फुटपाथ में भी सोता है प्रधान सेवक के जनता मालिक


गरिबी भुखमरी और बदहाली वगैरा के बारे में अबतक का बांटा गया मेरा सत्य संदेश जिनको कुछ अलग तरह की ज्ञान वर्धक लगा होगा उन्हे तो जरुर अच्छा लगा होगा पर बाकि जिनको भी अच्छा नही लगा होगा वे तो इसे वैसे भी कभी नही पसंद करने वाले हैं,और न ही आगे भी इस तरह की मेरे विचारो पर यकिन करने वाले हैं| पर चूँकि वे भी मेरा ये सत्य ज्ञान ले चुके हैं यदि इसे पढ़े होंगे इसलिए मैं कह सकता हुँ कि यदि जिवन में कभी उन्हे मेरे द्वारा बांटी गयी यह सत्य संदेश को सत्य मानकर अपने भितर झांककर कड़वा सत्य को स्वीकार कर लिए तो उन्हे भी उस सागर दिल की गहराई के बारे में महसुस होगी जो उनके भितर भी कहीं न कहीं मौजुद है सत्य के रुप में|जो यहसास उन्हे जब हो जायेगा उसीदिन उनके भितर की वह असत्य अँधेरा मिटेगा जो उन्हे हर रोज हजारो नागरिको की गरिबी भुखमरी से मौत के बावजुद भी अच्छे दिन आ गए कहकर झुठ फैलाई जा रही है उन परिवारो के बिच भी जिनके अपनो की हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत हो रही है|जो लोग भी एकदिन किसी मंत्री या उच्च अधिकारी की मौत गरिबी और भुखमरी से हो गयी है, जिसकी दो मिनट की मौन वर्त रखी जा रही है, लाईव खबर सुन और देखकर सोक संदेश की घड़ी में गरिब जनता मालिक भी अच्छे दिन आ गए कहकर आधुनिक साईनिंग और डीजिटल जस्न मनायेगी तब सायद वर्तमान की भी खुदको गरिब सेवक सरकार कहने वालो को समझ में आयेगी की जनता मालिक के बिच में चालीस करोड़ बीपीएल और उसके बिच भी हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी हो इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में जहाँ पर किसी नागरिक को तो माफी और छुट में ही बिना हाथ फैलाये ही हजारो करोड़ दे दी जाती हो तो उसे अच्छे दिन आ गए हैं ऐसी भेदभाव सेवा से कहना ऐतेहासिक ऐसी झुठ ही होगी, जिसमे अच्छे दिन आने के नाम से किसी नोटबंदी में होनेवाली मौत कतार से भी ज्यादे मौत हर रोज हो रही है सभी गरिबो के लिए अच्छे दिन न लाकर|मेरे लिए तो किसी एक नागरिक की भी भुखमरी और गरिबी से मौत होना जन धन खाता और राशन कार्ड होने के बावजुद भी ये सरकार की इतनी बड़ी नकामी होगी कि उसे जानकर तो मैं यदि देश का नेतृत्व कर रहा होता तो भले ही क्यों न इस समृद्ध देश की समृद्धी को जिसकी संसाधन से न जाने कितने देशी विदेशी धन्ना कुबेर बने और आज भी बन रहे हैं,मंत्री सेवक और उच्च अधिकारी तो अपनी सेवा पाते ही उसका भरपुर उपयोग कर रहे हैं उन्ही संसाधनो और खनिज धन संपदा से ही|जिसका उपयोग करके ही जब एक एक धन्ना कुबेर को हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी देकर कर्ज देकर भगोड़ा घोषित करके मानो लोरी सुनाकर विदेशी घी भी पिलाई जाती है तो,सभी गरिब और बेरोजगार को कम से कम एक एक लाख रुपया उनके खातो में डालकर हर साल किसी गरिब को एक लाख तक की भी माफी न सही पर सरकार चुने जाने के बाद एकबार सभी गरिब को एक एक लाख की राशि या फिर उसी मुल्य की कोई जमिन या किमती खनिज संपदा वगैरा देकर उसे पाँच साल बाद तो माफी दी जा सकती है|मेरे कहने का मतलब साफ है कि यदि हर साल एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की माफी और छुट दी जाती है तो फिर सभी गरिब को कम से कम एक एक लाख की सहायता उसकी गरिबी दुर करने के लिए उनके खातो में सिधे पहुँचाकर या फिर उस मुल्य का कोई वस्तु पहुँचाकर उसकी गरिबी भुखमरी दुर करने में सिधे तौर पर मदत क्यों नही एकमुस्त पहुँचाई जा रही है?