यूरेशिया से आए हुए मनुवादी जिन्हे देव भी कहा जाता है ,वे कोई हिंदु भगवान नही हैं
यूरेशिया से आए हुए मनुवादी जिन्हे देव भी कहा जाता है वे कोई हिंदु भगवान नही हैं
यानी अब उत्तर प्रदेश में होली ,दिवाली रक्षाबंधन , मकर संक्रांती वगैरा पर्व त्योहार मनाते हुए कोई नही दिखेगा ? झुठ की भी हद होती है | हिंदु धर्म विश्व में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है ,जो मनुवादीयों की मुठीभर अबादी से तीसरा बड़ा धर्म नही है | बल्कि इस देश का घर जमाई मनुवादी को परिवार का ज्ञान प्रदान करने वाली बहुजन डीएनए की ही नारी की वजह से मनुवादी हिंदु कहलाता है | मनुवादी तो असल में बारह माह प्रकृतिक पर्व त्योहार मनाने वाला हिंदु है ही नही ! बल्कि वह तो इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले परिवार समाज के बारे में भी नही जानता था | उसे हिंदू धर्म की इतनी समझ घर जमाई बनने के बाद हुआ है | लेकिन भी न जाने कबसे बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिये क्या क्या ब्रेनवाश करने की कोशिष नही की जा रही है ! चीन में मौजुद धर्म की अबादी बौद्ध धर्म से भी ज्यादे है ,पर बार बार ये कहा जाता है जैसे चीन में सबसे बड़ा धर्म बौद्ध धर्म है | एक बात निश्चित है कि हिंदु धर्म को कमजोर और बेकार साबित करने के लिये चाहे कोई जितना छल कपट करके अपना भ्रष्ट बुद्धी लगायेगा , हजारो सालो से हिंदु धर्म की अबादी विश्व में हिंदु धर्म की बुराई करने वालो को पिड़ी दर पिड़ी निराश करता आया है और आगे भी पिड़ी दर पिड़ी निराश करता रहेगा | जो लोग हिंदु धर्म की बुराई करते रहते हैं वे अपने बच्चो को भी हिंदु धर्म की बुराई करने की ट्रेनिंग जरुर देकर जायें अपनी यह भड़ास निकालने के लिये कि हिंदु धर्म आखिर इतनी बुराई सुनकर भी विश्व का तीसरा बड़ा धर्म आखिर कैसे बना हुआ है ? बौद्ध धर्म वालो को दरसल हिंदु पर्व त्योहार से जलन होती है ! इसलिए जब भी हिंदु पर्व त्योहार आते हैं , जैसे की अभी रक्षाबंधन आया हुआ है , तो हिंदुओं को पर्व त्योहार मनाते हुए देखकर निराशा में अंड संड बड़बड़ाते हुए हिंदुओ को ब्रेनवाश करने की कोशिष करते रहते हैं | इनसे अच्छा तो मुस्लिम , ईसाई धर्म के लोग हैं जो कि हिंदुओ से मिल जुलकर पर्व त्योहार मनाते हुए देखे जा सकते हैं | मैं तो कहता हूँ जो हिंदु बौद्ध बनकर हिंदु पर्व त्योहार आते ही अपने पुराने दिनो को याद करके निराश हताश होते हैं कि अब वे होली दिवाली ,मकर सक्रांती ,रक्षाबंधन वगैरा नही मना सकते वे वापस मन में यह ठानकर अपने पुर्वजो का धर्म में वापस आ जाय कि यूरेशिया से आए हुए मनुवादी जिन्हे देव भी कहा जाता है ,वे कोई हिंदु भगवान नही हैं | बल्कि हिंदु भगवान को बारह माह मनाई जानेवाली प्राकृति पर्व त्योहार के साथ प्राकृति की पुजा मसलन छठ पुजा वगैरा जो हिंदू पुजा जो होती है ,वह कोई कबिलई लुटेरे देवो की नही होती है | वह तो घुमकड़ कबिलई मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद घर के भेदियो की सहायता और छल कपट से इस देश की सत्ता में कब्जा करके खुदको भगवान बनाये हुए है | जैसे गुलाम बनाने वाला कोई क्रुर शासक अपने गुलामो का भगवान बना रहता है | कम से कम तबतक जबतक की उसकी क्रुर सत्ता का अंत नही हो जाता |
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