आखिर क्यों कोरोना बच्चे बुढ़े जवान नर नारी सबको अपना शिकार बना रहा है

 

आखिर क्यों कोरोना बच्चे बुढ़े जवान नर नारी सबको अपना शिकार बना रहा है ?



पुरी दुनियाँ में कोरोना फैलने से पहले पुरी दुनियाँ से पाप का सम्राज्य समाप्त करने की भिड़ जुटने का दौर इतना तेजी से फैल रहा था कि यदि और कुछ समय उसी तरह एकजुटता देखने को मिलती तो निश्चित तौर पर पहले तो इस देश से पाप का सम्राज्य को किसी खरपतवार की तरह उखाड़कर फैंका जाता , उसके बाद इस देश में पुर्ण आजादी न्याय कायम होने के बाद पुरी दुनियाँ में भी बाकि देशो के उन लोगो को पुर्ण आजादी न्याय मिलने सुरु हो जाते जिन्हे भी अबतक पुर्ण आजादी जिवन जिने का अवसर नही मिल पाया है , और आज भी वे धन संपदाओ से संपन्न देश का मुलनिवासि होते हुए भी गरिबी भुखमरी जिवन जिने को मजबूर हैं | क्योंकि उनके देशो में भी गुलाम करने वाले पापियो का गैंग अब भी जोंक की तरह चिपककर उनका खुन चुसने में लगा हुआ है | और खुन चुसने का ये भ्रष्ट संस्कार हजारो सालो से उन लोगो के परिवारो में बांटा जाता रहा है , जिनके लिए विकाश का मतलब मुठीभर आबादी के पास सारी धन संपदा हो , और बहुसंख्यक आबादी सिर्फ किसी तरह जिन्दा रहे ताकि मुठीभर आबादी की गुलामी कर सके | जो विकृत सोच अबतक कबिलई लुटेरो के नए वंसजो के भितर से पुरी तरह समाप्त नही हुआ है | बल्कि अपडेट होकर किसी बेहरुबिया की तरह नया नया रुप बदलता रहा है | क्योंकि उनसे पुरी दुनियाँ को मुक्त किया जा सके यह तैयारी और नेतृत्व बाकि देश नही कर सकते , चाहे वे जितना शक्तीशाली और विकसित देश कहलाते हो ! कर पाते तो पुरी दुनियाँ में अब भी अधुरी आजादी लेकर बहुसंख्यक आबादी अपने खनिज संपदा से भरपुर देश में भी गरिबी भुखमरी जिवन नही जी रहे होते , बल्कि पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी कबका समाप्त हो चुका होता | जो न होकर आज अँधेर नगरी चौपट राजा शासन में अँधी विकाश से सिर्फ मुठिभर लोगो के पास धन दौलत इतना अधिक जमा हो गया है कि दुनियाँ की सिर्फ एक प्रतिशत आबादी के पास इतना धन दौलत जमा है जितना की 99% के पास भी नही है | जिसके चलते बहुसंख्यक आबादी गरिबी भुखमरी से तो पहले से ही अधुरी आजादी पाकर मर रही है , पर इस कोरोना काल में अब दवा और ऑक्सिजन के आभाव में भी वही सबसे अधिक मर रहा है | जबकि एक प्रतिशत आबादी इस कोरोना काल में भी  कई कई सालो तक बिना बाहर निकले घर में बैठकर छप्पन भोग खा पी सकता है | जैसा की इस समय इस देश में जिनके पास आपार दौलत है वे लोग इस देश में लॉकडाउन लगने पर भी घर बैठे छप्पन भोग खा पीकर सिर्फ कोरोना से मरने वालो की आँकड़ो और खबरो को देखते रहते हैं | जिन्हे गरिबी भुखमरी से हो रहे मौत के आँकड़ो से कोई मतलब नही है , क्योंकि वह खुद गरिब रहते तब तो वे उसी गरिबी भुखमरी से संघर्ष करने वाली आबादी में खुदको भी जोड़कर  उससे जुड़ी खबर देखते सुनते और पढ़ते | पर चूँकि कोरोना से तो क्या गरिब क्या अमिर दोनो मर रहे हैं , इसलिए कोरोना से ही मरने वालो की आँकड़ो में उसकी नजर घर बैठे रह रही है | हलांकि चूँकि कोरोना से भी गरिब ही सबसे अधिक मर रहा है , इसलिए ऐसे लोगो को न चाहते हुए भी कोरोना की खबरो में किसी न किसी रुप में गरिबो की पीड़ा वाली खबर मिल ही जाती है | क्योंकि कोरोना से भी मरने वालो में गरिब की ही संख्या ज्यादे है | जो गरिब न चाहकर भी भिड़ में शामिल होकर कोरोना से पिड़ित होकर उसका ईलाज समय से पहले नही हो पा रहा है | और न ही उसे दवा और ऑक्सीजन ठीक से मिल पा रहा है | जिसे दवाई भी मिलता और ऑक्सिजन भी मिलता यदि वह इतना अमिर होता की नोटबंदी में भी बिना लाईन में लगे घर बैठे उसके सारे पुराने नोट बैंक और सरकार द्वारा बदलवा दिए जाते | क्योंकि अभी जो अधुरी आजादी मिलकर जो बुरे हालात मौजुद है , उसमे गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे लोगो की हालत सबसे खराब है | जिसे सुधारने वाला कोई भी देश नही है , क्योंकि उनके पास पुरी आजादी दिलाने के लिए नेतृत्व करने की सोच नही है | और न ही गुलाम बनाने वालो को जड़ से उखाड़ फैकने की ताकत है | और इस देश के पास है भी तो चूँकि यह देश