इस देश में रहकर और इस देश का खा पीकर इस देश और किसी धर्म की बुराई क्यों


Hum sab hindustani
इस देश में रहकर और इस देश का खाकर आखिर क्यों किसी नागरिक द्वारा रोज रोज इस कृषी प्रधान देश में मौजुद किसी धर्म की बदनामी करके अखंड हिन्दुस्तान की बदनामी की जा रही है|बल्कि कोई व्यक्ती दुसरे भी देश में रहकर और दुसरे देश का खाकर दुसरे धर्मो की बुराई क्यों करे?क्योंकि जिस प्रकार इस कृषी प्रधान देश में खुदको हिन्दुस्तानी कहने में सभी धर्म के लोग गर्व करते हैं,उसी तरह हो सकता है बहुत से लोग जो की इस देश के वासी हैं,वे किसी दुसरे देशो में बसकर और वहाँ की नागरिकता प्राप्त करके खुदको उस देश के वासी कहने में गर्व करते हैं|जो कि स्वभाविक भी है कि किसी व्यक्ती द्वारा जहाँ पर रहना उसे ज्यादे पसंद है,और जहाँ पर उनकी अन्न जल रोजी रोटी चलती है,उसी धरती को वह सबसे अधिक तारिफ भी करता रहता है|जैसे कि बचपन में ही गोद लिया बच्चा जन्म देनेवाले अपने असली माता पिता के बजाय गोद लेकर बड़ा करने वाले व्यक्तियो को अपना असली माता मानकर उसी का ही तारीफ दिन रात करता है|हलांकि अपनी इच्छा से दुसरे देशो में जाकर वहाँ की नागरिकता प्राप्त करने वाले  नागरिक किसी देश के द्वारा गोद नही लिये गये हैं बल्कि किसी बाहरी के द्वारा नागरिकता प्राप्त करने कि निवेदन को मानो इंसानियत के नाते स्वीकार लिये हैं|जहाँ से भी यदि कोई नागरिक पलायन होकर किसी दुसरे देश को पसंद करके यदि वहाँ पर रोजी रोटी अन्न जल का इंतजाम करके वहीं पर ही बसने के बाद लंबे समय तक जिवन यापन होने लगती है,तो इसके बाद में ज्यादेतर इसकी संभावना बन जाती है कि वह व्यक्ती अब किसी और देश की अन्न जल रोजी रोटी खाकर अब उस देश की भी तारीफ सबसे अधिक करेगा|जैसे कि इस देश के भी कई नागरिक दुसरे देशो में बसकर इस देश का बुराई करते हैं|और जहाँ पर रह रहे होते हैं,उसकी तारीफ करते रहते हैं|भले क्यों न जब विदेशो में आफत आती है तो मुसिबत में अपना देश ही याद आती है|हलांकि मेरे ख्याल से चाहे किसी देश की तारिफ हो या फिर बुराई हो,कोई भी देश बुरा नही है|और न ही कोई देश के सभी लोग बुरे होते हैं|बल्कि ज्यादेतर लोग अच्छे ही होते हैं|पर मुठिभर बुरे लोगो की वजह से कोई देश बदनाम हो जाता है|जैसे कि किसी विद्यालय में भी यदि कोई एकात शिक्षक किसी छात्र का बलात्कारी निकल जाता है तो पुरा विद्यालय ही बदनाम हो जाता है|यह चर्चा करके कि फलाना स्कूल में एक अपराध मुक्त ज्ञान बांटने वाला शिक्षक ने एक मासुम छात्र के साथ बलात्कार किया है|जिसके बाद उस बलात्कारी शिक्षक के द्वारा जिस विद्यालय में ज्ञान बांटने की नौकरी की जा रही होती है,वहाँ के बाकि भी शिक्षक को शक की निगाह से देखा जाने लगता है|यह सोचकर कि उस बलात्कारी शिक्षक से बाकि भी तो मिले हुए नही हैं?क्योंकि अक्सर अपराध किसी शिकारी जानवरो के द्वारा खुंखार झुंड बनाकर सामुहिक रुप से शिकार करने के जैसा ही सबकुछ तय करके होती है|इसलिये जब भी ऐसा खुंखार अपराध होता है जिसमे कि आस पास के करिबी अथवा दुसरो को भी किसी अपराधी के बारे में रोजमरा जिवन के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिलती रहती है,तो ऐसे हालात में अपराध होने पर किसी अपराधी के करिबियो को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ जाता है|जो कि स्वभाविक है,क्योंकि खास जिम्मेवारी वाले पदो में किसी अपराधी और बलात्कारियो को ऐसी जिम्मेवारी पद क्यों दी जाती है जिसका की वे ठीक से जिम्मेवारी निभाना