rivate member's bill
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गोरो की सत्ता में चाहे जो बिल लाया जाता , जिस तरह बिना आजादी आंदोलन के गोरो से आजादी नही मिल सकती थी , उसी तरह मनुवादियो की सत्ता में चाहे जो बिल लाया जाय , बिना आजादी आंदोलन के मनुवादियो से पुरी आजादी नही मिल सकती ! इसलिए इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हो , वे एकजुट होकर मनुवादियो के खिलाफ चुनाव नही आजादी आंदोलन छेड़ें ! ताकि पुरी दुनियाँ को भी प्रयोगिक पता चले की यह देश अब भी गुलाम है , न की आजाद है यह बता बताकर हर रोज इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियों को गुलामी की वजह से विभिन्न प्रकार की समस्याओ से घेरकर हर रोज हजारो की संख्या में हत्या होता रहे !
हिटलर के द्वारा गैस चेंबरो में डालकर मौत के घाट उतारे जाने से जिन लोगो को भी लगता है कि इस प्रकार की हत्या करना कम से कम इंसानियत के नाते तो सही नही था , वे अपने भितर मौजुद उसी इंसानियत से इस सवाल का जवाब दे कि जिनके द्वारा गुलाम करके विभिन्न प्रकार की समस्याओ से घेरकर इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो को हर रोज हजारो की संख्या में मारा जा रहा है , वह क्या सही हो रहा हैं ? बल्कि हिटलर के बारे में तो कहा जाता रहा है कि उसके जरिये लाखो करोड़ो लोग मारे गए थे , पर इन मनुवादियो के जरिये तो यदि आज वेद पुराणो से लेकर वर्तमान इतिहास से भी हजारो सालो का आंकड़ा इकठा किया जाय तो सायद करोड़ो अरबो में होगी ! जो आंकड़ा वेदकाल से लेकर अबतक ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग काल तक की प्रमाणित भी होगी !
वेदकाल अथवा ध्वनीकाल जिस समय आवाज अथवा मुँह के वेद से ज्ञान बोलकर बांटी जाती थी ! जो अभी लिखने के साथ साथ ऑडियो विडियो के अलावे भी बाकि भी बहुत से माध्यमो से बांटी जाती है ! सुरुवाती वेदकाल में चूँकि लिखाई पढ़ाई मौजुद नही थी इसलिए वेद अथवा मुँह से बोलकर ज्ञान बांटी जाती थी , इसलिए तो मनुवादी अपने गुलामो के जीभ काटते थे , ताकि वे ज्ञान न बांट सके ! कान में गर्म पिघला लोहा डाली जाती थी ताकि ज्ञान सुनकर न ले सके ! अँगुठा काटी जाती थी ताकि युद्ध कला जैसे की धनुष ज्ञान न ले सके ! बल्कि छिपकर यदि कोई गुलाम किसी की आवाज सुनकर ज्ञान हासिल कर लेता तो रामराज में तो हत्या तक कर दी जाती थी ! जैसे की रामराज में गुलाम शंभुक की हत्या कर दी गयी थी राजा राम के द्वारा ! क्योंकि शंभुक ने गुलामो को वेद ज्ञान लेना मना रहने के बावजुद भी वेद ज्ञान हासिल कर लिया था ! हलांकि गुलाम शंभुक के साथ राजा राम के द्वारा इस तरह की अन्याय करने की सजा भगवान ने राजा राम और उसके बहुत खास करिबियो को भी दे दिया था ! जिसकी वजह से राजा राम जीते जी सरयू नदी में डुब मरा और उसकी रानी सीता भी जिन्दा धरती में समा गयी ! वहीं राजा राम का भाई लक्ष्मण की भी उसी के भाई के द्वारा अपने रामराज में ही हत्या कर दी गयी , और राम के दोनो बच्चे लव कुश रामराज में ही अनाथ हो गए ! जिस रामराज को सबसे बेहत्तर शासन बतलाकर रामराज का गुणगाण करनेवाले अँधभक्त भी राम के द्वारा सरयू नदी में डुबने के बाद आजतक आनाथ ही तो हैं ! तभी तो आजतक भी वे रामराज आने का इंतजार ऐसे कर रहे हैं , जैसे की राजा राम सरयू नदी से निकलकर वापस सत्ता सम्हाल लेगा ! जबकि उन्हे तो रामराज में इतने सारे अन्याय अत्याचार और दुःखभरी घटनाओ के बारे में विस्तार पूर्वक जानकर इतना तो सुझबुझ जरुर होनी चाहिए थी कि जिस रामराज में गुलाम शंभुक की हत्या ज्ञान लेने की अपराध में होती हो , और राजा रानी दोनो ही एक सरयू नदी में डुबकर तो दुसरा खुद रामराज में ही अति दुःखी होकर जिते जी धरती में समाकर रामलीला समाप्त होता हो , तो ऐसा रामराज कौन सा देश चाहेगा ! विश्वास न हो रहा हो कि ऐसा रामराज कोई भी देश नही चाहेगा तो चाहे तो इसपर बहस करके देख लो दुनियाँभर के विद्वानो को बैठाकर ! बल्कि खुद गोरो के जाने के बाद मुलता जिन मनुवादियो के हाथो इस देश की सत्ता आ गयी है वे भी अब के समय में तब का रामराज को सायद ही प्रयोगिक रुप से पसंद करेंगे ! बजाय इसके कि सिर्फ बोलते रहते हैं की रामराज सबसे बेहत्तर था और वैसा ही रामराज लाना है ! जो क्या रामराज लाकर आज के समय में गुलाम शंभुक की हत्या करने और राजा रानी के द्वारा जीते जी सरयू नदी में डुबने और धरती में समाने जैसा मन बना पायेंगे अपने अपडेट रामराज में अति दुःखी होने पर ! बिल्कुल भी नही , क्योंकि आज के समय में यदि राम सीता को जंगल भेजकर दुःखी करेगा तो उसे कोई भी देश सही नही मानेगा और केश चलेगा ! शंभुक की हत्या करेगा तो केश चलेगा ! बल्कि शासक खुद यदि अपनी प्रजा को छोड़कर सरयू नदी में डुबने जाएगा तब भी केश चलेगा ! भले अभी के मनुवादि शासन में केश का नतिजा जो आए पर बहस तो पुरी दुनियाँ में जमकर चलेगा !
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