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शनिवार, 28 जुलाई 2018

बाढ़ और सुखा में सरकार की बदइंतजामी का कहर आखिर कबतक

आधुनिक डीजीटल सरकार की बाढ़ और सुखा इंतजाम ,गर्मी आती है तो प्यासे मरने के लिए छोड़ती है,और बारिस आती है तो बाढ़ में मरने के लिए छोड़ती है|जिसे सिर्फ प्राकृत कोप कहकर आखिर कबतक करोड़ो लोगो कि जिन्दगी को खतरे में छोड़ दी जाती रहेगी?गर्मी आती है तो सरकार खुद मानो दुध से भी महंगी मिलने वाली बोतल बंद पानी पीकर करोड़ो लोगो को प्यासे मरने के लिये छोड़ देती है|और जब पानी इकठा करने के लिए बारिस का मौसम आती है तो बाढ़ से मरने के लिए छोड़ देती है|जबकि यदि प्राकृत कोप बहुत से नागरिको को प्यासा और बाढ़ जैसे बुरे हालात में मौत दे रही है,तो फिर धन्ना कुबेरो और मंत्री उच्च अधिकारी वगैरा की मौत बाढ़ में बहकर या प्यासा रहकर क्यों नही होती है?जाहिर है यदि धन्ना कुबेरो और मंत्री उच्च अधिकारियो के लिये डीजिटल इंतजाम हो सकती है,तो बाकि भी उन लोगो के लिये हो सकती है जो की बाढ़ की वजह से और गर्मी में पानी की कमी की वजह से भारी तादार में हर साल मारे जाते आ रहे हैं|और फिर भी ये आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल सरकार न तो साठ साल में ठीक से इंतजाम कर पाई और न ही साठ महिने में ही इंतजाम कर पायेगी|हाँ यदि बाढ़ का पानी के जगह यदि विदेशी शराब की बोतले या फिर तेल बह रही होती तो ये व्यापारी सरकार जरुर किसी न किसी तरिके से सब विदेशी शराब की बोतले और तेल को बटोरकर इकठा करने कि डीजिटल इंतजाम जल्दी से जरुर कर लेती|कांग्रेस युक्त भाजपा दोनो ही को 2019 ई० के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की प्रमुख भुमिका अदा करने के लिये भेजा जाय|क्योंकि जबतक कांग्रेस भाजपा हेड टेल की तरह केन्द्र और सबसे अधिक राज्यो में भी चुनकर आते रहेंगे,तबतक मानो इन दोनो ही पार्टी की सरकार देश में इसी तरह कोई एक सत्ता कुर्सी में बैठकर भितर भितर दोनो मिलकर किसी तीसरी को बैठने न देने के लिए फुट डालो और राज करो की नीति का विभिन्न तरह की फंदा लगाकर उसका पालन करके अपने असल विपक्षियो जो की वे पार्टियाँ हैं,जिन्हे आजतक ये दोनो सिर्फ ज्यादेतर इस्तेमाल ही करती आ रही है,उनके साथ बाहरी मन से मिल या गठबंधन करके बाद में उनके उपर सीबीआई का डंडा चलवाकर भितर भितर दोनो ही जस्न मनाते रहेंगे!जो डंडा कांग्रेस भाजपा दोनो ही एक दुसरे को देश का सबसे भ्रष्ट पार्टी कहकर भी इनके किसी बड़े नेता के उपर क्यों नही ऐसी पड़ती है कि वे भी लालू की तरह जेल में जाकर चुनाव लड़ने से वंचित हो जाय|क्योंकि गूगल सर्च मारकर कोई भी पता कर सकता है कि अजादी से लेकर अबतक कांग्रेस और भाजपा दोनो में ही जितने बड़े भ्रष्टाचार करने का आरोप लगे हैं उतने बड़े बड़े आरोप राजनैतिक इतिहास में सायद औसतन भी किसी पार्टी में नही लगे हैं|लेकिन भी कांग्रेस भाजपा के बड़े बड़े नेता लालू की तरह जेल में सजा क्यों नही काट रहे हैं?बल्कि लालू द्वारा चुराये गए चारा से भी ज्यादा किमती चीजो का चोरी और और लूट करने का आरोप उनपर लगे हुए हैं|बल्कि दोनो में तो हरी भरी हरित क्रांती का चारा खाने वाली पशुओ का मांस बिक्री कराकर पिंक क्रांती लाने वाले लोगो को विशेष सब्सिडी देने का इतिहास भी दर्ज हो गया है|जाहिर है इस देश में अजादी के बाद कांग्रेस और भाजपा मिलकर बहुत से पार्टियो के बीच आपस में फुट डालकर सबसे अधिक राज्यो में भी राज कर रहे हैं|जो दोनो की ही हालत जबतक ऐसी न हो जाय जिससे कि ये दोनो एक राज्यो भी सरकार न बना सके ऐसी नही हो जाय तबतक भितर भितर दोनो मिलकर सिर्फ कभी कांग्रेस युक्त होकर दुध दही और भाजपा युक्त होकर मक्खन मलाई दोनो पार्टी की सरकार सत्ता में बैठकर खाते रहेंगे|

4:11 AM हिन्दी में शुभ रात्रि और अंग्रेजी में Good morning!

रुगड़ा और खुखड़ी मेरा सबसे पसंदीता सब्जी है| 



जो कि हर साल बारिस के मौसम में मिलती है|जिसकी प्रचुर मात्रा प्राचिन मगध क्षेत्र के शाल वृक्ष के हरे भरे पहाड़ी क्षेत्रो में मिलती है|खासकर झारखंड,पश्चिम बंगाल छत्तीशगढ़ वगैरा वे इलाके जहाँ पर प्राकृतित खनिज संपदा का भंडार भी प्रचुर मात्रा में पायी जाती है|रुगड़ा को शाकाहारी खशी भी कहा जाता है, जो कि सुनने में मुझे अच्छा नही लगता है|क्योंकि मैं शाकाहारी हूँ और वैसे भी रुगड़ा जमिन के निचे उगने वाली शुद्ध शाकाहारी सब्जी है|इसलिये इसके साथ खुनभरी मांस की पहचान को जोड़ना वैसे भी ठीक नही है|पर चूँकि पुजा के समय जो की बारह माह चलती ही रहती है,किसी न किसी प्राकृत पर्व त्योहार के रुप में,उन सभी पर्व त्योहारो में सबसे खास कुछ पर्व त्योहारो में मांस मछली की बिक्री हिन्दुस्तान में खासकर सावन में कम हो जाती है|जिस दौरान रुगड़ा सब्जी सबसे स्वादिस्ठ शाकाहारी सब्जी और सबसे किमती भी होती है|जो कि सुरु सुरु जब बाजार में आती है तो इसकी किमत मांसाहारी खशी से ज्यादे होती है|बल्कि खुखड़ी की किमत तो उससे भी ज्यादे रहती है|हलांकि खुखड़ी का आधुनिक रुप मशरुम के रुप में शालोभर खुखड़ी से कम दामो में खाई जा सकती है|पर चूँकि जंगली खुखड़ी हर साल बारिस के मौसम में ही खाई जाती और मिलती भी है,इसलिये इसकी किमत सिधे आसमान से अंतरिक्ष को छुती है|और आज मैं रुगड़ा खुखड़ी के बारे में ही खासकर लिखने जा रहा हुँ|हलांकि इसके बारे में मैं ज्यादे कुछ नही बतलाउँगा,क्योंकि इसके बारे में गूगल सर्च करने पर अब आसानी से बहुत सारी जानकारी उपलब्ध है,जिसे आसानी से सर्च की जा सकती है|बल्कि कभी खास तौर से इसके बारे में ही विस्तार पुर्वक कभी मैं भी जरुर लिखूँगा इसलिये आज सिर्फ कुछ जरुरी बाते ही इसके बारे में लिख रहा हूँ|जिसमे रुगड़ा से जुड़ी एक बचपन की यादगार लम्हो के बारे में मैं बतलाना जरुर चाहूँगा जब मैं अपना बचपन से किशोर अवस्था का समय प्राकृत की गोद में गुजारा हूँ|दरसल बात उन दिनो कि है जब मेरी उम्र दस साल से निचे और पाँच साल से उपर की रही होगी जो यही कोई सात या आठ साल की रही होगी जब बचपन में हम दिनभर ज्यादेतर समय प्राकृत की हरी भरी गोद में गुजारते थे|जहाँ से हमे फ्री में दिनभर पेट भरने के लिये इतना ज्यादा कुछ मिल जाता था कि कभी घर जाकर खाने पिने की जरुरत महशुस ही नही होती थी सिवाय सुबह और रात के समय खाने की|तब मुझे याद है हमारे आस पास खाने पीने की प्राकृत चीजो की मुफ्त में कोई कमी नही थी बस उसे यदि हासिल करने की हुनर मौजुद हो तो हर मौसम में कोई न कोई ऐसी खाने की चीजे प्राकृत हमे दे देती थी जो आज भी वहाँ पर देती है|जिसे खाकर कोई बच्चा बुढ़ा और जवान कुपोषित तो कभी हो ही नही सकता ये मेरा निजि अनुभव है|पर सर्त है कि उसे हासिल करने की हुनर और दिलचस्पी मौजुद हो और इसके लिये जरुरी है कि आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल इंडिया असंतुलित विकाश की होड़ में प्राकृत का विनाश करके प्राकृत द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली सालोभर खाने की चीजे मिलने वाली हरियाली को नष्ट करके चारो ओर सिमेंट का जंगल सिर्फ न बनाया जाय|जैसा कि आजकल चारो तरफ शहरीकरन होकर विकाश के नाम से मुफ्त में प्राकृत से मिलने वाली खाने पीने की चीजे मिलना बंद होते जा रही है|जिस तरह की असंतुलित विकाश में राहगिरो को तो अब बिना जेब में कुछ भरे पेट भरने के लिये रास्तो और भिड़ भाड़ इलाको में प्राकृत खाने पिने की चीजे मिलना मुश्किल ही नही गायब होते जा रही है|क्योंकि विकाश के नाम से प्राकृत का विनाश और उसके जगह ऐसी ऐसी चीजे ज्यादेतर बनती जा रही है,जिससे सिर्फ धन के जरिये ही ज्यादेतर काम कराई ली जा सकती है |या फिर धन के जरिये ही खाने पीने की चीजे मिलेगी|क्योंकि डीजिटल सिमेंट का जंगल का हरी हरी नही उच्ची उच्ची महंगी मशीनी इमारतो और लंबी चौड़ी सालोभर सिर्फ इलाज कराती सड़को को तो नही खाई जा सकती है,और न ही विकाश की गंदगी से गंदी गंदी नालियो में तब्दील हो रही नदियो की पानी को जल ही जिवन है कहकर पी जा सकती है|और फिर राहगीर यदि खाली जेब भुखा प्यासा है तो वह अपने साथ में भी घर से लाया गया रखा अन्न जल तो वैसे भी बहुत मुश्किल से विकाश के बिच हो रहे भागदौड़ में मानो कुचले जाने वाली बुरे हालात में शांती से बैठकर खा सकता है|जिसके चलते अक्सर ये सुनने देखने और पढ़ने को मिलती है कि भागदौड़ में घर की खाने पिने की फुरसत ही कहाँ मिलती है|जिसके चलते सिर्फ फास्ट फुड की चीजो के नाम से ऐसी खाने पिने की चीजे उपलब्ध होते जा रही है,जोकि एक तो किसी भी गरिब अमिर दोनो को ही बिना पैसे के कभी मिल ही नही सकती,दुसरा यदि मिल भी गई तो उसे खा खाकर बहुत से लोग ऐसी असंतुलित मौत मरते जा रहे हैं,जीसे गरिबी भुखमरी के बिच में अति खा खाकर मरना कहना गलत नही होगा|जो कि भुखमरी से मरना तो नही कहलायेगा पर बहुत अच्छी खा पीकर मरना भी नही कहलायेगा|खैर मैं अब फिर से रुगड़ा में आता हूँ और अपनी बचपन की एक खाश घटना के बारे में सारांश में निजि जिवन की थोड़ी बहुत झांकी बतलाना चाहुँगा अपने बारे में और अपने बचपन की खान पान के बारे में|जो की अब भी मेरे ख्याल से नब्बे प्रतिशत किसी न किसी जरिये से उपलब्ध हो ही जाती है|जो इसलिये भी क्योंकि मैं अपने जिवन को अब भी प्राकृत की गोद से आई चीजो पर ही अधिक खिचा हुआ महसूश करता हूँ,बल्कि प्रयोगिक रुप से आज भी उन्ही सब चीजो को खोज और अपनाकर उनसे खास रिस्ता जोड़ा हुआ हूँ|मसलन आज मेरा घर में जो रुगड़ा का सब्जी बना था जो कि मेरा सबसे पसंदीता सब्जी है|जो साल में इसी समय अथवा बारिस के मौसम में ही मिलता है|वैसे तो रुगड़ा को शाकाहारी खशी के नाम से भी जाना जाता है और खशी से भी महंगा बिकता है,जिसे खशी से भी अधिक किमत देकर सुरु सुरु खरीदा जाता है|पर आज मेरे घर में जो रुगड़ा आया है,वह रास्ते का माल सस्ते में अथवा खशी की किमत से बहुत कम सौ रुपये किलो मिल गया है|हलांकि रुगड़ा को भिड़ भाड़ शहरी रास्ते से ही खरिदा गया है|वैसे रुगड़ा ज्यादेतर ग्रामीण इलाको में लगने वाली हाट बाजारो में ही ज्यादेतर बिकती है|पर चूँकि मुझे कुछ जानकारी मिली है कि अब इसकी मांग देश ही नही विदेशो में भी धिरे धिरे बड़ रही है|इसलिये भी सायद अब यह सब्जी अब शहरो की भिड़ भाड़ इलाके में भी हर साल बारिस के मौसम में रास्ते में टोकरी में फल फुल की तरह सजाकर बिकना फलो का राजा आम  की तरह आम हो गई है|क्योंकि जबतक पश्चिम के लोग हिन्दुस्तान के जंगली या ग्रामीण इलाको से आई सबसे खास चीजो को खाकर उसे अपने हाथो हिन्दुस्तान का ही खाना हिन्दुस्तान को ही वापस अपने तरिके से प्रचार प्रसार करके नही बेचते हैं,या उसकी जानकारी बांटते हैं,तबतक अक्सर उसे जंगली या ग्रामीण खाना माना जाता है|जो सत्य भी है,पर उस सत्य में ये भी नही भुलना चाहिए की कृषी प्रधान देश हिन्दुस्तान की आधुनिक ग्रामीण सभ्यता संस्कृती हजारो हुनरो और हजारो प्रकार की खान पान से उसी समय से ही जानी जाती रही है,जब आज खुदको सबसे आधुनिक कहने वाले तब के बहुत से कबिलई लोगो के कबिलई पुर्वजो को न तो कपड़ा पहनना आता होगा और न ही खेती करना आता होगा|मसाला और हजारो प्रकार के पकवान के बारे में जानना तो उसी प्रकार वे बाद में सिखे होंगे जैसे कि आलू से चिप्स बनाना कृषी देशो से ही सिखे होंगे|जो आलू का चिप्स आज कृषी देशो से ही कच्चा माल भरपुर मात्रा में आलू का भंडार खरिदकर उसे महंगी दामो में उन्हे अथवा कृषी देशो को ही सबसे आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल खाने पिने की चीजो के रुप में आलू से बना चिप्स वगैरा बेचा जाता है|और