Manuwadi Governance and Education

 

Manuwadi Governance and Education


सरकारी स्कूल में पढ़ रहे ज्यादेतर तो गरिब और शोषित पीड़ित परिवार घर के बच्चो को इसलिए राजनीतिक गुलाम बनाया जा रहा है , क्योंकि गोरो से आजादी मिलने के बाद इस देश में जिन मनुवादियो की सत्ता में कब्जा है , वे इस देश को इसी तरह बचपन से ही पीड़ि दर पीड़ि छुवाछुत जैसे भेदभाव करते हुए गुलाम बनाते आ रहे हैं ! जिनके बच्चे पैदा होते ही उच्च और गुलाम के बच्चे निच हो जाते हैं ! हलांकि जिस तरह गोरो से आजादी मीलि उसी तरह एकदिन इन मनुवादियो से भी पुरी आजादी जरुर मिलेगी ! जिसकी झांकी किसी गुलाम के बच्चे द्वारा आजाद भारत का संविधान लिखना और देश विदेश में इतनी बड़ी बड़ी उच्च डीग्री हासिल करना भी कि ये खुदको सबसे उच्च कहने वाले विद्वान पंडित आजतक सायद ही किसी पीड़ि में गोरो के शासन से अबतक भी इतने सारे उच्च डीग्रि हासिल किये हो ! बल्कि गुलाम के बच्चे अब इनके बच्चे से प्यार मोहब्बत और शादियाँ भी कर रहे हैं | क्योंकि उनको भी अब धिरे धिरे समझ में आ रहा है कि उनके गुलाम बनाने वाले पूर्वज जाहिल और भक्षक की भूमिका हजारो सालो से निभाते आ रहे हैं | न कि वे किसी देश को गुलाम बनाकर महान विद्वान पंडित और रक्षक की भूमिका निभाते आ रहे हैं ! और धन दौलत से उच्च और अमिर धन्ना कुबेर तो वे कभी इमानदारी से कहला ही नही सकते , जबतक की वे किसी को गुलाम बनाकर उनके हक अधिकारो को लूटते रहेंगे ! क्योंकि खुल जा शिमशिम कहकर किसी काली गुफा में भरी दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर जमा की गयी धन संपदा को दिखाकर कोई मूर्ख ही खुदको धन्ना कुबेर कह सकता है ! वह अभी इसलिए कह रहा है क्योंकि अभी देश गुलाम है , जिसदिन पुरी आजादी मिलेगी उसदिन उससे सब छिन जायेगी और जैसे उनके पूर्वज हजारो साल पहले इस देश में संभवता नंगा आये थे , वैसे ही नंगा होकर उसकी खुदकी पहचान पुरी दुनियाँ के सामने आ जायेगी कि वे और उनके पूर्वज हजारो सालो से दुसरो के देश और दुसरो के हक अधिकारो को कब्जा करके दरसल अबतक भी दुसरो पर ही पल रहे हैं ! क्योंकि सायद उनके पूर्वज सुरु से ही नंगा पैदा होकर नंगा ही इस देश में घुसे जो आजतक असल में नंगा ही हैं ! भले उन्होने इस देश में आकर कपड़े पहनना सिख ली हो ! पर सुटबूट पहनकर और सबसे किमती महल में भी रहकर उनके भितर अभी भी सबसे अविकसित मांसिकता ही मौजुद है ! क्योंकि उन्होने कभी भी अबतक अपनी मनुवादि सोच में सुधार करके इस देश और इस देश के मुलनिवासियो को आजादी देकर अपनी खुदकी इमानदारी और आधुनिक सुझबुझ से अपना सबकुछ इकठा नही किए ! जिसका ही परिणाम है कि आज भी यह देश उनसे गुलाम है ! और इस देश के मुलनिवासी गुलाम होकर आज भी अपने हक अधिकारो से मुलता वंचित ही है ! वंचित न होता तो सायद इस देश के इतने टुकड़े न होते ! बल्कि यदि प्यार मोहब्बत से मनुवादि भी अपने लिए किसी धर्म के नाम से देश मांगने जैसा अपने लिए भी कोई देश मांगते तो सायद उन्हे देश भी मिल जाती इस देश के मुलनिवासियो से इतना बड़ा दिल होता है गुलाम बनने वाले असल में सबसे आधुनिक सोच वाले इंसानो की ! जो सही मायने में सबसे आधुनिक मानव हैं , बाकि गुलाम करने वाले तो सबसे अविकसित मानव अभी भी हैं | जिनको अभी सबसे पहले तो किसी के हक अधिकारो को छिनकर खाने वाले शिकारी सोच का ही जंगली शिकारी जानवर सोच को किसी मल मूत्र की तरह त्यागकर इंसान बनना होगा , तब जाकर उनके भितर आधुनिक मानव का विकाश धिरे धिरे विकसित होगी ! जिसमे उनको उतनी ही देरी होगी जितनी देरी