और सिकंदर का भटकता भुत उनसे लुटपाट और चोरी कराता रहे| जिसे भी सायद इस सत्य शिव की धरती द्वारा ही किसी भस्मासुर की तरह मुक्ती मिलेगी, जो सायद अपना विश्व लुटेरा न०1 बनने का अधुरा सपना को पुरा करने के लिये किसी सत्य बुद्धी के पिच्छे पिच्छे भटक रहा है|क्योंकि इस देश और पुरी दुनियाँ को भी पता है कि शैतान सिकंदर भले ही क्यों न पुरे विश्व को लुटने निकला था पर अखंड हिन्दुस्तान में आकर बॉर्डर से ही हाफ मडर होकर वापस लौट गया था,हिन्दुस्तान की प्राचिन राजधानी पाटलीपुत्र तक पहुँच भी नही सका था और वह और उसकी सेना मगध की ताकत के बारे में सिर्फ सुनकर ही भयभीत होकर अधमरा हालत में वापस लौट गया था विश्व लुटेरा न०1 बनने की सपना अधुरा लिये|हलांकि शैतान सिकंदर की सेना में ज्यादेतर लुटे लुटाये चुँकि गुलाम सेना थे जो सिकंदर के द्वारा लुटमार और बंधक बनाकर पुरी दुनियाँ को लुटने के लिए मजबूर किए गए थे,इसलिए उन गुलाम सेना में मेरे ख्याल से ज्यादेतर की आत्मा यही जाहती होगी की भटकती सिकंदर का भुत से उनको भी इस देश और पुरी दुनियाँ की गरिबी भुखमरी से छुटकारा पाने के साथ साथ अजादी मिले,जो उन्हे मरने के बाद भी सायद गुलाम भुत सेना बनाकर किसी की सत्य बुद्धी को लुटकर उसे भ्रष्ट बुद्धी कराने के लिए जबरजस्ती ब्रेनवाश करा रही है|ताकि अपना विश्व लुटेरा बनने का अधुरा सपना साकार करके खुदको मुक्ती दिला सके|जिसकी ताकत को बड़ाने में बड़े बड़े चोर लुटेरे ही तो मदत कर रहे हैं|जो किसी नशाखोरी की तरह अपनी भ्रष्ट बुद्धी से लुटमार चोरी का कालाधन गुप्त चढ़ावा चड़ाकर नशा करा रहे हैं|जिसकी कालाधन नशाखोरी जबतक बंद नही होगी, तबतक शैतान सिकंदर का भटकता भुत कालाधन की नशा से टुल होकर मंडराता रहेगा सत्य बुद्धी के पिच्छे पिच्छे|जिससे सभी को बचकर रहना होगा अपनी आत्मविश्वास को बड़ाकर,ताकि गरिबी भुखमरी समाप्त की जा सके और ये देश फिर से सोने की चिड़ियाँ अपडेट होकर पुरी दुनियाँ से भी गरिबी भुखमरी समाप्त हो सके|
In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira. पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं। pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
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शनिवार, 7 अक्टूबर 2017
गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017
फुटपाथ में भी सोता है प्रधान सेवक के जनता मालिक
गरिबी भुखमरी और बदहाली वगैरा के बारे में अबतक का बांटा गया मेरा सत्य संदेश जिनको कुछ अलग तरह की ज्ञान वर्धक लगा होगा उन्हे तो जरुर अच्छा लगा होगा पर बाकि जिनको भी अच्छा नही लगा होगा वे तो इसे वैसे भी कभी नही पसंद करने वाले हैं,और न ही आगे भी इस तरह की मेरे विचारो पर यकिन करने वाले हैं| पर चूँकि वे भी मेरा ये सत्य ज्ञान ले चुके हैं यदि इसे पढ़े होंगे इसलिए मैं कह सकता हुँ कि यदि जिवन में कभी उन्हे मेरे द्वारा बांटी गयी यह सत्य संदेश को सत्य मानकर अपने भितर झांककर कड़वा सत्य को स्वीकार कर लिए तो उन्हे भी उस सागर दिल की गहराई के बारे में महसुस होगी जो उनके भितर भी कहीं न कहीं मौजुद है सत्य के रुप में|जो यहसास उन्हे जब हो जायेगा उसीदिन उनके भितर की वह असत्य अँधेरा मिटेगा जो उन्हे हर रोज हजारो नागरिको की गरिबी भुखमरी से मौत के बावजुद भी अच्छे दिन आ गए कहकर झुठ फैलाई जा रही है उन परिवारो के बिच भी जिनके अपनो की हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत हो रही है|जो लोग भी एकदिन किसी मंत्री या उच्च अधिकारी की मौत गरिबी और भुखमरी से हो गयी है, जिसकी दो मिनट की मौन वर्त रखी जा रही है, लाईव खबर सुन और देखकर सोक संदेश की घड़ी में गरिब जनता मालिक भी अच्छे दिन आ गए कहकर आधुनिक साईनिंग और डीजिटल