प्रचार

शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

26 जनवरी 2018 आज के दिन 69 वाँ गणतंत्र दिवस में 68 वाँ के प्रधानमंत्री

26 जनवरी 2018 आज के दिन 69 वाँ गणतंत्र दिवस में 68 वाँ के प्रधानमंत्री के भाषन सुनने देखने से पहले या बाद में भी एकबार कम से कम पिच्छे मुड़कर प्रधानमंत्री बनने से पहले का दिया गया भाषन को जरुर पढ़ लिया जाय,ताकि ये अच्छी तरह से जाना जा सके की साठ साल बनाम साठ महिने का मौका मांगकर भारी बहुमत से सरकार बनने के बाद तब की कथनी अब की करनी में परिवर्तन करके भाषन दी जा रही है कि सिर्फ तब के दिये गए भाषन मन का अदला बदली हो गयी है?जो कि मानो अपना ही बुराई भी कर रहा हो और अपना बड़ाई भी कर रहा हो|जिसके बारे में और अधिक जानने के लिए आगे पढ़ते हैं की तब क्या क्या सेवा और विकाश करने की कथनी कही गयी थी जो अब करनी में परिवर्तित हुई कि नही?इसे जानने के लिए तब के भाषन को कोई चाहे तो इस लिखाई भाषन को देखा और सुना जा सकता हैं!जिसे मैं जब इस समय सरकार द्वारा खुद ही अपनी तारिफ कराने के लिए जो भारी राशि खर्च की जा रही है उसे सुनता देखता और पढ़ता हुँ तो मुझे ऐसा लगता है,जैसे की भाजपा सरकार तब की कांग्रेस सरकार की नही बल्कि अब की भाजपा सरकार अथवा खुद ही अपनी बुराई कर रही है!जो स्वभाविक भी है,क्योंकि भाजपा कांग्रेस दोनो की ही सरकारें एक दुसरे की पर्याय युक्त मानो क्लोन सरकारें हैं,जिसका प्रमाण तब और वर्तमान के हालात में बड़ी बड़ी भाषन और अश्वाशन देकर सत्ता में बैठने के बाद भी कोई खाश बदलाव नही हुए हैं ऐसे बुरे हालात को देखते हुए खुद ही आगे की भाषन को देख सुन और पढ़कर तलाश लिया जाय!

"भारत माता की! दोनो मुठी बंद करके पुरी ताकत से बुलाइये,भारत माता की! रउरे मन के जोहार!भगवान बिरसा मुण्डा की धरती को मैं प्रणाम करते हुए,इस धरती के वीर नायक,त्यागी तपस्वी,महापुरुष,और जिसकी श्रृंखला निरंतर बनी रही हैं,सिद्धो हो कान्हो हो,चाँद हो भैरो हो,ठाकुर विश्वनाथ साहदेव हो,शेख भिखारी जी हो,निलांबर जी की बात करे या पितांबर जी की,गणपत राय जी का पुण्य स्मरण करे,कितने कितने महापुरुष,जिन्होने इस भूमि को,अपने बलिदान से अपने त्याग तपस्या से,अपने समर्पन से सिंचित किया,ऐसी इस पवित्र भूमी को मैं सत सत वंदन करता हूँ!मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरनीय श्री राजनाथ सिंह जी,प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष डा० रविन्द्र राय जी,आदरनीय यशवंत सिन्हा जी,श्री कड़िया मुण्डा जी,श्री अर्जुन मुण्डा जी,रमापती राय त्रिपाठी जी,सौदान सिंह जी,रघुवर दास जी,सरयु राय जी,अभयकांत प्रशांत जी,प्रोफेशर दुखा भगत जी,यदुनाथ पांडे जी,लुईस मराण्डी जी,डा० दिनेशानंद गोस्वामी जी,श्रीमान पी एन सिंह जी,रामटहल चौधरी जी,मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभव,और विशाल संख्या में पधारे हुए,प्यारे भाइयो और बहनो,अगर विश्व के सामने झारखंड के पास,जो प्राकृतिक सम्पदा है,भू सम्पदा है,सामर्थवान मानव बल है,उसका व्यौरा दुनियाँ के आर्थिक पंडितो को दिया जाय,और अगर उनको पुछा जाय कि जिस राज्य के पाश इतनी अपार सम्पत्ती हो,उस राज्य की आर्थिक स्थिती क्या होगी,भाइयो बहनो मैं विश्वास से कहता हूँ,दुनियाँ के किसि भी पंडित के सामने,ये जानकारियाँ रखी जाय,तो जवाब एक ही आ जायेगा कि ये राज्य दुनियाँ के समृद्ध देशो की बराबरी में हो सकता हैं!दुनियाँ के समृद्ध देशो की बराबरी में हो सकता है,इतनी सम्पदा का ये राज्य गरिब क्यों है?अमिर राज्य की गोद में गरिबि क्यों पल रही है?इसका जवाब अजादी के बाद जिन्होने इस देश की बागडोर सम्हाली है,उस दल ने,उनके नेताओ ने,और उनकी सरकारो ने जवाब देना पड़ेगा,भाइयो बहनो देश अजाद हुआ तब से,अलग झारखंड की भावना,प्रबलता के साथ प्रकट होती रही,झारखंड के लोग अपने भाग्य का फैशला खुद करना चाहते थे,अपने सामर्थ का अपने शक्ती का उपयोग,अपने लोगो की भलाई के लिये करना चाहते थे,लेकिन पचास पचास साल तक दिल्ली की सल्तनत ने झारखंड की आवाज नही सुनी,झारखंड बनाने की मांग को ठुकरा दिया गया,कभी कभार उसे दबाया गया,दबोचा गया,भाइयो बहनो ये अटल बिहारी वाजपेयी थे,जिन्होने झारखंड की समान्य लोगो की भावनाओ को समझा,उनकी आशा आकांक्षाओ को समझा,और झारखंड राज्य का निर्माण हुआ,भाइयो बहनो हम अटल बिहारी वाजपेयी जी के सदा सर्वदा अभारी रहेंगे कि उन्होने हमे झारखंड दिया,अपना भाग्य अपने हाथो से बनाने का अवसर दिया,और मुझे विश्वास है मित्रो,जिन सपनो के साथ जिन उम्मिदो के साथ,वजपेयी जी ने झारखंड बनाने के लिये सोचा,उन उम्मिदो को हमे पुरा करना है,उस महापुरुष की आशा आकांक्षाओ को पुर्ण करने का हमे संकल्प करना है,और अटल जी के मन को आनंद तब आयेगा,जब हम उनके सपनो का झारखंड बना करके,उनके चरणो में प्रस्तुत करेंगे,तब जा करके उनके जिवन का सर्वाधित आनन्द होगा,भाइयो बहनो इतना सारा होने के बावजुद भी,झारखंड की गरिबी बड़ते ही जा रही है कारण क्या है?भाइयो बहनो मैं आपके सामने तीन राज्यो का उदाहरण देना चाहता हूँ,इन तीन राज्यो का निर्माण,वाजपेयी जी के हाथो से हुआ,मध्यप्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ बना,बिहार से अलग झारखंड बना,उत्तर प्रदेश से अलग बदरीनाथ बना,उत्तराखंड बना!भाइयो बहनो जरा देश के पंडितो,इतना तो सोचो क्या कारन है कि तीन राज्य जिन्होने एक साथ जन्म लिया था,जिनकी कठिनाईयाँ सामान थी,क्या कारन है छत्तीसगढ़ विकाश की दौड़ में आगे निकल गया,झारखंड और उत्तराखंड पिछड़ गये, कारण क्या है,जबतक इस कारन को गंभिरता से नही सोचेंगे,तबतक आगे जाने का रास्ता नही मिलेगा,भाइयो बहनो छत्तीसगढ़ की जनता ने दिर्ग दृष्टी के साथ इस बात का फैशला किया कि विकाश के मार्ग पर आगे बड़ना है,विकाश ही समस्याओ का समाधान करेगा,विकाश ही नौजवान का भविष्य तय करेगा,विकाश ही गरिबो का कल्याण करेगा,और छत्तीसगढ़ की जनता ने वहाँ राजनितिक स्थिरता पैदा की,बार बार भारतीय जनता पार्टी को सेवा करने का मौका दिया,और उसका परिणाम ये आया कि आज छत्तीसगढ़,हिन्दोस्तान में विकाश की दौड़ पर नई उचाईयो को पार कर गया,अगर उत्तराखंड में,अगर झारखंड में,राजनितिक स्थिरता होती,इतना ही नही भारतीय जनता पार्टी की विकास की राजनिति का मार्ग अपनाया होता,तो आज झारखंड जैसा समृद्ध प्रदेश वहाँ के लोग गरिब न होते,गरिबो से लड़ाई लड़के गरिबी से मुक्ती प्राप्त करके झारखंड दस साल के भितर भितर नई उच्चाइयो को प्राप्त करने की स्थितियो को पार कर लेता,लेकिन भाइयो बहनो वो मौका खो चूके हम,मैं आज झारखंड के भाइयो बहनो को कहने आया हूँ,व्यक्ती के जिवन में उमर का तेरवी साल का पड़ाव बड़ा महत्वपुर्ण होता है,अपने परिवार में भी बेटा हो या बेटी उसका सर्वांगिक विकाश  तेरह से हठारह