भारत माता शेर में सवार होकर शेर से अपने बच्चो की सुरक्षा करा रही है कि भक्षण करा रही है
भारत माता शेर में सवार होकर शेर से अपने बच्चो की सुरक्षा करा रही है कि भक्षण करा रही है ?
इस देश की मातृभूमि शेर पर नही बल्कि नंदी पर सवार होकर खुदको कृषि प्रधान देश घोषित किया है | जिस मातृभूमि की रक्षक और सेवक कबिलई शिकारी शेर को बनाने का परंपरा तब से सुरु हुआ है , जबसे इस देश में कबिलई हमलावरो का प्रवेश होकर इस मातृभूमि में कबिलई लुटेरो का भी वंशृक्ष बड़ना सुरु हुआ है | जिनमे सबसे पहला कबिलई हमलावर मनुवादि का वंशवृक्ष सबसे प्रमुख है | जिसके द्वारा इस देश में सत्ता कायम करने के बाद ही इस कृषि प्रधान देश में शेर को राजा और रक्षक बनाने की परंपरा सुरु किया गया है | जबकि शिकारी शेर दुसरो की बोटी नोचकर पलनेवाला वह प्राणी है , जिसे सेवक राजा बनाना तो दूर कोई अपना रक्षक भी नही बनाएगा , बजाय इसके कि यदि शेर किसी ग्राम मोहल्ला या शहर में गलती से भी यदि आ जाय तो उसे शेर राजा आया है , उसकी चरण धोकर गद्दी में बैठाओ कहने के बजाय उसे मार पीटकर भगाओ कहना ज्यादे पसंद करेंगे | न कि शेर जंगल का राजा है जो जंगल की प्रजा की सेवा करता है सिर्फ इस गलतफेमी में रहकर लोग शेर का स्वागत करेंगे | क्योंकि असल जिवन में शिकारी शेर न तो जंगल का राजा बनने का काबिल है , और न ही रक्षक बनने का काबिल है | क्योंकि राजा और रक्षक उसी को बनाया जाना बुद्धीमानी है जो कि प्रजा की सेवा करना और रक्षा करना दोनो अच्छी तरह से जानता है | जबकि शिकारी शेर तो प्रजा की भक्षण करके अपना पेट भरना जानता है | जिसे राजा बनाना मानो प्रजा को खुनी पंजो से दबोचवाकर खुंखार जबड़ो के जरिये किसी शिकारी की पेट में सुरक्षा कराना है | जिस तरह की सेवा और सुरक्षा जिसे करानी है वह अपना राजा शेर को बनाकर अपनी जान को खतरे में तो डालता ही है पर अपने परिवार और समाज को भी खतरे में डालता है | जैसे कि मनुवादियो को शासक बनाकर इस देश के मुलनिवासि खुदको और खुदके परिवार समाज को खतरे में डाले हुए हैं , यदि वाकई में वे मनुवादियो को शासक अपनी मर्जी से बनाये हैं | क्योंकि मनुवादि भी किसी शिकारी जानवर की तरह ही शिकार करके पलनेवाला प्राणी है | जिसके चलते जब भी उसकी सत्ता कायम होती है तो वह प्रजा की सेवा और सुरक्षा के बजाय उसका शोषण अत्याचार करने में ही लगा रहता है | जैसे की गोरो से आजादी मिलने के बाद मनुवादियो की सत्ता वापस कायम होने के बाद मनुवादि फिर से इस देश के मुलनिवासियो का शोषण अत्याचार करने में लग गया हैं | क्योंकि शोषण अत्याचार करने वाला प्राणी विकाश प्रक्रिया में सबसे कमजोर और बुजदिल होता है | जिसके चलते वह लंबे समय तक ज्ञान का भारी बस्ता ढोकर भी विकसित इंसान बनने के बजाय अविकसित बुद्धीवाला विकृत हैवान बनने में ही लगा रहता है | लेकिन भी जिस तरह जंगल का राजा बताकर शिकारी शेर को सबसे ताकतवर प्रचारित किया जाता है , उसी तरह इस देश के मुलनिवासियो को कमजोर बताकर यह प्रचारित किया जाता है कि मनुवादि सबसे ताकतवर प्राणी है | जबकि मनुवादि दुसरो के टुकड़ो में पलनेवाला वह परजिवी है , जो यदि इस देश को छोड़ दे तो उसे अपना वह ठिकाना भी नही मिलेगा जहाँ पर उसे अपने पूर्वजो की खुदकी अपनी खास वसियत मिल जाएगी | क्योंकि उनके पूर्वज जब इस देश में आए थे उस समय उनके पास पहनने के लिए कपड़ा तक नही था तो वे अपने पूर्वजो कि खुदकी वसियत में क्या धन संपदा हासिल करेंगे | उनके पास तो कपड़ा भी इस देश में आने के बाद प्राप्त हुआ है | बल्कि मनुवादियो को तो परिवार समाज का ज्ञान भी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके हुआ है | जिन सब जानकारियो को सबसे पुराना ऋंग्वेद से हासिल किया जा सकता है | जिसमे भी मनुवादियो ने मिलावट और छेड़छाड़ किया है , जैसे कि गोरो ने इतिहास में छेड़छाड़ किया है | पर चूँकि छेड़छाड़ और मिलावट करके सत्य को मिटाया नही जा सकता है , इसलिए वेद पुराणो में भी भले मनुवादियो ने छेड़छाड़ और मिलावट किया है , पर उसमे जो सत्य है उसे नही मिटा पाया है | जिसे वेद पुराणो में वही व्यक्ती तलाश सकता है जो कि सत्य प्रमाणित बातो को समझ बुझ सकता है | जिसे समझना कठिन नही है , बस वेद पुराणो को प्राकृतिक प्रमाणित सत्य से जोड़कर जाना समझा जाय , न कि उसे मनुवादियो की भ्रष्ट बुद्धी द्वारा रचे अप्राकृति ढोंग पाखंड की नजरिये से जाना समझा जाय | क्योंकि ढोंग पाखंड की नजरिये से वेद पुराणो को समझने से सबसे ताकतवर भगवान मनुवादियो के पूर्वज देवो को समझने में देर नही लगती है | जबकि मनुवादियो के पूर्वजो ने इस देश के मुलनिवासियों के साथ जो जुल्म सितम किए हैं , उससे मनुवादि विकाश प्रक्रिया में ताकतवर नही बल्कि सबसे बुजदिल और कमजोर साबित होते हैं | क्योंकि विकाश प्रक्रिया में वे लोग सबसे बुजदिल कमजोर और डरपोक होते हैं , जो बदहाल शोषित पिड़ितो को मौत बांटते फिरते हैं | जिनमे खासकर वे लोग होते हैं , जो खुद बदहाली और शोषण अत्याचार के लिए जिम्मेवार होते हैं | जो विरले ही खुद अपनी गुनाह कबूल करते हैं कि उनकी वजह से बदहाली कायम हुई है , और उनकी वजह से शोषण अत्याचार हो रहे हैं | भले ही उनके परिवार समाज में मौजुद उनके बहुत से करिबी उनको गुनेहगार मानते हुए उसे सारी जिवन शोषण अत्याचार बंद करके सुधरने के लिए कहते रहते हैं | पर वे दुसरो की तो दुर अपनो की भी बात नही मानते और अपनी भ्रष्ट बुद्धी को अपडेट करके पाप कुकर्मो में ही लगे रहते हैं | जैसे कि जिन मनुवादियो ने आजतक कबूल ही नही किया कि उनके द्वारा मनुवादि शासन स्थापित होने के बाद इस देश के मुलनिवासियो के साथ लगातार शोषण अत्याचार होता रहा है , और शोषित पिड़ितो के जिवन में बदहाली भी कायम होता आ रहा है | जिस बदहाली और शोषण अत्याचार को दुर करने के बजाय अपडेट होता आ रहा है | क्योंकि बदहाली और शोषण अत्याचार के लिए सबसे अधिक जिम्मेवार लोगो को दिन रात यह डर सताता रहता है कि जिन लोगो को उनकी वजह से बदहाली और शोषण अत्याचार का सामना करना पड़ता है , उन लोगो के जिवन में जिसदिन भी हालात सुधरेंगे उनको ईट का जवाब पत्थर लोहा सबसे मिलेगा | जिसके चलते वे बदहाल शोषित पिड़ित जिवन जी रहे निर्दोश लोगो की जिवन में सुधार होने देने से पहले ही उन्हे गरिबी भुखमरी हालात पैदा करके भी और शोषण अत्याचार करके भी दबाने बल्कि मारने का पापी सोच लंबे समय से अपडेट होता चला आ रहा है | भेदभाव शोषण अत्याचार जैसी अपराधी सोच मनुवादियो के भ्रष्ट बुद्धी में अपडेट होता चला आ रहा है | जिस तरह की अपराधी सोच उन कमजोर और बुजदिल लोगो की होती है , जिन्हे दुनियाँ का सबसे कमजोर इंसान कहा जा सकता है | जो अपनी शक्तियो का उपयोग रक्षा करने के बजाय शोषण अत्याचार करने में करते हैं | अथवा रक्षक वीर जवान के बजाय भक्षक हैवान बनने में ही उन्हे मानो गर्व महसुश होता है | जिसके चलते वे गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार करने जैसे पापो में गर्व से लिप्त होते रहे हैं | पर गर्व वे जिस पाप कुकर्मो को करते हैं , उस पाप कुकर्मो को ही करके भितर से वे इतना कमजोर और बुजदिल हो जाते हैं कि अपने द्वारा किये और करवाये गए पाप कुकर्मो को कबूल कभी विरले ही कर पाते हैं | बल्कि अपने पाप कुकर्मो का सबूत