जस्न मनायेगी तब सायद वर्तमान की भी खुदको गरिब सेवक सरकार कहने वालो को समझ में आयेगी की जनता मालिक के बिच में चालीस करोड़ बीपीएल और उसके बिच भी हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी हो इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में जहाँ पर किसी नागरिक को तो माफी और छुट में ही बिना हाथ फैलाये ही हजारो करोड़ दे दी जाती हो तो उसे अच्छे दिन आ गए हैं ऐसी भेदभाव सेवा से कहना ऐतेहासिक ऐसी झुठ ही होगी, जिसमे अच्छे दिन आने के नाम से किसी नोटबंदी में होनेवाली मौत कतार से भी ज्यादे मौत हर रोज हो रही है सभी गरिबो के लिए अच्छे दिन न लाकर|मेरे लिए तो किसी एक नागरिक की भी भुखमरी और गरिबी से मौत होना जन धन खाता और राशन कार्ड होने के बावजुद भी ये सरकार की इतनी बड़ी नकामी होगी कि उसे जानकर तो मैं यदि देश का नेतृत्व कर रहा होता तो भले ही क्यों न इस समृद्ध देश की समृद्धी को जिसकी संसाधन से न जाने कितने देशी विदेशी धन्ना कुबेर बने और आज भी बन रहे हैं,मंत्री सेवक और उच्च अधिकारी तो अपनी सेवा पाते ही उसका भरपुर उपयोग कर रहे हैं उन्ही संसाधनो और खनिज धन संपदा से ही|जिसका उपयोग करके ही जब एक एक धन्ना कुबेर को हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी देकर कर्ज देकर भगोड़ा घोषित करके मानो लोरी सुनाकर विदेशी घी भी पिलाई जाती है तो,सभी गरिब और बेरोजगार को कम से कम एक एक लाख रुपया उनके खातो में डालकर हर साल किसी गरिब को एक लाख तक की भी माफी न सही पर सरकार चुने जाने के बाद एकबार सभी गरिब को एक एक लाख की राशि या फिर उसी मुल्य की कोई जमिन या किमती खनिज संपदा वगैरा देकर उसे पाँच साल बाद तो माफी दी जा सकती है|मेरे कहने का मतलब साफ है कि यदि हर साल एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की माफी और छुट दी जाती है तो फिर सभी गरिब को कम से कम एक एक लाख की सहायता उसकी गरिबी दुर करने के लिए उनके खातो में सिधे पहुँचाकर या फिर उस मुल्य का कोई वस्तु पहुँचाकर उसकी गरिबी भुखमरी दुर करने में सिधे तौर पर मदत क्यों नही एकमुस्त पहुँचाई जा रही है?क्यों गरिबी भुखमरी समाप्त करने के नाम पर सिर्फ मानो इतनी ही मदत पहुचाई जा रही है जिससे की गरिब खाते जाय और तुरंत हगते जाय,बचत के नाम से अमिरी ताकत तो उसके पास कभी जमा हो ही नही पायेगी,बल्कि खिलाया भी इतना ही जा रहा है कि वह सिर्फ जिंदा रहकर दुसरो की अमिरी को बरकरार रख सके और साथ साथ उसे बड़ने में अपनी खुन पसिना दिन रात लगा सके|जिस मदत को भी ठीक से पहुँचाने में सरकार नकाम रही है और एक प्रधान सेवक के ही द्वारा कभी ये कह दी जाती है कि गरिब जनता तक मदत पहुँचते पहुँचते बिच में ही एक रुपये में पचासी पैसे चोरी और लुट ली जाती है|जो यदि वर्तमान की डीजिटल सरकार की दावा करने वाली प्रधान सेवक की नेतृत्व में कही गयी बाते की एक रुपये की भी चोरी और लुट नही हो रही है इसे यदि सत्य मान लिया जाय तो फिर तो एक रुपया में पचासी की चोरी और लुट होती है कहने वाले प्रधान सेवक के समय तो सरकारी मदत गरिबो तक पुरी नही पहुँच पाती थी इसलिए उन गरिबो में से हर रोज अनगिनत गरिबो की भुखमरी और कुपोषन से मौते होती रही पर अभी भी जो गरिबी भुखमरी से मौते जारी है वह क्या सरकारी मदत और राशन वगैरा से ही क्या भुखमरी कुपोषन दी जा रही है जिसकी वजह से गरिबो की गरिबी भुखमरी समाप्त होने के बजाय आज भी हर रोज अनगिनत गरिबो की समाप्त होने की खबरे और आंकड़े आ रही है?