खुद पुर्ण आजाद नही है , इसलिए पुर्ण आजादी प्राप्त किए अभी तो पुरी दुनियाँ में इसी तरह का ही खतरनाक स्थिति कायम रहेगी | लेकिन चूँकि अब गुलाम बनाने वाला कबिलई लुटेरी गैंग का कोई भी बेहरुबिया रुप को पकड़ना मुश्किल नही रह गया है , इसलिए धिरे धिरे इस गुलामी हालत में भी उसके खिलाफ सड़को में भिड़ जुटने की रफ्तार इतनी तेजी से बड़ने लगी थी कि और ज्यादे दिन उसका पाप का सम्राज्य कायम नही रह पाता | जिसके चलते उसने मौका का फायदा उठाते हुए कोरोना को अपना ऐसा हथियार बना लिया है कि जबतक कोरोना का दौर चलता रहेगा वह कोरोना को अपनी ढाल बनाकर अपना पाप का सम्राज्य को सुरक्षित रखते हुए चारो तरफ मौत का आलम में भी झुठी शान की जिवन जिता रहेगा | क्योंकि उसने आँखो में धुल झौंकने की तरह पुरी आजादी के लिए सड़को में उतरने वालो पर कोरोना झौंक दिया है | हलांकि भगवान ने यदि उसका पाप का सम्राज्य का खात्मा इसी दौर में तय करके रखा है तो वह चाहे जितना शैतान बुद्धी खर्च कर ले , अगर उसका जाना तय है तो निश्चित तौर पर जाएगा ही ! और फिर उसकी भ्रष्ट परंपरा का आचानक से किसी पागल कुत्ते की तरह हो जाना यही बतलाता है कि पाप का सम्राज्य का अंत बहुत जल्द होनेवाला है | क्योंकि जिस तरह कोई पागल कुत्ता पगलाकर मरने से पहले मौत से डरते हुए घुम घुमकर निर्दोश लोगो को काटता फिरता है , उसी तरह वर्तमान के समय में भी कोरोना का दौर किसी पागल इंसानो द्वारा पगलाकर मरने से पहले घुम घुमकर अनगिनत लोगो को काटने का चल रहा है | जो दौर तब खत्म होगा जब वह पागल कुत्तो का गैंग खत्म होगा | पर अफसोस उससे पहले वे न जाने कितनो को काटकर कोरोना देकर मार चुके होंगे | जैसे कि कोई पागल कुत्ता मरने से पहले पगलाकर न जाने कितनो को काटकर मरता है | क्योंकि पगलाने के बाद वह मौत का डर को अपने भितर इतना अधिक आतंकित महसुश करता है कि किसी बच्चे से भी उसे डर भय आतंक लगने लगता है कि वह भी उसे मार सकता है | जिसके चलते वह बच्चे को भी बिना कोई गलती के काटता फिरता है | क्योंकि उसे लगता है कि अगर वह अपनी बचाव में उस बच्चे को नही काटेगा तो वह बच्चा उसे मार डालेगा | जिस तरह पागल कुत्ता कि तरह पगलाये हुए लोग सारी जिवन मौत से डर डरकर ही तो ज्यादेतर अपराध करते हैं | जैसे कि इस समय मौत से डरकर ही तो कोरोना की आड़ में बड़े बड़े आतंकवादियो की गैंग निश्चित तौर पर कोरोना झौंक करके बच्चे बुढ़े नर नारी सभी में मौत बांटने और मौत का आतंक फैलाने में लगे हुए होंगे | और एक पागल कुत्ता जब पुरे गली मोहल्ले बल्कि कई गली मोहल्ले  के लोगो को आतंकित किए रहता है तो पागल कुत्तो की पूरी गैंग तो निश्चित तौर पर कोरोना वायरस का लहर पुरी दुनियाँ में फैलायेगा ही | हलांकि चूँकि जिस तरह बुढ़ापा में ही ज्यादेतर कुत्ता पगलाते हैं , क्योंकि बुढ़ापा में उनके भितर बिमारियो से लड़ने की क्षमता बहुत कम हो जाती है , इसलिए निश्चित तौर पर इस समय कोई अगर पगलाकर कोरोना झौंकवा रहा है तो वह भी कोई बुढ़ा व्यक्ती के द्वारा ही निर्देश दिया जा रहा है | जिसके चलते उसकी प्राकृति मौत भी बुढ़ापा की वजह से धिरे धिरे आगे बड़ रही है | जिससे डरकर ही तो वह पगलाकर मरने की बुरे हालात में खुद जुझ रहा है | जिन सब बुरे हालातो से बचने के लिए ही तो बुढ़ापा में समझदार इंसान मौत से बिना डरे खुदको रोजमरा जिवन में मानो बहुत कुछ त्यागकर जिवन का लौ बुझने से पहले अंतिम बार वापस बच्चा बनकर अपने बच्चो या अपने करिबियो से लालन पालन करवाकर बच्चो की तरह छोटी मोटी शैतानी हरकते करने लगते हैं | जैसे की खाने पिने में फुटानी करना , छोटी मोटी बातो पर लड़ना झगड़ना वगैरा ! न की पगलाकर पागल कुत्ता की तरह ऐसी बड़ी शैतानी हरकत करते हैं , जिससे कई निर्दोशो की जान जाती है |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गर्मी के मौसम में उगने वाले ये केंद फल जीवन अमृत है और उसी फल का केंदू पत्ता का इस्तेमाल करके हर साल मौत का बरसात लाई जा रही है

साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है , न कि मनुवादियो के पूर्वज देवो की पुजा की जाती है

गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है