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शनिवार, 17 दिसंबर 2022

Manuwadi Governance and Education

 

Manuwadi Governance and Education


सरकारी स्कूल में पढ़ रहे ज्यादेतर तो गरिब और शोषित पीड़ित परिवार घर के बच्चो को इसलिए राजनीतिक गुलाम बनाया जा रहा है , क्योंकि गोरो से आजादी मिलने के बाद इस देश में जिन मनुवादियो की सत्ता में कब्जा है , वे इस देश को इसी तरह बचपन से ही पीड़ि दर पीड़ि छुवाछुत जैसे भेदभाव करते हुए गुलाम बनाते आ रहे हैं ! जिनके बच्चे पैदा होते ही उच्च और गुलाम के बच्चे निच हो जाते हैं ! हलांकि जिस तरह गोरो से आजादी मीलि उसी तरह एकदिन इन मनुवादियो से भी पुरी आजादी जरुर मिलेगी ! जिसकी झांकी किसी गुलाम के बच्चे द्वारा आजाद भारत का संविधान लिखना और देश विदेश में इतनी बड़ी बड़ी उच्च डीग्री हासिल करना भी कि ये खुदको सबसे उच्च कहने वाले विद्वान पंडित आजतक सायद ही किसी पीड़ि में गोरो के शासन से अबतक भी इतने सारे उच्च डीग्रि हासिल किये हो ! बल्कि गुलाम के बच्चे अब इनके बच्चे से प्यार मोहब्बत और शादियाँ भी कर रहे हैं | क्योंकि उनको भी अब धिरे धिरे समझ में आ रहा है कि उनके गुलाम बनाने वाले पूर्वज जाहिल और भक्षक की भूमिका हजारो सालो से निभाते आ रहे हैं | न कि वे किसी देश को गुलाम बनाकर महान विद्वान पंडित और रक्षक की भूमिका निभाते आ रहे हैं ! और धन दौलत से उच्च और अमिर धन्ना कुबेर तो वे कभी इमानदारी से कहला ही नही सकते , जबतक की वे किसी को गुलाम बनाकर उनके हक अधिकारो को लूटते रहेंगे ! क्योंकि खुल जा शिमशिम कहकर किसी काली गुफा में भरी दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर जमा की गयी धन संपदा को दिखाकर कोई मूर्ख ही खुदको धन्ना कुबेर कह सकता है ! वह अभी इसलिए कह रहा है क्योंकि अभी देश गुलाम है , जिसदिन पुरी आजादी मिलेगी उसदिन उससे सब छिन जायेगी और जैसे उनके पूर्वज हजारो साल पहले इस देश में संभवता नंगा आये थे , वैसे ही नंगा होकर उसकी खुदकी पहचान पुरी दुनियाँ के सामने आ जायेगी कि वे और उनके पूर्वज हजारो सालो से दुसरो के देश और दुसरो के हक अधिकारो को कब्जा करके दरसल अबतक भी दुसरो पर ही पल रहे हैं ! क्योंकि सायद उनके पूर्वज सुरु से ही नंगा पैदा होकर नंगा ही इस देश में घुसे जो आजतक असल में नंगा ही हैं ! भले उन्होने इस देश में आकर कपड़े पहनना सिख ली हो ! पर सुटबूट पहनकर और सबसे किमती महल में भी रहकर उनके भितर अभी भी सबसे अविकसित मांसिकता ही मौजुद है ! क्योंकि उन्होने कभी भी अबतक अपनी मनुवादि सोच में सुधार करके इस देश और इस देश के मुलनिवासियो को आजादी देकर अपनी खुदकी इमानदारी और आधुनिक सुझबुझ से अपना सबकुछ इकठा नही किए ! जिसका ही परिणाम है कि आज भी यह देश उनसे गुलाम है ! और इस देश के मुलनिवासी गुलाम होकर आज भी अपने हक अधिकारो से मुलता वंचित ही है ! वंचित न होता तो सायद इस देश के इतने टुकड़े न होते ! बल्कि यदि प्यार मोहब्बत से मनुवादि भी अपने लिए किसी धर्म के नाम से देश मांगने जैसा अपने लिए भी कोई देश मांगते तो सायद उन्हे देश भी मिल जाती इस देश के मुलनिवासियो से इतना बड़ा दिल होता है गुलाम बनने वाले असल में सबसे आधुनिक सोच वाले इंसानो की ! जो सही मायने में सबसे आधुनिक मानव हैं , बाकि