जिसे जानकर तो मुझे यदि इन सब बुरे हालातो को दुर करने का मौका मिलता तो सरकार शपथ लेते समय ही नेतृत्व के रुप में सबको घोषना नही बल्कि ऐसी वचन देता जिसे पुरा नही किये जाने पर खुदको आजिवन गरिबी की सजा देता अपनी सरकारी पेंशन को त्यागकर नागरिको को मिलने वाली चंद रुपये की पेंशन जितने में मेरे ख्याल से किसी वृद्ध की दवा भी ठीक से नही खरिदी जा सकती है तो वह ठीक से खा पी कैसे सकता है उतनी की सरकारी पेंशन से,जिसे ही मैं भी लेता और हमेशा गरिबो के बिच ही देश की गरिबी भुखमरी जबतक समाप्त नही हो जाती तबतक रहकर सरकारी राशन ही खाता जबतक की गरिबी भुखमरी पुरे देश से समाप्त नही हो जाती|जो यदि जिवनभर भी समाप्त नही होती तो फिर गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के के बिच खुद भी अपनी पुरी जिवन ही क्यों न गरिबी भुखमरी का शिकार होकर काट देता पर मैं सेवक बनने के बाद सेवक पद से हटने के बाद जो मोटी सरकारी पेंशन मिलती है उसे नही लेता भले ही क्यों न कितना ही गरिबी भुखमरी में जिवन जिने को मजबूर होता अपनी वचनो को न तोड़ने की वजह से|जिस दौरान चाहे जो भी शारिरिक मेहनत का या बुद्धी बल का काम करता इस देश की न्यूनतम मजदुरी से अधिक की श्रम मोल कभी भी नही लेता जिसकी भी मैं वचन ले लेता अपने नेतृत्व में गरिबी भुखमरी समाप्त करने में असफल होने पर| क्योंकि मेरे लिए इस सोने की चिड़ियाँ में इस देश की सरकार बनने के बाद मंत्री और उच्च अधिकारी बनकर गरिब जनता मालिक की सेवा करने का नेतृत्व करके और किमती संसाधनो का भरपुर उपयोग करके सारी सुख सुविधा लेकर भी यदि अपनी पुरी कार्यकाल समाप्त करने के बाद भी गरिब जनता मालिक की गरिबी भुखमरी समाप्त नही होती है और सिर्फ मुठीभर लोगो की ही गरिबी भुखमरी समाप्त होती है तो ये नेतृत्व मेरे लिए यैसी हार है जिसके बाद कोई जीत ही नही होती है, जबतक की जिस वचन के साथ सेवा ली गयी है उसे पुरी तरह से निभानेवाली ऐसा महान सेवक न आ जाय जो उन वचनो को पुरा करके सचमुच का गरिबी को हटा दे,न कि गरिबी हटाओ के नाम से सिर्फ मुठिभर लोगो के लिए तो आधुनिक भारत साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया अच्छे दिन आ गए हो पर चालीस करोड़ बीपीएल भारत के साथ साथ शोषित पिड़ित अबादी के बिच ही बहुसंख्यक अबादी भुखमरी से संघर्ष करते हुए हर रोज हजारो लोग गरिबी भुखमरी से इस अच्छे दिन आनेवाले हैं कहनेवाली सरकार की भी अश्वासन भाषन सुनते सुनते और अपनी गरिब सेवा कराते कराते गरिबी भुखमरी न हटने के कारन मर रहे हैं, और दुसरी तरफ मुठीभर लोग ही सिर्फ हर रोज अमिर से और अधिक अमिर बन रहे हैं|बल्कि वे तो हजारो करोड़ की कर्ज लेकर भी उसे न चुका पाने के बाद भी कर्ज लेकर सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित करके भी उन्हे मानो लोरी सुनाकर बाद में उनकी कर्ज माफी और छुट देकर विदेशी घी भी पिलाई जा रही है|दुसरी तरफ बहुसंख्यक गरिब अबादी को तो सिर्फ भाषन और अश्वासन ही पिलाई जा रही है गरिबी हटाओ और अच्छे दिन आनेवाले हैं कहकर सिर्फ मुठीभर अबादी के लिए खास बिन हाथ फैलाये ही हजारो करोड़ की छुट और माफी मिलनेवाली हजारो करोड़ की दिवाला कर देनेवाली खास गरिबी को हजारो करोड़ की छुट और माफी के रुप में देकर उसे विदेशी घी पीनेवाली अमिरी में बदलकर मुठिभर के लिए खास तरह की अच्छे दिन लाकर|जिस तरह की भेदभाव माफी और छुट मैं तो कम से कम नही करता बल्कि मैं तो कभी कभी ये तक भी विचार करता हुँ कि क्यों न जिस तरह एक बीपीएल और धन्ना कुबेर दोनो को ही एक एक वोट का अधिकार दिया गया है उसी प्रकार गरिब अमिर दोनो को ही एक ही वोट मशिन की तरह माफी और छुट देनेवाली मशिन लगाकर गरिब और अमिर दोनो को ही एक कतार में लगाकर बीपीएल राशन और धन्ना कुबेरो को भी हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी एक ही छत के निचे मिले|जिसे पाने के लिए अमिर गरिब दोनो ही अपनी अपनी माफी और छुट का कार्ड किसी राशन कार्ड की तरह ले जाकर उसमे चड़वा ले ये आँकड़ा कि उसने सरकार से कितनी की छुट और माफी ली है|ताकि क्यों छुट और माफी में इतनी भेदभाव की जा रही है उसके बारे में गरिब अमिर एक कतार में लगकर अपनी माफी और छुट के बारे में तुलना करके प्रयोगिक रुप से ये जान सके कि कितनी बड़ी भेदभाव सेवा प्रदान की जा रही है अमिरी और गरिबी की दुरी को मिटाने के नाम से |जबकि संविधान में सब नागरिको को क्या धन्ना क्या गरिब जिने का अधिकार बराबर मिला है|पर जो गरिब है वही हर रोज गरिबी भुखमरी से क्यों मर रहा है इस अजाद देश में संविधान लागू होने के बावजुद भी?