चूँकि रुगड़ा भी सब्जी का राजा कहे जाने वाला आलू की तरह मिट्टी के निचे पाई जाती है,इसलिये यह बिना धोये बिकते समय मिट्टी से लिपटी रहती है तो मिट्टी से लिपटा छोटी छोटी आलू की तरह ही दिखती है|बस इसकी आकार छोटे छोटे बड़े हो रहे आलू के आकार में सीमित रहती है,जिससे की बड़ा नही होती है और न ही रुगड़ा की खेती आलू की तरह होती है|पर इसे धोकर बेचते समय छोटी छोटी सफेद सफेद अंडे की तरह दिखती है|जिसे समान्य रुप से सब्जी बनाते समय दो दो टुकड़ो में काटकर मसालेदार सब्जी के रुप में खाई जाती है|जिसके बारे में बहुत सी जानकारी गूगल सर्च करने पर मिल जायेगी| क्योंकि जैसा कि मैने बतलाया कि इसके बारे में अब बहुत सी जानकारी बांटी जा चुकि है|जो कि पहले न के बारे में लोगो को जानकारी मिलती होगी|मैं तो बचपन से ही हर साल रुगड़ा खाते आ रहा हूँ|और आज भी रुगड़ा का इंतजार करते हुए हर साल बारिस के मौसम में इसकी स्वाद जरुर चखता हूँ|हलांकि इसकी किमत  अथवा बाकि चिजो में महंगाई जिस तरह से बड़ रही है उससे भी कहीं ज्यादे अचानक से रुगड़ा की किमत बड़ी है|हलांकि चाहे कोई जितना गरिब हो पर भी वह यदि मांशाहारी है तो भी गरिब बीपीएल होने के बावजुद भी भले उसकी मासिक आय से भी ज्यादे किमत चार दिनो की चाँदनी रहिसी खान पान खशी मुर्गा वगैरा कि किमत उसके वश में खरिदने की नही रहती है,तो भी जिस तरह वह भी अपने जिवन में मिट मुर्गा खरिदकर जरुर कभी न कभी जरुर खाता रहता है,उसी तरह कोई शाकाहारी इंसान भी भले कितना गरिब हो,यदि वह शाकाहारी खशी के रुप में चर्चित रुगड़ा को बहुत ज्यादे पसंद करता है तो वह हर साल रुगड़ा कम ही सही पर जरुर खरिदकर अब भी खाता होगा|जबकि बचपन में मुझे याद है मैने प्राकृत की गोद में जिस हरी भरी पहाड़ी वादियो में बचपन से किशोर अवस्था का समय गुजारा है,वहाँ पर रुगड़ा खुखड़ी की इतनी प्रचुर मात्रा उपलब्ध थी कि रुगड़ा के मौसम में लगभग हर रोज ही रुगड़ा खुखड़ी खाने को मिल जाती थी|जहाँ पर आज भी पाई जाती है रुगड़ा खुखड़ी,बस अब वह खाई कम और बेची ज्यादे जाती होगी बाकि जरुरत की चीजो को पुरी करने के लिये|जिसे कहा जाय अब फास्ट फुड कहलाने वाली चीजो की जरुरत पुरा करने के लिये प्राकृत की गोद से मिली खान पान को ज्यादेतर बेचा जा रहा है उन लोगो को जिनकी जिवन से प्राकृत हरियाली और खेती किसानी नजारा कम होता जा रहा  है|जबकि बचपन में हम रुगड़ा खुखड़ी प्राकृत की गोद से खुद इकठा करते समय ये पहले तय करते थे कि किसे खाने के लिये घर ले जाय और किसे प्राकृत की गोद में ही थोड़ा खराब दिखने अथवा ज्यादे दिनो तक का होने पर उसे उसी जगह ही छोड़ दें जहाँ पर वह जमिन चिरकर उगी है|क्योंकि रुगड़ा उगने के बाद यदि जल्दी से बनाकर नही खाई जाय तो वह थोड़ी कम स्वाद लगती है|जैसे कि भिंडी को यदि ज्यादे देर के बाद उसके पौधे से तोड़कर सब्जी या भुजिया बनाकर नही खाया जाय तो वह पहले से बहुत कम स्वाद का ब्यंजन लगता है|दरसल रुगड़ा खुखड़ी जमिन चिरकर ही उगती है|जैसे कि मांसाहारी चूजा अंडा फोड़कर बाहर निकलता है|जिसे मांसाहारी लोग आजकल मुर्गा खाने के नाम से दरसल चंद दिनो या सायद एक दो महिने का चूजा को खाते हैं|जिसकी जिवित समय कटने से पहले आवाज को सुनकर जानी जा सकती है की वह मुर्गा नही बल्कि चिअप चिअप ...रोने वाला चूजा रहता है|जिसे अक्सर पता भी नही रहता है कि मांस बिकते समय उसका गर्दन पकड़कर उसके साथ क्या होने वाला है|जबकि जवान मुर्गा मुर्गी को जिवित में कोई व्यक्ती खुले में जल्दी से पकड़ भी नही पायेगा और यदि पकड़ेगा तो उसे काटते समय मुर्गा मुर्गी अपने आप को बचाने के लिये ज्यादे चिखेगा भी और रोयेगा भी|जबकि चूजे के साथ यैसा बहुत कम होता होगा,क्योंकि चूँकि चूजा की बुद्धी बल अथवा शरिर अभी विकसित हो रही होती है|जिसके मासूम शरिर के साथ मानो बाल हत्या हो जाता है|इसलिये उसे काटते समय काटने वालो को ज्यादे मेहनत नही करनी पड़ती है|और चूजो को जल्दी जल्दी ज्यादे से ज्यादे ग्राहको को काटकर देने के लिये चूजा काटने वाले मानो आलू प्याज काटने की तरह थोड़ी ही देर में जूजो की मांस का भंडार लगा देता हैं|जिसके किनारे चूजो की अतड़ी और नाजूक पाँव पंख मुंडी चमड़ा का भी अलग से भंडार लग जाती है|जिसे दाम लेकर अलग से बेचा जाता है|क्योंकि मुर्गा खाने के नाम से मांस खाने वाले सिर्फ चूजो का टांग वगैरा को ही चमड़ी उधेड़कर और उसे टुकड़े टुकड़े में कटवाकर तौलकर ले जाते हैं|बाकि सब बेचने वालो को मानो चुजो की प्राण लेने की सुपारी लेने के बदले मुफ्त में मिल जाती है|जिसे वे थोड़े कम पैसो वालो को जिन्हे भी मुर्गा के नाम से दरसल चूजा खाने का बड़ा मन करता है,वे कम किमत में उसकी चमड़ा पांव मुंडी पंख अतड़ी वगैरा से ही काम चला लेते हैं|हलांकी कभी कभार वे भी मांस तो जरुर खाते ही होंगे|आजकल तो वैसे भी चाईनिज फूड की तरह शहर के सड़को के किनारे भी चूजो का मांस मुर्गा मांस कहकर बोटी बोटी करके रोटी के साथ में भी खुब सारी बिकती है|जो होटल वगैरा में तो वैसे भी पहले से ही असली जवान मुर्गा के रुप में बिकते आ रही थी|पर जबसे शिशु व बच्चे चूजो की उत्पादन अप्राकृत तरिके से समय से पहले मुर्गा मुर्गी के चूजो को शारिरिक रुप का आकार बड़ो के जैसा मांस खाने का आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल आविष्कार करके चूजो की नर्म मांस क्रांती आई है तबसे मुर्गा मांस के नाम से ज्यादेतर चूजो की ही मांस खाने का प्रचलन घर और बाहर दोनो ही जगह अब दिन प्रतिदिन बड़ते जा रही है|खैर मैं शाकाहारी रुगड़ा के बारे में लिखते लिखते मांशाहारी चूजा के बारे में लिखते ही चला जा रहा हूँ,जिसे विराम देते हुए अब मैं रुगड़ा के बारे में मेरे बचपन में घटी एक रोजमरा जिवन की खेलते खुदते मनोरंजन करते हुए घटना के बारे में फिर से लिख रहा हूँ|तब जैसा कि मैने बतलाया बारिस के मौसम में रुगड़ा मिलती है,इसलिये यह रुगड़ा से जुड़ी किमती पल बारिस के समय में ही गुजर रही थी जो कि उन दिनो मेरी जिवन में आम बात हुआ करती थी|चूँकि हम जहाँ पर हरी भरी प्राकृत के बिच में रहते थे वहाँ पर जमकर खेती भी होती थी|और वह क्षेत्र शहरी और ग्राम दोनो की ही मिली जुली रुप थी|इसलिये उस जगह में हल और ट्रेक्टर दोनो से ही खेतो को जोता जाता था|जो मुमकिन है वहाँ पर अभी भी जोता जाता होगा|जिसके बारे में अभी मैं पुरी तरह से निश्चित जानकारी नही दे सकता पर कुछ साल पहले तक मैं वहाँ पर गया था,वह क्षेत्र अभी भी वैसा ही हरा भरा है|हाँ उसके आस पास के क्षेत्रो को शहरीकरन का संक्रमण धिरे धिरे जकड़ती जा रही है|पर मैने बचपन वहाँ पर गुजारा है उस समय बारिस के मौसम में नदियाँ उफान पर होती थी|जाहिर है खेत भी लहलहाती थी|जिसके लहलहाने से पहले जब खेत को जोती जाती थी तो चूँकि मिट्टी निचे से उपर को पल्टी मारती थी|इसलिये मिट्टी से निचे की सारी चीजे उपर की ओर आसानी से भारी मात्रा में निकल जाती थी|जैसा कि रुगड़ा के मामले में भी था|चूँकि रुगड़ा जिस क्षेत्र और जिस मिट्टी पर उगता है,वहाँ पर काफी मात्रा में थोड़ी थोड़ी दुर पर उगता है|इसलिये जब बहुत बड़ा क्षेत्र को खेती करने के लिये ट्रेक्टर से जोता जाता था तो मानो उपर से होने वाली बारिस के मौसम में धरती निचे से उपर रुगड़ो की बारिस होने लगती थी|जो कि ट्रेक्टर द्वारा खेत जोतते समय मिट्टी के उलट पुलट होते समय गोल गोल खुब सारे रुगड़ो के रुप में निकलती थी|जिस ट्रेक्टर के पिच्छे पिच्छे हम बचपन में बहुत सारे एक साथ दोस्त रिस्तेदार जमिन से निचे निकल रही रुगड़ा  को चुनने के लिये तेजी से बड़ी मैदानी नुमा खेत को जोतती ट्रेक्टर के पिच्छे पिच्छे दौड़ते हुए रुगड़ा चुनते थे|चूँकि रुगड़ा की बारिस के मौसम में उचित समय आते ही रुगड़ा की भी बारिस होने लगती थी,जब रुगड़ा से भरी हुई खेत में ट्रेक्टर चलती थी|जिसे ज्यादे से ज्यादे चुनने के लिये जिस तरह कुंभ के मेले में भक्त गंगा में डुबकी लगाने के लिये एक साथ बहुत सारे टुट पड़ते हैं,उसी प्रकार हम भी बचपन में बहुत सारे दोस्त रिस्तेदार और पड़ौसी एक साथ टुट पड़ते थे मिट्टी में नहाते हुए रुगड़ा चुनने के लिये|ट्रेक्टर जमिन को चिरते हुए खेत जोतते हुए तेजी से आगे की ओर बड़ती जाती थी और हम बचपन में बहुत सारे बच्चे एक साथ उसके पिच्छे पिच्छे भागते हुए कौन सबसे अधिक रुगड़ा चुनेगा इसकी मानो प्रतियोगिता चलती थी|जिसे जितने के लिये रुगड़ा कि छिना झपटी ऐसी होती थी जैसे मानो  ट्रेक्टर कौन ज्यादे रुगड़ा चुनेगा इसकी चुनौती देते हुए अपने पिच्छे पिच्छे नोटो की बारिस करते हुए जा रहा हो जिसे सभी बच्चे छिना झपटी करके ज्यादे से ज्यादे चुनने में लगे हो|वैसे अभी के हिसाब से तो उस समय रुगड़ा कोई नोट से कम नही थी|क्योंकि जहाँ तक मुझे याद है वर्तमान में जिस तरह कि किमत खशी से महंगी रुगड़ा की किमत है,उसके हिसाब से उस समय हम बचपन में आधा एकात किलो तो रुगड़ा चुन ही लेते होंगे जब ट्रेक्टर खेत में चलती थी और रुगड़ा उगने का ही मौसम होता था|और एक किलो खशी जितनी किमत बचपन में यदी हमे मिल जाती तो उस समय तो मैं और मेरे बचपन के दोस्त रिस्तेदार अपने माता पिता जो की नौकरी और समय मिलने पर वे भी रुगड़ा खुखड़ी जरुर चुनते थे उनकी रोज की नौकरी वाली हाजरी से तो निश्चित तौर पर ज्यादे थी|पर चूँकि हम उसे कभी बेचे नही थे और यदि उस समय बेचते भी तो रुगड़ा खुखड़ी की किमत कम थी इसलिये हमे रुगड़ा खुखड़ी सायद आजकल शहर में मिलने वाली टॉफी बिसकिट से भी कम किमती लगती थी|क्योंकि मुझे याद है कि मैं और एक दो दोस्तो के पास ही टॉफी और बिसकिट हमेशा खरिद के खाते रहे ऐसी नजारा हम दोस्तो के बिच मध्य विद्यालय में पढ़ते समय मिलती थी|जिसमे भी मैं खुदकी बड़ाई करना न चाहकर भी ये जरुर लिखना चाहुँगा चाहे कोई मेरी बातो पर विश्वाश करे या न करे कि हमारे बिच में गिने चुने दो चार रोज रोज कुछ न कुछ खरिदकर खाने वाले दोस्तो में मुझे याद है एक मैं ही अकेला ऐसा दोस्त था जिसके पास गरिब अमिर दोनो की जिवन जिने की हालात मौजुद थी|मेरे पिता केन्द्र के कर्मचारी थे पर फिर भी हम चूँकि ग्रामीण जिवन और शहरी जिवन दोनो ही तरह का जिवन जिये हैं,इसलिये बचपन से किशोर अवस्था तक मैं ग्रामीण और शहरी दोनो तरह का जिवन जीया हूँ|इसलिये कोई रहिस दोस्त भी मुझे किसी रहिस खाना पर तब भी चुनौती.