तो दूर,सही इंसान भी ठीक से नही बन पाते हैं|जबकि जैसे ही कोई इंसान बड़े होने के बाद दुनियाँदारी समझने लगता है,वैसे ही उसे इंसानियत के बारे में भी कम से कम इतना तो समान्य ज्ञान जरुर ले लेना चाहिए था कि वह इंसान है इसलिये ऐसे खुंखार खुनी शिकारी जानवरो जैसा हरकत न करे जो कि अपने खुनी पंजो से किसी निर्दोश को दबोचकर उसकी या तो इज्जत जबरजस्ती छिन लेते हैं या फिर जिवन ही छिन लेते हैं|जिस तरह कि ही कोई कुकर्म कभी भी न करें इसकी ज्ञान अपने माता पिता दोस्त रिस्तेदार वगैरा खास करिबियो से जरुर हासिल कर लें कि हत्या लूट बलात्कार,ठगी,ढोंगी पाखंडी चोरी कालाबाजारी जैसे कई भ्रष्टाचार को करना अपने आप को शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानकर धिरे धिरे इंसान के रुप में जानवर बनाना है|जिस तरह के अपराध करने वाले अपराधियो से धरती को मुक्त करने के लिये सभी देश की सरकारो के साथ साथ सभी धर्मो के धर्म गुरुओ द्वारा ज्ञान बांटा जा रहा है|इसलिये जाहिर है ऐसे अपराधो को कभी भी नही करनी चाहिए,बल्कि जब भी मौका मिले तो उसके बारे में व उनसे दुर रहने के बारे में प्रभावी जानकारी किसी से जरुर ले लेनी चाहिए| जिस तरह की सबसे जरुरी बात जानने के बाद सभी इंसानो को जरुर हमेशा याद रखनी चाहिए कि अपराधी इंसान और जानवर में एक सबसे बड़ा खास फर्क ये भी होता है कि जानवर तो मरने के बाद अपने जंगलराज की इंतिहास से लुप्त डायनासोर हो जाते हैं,पर अपराधी इंसान अपना भ्रष्ट अपराध इतिहास को भविष्य की नई पिड़ि की नजर से न चाहते हुए भी छिपा नही सकता है|बल्कि किसी अपराधी इंसान की कुकर्म उसकी अपनी खुदकी नई पिड़ि के अलावे दुसरो के भी नई पिड़ि के लिये खुली किताब की तरह भविष्य के लिये इकठा होते जाती रहती है|जो कि किसी अपराधी की नई पिड़ि को तो बदनाम करती ही है,पर कोई अपराधी यदि मर भी जाता है तो मानो उसकी भुत आत्मा मोक्ष पाने के लिये भी भटकती रहती है|ये सोचकर की आखिर उसने ऐसा अपराध क्यों किया जिसे यदि न भी करता तो उसकी जिवन में बेहत्तर जिवन जी जा सकती थी|बल्कि उसकी नई पिड़ी और उसकी भटकती आत्मा के लिये भी लाभदायक साबित होता यदि दुसरो के हक अधिकारो की लुट हत्या चोरी ढोंगी पाखंडी ठग घुसखोरी मुनाफाखोरी कालाबाजारी जैसे बड़े बड़े अपराध अपनी बुद्धी को भ्रष्ट करके उसके जरिये नही होती|खासकर यदि इंसान खुदको जब इस पृथ्वी का सबसे श्रेष्ट प्राणी कहलाने के लिये इंसानियत के बारे में ज्यादे गंभीरता से लेकर खुदको अपराध मुक्त तन मन से लंबे समय से यदि लगा हुआ है तो उसे सफल बनाने के लिये कैसे बेहत्तर से बेहत्तर इंसानियत की खोज किया जाय इसपर सभी इंसानो को ज्यादे दिलचस्पी जरुर होनी चाहिए|क्योंकि सभी इंसानो के भितर इंसानियत जरुर होनी चाहिए इसलिये भी ज्यादे उम्मीद की जाती है कि ज्यादेतर इंसानो की विकाश में उसके भितर में मुल रुप से बलात्कारी और छिना झपटी जैसे भ्रष्ट हुनर किसी पुंछ की तरह गायब होती चली गयी है|पृथ्वी में बहुत कम ऐसे इंसान मौजुद हैं जिनके अंदर शिकारी जानवरो के जैसा अपराधी छवी मौजुद है|इसलिये भी चूँकि इंसान को धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी भी माना जाता है,इसलिये इस धरती में इंसानियत शब्द का मतलब अपराध मुक्त परिवार समाज माना जाता है|जिस इंसानियत को कायम करने के लिए सभी देश की सरकार दिन रात कोशिष में लगी रहती है|जैसे कि इस देश की कोई भी सरकार प्रजा सेवक बनकर देश और जनता की सेवा करने में ही लगी रहती है|और जनता भी इंसानियत ठीक