क्यों इस देश की अमिरी जो इस देश की धन संपदा वगैरा से भी हर रोज निकाली जा रही है दिन रात उसमे से किसी को हजारो करोड़ की छुट और माफी दी जा रही है तो किसी को हजार बजार की राशन पानी भी ठीक से नही पहुँच पा रही है? और वह कभी इस जड़ से सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली समृद्ध भुमि में गरिबी भुखमरी से भी हर रोज अनगिनत की तादार में मर रहा है|क्या कोई गरिब नागरिक गरिबी भुखमरी से मरने के लिए वोट करता है चुनाव के समय किसी की मुँह से गरिबी हटाओ और अच्छे दिन आने वाले हैं भाषन अश्वासन सुनकर?बल्कि मैं तो ये दावा करके कह सकता हुँ कि यदि उस गरिब नागरिको को चुनाव के बाद अपने सेवको की खर्च बजट बनाने के लिए जिम्मेवारी दिया जाय की वे अपनी सेवा जिससे कराने के लिए जनता मालिक का सेवक के रुप में चुने हैं, उसकी सेवा पाने के बदले या सेवा लेते समय क्या क्या वे अपने सेवको को देंगे, तो मुझे पुरा विश्वास है कि ज्यादेतर गरिब तो फुटपाथो में सोकर और झुगी झोपड़ियो गांव देहातो की कच्ची मकानो में रहकर खुद गरिब जनता मालिक होकर अपने सेवको के लिए ये अमिरी बजट बनाने से इंकार कर देंगे की गरिबो की सेवा करने के लिए कोई सेवक शपथ लेने के बाद लाखो रुपये तनख्वा पाकर खुद अमिर बनकर सेवा करे सरकारी गाड़ी बंगला और देश की अन्य सुख संसाधनो का भी भरपुर उपयोग करके और अपनी खुदकी सुरक्षा में जेड सुरक्षा भी लेकर महंगी काफिला के जरिये अपना जनता मालिक बताकर किसी गरिबी में जी रहा नागरिक की फुटपाथो और झुगी झोपड़ी कच्ची मकानो में सेवा करने आए उसे कुछ अजीब लगेगा यदि सचमुच का कोई पंद्रह बीस लाख का सुट बुट लगाकर उसकी सेवा करने उसके पास आए ये कहते हुए की मैं बंगला गाड़ी जहाज वगैरा महंगी महंगी सुख सुविधा के बिच एसी के में सबसे अधिक समय बिताने वाला आपका नौकर हुँ और आप गरिबी भुखमरी से मर रहे लोग मेरे जनता मालिक हैं|हलांकि इस तरह की झांकी वोट लेने के लिए चुनाव के समय हाथ जोड़कर थोड़ी समय के लिए जहाज से भी किसी गरिब के पास फुटपाथो झुगी झोपड़ियो और गांव देहातो की कच्ची मकानो में भी जाकर हाथ जोड़कर गले मिलने की भी पीपली लाईव खुब चलती है, पर उसके बाद लगभग ये नजारा गायब हो जाती है चुनाव आने तक|जिसके बाद जमिनी गरिबी भुखमरी दिखाई नही देती है महंगी हवा हवा हवाई यात्राओ में|आगे क्या होता है ये वर्तमान की डीजिटल सरकार में भी देखी सुनी और पढ़ी जा सकती है कि आज किस तरह चारो तरफ साफ सुथरा और अच्छे दिनो का माहौल है उस सरकार और उसके समर्थको की नजर में जिनको सायद ही देश की गरिबी भुखमरी दिखाई सुनाई दे रही होगी इस समय|बल्कि खुदको गरिबो का प्रधान सेवक कहने वाले इस देश के प्रधानमंत्री को भी ऐसा चमत्कारी नजारा दिखलाई दे रहा होगा जो सायद उनकी ही पार्टी की पिछली साठ महिने की साईनिंग इंडिया सरकार में भी मानो किसी मिस्टर इंडिया की तरह गायब थी वर्तमान की भाजपा की चमत्कारी नेतृत्व|जो सायद तबकी जनता मालिक को भी भाजपा रथ के चलते समय भिड़ में दिखलाई नही देती थी ये मिस्टर इंडिया की सरकार कि उसे उस समय इतनी भारी बहुमत से चुनी जा सके|जो अचानक से 2014 में किसी खास चस्मे से दिखलाई देने के बाद ही अच्छे दिनो की सेवा