अचानक लिखते लिखते मुझे झपकी आ रही है इसलिये मैं अब सोने जा रहा हूँ,आगे मैं इस अधुरी पोस्ट को अगला भाग के रुप में पुरा करुँगा,क्योंकि अब मैं विचार कर रहा हूँ कि मैं अपने ब्लॉग में अपने निजि जिवन में घटित घटना के बारे में और अपने जिवन व विचार के बारे में ज्यादे लिखूँगा|खासकर अपने बचपन के बारे में जो कुछ भी मेरे लिये यादगार लम्हा है,हो सके तो उसे बांटने की कोशिष करुँगा|जो यदि जिस किसी को भी पसंद आ रहा हो तो इसे ज्यादे से ज्यादे लोगो को बांटे और उन्हे भी मेरे और मेरे गरिब बलॉगर साईट के बारे में जरुर बतलाकर मुझे ऐसी जानकारी और भी अधिक लिखने में प्रेरित करें अन्यथा मेरी पोस्ट पढ़ने वालो की तादार कम होने पर मैं ऑनलाईन साईट में लिखने से ज्यादे कॉपी किताब लिखने वगैरा में ज्यादे दिलचस्पी लेने लगता हूँ|जो कम लिखकर अब मैं ज्यादे से ज्यादे ऑनलाईन लिखकर पुरे विश्वभर में अपनी पोस्ट को बांटना चाहता हूँ|इसलिये इसके लिये मुझे मेरे पोस्ट को पसंद करने वालो की सहायता की जरुरत है|जोकि अबतक न के बराबर मुझे मिल रही है|जिनको यदि मुझसे कुछ और भी अधिक इसी तरह की कुछ लिखवाने में दिलचस्पी हो तो मेरा समर्थन करके इसे और भी अधिक लोगो तक पहुँचायें|जिनमे से जो भी सहायता थोड़ी बहुत मिल रही है उन सभी लोगो का मैं शुक्रिया अदा करते हुए मैं उनसे गुजारिश करना चाहता हूँ कि भले उन्हे मुझमे थोड़ी बहुत बुराई नजर आती हो पर वे इस बात के लिये निश्चित रहे कि मैं रोजमरा जिवन और असल जिवन में इस अनजान ऑनलाईन दुनियाँ से कहीँ ज्यादे उनके लिये बेहत्तर इंसान साबित जरुर हुँगा ये मैं विश्वाश दिलाता हूँ|भले अबतक मैं बहुत सी नीजि जानकारी को नही बांट पाया हूँ|जिसकी झांकी में मेरे बारे में सिर्फ इतना जान ले पुरी दुनियाँ की मेरे जिवन का मूल मंत्र है कि शराब शबाब और कबाब इन तीन चीजो से खुदको दुर रखने वाला इंसान अपनी जिवन में खुदके द्वारा अपने आप को भी कम हानि पहुँचाता है,और दुसरो को भी कम हानि पहुँचाता है|जिसे मैं अपनी निजि जिवन में प्रयोगिक तौर पर जी रहा हूँ|और दूसरो को भी जीने की सलाह अक्सर देता रहता हूँ|जिसमे कोई जोर जबरजस्ती नही है|क्योंकि मानो दोनो ही एक दुसरे के पुरक बन गए हैं|अब न तो हरित क्रांती को रोकी जा सकती है|और न ही पिंक क्रांती को रोकी जा सकती है|रही बात शराब शबाब की तो इसकी व्यापार में मौजुदगी आधुनिकता और विकाश के नाम से  मेरे ख्याल से शुद्ध खाने पिने की चीजो से भी ज्यादे बड़ते जा रही है|और इसकी किमत भी आसमान से सिधे अंतरिक्ष में जा चुकि है|जिसे यह कहा जा सकता है कि शराब और शबाब की किमत अब करोड़ो में आकी जाने लगी है|जिसकी जानकारी गूगल सर्च मारने में भी मिलती है|और मीडिया द्वारा मिलती है कि कैसे शराब शबाब के शौकिन लाखो करोड़ो देकर भी उसकी नशा पाप की दौलत इकठा करके भी कर रहे हैं|जिसकी नशा करने के लिये इतिहास में वैसे भी बहुत सारी लूटमार हुई है|जिसके पुरानी कबिलई विरासत बारे में भी मैं कभी जरुर लिखूँगा|तबतक के लिये फिलहाल शुभ रात्री जल्दी से करने का मन कर रहा है!क्योंकि निंद बर्दाश्त अब बिल्कुल भी नही हो रही है|निंद और खाना ही तो फिलहाल मेरी सबसे बड़ी कमजोरी और ताकत है|जिसके बगैर मैं खुदको अधुरा महसुश करता हूँ|जो कि मेरे ख्याल से पुरी दुनियाँ के लिये भी अधुरा है|क्योंकि मेरे विचार से जिसदिन भी पुरी दुनियाँ में सभी लोग भरपुर अच्छी निंद और पेटभर पोषित भोजन लेने की हालत में आ जायेंगे अथवा पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी पुरी तरह से मिट जायेगी उसदिन मेरे ख्याल से पुरी दुनियाँ में मानवता और पर्यावरण संतुलित होकर सुख शांती और समृद्धी आने के साथ साथ सभी इंसानो के लिये मोक्ष से ज्यादे जरुरत इंसानो की उम्र को कैसे बड़ाया जाय या अमर कैसे बना जाय इसपर ज्यादे विचार होने लगेगी|फिलहाल तो ज्यादेतर इंसान पेट भरने और अच्छी निंद लेने के पिच्छे ही दिन रात अपना सबसे अधिक समय बिता रहा है|जो कि मैं भी फिलहाल रोजमरा जिवन में इसी को ही सबसे अधिक किमती मानता हूँ|जिसमे से निंद के लिये आजकल मैं समय बहुत मुश्किल से अतिरिक्त समय निकाल पा रहा हूँ|क्योंकि आँख खुलते ही सुरु हो जाता हूँ अपनी संघर्ष को उसके अंजाम तक पहुँचाने की कोशिष में!हिन्दु समय अनुसार चूँकि सुर्य उगने के बाद सुबह और सुर्य डुबने के बाद रात मानी जाती है,इसलिये जाहिर है हिन्दी लिखते हुए अभी सुबह नही हुए हैं|पर अंग्रेजी समय अनुसार सुबह के 4:11 AM बज रहे हैं|शुभ रात्री!हिन्दी में शुभ रात्रि और अंग्रेजी में Good morning!

सोमवार, 9 जुलाई 2018

लोकसभा चुनाव 2014 ई० में भाजपा द्वारा नारा दिया गया था "बहुत हुआ नारी पर वार,अपकीबार भाजपा सरकार

लोकसभा चुनाव 2014 ई० में भाजपा द्वारा नारा दिया गया था "बहुत हुआ नारी पर वार,अपकीबार भाजपा सरकार"
2019?
जिसके बाद भाजपा सरकार भारी बहुमत से चुनी गई है|वैसे "डीजिटल इंडिया" का नारा लगाकर चुनी गयी भाजपा सरकार अपकीबार ही नही,बल्कि 1999 ई० में भी साईनिंग इंडिया का नारा लगाकर चुनी गयी थी|जिसके बाद अटल के नेतृत्व में भाजपा सरकार अपना सेवा कार्यकाल पुरा करके जनता को खुश नही कर सकी और चुनाव हार गयी|जिससे पहले भाजपा की साईनिंग इंडिया सरकार दुबारा फिर से जीतकर आयेगी यैसी एग्जिट पोल मीडिया द्वारा की गयी थी|जिसे सही मानकर भाजपा ने अति उत्साहित होकर कई दलो से अपना गठबंधन तोड़कर समय से पहले ही चुनाव कराई और 2004 ई० के लोकसभा चुनाव में शाईनिंग इंडिया की भारी हार हो गई थी|जिसके बाद तो अटल बिहारी वाजपेयी फिर से देश का प्रधानमंत्री कभी बने ही नही|उसके बाद गरिबी हटाओ नारा लगानेवाली कांग्रेस सरकार फिर से बनी|बल्कि गरिब बीपीएल भारत में ही गरिबो की सरकार कहकर अपना पाँच साल का कार्यकाल पुरा करके लगातार फिर से कांग्रेस सरकार ही चुनी गई|जिसके बाद कांग्रेस हटाओ अथवा कांग्रेस मुक्त का नारा देकर 2014 ई० में भाजपा सरकार बनी है|तब से लेकर 2018 ई० अबतक भाजपा सरकार चल रही है|जो कि मोदी के नेतृत्व में " डीजिटल इंडिया " का नारा देकर आई भाजपा सरकार के चार साल से भी अधिक समय बित चुके हैं|जिस दौरान अटल मीडिया में गुमनाम ही रहे हैं|सिर्फ अटल की बिमार हालत तस्वीर मीडिया में कभी कभार दिखलाई देती रही है|जिस दौरान सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी और मोदी मोदी का नारा लगाने वाले उसके प्रशंसक ही मीडिया में दिन रात देश विदेश में मोदी मोदी करके उछल कुद करते रहे हैं|जो अब भी चाहे प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व शोसल मीडिया ही क्यों न हो,सिर्फ मोदी मोदी ही अपडेट दिखलाई सुनाई और पढ़ने को मीलती रहती है|कोई दुसरी जानकारी के लिए भी अपडेट खबर सुनो पढ़ो और देखो तो बिच में मानो मोदी को जबरजस्ती ठुस दी जाती है|अटल अडवानी मनमोहन वगैरा तो मानो गुमनाम ही हो गये हैं|बाकि पार्टियो के नेता तो वैसे भी भाजपा कांग्रेस की अपडेट खबर चलते समय न के बराबर दिखलाये सुनाये और पढ़ाये जाते हैं|जिनकी यदि लाखो कि भिड़ वाली लाईव सम्हारोह या रैली चलती भी है,तो उसे बिच में ही समय समय पर लाईव खबर के बावजुद भी हटाकर मिक्सिंग करके मोदी मोदी अथवा भाजपा की ही पुरानी खबर को भी बिच में लाईव खबर की तरह दिखला दी जाती है|चाहे भाजपा की कोई लाखो की रैली या सम्हारोह चल रही हो या न चल रही हो,भाजपा की ज्यादेतर प्रचार खबर दिनभर रातभर डीजिटल स्क्रीन और प्रेस में छाई रहती है|हलांकि ये मीडिया पल भर में किसे अपने सर में चड़ा ले,और किसे अचानक से मानो एवरेस्ट की चोटी से निचे फैंक दे,इसके बारे में भाजपा कांग्रेस समेत तमाम पार्टियों और जनता मालिक को भी अच्छी तरह से पता है|जिनके साथ साथ मुझे भी यह बात अच्छी तरह से पता है कि भविष्य में डीजिटल इंडिया सरकार की भी यदि कांग्रेस की तरह भारी हार हुई तो उसके बाद मोदी और उनके खास करिबी भी एकदिन मानो एवरेस्ट की चोटी से निचे फैंक दिये जायेंगे|अथवा मीडिया और जनता के नजर से गुमनाम हो जायेंगे|जिसकी डीजिटल संभावना पुरी है|क्योंकि जैसी करनी वैसी भरनी!कभी कांग्रेस अहंकार में डुबकर भारी हार का सामना की थी और अब भाजपा अहंकार में डुबकर धिरे धिरे उसी हार की ओर बड़ रही है,जहाँ पर उसे अपने पुराने दिन जल्द याद आयेंगे जब भाजपा सिर्फ तीन सीट जीतने वाली पार्टी हुआ करती थी|जो भाजपा अब अहंकार में डुबकर किसी को भी अपनी टक्कर का न समझकर तीन से भी अधिक की सीटे जीतने वाली अपने सहयोगी पार्टियो से भी विश्वाश खोते जा रही है|जिसके चलते अब भाजपा दिल्ली और पश्चिम बंगाल की विधान सभा जैसे कई चुनाव में भी भारी हार का सामना तो बहुत पहले ही कर चुकी हैं,पर बाकि भी कई राज्यो में भाजपा की बुरी तरह से हार हो रही है|हलांकि फिर भी चूँकि अजादी से लेकर अबतक जनता मानो मुल रुप से कांग्रेस और भाजपा को ही देश की सबसे बड़ी पार्टी के रुप में स्वीकार करती आ रही है|जिसके चलते देश की जनता कांग्रेस के बाद भाजपा को ही एक से अधिक बार का अवसर प्रदान करके ऐसी बेहत्तर विकल्प तलाशने की कोशिस कर रही है,जो कि देश में सुख शांती और समृद्धी जल्द से जल्द बेहत्तर रुप से ला सके|लेकिन अजादी के सुरुवात में ही देश का शासन कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में पहले प्रधानमंत्री नेहरु की आधुनिक भारत से लेकर इंदरा की गरिबी हटाओ,उसके बाद भाजपा पार्टी के नेतृत्व में अटल की साईनिंग इंडिया और अब मोदी की डीजिटल इंडिया भाषन अश्वाशन और नारा सुनकर दोनो पार्टियो में कौन पार्टी सबसे बेहत्तर रुप में देश नेतृत्व अबतक की है,या करेगी इसके बारे में जनता हर लोकसभा चुनाव में ज्यादेतर मन में हेड टेल फैशला करके ही कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को ही बार बार मौका देकर चुनते आ रही है|अजादी से लेकर अबतक बिच में कुछ समय के लिये सिर्फ जनता दल और जनता पार्टी की ही मिली जुली सरकार बनी है|लेकिन वह भी मंडल कमंडल की हक अधिकार आरक्षण लड़ाई में बिच में ही समर्थन वापस खिचकर गिरा दी गयी थी|अथवा मिली जुली कई पार्टियो की गठबंधन की सरकार टांग खिचकर गिरा दी गयी थी|कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा को ही जनता ने अपने सर आँखो पर सबसे अधिक चड़ाकर अजादी से अबतक केन्द्र के साथ साथ सबसे अधिक राज्यो में भी इन्ही दोनो पार्टियो की सरकार को चड़ा रखा है|जिसके चलते कांग्रेस एकबार 1984 ई० की 8वीं लोकसभा चुनाव में 542 सीट में से 425 जितकर भारी बहुमत की सरकार बनाने के साथ साथ साठ सालो तक केन्द्र का नेतृत्व की है|बल्कि केन्द्र के साथ साथ सबसे अधिक राज्यो में भी कांग्रेस ने शासन की है|जिसके बाद भाजपा को भी 2014 ई० के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाकर 282 सीटो में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हुई है|और इसके साथ साथ भाजपा की भी सरकार देश के सबसे अधिक राज्यो में भी अभी शासन कर रही है|जिससे पहले साठ महिना शाईनिंग इंडिया अटल के नेतृत्व में भाजपा का का ही शासन केन्द्र में साठ महिना रही है|और वर्तमान में साठ साल कांग्रेस बनाम साठ महिना डीजिटल इंडिया भाषन अश्वाशन देकर मोदी के नेतृत्व में भाजपा का ही शासन चल रही है|और यदि अटल और मोदी दोनो भाजपा शासन को जोड़ दिया जाय तो 100 महिना से भी अधिक समय तक भाजपा केन्द्र में शासन कर चुकी है|जिसकी 2014 ई० के लोकसभा चुनाव कथनी अनुसार साठ साल बनाम साठ महिना तुलना करके यदि जोड़ा जाय तो भाजपा साठ महिना के बजाय सौ महिना से भी अधिक समय तक शासन केन्द्र में कर चुकि है|जिस एक एक महिना के भाजपा शासन को कांग्रेस का एक एक साल से तुलना करके भाजपा शासन का उम्र को यदि जोड़ा जाय तो सौ से अधिक का उम्र भाजपा शासन की हो चुकि है|जो अटल और मोदी दोनो के ही उम्र से कहीं ज्यादे है|क्योंकि अटल मोदी दोनो ने ही अभी सौ का उम्र को पार भी नही किया हैं|पर भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व शासन ने सौ महिना से अधिक का उम्र को पार जरुर कर चुकि है|जिन दोनो ही पार्टियो के देश नेतृत्व के दौरान न तो कांग्रेस के द्वारा साठ साल का नेतृत्व में गरिबी हटाओ का नारा देकर देश से गरिबी भुखमरी हटी है,और न ही भाजपा के द्वारा ही सौ महिना से भी अधिक समय तक केन्द्र नेतृत्व में सबके अच्छे दिन आनेवाले हैं नारा देकर देश का नेतृत्व करके सबके अच्छे दिन आ गये हैं|बल्कि अजादी के समय पुरे देश की जितनी अबादी थी उतनी अबादी वर्तमान में बीपीएल भारत होकर  करोड़ो नागरिको के रोजमरा जिवन में भुखो मरने के दिन ही आ गए हैं|लगातार हर रोज गरिबी भुखमरी बदहाली और कुपोषन अपडेट होते जा रही हैं|हर रोज अनगिनत नागरिको की मौत गरिबी भुखमरी से भी हो रही है|विश्व का सबसे बड़ी झुगी झुपड़ी इस देश में ही मौजुद है और विश्व का सबसे महंगा महल भी इसी देश में ही मौजुद है|जाहिर है इस देश में ऐसा भारी भेदभाव विकाश हो