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शनिवार, 13 जनवरी 2018

भुत भविष्य और वर्तमान का शासन

कभी विश्व लुटेरा न०1 बनने के लिए अपने देश यूनान से मात्र पाँच दस हजार लुटेरो की झुंड बनाकर निकला शैतान सिकंदर कई देशो को लुटकर वहाँ की हारे हुए रक्षक सैनिको को इकठा करके अपनी गुलाम सेना बनाकर पुरी दुनियाँ को लुटने निकला था|जिसे कि कुछ लोग अपना आदर्श बनाकर महान सिकंदर कहते हैं,और हिन्दुस्तान आकर हाफ मडर होकर बॉर्डर से ही वापस लौटने वाला शैतान सिकंदर को जो जीता वही सिकंदर कहकर झुठ बोलते हैं|क्योंकि उन्हे सायद ये पता नही होगा कि शैतान सिकंदर पुरी दुनियाँ को लुटने निकलकर कई देशो को लुटा और उसमे कब्जा भी किया,पर फारस पर कब्जा करने के बाद हिन्दुस्तान की राजधानी जो कि तब पाटलीपुत्र थी वहाँ पर अपनी लुटेरी आत्मा को प्रवेश कराने से पहले ही हिन्दुस्तान के कई वीर रक्षक राजाओ में एक वीर रक्षक राजा के साथ मुठभेड़ होकर उसकी हाफ मडर हो गयी थी|जिसके बाद उसका गुलाम सेना जिसे की वह जिस जिस देशो को भी लुटा था वहाँ वहाँ की हारे हुए सेना को अपना गुलाम सैनिक बनाकर उसे अपनी लुटेरी टोली में शामिल करके अपनी ताकत बड़ाते हुए किसी बवंडर की तरह सबकुछ तहस नहस करते हुए उसकी लुटेरी टोली फारस को लुटते हुए हिन्दुस्तान पहुँचा था,यहाँ पर बिना मगध को जीते ही उसे अपनी गुलाम सेना में कुछ हिन्दुस्तान के भी घर की भेदी को शामिल करके उनसे हाथ मिलाकर मगध तक पहुँचने का मन बना रहा था|पर हिन्दुस्तान घुसते ही वीर रक्षक राजा पुरु से उसकी ऐसी मुठभड़ हुई की शैतान सिकंदर का विश्व लुटेरा न०1 बनने का सपना अधुरा ही रह गया|जो इससे पहले पुरे विश्व के सभी शासको को हराकर विश्व न०1 लुटेरा का सपना पुरा करने निकला था,जो कि अधुरा ही रह गया|क्योंकि हिन्दुस्तान का सम्राट नंद से युद्ध करने के लिए मगध में प्रवेश करने से पहले ही उसकी हाफ मडर राजा पुरु के हाथो ही हो गयी थी|और उसके बाद उसकी जख्मी बची खुची सेना नंद सम्राट की हाथी सेना के बारे में सिर्फ सुनकर ही इतना डर गयी थी की और आगे बड़ने से मना कर दी थी|जिसके चलते शैतान सिकंदर का हाफ मर्डर होकर सायद "अब विश्व लुटेरा न० नही बननी है!यह मन में बड़बड़ाते हुए जख्मी हालत में वापस अपने देश युनान लौटा और उसकी मौत हो गयी|हलांकि मरने से पहले उसने जीते जी कई देशो के हजारो लाखो लोगो की हत्या किया था|और साथ साथ कई देशो में कब्जा करके वहाँ के शासक और प्रजा के हक अधिकारो पर भी कब्जा किया था|जैसा कि उसने मगध में भी कब्जा करने की मन बनाकर घर के भेदियो से हाथ मिलाया होगा|ताकि घर के भेदियो के साथ पुरे हिन्दुस्तान को लुटने की योजना बनाकर उसमे कामयाबी पा सके|जो कभी सफल नही हुआ और उसने जितने देशो को लुटा था उस लुटी गई धन से ठीक से भोग विलाश भी नही कर सका|और न ही उसके साथ देने वाले घर के भेदी भी उसके साथ भोग विलाश कर सके|जिसका अंत बुरा तो उसके लिए सब बुरा हुआ|हलांकि हिन्दुस्तान में सिकंदर की अंतिम मुठभेड़ नही होती, क्योंकि हिन्दुस्तान का पड़ौसी चीन भी शैतान सिकंदर जैसे कबिलई लुटेरो से बचने के लिए अंतरिक्ष से भी दिखलाई देनेवाली चीन का बड़ी दिवार बनाकर ऐसे कबिलई लुटेरो से ही भिड़ने के लिए उसकी चाईनिज सेना कतार लगाकर हमेशा दिवार में तैयार रहती थी|खैर सिकंदर जैसे लुटेरे को जिसने कि कई देशो को लुटा और हजारो लाखो निर्दोशो की हत्या भी किया और करवाया हो,उसे मैं महान सिकंदर नही बल्कि शैतान सिकंदर मानता हुँ|और मैं ये भी मानता हुँ कि सिकंदर के आदर्शो में चलकर जो लोग भी पुरी दुनियाँ में लुटपाट करेंगे या कर रहे हैं,उनका भी एकदिन विश्व लुटेरा न०1 बनने का सपना अधुरा होने वाला है|इसलिए ऐसे लोग मेरी माने तो इतिहास में शैतान सिकंदर न बने बल्कि वाकई में कोई महान कहलाने वाला ऐसा कार्य करे जिससे की पुरी दुनियाँ में उनका नाम लुट पाट करने में दर्ज न हो बल्कि सुख शांती और समृद्धी के साथ साथ अमन प्रेम बांटने जैसे महान कार्य करने में दर्ज हो|जैसे की इतिहास में कई ऐसे महान लोगो का नाम दर्ज है जो कि वाकई में खास अवसर मिलने पर इंसानियत कायम करने में महान कार्य किए हैं|जिस तरह का महान बनने का मौका अंग्रेजो से भारत अजाद होने के बाद महान बनने का कई सरकारो को खास मौका मिला है|ऐसा मौका जिसके जरिये इस देश में सुख शांती और समृद्धी लाकर महान कहलाने का मौका इस देश की प्रजा ने अजादी से लेकर सत्तर सालो से भी अधिक समय में कई बार दिया है|लेकिन भी आजतक ऐसी कोई भी सरकार चुनी नही गयी है जो कि सोने की चिड़ियाँ की खोई हुई सुख शांती और समृद्धी को पापस दिला सके|जिसे वापस लाने वाले मजबुत शासक की जरुरत इस कृषि प्रधान देश को लंबे समय से महसुस हो रही है|एक ऐसा मजबुत शासक जिसके नेतृत्व में शैतान सिकंदर को अपना आदर्श मानकर देश और प्रजा को लुटने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारी भी भ्रष्टाचार करने से पहले ये न सोचे कि यदि वे पकड़े गए तो कितने देकर छुट जायेंगे और भ्रष्टाचार की लेन देन भाव में उनको अपनी लुट और चोरी के धन से कितना देकर बच सकेंगे अथवा कितना मोटामाल देकर कितना का लुट मुनाफा होगा?जिस तरह की भ्रष्ट निति मेरे ख्याल से कभी भी कायम न हो|जो की वर्तमान के समय में अक्सर ये कहा सुना जा रहा है कि हजार करोड़ की जो चोरी और लुट किया जाता है,उसमे से सजा से बचने के लिए आधा दे दिया जाता है|जिन बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की खबरे भी आती रहती है कि किसने किसको कितना दिया,और बाद में साफ सुथरा चोर लुटेरा कहलाया|लुट का माल बरामद करते महंगी महंगी विदेशी कुत्ते बिल्लियो के साथ साथ रुपये पैसे डॉलर और महंगी महंगी सोने चाँदी हिरे मोती की बरामदगी की भी खबरे बहुत आई है,पर आजतक उन लुटपाट के