से कायम हो इसके लिए हर रोज एक दुसरे की मदत करने में लगी रहती है|इंसानियत ठीक से चारो तरफ कायम हो इसके लिए एक दुसरे से मेल जोल बड़ाकर एकता कायम और इंसानियत कायम करने का प्रयाश दिन रात चलता ही रहता है|बल्कि इस देश के नागरिको के साथ साथ बहुत से बाहर के नागरिक भी इस देश में आकर आपसी मेल जोल बड़ाकर इंसानियत कायम करने में प्रमुख भूमिका निभाते रहते हैं|भले क्यों न हजारो सालो से इस देश में बाहर से आये हुए बहुत से कबिलई लुटेरे लुटमार चोरी वगैरा बड़े बड़े अपराध करके इंसानियत के बजाय  हैवानियत कायम करना चाहते रहे हैं|जिसके साथ साथ बहुत से कबिलई लुटेरे लुटपाट नही बल्कि अपने मूल स्थान को छोड़कर घुमते फिरते इस देश में प्रवेश करने के बाद खुद भी इंसान होते हुए भी इस देश के मुलवासियो को लुटते और शोषन अत्याचार करते रहे हैं|क्योंकि उनके जिवन में शिकारी जानवरो की तरह दुसरे की शिकार करके अपना जिवन बसर करने की दिनचर्या जबतक समाप्त नही हो गई किसी विकसित सत्य बुद्धी वाले इंसानो के द्वारा संपर्क में आकर इंसानियत का विकाश करके तबतक वे खुदको शिकारी हिंसक जिवन को लंबे समय तक जिते रहे हैं|जिससे अपने आपको बाहर तबतक नही निकाल सके या सकते जबतक कि उनके भितर एक दुसरे को लुटने के बजाय एक दुसरे की मदत करने कि इंसानियत कायम न हो जाय |जिस प्रकार का इंसानियत कायम करने के लिये यह कृषी प्रधान सागर देश हजारो सालो से ऐसे अनगिनत कबिलई लुटेरो को  अपने भितर किसी नदी नालो कि तरह समा लिया है|अथवा इस कृषी प्रधान देश के द्वारा बहुत से विदेशी बिन बुलाये मेहमानो के साथ साथ बहुत से कबिलई लुटेरो को भी मानो गोद ले लेने के बाद उन्हे यहीं पर बसाकर उन्हे अपनी नई दुनियाँ प्रदान किया है|जिसके चलते हजारो सालो से इस कृषी प्रधान देश में कई कबिलई टोलियाँ समय समय पर प्राचिन काल के समय अपनी नई दुनियाँ बसाते रहे हैं|क्योंकि सभी को पता है कि भले इस देश में कई धर्म और उच्च निच जात पात का इतिहास जुड़ा हुआ हो,पर जिनके कबिलई पुर्वज समय समय पर अखंड हिन्दुस्तान में मानो स्थिर हिन्द सागर के लहरो में बहते हुए आकर इस कृषी प्रधान देश अखंड हिन्दुस्तान में अनेको छोटी बड़ी नदियो की तरह समा गए हो|जिन विदेशी मुल के बहुत से कबिलई टोलियो के ही डीएनए के कई नई पिड़ी अब इस अखंड हिन्दुस्तान देश का नागरिक होने में गर्व महसुश होती है|भले उनका डीएनए इस देश के मुलवासी मदर और फादर इंडिया डीएनए से नही मिलती है|क्योंकि उनकी अन्न जल रोजी रोटी बल्कि उसी की भाषा में हवा पानी भी इस देश से ही जुड़ी हुई है|जिस देश की हवा पानी अन्न जल रोटी खा पीकर भी यदि किसी वजह से किसी नागरिक को खुदको हिन्दुस्तानी कहने में गर्व नही होता तो वे निश्चित तौर पर अब भितरी मन से अपने असली पुर्वजो को तेजी से तलाश कर रहे है|जो कि सायद सैकड़ो हजारो साल बहुत पहले इस अखंड हिन्दुस्तान कृषी प्रधान देश के मानो किसी कुंभ मेले को देखने आकर लापता होकर अपने मूल स्थान से भटक गये थे|और अब लंबे समय के बाद उन भटके हुए कबिलई लोगो कि नई पिड़ि अपना पुराना इतिहास जानकर अपने पुर्वजो की मुल धरती को तलाशने के लिए इस अखंड हिन्दुस्तान की बुराई हिन्दु धर्म की बुराई करने के बहाने दिन रात करते ही रहते हैं|ताकि विवाद कराके जल्दी से उनके असली पुर्वज उनकी आवाज सुनकर उनको खोजते हुए यहाँ आये और असली दो एक डीएनए के लोगो का मिलन होने के साथ साथ दोनो की ही तलाश पुरी हो|क्योंकि हिन्दु धर्म और बाकि भी कई धर्म इस कृषी प्रधान देश में तो उदय हुए