रहा है जिसमे सिर्फ मुठीभर विजय माल्या और निरव मोदी जैसे धन्ना कुबेरो के जिवन में हजारो करोड़ लेकर विदेश भाग जानेवाले भगौड़ा घोषित करके भी मानो गरिबी भुखमरी दुर करने के नाम से सरकार विदेशी कर्ज लेकर सरकार विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे धन्ना कुबेरो की जेब और पेट दोनो में ही भर भरकर देशी और विदेशी दोनो तरह का घी ऑनलाईन भी पीला रही है|साथ में विदेशी कर्ज में डुबकर सरकार भी करोड़ो नागरिको को भुख प्यास से तड़पते हुए छोड़कर और उनके नाम से विदेशी कर्ज लेकर सुट बुट लगाकर देश विदेश में जमकर घी पी रही है|जिस सरकार की झुठी शान और डीजिटल पेट में कोई कमी न हो इसके लिए मुठिभर अबादी को हर साल इतना छुट और माफी दी जा रही है कि उतनी मोल की राशि यदि अजादी से लेकर अबतक हर साल गरिबो के खाते में सिधे उन्हे उचित बंटवारा करके प्रदान कर दी जाती तो आजतक सायद गरिबी भी इस सोने की चिड़िया कहलाने वाले कृषी प्रधान देश से कबका हट गई होती|और साथ में अमिरी गरिबी के बिच में जो बड़ी खाई अपडेट होते ही जा रही है उसमे असंतुलन आकर पुरे देश के साथ साथ अमिर गरिब सबके जिवन में अच्छे दिन आ गये होते|जो न होकर आधुनिक साईनिंग डीजिटल सरकार अपने अलग तरह की भेदभाव सेवा के जरिये एक तरफ तो हर साल हजारो लाखो करोड़ की छुट और माफी मुठिभर अबादी को दे रही है,और दुसरी तरफ बहुसंख्यक करोड़ो अबादी को गरिबी भुखमरी में मरने के लिये छोड़कर बार बार देश और कई राज्यो की नेतृत्व करने का मौका पाकर भी अपना सेवा कार्यकाल में अपने किये गये वादो को पुरा करने के बजाय सिर्फ हर बार कि चुनाव में दुःखी पिड़ित भोली भाली जनता से वोट जुगाड़ की भाषन अश्वाशन दी जाती रही है|जिसे हर बार जनता के बिच दोहराते हुए सिर्फ वोट पाने के लिये एक मौका कहकर कई मौका मांगा जाता रहा है|क्योंकि कांग्रेस भाजपा दोनो को ही भोली भाली जनता के द्वारा एक से अधिक बार केन्द्र में सरकार बनाने और देश के सबसे अधिक राज्यो में भी इन्ही दोनो पार्टियो को सरकार बनाने का मौका दी जाती रही है|जिसे पाकर भाजपा और कांग्रेस युक्त आधुनिक भारत साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया नारा देकर ये दोनो पार्टी बारी बारी से शासन करती आ रही है|जबकि ये दोनो ही पार्टी एक दुसरे को सबसे अधिक विरोधी पार्टी बतलाकर एक दुसरे को सबसे अधिक लाभ पहुँचाकर कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस सरकार बनते आ रही है|दोनो पार्टियो के बहुत से नेता और मंत्री अपना सेवा कार्यकाल भाजपा और कांग्रेस दोनो में ही आना जाना करके मानो मैके और ससुराल आना जाना करते रहते हैं|जिन दोनो पार्टी में एक पार्टी के प्रधान सेवक के द्वारा कभी कहा गया था कि सरकार द्वारा जनता सेवा के दौरान उपर से लेकर निचे तक सेवा आते आते सौ में पचाशी पैसे चोरी हो जाती है|जिस चोरी के बारे में वर्तमान के भी प्रधान सेवक के द्वारा भाजपा पार्टी की सरकार बनने से पहले चुनाव प्रचार के दौरान ये कहा गया था कि चोर लुटेरो ने देश का इतना सारा धन चोरी करके विदेशो में छुपाकर रखा है कि उसे यदि देश में लाया जाय तो एक एक गरिब के खाते में पंद्रह से बीस लाख यू ही मिल जायेंगे|जो बात कहकर भाजपा सरकार के बने हुए चार साल से भी अधिक का समय गुजर चुके हैं,पर अबतक भी सभी गरिब के खाते में पंद्रह बीस लाख आ जाय इतना धन देश में आना तो दुर विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे धन्ना कुबेर उल्टे और धन लेकर भगौड़ा घोषित होकर भी सरकार के पकड़ में नही आ रहे हैं|जो सरकार के ही सारी सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करके़ विदेश जाकर और सरकार के साथ फोटो खिचवाकर मानो सरकार को चिड़ा रहे हो कि चाहे भाजपा की सरकार हो या फिर कांग्रेस की सरकार हो,उनके लिए सरकार द्वारा विशेष ऑनलाई हवा हवाई सेवा मौजुद रहती है|तभी तो भले कोई गरिब छोटा मोटा चेब कतरा अथवा पोकेटमार को भाजपा कांग्रेस दोनो की ही सरकार पकड़वाकर थाने में जमकर कुटवाती है,पर हजारो करोड़ विदेशी बैंको में छुपाकर रखने वाले बड़े बड़े धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ का माफी और छुट के रुप में ऐसी स्पेशल चाय हर साल पिलाती रही है,जिसे यदि किसी गरिबो को यदि पिलाई जाती तो सिर्फ उसके जिवन में ही अमिरी नही बल्कि देश में मौजुद 600 से भी अधिक जिलो में से एक एक जिले के सभी गरिबो की गरिबी भुखमरी एक झटके में दुर हो जाती|यकिन न आये तो वर्तमान की सरकार धन्ना कुबेर को जिस मोल की छुट और माफी हर साल देती है,उतना धन शहरी और ग्रामीण दोनो जगहो के गरिब बीपीएल के खाते में हर साल देकर देखे कि देश की गरिबी मिटती है कि नही मिटती है!जो न करके गरिबी हटाओ का नारा देनेवाली कांग्रेस सरकार भी धन्ना कुबेरो को ही विशेष लाभ पहुँचाकर देश में गरिबी भुखमरी लाई और अब भाजपा सरकार भी कांग्रेस युक्त भ्रष्ट नीतियो के जरिये ही सबके अच्छे दिन आनेवाले हैं झुठे अश्वाशन देकर और विदेशी कर्ज में डुबकर घी पीकर मुठिभर धन्ना कुबेरो को ही अमिर से और अधिक अमिर बना रही है|साथ साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ विशेष कारवाई करने की भी बड़ी बड़ी बाते करके अबतक भी देश विदेश में छिपाकर रखा कालाधन जब्त नही हुआ है|इसका मतलब साफ है कि रामदेव जैसे भाजपा और कांग्रेस समर्थक सिर्फ जनता का वोट दिलवाने के लिये ही चुनाव के समय ये कहकर उछल कुद करते रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद कालाधन की जब्ती होगी और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो मको जेल में डालने की कड़ी कारवाई होगी|लेकिन चुनाव जीतने के बाद बड़े बड़े भ्रष्टाचारी जेल जाने के बजाय विदेशो में भी चोरी किया हुआ धन को किराये में रखकर उसके बाद सरकार की ही विशेष सहायता से विदेश जाकर यश भोग विलाश करते रहते हैं|क्योंकि देश का बैंक अपने खाते पर रखे गये राशि का ब्याज देती है पर विदेशी स्वीज बैंक खाता खोलने के भी करोड़ो रुपये लेती है और उस विदेशी खाते में धन रखने के भी किराया लेती है|जिस तरह का घाटा सहकर भी आखिर कोई क्यों गुप्त खाता विदेशी बैंको में खोलकर वहाँ पर लंबे समय से धन जमा करके रखता आ रहा है,यह बात कोई भी देशी बैंक धारक अच्छी तरह से समझ सकता है कि भाजपा कांग्रेस दोनो की ही एक जैसी ऐसी देश सेवा चल रही है जिसमे चोर लुटेरे अपना धन को ज्यादे सुरक्षित महसुश करके लंबे समय से विदेश में भी ऐसी ऐसी बैंको में छिपाकर रखे हुए हैं,जहाँ पर उन्हे धन को रखने के लिये ब्याज नही बल्कि उसे सुरक्षित रखवाने का किराया देना पड़ता है|विदेशो में कालाधन जमा करने वाले भ्रष्टाचारी देश के बजाय विदेशो को फायदा पहुँचाने में लगे हुए हैं|जिनके खिलाफ आजतक भी कोई खास कारवाई नही हुई है|विदेशी खातो में धन रखने वाले गिने चुने मुठीभर नागरिक देश का खाकर विदेशो को भारी लाभ पहुँचवा रहे हैं|जबकि चोर लुटेरो के द्वारा चुराया गया देश का धन सरकार जब्त करके उसे राष्ट्रीय संपत्ती घोषित कर दे इसकी मांग भाजपा कांग्रेस दोनो के ही रामदेव जैसे समर्थको और नेताओ ने भी अपने चुनाव प्रचार के समय ऐसे बहुत से वादे और मंच साझा करके समझौता भी करते रहे हैं जिसका यदि पिछला इतिहास पलटा जाय तो दोनो ही पार्टी अपने वादो और समझौतो में इतने झुठे साबित होंगे कि उन्हे भी खुदकी ही किये गये वादो समझौतो के वचन को पुरा न करने पर शर्म महशुस होगी|जो यदि नही होगी तो समझा जाय ये भाजपा कांग्रेस दोनो की ही सरकार कालाधन जब्ती और भ्रष्टाचारियो को जेल में डालने की कथनी कहकर सिर्फ वोट के समय गंभीर दिखती रही है|लेकिन जैसे ही सरकार चुनी जाती है तो मानो सारा कालाधन उनकी सरकार बनते ही सफेद हो जाती है|और सारे बड़े बड़े चोर लुटेरे उसे जमकर खर्च करते हुए भोग विलाश में डुब जाते हैं|तभी तो वर्तमान की भाजपा सरकार भी अपने कार्यकाल के दौरान बार बार यही कहती आ रही है कि एक पैसे की भी चोरी नही हुई है|जबकि कांग्रेस सरकार के समय भाजपा खुद ही ये कह चुकि है कि कांग्रेस ने पुरे देश को लुटवाने में सबसे प्रमुख भुमिका निभाई है|जिस कांग्रेस पार्टी से मुक्त करना है देश को यह कहकर कांग्रेस में मौजुद भ्रष्ट कांग्रेसियो को भी जेल में डालने की बात हर चुनाव में भाजपा और उसके रामदेव जैसे खास समर्थको द्वारा होती रही है|जिस कांग्रेस पार्टी के नेताओ और नीतियो से भाजपा खुदको युक्त करके अब अपने पार्टी में बहुत से कांग्रेसियो को डालकर ये कह रही है कि एक भी पैसे की चोरी नही हई है|मानो भाजपा सरकार कांग्रेस सरकार के समय में चोरी किया हुआ कालाधन कि किचड़ में कमल की तरह खिला खिला महशुस करके देश की जनता को भी इसी तरह से सबके अच्छे दिन आ गए कहना चाहती है|जो भाजपा पार्टी आखिर क्या साबित करना चाहती है कि अलीबाबा चालीस चोर जबतक पकड़े न जाय और कोई अच्छी सरकार आने के बाद छिपाकर रखा गया धन को काली गुप्त गुफा के पास जाकर खुल जा सिमसिम कहकर कोई तीसरी पार्टी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार जबतक जब्त न कर ले तबतक भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टियो की सरकार सिर्फ ये भाषन अश्वाशन देती रहेगी कि कालाधन जब्ती होगी और एक भी चोर लुटेरो को छोड़ा नही जायेगा|लेकिन दोनो ही पार्टी की सरकार बनते ही एक जैसा घिसी पिटी रवैया अपनाया जाता है|जिसके चलते ये सोने की चिड़िया कहलाने वाला कृषी प्रधान समृद्ध देश अबतक समृद्ध होते हुए भी गरिब देशो की लिस्ट से बाहर नही निकल पाई है| जिसमे भ्रष्टाचार सबसे बड़ा कारन है|जिसके बारे में खुद कांग्रेस सरकार के भी एक प्रधान सेवक ने खुद ये कहा है कि सौ पैसे में पचासी पैसे जनता तक तक पहुँचते पहुचते बिच में ही चोरी हो जाती है|जिस तरह की भ्रष्ट आचरण से युक्त सरकार खुद ही ये मानकर अपना सेवा कार्यकाल पुरा करती रही है|जिस कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व में उपर से लेकर निचे तक चोरी करने वाले भ्रष्टाचारी देश का धन चोरी करने के लिए भरे पड़े हैं|लेकिन फिर भी उन्हे पकड़कर उनके जगह में साफ सुथरा बेरोजगारो को रोजगार देकर सौ में सौ पैसा जनता तक पहुँचाने के बजाय वर्तमान की भी भाजपा सरकार सिर्फ गरिब बीपीएल कार्ड बांटकर भुखमरी दुर करने करने के लिये मुठीभर चावल गेहूँ बांट रही है|जिसमे भी दो टांग वाले मोटे चुहे सरकारी अनाज को बंटने से पहले ही बेचकर दुसरो की हक अधिकारो को खा जा रहे हैं|भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनाव जीतकर गरिबी हटाने और सबके अच्छे दिन लाने की ऐसी कोशिष में लगी हुई है,जैसे कोई किसी घड़े में खुद ही बड़े बड़े छेद करके उसमे पानी भरने की कोशिष में लगा हुआ है|बजाय इसके कि मेरे ख्याल से किसी की हक अधिकारो की चोरी न हो इसके लिए सबसे अच्छा तो ये होता कि सरकार सिधे गरिब बीपीएल के खाते में हर महिने एक तय की हुई उचित राशी बांट देती|ताकि उसे उपर से निचे तक पहुँचते पहुँचते चोर लुटेरे चोरी करके सौ में पचासी पैसे को आपस में बंटवारा करने के बजाय सौ में सौ सिधे खाते में आ जाती|और यदि बिच में चोरी भी होती एक एक पैसे की तो उसे पता करने में ज्यादे मुश्किल भी नही होती कि किसके खाते में एक एक पैसे की चोरी करके दुसरे का धन जा रही है?