Freedom from whites was semi-final, now freedom from Manuvadis will be final freedom


गोरो से आजादी सेमिफाईनल थी जो अब मनुवादियो से आजादी फाईनल आजादी होगी

यूरेशियन कबसे हिंदू बने ? वामन मेश्राम के द्वारा भी घुम घुमकर यह जानकारी बांटा जा रहा है कि यहूदियो और मनुवादियो का dna एक है ,जो रिपोर्ट यदि सत्य है तो यह भी सत्य पुरी दुनियाँ के सभी , कम से कम पढ़े लिखे लोगो को माननी ही होगी की यदि यहूदि हिंदू नही है , तो उसके ही dna का भाई मनुवादी कैसे हिंदू हुआ ! जाहिर है न तो मनुवादी हिंदू है , और न ही यहूदि हिंदू है ,बल्कि इस देश का मुलनिवासी मूल हिंदू है | जिन्हे गुलाम बनाकर मनुवादियो ने इस देश के साथ साथ इस देश का हिंदू धर्म को भी अपने कब्जे में कर रखा है ! और हिंदू धर्म को अपने कब्जे में लेकर उसमे मिलावट करके खुदको मुल हिंदू घोषित कर रखा है ! जो कि यदि इस विश्वगुरु कहलाने वाले देश में आकर यदि अबतक यूरेशिया से आये दरसल मुमकिन है , यहूदि का जो दूसरा कबिला पूरब की तरफ आकर लापता हुआ है , वह गुमसुदा कबिला और कोई नही बल्कि मनुवादि ही है | जिसे यदि इस कृषि प्रधान देश में आकर अबतक ज्ञान मिल गया हो और उसकी कबिलई बुद्धी का विकाश होकर सुझ बुझ का विकाश हो गया हो , तो निश्चित तौर पर उसे भी अब पता चल गया होगा खासकर dna रिपोर्ट जानकर भी की वह हिंदू नही है ! और जो हिंदू ही नही वह हिंदू धर्म का मुल धर्मगुरु व पंडित कैसे खुदको मानकर हिंदू धर्म के वेद पुराणो को अपने कब्जे में लेकर रखा है ? क्योंकि उसने इस देश और इस देश का हिंदू धर्म को भी अपने कब्जे में कर रखा है ! जो जिसदिन पुर्ण रुप से आजाद होगा उसदिन मनुवादी न तो पंडित कहलायेगा न क्षत्रिय कहलायेगा और न ही वैश्य कहलायेगा ! क्योंकि हिंदू धर्म का मूल सिद्धांत अनुसार पंडित ज्ञानी को कहा जाता है | ज्ञान पर रोक लगानेवाले ,जीभ काटने, अँगुठा काटने ,कान में गर्म पीघला लोहा डालने वालो को नही | और न ही रक्षा के बजाय गुलाम बनाकर भक्षण शोषण अत्याचार करने वालो को क्षत्रिय कहा जाता है ! रही बात वैश्य की तो दुसरो के धन संपदा और हक अधिकार को लुटने वालो को वैश्य नही कहा जाता है ! हिंदू धर्म अनुसार वर्ण व्यवस्था कर्म पर अधारित है कुकर्म पर नही ! जैसे की आज की संसदीय व्यवस्था भी देखा जाय तो कर्म पर ही अधारित है ! और संसदीय व्यवस्था संविधान से चल रहा है ! जि संविधान के अनुसार भी कोई अपने कर्म से वीर रक्षक की उपाधि और ज्ञानी शिक्षक की उपाधी और सत्य आचरण से कमाया गया धन से धन्ना अथवा वैश्य हो सकता है ! देश को गुलाम करने वाला वीर रक्षक की उपाधी नही पा सकता , और न ही ज्ञान पर रोक लगाने और भेदभाव करनेवाला ज्ञानी पंडित की उपाधी पा सकता , और न ही भ्रष्टाचार करके लुटके धन इकठा करनेवाला अली बाबा चालीस चोर के चोर लुटेरे जिन्होने खुल जा शिमशिम कहकर अपनी काली गुफा धन दौलत से भर रखी हो वह धन्ना कुबेर की उपाधी पा सकता ! और अगर पा रहा है तो इसलिए क्योंकि यह देश अभी पुरी तरह आजाद नही है ! जो पुरी तरह आजाद होने के बाद उनकी ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य तीनो उपाधी छीन ली जायेगी ! जैसे  की संसदीय व्यवस्था से दबदबा और सत्ता छिन ली जायेगी ! जो अभी का संविधान भी उनसे छिन लेता यदि वह भी मनुवादियो द्वारा खतरे में नही पड़ा रहता ! जो कितने खतरे में है , यह तो इसी बात से भी पता लगाया जा सकता है कि संविधान की रक्षा करने और उसे ठीक से लागू करने की मुल जिम्मेवारी जिस न्यायालय को सौंपा गया है , वहाँ पर यहूदियो का dna जिनसे मिलता है , उन मनुवादियो का ही 90% से अधिक मौजुदगी है ! जो जानकारी वामन मेश्राम के द्वारा भी घुम घुमकर बाँटा जा रहा है ! जो बात यदि सत्य है तो यह कड़वा सत्य भी माननी होगी की मनुस्मृति की रक्षा करने और उसे फिर से लागु करने की सपने देखने वाले संविधान की रक्षा करने