बाढ़ और सुखा में सरकार की बदइंतजामी का कहर आखिर कबतक
आधुनिक डीजीटल सरकार की बाढ़ और सुखा इंतजाम ,गर्मी आती है तो प्यासे मरने के लिए छोड़ती है,और बारिस आती है तो बाढ़ में मरने के लिए छोड़ती है|जिसे सिर्फ प्राकृत कोप कहकर आखिर कबतक करोड़ो लोगो कि जिन्दगी को खतरे में छोड़ दी जाती रहेगी?गर्मी आती है तो सरकार खुद मानो दुध से भी महंगी मिलने वाली बोतल बंद पानी पीकर करोड़ो लोगो को प्यासे मरने के लिये छोड़ देती है|और जब पानी इकठा करने के लिए बारिस का मौसम आती है तो बाढ़ से मरने के लिए छोड़ देती है|जबकि यदि प्राकृत कोप बहुत से नागरिको को प्यासा और बाढ़ जैसे बुरे हालात में मौत दे रही है,तो फिर धन्ना कुबेरो और मंत्री उच्च अधिकारी वगैरा की मौत बाढ़ में बहकर या प्यासा रहकर क्यों नही होती है?जाहिर है यदि धन्ना कुबेरो और मंत्री उच्च अधिकारियो के लिये डीजिटल इंतजाम हो सकती है,तो बाकि भी उन लोगो के लिये हो सकती है जो की बाढ़ की वजह से और गर्मी में पानी की कमी की वजह से भारी तादार में हर साल मारे जाते आ रहे हैं|और फिर भी ये आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल सरकार न तो साठ साल में ठीक से इंतजाम कर पाई और न ही साठ महिने में ही इंतजाम कर पायेगी|हाँ यदि बाढ़ का पान