जैसे की वर्तमान में कोई मोबाईल धारक अपने मोबाईल बैलेंश में एक रुपये की भी चोरी होते हुए तुरंत जान लेता है और कस्टमर केयर को कॉल करके देशी गाली देकर अपना वशुली माँ बहन करके भी बिना पैसे प्राप्त किये भी कर लेता है|हलांकि कालाधन जो जमा किया गया है चोर लुटेरो द्वारा देश विदेश में,उन्हे भी हर रोज करोड़ो लोग देशी गाली रोज ही जरुर देते होंगे जब कोई भ्रष्टाचारी उनके हक अधिकारो को छिनता और चोरी करता होगा|जैसे कि उपर से निचे तक बिच में जो सौ में पचासी पैसे की चोरी होती है,उसे चुराने वाले भ्रष्टाचारियो को करोड़ो पिड़ित नागरिको द्वारा रोज रोज सरकारी दफ्तरो और बाकि भी ऐसे बहुत से जगह जहाँ पर भ्रष्टाचार की गंदगी तेजी से बह रही है,उन सभी जगहो में अपने अपने तरिके से चोर लुटेरो को गाली जरुर दी जाती होगी|जिसके बावजुद भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारी बड़े बेशर्म होकर हर रोज ही बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने में लगे हुए हैं|जो भ्रष्टाचार की गंदगी बेशर्म होकर जबतक बहती रहेगी तबतक चाहे जितना सफाई योजना चलाये ये सरकार गंगा भी भ्रष्टाचारियो की पाप से ऐसी मैली होती रहेगी,जिसे साफ कर पाना कम से कम मेरे विचार से कांग्रेस भाजपा के वश की बात नही है|जो कांग्रेस भाजपा दोनो ही पुन्य कमाने के लिये मुठीभर अबादी को हर साल हजारो लाखो करोड़ छुट और माफी के रुप में सरकारी धन बांटकर और बहुसंख्यक अबादी को सिर्फ आधा पेट अन्न के लिए गरिब बीपीएल कार्ड बांटकर न तो सुख शांती और समृद्धी का घड़ा भर पायेगी और न ही सभी नागरिको की प्यास बुझेगी|सिर्फ मुठीभर अबादी छप्पन भोग और बिसलेरी एक्वा अति खा पिकर पेट फटने की वजह से भी मरते रहेंगे और बहुसंख्यक अबादी अन्न जल के लिये भी नोटबंदी कतार की तरह सरकारी राशन दुकानो की लाईन में लगकर भुख प्याश से मरते रहेंगे|इससे अच्छा तो ये है कि दोनो के बिच में एक संतुलन रास्ता अपनाया जाय जो कि सबका साथ सबका विकाश के बजाय देश और प्रजा की समृद्धी के बारे में ज्यादे ध्यान देकर पहले देश से गरिबी भुखमरी दुर करने के लिये सभी नागरिको के खाते में हर साल गरिबी रेखा से उपर का धन राशि सरकार द्वारा बांटा जाय|बजाय इसके कि सरकार हर साल मुठिभर धन्ना कुबेरो को हजारो लाखो करोड़ की छुट और माफी बांट रही है|गरिबी के नाम से विदेशी कर्ज लेकर मुठीभर अबादी को हर साल हजारो लाखो करोड़ का छुट व माफी और बाकियो को एक दो लाख की कर्ज में भी माफी और छुट न देकर अलग तरह की भारी भेदभाव विकाश घी पीया जा रहा है|धन्ना कुबेर हजारो करोड़ न चुकाये तो उन्हे विशेष विदेशी छुट और बाकियो को देशी गाली ग्लोज और धमकी मिलती रहती है यदि कोई नागरिक गरिबी और तंगी की वजह से एक दो लाख रुपये भी न चुका पाये|जबकि माल्या और निरव मोदी जैसे धन्ना कुबेरो कि जिवन में कौन सी गुप्त गरिबी भुखमरी किसी गुप्त बिमारी की तरह पल रही है,जो हजारो करोड़ के महलो में भी रहने वाले धन्ना कुबेरो को हर साल हजारो लाखो करोड़ की छुट और माफी देकर किसी पोलियो मुक्त टीकाकरन अभियान की तरह चलाई जा रही है|जिसमे कांग्रेस भाजपा दोनो ही माहिर हो चुकी है|जिसकी वजह से जब जनता सवाल करने लगती है तो भाजपा कांग्रेस पार्टी दोनो ही एक दुसरे को विजय माल्या और नीरव मोदी को भगवाने का मास्टर माईंड बतलाकर एक दुसरे को निरव मोदी और विजय माल्या के खास करिबी बतलाते हैं|बल्कि दोनो ही पार्टी एक दुसरे को देश का सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी बतलाकर अजादी से लेकर अबतक सबसे अधिक राज्यो के साथ साथ केन्द्र में भी सबसे अधिक समय तक शासन की हैं|एक तो अजादी से लेकर साठ सालो तक शासन की है और दुसरी साठ साल बनाम साठ महिने कहकर सौ महिने से भी अधिक समय से शासन कर रही है|दोनो ही पार्टी को मानो आदत सी हो गयी है गरिबी के नाम से देशी वोट और विदेशी कर्ज लेकर देशी और विदेशी दोनो तरह की घी पीने की|खैर कभी गुजरात दंगे के बाद मोदी को ठीक से राजधर्म का पालन करना चाहिए कहकर अटल ने जो बात मीडिया के सामने कही थी, वह बात भी अब गुमनाम हो चुका है|बल्कि सायद जनता भी अब ये बात भुल चुकि है कि मोदी के नेतृत्व में गुजरात राज्य का मुख्यमंत्री बनकर एक दशक तक गुजरात में भी डीजिटल इंडिया कुपोषित शासन चल चुकी है|जहाँ पर अब भी भारी अबादी जिसमे महिला और बच्चे सबसे अधिक कुपोषित हैं|जिनकी कुपोषन को छिपाने के लिये उन्हे सुट बुट लगाये पोस्टरो से डीजिटल इंडिया की प्रचार प्रसार के बहाने ढकने की प्रयाश खाशकर तब सबसे अधिक होती रही है जब कोई विदेशो से खाश मेहमान का स्वागत सुटबुट लगाकर होता है|जिसके साथ साथ छप्पन भोग की भी तैयारी जमकर होती है|जो तैयारी कभी कभी तो ऐसी भी होती है कि मुठिभर अबादी के अलावे यदि बहुसंख्यक अबादी उस खाश तरह की मेहमान नवाजी को चखना तो दुर यदि सिर्फ देखना भी चाहे तो उसे नही देख सकता क्योंकि ऐसी मेहमान नवाजी में जिस तरह के महंगे महंगे सम्हारोह होते हैं उसे देखने के लिए कई सम्हारोह में तो इतनी महंगी महंगी टिकटे भी बिकती है कि उसे कोई गरिब बीपीएल परिवार अपने सालभर की कमाई को जोड़कर भी यदि छप्पन भोग की मेहमान नवाजी सम्हारोह को सिर्फ भुखा पेट देखना भी चाहे तो नही देख सकता|जिस तरह की मेहमान नवाजी कोई अभी के समय में नही हो रहे हैं,बल्कि अजादी से पहले भी गुलामी के समय में भी होते रहे हैं|देश की जनता गरिबी भुखमरी से हर रोज कई तो दम तोड़ रहे होते हैं और सरकार महंगी महंगी सम्हारोह और जस्न में डुबी हुई रहती है|कभी गोरे भी अनगिनत नागरिको को भुख और कुपोषन में मरते हुए छोड़कर महंगी महंगी सम्हारोह करके जस्न में डुबे रहते थे|बल्कि बाढ़ अकाल महामारी के समय भी गोरे सुटबुट लगाकर देश की धन संपदा को खर्च करके दिल्ली में महंगे महंगे सम्हारोह करके जस्न में डुबे हुए रहते थे|कांग्रेस सरकार भी गरिबी हटाओ का नारा देकर साठ सालो तक जस्न में ही डुबी रही है|जिस दौरान भाजपा रथ की सवारी करके वर्तमान के प्रधान सेवक लाखो रुपये की सुट बुट पहनने वाले मोदी जवानी से बुढ़ापा तक भाजपा के चुनाव प्रचार में शामिल होकर उसी जनता के बिच भाजपा के लिए वोट जुटाने का काम करते रहे हैं,जिस जनता ने 2014 ई० के लोकसभा चुनाव में साठ साल कांग्रेस सरकार बनाम साठ महिने भाजपा सरकार को सबके अच्छे दिन लाने का शाईनिंग इंडिया के बाद फिर से मौका दिया है|मानो जनता मालिक द्वारा मोदी को कोई नया चमत्कारी चेहरा जो कि गरिबी भुखमरी को सायद करिब से देखा है इसलिये खुद लाखो रुपयो की सुटबुट लगाने के साथ बाकि भी गरिबो की गरिबी दुर करेगा सोचकर भारी वोट दिया गया है|ऐसा चेहरा जो कि प्रजा के बिच में ही मौजुद रहकर भी मानो सबके अच्छे दिन लाने के लिए शाईनिंग इंडिया के समय भी देश में प्रजा सेवा करने के लिये चमत्कारी रुप से पहले कभी मोदी मोदी का नारा लगवाने के लिये थे ही नही|तभी तो मोदी के जवानी से लेकर बुढ़ापा तक भाजपा में मौजुदगी रहते हुए भी 2014ई० में अचानक से मोदी मोदी करके साठ साल बनाम साठ महिने का नारा ऐसे दिया गया था जैसे कोई नया चेहरा को देश में भारी बदलाव के लिये प्रधानमंत्री का उम्मीदवार चुना गया था|जबकि सच्चाई तो यही है कि मोदी नेतृत्व में भाजपा सरकार फिर से साईनिंग इंडिया को ही अपडेट करके डीजिटल इंडिया का नारा देकर भारी बहुमत से चुनकर आई है|जिसके बाद मोदी के नेतृत्व में चार साल से भी अधिक समय के शासनकाल पुरे हो चुके हैं|अथवा साठ साल बनाम साठ महिने का अवसर मांगकर आई भाजपा सरकार के कार्यकाल 26 जुलाई को पचास महिने पुरे हो जायेंगे|और यदि साईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया दोनो ही भाजपा सरकार कार्यकाल को जोड़ दिया जाय तो पहले का साठ महिना और अभी चल रहे पचास महिना कुल मिलाकर सौ महिना से अधिक हो गये हैं भाजपा नेतृत्व में प्रजा और देश को सेवा करने का जिम्मेवारी लिये|जिस भाजपा के कथनी अनुसार यदि साठ साल बनाम साठ महिना का शासन की तुलना किया जाय तो भाजपा सौ साल से अधिक शासन कर चुकि है|जितने की उम्र जैसा कि मैने इससे पहले भी बतलाया कि अटल और मोदी की भी अभी नही हुई है|जिसके बावजुद भी बड़े बड़े अपराध करने वाले मसलन बलात्कारियो की भ्रष्ट बुद्धी में इस सरकार से कोई डर भय घुस ही नही रही है|तभी तो आज भी इतने सालो तक कांग्रेस और भाजपा दोनो ही इस देश में इतने लंबे समय तक शासन करने के बावजुद भी हर रोज ऐसे बुरे दिन लाने वाले बलात्कार हर रोज हो रहे हैं,जिसके बारे में खबर पढ़ सुन और देखकर अँधेर नगरी चौपट राजा बुरे दिनो की अपडेट झांकी ही दोहराते हुए देखने सुनने और पढ़ने को मिलती है|जिस तरह के अँधेर नगरी अपराध अपडेट लगातार कांग्रेस के समय भी होते रहे हैं|और अब कांग्रेस मुक्त का नारा देनेवाली भाजपा सरकार के समय में भी हो रहे हैं|लेकिन फिर भी कांग्रेस सरकार के समय अपराधी और बलात्कारियो के खिलाफ अवाज उठाते समय भाजपा पार्टी जनता को सबसे अच्छी लगती रही है|और अब सायद भाजपा सरकार के समय कांग्रेस सबसे अच्छी लग रही है|तभी तो साठ साल कांग्रेस सरकार बनाम साठ महिने की साईनिंग इंडिया भाजपा सरकार के चुने जाने के बाद रोज रोज डीजिटल इंडिया भाजपा सरकार के नेतृत्व में बुरे दिन ही अपडेट होते हुए देख सुन और पढ़कर बहुत से भाजपा नेता कांग्रेस युक्त होकर फिर से कांग्रेस की ही सरकार चुनने की तैयारी में लग गए हैं|जबकि भाजपा और कांग्रेस युक्त सोच की सरकार अदला बदली करके बार बार चुनते रहने के बाद देश में जिस तरह के बड़े बड़े अपराध और बलात्कार अब भी तेज रफ्तार से हो रहे हैं,उसके बारे में जानकर तो यही लगता है कि न तो कांग्रेस सरकार ही देश और प्रजा के अच्छे दिन लाई है और न लायेगी और न ही भाजपा सरकार ही अच्छे दिन लायेगी|सिर्फ अच्छे दिन आनेवाले हैं भाषन अश्वासन देख सुन और पढ़कर कांग्रेस और भाजपा सरकार दोनो ही एक दुसरे को सबसे प्रमुख विरोधी पार्टी बतलाकर बारी बारी से हेड टेल चुनकर आती जाती रहेगी|जिसमे कोई खास बदलाव न होने के चलते ही सायद बलात्कारियो के हौसले बड़ते ही जा रहे हैं|क्योंकि अपराध का इतिहास के बारे में जानकर कोई भी इस सवाल का जवाब दे सकता है कि भारी बदलाव और विकाश की बाते करके एक से अधिक बार चुनकर आई भाजपा कांग्रेस के शासन में आखिर क्या क्या खास बदलाव हुए और हो रहे हैं अपराध मुक्त शासन को लेकर?बहुत हुआ नारी पर वार,अपकीबार भाजपा सरकार हो या फिर कांग्रेस की गरिबी हटाओ सरकार चुनी गई हो,दोनो पार्टियो की ही सरकार एक से अधिक बार केन्द्र में चुनकर अपना कार्यकाल में बुरे दिनो को दुर करने में नकाम रही है|जिसकी सच्चाई के बारे में खुद भी अपडेट होते देख सुन और पढ़कर एक दुसरे को देश का सबसे भ्रष्ट पार्टी बतलाकर,उसके बाद वोट बटोरकर केन्द्र में बैठ चुकि है|जैसा की अब आनेवाली लोकसभा चुनाव 2019 ई० से पहले फिर से वही कांग्रेस भाजपा को लाने के लिए मीडिया में भी दोनो पार्टियो को ही हेड टेल की तरह दिखलाकर बहस सुरु हो गई है|ताकि हेड या टेल के रुप में भाजपा या फिर कांग्रेस को ही फिर से केन्द्र में बिठाया जा सके|जिन दोनो ही पार्टियो की सरकार ने देश में एक दुसरे को सबसे अधिक विरोधी पार्टी दर्शाकर और साथ साथ एक दुसरे को देश का सबसे भ्रष्ट पार्टी बतलाकर एक से अधिक बार केन्द्र में चुनाने में कामयाब आखिर क्यों हुई है?जिस सवाल का जवाब मेरे ख्याल से भाजपा और कांग्रेस को ही अदला बदली करके देश का नेतृत्व करने का मौका देनेवाले वोटरो से ज्यादे मीडिया दे सकती है|जिसे सबसे अधिक पता है कि कांग्रेस भाजपा बहस सबसे अधिक क्यों कराई जाती है?