करने के लिए किसी काल्पनिक मिस्टर इंडिया की चमत्कार की तरह चमत्कारी सरकार अब प्रकट हो गयी है|हलांकि इससे पहले की भी साठ साल की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल और वर्तमान की भी डीजिटल भाजपा कार्यकाल के दौरान कितनी बार फुटपाथो में सोनेवाले,झुगी झोपड़ियो में रहने वाले,गांव देहातो के कच्चे मकानो में रहने वाले जनता मालिको के बिच जाकर उनकी जमिनी हकिकत के बारे में अपडेट होकर उनकी गरिबी भुखमरी समाप्त करने के लिए सेवा और बेहत्तर मदत की गयी है इसकी झांकी तो चालीस करोड़ बीपीएल भारत का नजारा देखकर पता चल जाता है|वर्तमान की भाजपा सरकार में भी तो धन्ना कुबेरो के बिच हर रोज एसी कमरो और मंचो में बाते और मुलाकाते के साथ साथ एसी मंच से भाषन अश्वासन भी सबसे अधिक अबतक हो रही है| जिनमे ज्यादेतर तो सारी प्रक्रिया देखकर मुझे तो गरिबो के बिच बिना गए उनकी गरिबी को दुर करने की सोच कहीं से भी ऐसी प्रभावी नेतृत्व नही लगती कि उसे कांग्रेस से अलग कही जा सके गरिबी भुखमरी को दुर करके सबके अच्छे दिन लाने को लेकर|क्योंकि गरिबी हटाओ कहकर कांग्रेस की भी साठ साल देश का नेतृत्व में अबतक जो चालीस करोड़ बीपीएल भारत मौजुद है, उसकी गरिबी को भाजपा इसी तरिके को अपनाकर दुर कर देगी ये उन्ही की जुबान में जुमला ही लगती है|जो चाहे कितने ही कार्यकाल पुरा करे और सारे सेवक रिटायर होकर क्यों न अति बुढ़ापा की वजह से घर में बैठ जायं,तो भी जिस प्रकार कांग्रेस की एक युवा पिड़ि आधुनिक भारत गरिबी हटाओ कहते कहते बुढ़ा होकर कांग्रेस की भारी हार देख चुकी है, और अपने रोजमरा जिवन में चारो तरफ चालीस करोड़ बीपीएल भारत भी देख रही है उसी प्रकार भाजपा भी आज की युवा पिड़ी को बुढ़ापा में गरिबी भुखमरी ही दिखने की नेतृत्व कर रही है|क्योंकि कांग्रेस मुक्त कहकर कांग्रेस की ही नितियो और नेताओ से भाजपा कांग्रेस युक्त होकर वह ज्यादे दिनो तक युवा भारत कहकर युवाओ को भी हर साल दो करोड़ को नौकरी देगी भाजपा सरकार झुठी बाते करके अपनी नकामी को अपनी तड़क भड़क स्कील हुनर और अन्य तरह की मानो सरकार की टाईम पास उँट के मुँह में जीरा निति के नाम से जुमलाबाजी जादुगरी द्वारा नजरबंद नही कर पायेगी,बल्कि सच्चाई सबके सामने आयेगी और यही साबित होगा की कांग्रेस का साठ साल की तरह भाजपा का साठ महिना भी फेल साबित हुआ है गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी समाप्त करने और सबके अच्छे दिन लाने में|चाहे जितनी तारिफे सरकार की हो, मैं तो अपनी मंथन में कांग्रेस और भाजपा दोनो को ही कभी भी बेहत्तर सरकार नही मानुँगा और न ही इन दोनो पार्टी को फिर से कभी केन्द्र में आगे तबतक के लिए मौका देने को कहुँगा जबतक की कोई तीसरी पार्टी एकबार भारी बहुमत से सरकार चुने जाने के बाद गरिबी भुखमरी समाप्त करने में वह भी फेल साबित न हो जाय|वह भी यदि नकाम हुई तो भी भाजपा कांग्रेस को तब मौका देने के लिए कहुँगा जब कोई चौथी पार्टी इन दोनो पार्टियो से खुदको कम बेहत्तर प्रदर्शन करेगी जनता मालिक की सेवा में|जाहिर है यदि सचमुच का भारी बदलाव चाहिए तो कांग्रेस भाजपा को अब लंबे समय तक चुनना ही नही चाहिए देश की सरकार के रुप में|क्योंकि इन दोनो पार्टी की दी हुई भारी बदलाव चालीस करोड़ बीपीएल भारत है|जिनमे से यदि संसद सत्र के दौरान संसद के आस पास करोड़ो न सही यदि लाखो भिड़ भी अपनी गरिबी भुखमरी हालत में एक साथ एकता बनाकर खाली पेट किसी बाढ़ की तरह घुस आए डीजिटल स्मार्ट सिटी में अन्न जल रोटी कपड़ा मकान शिक्षा चिकित्सा बिजली सड़क इत्यादि की मांग जिस तरह सेवको के परिवार और बच्चो को उपलब्ध है उसी तरह की मांग करके,तो ही सायद भाजपा कांग्रेस को यकिन होगी की उनकी नेतृत्व में देश में अच्छे दिन आ गए कहना