क्यों गरिबी भुखमरी समाप्त करने के नाम पर सिर्फ मानो इतनी ही मदत पहुचाई जा रही है जिससे की गरिब खाते जाय और तुरंत हगते जाय,बचत के नाम से अमिरी ताकत तो उसके पास कभी जमा हो ही नही पायेगी,बल्कि खिलाया भी इतना ही जा रहा है कि वह सिर्फ जिंदा रहकर दुसरो की अमिरी को बरकरार रख सके और साथ साथ उसे बड़ने में अपनी खुन पसिना दिन रात लगा सके|जिस मदत को भी ठीक से पहुँचाने में सरकार नकाम रही है और एक प्रधान सेवक के ही द्वारा कभी ये कह दी जाती है कि गरिब जनता तक मदत पहुँचते पहुँचते बिच में ही एक रुपये में पचासी पैसे चोरी और लुट ली जाती है|जो यदि वर्तमान की डीजिटल सरकार की दावा करने वाली प्रधान सेवक की नेतृत्व में कही गयी बाते की एक रुपये की भी चोरी और लुट नही हो रही है इसे यदि सत्य मान लिया जाय तो फिर तो एक रुपया में पचासी की चोरी और लुट होती है कहने वाले प्रधान सेवक के समय तो सरकारी मदत गरिबो तक पुरी नही पहुँच पाती थी इसलिए उन गरिबो में से हर रोज अनगिनत गरिबो की भुखमरी और कुपोषन से मौते होती रही पर अभी भी जो गरिबी भुखमरी से मौते जारी है वह क्या सरकारी मदत और राशन वगैरा से ही क्या भुखमरी कुपोषन दी जा रही है जिसकी वजह से गरिबो की गरिबी भुखमरी समाप्त होने के बजाय आज भी हर रोज अनगिनत गरिबो की समाप्त होने की खबरे और आंकड़े आ रही है?जिसे जानकर तो मुझे यदि इन सब बुरे हालातो को दुर करने का मौका मिलता तो सरकार शपथ लेते समय ही नेतृत्व के रुप में सबको घोषना नही बल्कि ऐसी वचन देता जिसे पुरा नही किये जाने पर खुदको आजिवन गरिबी की सजा देता अपनी सरकारी पेंशन को त्यागकर नागरिको को मिलने वाली चंद रुपये की पेंशन जितने में मेरे ख्याल से किसी वृद्ध की दवा भी ठीक से नही खरिदी जा सकती है तो वह ठीक से खा पी कैसे सकता है उतनी की सरकारी पेंशन से,जिसे ही मैं भी लेता और हमेशा गरिबो के बिच ही देश की गरिबी भुखमरी जबतक समाप्त नही हो जाती तबतक रहकर सरकारी राशन ही खाता जबतक की गरिबी भुखमरी पुरे देश से समाप्त नही हो जाती|जो यदि जिवनभर भी समाप्त नही होती तो फिर गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के के बिच खुद भी अपनी पुरी जिवन ही क्यों न गरिबी भुखमरी का शिकार होकर काट देता पर मैं सेवक बनने के बाद सेवक पद से हटने के बाद जो मोटी सरकारी पेंशन मिलती है उसे नही लेता भले ही क्यों न कितना ही गरिबी भुखमरी में जिवन जिने को मजबूर होता अपनी वचनो को न तोड़ने की वजह से|जिस दौरान चाहे जो भी शारिरिक मेहनत का या बुद्धी बल का काम करता इस देश की न्यूनतम मजदुरी से अधिक की श्रम मोल कभी भी नही लेता जिसकी भी मैं वचन ले लेता अपने नेतृत्व में गरिबी भुखमरी समाप्त करने में असफल होने पर| क्योंकि मेरे लिए इस सोने की चिड़ियाँ में इस देश की सरकार बनने के बाद मंत्री और उच्च अधिकारी बनकर गरिब जनता मालिक की सेवा करने का