साल की उमर में होता है,ये बड़ी महत्वपुर्ण उमर होती है,माँ भी घर में चिखती हैं कभी कभी अरे पिछले महिने ही तो कपड़े लाये थे,इतनी देर में ही तुम्हारे कपड़े छोटे पड़ गए,पहले बच्चा दो रोटी खाता था अचानक छः रोटी आठ रोटियाँ खाना सुरु कर देता है, हुलिया बदल जाता है,कद बदल जाता है,सोच बदलने लगती है,दलिल करना सुरु करता है,तेरह से अठारह की उमर व्यक्ती के जिवन में भी अत्यंत महत्वपुर्ण होती है,भाइयो बहनो झारखंड ने भी, तेरह साल की उमर पुरी की है,अब झारखंड के जिवन में तेरह से अठारह की उमर का तपका अत्यंत महत्वपुर्ण तपका आ रहा है,और ऐसे समय झारखंड की भावनाओ को समझ करके उनका लालन पालन करने का सामर्थ रखने वाला,तेरह से अठारह की आने वाली इस कालखंड में,झारखंड को विकाश की नई उचाईयो पर ले जाने के लिये दिल्ली की मदत की जरुरत रहेगी,दिल्ली के सहयोग की जरुरत रहेगी,लेकिन आज जो लोग दिल्ली में बैठे हैं,जिन्होने पचास पचास साल तक, आपकी झारखंड की मांग को भी ठुकराया था,जो आपको स्वीकार करने को तैयार नही थे,क्या उनके भरोसे आने वाले तेरह से अठारह के महत्वपुर्ण वर्ष,आपका भला हो सकता है,पुरी ताकत से जवाब दो भला हो सकता हैं?दिल्ली में आज जो बैठे हैं उनपर भरोसा कर सकते हैं?इनके भरोसे आपका भाग्य बदल सकता हैं?इनके भरोसे नौजवानो का भविष्य बन सकता हैं?कतई नही बन सकता हैं भाइयो!और इसलिए झारखंड में 14 सीटें हैं,2014 में चुनाव है,14 में 14 की 14 सीटें राजनाथ सिंह जी के चरनो में हम दें और झारखंड का भाग्य निर्धारित करने की दिशा तय कर लें!मैं झारखंड वासियों से प्राथना  करता हूँ, ये 13 से 18 की उम्र को गंवाना मत! एक दिन भी बर्बाद होने मत देना,यही जो कालखंड होगा,जिस कालखंड में जो नीतियाँ बनेगी,जो दिशा तय होगी,जो गति निर्धारित होगी,वो झारखंड के सपनो को पुरा करने के लिए,एक मजबुत नींव का काम करेंगी,और इसलिए मैं आज झारखंड के भाग्य को बदलने के लिए,आपके सपनो के साथ जुड़ने  के लिए,आपकी धरती के साथ जुड़करके,मेरे आदिवासी भाइयो का कल्याण हो,दलित पीड़ित शोषितो का कल्याण हो,गरीबी के सामने जंग हो,वो जंग हम जीते,इन सपनो को हम पुरा करें,भाइयो बहनो मैं हैरान हुँ,क्या कारन हैं की जिस धरती पर एच०ई०सी०(हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन)का कारखाना,जो कभी बहुत गर्व किया जाता था,विकाश की धरोहर के रुप में माना जाता था,क्या कारन हुआ वो भी लड़खड़ा गया?बेरोजगारी का मंजर मंडराने लगा,क्यों?मुल कारण ये हैं भाईयों बहनो!न इनको विकाश की चिंता है,न इनको सुशासन की चिंता है,2001 में जब मुझे गुजरात का दाईत्व मिला तो हमारे यहाँ भी एक सरकारी पी०एस०यू०था,गुजरात स्टेट फर्टीलाइजर  कॉर्पोरेशन,और मेरी पहली मुलाकात में वहाँ के यूनियन वाले मिलने आये,बोले मोदी जी इतने साल नौकरी की ये पी०एस०यू०बंद हो रहा हैं,हम जाएँ तो जाएँ कहाँ,इस उम्र में हमे नौकरी कौन देगा,मैने कहा मुझे तीन वीक(सप्ताह)दे दीजिए,हम आपको रास्ता क्या हो सकता हैं उसकी चर्चा करेंगे,मैं नया नया था,पहला ही दिन था मुख्यमंत्री के नाते,भाइयों बहनो हिन्दुस्तान में पी०एस०यू०जो बनते हैं,देखते ही देखते वो लड़खड़ा जाते हैं,गिर पड़ते हैं,या तो उसको बेचने की नौबत आती हैं ,या तो उसको ताले लगाने की नौबत आती हैं,और लोग बेरोजगार हो जाते हैं,हमने कहा हम इन दो रास्तो पर नही चलेंगे हम तीसरा रास्ता अपनायेंगे,और हमने तय किया कि हमारे उस गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन को हम प्रोफेजिलेशन की ओर ले जाएंगे,टेक्नोलॉजी अप्रग्रेसन करेंगे, मैनेजमेंट में सुधार लायेंगे,फालतू खर्चो को कम करेंगे,और भाइयो बहनो मैं आज विश्वास के साथ कहता हूँ,वो लुड़का हुआ हमारा ये  पी०एस०यू०आज सबसे अधिक मुनाफा करने वाला पी०एस०यू०बन गया हैं,लोगो की रोजी रोटी की गारंटी हो गई,क्या देश में नही हो सकता हैं?हो सकता हैं,इरादे चाहिए सिर्फ वादे नही,और इरादे भी नेक चाहिए,नेक इरादे तब जा करके होता हैं|लेकिन न इनके पास इरादे हैं,न इनके पास इरादो में नैतिकता हैं|"भाइयों बहनो पुराने जमाने में हम कथा सुनते थे, पुराने जो अपने पुराण है उसमे आता था कि ऐसी ऐसी घटना घट रही थी, और अचानक एक आकाशवाणी हुई! और उस आकाशवाणी से ये ये संदेश सुनने को मिला, ऐसा हमारे पुराणो में बहुत कथा आती हैं|भाइयो बहनो इन दिनों अगर हम गौर से देखें, ऐसा ही चल रहा हैं! जो खुद जिम्मेवार हैं, ऐ परिस्थिति पैदा करने के लिए जो जिम्मेदार हैं, परिस्थिति से बाहर निकालने की जिनकी जिम्मेवारी हैं, देश की जनता ने जिनको बागडोर दी हैं,वे भी जैसे पुराने जमाने में आकाशवाणी हुआ करती थी, वैसे आकाशवाणी की तरह शब्दो को छोड़ देते हैं, कोई दाइत्व निभाने नही हैं, पत्रकारो को बुलाते हैं, और जैसे उनका कोई लेना देना नही, महंगाई से जिम्मेवारी नही, भ्रष्टाचार से उनकी जिम्मेवारी नही, अचानक आकाशवाणी करके छुप जाते हैं! भाइयों बहनो पुराणो में आकाशवाणी लोगो को सोचने के लिए मजबूर करती थी, आज के जमाने में आपकी आकाशवाणी, आपके छल कपट को प्रर्दशित करती हैं| जनता की आँख में धुल झोंकने का आपका प्रयास, साफ साफ दिखता हैं! आप मुझे बताये भाइयो बहनो,मंहगाई कम होनी चाहिए की नही होनी चाहिए? गरीब के घर में चुल्हा जलना चाहिए की नही जलना चाहिए? गरीब के बच्चो को रात को खाना मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए? क्या ऐ जिम्मेवारी सरकार की हैं की नही हैं? ऐ जिम्मेवारी दिल्ली सरकार की हैं की नही हैं? लेकिन ऐसे कह रहे हैं जैसे उनकी जिम्मेवारी नही हैं! और अभी तो कह दिया कि हमने मुख्यमंत्रियो को कह दिया हैं! मैं आज राँची की धरती पर मीडिया के मित्र गौर करें देश में महंगाई को लेकरके तूफान खड़ा हुआ, प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्रियो की मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा, तीन साल पहले मुख्यमंत्रियों की मीटिंग बुलाई गयी, उस मीटिंग में चर्चा हुई, आखिरकार प्रधानमंत्री ने कुछ कमीटियाँ बनाई, महंगाई कम करने के उपाय खोजने के लिए, एक कमीटि का चेयरमैन मुझे बनाया, मेरे साथ तीन और चीफ मिनिस्टर लगाये, वो तीनो चीफ मिनिस्टर यूपीए के और कांग्रेस के थे, हमने रिपोर्ट बनाई, रिपोर्ट दी, उनको रिपोर्ट दिए भी ढाई साल हो गए, और हमने कहा महंगाई कम करने के लिए ऐ 20 इनिसिटिप (पहल) लेनी चाहिए, और हमने उनको 62 एक्सट्रेबल (सुझाव) पोंइन्ट बताऐ, वो ड्राप मैं खुद प्रधानमंत्री को जा करके दे आया, प्रधानमंत्री जी ने कहा बहुत अच्छा काम हुआ हैं, लेकिन भाइयों बहनो ढाई साल हो जाए दिल्ली की सरकार जिसको लकवा मार गया हैं, महंगाई के उपायो के लिए अनेक सुझाव देने के बाद भी कोई काम नही किया उसने! कोई काम नही किया और आज आकाशवाणी हो रही हैं!