सिर्फ भाषनो और अश्वासनो में ही सोभा देता है जुमलाबाजी के रुप में,हकिकत में तो गरिबी भुखमरी और बदहाली से हर रोज मौत का आंकड़ा बड़ते ही जा रही है|जिन्हे गरिब करने वाले हक अधिकारो के बड़े बड़े चोर लुटेरे तो मेरे ख्याल से अगर वाकई में स्वर्ग नर्क होती होगी तो उपर नर्क में भी जाकर गरिबी भुखमरी से भी कई गुणा दर्दनाक ऐसी सजा पायेंगे की उनकी आत्मा को भी अगलीबार मनुष्य के रुप में जन्म लेने से पहले डरावनी भुत बनकर उल्टे उसी को ही निचे डर महसुस होगी कि मनुष्य जन्म लेकर भी ये सोचकर कि कहीं नर्क में सजा मिलने के बाद निचे धरती में भी तो उससे भी बड़ी सजा भगवान द्वारा तय नही की गयी है?जहाँ से वे पहले किसी की हक अधिकार अमिरी चुसकर और खुद उधारी अमिर बनकर परजिवी मच्छड़ खटमल और जू की तरह उधारी जिवन जिने के बाद उपर नर्क की सजा काटने गए थे|हलांकि मैं स्वर्ग नर्क को तबतक सत्य की तराजू में तौलकर पुरी तरह सत्य नही मानता जबतक की स्वर्ग में सेवा देने वाले और नर्क में सजा देने वाले खुद इंसानो की बनाई लाईव मीडिया के सामने आकर प्रेस वर्ता करके घंटो लाईव जानकारी नही दे देते की उपर क्या क्या इंतजाम की हुई है निचे की पाप पुन्य खातो के सहारे किसी के लिए स्वर्ग नर्क तय करके|जो जबतक नही हो जाती तबतक तो इंसान अलग अलग अपने नजरिये से स्वर्ग नर्क के बारे में मन से स्वर्ग नर्क की दर्शन करके उसके बारे में और उसे बनाने वाले के बारे में भी बतलाने के लिए कई अलग अलग धर्म भी बनते रहेंगे और अलग अलग मंदिर मस्जिद और चर्च भी बनते रहेंगे वह भी एक ही स्वर्ग नर्क की मान्यता और एक ही भगवान की मान्यता सभी धर्मो द्वारा स्वीकार करके की इस सृष्टी और सारे इंसानो का भी जन्म एक ही भगवान की कृपा से हुआ है न कि अलग अलग भगवान द्वारा हुआ है कि सभी अलग अलग होकर अपनी अपनी मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा अलग अलग बनाकर ये मान्यता दे कि ये इस धर्म का है और वह उस धर्म का है| एक भगवान का एक धर्म और एक पुजा स्थल कौन है, जहाँ पर सभी इंसान ही नही बल्कि सृष्टी के सारे जिव निर्जिव और एलियन भी यदि पुजा करते हो तो सभी उस एक जगह ही जाते हो और उस एक भगवान की ही पुजा करते हो बिना धार्मिक दंगा फसाद के?जिसके बारे में यदि सभी इंसानो को पता रहता तो वे सभी एक साथ उसी तरह की पुजा स्थल की निर्मान करते जिसके बाद एक ही भगवान को पुजने के लिए किसी अलग अलग धर्मो के नाम से मंदिर मस्जिद और चर्च वगैरा की अलग अलग निर्माण करने की जरुरत भी नही पड़ती और सभी एक ही तरह की पुजा स्थल के निचे मिल जुलकर एक ही भगवान की पुजा कर रहे होते|जिसके बाद कोई धार्मिक वाद विवाद और दंगा फसाद खुन खराबा भी नही होता|
बदहाली और गरिबी भुखमरी
गरिबी हटाओ के नाम से सरकारी जन धन खाता और सरकारी राशन कार्ड धराकर भी हजारो की हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत की कतार नोटबंदी में हुई मौत की कतार लिस्ट से भी ज्यादे बड़ी लिस्ट हर रोज भुखमरी और गरिबी से होनेवाली मौत की कतार लिस्ट बड़ते ही जा रही है|दुसरी तरफ मुठीभर धन्ना कुबेरो को छुट और माफी के रुप में इतनी बड़ी राशि की जिससे की किसी छोटे मोटे पुरे राज्य का बजट बन जाय, जिस छुट और माफी को हर साल पाने के लिए धन्ना कुबेरो की भी कतार कुछ इसी तरह ही बड़ते ही जा रही है|पर इन दोनो के बिच अमिरी गरिबी के साथ साथ छुट और माफी की भी दिवार कितनी बड़ी है, उसे खुद भी गहराई से मंथन करके समझने की कोशिष करते हुए उसे अपनी नजरिये से मैं अपना विचार सत्य ज्ञान के रुप में बांट रहा हुँ|जिसके बारे में पाठको द्वारा एक तस्वीर को भी झांकी के रुप में उसपर लिखी गयी कड़वा सत्य को देख पढ़कर समझकर मेरे भितर की विचारो को समझने की कोशिष की जा सकती है|जिसके