नेतृत्व करके और किमती संसाधनो का भरपुर उपयोग करके सारी सुख सुविधा लेकर भी यदि अपनी पुरी कार्यकाल समाप्त करने के बाद भी गरिब जनता मालिक की गरिबी भुखमरी समाप्त नही होती है और सिर्फ मुठीभर लोगो की ही गरिबी भुखमरी समाप्त होती है तो ये नेतृत्व मेरे लिए यैसी हार है जिसके बाद कोई जीत ही नही होती है, जबतक की जिस वचन के साथ सेवा ली गयी है उसे पुरी तरह से निभानेवाली ऐसा महान सेवक न आ जाय जो उन वचनो को पुरा करके सचमुच का गरिबी को हटा दे,न कि गरिबी हटाओ के नाम से सिर्फ मुठिभर लोगो के लिए तो आधुनिक भारत साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया अच्छे दिन आ गए हो पर चालीस करोड़ बीपीएल भारत के साथ साथ शोषित पिड़ित अबादी के बिच ही बहुसंख्यक अबादी भुखमरी से संघर्ष करते हुए हर रोज हजारो लोग गरिबी भुखमरी से इस अच्छे दिन आनेवाले हैं कहनेवाली सरकार की भी अश्वासन भाषन सुनते सुनते और अपनी गरिब सेवा कराते कराते गरिबी भुखमरी न हटने के कारन मर रहे हैं, और दुसरी तरफ मुठीभर लोग ही सिर्फ हर रोज अमिर से और अधिक अमिर बन रहे हैं|बल्कि वे तो हजारो करोड़ की कर्ज लेकर भी उसे न चुका पाने के बाद भी कर्ज लेकर सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित करके भी उन्हे मानो लोरी सुनाकर बाद में उनकी कर्ज माफी और छुट देकर विदेशी घी भी पिलाई जा रही है|दुसरी तरफ बहुसंख्यक गरिब अबादी को तो सिर्फ भाषन और अश्वासन ही पिलाई जा रही है गरिबी हटाओ और अच्छे दिन आनेवाले हैं कहकर सिर्फ मुठीभर अबादी के लिए खास बिन हाथ फैलाये ही हजारो करोड़ की छुट और माफी मिलनेवाली हजारो करोड़ की दिवाला कर देनेवाली खास गरिबी को हजारो करोड़ की छुट और माफी के रुप में देकर उसे विदेशी घी पीनेवाली अमिरी में बदलकर मुठिभर के लिए खास तरह की अच्छे दिन लाकर|जिस तरह की भेदभाव माफी और छुट मैं तो कम से कम नही करता बल्कि मैं तो कभी कभी ये तक भी विचार करता हुँ कि क्यों न जिस तरह एक बीपीएल और धन्ना कुबेर दोनो को ही एक एक वोट का अधिकार दिया गया है उसी प्रकार गरिब अमिर दोनो को ही एक ही वोट मशिन की तरह माफी और छुट देनेवाली मशिन लगाकर गरिब और अमिर दोनो को ही एक कतार में लगाकर बीपीएल राशन और धन्ना कुबेरो को भी हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी एक ही छत के निचे मिले|जिसे पाने के लिए अमिर गरिब दोनो ही अपनी अपनी माफी और छुट का कार्ड किसी राशन कार्ड की तरह ले जाकर उसमे चड़वा ले ये आँकड़ा कि उसने सरकार से कितनी की छुट और माफी ली है|ताकि क्यों छुट और माफी में इतनी भेदभाव की जा रही है उसके बारे में गरिब अमिर एक कतार में लगकर अपनी माफी और छुट के बारे में तुलना करके प्रयोगिक रुप से ये जान सके कि कितनी बड़ी भेदभाव सेवा प्रदान की जा रही है अमिरी और गरिबी की दुरी को मिटाने के नाम से |जबकि संविधान में सब नागरिको को क्या धन्ना क्या गरिब जिने का अधिकार बराबर मिला है|पर जो गरिब है वही हर रोज गरिबी भुखमरी से क्यों मर रहा है इस अजाद देश में संविधान लागू होने के बावजुद भी?