मुख्यमंत्री ऐ करेंगे, मुख्यमंत्री वो करेंगे, भाइयों बहनो जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, भ्रष्टाचार के उनको इतने दाग लगे हैं, ऐ जो आकाशवाणी करने वाले हैं न,उनके शब्दो में अगर ईमानदारी है तो सबसे पहले ऐ झारखंड में भ्रष्टाचार कैसे पनपा हैं और कांग्रेस की गोद में पनपा हैं,उसका जवाब देना चाहिए उन्होने! भाइयों बहनो मैं हैरान हूँ ,झारखंड में इतनी वर्षा होती हैं, इतना पानी आता हैं परमात्मा की कृपा से,लेकिन झारखंड के लोगो को पीने का पानी उपलब्ध न होता हो,भाइयो बहनो इससे बड़ी दर्दनाक बात क्या हो सकती है?इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है?आप मुझे कहिए भाइयों अजादी के इतने सालो के बाद आपको पीने का पानी मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए?जितना पानी पिने के लिए चाहिए उतना मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए?जो सरकारें आपको पीने का पानी तक न दे, किसान को खेत में पानी न मिले,वो सरकार और क्या भला कर सकती है भाइयों बहनो,भाइयो बहनो मेरे गुजरात में इतनी वर्षा नही होती हैं, मेरे यहाँ नदियाँ भी नही हैं, लेकिन क्या उन गरीब लोगो को पानी के लिए तरसते रखेंगे हमने रास्ता खोजा, हमने छोटे छोटे चेक डेम बनाये, लाखो की तादार में बनाये, बरसात की बूंद बुंद रोकने की कोशिश की, जलस्तर उपर लाये,पाइप लाइन से पानी ले जाने की व्यवस्थायें की, थैंक्यू दोस्तों थैंक्यू, और भाइयों बहनो गुजरात के हजारों गाँवो में कभी टैंकर से पानी जाता था,आज नलके में पानी पीने का मिल रहा हैं,ऐ झारखंड में भी हो सकता है,ऐ झारखंड में भी हो सकता है दोस्तों,और इसलिए मैं कहने आया हूँ  कि भाइयों बहनो अगर हम निर्धार  करें तो समस्याओं का समाधान कर सकते हैं,और मुझे याद हैं,यहाँ से हमारी एक कार्यकर्ता ने मुझे प्रभात खबर इस अखबार की कॉपियाँ भेजी थी,और सायद हफ्ते भर बहुत बारिकी से गुजरात में पानी का प्रबंधन कैसे हो रहा हैं,पानी बचाने की योजना कैसे हो रही हैं,उसका विस्तार से रिपोर्ट झारखंड की जनता की चरनो में रखा था,लेकिन भाइयो बहनो यहाँ की सरकारो को,कांग्रेस पार्टी को,दिल्ली में बैठी हुई सरकार को,लोगो की भलाई के लिए कुछ करना नही है,और उसी का परिणाम हैं की आज विकाश की स्थिति को स्वीकार नही करते,न ही उस दिशा में जाने का प्रयास करते हैं,थैंक्यू थैंक्यु मित्रो,थैंक्यू!अरे आपके प्यार के लिए मैं आपका भारी हूँ भाईयो बैठो!भाइयो बहनो आप मुझे बताइये लोग मुझे कभी कभी पुछते हैं,मोदी जी आपका विजन क्या हैं?हमे पुछते हैं,कोई मुझे बताये भईया कोयला झारखंड में हो,और बिजली बाहर से लानी पड़े,ये क्या विजन हैं क्या?अगर आज से सालो पहले समझ होती,यहाँ से काला कोयला ढोकर के बाहर ले जाने के बजाय,जहाँ कोयला हैं वही बिजली के कारखाने लगे होते तो देश के कोने कोने में बिजली ले जाना सरल हो जाता,और बिजली सारे झारखंड,पुरे हिन्दोस्तान को उजाला दे सके इतनी ताकत थी लेकिन आज वही झारखंड अँधेरे में डुबा हुआ है,भाइयो बहनो एक दृष्टी चाहिए,आप देखिये कोयले की खद्दानो पर ताले लगे हुए हैं,और इतना ही नही,सरकारो पर ऐसा अविश्वास हुआ है एक मुठीभर बालू भी नही उठा पाये ऐसी स्थिति पैदा कर दी गई हैं!कौन पाप कर रहे हैं ये?कोयले की चोरी कोयले का घोटाला,आज देश में 20 हजार मेगावॉट से ज्यादा बिजली के कारखाने कोयले की अभाव में बंद पड़े हैं!झारखंड में कोयले की खद्दानो का काम बंद पड़ा हैं,यहाँ नौजवान बेरोजगार हैं,वहाँ बिजली के कारखानो के कारण नौजवान बेरोजगार हैं,और बिजली के बिना लाखो कारखाने बंद होने के कारण पूरे देश की अर्थनीति चरमरा गई है,लेकिन न दिल्ली की सरकार को इसकी प्रवाह है,न दिल्ली की सरकार को इसकी चिंता है, और इसलिए भाइयो बहनो अगर हम देश के नौजवानो को रोजगार मिले,इसे प्राथमिकता देकरके विकाश की नई दिशा तय नही करेंगे, तो हमारी युवा शक्ती भारत की भाग्य विधाता नही बन पायेगी,हमारी युवा शक्ति भारत की निर्माता नही बन पायेगी,और इसलिए भाइयो बहनो नौजवान को रोजगार मिले, नौजवान को शिक्षा मिले,नौजवान के लिए स्किल डेवलेटमेंट का काम हो,उसपर हम जितना बल देंगे उतना ही हमारे नौजवानो को, झारखंड छोड़करके अड़ोस पड़ोस के राज्य में रोजी रोटी कमाने के लिए जाना नही पड़ेगा,और इसलिए भाइयो बहनो मैं आज आपसे कहने आया हूँ की आप अजादी के इतने सालो के बाद भी,जो न्यूनतम आवस्यकताओ की पूर्ति के अभाव में जीना पड़ रहा है,उसके सामने झारखंड एक बनकरके अपने सपनो को पुरा करने के लिये भारतीय जनता पार्टी को साथ दे,सहयोग दे,मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूँ, झारखंड के भाग्य की निर्माण में भाजपा में दिल्ली की सरकार बनेगी,तो कभी हम कोताही नही बरतेंगे,कभी हम पीछे नही रहेंगे,ये विश्वास दिलाने के लिए मैं आया हूँ,भाइयो बहनो अब कांग्रेस पार्टी इस देश के लिए बोझ बन गई हैं!कांग्रेस स्वंयम देश के लिए संकट बन गई है,क्योंकि कांग्रेस जनता से कटी हुई हैं,जनता को क्या चाहिए,ये कांग्रेस पार्टी को,उनकी सरकारो को,उनके नेताओ को,उनकी मार्गदर्शको को,जनता की आवाज सुनाई नही देती है,वो जनता से कटे हुए लोग है,और इसलिए भाइयो बहनो समय की मांग है,हम जनता की अवाज को पहचाने,देश की जनता को विकाश चाहिए विभाजन नही चाहिए,देश की जनता को अवसर चाहिए राजनैतिक अवसरवादिता नही चाहिए,देश की नौजवान के हाथो में हुनर चाहिए उसे राजनैतिक हथकंडो की जरुरत नही है,देश के युवाओ को कौशल्य चाहिए देश के युवाओ को कौमवाद नही चाहिए,लोगो को रोजगार चाहिए राजनीतिक उठापटक नही चाहिए,लोगो को सुरक्षा चाहिए सांप्रदायिकता का जहर नही चाहिए,किसानो को बिजली चाहिए जातिवादी आश्वासन नही चाहिए, बुजुर्गो को सहारा चाहिए संघर्ष नही चाहिए,ऐ भाव को लेकरके,जन समान्य की आशा अकांक्षाओ की पूर्ती के लिए,हम कुछ करने का संकल्प करें,भाईयो बहनो ये आकाशवाणी करने वाले लोग न देश का भला कर सकते हैं,न देश की सपने पूरे कर सकते हैं,झारखंड के मेरे भाइयो बहनो ये ऐतिहासिक रैली हैं,मैं जरा हैलीकॉप्टर से देख रहा था, मिलो तक लोग कतार लगाकर आ रहे थे,पता नही अभी भी पहुँच पाये होंगे की नही पहुँच पाये होंगे, ये दृश्य अपने आप में देश के भविष्य की तस्वीर दिखा रहा हैं दोस्तो,और भाइयो बहनो मैं साफ देख रहा हुँ,2014 का चुनाव,ये चुनाव एक जन आंदोलन बन जायेगा जो कुशासन के खिलाफ जंग में परिवर्तित होगा,जो सुशासन के लिए नई सरकार को स्थापित करने का आधार बन जायेगा,और इसलिए भाइयो बहनो विकाश के मंत्र को लेकरके हम आगे बड़े,नौजवानो का भविष्य तय करें माताओं बहनो की सम्मान और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विकाश के मार्ग पर ही चलना होगा,इसी शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत बहुत धन्यवाद,फिर एकबार आप सबको जोहार!"