उनके द्वारा किसी को गुलाम बनाकर दुसरो के हक अधिकारो में कब्जा करके खुदको उच्च विद्वान पंडित रक्षक और धन्ना समझते रहने की जंगली जानवर मांसिकता नही जायेगी ! जो की अब भी नही गयी है उन मनुवादियो से जो की अब भी खुदको उच्च समझकर इस देश में कब्जा करके शोसन अन्याय अत्याचार कर रहे हैं ! जो रियल मायने में गुलाम बनाने वाले गोरो से भी अविकसित मांसिकता के लोग हैं ! क्योंकि गोरो को तो इस देश को गुलाम बनाने के बाद सिर्फ एक दो सौ सालो में ही इस विश्वगुरु कहलाने वाले देश को गुलाम बनाकर यह ज्ञान मिल गया था कि किसी को गुलाम बनाना जंगली शिकारी जानवर से भी बुरी और अविकसित मांसिकता है , पर मनुवादियो को हजारो सालो से भी अबतक ज्ञान नही आया है ! क्योंकि मनुवादि गोरो से हजारो गुणा या सायद लाखो गुणा कम अविकसित सोच वाले लोग हैं ! जिसके ही चलते इन मनुवादियो के पास खुदका आजतक एक भी देश नही है , जिसे की वे अपने पूर्वजो का देश कह सके ! गोरे तो ब्रिटेन को कह सकते हैं , और वे अपने पूर्वजो के देश लौट भी गए इस देश को आजाद करने के बाद | पर मनुवादि किस देश को अपने पूर्वजो का देश कहकर वहाँ लौटेंगे इस देश को उनसे पुरी आजादी मिलने के बाद ? सायद चूँकि उनका dna से यहूदियो का dna मिलता है , इसलिए वे खुदको यहूदि घोसित करके यहूदियो की मूल भूमि पर लौट जायं ! पर यहूदि भी तो अपनी मूल भूमि को लेकर लगातार ऐसे विवादित होते जा रहे हैं की आजतक वह विवाद खत्म होने का नाम ही नही ले रहा है | उल्टे बड़ता ही जा रहा है यह कहकर कि वे समय गुजरते गुजरते दुसरो की भी भुमि को कब्जा करते हुए अपनी भूमि समझकर दुसरो की भूमि को रब्जा करके और अधिक हड़प नीति सोच को बड़ाते ही जा रहे हैं ! ताजा उदाहरन के तौर पर रुस यूक्रेन युद्ध विवाद को ही ले लिया जाय ! जिसका मूल जड़ विवाद क्या है ? यही न कि अमेरिका जहाँ यहूदियो का ही मुलता बोलबला है , जिसके चलते वहाँ भी अबतक गोरा काला भेदभाव विवाद उठता रहता है , जैसे की इस देश में उच्च निच विवाद हजारो सालो से कायम है | जिस अमेरिका में चूँकि यहूदियो की ही दबदबा है , तो जाहिर है अमेरिका का नेतृत्व यहूदि ही कर रहे हैं , न कि उस देश के मुलनिवासी रेड इंडियन ! जैसे की इस देश का नेतृत्व गोरो के जाने के बाद इस देश में बाहर से आए मनुवादि कर रहे हैं , न की इस देश के मुलनिवासी इंडियन ! जाहिर है रुस यूक्रेन युद्ध विवाद में अमेरिका का सबसे बड़ी भूमिका होगा तो वह यहूदियो की वजह से ही मामला आगे बड़ा होगा ! जिस विवाद का पुरी तरह से समाधान होने का मतलब है , यहूदियो की इस सोच को भारी हानि होना है कि दुसरो की जमीन हाथ से निकल गयी ! जैसे की यहाँ से भी जिसदिन मनुवादियो की हाथ से जमीन खिसकेगी तो उसदिन मनुवादियो को सायद सबसे बड़ा हानी या तो सबसे बड़ा लाभ इस मायने में मिल जाएगा कि अब उनका आधुनिक मानव बनने का रास्ता क्लीयर हो जाएगा जंगली शिकारी जानवर सोच को किसी मल मूत्र की तरह त्यागकर ! जिससे पहले तो ये यहूदि और मनुवादि जिन दोनो का ही dna एक है , जो मुमकिन है असल में यहूदि कबिला का ही आपस में हजारो साल पहले बिछड़े हुए दो जुड़वा भाई हैं , जिसमे से एक कबिला पश्चिम को गुलाम और दूसरा पूरब की तरफ आकर पूरब की सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलानेवाला इस देश को गुलाम बनाकर अबतक भी किसी को गुलाम बनाकर दुसरो के हक अधिकारो पर कब्जा जमाये हुए हैं ! जिससे पुरी आजादी का मतलब पुरी दुनियाँ को पुरी आजादी मिलने का रास्ता क्लीयर हो जाएगा ! जिसके लिए पुरी दुनियाँ में किसी न किसी रुप में