क्यों इस देश की अमिरी जो इस देश की धन संपदा वगैरा से भी हर रोज निकाली जा रही है दिन रात उसमे से किसी को हजारो करोड़ की छुट और माफी दी जा रही है तो किसी को हजार बजार की राशन पानी भी ठीक से नही पहुँच पा रही है? और वह कभी इस जड़ से सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली समृद्ध भुमि में गरिबी भुखमरी से भी हर रोज अनगिनत की तादार में मर रहा है|क्या कोई गरिब नागरिक गरिबी भुखमरी से मरने के लिए वोट करता है चुनाव के समय किसी की मुँह से गरिबी हटाओ और अच्छे दिन आने वाले हैं भाषन अश्वासन सुनकर?बल्कि मैं तो ये दावा करके कह सकता हुँ कि यदि उस गरिब नागरिको को चुनाव के बाद अपने सेवको की खर्च बजट बनाने के लिए जिम्मेवारी दिया जाय की वे अपनी सेवा जिससे कराने के लिए जनता मालिक का सेवक के रुप में चुने हैं, उसकी सेवा पाने के बदले या सेवा लेते समय क्या क्या वे अपने सेवको को देंगे, तो मुझे पुरा विश्वास है कि ज्यादेतर गरिब तो फुटपाथो में सोकर और झुगी झोपड़ियो गांव देहातो की कच्ची मकानो में रहकर खुद गरिब जनता मालिक होकर अपने सेवको के लिए ये अमिरी बजट बनाने से इंकार कर देंगे की गरिबो की सेवा करने के लिए कोई सेवक शपथ लेने के बाद लाखो रुपये तनख्वा पाकर खुद अमिर बनकर सेवा करे सरकारी गाड़ी बंगला और देश की अन्य सुख संसाधनो का भी भरपुर उपयोग करके और अपनी खुदकी सुरक्षा में जेड सुरक्षा भी लेकर महंगी काफिला के जरिये अपना जनता मालिक बताकर किसी गरिबी में जी रहा नागरिक की फुटपाथो और झुगी झोपड़ी कच्ची मकानो में सेवा करने आए उसे कुछ अजीब लगेगा यदि सचमुच का कोई पंद्रह बीस लाख का सुट बुट लगाकर उसकी सेवा करने उसके पास आए ये कहते हुए की मैं बंगला गाड़ी जहाज वगैरा महंगी महंगी सुख सुविधा के बिच एसी के में सबसे अधिक समय बिताने वाला आपका नौकर हुँ और आप गरिबी भुखमरी से मर रहे लोग मेरे जनता मालिक हैं|हलांकि इस तरह की झांकी वोट लेने के लिए चुनाव के समय हाथ जोड़कर थोड़ी समय के लिए जहाज से भी किसी गरिब के पास फुटपाथो झुगी झोपड़ियो और गांव देहातो की कच्ची मकानो में भी जाकर हाथ जोड़कर गले मिलने की भी पीपली लाईव खुब चलती है, पर उसके बाद लगभग ये नजारा गायब हो जाती है चुनाव आने तक|जिसके बाद जमिनी गरिबी भुखमरी दिखाई नही देती है महंगी हवा हवा हवाई यात्राओ में|आगे क्या होता है ये वर्तमान की डीजिटल सरकार में भी देखी सुनी और पढ़ी जा सकती है कि आज किस तरह चारो तरफ साफ सुथरा और अच्छे दिनो का माहौल है उस सरकार और उसके समर्थको की नजर में जिनको सायद ही देश की गरिबी भुखमरी दिखाई सुनाई दे रही होगी इस समय|बल्कि खुदको गरिबो का प्रधान सेवक कहने वाले इस देश के प्रधानमंत्री को भी ऐसा चमत्कारी नजारा दिखलाई दे रहा होगा जो सायद उनकी ही पार्टी की पिछली साठ महिने की साईनिंग इंडिया सरकार में भी मानो किसी मिस्टर इंडिया की तरह गायब थी वर्तमान की भाजपा की चमत्कारी नेतृत्व|जो सायद तबकी जनता मालिक को भी भाजपा रथ के चलते समय भिड़ में दिखलाई नही देती थी ये मिस्टर इंडिया की सरकार कि उसे उस समय इतनी भारी बहुमत से चुनी जा सके|जो अचानक से 2014 में किसी खास चस्मे से दिखलाई देने के बाद ही अच्छे दिनो की सेवा करने के लिए किसी काल्पनिक मिस्टर इंडिया की चमत्कार की तरह चमत्कारी सरकार अब प्रकट हो गयी है|हलांकि इससे पहले की भी