जिन दोनो पार्टियो की सरकार सबसे अधिक राज्यो में भी चल रही है|जैसे की हाल ही में एक मासूम के साथ जो हैवानियत हुई है,वहाँ पर भी भाजपा सरकार चल रही है|जहाँ पर व्यापम और बलात्कार जैसे घटना घटित होकर पुरे देश की इतिहास में ही दाग लग गयी है|जिस तरह की दाग जनता मालिक को अपने विश्वाश में लेकर भारी बहुमत से केन्द्र में चुनी जानी वाली भाजपा सरकार के साथ भी किसी बलात्कार से कम नही है|क्योंकि मेरे विचार से तो सरकार के पास इतने सारे सुरक्षा प्रणाली और बुरे हालात दुर करने के सारे तंत्र होने के बावजुद भी इस तरह के बलात्कार की घटना को बलात्कारी बार बार जो दोहरा रहे हैं,ये बार बार दोहरा बलात्कार सिर्फ जनता मालिको के बहू बेटियो के साथ नही है,बल्कि बहुत हुआ नारी पर वार कहकर भारी बहुमत से चुनकर आई भाजपा सरकार के साथ भी बलात्कारी बारी बारी से बलात्कार जैसे वार कर रहे हैं!जिनसे भाजपा सरकार बचाव करना तो दुर बलात्कारियो को ठीक से सजा भी नही दिला पा रही है|जिस तरह के बलात्कारियो को यदि जल्दी से जल्दी ऐसी कड़ी सजा नही होती है,जिससे की किसी मासुम बच्ची के साथ खुनी हवश पुर्ती करने वाला बलात्कारी को सजा मिलते देखकर कोई दुसरा बलात्कारी आत्मा भी उसके हवशी जिस्म से बिना सजा मिले भी बाहर न निकल जाय,तबतक बार बार कांग्रेस भाजपा की सरकार चुनकर अच्छे दिन आने का इंतजार करने से अच्छा मेरे विचार से भाजपा कांग्रेस दोनो को ही हराकर किसी तीसरी को केन्द्र में भारी बहुमत से चुनकर सुख शांती और समृद्धी अपडेट का मौका देनी चाहिए|या तो फिर यह सत्य मान ली जाय कि कांग्रेस भाजपा दोनो के ही नेतृत्व में देश और प्रजा सेवा बेहत्तर चल रही है|और सारे अपराध की घटना न्याय व्यवस्था की खराबी की वजह से ही पेशेवर अपराध के रुप में दोहराई जा रही है|जो बात यदि सचमुच में सत्य है तो फिर तो ऐसी अंग्रेजी न्याय व्यवस्था को ही अब बदल देनी चाहिये,जहाँ पर बलात्कारी को सुधार घर में डालने की सजा कम मिल रही है|और अपराधियो की भ्रष्ट बुद्धी में सुधार न होने कि वजह से देश में बलात्कार ज्यादा हो रहे हैं|और जनता भी भाजपा कांग्रेस भाजपा कांग्रेस चुनकर इन्ही दोनो पार्टियो पर ही विश्वाश करके उन्हे ही बार बार जीता रही है|जिसके नेतृत्व में देश की और जनता की बुरे हालात सुधरेगी इसकी उम्मीद करने के बजाय अब तो सत्य शिव के द्वारा जल्दी से सत्य न्याय की तांडव सजा हो इसकी विनती करने का मन बार बार कर रहा है|क्योंकि इतिहास में ही बड़ा दाग लगाने वाले सारे बलात्कारियो की अपराधी भ्रष्ट तन मन में सजा के रुप में जल्दी से भारी बदलाव हो ऐसी सत्य न्याय तांडव देखने सुनने और पढ़ने को न के बराबर मिल रही है|इसलिए यदि सरकार और न्याय व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है,तो फिर तो जल्दी से भगवान ही ऐसी न्याय करे जिससे की सत्य न्याय फिर से कायम हो जाय|बल्कि वर्तमान में जिस तरह के आत्मविश्वाश बलात्कारियो के बड़ते जा रहे हैं,उसके बारे में जानकर मुझे तो कम से कम जबतक कांग्रेस भाजपा की सरकार केन्द्र में शासन करती रहेगी,तबतक सत्य शिव की ही न्याय में ज्यादे विश्वाश करके मन में सत्य शिव से विनती करके उसी के जरिये सत्य न्याय जल्दी से कायम हो सभी अपराधियो और बलात्कारियो को उचित सजा देकर इसकी उम्मीद ज्यादे करता रहूँगा,बजाय भाजपा व कांग्रेस सरकार और उच्च निच न्यायालय में|क्योंकि सत्य शिव की न्याय में कोई उच्च और निच कई अदालत नही होती है,बल्कि एक अदालत रहती है|जिससे कोई नही बच सकता चाहे क्यों न ब्रह्मा ही हो|जिसने सरस्वती पर सिर्फ बुरी नजर रखा था,लेकिन भी सत्य शिव ने चार सर वाले ब्रह्मा तक का भी सर को उसके धड़ से अलग करके उसे सजा दिया था|जिस सत्य शिव की न्याय में लंबे समय से ग्रहण सायद इसलिये लग गयी है,क्योंकि सायय सत्य शिव भी किसी भस्मासुर से पिच्छा छुड़ाने के लिये किसी गुफा में योग में चले गये हैं|जिस सत्य शिव के बजाय राम को अपना आदर्श मानने वाली भाजपा पार्टी के नेतृत्व में जिस तरह के शासन वर्तमान में चल रही है उसमे हर रोज सिर्फ नर नारी का तन धन अपहरण ही नही,हर साल सैकड़ो हजारो बलात्कार भी हो रहे हैं|जिनमे  खुनी हवशी लोगो द्वारा मसुम बच्चियो के साथ ऐसे ऐसे बलात्कार भी हो रहे हैं,जिसके बारे में जानकर बलात्कारी के माता पिता भी मन में यही बात बार बार सोचते होंगे कि ऐसे शैतानो को जन्म देने की बदकिस्मती उनके जिवन में आखिर क्यों देखने को मिली है?जिसके बावजुद भी कई बलात्कारियो को सजा भी नही मिलती है|और वे एक के बाद दुसरा फिर तीसरा फिर चौथा बलात्कार करते हुए बलात्कार में बलात्कार करके बलात्कार को मानो अपना पाप पेशेवर हुनर बनाकर अपने बहुत से ऐसे करिबियो को भी उसे भविष्य में देने में लगे हैं,जो की उन्हे बचाने में लगे हुए हैं|क्योंकि बलात्कार जैसे कुकर्म हुनर यदि लंबे समय से किसी को बांटी या दी गई नही होती तो फिर किसी बलात्कारी के मरने और बुढ़ा होकर घाट पकड़ने के बाद बलात्कारी कबका डायनासोर की तरह लुप्त हो गए होते|पर वे लुप्त न होकर फिर से किधर से बरसात में गंदी नलियो से निकलने वाली कीड़ा मकौड़ा कि तरह हर रोज निकलते रहते हैं|और मौका पाकर बलात्कार भी करते रहते हैं|जिन बलात्कारियो में किसी मासुम बच्ची का बलात्कारी चाहे जिस जात धर्म का हो,उसे यदि कड़ी से कड़ी सजा कोर्ट द्वारा नही दी जा सक रही हो तो सिधे ऐसे बलात्कारियो को इंसान के रुप में जानवर घोषित करके किसी चिड़ियाघर में डाल देनी चाहिए|हलांकि क्या पता ऐसे बलात्कारी किसी भ्रष्ट हिंसक जानवर से भी ज्यादे हिंसक और गंदे मन का होकर कहीं पर भी किसी के साथ भी जबरजस्ती  सेक्स करने वाला पापी रुप धारन करके वहाँ पर भी अपनी खुनी हवश मिटाने के लिए इंसानो के साथ साथ  किसी जानवर का भी बलात्कार करने लगंगे|इसलिए ऐसे बलात्कारियो को तो उपर चाँद में ले जाकर कुछ समय तक जिवित रहने की सुविधा प्रदान करके छोड़ आनी चाहिए|क्या पता बलात्कारियो की झुंड वहाँ पर अपनी भ्रष्ट बलात्कारी बुद्धी का इस्तेमाल करके एक दुसरे का बलात्कार करके एक नई दुनियाँ बसा ले|हलांकि इस पृथ्वी में मौजुद इंसानो कि दुनियाँ में ऐसे अपराधियो के लिए इस तरह की भारी खर्च करना तो दुर मेरे विचार से तो इन्हे ऐसे सुधार घर में डालनी ही नही चाहिए जहाँ का कोई नागरिक सरकारी नौकर बनकर इनकी सेवा में हमेशा हाजिर रहते हो|क्योंकि एक तरफ तो सबके अच्छे दिन आनेवाले हैं भाषन अश्वाशन देकर करोड़ो नागरिको को गरिबी भुखमरी और कुपोषन सेवा दी जा रही है,और दुसरी तरफ किसी मासुम बच्चियो के साथ खुनी बलात्कार करने वाले बलात्कारियो को सजा के रुप में भी सेहतमंद खान पान से लेकर बेहत्तर सुरक्षा और कई खास इंतजाम करके सरकारी नौकरो द्वारा खास सेवा भी दी जा रही है|जिस तरह की सेवा मेरे विचार से बंद होनी चाहिए|

इस देश में रहकर और इस देश का खा पीकर इस देश और किसी धर्म की बुराई क्यों


Hum sab hindustani
इस देश में रहकर और इस देश का खाकर आखिर क्यों किसी नागरिक द्वारा रोज रोज इस कृषी प्रधान देश में मौजुद किसी धर्म की बदनामी करके अखंड हिन्दुस्तान की बदनामी की जा रही है|बल्कि कोई व्यक्ती दुसरे भी देश में रहकर और दुसरे देश का खाकर दुसरे धर्मो की बुराई क्यों करे?क्योंकि जिस प्रकार इस कृषी प्रधान देश में खुदको हिन्दुस्तानी कहने में सभी धर्म के लोग गर्व करते हैं,उसी तरह हो सकता है बहुत से लोग जो की इस देश के वासी हैं,वे किसी दुसरे देशो में बसकर और वहाँ की नागरिकता प्राप्त करके खुदको उस देश के वासी कहने में गर्व करते हैं|जो कि स्वभाविक भी है कि किसी व्यक्ती द्वारा जहाँ पर रहना उसे ज्यादे पसंद है,और जहाँ पर उनकी अन्न जल रोजी रोटी चलती है,उसी धरती को वह सबसे अधिक तारिफ भी करता रहता है|जैसे कि बचपन में ही गोद लिया बच्चा जन्म देनेवाले अपने असली माता पिता के बजाय गोद लेकर बड़ा करने वाले व्यक्तियो को अपना असली माता मानकर उसी का ही तारीफ दिन रात करता है|हलांकि अपनी इच्छा से दुसरे देशो में जाकर वहाँ की नागरिकता प्राप्त करने वाले  नागरिक किसी देश के द्वारा गोद नही लिये गये हैं बल्कि किसी बाहरी के द्वारा नागरिकता प्राप्त करने कि निवेदन को मानो इंसानियत के नाते स्वीकार लिये हैं|जहाँ से भी यदि कोई नागरिक पलायन होकर किसी दुसरे देश को पसंद करके यदि वहाँ पर रोजी रोटी अन्न जल का इंतजाम करके वहीं पर ही बसने के बाद लंबे समय तक जिवन यापन होने लगती है,तो इसके बाद में ज्यादेतर इसकी संभावना बन जाती है कि वह व्यक्ती अब किसी और देश की अन्न जल रोजी रोटी खाकर अब उस देश की भी तारीफ सबसे अधिक करेगा|जैसे कि इस देश के भी कई नागरिक दुसरे देशो में बसकर इस देश का बुराई करते हैं|और जहाँ पर रह रहे होते हैं,उसकी तारीफ करते रहते हैं|भले क्यों न जब विदेशो में आफत आती है तो मुसिबत में अपना देश ही याद आती है|हलांकि मेरे ख्याल से चाहे किसी देश की तारिफ हो या फिर बुराई हो,कोई भी देश बुरा नही है|और न ही कोई देश के सभी लोग बुरे होते हैं|बल्कि ज्यादेतर लोग अच्छे ही होते हैं|पर मुठिभर बुरे लोगो की वजह से कोई देश बदनाम हो जाता है|जैसे कि किसी विद्यालय में भी यदि कोई एकात शिक्षक किसी छात्र का बलात्कारी निकल जाता है तो पुरा विद्यालय ही बदनाम हो जाता है|यह चर्चा करके कि फलाना स्कूल में एक अपराध मुक्त ज्ञान बांटने वाला शिक्षक ने एक मासुम छात्र के साथ बलात्कार किया है|जिसके बाद उस बलात्कारी शिक्षक के द्वारा जिस विद्यालय में ज्ञान बांटने की नौकरी की जा रही होती है,वहाँ के बाकि भी शिक्षक को शक की निगाह से देखा जाने लगता है|यह सोचकर कि उस बलात्कारी शिक्षक से बाकि भी तो मिले हुए नही हैं?क्योंकि अक्सर अपराध किसी शिकारी जानवरो के द्वारा खुंखार झुंड बनाकर सामुहिक रुप से शिकार करने के जैसा ही सबकुछ तय करके होती है|इसलिये जब भी ऐसा खुंखार अपराध होता है जिसमे कि आस पास के करिबी अथवा दुसरो को भी किसी अपराधी के बारे में रोजमरा जिवन के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिलती रहती है,तो ऐसे हालात में अपराध होने पर किसी अपराधी के करिबियो को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ जाता है|जो कि स्वभाविक है,क्योंकि खास जिम्मेवारी वाले पदो में किसी अपराधी और बलात्कारियो को ऐसी जिम्मेवारी पद क्यों दी जाती है जिसका की वे ठीक से जिम्मेवारी निभाना तो दूर,सही इंसान भी ठीक से नही बन पाते हैं|जबकि जैसे ही कोई इंसान बड़े होने के बाद दुनियाँदारी समझने लगता है,वैसे ही उसे इंसानियत के बारे में भी कम से कम इतना तो समान्य ज्ञान जरुर ले लेना चाहिए था कि वह इंसान है इसलिये ऐसे खुंखार खुनी शिकारी जानवरो जैसा हरकत न करे जो कि अपने खुनी पंजो से किसी निर्दोश को दबोचकर उसकी या तो इज्जत जबरजस्ती छिन लेते हैं या फिर जिवन ही छिन लेते हैं|जिस तरह कि ही कोई कुकर्म कभी भी न करें इसकी ज्ञान अपने माता पिता दोस्त रिस्तेदार वगैरा खास करिबियो से जरुर हासिल कर लें कि हत्या लूट बलात्कार,ठगी,ढोंगी पाखंडी चोरी कालाबाजारी जैसे कई भ्रष्टाचार को करना अपने आप को शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानकर धिरे धिरे इंसान के रुप में जानवर बनाना है|जिस तरह के अपराध करने वाले अपराधियो से धरती को मुक्त करने के लिये सभी देश की सरकारो के साथ साथ सभी धर्मो के धर्म गुरुओ द्वारा ज्ञान बांटा जा रहा है|इसलिये जाहिर है ऐसे अपराधो को कभी भी नही करनी चाहिए,बल्कि जब भी मौका मिले तो उसके बारे में व उनसे दुर रहने के बारे में प्रभावी जानकारी किसी से जरुर ले लेनी चाहिए| जिस तरह की सबसे जरुरी बात जानने के बाद सभी इंसानो को जरुर हमेशा याद रखनी चाहिए कि अपराधी इंसान और जानवर में एक सबसे बड़ा खास फर्क ये भी होता है कि जानवर तो मरने के बाद अपने जंगलराज की इंतिहास से लुप्त डायनासोर हो जाते हैं,पर अपराधी इंसान अपना भ्रष्ट अपराध इतिहास को भविष्य की नई पिड़ि की नजर से न चाहते हुए भी छिपा नही सकता है|बल्कि