गुलाम करने वाले तो सबसे अविकसित मानव अभी भी हैं | जिनको अभी सबसे पहले तो किसी के हक अधिकारो को छिनकर खाने वाले शिकारी सोच का ही जंगली शिकारी जानवर सोच को किसी मल मूत्र की तरह त्यागकर इंसान बनना होगा , तब जाकर उनके भितर आधुनिक मानव का विकाश धिरे धिरे विकसित होगी ! जिसमे उनको उतनी ही देरी होगी जितनी देरी उनके द्वारा किसी को गुलाम बनाकर दुसरो के हक अधिकारो में कब्जा करके खुदको उच्च विद्वान पंडित रक्षक और धन्ना समझते रहने की जंगली जानवर मांसिकता नही जायेगी ! जो की अब भी नही गयी है उन मनुवादियो से जो की अब भी खुदको उच्च समझकर इस देश में कब्जा करके शोसन अन्याय अत्याचार कर रहे हैं ! जो रियल मायने में गुलाम बनाने वाले गोरो से भी अविकसित मांसिकता के लोग हैं ! क्योंकि गोरो को तो इस देश को गुलाम बनाने के बाद सिर्फ एक दो सौ सालो में ही इस विश्वगुरु कहलाने वाले देश को गुलाम बनाकर यह ज्ञान मिल गया था कि किसी को गुलाम बनाना जंगली शिकारी जानवर से भी बुरी और अविकसित मांसिकता है , पर मनुवादियो को हजारो सालो से भी अबतक ज्ञान नही आया है ! क्योंकि मनुवादि गोरो से हजारो गुणा या सायद लाखो गुणा कम अविकसित सोच वाले लोग हैं ! जिसके ही चलते इन मनुवादियो के पास खुदका आजतक एक भी देश नही है , जिसे की वे अपने पूर्वजो का देश कह सके ! गोरे तो ब्रिटेन को कह सकते हैं , और वे अपने पूर्वजो के देश लौट भी गए इस देश को आजाद करने के बाद | पर मनुवादि किस देश को अपने पूर्वजो का देश कहकर वहाँ लौटेंगे इस देश को उनसे पुरी आजादी मिलने के बाद ? सायद चूँकि उनका dna से यहूदियो का dna मिलता है , इसलिए वे खुदको यहूदि घोसित करके यहूदियो की मूल भूमि पर लौट जायं ! पर यहूदि भी तो अपनी मूल भूमि को लेकर लगातार ऐसे विवादित होते जा रहे हैं की आजतक वह विवाद खत्म होने का नाम ही नही ले रहा है | उल्टे बड़ता ही जा रहा है यह कहकर कि वे समय गुजरते गुजरते दुसरो की भी भुमि को कब्जा करते हुए अपनी भूमि समझकर दुसरो की भूमि को रब्जा करके और अधिक हड़प नीति सोच को बड़ाते ही जा रहे हैं ! ताजा उदाहरन के तौर पर रुस यूक्रेन युद्ध विवाद को ही ले लिया जाय ! जिसका मूल जड़ विवाद क्या है ? यही न कि अमेरिका जहाँ यहूदियो का ही मुलता बोलबला है , जिसके चलते वहाँ भी अबतक गोरा काला भेदभाव विवाद उठता रहता है , जैसे की इस देश में उच्च निच विवाद हजारो सालो से कायम है | जिस अमेरिका में चूँकि यहूदियो की ही दबदबा है , तो जाहिर है अमेरिका का नेतृत्व यहूदि ही कर रहे हैं , न कि उस देश के मुलनिवासी रेड इंडियन ! जैसे की इस देश का नेतृत्व गोरो के जाने के बाद इस देश में बाहर से आए मनुवादि कर रहे हैं , न की इस देश के मुलनिवासी इंडियन ! जाहिर है रुस यूक्रेन युद्ध विवाद में अमेरिका का सबसे बड़ी भूमिका होगा तो वह यहूदियो की वजह से ही मामला आगे बड़ा होगा ! जिस विवाद का पुरी तरह से समाधान होने का मतलब है , यहूदियो की इस सोच को भारी हानि होना है कि दुसरो की जमीन हाथ से निकल गयी ! जैसे की यहाँ से भी जिसदिन मनुवादियो की हाथ से जमीन खिसकेगी तो उसदिन मनुवादियो को सायद सबसे बड़ा हानी या तो सबसे बड़ा लाभ इस मायने में मिल जाएगा कि अब उनका आधुनिक मानव बनने का रास्ता क्लीयर हो जाएगा जंगली शिकारी जानवर सोच को किसी मल