साठ साल की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल और वर्तमान की भी डीजिटल भाजपा कार्यकाल के दौरान कितनी बार फुटपाथो में सोनेवाले,झुगी झोपड़ियो में रहने वाले,गांव देहातो के कच्चे मकानो में रहने वाले जनता मालिको के बिच जाकर उनकी जमिनी हकिकत के बारे में अपडेट होकर उनकी गरिबी भुखमरी समाप्त करने के लिए सेवा और बेहत्तर मदत की गयी है इसकी झांकी तो चालीस करोड़ बीपीएल भारत का नजारा देखकर पता चल जाता है|वर्तमान की भाजपा सरकार में भी तो धन्ना कुबेरो के बिच  हर रोज एसी कमरो और मंचो में बाते और मुलाकाते के साथ साथ एसी मंच से भाषन अश्वासन भी सबसे अधिक अबतक हो रही है|  जिनमे ज्यादेतर तो सारी प्रक्रिया देखकर मुझे तो गरिबो के बिच बिना गए उनकी गरिबी को दुर करने की सोच कहीं से भी ऐसी प्रभावी नेतृत्व नही लगती कि उसे कांग्रेस से अलग कही जा सके गरिबी भुखमरी को दुर करके सबके अच्छे दिन लाने को लेकर|क्योंकि गरिबी हटाओ कहकर कांग्रेस की भी साठ साल देश का नेतृत्व में अबतक जो चालीस करोड़ बीपीएल भारत मौजुद है, उसकी गरिबी को भाजपा इसी तरिके को अपनाकर दुर कर देगी ये उन्ही की जुबान में जुमला ही लगती है|जो चाहे कितने ही कार्यकाल पुरा करे और सारे सेवक रिटायर होकर क्यों न अति बुढ़ापा की वजह से घर में बैठ जायं,तो भी जिस प्रकार कांग्रेस की एक युवा पिड़ि आधुनिक भारत गरिबी हटाओ कहते कहते बुढ़ा होकर कांग्रेस की भारी हार देख चुकी है, और अपने रोजमरा जिवन में चारो तरफ चालीस करोड़ बीपीएल भारत भी देख रही है उसी प्रकार भाजपा भी आज की युवा पिड़ी को बुढ़ापा में गरिबी भुखमरी ही दिखने की नेतृत्व कर रही है|क्योंकि कांग्रेस मुक्त कहकर कांग्रेस की ही नितियो और नेताओ से भाजपा कांग्रेस युक्त होकर वह ज्यादे दिनो तक युवा भारत कहकर युवाओ को भी हर साल दो करोड़ को नौकरी देगी भाजपा सरकार झुठी बाते करके अपनी नकामी को अपनी तड़क भड़क स्कील हुनर और अन्य तरह की मानो सरकार की टाईम पास उँट के मुँह में जीरा  निति के नाम से जुमलाबाजी जादुगरी द्वारा नजरबंद नही कर पायेगी,बल्कि सच्चाई सबके सामने आयेगी और यही साबित होगा की कांग्रेस का साठ साल की तरह भाजपा का साठ महिना भी फेल साबित हुआ है गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी समाप्त करने और सबके अच्छे दिन लाने में|चाहे जितनी तारिफे सरकार की हो, मैं तो अपनी मंथन में कांग्रेस और भाजपा दोनो को ही कभी भी बेहत्तर सरकार नही मानुँगा और न ही इन दोनो पार्टी को फिर से कभी केन्द्र में आगे तबतक के लिए मौका देने को कहुँगा जबतक की कोई तीसरी पार्टी एकबार भारी बहुमत से सरकार चुने जाने के बाद गरिबी भुखमरी समाप्त करने में वह भी फेल साबित न हो जाय|वह भी यदि नकाम हुई तो भी भाजपा कांग्रेस को तब मौका देने के लिए कहुँगा जब कोई चौथी पार्टी इन दोनो पार्टियो से खुदको कम बेहत्तर प्रदर्शन करेगी जनता मालिक की सेवा में|जाहिर है यदि सचमुच का भारी बदलाव चाहिए तो कांग्रेस भाजपा को अब लंबे समय तक चुनना ही नही चाहिए देश की सरकार के रुप में|क्योंकि इन दोनो पार्टी की दी हुई भारी बदलाव चालीस करोड़ बीपीएल भारत है|जिनमे से यदि संसद सत्र के दौरान संसद के आस