बारे में मैं अपना विचार व्यक्त करके वर्तमान के अच्छे दिन आने के बारे में जाहिर है मेरी तरफ से तो कड़वा सत्य का ही उजागर करुँगा| जिसे मात्र पढ़कर मेरे ख्याल से किसी पाठक को कोई तकलिफ नही पहुँचनी चाहिए|खासकर यह जानते हुए कि इस सोने की चिड़ियाँ कहे जानेवाला अजाद देश में जहाँ पर दुनियाँ की सबसे अधिक समृद्ध खनिज संपदा और मानव बल का भी अपार ताकत मौजुद है, वहाँ की वर्तमान हालात इतने बुरे हैं कि भले जेल में भी अपराधी को करोड़ो रुपये की जिवन निगरानी और बिरयानी खिलाई जाती रही है जेड सुरक्षा से भी अधिक की सुरक्षा और महंगी खान पान देकर पर जेल से बाहर करोड़ो गरिबो की जिवन भुखमरी कुपोषन से मारे जाने की ऐसे बुरे दिन गुजर रहे हैं,जिसे तो मैं कहुँगा किसी अजाद नागरिक के लिए मौत सजा से कम नही है ऐसे किसी समृद्ध देश में गरिबी भुखमरी से मरना,वह भी किसी जनता सेवक के द्वारा वोट लेते समय बार बार जनता मालिक कहकर उसी गरिब जनता मालिक की कृपा से खुद तो मंत्री पद की शपथ लेकर देश की संसाधनो का भरपुर उपयोग करके अपने लिए गाड़ी बंगला और जेड सुरक्षा की सारी सुख सुविधा लेने की व्यवस्था हो,पर जनता मालिक जनता मालिक कहकर गरिब सेवा करते करते उसी सेवको के ही नेतृत्व में हर रोज अनगिनत नागरिको की गरिबी भुखमरी से मौत भी जारी है लंबे समय तक|और खासकर जहाँ पर आजतक एक भी सेवक मंत्री और उच्च अधिकारियो की मौत गरिबो की सेवा करते हुए भुखमरी और कुपोषन से न हुई हो,और जो मंत्री बनकर खुदको बार बार उस गरिब जनता मालिक का नौकर बतला रहे हो,जिसके मालिको की मौत हर रोज हजारो की संख्या में हो रहा हो और खुदको नौकर बतलाने वाला पाँच साल के बाद भी लाखो रुपये की पेंशन भी पाकर अपने गरिब जनता मालिक की अच्छे दिन लाने की सेवा के नाम से हर रोज गरिबी भुखमरी से अनगिनत की मौत अब भी जारी है| तो फिर गरिबी हटाओ कहकर अजादी से अबतक इस देश के नागरिको की औसतन उम्र से अधिक का समय बित चुकी है गोरो से अजादी मिले उसके बावजुद भी कई कई लाख बल्कि करोड़ गरिबो की मौत होकर जो अब दुनियाँ से ही हट गए हैं ,ऐसी आधुनिक भारत कर देने की साठ साल की आधुनिक भारत गरिबी हटाओ भाषन अश्वासन के बाद आई सरकार और आज की भी फिर एकबार साठ महिना साईनिंग इंडिया के बाद साठ साल बनाम साठ महिना भाषन अश्वासन देकर आई साईनिंग इंडिया का अपडेट डीजिटल इंडिया की सरकार में क्या अंतर आई है हर रोज गरिबी भुखमरी की मौत में?जिसे तो मैं कहुँगा आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ और साईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया युक्त दोनो ही हालातो में गरिबी भुखमरी सिर्फ अपडेट होती रही है|क्योंकि आज भी तो गरिब जनता मालिक ही मर रहा है गरिबी भुखमरी से|या फिर अपकीबार की संसद सत्र में किसी मंत्री सेवक या उच्च अधिकारी की भी गरिबी भुखमरी से मौत हो गयी अपने गरिब जनता मालिक की सेवा करते करते,जिसकी आत्मा की शांती के वास्ते दो मिनट की मौन वर्त रखी जाय खबर लाईव संसद बहस देखते समय गरिब जनता मालिक को सुनने देखने को मिलने वाली है|जो गरिब जनता अपने बिच में मौजुद करोड़ो गरिब जनता मालिको में से ही हजारो की मौत गरिबी भुखमरी से हो रही है, इसकी खबर तो आंकड़ो के साथ देखता सुनता और पढ़ता ही रहता है| जिसे रोज ही बार बार पढ़ सुन और देखकर मुझे भी रहा नही गया इस बुरे हालात के बारे में अपनी विचार शोशल मीडिया में बांटने की और इस गरिब जनता मालिक के बुरे दिनो की झांकी के रुप में इसे पेश किया है|जिसके बारे में बहुत कुछ बतानी और लिखनी तो अभी बाकी है|जिसके बारे में सबकुछ जानकर भी ये गरिब जनता मालिक सिवाय किसी को अपनी कृपा से वोट करके मंत्री पद की शपथ दिलाकर एक झटके में ही चाहे क्यों न कोई कितना गरिब हो अमिरी सुख सुविधा