मूत्र की तरह त्यागकर ! जिससे पहले तो ये यहूदि और मनुवादि जिन दोनो का ही dna एक है , जो मुमकिन है असल में यहूदि कबिला का ही आपस में हजारो साल पहले बिछड़े हुए दो जुड़वा भाई हैं , जिसमे से एक कबिला पश्चिम को गुलाम और दूसरा पूरब की तरफ आकर पूरब की सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलानेवाला इस देश को गुलाम बनाकर अबतक भी किसी को गुलाम बनाकर दुसरो के हक अधिकारो पर कब्जा जमाये हुए हैं ! जिससे पुरी आजादी का मतलब पुरी दुनियाँ को पुरी आजादी मिलने का रास्ता क्लीयर हो जाएगा ! जिसके लिए पुरी दुनियाँ में किसी न किसी रुप में आजादी संघर्ष चल ही रहा है ! जिसमे से एक उदाहरन रुस यूक्रेन युद्ध भी है ! बाकि इस देश में तो आजादी संघर्ष हजारो सालो से किस तरह चल रहा है पुरी दुनियाँ से छिपी नही है कि इस देश में मनुवादियो के द्वारा किस तरह से छुवाछूत भेदभाव शोषण अत्याचार जारी है ! जिसे ही और आगे बड़ाने की प्रक्रिया में एक छोटा उदाहरन है कि ये स्कूल में बच्चो को किस तरह मनुवादि शासन हमेसा कायम रहे इसकी कसम तक दिला रहे हैं ! इस देश में गोरो की सत्ता समाप्त होने के बाद अबतक मनुवादि शासन ही तो कायम है ! क्या लगता है कांग्रेस मनुवादि सोच वाली पार्टी नही है ! भाजपा कांग्रेस दोनो ही मुलता मनुवादियो का ही पार्टी है ! दोनो का dna एक है , जैसे की यहूदियो और खुदको कट्टर हिंदू कहनेवाले मनुवादियो का dna एक है ! जो की विज्ञान प्रमाणित है , जिसे कोई भी देश और धर्म का इंसान ये मान नही सकता कि प्रमाणित विज्ञान को शिक्षित लोग सत्य नही मानते ! बल्कि धर्म की पुस्तक स्कूलो में पढ़ना या पढ़ाना मना हो सकता है पर विज्ञान की पुस्तक को पढ़ना या पढ़ाना मना कभी नही हो सकता है ! जिस सत्य को गुलाम बनाने वाले इंसान भी मानते हैं | तभी तो वे और अधिक विकसित होने के लिए स्कूलो में अपने बच्चो को भेजते हैं ! जिनके भी बच्चे भले वे धार्मिक पूजा स्थलो में कम जाते हैं , या फिर नही भी जाते हो , पर वे स्कूल जरुर जाते हैं ! ताकि यदि किसी को गुलाम भी बनाये तो पढ़ लिखकर जज या डॉक्टर इंजिनियर बनकर अच्छी तरह से गुलाम बनाये ! उदाहरन के तौर पर गोरे भी अपने बच्चो को पढ़ लिखकर जज बनकर गुलाम बनाने की भी प्रक्रिया को आगे बड़ाते जा रहे थे , और मनुवादि भी वही कर रहे हैं ! बल्कि मनुवादि तो इस देश को हजारो सालो से गुलाम बनाकर वे तो पढ़ाई को अपनी जन्मजात नीजि संपत्ती की तरह नियम कानून पास करके गुलाम भारत का संविधान मनुस्मृति लागू करके यह लागू किये हुए थे कि यदि कोई गुलाम शिक्षा लेगा तो उसकी जीभ काट ली जाय गर्म पिघला लोहा या सीसा उसके कानो में डाल दीया जाय ! जो सब सजा खुदको जन्म से विद्वान पंडित वीर क्षत्रिय और धन्ना वैश्य कहने वाले मनुवादि ही तो देते थे ! जैसे की न्यायालय का जज बनकर गोरे ही तो सजा देते थे मनुवादि की सत्ता जब 1947 ई० से पहले नही थी ! अभी न्यायालय में किनकी दबदबा है ! जिस सत्य को जानने के लिए सिर्फ निचे मौजुद पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा के द्वारा बतलाई गई रिपोर्ट की झांकी काफी है ! जिसमे बतलाई गई है कि जातीय आधार पर 2000 ई. में हाईकोर्ट में चुने गए जजो की स्थिति क्या है ? जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय !

(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे

ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(2) पटना में कुल जज 32

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )

(7) केरल में कुल जज 24

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )

(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )

(10) कर्णाटक में कुल जज 34

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(15) राजस्थान में कुल जज 24

जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(17) सिक्किम में कुल जज 2

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,

ओबीसी - 0 जज ,

SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )

कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!



Amitabh Bachchan On Freedom of Expression


Amitabh Bachchan On Freedom of Expression

फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2022 के शुभारंभ में पहुंचे और इस अवसर पर अमिताभ बच्चन ने सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जो अपना मत रखा है , जिसपर उन्होंने जो कहा है कि भारत में नागरिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर प्रश्न उठाए जा रहे हैं " 

जिसपर मेरे द्वारा भी इस बारे में मेरी अपनी राय जान लिया जाय की सदी का महानायक है कि सदी का महाखलनायक यह तो इस देश को असल नायको से पुरी आजादी मिलने के बाद ही पता चलेगा , जब दुनियाँ का सबसे बड़ा नहर पनामा नहर की तरह पनामा घोटाला जैसे नाम और बोफोर्स घोटाले से भी अमिताभ का नाम जो जुड़ा है उसकी पुरी सच्चाई सामने आयेगी ! क्योंकि गुलाम भारत में जिस तरह गुलाम करने वाले गोरे जजो की न्याय फैशले को पुरी तरह से सच नही माना जा सकता कम से कम गुलाम लोगो द्वारा उसी तरह सदी का महानायक तो कम से कम मुझ जैसे इस देश के मुलनिवासि अभिनेता अमिताभ को महानायक नही मान सकता ! बल्कि ये सदी के महान अभिनेता भी नही कहला सकते , क्योंकि उनसे भी महान अभिनेता मैं बहुत सारे अभिनेताओ और अभिनेत्रियों को मानता हूँ !  मेरे द्वारा और भी राय जाननी हो तो khoj123 सर्च करके विजय नायक का ब्लॉगर में जाकर पढ़ लिया जाय ऐसे ऐसे विचार भरे पड़े हैं !

शनिवार, 10 दिसंबर 2022

rivate member's bill

 

rivate member's bill


गोरो की सत्ता में चाहे जो बिल लाया जाता , जिस तरह बिना आजादी आंदोलन के गोरो से आजादी नही मिल सकती थी , उसी तरह मनुवादियो की सत्ता में चाहे जो बिल लाया जाय , बिना आजादी आंदोलन के मनुवादियो से पुरी आजादी नही मिल सकती ! इसलिए इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हो , वे एकजुट होकर मनुवादियो के खिलाफ चुनाव नही आजादी आंदोलन छेड़ें ! ताकि पुरी दुनियाँ को भी प्रयोगिक पता चले की यह देश अब भी गुलाम है , न की आजाद है  यह बता बताकर हर रोज इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियों को गुलामी की वजह से विभिन्न प्रकार की समस्याओ से घेरकर हर रोज हजारो की संख्या में हत्या होता रहे ! 