सामानो और महंगी महंगी विदेशी जिव जंतुओ का शौक पुरा करने के लिए देश और प्रजा को लुटने वाले भ्रष्टाचारियो को बड़ी बड़ी लुट करने का बड़ी बड़ी सजा भी हुई इसकी खबरे नही आई है|और यदि थोड़ी बहुत देशी पशुओ की शौक पुरा करने के लिए लुटपाट और चोरी करने वालो को सजा होने की खबरे भी आई है तो वह उँट के मुँह में जीरा ही साबित हो रही है|क्योंकि अब ऐसी खबरे भी आ रही है की कई कई लाख करोड़ रुपये की चोरी और लुट करने वाले बड़े बड़े चोर लुटेरो को बचाने के लिए मानो अंधविश्वास का शिकार होकर छोटी मोटी चोरी करने वालो को सजा देकर मानो बली दे दी जायेगी भोली भाली प्रजा को खुश करने के लिए की यही लोग सबसे बड़े बड़े चोरी और लुट को अंजाम दिए थे,जिससे की कालाधन का अंबार लग गया था|जिसके बाद कोई खास कालाधन अब  जब्ती नही होने वाली है|क्योंकि कोई चोरी और लुट हुई ही नही और जो हुई उसे सजा दे दी गई है,ऐसी बाते ले देकर कही जाती रहेगी|जिससे तो यही लगता है कि जबतक इस तरह फिफ्टी फिफ्टी सोच की लेन देन शासन चलती रहेगी तबतक सिर्फ सजा और जब्ती के नाम से इसी तरह उँट के मुँह में जीरा ही प्रजा को दे दिया जायेगा और बड़ी बड़ी मुँह मारने वाले अथवा कई कई हजार लाख करोड़ की चोरी और लुट करने वाले चोर लुटेरो को कोई खास कारवाई होगी ही नही|जो कालाधन से यश करते हुए खा खाकर बिना सजा पाये ही अंत में बुढ़े होकर मरते रहेंगे|क्योंकि लुट और चोरी का ज्यादेतर धन कहाँ गया इसका हिसाब किताब कमजोर नेतृत्व में तो कभी भी ठीक से नही सुलझने वाली है|और न ही सारा मोटामाल अथवा खुब सारा कालाधन ऐसे कमजोर शासन में जब्ती होनेवाली है|बल्कि मानो जब्ती और सजा के नाम से अठनी चवनी थमाकर बाद में बड़े बड़े लुट और चोरी करने वालो के द्वारा लुट और चोरी के धन से भोग विलास करके मरने के बाद अपने आप ही सारे मोटामाल बटोरने का केश दफन हो जायेंगे|फिर इस समृद्ध देश की गरिबी खत्म हो ऐसी धन कहाँ से आयेगी जब चोर लुटेरो के द्वारा लुटा और चोरी किया हुआ पुरा गुप्त धन जब्ती ही नही की जायेगी?कहीं प्राचिन काल से चली आ रही कई शासको के यहाँ जो आज भी गुप्त खजाना दबी हुई है,और जिसकी आजतक भी रहस्य बनकर उसकी खोज जारी है,उसी तरह तो कहीं यहाँ भी भविष्य में कालाधन का रहस्य नही बनने वाली है?क्योंकि लाख करोड़ रुपये की चोरी करने वाले मानो खीरा चोर को तो सजा देकर उँट के मुँह में जीरा थमा दिया जा रहा है,पर अजादी से लेकर अबतक जितने भी एक एक बड़े बड़े चोर लुटेरो द्वारा सौ करोड़ से लेकर हजारो लाखो करोड़ की लुट और चोरी हुई है,जिसका लिस्ट लंबे समय से कोर्ट या सरकारी फाईलो में पड़ी हुई है,जिसका फैशला आना बाकि है,उन सबके मास्टर माईंड बड़े बड़े घोटालेबाज चोर लुटेरो को आखिर कब सजा होगी और कब सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ की धन जब्ती होगी?