शनिवार, 13 जनवरी 2018

भुत भविष्य और वर्तमान का शासन

कभी विश्व लुटेरा न०1 बनने के लिए अपने देश यूनान से मात्र पाँच दस हजार लुटेरो की झुंड बनाकर निकला शैतान सिकंदर कई देशो को लुटकर वहाँ की हारे हुए रक्षक सैनिको को इकठा करके अपनी गुलाम सेना बनाकर पुरी दुनियाँ को लुटने निकला था|जिसे कि कुछ लोग अपना आदर्श बनाकर महान सिकंदर कहते हैं,और हिन्दुस्तान आकर हाफ मडर होकर बॉर्डर से ही वापस लौटने वाला शैतान सिकंदर को जो जीता वही सिकंदर कहकर झुठ बोलते हैं|क्योंकि उन्हे सायद ये पता नही होगा कि शैतान सिकंदर पुरी दुनियाँ को लुटने निकलकर कई देशो को लुटा और उसमे कब्जा भी किया,पर फारस पर कब्जा करने के बाद हिन्दुस्तान की राजधानी जो कि तब पाटलीपुत्र थी वहाँ पर अपनी लुटेरी आत्मा को प्रवेश कराने से पहले ही हिन्दुस्तान के कई वीर रक्षक राजाओ में एक वीर रक्षक राजा के साथ मुठभेड़ होकर उसकी हाफ मडर हो गयी थी|जिसके बाद उसका गुलाम सेना जिसे की वह जिस जिस देशो को भी लुटा था वहाँ वहाँ की हारे हुए सेना को अपना गुलाम सैनिक बनाकर उसे अपनी लुटेरी टोली में शामिल करके अपनी ताकत बड़ाते हुए किसी बवंडर की तरह सबकुछ तहस नहस करते हुए उसकी लुटेरी टोली फारस को लुटते हुए हिन्दुस्तान पहुँचा था,यहाँ पर बिना मगध को जीते ही उसे अपनी गुलाम सेना में कुछ हिन्दुस्तान के भी घर की भेदी को शामिल करके उनसे हाथ मिलाकर मगध तक पहुँचने का मन बना रहा था|पर हिन्दुस्तान घुसते ही वीर रक्षक राजा पुरु से उसकी ऐसी मुठभड़ हुई की शैतान सिकंदर का विश्व लुटेरा न०1 बनने का सपना अधुरा ही रह गया|जो इससे पहले पुरे विश्व के सभी शासको को हराकर विश्व न०1 लुटेरा का सपना पुरा करने निकला था,जो कि अधुरा ही रह गया|क्योंकि हिन्दुस्तान का सम्राट नंद से युद्ध करने के लिए मगध में प्रवेश करने से पहले ही उसकी हाफ मडर राजा पुरु के हाथो ही हो गयी थी|और उसके बाद उसकी जख्मी बची खुची सेना नंद सम्राट की हाथी सेना के बारे में सिर्फ सुनकर ही इतना डर गयी थी की और आगे बड़ने से मना कर दी थी|जिसके चलते शैतान सिकंदर का हाफ मर्डर होकर सायद "अब विश्व लुटेरा न० नही बननी है!यह मन में बड़बड़ाते हुए जख्मी हालत में वापस अपने देश युनान लौटा और उसकी मौत हो गयी|हलांकि मरने से पहले उसने जीते जी कई देशो के हजारो लाखो लोगो की हत्या किया था|और साथ साथ कई देशो में कब्जा करके वहाँ के शासक और प्रजा के हक अधिकारो पर भी कब्जा किया था|जैसा कि उसने मगध में भी कब्जा करने की मन बनाकर घर के भेदियो से हाथ मिलाया होगा|ताकि घर के भेदियो के साथ पुरे हिन्दुस्तान को लुटने की योजना बनाकर उसमे कामयाबी पा सके|जो कभी सफल नही हुआ और उसने जितने देशो को लुटा था उस लुटी गई धन से ठीक से भोग विलाश भी नही कर सका|और न ही उसके साथ देने वाले घर के भेदी भी उसके साथ भोग विलाश कर सके|जिसका अंत बुरा तो उसके लिए सब बुरा हुआ|हलांकि हिन्दुस्तान में सिकंदर की अंतिम मुठभेड़ नही होती, क्योंकि हिन्दुस्तान का पड़ौसी चीन भी शैतान सिकंदर जैसे कबिलई लुटेरो से बचने के लिए अंतरिक्ष से भी दिखलाई देनेवाली चीन का बड़ी दिवार बनाकर ऐसे कबिलई लुटेरो से ही भिड़ने के लिए उसकी चाईनिज सेना कतार लगाकर हमेशा दिवार में तैयार रहती थी|खैर सिकंदर जैसे लुटेरे को जिसने कि कई देशो को लुटा और हजारो लाखो निर्दोशो की हत्या भी किया और करवाया हो,उसे मैं महान सिकंदर नही बल्कि शैतान सिकंदर मानता हुँ|और मैं ये भी मानता हुँ कि सिकंदर के आदर्शो में चलकर जो लोग भी पुरी दुनियाँ में लुटपाट करेंगे या कर रहे हैं,उनका भी एकदिन विश्व लुटेरा न०1 बनने का सपना अधुरा होने वाला है|इसलिए ऐसे लोग मेरी माने तो इतिहास में शैतान सिकंदर न बने बल्कि वाकई में कोई महान कहलाने वाला ऐसा कार्य करे जिससे की पुरी दुनियाँ में उनका नाम लुट पाट करने में दर्ज न हो बल्कि सुख शांती और समृद्धी के साथ साथ अमन प्रेम बांटने जैसे महान कार्य करने में दर्ज हो|जैसे की इतिहास में कई ऐसे महान लोगो का नाम दर्ज है जो कि वाकई में खास अवसर मिलने पर इंसानियत कायम करने में महान कार्य किए हैं|जिस तरह का महान बनने का मौका अंग्रेजो से भारत अजाद होने के बाद महान बनने का कई सरकारो को खास मौका मिला है|ऐसा मौका जिसके जरिये इस देश में सुख शांती और समृद्धी लाकर महान कहलाने का मौका इस देश की प्रजा ने अजादी से लेकर सत्तर सालो से भी अधिक समय में कई बार दिया है|लेकिन भी आजतक ऐसी कोई भी सरकार चुनी नही गयी है जो कि सोने की चिड़ियाँ की खोई हुई सुख शांती और समृद्धी को पापस दिला सके|जिसे वापस लाने वाले मजबुत शासक की जरुरत इस कृषि प्रधान देश को लंबे समय से महसुस हो रही है|एक ऐसा मजबुत शासक जिसके नेतृत्व में शैतान सिकंदर को अपना आदर्श मानकर देश और प्रजा को लुटने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारी भी भ्रष्टाचार करने से पहले ये न सोचे कि यदि वे पकड़े गए तो कितने देकर छुट जायेंगे और भ्रष्टाचार की लेन देन भाव में उनको अपनी लुट और चोरी के धन से कितना देकर बच सकेंगे अथवा कितना मोटामाल देकर कितना का लुट मुनाफा होगा?जिस तरह की भ्रष्ट निति मेरे ख्याल से कभी भी कायम न हो|जो की वर्तमान के समय में अक्सर ये कहा सुना जा रहा है कि हजार करोड़ की जो चोरी और लुट किया जाता है,उसमे से सजा से बचने के लिए आधा दे दिया जाता है|जिन बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की खबरे भी आती रहती है कि किसने किसको कितना दिया,और बाद में साफ सुथरा चोर लुटेरा कहलाया|लुट का माल बरामद करते महंगी महंगी विदेशी कुत्ते बिल्लियो के साथ साथ रुपये पैसे डॉलर और महंगी महंगी सोने चाँदी हिरे मोती की बरामदगी की भी खबरे बहुत आई है,पर आजतक उन लुटपाट के सामानो और महंगी महंगी विदेशी जिव जंतुओ का शौक पुरा करने के लिए देश और प्रजा को लुटने वाले भ्रष्टाचारियो को बड़ी बड़ी लुट करने का बड़ी बड़ी सजा भी हुई इसकी खबरे नही आई है|और यदि थोड़ी बहुत देशी पशुओ की शौक पुरा करने के लिए लुटपाट और चोरी करने वालो को सजा होने की खबरे भी आई है तो वह उँट के मुँह में जीरा ही साबित हो रही है|क्योंकि अब ऐसी खबरे भी आ रही है की कई कई लाख करोड़ रुपये की चोरी और लुट करने वाले बड़े बड़े चोर लुटेरो को बचाने के लिए मानो अंधविश्वास का शिकार होकर छोटी मोटी चोरी करने वालो को सजा देकर मानो बली दे दी जायेगी भोली भाली प्रजा को खुश करने के लिए की यही लोग सबसे बड़े बड़े चोरी और लुट को अंजाम दिए थे,जिससे की कालाधन का अंबार लग गया था|जिसके बाद कोई खास कालाधन अब  जब्ती नही होने वाली है|क्योंकि कोई चोरी और लुट हुई ही नही और जो हुई उसे सजा दे दी गई है,ऐसी बाते ले देकर कही जाती रहेगी|जिससे तो यही लगता है कि जबतक इस तरह फिफ्टी फिफ्टी सोच की लेन देन शासन चलती रहेगी तबतक सिर्फ सजा और जब्ती के नाम से इसी तरह उँट के मुँह में जीरा ही प्रजा को दे दिया जायेगा और बड़ी बड़ी मुँह मारने वाले अथवा कई कई हजार लाख करोड़ की चोरी और लुट करने वाले चोर लुटेरो को कोई खास कारवाई होगी ही नही|जो कालाधन से यश करते हुए खा खाकर बिना सजा पाये ही अंत में बुढ़े होकर मरते रहेंगे|क्योंकि लुट और चोरी का ज्यादेतर धन कहाँ गया इसका हिसाब किताब कमजोर नेतृत्व में तो कभी भी ठीक से नही सुलझने वाली है|और न ही सारा मोटामाल अथवा खुब सारा कालाधन ऐसे कमजोर शासन में जब्ती होनेवाली है|बल्कि मानो जब्ती और सजा के नाम से अठनी चवनी थमाकर बाद में बड़े बड़े लुट और चोरी करने वालो के द्वारा लुट और चोरी के धन से भोग विलास करके मरने के बाद अपने आप ही सारे मोटामाल बटोरने का केश दफन हो जायेंगे|फिर इस समृद्ध देश की गरिबी खत्म हो ऐसी धन कहाँ से आयेगी जब चोर लुटेरो के द्वारा लुटा और चोरी किया हुआ पुरा गुप्त धन जब्ती ही नही की जायेगी?