हिटलर के द्वारा गैस चेंबरो में डालकर मौत के घाट उतारे जाने से जिन लोगो को भी लगता है कि इस प्रकार की हत्या करना कम से कम इंसानियत के नाते तो सही नही था , वे अपने भितर मौजुद उसी इंसानियत से इस सवाल का जवाब दे कि जिनके द्वारा गुलाम करके विभिन्न प्रकार की समस्याओ से घेरकर इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो को हर रोज हजारो की संख्या में मारा जा रहा है , वह क्या सही हो रहा हैं ? बल्कि हिटलर के बारे में तो कहा जाता रहा है कि उसके जरिये लाखो करोड़ो लोग मारे गए थे , पर इन मनुवादियो के जरिये तो यदि आज वेद पुराणो से लेकर वर्तमान इतिहास से भी हजारो सालो का आंकड़ा इकठा किया जाय तो सायद करोड़ो अरबो में होगी ! जो आंकड़ा वेदकाल से लेकर अबतक ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग काल तक की प्रमाणित भी होगी ! 


वेदकाल अथवा ध्वनीकाल जिस समय आवाज अथवा मुँह के वेद से ज्ञान बोलकर बांटी जाती थी ! जो अभी लिखने के साथ साथ ऑडियो विडियो के अलावे भी बाकि भी बहुत से माध्यमो से बांटी जाती है ! सुरुवाती वेदकाल में चूँकि लिखाई पढ़ाई मौजुद नही थी इसलिए वेद अथवा मुँह से बोलकर ज्ञान बांटी जाती थी , इसलिए तो मनुवादी अपने गुलामो के जीभ काटते थे , ताकि वे ज्ञान न बांट सके ! कान में गर्म पिघला लोहा डाली जाती थी ताकि ज्ञान सुनकर न ले सके ! अँगुठा काटी जाती थी ताकि युद्ध कला जैसे की धनुष ज्ञान न ले सके ! बल्कि छिपकर यदि कोई गुलाम किसी की आवाज सुनकर ज्ञान हासिल कर लेता तो रामराज में तो हत्या तक कर दी जाती थी ! जैसे की रामराज में गुलाम शंभुक की हत्या कर दी गयी थी राजा राम के द्वारा ! क्योंकि शंभुक ने गुलामो को वेद ज्ञान लेना मना रहने के बावजुद भी वेद ज्ञान हासिल कर लिया था ! हलांकि गुलाम शंभुक के साथ राजा राम के द्वारा इस तरह की अन्याय करने की सजा भगवान ने राजा राम और उसके बहुत खास करिबियो को भी दे दिया था ! जिसकी वजह से राजा राम जीते जी सरयू नदी में डुब मरा और उसकी रानी सीता भी जिन्दा धरती में समा गयी ! वहीं राजा राम का भाई लक्ष्मण की भी उसी के भाई के द्वारा अपने रामराज में ही हत्या कर दी गयी , और राम के दोनो बच्चे लव कुश रामराज में ही अनाथ हो गए ! जिस रामराज को सबसे बेहत्तर शासन बतलाकर रामराज का गुणगाण करनेवाले अँधभक्त भी राम के द्वारा सरयू नदी में डुबने के बाद आजतक आनाथ ही तो हैं ! तभी तो आजतक भी वे रामराज आने का इंतजार ऐसे कर रहे हैं , जैसे की राजा राम सरयू नदी से निकलकर वापस सत्ता सम्हाल लेगा ! जबकि उन्हे तो रामराज में इतने सारे अन्याय अत्याचार और दुःखभरी घटनाओ के बारे में विस्तार पूर्वक जानकर इतना तो सुझबुझ जरुर होनी चाहिए थी कि जिस रामराज में गुलाम शंभुक की हत्या ज्ञान लेने की अपराध में होती हो , और राजा रानी दोनो ही एक सरयू नदी में डुबकर तो दुसरा खुद रामराज में ही अति दुःखी होकर जिते जी धरती में समाकर रामलीला समाप्त होता हो , तो ऐसा रामराज कौन सा देश चाहेगा ! विश्वास न हो रहा हो कि ऐसा रामराज कोई भी देश नही चाहेगा तो चाहे तो इसपर बहस करके देख लो दुनियाँभर के विद्वानो को बैठाकर ! बल्कि खुद गोरो के जाने के बाद मुलता जिन मनुवादियो के हाथो इस देश की सत्ता आ गयी है वे भी अब के समय में तब का रामराज को सायद ही प्रयोगिक रुप से पसंद करेंगे ! बजाय इसके कि सिर्फ बोलते रहते हैं की रामराज सबसे बेहत्तर था और वैसा ही रामराज लाना है ! जो क्या रामराज लाकर आज के समय में गुलाम शंभुक की हत्या करने और राजा रानी के द्वारा जीते जी सरयू नदी में डुबने और धरती में समाने जैसा मन बना पायेंगे अपने अपडेट रामराज में अति दुःखी होने पर ! बिल्कुल भी नही , क्योंकि आज के समय में यदि राम सीता को जंगल भेजकर दुःखी करेगा तो उसे कोई भी देश सही नही मानेगा और केश चलेगा ! शंभुक की हत्या करेगा तो केश चलेगा ! बल्कि शासक खुद यदि अपनी प्रजा को छोड़कर सरयू नदी में डुबने जाएगा तब भी केश चलेगा ! भले अभी के मनुवादि शासन में केश का नतिजा जो आए पर बहस तो पुरी दुनियाँ में जमकर चलेगा !

मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

Freedom from whites was semi-final, now freedom from Manuvadis will be final freedom


गोरो से आजादी सेमिफाईनल थी जो अब मनुवादियो से आजादी फाईनल आजादी होगी

यूरेशियन कबसे हिंदू बने ? वामन मेश्राम के द्वारा भी घुम घुमकर यह जानकारी बांटा जा रहा है कि यहूदियो और मनुवादियो का dna एक है ,जो रिपोर्ट यदि सत्य है तो यह भी सत्य पुरी दुनियाँ के सभी , कम से कम पढ़े लिखे लोगो को माननी ही होगी की यदि यहूदि हिंदू नही है , तो उसके ही dna का भाई मनुवादी कैसे हिंदू हुआ ! जाहिर है न तो मनुवादी हिंदू है , और न ही यहूदि हिंदू है ,बल्कि इस देश का मुलनिवासी मूल हिंदू है | जिन्हे गुलाम बनाकर मनुवादियो ने इस देश के साथ साथ इस देश का हिंदू धर्म को भी अपने कब्जे में कर रखा है ! और हिंदू धर्म को अपने कब्जे में लेकर उसमे मिलावट करके खुदको मुल हिंदू घोषित कर रखा है ! जो कि यदि इस विश्वगुरु कहलाने वाले देश में आकर यदि अबतक यूरेशिया से आये दरसल मुमकिन है , यहूदि का जो दूसरा कबिला पूरब की तरफ आकर लापता हुआ है , वह गुमसुदा कबिला और कोई नही बल्कि मनुवादि ही है | जिसे यदि इस कृषि प्रधान देश में आकर अबतक ज्ञान मिल गया हो और उसकी कबिलई बुद्धी का विकाश होकर सुझ बुझ का विकाश हो गया हो , तो निश्चित तौर पर उसे भी अब पता चल गया होगा खासकर dna रिपोर्ट जानकर भी की वह हिंदू नही है ! और जो हिंदू ही नही वह हिंदू धर्म का मुल धर्मगुरु व पंडित कैसे खुदको मानकर हिंदू धर्म के वेद पुराणो को अपने कब्जे में लेकर रखा है ? क्योंकि उसने इस देश और इस देश का हिंदू धर्म को भी अपने कब्जे में कर रखा है ! जो जिसदिन पुर्ण रुप से आजाद होगा उसदिन मनुवादी न तो पंडित कहलायेगा न क्षत्रिय कहलायेगा और न ही वैश्य कहलायेगा ! क्योंकि हिंदू धर्म का मूल सिद्धांत अनुसार पंडित ज्ञानी को कहा जाता है | ज्ञान पर रोक लगानेवाले ,जीभ काटने, अँगुठा काटने ,कान में गर्म पीघला लोहा डालने वालो को नही | और न ही रक्षा के बजाय गुलाम बनाकर भक्षण शोषण अत्याचार करने वालो को क्षत्रिय कहा जाता है ! रही बात वैश्य की तो दुसरो के धन संपदा और हक अधिकार को लुटने वालो को वैश्य नही कहा जाता है ! हिंदू धर्म अनुसार वर्ण व्यवस्था कर्म पर अधारित है कुकर्म पर नही ! जैसे की आज की संसदीय व्यवस्था भी देखा जाय तो कर्म पर ही अधारित है ! और संसदीय व्यवस्था संविधान से चल रहा है ! जि संविधान के अनुसार भी कोई अपने कर्म से वीर रक्षक की उपाधि और ज्ञानी शिक्षक की उपाधी और सत्य आचरण से कमाया गया धन से धन्ना