हैं,लेकिन कई धर्म इस देश से बाहर किसी दुसरे देशो में हुए हैं|और चूँकि बहुत से कबिलई सैकड़ो हजारो सालो से इस अखंड कृषी प्रधान देश में बाहर से ही आए हैं,इसलिए बाहर के ही कई कबिलई देशो की तारिफ और हिन्दुस्तान की बुराई करके दरसल वे यह जताने कि कोशिष करते रहते हैं कि इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करके यहीं पर बस जाने वाले उनके कबिलई पुर्वज बहुत विकसित थे और इस कृषी प्रधान देश के मुलवासी पुर्वज कम विकसित थे|जिसके चलते वे कई बार तो इस कृषी प्रधान देश में अनगिनत भाषा विकसित होने और उसकी वजूद अबतक रहने के साथ साथ इस देश की भाषा हजारो साल पहले ही विकसित कि हुई प्राचिन भाषाओ में होने के बावजुद भी ज्यादेतर दुसरे देशो के भाषाओ में इस देश के उन नागरिको जो कि खासकर कोई विदेशी भाषा नही जानते हैं,उनसे खुदको बहुत विकसित दिखलाते हुए विदेशी भाषा में बात करते हुए देशी भाषा में टुटी फूटी जुबान में सवाल जवाब सिना तानकर करते हुए मानो बार बार विदेशी भाषाओ में ज्यादेतर बेहत्तर तरिके से बातचीत करके अपने पुर्वजो की मुल भाषा और मुल स्थान तलाशते की कोशिष होती रहती है|जिनकी तलाश पुरी करने के लिए दुनियाभर के अनगिनत इतिहासकारो के साथ साथ इस देश के भी कई इतिहासकर अपने ऐतिहासिक खोज के जरिये मानो उन कबिलई पुर्वजो की मुल स्थान पता करने की तलाश केन्द्र खोलकर रखे हुए हैं|जिसके लिखे इतिहास को पढ़कर सच्चाई जानने कि कोशिष करके अपने पुर्वजो की इतिहास पता करने के साथ साथ बाहर विदेशो में भी पता करने के लिए आते जाते रहते होंगे|लेकिन भी अबतक उनकी तलाश पुरी नही हुई है|जिसके चलते वे हिन्दुस्तान में धर्म की बुराई करके अपनी भड़ास निकालते रहते होंगे|जिनमे कुछ तो घर का भेदी भी होंगे, जो की उनका साथ देकर इस बात के लिए गर्व करते होंगे कि वे भी किसी धर्म का बुराई करने वालो के साथ होकर बहुत विकसित हो रहे हैं|जिस अखंड हिन्दुस्तान को बदनाम करने वालो से धर्म को लेकर मेरा खास सवाल है कि सभी धर्मो में भगवान एक है ऐसा हर बार कहा गया है,पर फिर भी अलग अलग कई धर्म इस धरती में क्यों मौजुद है?जो लगातार क्यों बड़ते चले गए हैं|जिस अलग अलग धर्मो की संख्या आगे भी बड़ेगी इससे इंकार नही किया जा सकता है|जबकि भगवान तो कई और उदय होकर एक से दो नही हो रहे हैं|फिर धर्म क्यों बड़ते जा रहे हैं?क्यों आजतक एक भी ऐसा धर्म पैदा ही नही हुआ है,जिसपर सभी इंसान विश्वास करके उसकी बुराई करने के बजाय सभी उस धर्म को एक भगवान का एक धर्म मानकर अपना ले?जिसका सौ प्रतिशत सत्य जवाब दरसल किसी के पास भी मौजुद नही है|जो सायद इसलिए क्योंकि सृष्टी को रचने वाले कभी पैदा ही नही हुए हैं,और न ही वे कभी समाप्त होंगे|इसलिए उनका कोई ऐसा धर्म भी पैदा नही हुआ है,जिसे सारे धर्म को पैदा करने वाला इंसान एक साथ एक धर्म के रुप में मान सके|जिसके चलते इंसान एक भगवान एक धर्म के बारे में अधुरा जवाब देकर खुदको सबसे धार्मिक व्यक्ती बतलाकर इस धर्म से उस धर्म में आते जाते भक्तो को देख सुनकर भी ये साबित करने में लगे रहते हैं कि वे जिस धर्म को मानते हैं,वही धर्म सबसे अच्छा है|और उसी धर्म में ही सबसे अमन शांती और प्रेम लाने की क्षमता है|जबकि सभी धर्मो का उदय अशांती दुःख और नफरत गुलामी जैसे बुरे हालात से जुझते हुए हुआ है|जिस बुरे हालात को दुर करने के लिए ही कई धर्मो का अलग अलग समय में उदय हुआ है|जिस बुरे हालात को ठीक करने के लिए आजतक कितने ही अवतार,पैगंबर,संदेश वाहक,महात्मा संत महान समाज सेवक वगैरा