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आखिर क्यों कोरोना बच्चे बुढ़े जवान नर नारी सबको अपना शिकार बना रहा है

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  आखिर क्यों कोरोना बच्चे बुढ़े जवान नर नारी सबको अपना शिकार बना रहा है ? पुरी दुनियाँ में कोरोना फैलने से पहले पुरी दुनियाँ से पाप का सम्राज्य समाप्त करने की भिड़ जुटने का दौर इतना तेजी से फैल रहा था कि यदि और कुछ समय उसी तरह एकजुटता देखने को मिलती तो निश्चित तौर पर पहले तो इस देश से पाप का सम्राज्य को किसी खरपतवार की तरह उखाड़कर फैंका जाता , उसके बाद इस देश में पुर्ण आजादी न्याय कायम होने के बाद पुरी दुनियाँ में भी बाकि देशो के उन लोगो को पुर्ण आजादी न्याय मिलने सुरु हो जाते जिन्हे भी अबतक पुर्ण आजादी जिवन जिने का अवसर नही मिल पाया है , और आज भी वे धन संपदाओ से संपन्न देश का मुलनिवासि होते हुए भी गरिबी भुखमरी जिवन जिने को मजबूर हैं | क्योंकि उनके देशो में भी गुलाम करने वाले पापियो का गैंग अब भी जोंक की तरह चिपककर उनका खुन चुसने में लगा हुआ है | और खुन चुसने का ये भ्रष्ट संस्कार हजारो सालो से उन लोगो के परिवारो में बांटा जाता रहा है , जिनके लिए विकाश का मतलब मुठीभर आबादी के पास सारी धन संपदा हो , और बहुसंख्यक आबादी सिर्फ किसी तरह जिन्दा रहे ताकि मुठीभर आबादी की गुलामी कर सके | जो विकृ

भारत माता शेर में सवार होकर शेर से अपने बच्चो की सुरक्षा करा रही है कि भक्षण करा रही है

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भारत माता शेर में सवार होकर शेर से अपने बच्चो की सुरक्षा करा रही है कि भक्षण करा रही है ? इस देश की मातृभूमि शेर पर नही बल्कि नंदी पर सवार होकर खुदको कृषि प्रधान देश घोषित किया है | जिस मातृभूमि की रक्षक और सेवक कबिलई शिकारी शेर को बनाने का परंपरा तब से सुरु हुआ है , जबसे इस देश में कबिलई हमलावरो का प्रवेश होकर इस मातृभूमि में कबिलई लुटेरो का भी वंशृक्ष बड़ना सुरु हुआ है | जिनमे सबसे पहला कबिलई हमलावर मनुवादि का वंशवृक्ष सबसे प्रमुख है | जिसके द्वारा इस देश में सत्ता कायम करने के बाद ही इस कृषि प्रधान देश में शेर को राजा और रक्षक बनाने की परंपरा सुरु किया गया है | जबकि शिकारी शेर दुसरो की बोटी नोचकर पलनेवाला वह प्राणी है , जिसे सेवक राजा बनाना तो दूर कोई अपना रक्षक भी नही बनाएगा , बजाय इसके कि यदि शेर किसी ग्राम मोहल्ला या शहर में गलती से भी यदि आ जाय तो उसे शेर राजा आया है , उसकी चरण धोकर गद्दी में बैठाओ कहने के बजाय उसे मार पीटकर भगाओ कहना ज्यादे पसंद करेंगे | न कि शेर जंगल का राजा है जो जंगल की प्रजा की सेवा करता है सिर्फ इस गलतफेमी में रहकर लोग शेर का स्वागत करेंगे | क्योंकि असल जि

बहुत से लोग अधुरी बात कर रहे हैं की वर्तमान का प्रधानमंत्री देश को बेच रहा है

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  बहुत से लोग अधुरी बात कर रहे हैं की वर्तमान का प्रधानमंत्री देश को बेच रहा है दरसल मैं बहुत दिनो के बाद आज यह पोस्ट एक गाना youtube में देखकर लिख रहा हूँ | वैसे तो हर समय कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ , पर उसे मैं सभी को नही डालता हूँ , क्योंकि जो पहले से ही डला हुआ है , उसे ही पढ़ने वालो का इंतजार है तो बाकि को डालकर क्या गूगल को पढ़ाता रहूँगा , जिसके पास पहले से ही दुनियाँ की सबसे अधिक लेखन मौजुद है | लेकिन आज का लिखा पोस्ट को डाल इसलिए रहा हूँ , क्योंकि अली बाबा चलीस चोर की पुरी गैंग चोरी और लुट में दिन रात लगी हुई है , और चोरी के बारे में यह प्रचार प्रसार किया जा रहा है कि सिर्फ एक चोर पुरे देश को बेच रहा है | हलांकि जिस तरह किसी विद्वान ने बहुत सोच समझकर भी यह अधुरी बात कही है कि " जिस देश का राजा हो व्यापारी ( विक्रेता ) वहाँ की प्रजा हो जाती है भिखारी ! " उसी तरह आज भी बहुत से लोग सोच समझकर ही यह अधुरी बात कह रहे हैं की वर्तमान का चाय बेचनेवाला प्रधानमंत्री देश को बेच रहा है | क्योंकि सिर्फ एक व्यक्ती इस समय पुरा देश बेचकर मालामाल हो रहा है , यह कहना वैसा हि है जैसे कि