अथवा वैश्य हो सकता है ! देश को गुलाम करने वाला वीर रक्षक की उपाधी नही पा सकता , और न ही ज्ञान पर रोक लगाने और भेदभाव करनेवाला ज्ञानी पंडित की उपाधी पा सकता , और न ही भ्रष्टाचार करके लुटके धन इकठा करनेवाला अली बाबा चालीस चोर के चोर लुटेरे जिन्होने खुल जा शिमशिम कहकर अपनी काली गुफा धन दौलत से भर रखी हो वह धन्ना कुबेर की उपाधी पा सकता ! और अगर पा रहा है तो इसलिए क्योंकि यह देश अभी पुरी तरह आजाद नही है ! जो पुरी तरह आजाद होने के बाद उनकी ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य तीनो उपाधी छीन ली जायेगी ! जैसे  की संसदीय व्यवस्था से दबदबा और सत्ता छिन ली जायेगी ! जो अभी का संविधान भी उनसे छिन लेता यदि वह भी मनुवादियो द्वारा खतरे में नही पड़ा रहता ! जो कितने खतरे में है , यह तो इसी बात से भी पता लगाया जा सकता है कि संविधान की रक्षा करने और उसे ठीक से लागू करने की मुल जिम्मेवारी जिस न्यायालय को सौंपा गया है , वहाँ पर यहूदियो का dna जिनसे मिलता है , उन मनुवादियो का ही 90% से अधिक मौजुदगी है ! जो जानकारी वामन मेश्राम के द्वारा भी घुम घुमकर बाँटा जा रहा है ! जो बात यदि सत्य है तो यह कड़वा सत्य भी माननी होगी की मनुस्मृति की रक्षा करने और उसे फिर से लागु करने की सपने देखने वाले संविधान की रक्षा करने वाले पदो पर 90% से अधिक अधिकार जमाये हुए हैं ! और 10% से भी कम मुलनिवासी जो की संविधान लिखनेवाले अंबेडकर भी मुलनिवासी ही थे , उन मुलनिवासियो को संविधान रक्षा करने वाले पदो पर भी भारी भेदभाव किया जा रहा है ! वह भी आजाद भारत का संविधान लागू होने पर भी ! जिससे साफ जाहिर है की संविधान भी मनुवादियो को ऐसे बड़े बड़े कुकर्मो को रोकने में नकाम साबित हो रहा है | क्योंकि वह खुद ही इन मनुवादियो से खतरे में है तो क्या वह इस देश को पुरी तरह से आजाद कर पायेगा मनुवादियो से ! इसलिए मेरे विचार से तो जिस तरह गोरो से चुनाव लड़कर आजाद भारत की सत्ता कभी भी हासिल नही की जा सकती थी उसी तरह मनुवादियो के साथ भी चुनाव लड़कर कभी नही इस देश को पुर्ण अजाद किया जा सकता ! पुर्ण आजादी पानी है तो चुनाव नही मनुवादियो से आजाद होने का लड़ाई लड़ो ! क्योंकि मनुवादियो से आजादी चुनाव लड़ने से कभी नही मिल सकती ! क्योंकि चुनाव का तंत्र में भी मनुवादियो का ही कब्जा है ! जो की स्वभाविक है ! या तो फिर चुनाव तंत्र को ही पुरी तरह से आजाद कराओ ! जो गुलाम देश में नामुमकिन है ! साफ बात जब कोई देश विदेशी dna के लोगो से गुलाम हो तो उससे आजादी चुनाव लड़कर नही मिलती ! और हमे यह कभी नही भुलना चाहिए