किसी अपराधी इंसान की कुकर्म उसकी अपनी खुदकी नई पिड़ि के अलावे दुसरो के भी नई पिड़ि के लिये खुली किताब की तरह भविष्य के लिये इकठा होते जाती रहती है|जो कि किसी अपराधी की नई पिड़ि को तो बदनाम करती ही है,पर कोई अपराधी यदि मर भी जाता है तो मानो उसकी भुत आत्मा मोक्ष पाने के लिये भी भटकती रहती है|ये सोचकर की आखिर उसने ऐसा अपराध क्यों किया जिसे यदि न भी करता तो उसकी जिवन में बेहत्तर जिवन जी जा सकती थी|बल्कि उसकी नई पिड़ी और उसकी भटकती आत्मा के लिये भी लाभदायक साबित होता यदि दुसरो के हक अधिकारो की लुट हत्या चोरी ढोंगी पाखंडी ठग घुसखोरी मुनाफाखोरी कालाबाजारी जैसे बड़े बड़े अपराध अपनी बुद्धी को भ्रष्ट करके उसके जरिये नही होती|खासकर यदि इंसान खुदको जब इस पृथ्वी का सबसे श्रेष्ट प्राणी कहलाने के लिये इंसानियत के बारे में ज्यादे गंभीरता से लेकर खुदको अपराध मुक्त तन मन से लंबे समय से यदि लगा हुआ है तो उसे सफल बनाने के लिये कैसे बेहत्तर से बेहत्तर इंसानियत की खोज किया जाय इसपर सभी इंसानो को ज्यादे दिलचस्पी जरुर होनी चाहिए|क्योंकि सभी इंसानो के भितर इंसानियत जरुर होनी चाहिए इसलिये भी ज्यादे उम्मीद की जाती है कि ज्यादेतर इंसानो की विकाश में उसके भितर में मुल रुप से बलात्कारी और छिना झपटी जैसे भ्रष्ट हुनर किसी पुंछ की तरह गायब होती चली गयी है|पृथ्वी में बहुत कम ऐसे इंसान मौजुद हैं जिनके अंदर शिकारी जानवरो के जैसा अपराधी छवी मौजुद है|इसलिये भी चूँकि इंसान को धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी भी माना जाता है,इसलिये इस धरती में इंसानियत शब्द का मतलब अपराध मुक्त परिवार समाज माना जाता है|जिस इंसानियत को कायम करने के लिए सभी देश की सरकार दिन रात कोशिष में लगी रहती है|जैसे कि इस देश की कोई भी सरकार प्रजा सेवक बनकर देश और जनता की सेवा करने में ही लगी रहती है|और जनता भी इंसानियत ठीक से कायम हो इसके लिए हर रोज एक दुसरे की मदत करने में लगी रहती है|इंसानियत ठीक से चारो तरफ कायम हो इसके लिए एक दुसरे से मेल जोल बड़ाकर एकता कायम और इंसानियत कायम करने का प्रयाश दिन रात चलता ही रहता है|बल्कि इस देश के नागरिको के साथ साथ बहुत से बाहर के नागरिक भी इस देश में आकर आपसी मेल जोल बड़ाकर इंसानियत कायम करने में प्रमुख भूमिका निभाते रहते हैं|भले क्यों न हजारो सालो से इस देश में बाहर से आये हुए बहुत से कबिलई लुटेरे लुटमार चोरी वगैरा बड़े बड़े अपराध करके इंसानियत के बजाय  हैवानियत कायम करना चाहते रहे हैं|जिसके साथ साथ बहुत से कबिलई लुटेरे लुटपाट नही बल्कि अपने मूल स्थान को छोड़कर घुमते फिरते इस देश में प्रवेश करने के बाद खुद भी इंसान होते हुए भी इस देश के मुलवासियो को लुटते और शोषन अत्याचार करते रहे हैं|क्योंकि उनके जिवन में शिकारी जानवरो की तरह दुसरे की शिकार करके अपना जिवन बसर करने की दिनचर्या जबतक समाप्त नही हो गई किसी विकसित सत्य बुद्धी वाले इंसानो के द्वारा संपर्क में आकर इंसानियत का विकाश करके तबतक वे खुदको शिकारी हिंसक जिवन को लंबे समय तक जिते रहे हैं|जिससे अपने आपको बाहर तबतक नही निकाल सके या सकते जबतक कि उनके भितर एक दुसरे को लुटने के बजाय एक दुसरे की मदत करने कि इंसानियत कायम न हो जाय |जिस प्रकार का इंसानियत कायम करने के लिये यह कृषी प्रधान सागर देश हजारो सालो से ऐसे अनगिनत कबिलई लुटेरो को  अपने भितर किसी नदी नालो कि तरह समा लिया है|अथवा इस कृषी प्रधान देश के द्वारा बहुत से विदेशी बिन बुलाये मेहमानो के साथ साथ बहुत से कबिलई लुटेरो को भी मानो गोद ले लेने के बाद उन्हे यहीं पर बसाकर उन्हे अपनी नई दुनियाँ प्रदान किया है|जिसके चलते हजारो सालो से इस कृषी प्रधान देश में कई कबिलई टोलियाँ समय समय पर प्राचिन काल के समय अपनी नई दुनियाँ बसाते रहे हैं|क्योंकि सभी को पता है कि भले इस देश में कई धर्म और उच्च निच जात पात का इतिहास जुड़ा हुआ हो,पर जिनके कबिलई पुर्वज समय समय पर अखंड हिन्दुस्तान में मानो स्थिर हिन्द सागर के लहरो में बहते हुए आकर इस कृषी प्रधान देश अखंड हिन्दुस्तान में अनेको छोटी बड़ी नदियो की तरह समा गए हो|जिन विदेशी मुल के बहुत से कबिलई टोलियो के ही डीएनए के कई नई पिड़ी अब इस अखंड हिन्दुस्तान देश का नागरिक होने में गर्व महसुश होती है|भले उनका डीएनए इस देश के मुलवासी मदर और फादर इंडिया डीएनए से नही मिलती है|क्योंकि उनकी अन्न जल रोजी रोटी बल्कि उसी की भाषा में हवा पानी भी इस देश से ही जुड़ी हुई है|जिस देश की हवा पानी अन्न जल रोटी खा पीकर भी यदि किसी वजह से किसी नागरिक को खुदको हिन्दुस्तानी कहने में गर्व नही होता तो वे निश्चित तौर पर अब भितरी मन से अपने असली पुर्वजो को तेजी से तलाश कर रहे है|जो कि सायद सैकड़ो हजारो साल बहुत पहले इस अखंड हिन्दुस्तान कृषी प्रधान देश के मानो किसी कुंभ मेले को देखने आकर लापता होकर अपने मूल स्थान से भटक गये थे|और अब लंबे समय के बाद उन भटके हुए कबिलई लोगो कि नई पिड़ि अपना पुराना इतिहास जानकर अपने पुर्वजो की मुल धरती को तलाशने के लिए इस अखंड हिन्दुस्तान की बुराई हिन्दु धर्म की बुराई करने के बहाने दिन रात करते ही रहते हैं|ताकि विवाद कराके जल्दी से उनके असली पुर्वज उनकी आवाज सुनकर उनको खोजते हुए यहाँ आये और असली दो एक डीएनए के लोगो का मिलन होने के साथ साथ दोनो की ही तलाश पुरी हो|क्योंकि हिन्दु धर्म और बाकि भी कई धर्म इस कृषी प्रधान देश में तो उदय हुए हैं,लेकिन कई धर्म इस देश से बाहर किसी दुसरे देशो में हुए हैं|और चूँकि बहुत से कबिलई सैकड़ो हजारो सालो से इस अखंड कृषी प्रधान देश में बाहर से ही आए हैं,इसलिए बाहर के ही कई कबिलई देशो की तारिफ और हिन्दुस्तान की बुराई करके दरसल वे यह जताने कि कोशिष करते रहते हैं कि इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करके यहीं पर बस जाने वाले उनके कबिलई पुर्वज बहुत विकसित थे और इस कृषी प्रधान देश के मुलवासी पुर्वज कम विकसित थे|जिसके चलते वे कई बार तो इस कृषी प्रधान देश में अनगिनत भाषा विकसित होने और उसकी वजूद अबतक रहने के साथ साथ इस देश की भाषा हजारो साल पहले ही विकसित कि हुई प्राचिन भाषाओ में होने के बावजुद भी ज्यादेतर दुसरे देशो के भाषाओ में इस देश के उन नागरिको जो कि खासकर कोई विदेशी भाषा नही जानते हैं,उनसे खुदको बहुत विकसित दिखलाते हुए विदेशी भाषा में बात करते हुए देशी भाषा में टुटी फूटी जुबान में सवाल जवाब सिना तानकर करते हुए मानो बार बार विदेशी भाषाओ में ज्यादेतर बेहत्तर तरिके से बातचीत करके अपने पुर्वजो की मुल भाषा और मुल स्थान तलाशते की कोशिष होती रहती है|जिनकी तलाश पुरी करने के लिए दुनियाभर के अनगिनत इतिहासकारो के साथ साथ इस देश के भी कई इतिहासकर अपने ऐतिहासिक खोज के जरिये मानो उन कबिलई पुर्वजो की मुल स्थान पता करने की तलाश केन्द्र खोलकर रखे हुए हैं|जिसके लिखे इतिहास को पढ़कर सच्चाई जानने कि कोशिष करके अपने पुर्वजो की इतिहास पता करने के साथ साथ बाहर विदेशो में भी पता करने के लिए आते जाते रहते होंगे|लेकिन भी अबतक उनकी तलाश पुरी नही हुई है|जिसके चलते वे हिन्दुस्तान में धर्म की बुराई करके अपनी भड़ास निकालते रहते होंगे|जिनमे कुछ तो घर का भेदी भी होंगे, जो की उनका साथ देकर इस बात के लिए गर्व करते होंगे कि वे भी किसी धर्म का बुराई करने वालो के साथ होकर बहुत विकसित हो रहे हैं|जिस अखंड हिन्दुस्तान को बदनाम करने वालो से धर्म को लेकर मेरा खास सवाल है कि सभी धर्मो में भगवान एक है ऐसा हर बार कहा गया है,पर फिर भी अलग अलग कई धर्म इस धरती में क्यों मौजुद है?जो लगातार क्यों बड़ते चले गए हैं|जिस अलग अलग धर्मो की संख्या आगे भी बड़ेगी इससे इंकार नही किया जा सकता है|जबकि भगवान तो कई और उदय होकर एक से दो नही हो रहे हैं|फिर धर्म क्यों बड़ते जा रहे हैं?क्यों आजतक एक भी ऐसा धर्म पैदा ही नही हुआ है,जिसपर सभी इंसान विश्वास करके उसकी बुराई करने के बजाय सभी उस धर्म को एक भगवान का एक धर्म मानकर अपना ले?जिसका सौ प्रतिशत सत्य जवाब दरसल किसी के पास भी मौजुद नही है|जो सायद इसलिए क्योंकि सृष्टी को रचने वाले कभी पैदा ही नही हुए हैं,और न ही वे कभी समाप्त होंगे|इसलिए उनका कोई ऐसा धर्म भी पैदा नही हुआ है,जिसे सारे धर्म को पैदा करने वाला इंसान एक साथ एक धर्म के रुप में मान सके|जिसके चलते इंसान एक भगवान एक धर्म के बारे में अधुरा जवाब देकर खुदको सबसे धार्मिक व्यक्ती बतलाकर इस धर्म से उस धर्म में आते जाते भक्तो को देख सुनकर भी ये साबित करने में लगे रहते हैं कि वे जिस धर्म को मानते हैं,वही धर्म सबसे अच्छा है|और उसी धर्म में ही सबसे अमन शांती और प्रेम लाने की क्षमता है|जबकि सभी धर्मो का उदय अशांती दुःख और नफरत गुलामी जैसे बुरे हालात से जुझते हुए हुआ है|जिस बुरे हालात को दुर करने के लिए ही कई धर्मो का अलग अलग समय में उदय हुआ है|जिस बुरे हालात को ठीक करने के लिए आजतक कितने ही अवतार,पैगंबर,संदेश वाहक,महात्मा संत महान समाज सेवक वगैरा का जन्म हुआ है,जिन्होने सुख शांती अमन प्रेम लाने की कोशिश अलग अलग समय में जन्म लेकर किया है|पर फिर भी आजतक नफरत की आग बुझी नही है|बल्कि चारो तरफ लगी हुई है|जो आग उस ज्वालामुखी से भी खतरनाक है,जो की समय समय पर विश्व के कोने कोने में आग उगलती रहती है|क्योंकि उसकी आग से सायद उतने इंसानो की मौत नही होती होगी जितनी की धर्म के नाम से नफरत की आग लगाकर एक धर्म के लोग दुसरे धर्म के लोगो से आपस में लड़ मरके समाप्त होते जा रहे हैं|लेकिन भी मानो खुद आग लगाकर उसे बुझाने की बाते दिन रात एक दुसरे की धर्म का बुराई करके धार्मिक विवाद करते रहते हैं|जबकि सभी अलग अलग धर्मो को इंसानो ने ही उदय किया है|और इंसान ही धर्म के नाम से आपस में लड़ते मरते हैं|जिसे जानते हुए भी धर्म की बुराई करने वाले सभी ये कह देते हैं,कि फलाना डिमका धर्म में ऐसा कुकर्म होता है|फलाना डिमका में ऐसा कुकर्म नही होता है|एक तरफ तो कोई धर्म नफरत करना नही सिखाता कहा जाता है,और दुसरी तरफ बुरे लोगो के बारे में धर्म से जोड़कर सारे धर्मो की बुराई भी होती रहती है|जो कि दुसरे धर्मो की बुराई करना तबतक स्वभाविक भी है,जबतक कि एक भी धर्म को मानने वाला भक्त धार्मिक पुस्तक पढ़कर और पुजा पाठ करके भी बुरा इंसान बनता रहेगा|जो जबतक होता रहेगा तबतक एक धर्म के भक्त दुसरे धर्म का बुराई भी ये कहकर करता रहेगा कि उसके धर्म के बजाय दुलरे के धर्म में इतने बुरे कुकर्म होते हैं,और इतने बुरे लोग रहते हैं|जैसे की हिन्दु धर्म की बुराई ये कहकर होती रहती है कि हिन्दु धर्म में जात पात उच्च निच छुवा छुत और ढोंग पाखंड होती है|मुस्लिम धर्म के बारे में ये बुराई होती रहती है कि सबसे अधिक खुन खराबा मुस्लिम धर्म में होती है|ईसाई धर्म के बारे में ये बुराई होती है कि ईसाई धर्म के लोग बाईबिल पकड़कर ईशु प्रेम बांटने के नाम से कभी पुरे विश्व को गुलाम किये थे|और अब बाकि सभी धर्मो को खराब बतलाकर पुरी दुनियाँ में घुम घुमकर दुसरे धर्मो के भक्तो को अपने धर्म में लाने के लिए फिर से नई तरह का ईशु प्रेम अपडेट कर रहे हैं|यहूदि धर्म के बारे में ये बुराई होती रहती है कि जिन यहूदियो ने यीशु को सुली पर चड़ाया था वे क्या अमन सुख शांती प्रेम बांटेंगे|इसी तरह बाकि भी धर्मो की अनेको बुराई दिन रात होती ही रहती है|कोई भी ऐसा धर्म नही जिस धर्म पर कोई बुरे लोग नही मिलेंगे|जाहिर है न तो धर्म कि बुराई करने से किसी का धर्म सबसे अच्छा हो जाता है|और न ही किसी धर्म के भक्त खुद को सबसे बेहत्तर धर्म का भक्त साबित कर सकता है|और न ही कोई धर्म बदलकर ये साबित कर सकता है कि धर्म परिवर्तन करके या फिर किसी धर्म को सुरु से अपनाकर सबसे अच्छा धर्म उसका हो गया है|और बाकियो में खराबी है|जबकि यदि भगवान एक है और सभी भक्त एक ही भगवान के भक्त हैं तो सबका अलग अलग धर्म भी उसी एक भगवान का ही है,जिसे वह मानता है|और यदि नही है तो निश्चित रुप से इस धरती में मौजुद इंसान प्रजाती जो कि एक दुसरे से शारिरिक रिस्ता जोड़कर किसी दुसरे इंसान को जन्म देता है,उसकी रचना अलग अलग धर्म के अलग अलग भगवान द्वारा हुआ है|जिस भक्त का जो धर्म है,उसी धर्म में मौजुद भगवान ने उसे रचा है|फिर तो जो इंसान किसी भी धर्म को नही मानता,जिसकी संख्या इस धरती पर करोड़ो में मौजुद है,उसकी रचना किसने किया है?