वाले पदो पर 90% से अधिक अधिकार जमाये हुए हैं ! और 10% से भी कम मुलनिवासी जो की संविधान लिखनेवाले अंबेडकर भी मुलनिवासी ही थे , उन मुलनिवासियो को संविधान रक्षा करने वाले पदो पर भी भारी भेदभाव किया जा रहा है ! वह भी आजाद भारत का संविधान लागू होने पर भी ! जिससे साफ जाहिर है की संविधान भी मनुवादियो को ऐसे बड़े बड़े कुकर्मो को रोकने में नकाम साबित हो रहा है | क्योंकि वह खुद ही इन मनुवादियो से खतरे में है तो क्या वह इस देश को पुरी तरह से आजाद कर पायेगा मनुवादियो से ! इसलिए मेरे विचार से तो जिस तरह गोरो से चुनाव लड़कर आजाद भारत की सत्ता कभी भी हासिल नही की जा सकती थी उसी तरह मनुवादियो के साथ भी चुनाव लड़कर कभी नही इस देश को पुर्ण अजाद किया जा सकता ! पुर्ण आजादी पानी है तो चुनाव नही मनुवादियो से आजाद होने का लड़ाई लड़ो ! क्योंकि मनुवादियो से आजादी चुनाव लड़ने से कभी नही मिल सकती ! क्योंकि चुनाव का तंत्र में भी मनुवादियो का ही कब्जा है ! जो की स्वभाविक है ! या तो फिर चुनाव तंत्र को ही पुरी तरह से आजाद कराओ ! जो गुलाम देश में नामुमकिन है ! साफ बात जब कोई देश विदेशी dna के लोगो से गुलाम हो तो उससे आजादी चुनाव लड़कर नही मिलती ! और हमे यह कभी नही भुलना चाहिए कि मनुवादी के अंदर इस देश के मुलनिवासियो का dna नही बल्कि यूरेशियन विदेशी dna है ! हलांकि इस बात पर बहुत से लोग यह सोच सकते हैं कि मनुवादियो ने इस देश की हिंदू नारी से अपना वंशवृक्ष बड़ाकर अब वह भी इस देश का हिंदू कहलायेगा तो फिर उनको कहना चाहूँगा की फिर क्यों अंग्रेजो भारत छोड़ो कहकर सभी अंग्रेजो को टारगेट किया गया था गांधी के द्वारा भी ! वह कहता की जो अंग्रेज यहाँ की हिंदू बहु बेटियो से अपना घर बसा लिया है , वे भी अब इस देश के हिंद हैं , इसलिए वे अब यहाँ की सत्ता चला सकते हैं | सिर्फ उन अंग्रेजो को भगाओ जो यहाँ की हिंदु बहु बेटियो से परिवार नही बसाये हैं ! जो होता तो आज कोई अंग्रेज भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनता ! जो यदि नही बन सकते हैं | क्योंकि उन्होने इस देश को गुलाम किया था तो फिर इस देश को गुलाम करनेवाला मनुवादि क्यों प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनता आ रहा है , वह भी सबसे अधिक ! इतना अधिक की आजतक एक भी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री नही बनाया गया है ! और यदि यह तर्क दिया जायेगा कि मनुवादी भी इस देश का नागरिक है , इसलिए बन रहा है तो फिर बहुत से गोरे भी तो यहाँ पर परिवार बसाकर नागरिकता प्राप्त करके रह रहे हैं , वे भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनते ! पर ऐसा नही हो रहा है , और एक गुलाम करनेवाला विदेशी dna इस देश की सत्ता से दुर होकर दुसरा विदेशी dna सत्ता चला रहा है ! और इस देश का मुलनिवासि आज भी गुलाम है ! जो पुर्ण आजाद होकर सत्ता में तभी काबिज होगा जब वह मनुवादियो से सत्ता अपने हाथो लेने के लिए आजादी लड़ाई लड़ेगा जैसे की मनुवादी गोरो से लड़ा था ! जिस समय इस देश के मुलनिवासी यह सोचकर भी आजादी लड़ाई लड़े की यह देश सचमुच में अब पुरी तरह से आजाद हो जायेगा !  पर उन्हे क्या पता था कि यह देश गोरो से आजाद होकर फिर से मनुवादियो के हाथो इस देश की सत्ता चली जायेगी ! और इस देश के मुलनिवासी फिर से पुरी तरह से आजाद होने से वंचित रह जायेंगे ! जिन्हे अब फिर से पुर्ण आजादी की लड़ाई लड़नी चाहिए फाईनल आजादी की लड़ाई समझकर ! क्योंकि गोरो से आजादी सेमिफाईनल थी जो अब मनुवादियो से आजादी फाईनल आजादी होगी ! मेरी यह विचार जिनको भी अच्छी लगी हो तो वे औरो को भी इसे बांटकर जरुर पढ़ाये,क्योंकि ज्ञान बांटने से बड़ता है , और छिपाने से घटता है ! जैसे की मनुवादि ज्ञान को छिपाने का कुकर्म हजारो सालो से करते आ रहे हैं !

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