का जन्म हुआ है,जिन्होने सुख शांती अमन प्रेम लाने की कोशिश अलग अलग समय में जन्म लेकर किया है|पर फिर भी आजतक नफरत की आग बुझी नही है|बल्कि चारो तरफ लगी हुई है|जो आग उस ज्वालामुखी से भी खतरनाक है,जो की समय समय पर विश्व के कोने कोने में आग उगलती रहती है|क्योंकि उसकी आग से सायद उतने इंसानो की मौत नही होती होगी जितनी की धर्म के नाम से नफरत की आग लगाकर एक धर्म के लोग दुसरे धर्म के लोगो से आपस में लड़ मरके समाप्त होते जा रहे हैं|लेकिन भी मानो खुद आग लगाकर उसे बुझाने की बाते दिन रात एक दुसरे की धर्म का बुराई करके धार्मिक विवाद करते रहते हैं|जबकि सभी अलग अलग धर्मो को इंसानो ने ही उदय किया है|और इंसान ही धर्म के नाम से आपस में लड़ते मरते हैं|जिसे जानते हुए भी धर्म की बुराई करने वाले सभी ये कह देते हैं,कि फलाना डिमका धर्म में ऐसा कुकर्म होता है|फलाना डिमका में ऐसा कुकर्म नही होता है|एक तरफ तो कोई धर्म नफरत करना नही सिखाता कहा जाता है,और दुसरी तरफ बुरे लोगो के बारे में धर्म से जोड़कर सारे धर्मो की बुराई भी होती रहती है|जो कि दुसरे धर्मो की बुराई करना तबतक स्वभाविक भी है,जबतक कि एक भी धर्म को मानने वाला भक्त धार्मिक पुस्तक पढ़कर और पुजा पाठ करके भी बुरा इंसान बनता रहेगा|जो जबतक होता रहेगा तबतक एक धर्म के भक्त दुसरे धर्म का बुराई भी ये कहकर करता रहेगा कि उसके धर्म के बजाय दुलरे के धर्म में इतने बुरे कुकर्म होते हैं,और इतने बुरे लोग रहते हैं|जैसे की हिन्दु धर्म की बुराई ये कहकर होती रहती है कि हिन्दु धर्म में जात पात उच्च निच छुवा छुत और ढोंग पाखंड होती है|मुस्लिम धर्म के बारे में ये बुराई होती रहती है कि सबसे अधिक खुन खराबा मुस्लिम धर्म में होती है|ईसाई धर्म के बारे में ये बुराई होती है कि ईसाई धर्म के लोग बाईबिल पकड़कर ईशु प्रेम बांटने के नाम से कभी पुरे विश्व को गुलाम किये थे|और अब बाकि सभी धर्मो को खराब बतलाकर पुरी दुनियाँ में घुम घुमकर दुसरे धर्मो के भक्तो को अपने धर्म में लाने के लिए फिर से नई तरह का ईशु प्रेम अपडेट कर रहे हैं|यहूदि धर्म के बारे में ये बुराई होती रहती है कि जिन यहूदियो ने यीशु को सुली पर चड़ाया था वे क्या अमन सुख शांती प्रेम बांटेंगे|इसी तरह बाकि भी धर्मो की अनेको बुराई दिन रात होती ही रहती है|कोई भी ऐसा धर्म नही जिस धर्म पर कोई बुरे लोग नही मिलेंगे|जाहिर है न तो धर्म कि बुराई करने से किसी का धर्म सबसे अच्छा हो जाता है|और न ही किसी धर्म के भक्त खुद को सबसे बेहत्तर धर्म का भक्त साबित कर सकता है|और न ही कोई धर्म बदलकर ये साबित कर सकता है कि धर्म परिवर्तन करके या फिर किसी धर्म को सुरु से अपनाकर सबसे अच्छा धर्म उसका हो गया है|और बाकियो में खराबी है|जबकि यदि भगवान एक है और सभी भक्त एक ही भगवान के भक्त हैं तो सबका अलग अलग धर्म भी उसी एक भगवान का ही है,जिसे वह मानता है|और यदि नही है तो निश्चित रुप से इस धरती में मौजुद इंसान प्रजाती जो कि एक दुसरे से शारिरिक रिस्ता जोड़कर किसी दुसरे इंसान को जन्म देता है,उसकी रचना अलग अलग धर्म के अलग अलग भगवान द्वारा हुआ है|जिस भक्त का जो धर्म है,उसी धर्म में मौजुद भगवान ने उसे रचा है|फिर तो जो इंसान किसी भी धर्म को नही मानता,जिसकी संख्या इस धरती पर करोड़ो में मौजुद है,उसकी रचना किसने किया है?बल्कि करोड़ो नास्तिक कहे जाने वाले इंसान के अलावे भी सृष्टी में मौजुद अनगिनत निर्जिव समेत बाकि जिव जन्तु,पेड़ पौधा पशु पक्षी और सभी एलियन वगैरा,जो कि इंसान के बनाये किसी भी धर्म को नही मानते हैं,उनकी रचना किस भगवान ने किया है?