कहीं प्राचिन काल से चली आ रही कई शासको के यहाँ जो आज भी गुप्त खजाना दबी हुई है,और जिसकी आजतक भी रहस्य बनकर उसकी खोज जारी है,उसी तरह तो कहीं यहाँ भी भविष्य में कालाधन का रहस्य नही बनने वाली है?क्योंकि लाख करोड़ रुपये की चोरी करने वाले मानो खीरा चोर को तो सजा देकर उँट के मुँह में जीरा थमा दिया जा रहा है,पर अजादी से लेकर अबतक जितने भी एक एक बड़े बड़े चोर लुटेरो द्वारा सौ करोड़ से लेकर हजारो लाखो करोड़ की लुट और चोरी हुई है,जिसका लिस्ट लंबे समय से कोर्ट या सरकारी फाईलो में पड़ी हुई है,जिसका फैशला आना बाकि है,उन सबके मास्टर माईंड बड़े बड़े घोटालेबाज चोर लुटेरो को आखिर कब सजा होगी और कब सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ की धन जब्ती होगी?क्योंकि दो चार करोड़ तो सिर्फ सरकार द्वारा महिने की विदेश यात्रा में ही खर्च हो जाते हैं|और हर साल बजट का एक तिहाई से ज्यादे लगभग पाँच दस लाख करोड़ तो सिर्फ गिने चुने धन्ना कुबेरो को सरकारी माफी और छुट में ही उनको दे दिया जाता है|और उतना ही लगभग हर साल विदेशी कर्ज का ब्याज भी चुकाया जाता है|जिसके कारन इस देश  के चाहे अमिर हो या फिर गरिब नागरिक सबके उपर जन्म लेते ही आधा लाख का कर्ज लदा हुआ है|क्योंकि सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला ये कृषि प्रधान देश कर्ज में डुबा हुआ है|जिसके चलते एक तो गरिब बीपीएल भारत उपर से कर्ज लेकर घी पिती ऐसी सरकार जो हर साल चार पाँच लाख करोड़ का सिर्फ ब्याज भी चुका रही है, और साथ साथ उतना ही बल्कि उससे कहीं ज्यादे हर साल धन्ना कुबेरो को छुट और माफी भी दे रही है|जबकि चालीस करोड़ से अधिक जो बीपीएल भारत है उसे ठीक से अन्न जल भी नही दे रही है|क्योंकि सरकारी राशन कार्ड से भोजन करके भी हर रोज भुखमरी कुपोषन से अनगिनत नागरिको की मौते हो रही है|फिर भी मानो ये सरकार कर्ज लेकर भी धन्ना कुबेरो को हर साल पाँच दस लाख करोड़ का घी पिला रही है|जबकि पहले कम से कम देश के सभी नागरिको को शुद्ध पानी पिलाने और कुपोषन मुक्त खाना खिलाने की व्यवस्था करने के लिए अपनी बहुमत बुद्धी बल का प्रयोग करती,वह भी इस सोने की चिड़ियाँ की समृद्धी का नेतृत्व करते हुए|जो न होकर सिर्फ हर बार चुनाव जीतने के लिए सिर्फ ये भाषन और अश्वासन दिया जा रहा है की इसबार सब कुछ ठीक हो जायेगा सिर्फ एक और मौका दे दिया जाय|और मौका मिलने पर फिर से वही बुरे हालात अपडेट होती रहती है|जो बुरे हालात कभी भी कायम नही होनी चाहिए थी किसी भी शासक के नेतृत्व में|और न ही ऐसी बुरे हालात बने कि देश और प्रजा का धन लुट और चोरी करके चोर लुटेरे लुटपाट और चोरी का व्यापर को हमेशा बड़ाते रहे|जिससे चोरी और लुट करने की रोजगार तो बड़ते जा रहे हैं,पर दुसरी तरफ साफ सुथरा रोजगार करने वालो की रोजगार में गिरावट आ रही है|जिसके चलते आमदनी अठनी और महंगाई रुपया की वजह से खान पान में भी गिरावट आ रही है|जो कि स्वभाविक है क्योंकि बड़े बड़े चोर लुटेरो को लुटपाट करने की रोजगार और भ्रष्ट धंधा बड़ेगी तो सफेद कमाई करने वालो की रोजगार और धँधा तो कम होने ही वाली है|जिसे निगलने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो का जो कालाधन गुप्त अंबार लगा है,उसे बड़ाने के लिए भ्रष्ट निवेश जो हो रही है|ताकि चोर लुटेरो की नई भ्रष्ट पिड़ि उससे दोगुनी पाप तरक्की करके अपने पाप वसियत को और अधिक बड़ा सके|जिस तरह की पाप की कमाई को फलने फुलने का लाड प्यार किसी भी सरकार को नही देनी चाहिए!बल्की बड़े बड़े भ्रष्टाचारी को उसके जीते जी सजा भी मिले और जितना का लुटा और चोरी किया गया था वह भी पुरी मिले ऐसी मजबूत नेतृत्व कायम होनी चाहिए|न कि चोर लुटेरो से आधा लेकर आधा छोड़ दिया जाय ऐसी सोच कायम होनी चाहिए|क्योंकि पुरा धन जिस देश और प्रजा की चोरी हुई है वह देश और प्रजा चोर लुटेरो से ये समझौता क्यों करे कि आधा तुम रखकर उससे जिवन भर भोग विलाश करते जाओ और बाकि अपना हक अधिकार लुटाकर चालीस करोड़ से अधिक तो सिर्फ बीपीएल भारत मौजुद बना रहे|जिन्हे बीपीएल करने वाले कारनो को आधा तुम लो आधा मैं लेता हुँ सोच से ही तो मेरे ख्याल से चोर लुटेरो को और अधिक लाड प्यार और बड़ावा मिलता है|जिसके कारन उनकी पहले से और अधिक चोरी और लुट करने की भ्रष्ट निवेश बड़ जाती है|जैसे की जब खास पर्व त्योहारो के खास मौको पर भारी छुट अथवा भारी डिस्काउंड मिलती है तो उसमे और अधिक बिक्री बड़ जाती है|जिस तरह ही लुट की छुट अथवा डिस्काउंड साबित होती है कुछ लेकर बाकि सबकुछ को छोड़ देने की निति से|जो चोर लुटेरो की अपराध में बड़ौतरी कराती है| जिससे प्रजा में सरकार की सेवा से नाखुश होकर निराशा भी बड़ती है,जिससे की चारो तरफ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और आंदोलन बड़ जाते हैं,और धिरे धिरे सरकार का कार्यकाल गुजरने का समय आते आते सरकार का भी गुजरने का समय आ जाता है|क्योंकि देश और प्रजा की गरिबी भुखमरी दुर करके सुख शांती और समृद्धी लाने का पिछली चुनावी भाषन अश्वासन का हिसाब किताब सरकार को देनी पड़ती है|जिसके बाद दुःखी प्रजा गरिबी भुखमरी हटने की हिसाब किताब डीजिटल सरकार से पुछकर भुखी जनता वोट करती है तो अपना हिसाब किताब बराबर करने के लिए सरकार को ही खा जाती है|जैसे की 2014 में गरिबी हटाओ को केन्द्र से ही हटाकर खा गयी थी|जिसके बाद अपकीबार 2019 आते आते सबके अच्छे दिन आने वाले हैं कि ऐसे ही गरिबी भुखमरी का हिसाब किताब के दिन आनेवाले हैं?क्योंकि अब भी गरिबी भुखमरी से हर रोज मौते हो रही है|और हर साल कर्ज में डुबी सरकार कर्ज का ब्याज जितना बल्कि उससे भी अधिक की राशि छुट और माफी धन्ना कुबेरो को दे रही है|जो सरकार गरिबो की मदत के लिए गैस सब्सिडी वापस करने को तो कहती है,पर धन्ना कुबेरो को हर साल माफी और छुट प्राप्त करने की जो विशेष गुप्त गरिबी मुक्त टीकाकरण योजना चल रही है,उसे क्यों नही छुट और माफी वापस करने को कहती है?गैस सब्सिडी वापस करने और उस वापस सब्सिडी को पाने वाले गरिब बीपीएल तो वैसे भी उनको मिलने वाली राशि का 85% मुफ्त में बिना दान किए ही खिला रहे हैं,जो बात एक प्रधान सेवक ने ही कहा है|जिसके अनुसार जनता तो 15% को ही ले पाती है|और बाकि बिना सब्सिडी वापस किए ही वापस कहाँ जाती है,ये सायद वर्तमान की सरकार के लिए अबतक रहस्य ही बना हुआ है,तभी तो अभी ये कहा जा रहा है की एक पैसे की भी चोरी नही हो रही है!कभी कहा जाता था एक एक गरिब के खाते में पंद्रह बिस लाख आ जाय इतने की चोरी और लुट हुई है,और अब कहा जा रहा है ये सब बाते जुमला था! 

शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

आधार कार्ड की सुरक्षा योजना

सरकार द्वारा अब आधार कार्ड की भी सुरक्षा करने की तैयारी चल रही है|जबकि इससे पहले कहा गया था कि आधार सबसे सुरक्षित है|जिसकी सुरक्षा में जिसे तैनात किया गया था,सुनने देखने और पढ़ने में ऐसा आ रहा है कि रक्षक ही भक्षक बनकर आधार कार्ड की निजि जानकारी को बेच रहे हैं|जो बात यदि सही है,फिर तो आधार की सुरक्षा में और आधार बनाने में तैनात लोगो में ऐसे निजि हक अधिकारो की रक्षा करने वाले रक्षक भी मौजुद हैं,जो भेड़ की खाल ओड़कर भेड़िये के रुप में देश और प्रजा के हक अधिकारो का शिकार कर रहे हैं|जो आधार की रक्षा करने और बनाने की जिम्मेवारी पदो पर किसी बहुत बड़ी चुक की वजह से किसी वायरस की तरह बहाल हो गए हैं|जिसके चलते अब करोड़ो लोगो की निजि जानकारी खतरे में पड़ गई है|क्योंकि किसी के हक अधिकारो की चोरी और लुट करके पलने वाले ऐसे लोग ही दुनियाँ में ऐसी गंदी सोच रखते हैं,जिनसे निपटने के लिए न तो सरकार दरवाजा बंद तो बिमारी बंद शौचालय योजना की तरह कोई आधार कार्ड की सुरक्षा योजना ला सकती है,और न ही देश और प्रजा किसी ऐसे लोगो की भ्रष्ट बुद्धी में सुधार के लिए ज्ञान बांट सकती है|क्योंकि ऐसे लोग ज्ञान की डिग्री पहले से ही लिए हुए रहते हैं|जिसके चलते यदि इनकी भ्रष्ट बुद्धी से अपने हक अधिकारो को बचाने के लिए कोई आधार कार्ड की सुरक्षा जैसी योजना भी सरकार लायेगी तो भी चूँकि आधार कार्ड की सुरक्षा और उसे बनाने के लिए चयन प्रक्रिया में ही गड़बड़ी हो रही है|जाहिर है यदि रक्षक ही भक्षक बन जाय तो चाहे जितना रक्षा योजना लाया जाय उस योजना को चला रहे लोगो के बिच ही यदि भेड़ की खाल ओड़े आधार कार्ड कि जानकारी को बेचने वाले भेड़िये छुपे हुए हैं,और जिनको सरकार पकड़वाने और सजा दिलवाने में नकाम साबित हो रही है,तो फिर कैसे हक अधिकारो की सुरक्षा बेहत्तर तरिके से होगी,जब रक्षको की पदो में ही सरकार के ही द्वारा चुने गए ऐसे भक्षक भी चुनाकर पहुँच रहे हैं,जिनके जरिये आधार कार्ड की जानकारी चोरी हो रही है|क्योंकि ऐसे भक्षक किसी की हक अधिकारो को लुट चोरी और बेचकर अपनी जिवन गुजारा करते हैं|जिनको लगता है कि साफ सुथरी कमाई से उनकी प्राण जल्दी से निकल जायेगी पिच्छे से|जिसे निकलने से बचाने के लिए ही सायद उन्हे दुसरे की हक अधिकारो को लुटने चोरी करने और बेचने की जरुरत महसुस होती रहती है|जिससे कि उन्हे लगता है कि लुट चोरी और बेचकर जो कालाधन उन्हे प्राप्त हो रहा है,उससे वे विटामिन युक्त जिवन व्यक्तित कर रहे हैं|जिससे उन्हे सायद किसी ड्रक्स की नशा से भी कहीं अधिक नशा दुसरे की हक अधिकारो को लुटने चोरी करने और बेचने की हो गई है|जिसके चलते चाहे आधार कार्ड की जितनी सुरक्षा इंतजाम करे सरकार,जबतक ऐसे छुपे लालची नशेड़ी भेड़ियो को खोजकर उनकी भ्रष्ट गंदी सोच की नसबंदी नही की जायेगी उचित सजा देकर तबतक इस तरह की चोरी और लुट होती ही रहेगी| जो लोग किसी और की आधार कार्ड जैसी जानकारियो को बेचने के अलावे और भी बहुत सी ऐसी निजि चीजो को बेचते लुटते और चुराते रगेंगे,जिससे की देश और प्रजा के हक अधिकारो की बहुत बड़ी हानि हो रही है|क्योंकि रक्षको के बिच में ही रक्षक की खाल ओड़े हक अधिकारो की चोरी लुट और उसे बेचने वाले ऐसे भक्षक भी मौजुद हैं,जिनको यदि किसी और की हक अधिकार को लुटने चुराने या बेचने के लिए न मिले तो ऐसे लोग तो अपनो को भी नही छोड़ने वाले हैं|क्योंकि उनकी बुद्धी पढ़ लिखकर भी इतनी भ्रष्ट और गंदी हो चुकि है कि उनको बड़ी बड़ी डिग्री देकर भी विद्यालय और उन्हे अच्छी खासी न० देकर पास करने वाले शिक्षको की सारी मेहनत भी बेकार हो जाती है|क्योंकि ऐसे गिने चुने पढ़े लिखे भष्मासुर जो कि ज्ञान वरदान का गलत उपयोग करके अपने परिवार को भी बदनाम करते हैं,वे अपने स्कूल शिक्षक और पुरे देश को भी बदनाम करते हैं|क्योंकि ऐ जो प्रजा और देश की इतनी जरुरी निजि चिजो को बेच चुरा और लुट रहे हैं,यदि ये सारी बात सत्य साबित हुई की सचमुच में आधार कार्ड की निजि जानकारी बेची जा रही है,तो फिर तो ये भी बात सत्य है कि देश में आधार कार्ड की जानकारी को बेचने लुटने चुराने वाले पढ़े लिखे भष्मासुरो द्वारा देश में बहुत बड़ा ऐसा अपराध हो रहा है,जिससे की भविष्य में बल्कि वर्तमान में भी पुरी दुनियाँ में बदनामी होगी|क्योंकि आधार कार्ड की जानकारी बेचने की खबर विदेशी मीडिया वालो के द्वारा ही इकठा की जा रही है|जो सायद बाद में धिरे धिरे देशी मीडिया वाले भी प्रमाणित रुप से इकठा करने लगे|जो यदि सचमुच में प्रमाणित हो गया कि इस देश के नागरिको की निजि जानकारी को बेचा जा रहा है तो निश्चित तौर पर देश और प्रजा को हानि तो होगी ही पर इतनी बड़ी बदनामी भी होगी कि सायद हाल फिलहाल में वोटिंग मशीन को जो हाईजेक करके वोट का हरन करके लोकतंत्र की हत्या करने जैसी बाते होने लगी थी,वैसा ही कुछ शंका पैदा होने लगे की लोकतंत्र की हत्या करने कि साजिश के साथ साथ अभी जिस प्रजा के वोट के जरिये लोकतंत्र कायम है,उसके निजि आधार कार्ड की जानकारी भी हाईजेक करके उसका हरन न हो रहा हो|क्योंकि ऐसी शंका पैदा की जा रही है कि यदि सचमुच में भविष्य में ये साबित हो गया कि वोटिंग मशीन का हाईजेक करके सचमुच में प्रजा के वोट का हरन करके दुनियाँ की सबसे बड़ी लोकतंत्र के प्रमुख हक अधिकारो की हरन करने वाली सेवा दी जा रही है,उसदिन वोट हरन और वोटिंग मशीन के हाईजेकरो को देश और प्रजा क्या सजा देगी!खैर फिलहाल तो ये सिर्फ आरोप है,जिसका भविष्य में साबित होना अभी बाकि है|और वैसे भी पनामा लिस्ट,स्वीज लिस्ट के अलावे बड़े बड़े घोटालो में भी देश के बड़े बड़े नाम कमाने वाले लोगो का नाम कोर्ट के पास अभी जो मौजुद है,उसका भी परिनाम आना अभी बाकि है|जिसपर भी सिर्फ शंका ही की जा रही है कि बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने की जुर्म में सजा सुनाये जाने वाली फैशले में इस देश के ऐसे ऐसे लोगो का नाम आयेंगे जिसे जानकर प्रजा या तो बहुत खुश होगी ये जानकर की उनके पसंदीता लोगो का नाम शामिल नही है या फिर दुःखी हो जायेगी कि जिसपर लंबे समय तक भरोसा किया वही सबसे बड़ा चोर लुटेरे निकले|जिस फैशला से पहले सिर्फ हम यही कह सकते हैं कि इस तरह के पनामा लिस्ट के साथ साथ स्वीज बैंक और कई अन्य विदेशी  बैंको के गुप्त खातो में नाम आने से जो देश को बहुत बड़ी बदनामी हुई है|साथ साथ बड़े बड़े कई देशी विदेशी घोटालो में जो बड़े बड़े नाम कमाने वालो का नाम आने से लेकर बड़े बड़े ढोंगी पाखंडियो की लिस्ट में भी जो बड़े बड़े नाम कमाने वालो का नाम आ रहा है,उससे भी देश को बहुत बड़ी बदनामी हुई है|क्योंकि ऐसे बड़े बड़े कारनामे करने की जो आरोप लगे हैं गिने चुने लोगो में उनका देश विदेश के बड़े बड़े उन लोगो से अच्छी खाशी उठक बैठक रही है,जिनका नाम इतिहास के पन्नो में वर्तमान समय के उन नामो में दर्ज हो रही है,जो कि इस समय देश और दुनियाँ की बड़े बड़े नेतृत्व कर रहे हैं|जिनमे से बहुतो का नाम तो अभी बंद लिफाफा में ही कैद है जिसे सार्वजनिक नही किया गया है|जिसे या तो वे विदेशी लोग जानते हैं जिन्होने उस लिस्ट को सौंपा है या तो फिर सरकार और कोर्ट जानती है|जिन आरोपियो में यदि कोई बाद में सचमुच का बड़े बड़े भष्मासुर साबित हो गए तो फिर कितनी बड़ी बदनामी साबित होगी भविष्य में!