क्योंकि दो चार करोड़ तो सिर्फ सरकार द्वारा महिने की विदेश यात्रा में ही खर्च हो जाते हैं|और हर साल बजट का एक तिहाई से ज्यादे लगभग पाँच दस लाख करोड़ तो सिर्फ गिने चुने धन्ना कुबेरो को सरकारी माफी और छुट में ही उनको दे दिया जाता है|और उतना ही लगभग हर साल विदेशी कर्ज का ब्याज भी चुकाया जाता है|जिसके कारन इस देश  के चाहे अमिर हो या फिर गरिब नागरिक सबके उपर जन्म लेते ही आधा लाख का कर्ज लदा हुआ है|क्योंकि सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला ये कृषि प्रधान देश कर्ज में डुबा हुआ है|जिसके चलते एक तो गरिब बीपीएल भारत उपर से कर्ज लेकर घी पिती ऐसी सरकार जो हर साल चार पाँच लाख करोड़ का सिर्फ ब्याज भी चुका रही है, और साथ साथ उतना ही बल्कि उससे कहीं ज्यादे हर साल धन्ना कुबेरो को छुट और माफी भी दे रही है|जबकि चालीस करोड़ से अधिक जो बीपीएल भारत है उसे ठीक से अन्न जल भी नही दे रही है|क्योंकि सरकारी राशन कार्ड से भोजन करके भी हर रोज भुखमरी कुपोषन से अनगिनत नागरिको की मौते हो रही है|फिर भी मानो ये सरकार कर्ज लेकर भी धन्ना कुबेरो को हर साल पाँच दस लाख करोड़ का घी पिला रही है|जबकि पहले कम से कम देश के सभी नागरिको को शुद्ध पानी पिलाने और कुपोषन मुक्त खाना खिलाने की व्यवस्था करने के लिए अपनी बहुमत बुद्धी बल का प्रयोग करती,वह भी इस सोने की चिड़ियाँ की समृद्धी का नेतृत्व करते हुए|जो न होकर सिर्फ हर बार चुनाव जीतने के लिए सिर्फ ये भाषन और अश्वासन दिया जा रहा है की इसबार सब कुछ ठीक हो जायेगा सिर्फ एक और मौका दे दिया जाय|और मौका मिलने पर फिर से वही बुरे हालात अपडेट होती रहती है|जो बुरे हालात कभी भी कायम नही होनी चाहिए थी किसी भी शासक के नेतृत्व में|और न ही ऐसी बुरे हालात बने कि देश और प्रजा का धन लुट और चोरी करके चोर लुटेरे लुटपाट और चोरी का व्यापर को हमेशा बड़ाते रहे|जिससे चोरी और लुट करने की रोजगार तो बड़ते जा रहे हैं,पर दुसरी तरफ साफ सुथरा रोजगार करने वालो की रोजगार में गिरावट आ रही है|जिसके चलते आमदनी अठनी और महंगाई रुपया की वजह से खान पान में भी गिरावट आ रही है|जो कि स्वभाविक है क्योंकि बड़े बड़े चोर लुटेरो को लुटपाट करने की रोजगार और भ्रष्ट धंधा बड़ेगी तो सफेद कमाई करने वालो की रोजगार और धँधा तो कम होने ही वाली है|जिसे निगलने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो का जो कालाधन गुप्त अंबार लगा है,उसे बड़ाने के लिए भ्रष्ट निवेश जो हो रही है|ताकि चोर लुटेरो की नई भ्रष्ट पिड़ि उससे दोगुनी पाप तरक्की करके अपने पाप वसियत को और अधिक बड़ा सके|जिस तरह की पाप की कमाई को फलने फुलने का लाड प्यार किसी भी सरकार को नही देनी चाहिए!