मिटाने या छिपाने के लिए वे सबसे अधिक समय बर्बाद करते रहते हैं | जैसे की मनुवादियो ने वेद पुराणो में भी छेड़छाड़ और मिलावट करके अपने पूर्वजो के पाप कुकर्मो को छिपाने और मिटाने की कोशिष किया है | क्योंकि उनके द्वारा किये गए पाप कुकर्मो का लिस्ट इतनी लंबी रहती है कि यदि नर्क में भी आदालती कारवाई की तरह ही कारवाई होकर उन्हे सजा मिलता होगा तो वहाँ भी सायद उनके द्वारा किये गए पाप कुकर्मो की जानकारी को जमा करते करते वे नर्क में भी सजा काटने से पहले फिर से मर जाते होंगे | जैसे की इस देश में जो मनुवादि शासन में आदालती कारवाई हो रही है , उसमे बड़े बड़े पाप कुकर्म करने वालो की लिस्ट इतनी लंबी है कि उसको जमा करते करते पापी सजा काटने से पहले ही अपनी जिवन जिकर बुढ़ा होकर मरता जा रहा है | बल्कि सजा देनेवाला जज भी बुढ़ा होकर मरते जा रहे हैं | पर पाप कुकर्मो की लंबी लिस्टो पर सायद ही किसी पापी को सजा मिल पा रहा है | जो लिस्ट नर्क में ट्रांसफर होने के बाद सायद वहाँ भी आदालती कारवाई की तरह पापियो को सजा नही मिल पा रहा है | जिसके चलते पापियो की गैंग मरने के बाद अपनी पापी जिवन को बदलकर नया जिवन जिने के बजाय दुसरा जन्म में भी वही पुराना पाप कुकर्मो की पोटली लेकर फिर से पाप कुकर्मो में पिड़ि दर पिड़ी मोक्ष प्राप्ति के लिए लगे रहते हैं | जो उन्हे अपने द्वारा किये गए पाप कुकर्मो को खुद कबूल करके सजा काटे बगैर प्राप्त कभी भी नही होनेवाला है | क्योंकि जिन पापियो को बिना अपराध को छिपाये या किसी पाप को दुबारा किए बगैर एकदिन के लिए भी जिवित रह पाने में हर रोज मानो साँस लेने में भी दिक्कत होती रहती है , वे आखिर कैसे मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं | बल्कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी मानो वे अपराध में अपराध करते रहते हैं | जो अपनी जिवन में मौत का डर को सबसे अधिक दिन रात झेलते हैं | क्योंकि उन्हे मानो कई जन्मो से सजा न मिल पाने की वजह से अपने पाप कुकर्मो की पोटली को अपने पिठ में लादे उसके बोझ तले एक साथ उसे सारे पाप कुकर्मो की सजा छपर फाड़कर मिलेगा इस डर से भी डर डरकर जिवन जिते रहते हैं | जिसके लिये मोक्ष मिलना तो मानो किसी कोरोना को किसी इंसान के द्वारा विवाह रिस्ता के लिए प्रस्ताव मिलने जैसा लगता है | जिसके चलते हर जन्म में वे जन्म लेकर सारी जिवन पाप कुकर्मो की पोटली लिये कोरोना की तरह दुसरो को भय आतंक देकर खुद भी मौत से भयभीत और आतंकित रहते हैं | जिस आतंक को कम करने के लिए जिस तरह बहुत से अँधविश्वासी लोग जब कोई उपाय नही सुझता है तो ढोंगी पाखंडी ठग वगैरा की चंगुल में फंसकर अपनी समस्याओ का सामाधान खोजते फिरते हैं , उसी तरह ये मनुवादि भी अपने ही रचे ढोंग पाखंड का सहारा लेकर मोक्ष प्राप्त करने की कोशिष में लगे रहते हैं , बजाय इसके कि उन्हे अपनी गलती स्वीकार करके अपने और अपने पूर्वजो के पाप कुकर्मो को किसी मल मूत्र की तरह त्याग देना चाहिए था | न कि उसे अपडेट करते रहना चाहिए यह बताकर कि उनके पूर्वजो ने बुराई का विनाश किया था | क्योंकि बुराई यदि वे इस देश के मुलनिवासियो के पूर्वजो को बतलाकर खुदके पूर्वजो को अच्छाई का प्रतिक समझते हैं , तो वे खुद ही अपने पाप कुकर्मो को और अधिक बड़ाने में अपनी नई पिड़ी को भी गलत जानकारी देकर उनके द्वारा पापी बनने में मदत करते आ रहे हैं | जिसके चलते मनुवादि आजतक भी भेदभाव शोषण अत्याचार को पुरी तरह से नही छोड़ पाया है | और पिड़ि दर पिड़ि अपने पाप कुकर्मो को अपडेट करने में ही लगा रहा है |
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