जो यदि साबित हो गई तो फिर तो ऐसे लोगो को तो कोई उच्च पद पाने की उच्च डिग्री देना और साथ साथ किसी शिक्षक का ऐसे लोगो को पढ़ाना और उनके परिवार के द्वारा बहुत ही मेहनत से पालना और अच्छी संस्कार देना सब गया पानी में!फिर तो ऐसे लोगो की बड़ा बनने के बाद भी इतिहास में सबसे बड़ी बदनामी मिलेगी उसे क्या माना जाय कि ऐसे लोग अपनी पढ़ाई लिखाई नाम कमाने वाली इज्जत को किसी भष्मासुर की तरह खुद ही झुठी शान पाने के वास्ते भ्रष्ट आचरन करते हुए नाच नाचकर भष्म कर रहे होते हैं|जैसे की आधार कार्ड की जानकारी को चुराकर लुटकर बेचने वाले भी तो भष्मासुर की तरह ही अपने पढ़े लिखे बुद्धी और डिग्री का गलत इस्तेमाल करके खुदकी पढ़े लिखे नाम को बदनाम कर रहे हैं|जो साथ साथ पुरे देश को भी बदनाम कर रहे हैं|क्योंकि इस देश की करोड़ो प्रजा की निजि जानकारी आधार कार्ड पर बुरी नजर रखकर वे भष्मासुर की तरह दुसरे के पिच्छे भी पड़े हुए हैं|जिनको बुरी नजर तेरा मुह काला प्रजा कहती रहेगी और ऐसे लोग पाप का धन जमा करने के लिए किसी और के हक अधिकारो को लुटते चुराते और बेचते रहेंगे|जिस तरह के लोगो का मन ही काला हो चुका है,जिनको ऐसे ज्ञान की उजाला की जरुरत है, जिससे की उनकी पढ़ी लिखी फिकी उजाला में और भी अधिक सफेदी होकर उनकी ज्ञान पर निखार आ सके, ताकि उनकी जो भ्रष्ट बुद्धी हो गई है,उसपर सुधार होकर दुसरे की हक अधिकारो की चोरी लुट जैसे अपराध न हो सके,जिससे की परिवार समाज और देश को दुनियाँ में बहुत बड़ी बदनामी होने से भी रोका जा सके|जिसके लिए मेरे ख्याल से कोई ऐसे मजबूत सरकार की जरुरत है, जिसकी मजबूत कुशल नेतृत्व आते ही अजादी से लेकर अबतक के सारे भ्रष्टाचार के मामले भी सुलझ जाय,और उससे भी पहले से चली आ रही समाज में हो रहे शोषन अत्याचार के मामले भी सुलझ जाय|जो अबतक अदालतो के साथ साथ शोषन अत्याचार की बहसो में भी किसी नोटबंदी की कतार लगाए पड़े हुए रहते हैं|जिन सारे मामलो को मजबुत नेतृत्व करने वाला शासक ही अपने कार्यकाल के दौरान सबको निपटवा सकता है|वह भी अपने जल्दी से न्याय दिलाने और अपराधियो को सजा दिलाने की निति से,ताकि सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी जल्दी से वापस लौट सके|

रविवार, 7 जनवरी 2018

मीलावटी सेवा देने और किमती टाईम पास करनेवाली सरकार

अजादी के सत्तर सालो तक  मंत्री पद की शपथ लेने के बाद आजतक किसी भी मंत्री की मौत अपने सेवा कार्यकाल के दौरान खुदको सरकारी नौकर और जनता को मालिक बतलाकर गरिबी भुखमरी से नही हुई है|चुनाव के समय वोट लेते समय सुख दुःख में साथ देने की बड़ी बड़ी बाते करने वाली सरकार मालिक प्रजा और देश की गरिबी भुखमरी दुर करने की इतनी बड़ी बड़ी बाते करने और इतनी बड़ी बड़ी जिम्मेवारी लेकर भी एक भी मंत्री और उच्च अधिकारी की मौत गरिबी भुखमरी से होना तो दुर हर रोज गरिबी भुखमरी से मर रहे गरिबो की सेवा करने में भी मिलावटी सेवा परोसी जा रही है|जबकि यदि जनता मालिक है,और सरकार के मंत्री नौकर हैं तो निश्चित तौर पर यदि मालिक की मौत गरिबी भुखमरी से हो रही है,तो मंत्री और उच्च अधिकारी जनता सेवक बंगला और तमाम तरह की सुख सुविधा पाकर सेवा करने की शपथ लेकर और सेवा की मोटी रकम वसूलकर भी अपने मालिको की सेवा ठीक से नही कर पा रहे हैं|क्योंकि ऐ कैसी बेहत्तर सेवा जिसमे सिर्फ मालिक की गरिबी भुखमरी से मौत हो रही हो और नौकर मालिक की सेवा के बदले गाड़ी बंगला की सारी सुख सुविधा ली जा रही है?मीठा मीठा गप गप और कड़वा कड़वा थू थू!क्योंकि गरिबी भुखमरी का कभी यहसास ही न हो इसके लिए सेवा के बदले खुदकी बेहत्तर सेवा कराने के साथ साथ जेड सुरक्षा लेकर लाल बत्ती काफिला में चलने वाली ऐसी खास सेवा ली जा रही है,जिसे पाकर उनकी कभी गरिबी भुखमरी से मौत होगी ही नही!जिस तरह की गाड़ी बंगला सेवा जनता मालिक को भी मिले ये भले न सही पर गरिबी भुखमरी मुक्त सेवा तो कम से कम ठीक से की जाती,जिसमे कोई मिलावटी सेवा न होती|ताकि जो जनता मालिक की सरकारी राशन और सब्सिडी में भी मिलावटी सेवा करके गरिबी भुखमरी से असमय मौत हो रही है,वह नही होती|ऐ कैसी बेहत्तर सेवा जिसमे मालिक की गरिबी भुखमरी से मौत हो जाय और नौकर अच्छा खासा खा पीकर सिर्फ जनता मालिक को गरिबी भुखमरी दुर करने की भाषन और अश्वासन ही परोसता रहे?जबकि गरिबी और भुखमरी से होनेवाली मौत के बारे में सरकार को भी पता है, और प्रजा को भी पता है|और साथ साथ गरिबी भुखमरी का शिकार न होनेवाले उन धन्ना कुबेरो को भी पता है,जिन्हे भी इस देश से गरिबी भुखमरी के गुजरने का इंतजार सायद बाहर से तो है पर भितर से सायद इसलिए नही है,क्योंकि वर्तमान में जिस तरह की मिलावटी सेवा और किमती टाईम पास की सरकार चल रही है,उसमे सभी गरिब के अमिर हो जाने के बाद गरिब को भी हजारो करोड़ की सरकारी छुट और सब्सिडी मिलने लगेगी,जो अभी फिलहाल गरिब बीपीएल को हजार बजार की सरकारी सब्सिडी मिलती है|जिस तरह की सब्सिडी के साथ साथ यदि सभी सरकारी राशन लेने वालो को बल्कि सभी नागरिको को भी एक एक धन्ना कुबरो को जो हर साल हजारो करोड़ की छुट और माफी मिलती है,उतनी न सही क्योंकि सबको हजारो करोड़ देना मुमकिन भी नही है,लेकिन यदि सबको कम से कम पंद्रह बीस लाख भी न सही सिर्फ एक एक लाख भी यदि उनके खाते में मिल जाती तो सायद इस देश से पाँच साल में ही गरिबी भुखमरी दुर हो जाती सरकार का सेवा कार्यकाल पुरा होते ही|जो कि कथित गरिबो की सरकार सभी नागरिक को नही दे सकती क्योंकि सभी नागरिक धन्ना कुबेरो की तरह अमिर नही हैं|हलांकि इस सोने की चिड़ियाँ कहे जाने वाले कृषि प्रधान देश में वर्तमान के धन्ना कुबेर भी अमिर देश का नागरिक नही बल्कि फिलहाल तो गरिब देश का नागरिक ही कहलाते हैं|बावजूद इसके कि वे हर साल हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी सरकार से बिन मांगे कर्ज लेकर उसे न चुकाने के बाद सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित होकर भी विशेष छुट पाते हैं|हजारो करोड़ की विशेष सरकारी छुट और माफी लेने वाले ऐसे करोड़पति और अरबपती खरबपती गरिब भी मौजुद होते हैं,जिन्हे अपनी गुप्त गरिबी को दुर करने के लिए हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी पाने के लिए किसी सरकारी राशन दुकानो पर लाईन लगानी नही पड़ती है,बल्कि बिना मांगे ही मिल जाती है|क्योंकि उनको मिलने वाली छुट और माफी राशि  बहुत बड़ी होती है,जिसे वे अपने साथ अकेले नही ले जा पायेंगे|सिर्फ छोटी मोटी राशि को ही लाईन लगाकर सरकारी सब्सिडी के रुप में दी जा सकती है|जैसे की बीपीएल कार्ड से जो सरकारी सब्सिडी राशन उठाने के लिए लाईन लगवाई जाती है,वैसी लाईन लगाने की आवश्यकता इसलिए भी पड़ती है,क्योंकि उनकी सब्सिडी हजार बजार की होती है|जिस तरह की हजार बजार रकम के मुकाबले धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ मोल की छुट और माफी दी जाती है,जिसे लेने के लिए लाईन लगाने की भी आवश्यकता नही पड़ती है,और न ही धन्ना कुबेरो को नोटबंदी जैसे लाईनो में भी लाईन लगाकर नोट जमा करने की आवश्यकता पड़ती है,बल्कि उनके लिए उनतक डायरेक्ट डीजिटल और आधुनिक लाईन लगाकर सरकार खुद पहुँच जाती है भर भरकर या फिर खास इंतजाम करवाकर पहुँचवा देती है!