जिसका जवाब किस धर्म के भक्त जो कि दुसरे धर्म की बुराई दिन रात करता रहता है,उसके पास सत्य जानकारी मौजुद है?क्योंकि एक दुसरे का धर्म अलग है ये कहकर हर रोज नफरत की बहस और लड़ाई होना यदि जरुरी है,तो फिर धर्म को मानने वाले कौन से लोग ये स्वीकार करेंगे कि उसके भगवान बाकि सभी धर्म में भी मौजुद है?जाहिर है बाकि धर्म का भी बुराई करना अपने ही भगवान की बुराई करके सबसे अच्छी धर्म भक्ती करना कभी भी नही कहलायेगा|और न ही जिव निर्जीव सभी को रचने वाले एक भगवान उसकी भक्ती से खुश होकर उसे सुख शांती अमन प्रेम का कोई मेडल देंगे|क्योंकि यदि सभी इंसानो समेत सभी जिव निर्जीव की रचना एक भगवान ने ही किया है,तो निश्चित रुप से इंसानो द्वारा अलग अलग धर्म उदय करते समय सभी धर्मो में एक ही भगवान को मान्यता दिया गया है|और  वैसे भी प्रयोगिक रुप से अलग अलग धर्म को मानने वाले सभी भक्तो में इंसान के रुप में साक्षात एक ऐसी समानता मौजुद है,जिसके बारे में ठीक से जानकर कोई भी इंसान ये नही कह सकता कि सभी इंसान अलग अलग भगवानो द्वारा रचे गये हैं|क्योंकि पुरी इंसान जाती पुरे धरती में सबसे श्रेष्ट प्राणी के रुप में जाना जाता है|जिस इंसान से इस धरती में मौजुद किसी अन्य प्राणी शारिरिक रिस्ता जोड़कर किसी इंसान को जन्म नही दे सकता है|क्योंकि सिर्फ इंसान ही इंसान से शारिरिक रिस्ता जोड़कर किसी दूसरे इंसान को जन्म दे सकता है|चाहे वह इंसानो के बनाये गये जिस जात धर्म में मौजुद हो,उससे शारिरिक रिस्ता जोड़कर दुसरे इंसान को जन्म जरुर दे सकता है|जो कि धरती में मौजुद दुसरे प्राणी,जिसे कोई इंसान चाहे जितना ही क्यों न करिबी मानता हो,बल्कि प्रेम का रिस्ता जोड़कर उसे पती पत्नी वगैरा भी मानता हो,पर फिर भी उससे आपसी प्रेम और एक दुसरे की इच्छा से शारिरिक रिस्ता जोड़कर भी किसी इंसान को जन्म नही दे सकता|जिस इंसान को इंसानो द्वारा ही धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी माना गया है|जाहिर है इस धरती पर मौजुद चाहे जिस जाती धर्म में इंसान मौजुद हो,वह इस धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी है|जिससे बेहत्तर कोई नही है|जो बात कहकर खुद इंसानो ने ही मानो श्रेष्ट होने का प्रमाण पत्र खुदको दे दिया है|जिस इंसान की रचना यदि एक ही भगवान ने किया है,तो फिर निश्चित रुप से एक ही भगवान सभी अलग अलग धर्म में मौजुद हैं|जिस अलग अलग धर्मो की बुराई करना अपने ही भगवान की बुराई करना है|बल्कि एक धर्म बदलो या अनेक धर्म बदलो,और इस धर्म में रहकर उस धर्म और उस धर्म में रहकर इस धर्म की बुराई इधर से उधर होकर करते रहो,पर याद रखना जिस तरह कोई इंसान अपना माता पिता अनेको बार भी बदलकर अपने असली माता पिता की उस एक सत्य डीएनए को नही बदल सकता कि वह असली औलाद किसका है?उसी प्रकार अनेको बार धर्म बदल बदलकर इस धर्म में रहकर उस धर्म का बुराई और उस धर्म को अपनाकर इस धर्म की बुराई करने से सभी धर्म में मौजुद सभी भक्तो समेत सृष्टी में मौजुद जिव निर्जीव सभी की रचना करने वाला सबका एक ही भगवान है|जिस एक स्थिर सत्य को कोई भी कभी नही बदल सकता|जिससे बड़ा इंसानो के बनाये न तो कोई धर्म है,और न ही उस धर्म को मानने वाला कोई भक्त है|क्योंकि पाँच अरब साल बाद ये धरती आग का गोला बनकर सारे मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा पुजा स्थल समेत सारे भक्त भी एकदिन भष्म होकर भले खत्म हो जायेंगे,पर एक भगवान जिसने सारी सृष्टी को रचा है,वह कभी भी खत्म नही होगा|जिस एक भगवान की तलाश इंसानो द्वारा आजतक भी हो रही है|क्योंकि धर्म परिवर्तन यू ही नही किये जाते हैं|भगवान को तलासने के लिए ही तो भक्त इस धर्म से उस धर्म आते जाते हैं|नही तो फिर भगवान तो सभी धर्मो में एक ही मौजुद है,जो बात सभी धर्मभक्त जानते हैं|और ये भी जानते हैं कि चाहे उधर जाओ या इधर आओ सब जगह भगवान स्थिर मौजुद है|लेकिन फिर भी भक्त इधर से उधर क्यों होते रहते हैं?