आजादी संघर्ष चल ही रहा है ! जिसमे से एक उदाहरन रुस यूक्रेन युद्ध भी है ! बाकि इस देश में तो आजादी संघर्ष हजारो सालो से किस तरह चल रहा है पुरी दुनियाँ से छिपी नही है कि इस देश में मनुवादियो के द्वारा किस तरह से छुवाछूत भेदभाव शोषण अत्याचार जारी है ! जिसे ही और आगे बड़ाने की प्रक्रिया में एक छोटा उदाहरन है कि ये स्कूल में बच्चो को किस तरह मनुवादि शासन हमेसा कायम रहे इसकी कसम तक दिला रहे हैं ! इस देश में गोरो की सत्ता समाप्त होने के बाद अबतक मनुवादि शासन ही तो कायम है ! क्या लगता है कांग्रेस मनुवादि सोच वाली पार्टी नही है ! भाजपा कांग्रेस दोनो ही मुलता मनुवादियो का ही पार्टी है ! दोनो का dna एक है , जैसे की यहूदियो और खुदको कट्टर हिंदू कहनेवाले मनुवादियो का dna एक है ! जो की विज्ञान प्रमाणित है , जिसे कोई भी देश और धर्म का इंसान ये मान नही सकता कि प्रमाणित विज्ञान को शिक्षित लोग सत्य नही मानते ! बल्कि धर्म की पुस्तक स्कूलो में पढ़ना या पढ़ाना मना हो सकता है पर विज्ञान की पुस्तक को पढ़ना या पढ़ाना मना कभी नही हो सकता है ! जिस सत्य को गुलाम बनाने वाले इंसान भी मानते हैं | तभी तो वे और अधिक विकसित होने के लिए स्कूलो में अपने बच्चो को भेजते हैं ! जिनके भी बच्चे भले वे धार्मिक पूजा स्थलो में कम जाते हैं , या फिर नही भी जाते हो , पर वे स्कूल जरुर जाते हैं ! ताकि यदि किसी को गुलाम भी बनाये तो पढ़ लिखकर जज या डॉक्टर इंजिनियर बनकर अच्छी तरह से गुलाम बनाये ! उदाहरन के तौर पर गोरे भी अपने बच्चो को पढ़ लिखकर जज बनकर गुलाम बनाने की भी प्रक्रिया को आगे बड़ाते जा रहे थे , और मनुवादि भी वही कर रहे हैं ! बल्कि मनुवादि तो इस देश को हजारो सालो से गुलाम बनाकर वे तो पढ़ाई को अपनी जन्मजात नीजि संपत्ती की तरह नियम कानून पास करके गुलाम भारत का संविधान मनुस्मृति लागू करके यह लागू किये हुए थे कि यदि कोई गुलाम शिक्षा लेगा तो उसकी जीभ काट ली जाय गर्म पिघला लोहा या सीसा उसके कानो में डाल दीया जाय ! जो सब सजा खुदको जन्म से विद्वान पंडित वीर क्षत्रिय और धन्ना वैश्य कहने वाले मनुवादि ही तो देते थे ! जैसे की न्यायालय का जज बनकर गोरे ही तो सजा देते थे मनुवादि की सत्ता जब 1947 ई० से पहले नही थी ! अभी न्यायालय में किनकी दबदबा है ! जिस सत्य को जानने के लिए सिर्फ निचे मौजुद पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा के द्वारा बतलाई गई रिपोर्ट की झांकी काफी है ! जिसमे बतलाई गई है कि जातीय आधार पर 2000 ई. में हाईकोर्ट में चुने गए जजो की स्थिति क्या है ? जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय !

(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे

ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(2) पटना में कुल जज 32

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )

(7) केरल में कुल जज 24

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )

(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )

(10) कर्णाटक में कुल जज 34

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(15) राजस्थान में कुल जज 24

जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(17) सिक्किम में कुल जज 2

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,

ओबीसी - 0 जज ,

SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )

कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!



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