संदेश

अगस्त, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यूरेशिया से आए हुए मनुवादी जिन्हे देव भी कहा जाता है ,वे कोई हिंदु भगवान नही हैं

चित्र
यूरेशिया से आए हुए मनुवादी  जिन्हे देव भी कहा जाता है  वे कोई हिंदु भगवान नही हैं  यानी अब उत्तर प्रदेश में होली ,दिवाली रक्षाबंधन , मकर संक्रांती वगैरा पर्व त्योहार मनाते हुए कोई नही दिखेगा ? झुठ की भी हद होती है | हिंदु धर्म विश्व में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है ,जो मनुवादीयों की मुठीभर अबादी से तीसरा बड़ा धर्म नही है | बल्कि इस देश का घर जमाई मनुवादी को परिवार का ज्ञान प्रदान करने वाली बहुजन डीएनए की ही नारी की वजह से मनुवादी हिंदु कहलाता है | मनुवादी तो असल में बारह माह प्रकृतिक पर्व त्योहार मनाने वाला हिंदु है ही नही ! बल्कि वह तो इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले परिवार समाज के बारे में भी नही जानता था | उसे हिंदू धर्म की इतनी समझ घर जमाई बनने के बाद हुआ है | लेकिन भी न जाने कबसे बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिये क्या क्या ब्रेनवाश करने की कोशिष नही की जा रही है ! चीन में मौजुद धर्म की अबादी बौद्ध धर्म से भी ज्यादे है ,पर बार बार ये कहा जाता है जैसे चीन में सबसे बड़ा धर्म बौद्ध धर्म है | एक बात निश्चित है कि हिंदु धर्म को कमजोर और बेकार साबित करने क

1947 ई० से लेकर अबतक दो तीन को छोड़ दिया जाय तो सारे प्रधामंत्री और राष्ट्रपति बल्कि जजो का प्रमुख भी विदेशी DNA के लोग बनते आए हैं

चित्र
1947 ई० से लेकर अबतक दो तीन को छोड़ दिया जाय तो सारे प्रधामंत्री और राष्ट्रपति बल्कि जजो का प्रमुख भी विदेशी DNA के लोग बनते आए हैं  विडंबना है कि इस देश में बहुसंख्यक अबादी इस देश के मुलनिवासियों की होते हुए भी अल्पसंख्यक विदेशी मुल का शासन चल रहा है | जो लोग छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से लोकतंत्र के चारो स्तंभो में कब्जा करके अल्पसंख्यक होने के बावजुद भी राज कर रहे हैं | जैसे की कभी गोरे अल्पसंख्यक होते हुए भी इस देश में राज कर रहे थे | उसी तरह विदेशी DNA मुल के लोगो द्वारा आज भी मंत्री और उच्च अधिकारी पदो में कब्जा करके राज किया जा रहा है | दरसल मैं बात कर रहा हूँ यूरेशिया से आए उन मनुवादीयों का जिनके पुर्वज हजारो साल पहले इस देश में आकर इस देश की महिलाओं के साथ परिवार बसाकर घर जमाई बनकर अपने पुर्वजो की धरती जहाँ से वे इस कृषि प्रधान देश में आए हैं , उसे मानो भुलाकर या फिर अपने पुर्वजो की धरती को भी पहचानने से इंकार करके दुसरो के उपर नजरे गड़ाकर दुसरो के हक अधिकार को लुटकर राज करने के लिए यहीं पर बस गए हैं | हो सकता है सायद उनका कोई अपना शासन व्यवस्था और अपना परिवा

राम मंदिर में किनके पुर्वजो की पूजा होगी जिन्हे शुद्र कहा गया है उनके पुर्वजो की या फिर जिन्हे ब्रह्मण , क्षत्रिय , वैश्य कहा गया है उनके पुर्वजो की ?

चित्र
राम मंदिर में किनके पुर्वजो की पूजा होगी जिन्हे शुद्र कहा गया है उनके पुर्वजो की या फिर जिन्हे ब्रह्मण , क्षत्रिय , वैश्य कहा गया है उनके पुर्वजो की ? पुरी दुनियाँ जानती है कि राम इस देश के मुलनिवासियों के पुर्वज नही है | फिर भी आखिर इस देश के मुलनिवासियों जिन्हे देव को अपना पुर्वज मानने वालो ने शुद्र निच घोषित करके हजारो सालो से छुवा छुत भेदभाव शोषण अत्याचार किया हैं , क्यों उन्हे भी राम से जोड़ा जाता है ? जबकि राम ने भी अपने रामराज में जिन्हे शुद्र निच कहा गया है , उस शंभुक की हत्या सिर्फ इसलिए कर दिया था , क्योंकि शंभुक ने शुद्र के लिये वेद ज्ञान मना रहने के बावजुद भी वेद ज्ञान ले लिया था | आखिर ये मनुवादी अपनी बेशर्मी त्यागकर कब इस बात पर शर्म करेंगे कि जिनके साथ वे भेदभाव शोषण अत्याचार हजारो सालो से करते आ रहे हैं , उन्हे भी अब अपनी स्वार्थपूर्ति के लिये जिन्हे वे शुद्र निच मानते हैं , उन्हे देव पुजक बताकर भी आजतक बेशर्म होकर भेदभाव शोषण अत्याचार क्यों करते रहते हैं | जिसे समझनी हो तो कोई भी अपने मन में एक सवाल करके पता कर सकता है कि मनुवादी जिस तरह खुदको देवो का