कि मनुवादी के अंदर इस देश के मुलनिवासियो का dna नही बल्कि यूरेशियन विदेशी dna है ! हलांकि इस बात पर बहुत से लोग यह सोच सकते हैं कि मनुवादियो ने इस देश की हिंदू नारी से अपना वंशवृक्ष बड़ाकर अब वह भी इस देश का हिंदू कहलायेगा तो फिर उनको कहना चाहूँगा की फिर क्यों अंग्रेजो भारत छोड़ो कहकर सभी अंग्रेजो को टारगेट किया गया था गांधी के द्वारा भी ! वह कहता की जो अंग्रेज यहाँ की हिंदू बहु बेटियो से अपना घर बसा लिया है , वे भी अब इस देश के हिंद हैं , इसलिए वे अब यहाँ की सत्ता चला सकते हैं | सिर्फ उन अंग्रेजो को भगाओ जो यहाँ की हिंदु बहु बेटियो से परिवार नही बसाये हैं ! जो होता तो आज कोई अंग्रेज भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनता ! जो यदि नही बन सकते हैं | क्योंकि उन्होने इस देश को गुलाम किया था तो फिर इस देश को गुलाम करनेवाला मनुवादि क्यों प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनता आ रहा है , वह भी सबसे अधिक ! इतना अधिक की आजतक एक भी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री नही बनाया गया है ! और यदि यह तर्क दिया जायेगा कि मनुवादी भी इस देश का नागरिक है , इसलिए बन रहा है तो फिर बहुत से गोरे भी तो यहाँ पर परिवार बसाकर नागरिकता प्राप्त करके रह रहे हैं , वे भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनते ! पर ऐसा नही हो रहा है , और एक गुलाम करनेवाला विदेशी dna इस देश की सत्ता से दुर होकर दुसरा विदेशी dna सत्ता चला रहा है ! और इस देश का मुलनिवासि आज भी गुलाम है ! जो पुर्ण आजाद होकर सत्ता में तभी काबिज होगा जब वह मनुवादियो से सत्ता अपने हाथो लेने के लिए आजादी लड़ाई लड़ेगा जैसे की मनुवादी गोरो से लड़ा था ! जिस समय इस देश के मुलनिवासी यह सोचकर भी आजादी लड़ाई लड़े की यह देश सचमुच में अब पुरी तरह से आजाद हो जायेगा !  पर उन्हे क्या पता था कि यह देश गोरो से आजाद होकर फिर से मनुवादियो के हाथो इस देश की सत्ता चली जायेगी ! और इस देश के मुलनिवासी फिर से पुरी तरह से आजाद होने से वंचित रह जायेंगे ! जिन्हे अब फिर से पुर्ण आजादी की लड़ाई लड़नी चाहिए फाईनल आजादी की लड़ाई समझकर ! क्योंकि गोरो से आजादी सेमिफाईनल थी जो अब मनुवादियो से आजादी फाईनल आजादी होगी ! मेरी यह विचार जिनको भी अच्छी लगी हो तो वे औरो को भी इसे बांटकर जरुर पढ़ाये,क्योंकि ज्ञान बांटने से बड़ता है , और छिपाने से घटता है ! जैसे की मनुवादि ज्ञान को छिपाने का कुकर्म हजारो सालो से करते आ रहे हैं !

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...