बल्की बड़े बड़े भ्रष्टाचारी को उसके जीते जी सजा भी मिले और जितना का लुटा और चोरी किया गया था वह भी पुरी मिले ऐसी मजबूत नेतृत्व कायम होनी चाहिए|न कि चोर लुटेरो से आधा लेकर आधा छोड़ दिया जाय ऐसी सोच कायम होनी चाहिए|क्योंकि पुरा धन जिस देश और प्रजा की चोरी हुई है वह देश और प्रजा चोर लुटेरो से ये समझौता क्यों करे कि आधा तुम रखकर उससे जिवन भर भोग विलाश करते जाओ और बाकि अपना हक अधिकार लुटाकर चालीस करोड़ से अधिक तो सिर्फ बीपीएल भारत मौजुद बना रहे|जिन्हे बीपीएल करने वाले कारनो को आधा तुम लो आधा मैं लेता हुँ सोच से ही तो मेरे ख्याल से चोर लुटेरो को और अधिक लाड प्यार और बड़ावा मिलता है|जिसके कारन उनकी पहले से और अधिक चोरी और लुट करने की भ्रष्ट निवेश बड़ जाती है|जैसे की जब खास पर्व त्योहारो के खास मौको पर भारी छुट अथवा भारी डिस्काउंड मिलती है तो उसमे और अधिक बिक्री बड़ जाती है|जिस तरह ही लुट की छुट अथवा डिस्काउंड साबित होती है कुछ लेकर बाकि सबकुछ को छोड़ देने की निति से|जो चोर लुटेरो की अपराध में बड़ौतरी कराती है| जिससे प्रजा में सरकार की सेवा से नाखुश होकर निराशा भी बड़ती है,जिससे की चारो तरफ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और आंदोलन बड़ जाते हैं,और धिरे धिरे सरकार का कार्यकाल गुजरने का समय आते आते सरकार का भी गुजरने का समय आ जाता है|क्योंकि देश और प्रजा की गरिबी भुखमरी दुर करके सुख शांती और समृद्धी लाने का पिछली चुनावी भाषन अश्वासन का हिसाब किताब सरकार को देनी पड़ती है|जिसके बाद दुःखी प्रजा गरिबी भुखमरी हटने की हिसाब किताब डीजिटल सरकार से पुछकर भुखी जनता वोट करती है तो अपना हिसाब किताब बराबर करने के लिए सरकार को ही खा जाती है|जैसे की 2014 में गरिबी हटाओ को केन्द्र से ही हटाकर खा गयी थी|जिसके बाद अपकीबार 2019 आते आते सबके अच्छे दिन आने वाले हैं कि ऐसे ही गरिबी भुखमरी का हिसाब किताब के दिन आनेवाले हैं?क्योंकि अब भी गरिबी भुखमरी से हर रोज मौते हो रही है|और हर साल कर्ज में डुबी सरकार कर्ज का ब्याज जितना बल्कि उससे भी अधिक की राशि छुट और माफी धन्ना कुबेरो को दे रही है|जो सरकार गरिबो की मदत के लिए गैस सब्सिडी वापस करने को तो कहती है,पर धन्ना कुबेरो को हर साल माफी और छुट प्राप्त करने की जो विशेष गुप्त गरिबी मुक्त टीकाकरण योजना चल रही है,उसे क्यों नही छुट और माफी वापस करने को कहती है?गैस सब्सिडी वापस करने और उस वापस सब्सिडी को पाने वाले गरिब बीपीएल तो वैसे भी उनको मिलने वाली राशि का 85% मुफ्त में बिना दान किए ही खिला रहे हैं,जो बात एक प्रधान सेवक ने ही कहा है|जिसके अनुसार जनता तो 15% को ही ले पाती है|और बाकि बिना सब्सिडी वापस किए ही वापस कहाँ जाती है,ये सायद वर्तमान की सरकार के लिए अबतक रहस्य ही बना हुआ है,तभी तो अभी ये कहा जा रहा है की एक पैसे की भी चोरी नही हो रही है!कभी कहा जाता था एक एक गरिब के खाते में पंद्रह बिस लाख आ जाय इतने की चोरी और लुट हुई है,और अब कहा जा रहा है ये सब बाते जुमला था! 

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