जैसे की नोटबंदी कतार में सौ से अधिक लोगो की जान चली गई पर धन्ना कुबेरो के लिए बड़ी नोट गाड़ी में भर भरकर लाने ले जाने की विशेष इंतजाम कराई गई थी|क्योंकि धन्ना कुबेरो को सरकार लाईन में खड़े होकर धक्का मुकी खाते हुए मरते देखना नही चाहती है|भले बाकि लोग नोटबंदी लाईन लगाकर मर जाय|अमिरो के लिए तो उनके घर तक भी सारी अमिरी सुविधा पहुँचाती है|बल्कि कई धन्ना कुबेर तो जन्म से ही अपने धन्ना परिवार का वसियत से धन्ना कुबेर होकर कभी भी गरिबी भुखमरी को नही झेले होते हैं|जिनके लिए गरिबी को समझना मानो चुनौती बन जाता है|खासकर तब जब उन्हे गरिब होने का यहसास उनके पसंद के अमिर देशो के धन्ना कुबेरो के द्वारा कराई जाती है ये बतलाकर कि वे जिस देश में रहते हैं वह एक गरिब देश है,जिसके मुकाबले उसका देश ज्यादे अमिर हैं|जिसे सुन देख और पढ़कर ही वे इस देश की गरिबी भुखमरी को मांसिक रुप से समझ पाते हैं|फिर भी उन्हे कैसे हर साल हजारो करोड़ की छुट और माफी किस गुप्त गरिबी को दुर करने के लिए दी जाती है,ये तो अमिरो को खास छुट और माफी देनेवाली मिलावटी सेवा और किमती टाईम पास सरकार ही जाने!क्योंकि कोई गुप्त गरिबी को दुर करने के लिए इस तरह की अमिरी सत्कार कराने की आखिर क्या ऐसी जरुरी आवश्यकता पड़ती जिससे की उनको हर साल हजारो करोड़ की छुट और माफी देनी पड़ जाती है?बाकियो को गरिबी भुखमरी से मरते हुए देखकर बस भाषन अश्वासन और सरकारी राशन देते जाओ और मुठिभर के लिए एक एक कोहजारो करोड़ की छुट और माफी देते जाओ!जबकि गरिबी भुखमरी से हर साल जो मौते होती है उसे दुर करने के लिए यदि धन्ना कुबेरो को बड़ी छुट और माफी को न देकर उसे यदि गरिबी भुखमरी को दुर करने के लिए गरिब बीपीएल के खाते में सिधे पहुँचा दिया जाय तो सायद उस राशि से गरिबी भुखमरी दुर करके भुख और कुपोषन को रोकी जा सकती थी|जिसे सत्य मानकर यदि निश्चित तौर पर जन्म से ही जो लोग धन्ना कुबेर की जिवन व्यक्तीत कर रहे हैं,उनके मन में गैस सब्सिडी वापस करने के जैसा यदि हर साल मिलने वाली देश का बजट का एक तिहाई राशि कि सरकारी छुट और माफी को वापस कर दे,और जिसे जिसको ज्यादे इसकी आवश्यकता है उसके खाते में सिधे डाल दिया जाय तो भी इस देश से गरिबी भुखमरी बहुत जल्द ही दुर की जासकती है|जो करनी सरकार कभी करेगी ही नही,क्योंकि धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की छुट और माफी तो दे देगी पर बाकियो को गरिबी भुखमरी से छुटकारा पाने की राशि भी प्रदान नही करेगी!बल्कि हजार लाख की कर्ज में डुबकर मरने वालो पर भी कोई खास ध्यान नही देगी|जो यदि देती तो हर रोज अनगिनत नागरिको की गरिबी भुखमरी से मौते क्यों होती?जिसके बारे में उन धन्ना कुबेरो को भी पता है जो हर साल हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी लेते हैं|जिस तरह की जानकारी होते हुए भी कई धन्ना कुबेर तो विदेश में भी जाकर वहाँ से भी मानो ऑनलाईन हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी लेकर और विदेशी घी पीकर खुदको खुशकिस्मत समझते हैं|जिनको यदि इस देश और प्रजा की गरिबी भुखमरी दुर न हो पाने की पीड़ा यदि सचमुच में होती तो हर साल जो हजारो करोड़ की सरकारी छुट और माफी लेने की इतनी जरुरत महसुस होती है कि आजतक विदेशी कर्ज लेकर भी धन्ना कुबेरो को छुट और माफी दी जाती है,वह छुट और माफी किसी गैस सब्सिडी छोड़ने की तरह छोड़ दी जाती |क्योंकि सरकार जितना विदेशी कर्ज  ब्याज देती है उतनी राशि वह धन्ना कुबेरो को हर साल छुट और माफी देने में खर्च कर रही है|जिसे धन्ना कुबेर ठुकरा सकते थे ताकि हर साल जितना विदेशी कर्ज का ब्याज चुकाकर या लेकर ये कथित गरिबो की सरकार चल रही है,उतना ही लगभग का पाँच दस लाख करोड़ की राशि धन्ना कुबेरो को जो हर साल सरकारी छुट और माफी के रुप में मिलती है,उसकी बचत से देश की गरिबी और कर्ज दुर हो जाय|क्योंकि आखिर ऐसी कौन सी इतनी बड़ी गरिबी भुखमरी धन्ना कुबेरो को है जिसे दुर करने के लिए हर साल विदेशी कर्ज में डुबी सरकार को एक एक धन्ना कुबेरो को हर साल एक छोटे मोटे राज्य का सालभर का बजट बन जाय इतनी मोल की सरकारी छुट और माफी देती आ रही है|क्योंकि इतिहास दर्ज हो चुकि है कि अबतक की चुनी गई सरकारो के द्वारा देश का बजट बनाते समय लगभग एक तिहाई राशि तो धन्ना कुबेरो को छुट व माफी देने में ही चली जाती है|इतनी बड़ी राशी की अगर सचमुच में कुंभकर्ण भोजन कराने की बात की जाय तो ये तो कुंभकर्ण से भी बड़ी इंतजाम हर साल अपने लिए करा रहे हैं|इतना बड़ा इंतजाम कि उससे पुरे देश की एक तिहाई से भी अधिक की बजट राशि इन मुठीभर धन्ना कुबेरो को हर साल सरकारी छुट और माफी के रुप में दी जा रही है|जिससे भी इनका पेट आजतक नही भरा है और न ही कभी भरेगा,क्योंकि उनकी भुख दौलत से कभी नही शांत होगी, बल्कि सिर्फ एक एक गरिब बीपीएल को हजारो करोड़ नही सिर्फ हर महिने एक दो हजार भी यदि उनके खाते में मिल जाय तो उनकी भुखमरी कुपोषन जरुर दुर हो जायेगी,इसकी मैं गारंटी लेता हुँ|पर साथ साथ इसकी भी गारंटी देता हुँ कि धन्ना कुबेरो की तृप्ती के लिए उन्हे जो सरकारी छुट और माफी मिलती है,उससे उनको कभी भी तृप्ती नही मिलने वाली है|हाँ अगर उतनी राशि खर्च करके उनके लिए उसी राशि का भोजन खरिदकर उनको हर साल की बजट बनाते समय यदि खिलाया जाय तो सायद उनको कुंभकर्ण की तरह ऐसी तृप्ती मिलेगी कि कभी  दुबारा हजारो करोड़ मोल की सरकारी छुट और माफी की जरुरत महसूस ही नही होगी|जिसे खिलाने के लिए बजट से पहले जो हर साल इन्हे विदेशी कर्ज लेकर भी एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की छुट और माफी देनी पड़ती है,उसे न देकर उस राशि का भोजन उन्हे खिलाया जाय|जो मेरे ख्याल से पुरे देश के गरिब बीपीएल को जो सरकारी राशन से भोजन बनता है,उस मोल से कहीं ज्यादे मोल का भोजन होगी धन्ना कुबेरो को यदि छुट और माफी मोल की राशि का उन्हे हर साल भोजन परोसा जाय|तब सायद उन्हे पता भी चल जायेगा कि वे ज्यादे बड़ा सरकारी मुँह मार रहे हैं कि गरिब बीपीएल मार रहा है,जो गरिबी भुखमरी से मर रहा है|क्योंकि जमिनी हकिकत तो यही है कि इस देश में मुठीभर को देश का बजट का एक तिहाई राशि माफी और छुट में हर साल खर्च की जा रही है|और बाकियो को गरिबी हटाओ के नाम पर एक एक गरिब को सिर्फ हजार बजार की सरकारी सब्सिडी राशि व पीपीएल राशन कार्ड से सरकारी सब्सिडि दी जा रही है|बल्कि सरकारी राशन जैसी सब्सिडी में  भी मुँह मारने वाले उपर से लेकर निचे तक एक दुसरे से पार्टनरशिप बनाकर दुसरो का हक अधिकार को खाने वाले भ्रष्टाचारी सोच वाले सेवा के पदो में भी बैठकर भ्रष्ट सेवक बनकर लुट और चोरी घुसखोरी करके सेवा कम और अपनी खास सेवा कराते रहते हैं|क्योंकि जनता मालिक को सब्सिडी सेवा पहुँचने से पहले ही बिच में ही ज्यादेतर खा ली जाती है जनता के हक अधिकार को इसके बारे में खुद एक प्रधान सेवक ने स्वीकारा था की जनता को जो सेवा भेजी जाती है वह उनतक पहुँचते पहुँचते सौ से घटकर मात्र 15% रह जाती है|यानी साफ है कि सरकारी सेवा में 85%को सरकार द्वारा नेतृत्व करते हुए उसकी खुदकी मुफ्तखोरी सेवा में निचे से उपर तक चली जाती है|क्योंकि सेवक और प्रजा के बिच यदि हक अधिकारो की चोरी और लुट हो रही है तो मेरा ये मानना है कि जो सरकार चोरी को रोक नही सकती उसे ठीक से सेवा करना और जनता के हक अधिकारो की रक्षा करना नही आती है|

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...