की जिवन प्रदान करा सकता है, पर उस जनता मालिक की गरिबी जिवन को गरिबी हटाओ सेवा के नाम से जब अजादी समय पुरे देश की अबादी चालीस करोड़ थी उस समय आधुनिक भारत के नाम से लेकर गरिबी हटाओ और अब साईनिंग इंडिया के बाद डीजिटल इंडिया में सबके अच्छे दिन आने वाले हैं गरिबो की सेवा के नाम से वही चालीस करोड़ अबादी जितनी अबादी बीपीएल भारत,जिसमे भी हजारो हर रोज गरिबी भुखमरी से मारे जा रहे हैं, और अच्छे दिन है कि अबतक सिर्फ मुठिभर अबादी के हिस्से में ही लाये जा रहे हैं|जिनके लिये तो एक एक को हर साल इतनी माफी और छुट मिलती है कि उससे किसी छोटे मोटे राज्य की पुरी एक साल की बजट ही चल जाय|जिनके लिए तो हजारो करोड़ की कर्ज में भी भगोड़ा घोसित करके भी हजारो करोड़ की माफी लोरी सुनाकर विदेशी घी पीलाई जा रही है|जिस तरह की भेदभाव सेवा के बारे में प्रयोगिक जिवन के बारे में मंथन करता ये पिड़ित मन भी संघर्ष करते हुए गरिब जनता मालिक के ही बिच अपने भितर न जाने कितने ही गमो को छिपाकर हर रोज हजारो की तादार में गरिब मरते हुए जानकर भी सुख दुःख का लहर मार रहा है,जिसमे से उठी ये कड़वा सत्य किसी ऐसी भारी बदलाव सुनामी के बारे में भी बतला रहा है जो भविष्य में मेरा ये सत्य ज्ञान पढ़ने वाले पाठको को याद करने के लिए मजबुर करेगी की मैं क्या कहना चाह रहा था वर्तमान के इस बुरे दिनो के बारे में| जिसे भविष्यवाणी कहना नादानी होगी| जिस तरह की कड़वी सच्चाई के बारे में सत्य जानने वालो का मन एक जगह किसी सागर की तरह शांत पड़े योग मुद्रा में भी स्थिर पड़े पड़े पुरी दुनियाँ की चक्कर इतना लगाता रहता है कि जितना कोई हवा हवाई चक्कर भी पुरी दुनियाँ की कई बार लगाकर किसी सागर से ज्यादे इस जमिनी हकिकत की चक्कर नही लगा सकता|चाहे क्यों न वह जवानी से लेकर बुढ़ापा और बुढ़ापा से लेकर आगे की भी जिवन काट ले उस गरिबी भुखमरी सत्य के बारे में जानने की कोशिश आसमानी हवा हवाई ज्ञान से पुरी सत्य जानने की कोशिश करके उसे जड़ से मिटाने के लिए पुरी दुनियाँ की हवाई यात्रा कर ले|वह उसे कभी मिटा नही पायेगा जबतक की जमिनी हकिकत को जानकर जनता मालिक की सेवा के नाम से हक अधिकार उन्हे बिना भेदभाव के दिया नही जायेगा|और चुँकि इस देश में छुवा छुत भेदभाव करने वाले एक भी भ्रष्ट सोच इस जमिनी हकिकत की उदाहरन के तौर पर मौजुद रहेगी,तबतक कोई मेरे द्वारा लिखे गए इस विचार के बारे में जिसमे मैने बतलाया है कि सेवा के नाम से भी किस तरह की भारी भेदभाव हो रही है ,उसे झुठ बतलाने वाले तो उसदिन का इंतजार करे जब इस देश से छुवा छुत और उच्च निच की गंदगी फैलाने वाली भ्रष्ट बिमारी जो की दरवाजा बंद करके की जाती रही है|जिनमे से वे लोग ज्यादेतर नही होते जो खुले में झाड़ के पिच्छे और पेड़ के निचे मल मुत्र करने को लेकर आये दिन बदनाम हो रहे हैं देश बदनाम करने को लेकर|जबकि शारिरिक मल मुत्र गंदगी से भी ज्यादे की गंदगी अथवा अपने सर में मैला ढोने से भी बड़ी गंदगी छुवा छुत की गंदगी करने वालो के द्वारा छुवा छुत गंदगी हजारो सालो से झेलना जारी है|जिस छुवा छुत गंदगी के चलते शोषित मानो अपना सर का ताज सौंपकर अपने सर में मैला ढोकर भी बैठाते रहे हैं जन्म से उच्च विद्वान पंडित सुन सुनकर और कई बार तो उनकी पुजा करके आरती भी उतारी जाती रही है |जिस तरह की ही आरती भविष्य में भी कहीं न उतरवाने की प्लानिंग अपडेट छुवा छुत करके न चल रही हो|क्योंकि आजतक भी बहुसंख्यक पिड़ित समाज का सर में मैला ढोना और छुवा छुत का शिकार होना जारी है|जाहिर है गणतंत्र के चारो स्तंभो की उच्च पदो समेत सेवा में भी भारी भेदभाव जारी है इससे कोई इंकार नही कर सकता यदि उसे मेरा ये सत्य संदेश सत्य लगता हो|
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