और कई धर्मो का उदय होने के बावजूद भी इंसानो की वह इच्छा क्यों नही पुरी हुई है,जिसके पुरी होने के बाद और भी कई धर्म का उदय होना और धर्म परिवर्तन करना सायद बंद हो जाय|क्योंकि इंसानो द्वारा कई धर्म बनाये और बदले इसलिए जाते रहे हैं,ताकि किसी भक्त को इस बात का संतुष्ठी हो सके कि वह जिस धर्म को अपनाया है,उसी धर्म में उसे एक भगवान जल्दी से मिलेंगे!जो भगवान सारे धर्मो में स्थिर मौजुद मिलेंगे,न की वे भी धर्म परिवर्तन की तरह इस भक्त से उस भक्त के पास आते जाते रहते हैं|जो एक भगवान हमेशा स्थिर मौजुद रहेगा एक सत्य के रुप में|चाहे इंसान क्यों न आपस में लड़ मरकर एक दुसरे को समाप्त कर लेंगे और अपने साथ साथ इस धरती में मौजुद बाकि भी जिव निर्जिव सभी को समाप्त कर देंगे,पर वह एक भगवान कभी नही समाप्त होगा|जिसकी सबसे अच्छी भक्ती साबित करने के लिए बहुत से इंसान दुसरे धर्मो की बुराई और जिस धर्म को वे मानते हैं उसकी तारीफ करते रहते हैं|बजाय इसके की उन्हे सभी धर्मो में जिस एक भगवान को सभी भक्त मानते हैं,उसकी तारीफ करनी चाहिए थी|जो नही कर सकते तो कम से कम बुराई भी यदी कर रहे हो किसी धर्म का तो उसकी बुराई करते समय हिम्मत करके सार्वजनिक रुप से ये स्वीकारो कि जिस धर्म की तुम बुराई करते हो उस धर्म में जो एक भगवान स्थिर मौजुद है,वह कोई भगवान नही बल्कि उस धर्म में मौजुद सभी भक्तो को जन्म देनेवाले शैतान है|क्योंकि किसी धर्म की बुराई करना उस धर्म में मौजुद उस विश्वाश और आस्था का बुराई करना है,जिसने सभी धर्मो के भक्त समेत जिव निर्जीव बल्की सारी सृष्टी का निर्माण किया है|मैं उस भगवान के बारे में नही कह रहा हुँ जिसका जन्म और मृत्यु बल्कि उसकी पुरी जिवन के बारे में भी इंसान अच्छी तरह से जानता है|जो कि इंसान के रुप में भी जन्म लिया है,जिस तरह के भगवान तो सभी इंसान खुद को मान सकते हैं|खासकर यदि सभी इंसान के भितर भगवान के ही अंश हैं|और सभी के भितर उसी एक भगवान का अंश मौजुद है जिसे सारे सृष्टी की रचना किया है|जैसे कि एक एक बुंद के भितर सागर मौजुद है,और सागर में भी अनेको बुंदे मौजुद है|बल्कि मैं उस भगवान की बात कर रहा हूँ जिसने सभी धर्मो के भक्तो समेत सृष्टी में मौजुद सभी जिव निर्जीवो की रचना किया है|जिसके बारे में इंसानो के द्वारा बनाये गये सभी धर्मो में ये कहा गया है कि वह एक भगवान सभी धर्म में मौजुद है|जिसकी तलाश इस धर्म से उस धर्म में जाकर होती रहती है|जिसके बारे में जानकारी सारे धर्मो में पवित्र धार्मिक ग्रंथो के रुप में विभिन्न उदाहरणो और जानकारियो के जरिये दी गई है|जिसे अलग अलग भगवान का बतलाकर इंसान यदि एक दुसरे का धर्म की बुराई करके एक दुसरे का माथा फोड़ते रहे तो फिर इंसान का खुदको श्रेष्ट प्राणी कहलवाना सिर्फ अपनी झुठी तारीफ करना है|क्योंकि इंसान यदि इस धरती की मानवता और पर्यावरण का नुकसान यदि सबसे अधिक इसी तरह करता रहे तो फिर वह सबसे बुद्धीमान और बलवान श्रेष्ट प्राणी नही है|क्योंकि एक दुसरे की धर्म को बुरा बतलाकर