बल्कि करोड़ो नास्तिक कहे जाने वाले इंसान के अलावे भी सृष्टी में मौजुद अनगिनत निर्जिव समेत बाकि जिव जन्तु,पेड़ पौधा पशु पक्षी और सभी एलियन वगैरा,जो कि इंसान के बनाये किसी भी धर्म को नही मानते हैं,उनकी रचना किस भगवान ने किया है?जिसका जवाब किस धर्म के भक्त जो कि दुसरे धर्म की बुराई दिन रात करता रहता है,उसके पास सत्य जानकारी मौजुद है?क्योंकि एक दुसरे का धर्म अलग है ये कहकर हर रोज नफरत की बहस और लड़ाई होना यदि जरुरी है,तो फिर धर्म को मानने वाले कौन से लोग ये स्वीकार करेंगे कि उसके भगवान बाकि सभी धर्म में भी मौजुद है?जाहिर है बाकि धर्म का भी बुराई करना अपने ही भगवान की बुराई करके सबसे अच्छी धर्म भक्ती करना कभी भी नही कहलायेगा|और न ही जिव निर्जीव सभी को रचने वाले एक भगवान उसकी भक्ती से खुश होकर उसे सुख शांती अमन प्रेम का कोई मेडल देंगे|क्योंकि यदि सभी इंसानो समेत सभी जिव निर्जीव की रचना एक भगवान ने ही किया है,तो निश्चित रुप से इंसानो द्वारा अलग अलग धर्म उदय करते समय सभी धर्मो में एक ही भगवान को मान्यता दिया गया है|और  वैसे भी प्रयोगिक रुप से अलग अलग धर्म को मानने वाले सभी भक्तो में इंसान के रुप में साक्षात एक ऐसी समानता मौजुद है,जिसके बारे में ठीक से जानकर कोई भी इंसान ये नही कह सकता कि सभी इंसान अलग अलग भगवानो द्वारा रचे गये हैं|क्योंकि पुरी इंसान जाती पुरे धरती में सबसे श्रेष्ट प्राणी के रुप में जाना जाता है|जिस इंसान से इस धरती में मौजुद किसी अन्य प्राणी शारिरिक रिस्ता जोड़कर किसी इंसान को जन्म नही दे सकता है|क्योंकि सिर्फ इंसान ही इंसान से शारिरिक रिस्ता जोड़कर किसी दूसरे इंसान को जन्म दे सकता है|चाहे वह इंसानो के बनाये गये जिस जात धर्म में मौजुद हो,उससे शारिरिक रिस्ता जोड़कर दुसरे इंसान को जन्म जरुर दे सकता है|जो कि धरती में मौजुद दुसरे प्राणी,जिसे कोई इंसान चाहे जितना ही क्यों न करिबी मानता हो,बल्कि प्रेम का रिस्ता जोड़कर उसे पती पत्नी वगैरा भी मानता हो,पर फिर भी उससे आपसी प्रेम और एक दुसरे की इच्छा से शारिरिक रिस्ता जोड़कर भी किसी इंसान को जन्म नही दे सकता|जिस इंसान को इंसानो द्वारा ही धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी माना गया है|जाहिर है इस धरती पर मौजुद चाहे जिस जाती धर्म में इंसान मौजुद हो,वह इस धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी है|जिससे बेहत्तर कोई नही है|जो बात कहकर खुद इंसानो ने ही मानो श्रेष्ट होने का प्रमाण पत्र खुदको दे दिया है|जिस इंसान की रचना यदि एक ही भगवान ने किया है,तो फिर निश्चित रुप से एक ही भगवान सभी अलग अलग धर्म में मौजुद हैं|जिस अलग अलग धर्मो की बुराई करना अपने ही भगवान की बुराई करना है|बल्कि एक धर्म बदलो या अनेक धर्म बदलो,और इस धर्म में रहकर उस धर्म और उस धर्म में रहकर इस धर्म की बुराई इधर से उधर होकर करते रहो,पर याद रखना जिस तरह कोई इंसान अपना माता पिता अनेको बार भी बदलकर अपने असली माता पिता की उस एक सत्य डीएनए को नही बदल सकता कि वह असली औलाद किसका है?उसी प्रकार अनेको बार धर्म बदल बदलकर इस धर्म में रहकर उस धर्म का बुराई और उस धर्म को अपनाकर इस धर्म की बुराई करने से सभी धर्म में मौजुद सभी भक्तो समेत सृष्टी में मौजुद जिव निर्जीव सभी की रचना करने वाला सबका एक ही भगवान है|जिस एक स्थिर सत्य को कोई भी कभी नही बदल सकता|जिससे बड़ा इंसानो के बनाये न तो कोई धर्म है,और न ही उस धर्म को मानने वाला कोई भक्त है|क्योंकि पाँच अरब साल बाद ये धरती आग का गोला बनकर सारे मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा पुजा स्थल समेत सारे भक्त भी एकदिन भष्म होकर भले खत्म हो जायेंगे,पर एक भगवान जिसने सारी सृष्टी को रचा है,वह कभी भी खत्म नही होगा|जिस एक भगवान की तलाश इंसानो द्वारा आजतक भी हो रही है|क्योंकि धर्म परिवर्तन यू ही नही किये जाते हैं|भगवान को तलासने के लिए ही तो भक्त इस धर्म से उस धर्म आते जाते हैं|नही तो फिर भगवान तो सभी धर्मो में एक ही मौजुद है,जो बात सभी धर्मभक्त जानते हैं|और ये भी जानते हैं कि चाहे उधर जाओ या इधर आओ सब जगह भगवान स्थिर मौजुद है|लेकिन फिर भी भक्त इधर से उधर क्यों होते रहते हैं?और कई धर्मो का उदय होने के बावजूद भी इंसानो की वह इच्छा क्यों नही पुरी हुई है,जिसके पुरी होने के बाद और भी कई धर्म का उदय होना और धर्म परिवर्तन करना सायद बंद हो जाय|क्योंकि इंसानो द्वारा कई धर्म बनाये और बदले इसलिए जाते रहे हैं,ताकि किसी भक्त को इस बात का संतुष्ठी हो सके कि वह जिस धर्म को अपनाया है,उसी धर्म में उसे एक भगवान जल्दी से मिलेंगे!जो भगवान सारे धर्मो में स्थिर मौजुद मिलेंगे,न की वे भी धर्म परिवर्तन की तरह इस भक्त से उस भक्त के पास आते जाते रहते हैं|जो एक भगवान हमेशा स्थिर मौजुद रहेगा एक सत्य के रुप में|चाहे इंसान क्यों न आपस में लड़ मरकर एक दुसरे को समाप्त कर लेंगे और अपने साथ साथ इस धरती में मौजुद बाकि भी जिव निर्जिव सभी को समाप्त कर देंगे,पर वह एक भगवान कभी नही समाप्त होगा|जिसकी सबसे अच्छी भक्ती साबित करने के लिए बहुत से इंसान दुसरे धर्मो की बुराई और जिस धर्म को वे मानते हैं उसकी तारीफ करते रहते हैं|बजाय इसके की उन्हे सभी धर्मो में जिस एक भगवान को सभी भक्त मानते हैं,उसकी तारीफ करनी चाहिए थी|जो नही कर सकते तो कम से कम बुराई भी यदी कर रहे हो किसी धर्म का तो उसकी बुराई करते समय हिम्मत करके सार्वजनिक रुप से ये स्वीकारो कि जिस धर्म की तुम बुराई करते हो उस धर्म में जो एक भगवान स्थिर मौजुद है,वह कोई भगवान नही बल्कि उस धर्म में मौजुद सभी भक्तो को जन्म देनेवाले शैतान है|क्योंकि किसी धर्म की बुराई करना उस धर्म में मौजुद उस विश्वाश और आस्था का बुराई करना है,जिसने सभी धर्मो के भक्त समेत जिव निर्जीव बल्की सारी सृष्टी का निर्माण किया है|मैं उस भगवान के बारे में नही कह रहा हुँ जिसका जन्म और मृत्यु बल्कि उसकी पुरी जिवन के बारे में भी इंसान अच्छी तरह से जानता है|जो कि इंसान के रुप में भी जन्म लिया है,जिस तरह के भगवान तो सभी इंसान खुद को मान सकते हैं|खासकर यदि सभी इंसान के भितर भगवान के ही अंश हैं|और सभी के भितर उसी एक भगवान का अंश मौजुद है जिसे सारे सृष्टी की रचना किया है|जैसे कि एक एक बुंद के भितर सागर मौजुद है,और सागर में भी अनेको बुंदे मौजुद है|बल्कि मैं उस भगवान की बात कर रहा हूँ जिसने सभी धर्मो के भक्तो समेत सृष्टी में मौजुद सभी जिव निर्जीवो की रचना किया है|जिसके बारे में इंसानो के द्वारा बनाये गये सभी धर्मो में ये कहा गया है कि वह एक भगवान सभी धर्म में मौजुद है|जिसकी तलाश इस धर्म से उस धर्म में जाकर होती रहती है|जिसके बारे में जानकारी सारे धर्मो में पवित्र धार्मिक ग्रंथो के रुप में विभिन्न उदाहरणो और जानकारियो के जरिये दी गई है|जिसे अलग अलग भगवान का बतलाकर इंसान यदि एक दुसरे का धर्म की बुराई करके एक दुसरे का माथा फोड़ते रहे तो फिर इंसान का खुदको श्रेष्ट प्राणी कहलवाना सिर्फ अपनी झुठी तारीफ करना है|क्योंकि इंसान यदि इस धरती की मानवता और पर्यावरण का नुकसान यदि सबसे अधिक इसी तरह करता रहे तो फिर वह सबसे बुद्धीमान और बलवान श्रेष्ट प्राणी नही है|क्योंकि एक दुसरे की धर्म को बुरा बतलाकर अपने को सबसे अच्छा बतलाकर आपस में ही लड़ मरकर समाप्त होने की हरकत करना,बल्कि हजारो परमाणु बम को मानो मानव बम बनाकर इंसान द्वारा खुदको ही खत्म करने के साथ साथ पुरे धरती को ही समाप्त करने की जुगाड़ में लगना श्रेष्ट बुद्धीमानी और श्रेष्ट बलवान कहलाना नही है|जिसे समझते हुए सबसे बड़ी बुद्धीमानी इस धरती पर मानवता और पर्यावरण में जल्द से जल्द संतुलन कायम हो और सभी इंसान सुख शांती अमन प्रेम से जिवन यापन करके अपनी अंतिम विदाई ले इसके लिए जरुरी है कि एक दुसरे की धर्म की बुराई करने के बजाय बुराई करने वालो की बुराई करके उसे उस अच्छाई के बारे में सत्य बात बतलाये जो कि एक ही इंसानो की आपसी लड़ाई से कायम नही होती है,बल्कि एक दुसरे की समस्या का समाधान दुर करने के लिए आपसी मदत करने से होती है|जो न होकर एक दुसरे की टांग खिचने में लगे रहने और एक दुसरे की माथा फोड़ने वाले इंसान कभी भी अमन सुख शांती और प्रेम नही ला सकते,चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हो,या फिर चाहे जितने धर्म को बदलकर जितने धार्मिक पवित्र ग्रंथो कि ज्ञान उसने हासिल कर लिया हो|इसलिए आज के बाद मेरी ये बात हमेशा याद रखे वे तमाम लोग जो कि दिन रात किसी धर्म की बुराई में लगे रहते हैं,कि सारे सृष्टी समेत सारे धर्मो में एक स्थिर भगवान मौजुद है|जिस धर्मो में किसी भी धर्म का बुराई करना अपने ही मान्यता प्राप्त एक भगवान का बुराई करना है|पर हाँ इसके साथ साथ ये बात भी हमेशा याद रहे कि कोई किसी को यदि भगवान कह दे या फिर खुद को भी भगवान मान ले तो उसे वह स्थिर एक भगवान बिल्कुल भी मत समझ लेना जिसकी तलाश सभी धर्मो में होती रहती है|क्योंकि वह एक भगवान प्रमाणित रुप से किसी को भी आजतक नही मिला है|नही तो फिर सभी धर्मो के भक्त उसी एक भगवान के पास नही जाते सारे धर्मो को छोड़ छाड़कर उस एक भगवान पर सभी विश्वास करके!जिसकी तलाश फिलहाल सभी धर्मो में जारी है|जो एक भगवान सभी धर्मो में स्थिर मौजुद है|जिस एक स्थिर सत्य को सभी धर्म में मान्यता प्राप्त है|इसलिए किसी भी धर्म का बुराई बिल्कुल भी न हो!बल्कि उस असत्य का बुराई हो,जो खुदको सत्य बतलाकर असत्य फैलाता रहता है|जिसकी असत्य की पोल खोलने के लिए उसकी प्रमाणित रुप से ऐसा सत्य उजागर हो,जिसे कि सभी धर्म ये स्वीकार करे कि यही असल सत्य है|जैसे कि सभी धर्म इसे प्रमाणित तौर पर असल सत्य स्वीकारते हैं कि इंसान का जिवन हवा पानी वगैरा से इस धरती पर मौजुद है|जिसे कोई भी धर्म का इंसान हो या फिर किसी भी धर्म को न मानने वाला इंसान हो,सभी मानते हैं|बल्कि यदि नही भी मानते हैं तो भी यही प्रमाणित सत्य है कि उसकी जिवन हवा पानी वगैरा प्राकृत और वैज्ञानिक प्रमाणित समेत सारे धर्मो में मान्यता प्राप्त सत्य से चल रही है|न की उस झुठ से चल रही है,जो कहीं पर भी मौजुद नही है किसी इंसान को बिना हवा पानी जैसे प्राकृत के जिवन देने के लिए|जो बात यदि किसी को असत्य लगे तो वह हवा पानी लेना बंद करके प्रमाणित रुप से इसे असत्य साबित करके दिखला दे!रही बात मेरे द्वारा सत्य को सत्य साबित करके दिखलाने की तो मैं जो सत्य लिखा हूँ,उस सत्य को सभी प्रमाणित कर सकता है|बल्कि जिसका जन्म और मृत्यु प्राकृत पर प्रमाणित रुप से निर्भर है,वह सब न चाहकर भी हर दिन हर पल एक स्थिर सत्य को प्रमाणित अपने आप ही करता रहता है|जिसे किसी के द्वारा प्रमाणित करने की जरुरत भी नही है|वह साक्षात चारो ओर कण कण में मौजुद है|

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...