पास करोड़ो न सही यदि लाखो भिड़ भी अपनी गरिबी भुखमरी हालत में एक साथ एकता बनाकर खाली पेट किसी बाढ़ की तरह घुस आए डीजिटल स्मार्ट सिटी में अन्न जल रोटी कपड़ा मकान शिक्षा चिकित्सा बिजली सड़क इत्यादि की मांग जिस तरह सेवको के परिवार और बच्चो को उपलब्ध है उसी तरह की मांग करके,तो ही सायद भाजपा कांग्रेस को यकिन होगी की उनकी नेतृत्व में देश में अच्छे दिन आ गए कहना सिर्फ भाषनो और अश्वासनो में ही सोभा देता है जुमलाबाजी के रुप में,हकिकत में तो गरिबी भुखमरी और बदहाली से हर रोज मौत का आंकड़ा बड़ते ही जा रही है|जिन्हे गरिब करने वाले हक अधिकारो के बड़े बड़े चोर लुटेरे तो मेरे ख्याल से अगर वाकई में स्वर्ग नर्क होती होगी तो उपर नर्क में भी जाकर गरिबी भुखमरी से भी कई गुणा दर्दनाक ऐसी सजा पायेंगे की उनकी आत्मा को भी अगलीबार मनुष्य के रुप में जन्म लेने से पहले डरावनी भुत बनकर उल्टे उसी को ही निचे डर महसुस होगी कि मनुष्य जन्म लेकर भी ये सोचकर कि कहीं नर्क में सजा मिलने के बाद निचे धरती में भी तो उससे भी बड़ी सजा भगवान द्वारा तय नही की गयी है?जहाँ से वे पहले किसी की हक अधिकार अमिरी चुसकर और खुद उधारी अमिर बनकर परजिवी मच्छड़ खटमल और जू की तरह उधारी जिवन जिने के बाद उपर नर्क की सजा काटने गए थे|हलांकि मैं स्वर्ग नर्क को तबतक सत्य की तराजू में तौलकर पुरी तरह सत्य नही मानता जबतक की स्वर्ग में सेवा देने वाले और नर्क में सजा देने वाले खुद इंसानो की बनाई लाईव मीडिया के सामने आकर प्रेस वर्ता करके घंटो लाईव जानकारी नही दे देते की उपर क्या क्या इंतजाम की हुई है निचे की पाप पुन्य खातो के सहारे किसी के लिए स्वर्ग नर्क तय करके|जो जबतक नही  हो जाती तबतक तो इंसान अलग अलग अपने नजरिये से स्वर्ग नर्क के बारे में मन से स्वर्ग नर्क की दर्शन करके उसके बारे में और उसे बनाने वाले के बारे में भी बतलाने के लिए कई अलग अलग धर्म भी बनते रहेंगे और अलग अलग मंदिर मस्जिद और चर्च भी बनते रहेंगे वह भी एक ही स्वर्ग नर्क की मान्यता और एक ही भगवान की मान्यता सभी धर्मो द्वारा स्वीकार करके की इस सृष्टी और सारे इंसानो का भी जन्म एक ही भगवान की कृपा से हुआ है न कि अलग अलग भगवान द्वारा हुआ है कि सभी अलग अलग होकर अपनी अपनी मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा अलग अलग बनाकर ये मान्यता दे कि ये इस धर्म का है और वह उस धर्म का है| एक भगवान का  एक धर्म और एक पुजा स्थल कौन है, जहाँ पर सभी इंसान ही नही बल्कि सृष्टी के सारे जिव निर्जिव और एलियन भी यदि पुजा करते हो तो सभी उस एक जगह ही जाते हो और उस एक भगवान की ही पुजा करते हो बिना धार्मिक दंगा फसाद के?जिसके बारे में यदि सभी इंसानो को पता रहता तो वे सभी एक साथ उसी तरह की पुजा स्थल की निर्मान करते जिसके बाद एक ही भगवान को पुजने के लिए किसी अलग अलग धर्मो के नाम से मंदिर मस्जिद और चर्च वगैरा की अलग अलग निर्माण करने की जरुरत भी नही पड़ती और सभी एक ही तरह की पुजा स्थल के निचे मिल जुलकर एक ही भगवान की पुजा कर रहे होते|जिसके बाद कोई धार्मिक वाद विवाद और दंगा फसाद खुन खराबा भी नही होता|

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