अपने को सबसे अच्छा बतलाकर आपस में ही लड़ मरकर समाप्त होने की हरकत करना,बल्कि हजारो परमाणु बम को मानो मानव बम बनाकर इंसान द्वारा खुदको ही खत्म करने के साथ साथ पुरे धरती को ही समाप्त करने की जुगाड़ में लगना श्रेष्ट बुद्धीमानी और श्रेष्ट बलवान कहलाना नही है|जिसे समझते हुए सबसे बड़ी बुद्धीमानी इस धरती पर मानवता और पर्यावरण में जल्द से जल्द संतुलन कायम हो और सभी इंसान सुख शांती अमन प्रेम से जिवन यापन करके अपनी अंतिम विदाई ले इसके लिए जरुरी है कि एक दुसरे की धर्म की बुराई करने के बजाय बुराई करने वालो की बुराई करके उसे उस अच्छाई के बारे में सत्य बात बतलाये जो कि एक ही इंसानो की आपसी लड़ाई से कायम नही होती है,बल्कि एक दुसरे की समस्या का समाधान दुर करने के लिए आपसी मदत करने से होती है|जो न होकर एक दुसरे की टांग खिचने में लगे रहने और एक दुसरे की माथा फोड़ने वाले इंसान कभी भी अमन सुख शांती और प्रेम नही ला सकते,चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हो,या फिर चाहे जितने धर्म को बदलकर जितने धार्मिक पवित्र ग्रंथो कि ज्ञान उसने हासिल कर लिया हो|इसलिए आज के बाद मेरी ये बात हमेशा याद रखे वे तमाम लोग जो कि दिन रात किसी धर्म की बुराई में लगे रहते हैं,कि सारे सृष्टी समेत सारे धर्मो में एक स्थिर भगवान मौजुद है|जिस धर्मो में किसी भी धर्म का बुराई करना अपने ही मान्यता प्राप्त एक भगवान का बुराई करना है|पर हाँ इसके साथ साथ ये बात भी हमेशा याद रहे कि कोई किसी को यदि भगवान कह दे या फिर खुद को भी भगवान मान ले तो उसे वह स्थिर एक भगवान बिल्कुल भी मत समझ लेना जिसकी तलाश सभी धर्मो में होती रहती है|क्योंकि वह एक भगवान प्रमाणित रुप से किसी को भी आजतक नही मिला है|नही तो फिर सभी धर्मो के भक्त उसी एक भगवान के पास नही जाते सारे धर्मो को छोड़ छाड़कर उस एक भगवान पर सभी विश्वास करके!जिसकी तलाश फिलहाल सभी धर्मो में जारी है|जो एक भगवान सभी धर्मो में स्थिर मौजुद है|जिस एक स्थिर सत्य को सभी धर्म में मान्यता प्राप्त है|इसलिए किसी भी धर्म का बुराई बिल्कुल भी न हो!बल्कि उस असत्य का बुराई हो,जो खुदको सत्य बतलाकर असत्य फैलाता रहता है|जिसकी असत्य की पोल खोलने के लिए उसकी प्रमाणित रुप से ऐसा सत्य उजागर हो,जिसे कि सभी धर्म ये स्वीकार करे कि यही असल सत्य है|जैसे कि सभी धर्म इसे प्रमाणित तौर पर असल सत्य स्वीकारते हैं कि इंसान का जिवन हवा पानी वगैरा से इस धरती पर मौजुद है|जिसे कोई भी धर्म का इंसान हो या फिर किसी भी धर्म को न मानने वाला इंसान हो,सभी मानते हैं|बल्कि यदि नही भी मानते हैं तो भी यही प्रमाणित सत्य है कि उसकी जिवन हवा पानी वगैरा प्राकृत और वैज्ञानिक प्रमाणित समेत सारे धर्मो में मान्यता प्राप्त सत्य से चल रही है|न की उस झुठ से चल रही है,जो कहीं पर भी मौजुद नही है किसी इंसान को बिना हवा पानी जैसे प्राकृत के जिवन देने के लिए|जो बात यदि किसी को असत्य लगे तो वह हवा पानी लेना बंद करके प्रमाणित रुप से इसे असत्य साबित करके दिखला दे!रही बात मेरे द्वारा सत्य को सत्य साबित करके दिखलाने की तो मैं जो सत्य लिखा हूँ,उस सत्य को सभी प्रमाणित कर सकता है|बल्कि जिसका जन्म और मृत्यु प्राकृत पर प्रमाणित रुप से निर्भर है,वह सब न चाहकर भी हर दिन हर पल एक स्थिर सत्य को प्रमाणित अपने आप ही करता रहता है|जिसे किसी के द्वारा प्रमाणित करने की जरुरत भी नही है|वह साक्षात चारो ओर कण कण में मौजुद है|

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