अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन सबसे बड़ा रोग के बारे में जाने



पुरे विश्व में गरिबी और भुख से बड़ा दुःख नही है|जिसे योग करके तो दुर नही किया जा सकता है, पर विश्व स्तरीय सबसे बड़ा दुःख को देने वालेवाले पापी लोगो की भ्रष्ट  बुद्धी किसी और को संक्रमित न कर सके,इसके लिए योग के साथ साथ उस भ्रष्ट रोग कि रोकथाम और इलाज के बारे में भी विचार करे जो कि विश्व के सबसे बड़े पाप में सबसे शीर्ष में है|जिस पाप को करने वाले भ्रष्ट मन और अपराध का हवशी तन वाले ऐसे लोग हैं जिन्हे सायद योग कराकर और सत्य बुद्धी देकर भी ठीक नही किया जा सकता है|क्योंकि भले ये कहा जाता है कि योग से तन मन दोनो को ही सेहतमंद किया जा सकता है|पर  योगी भी चूँकि बहुत से पाप का भोगी हो सकता है |इसलिए जरुरी है कि पहले हम ये जरुर जान ले कि योग करते समय हमे किसकी भोग नही लगानी चाहिए?जिसकी भोग यदि योग के साथ साथ बराबर लगाता ही चला गया तो फिर उस भोग से होनेवाली रोग से योग तो क्या कोई भी उछल कुद तन या फिर मन का योग करे,उसके भितर होनेवाली सबसे बड़ी हानि को आने से नही रोक सकता|और न ही उस रोग से मुक्ती भी पाई जा सकती है,यदि उसे नजरअंदाज करके भोग में भोग लगाता ही चला गया|और इसके साथ तन मन दोनो से ही सेहतमंद रहने की इच्छा रखने वाला किसी भी इंसान को सबसे अधिक यह भी ध्यान देना चाहिए कि तन की गंदगी से ज्यादे खतरनाक मन की गंदगी होती है|और मन को गंदा सबसे अधिक शराब शबाब और कबाब का नशा करता है|जिसके चलते  रिस्ता जोड़ते समय भी नशा मुक्त के बारे में सबसे अधिक चर्चा होती है|नशेड़ी नर नारी से रिस्ता जोड़ना बहुत विरले लोग ही पसंद करते हैं|क्योंकि ज्यादेतर को पता है कि कोई व्यक्ती भले कितना ही गरिब हो,उसकी गरिबी बाद में दुर की जा सकती है,पर नशेड़ियो की जो नशा करने कि आदत बन जाती है,उसे दुर करना नामुमकिन सा हो जाता है|जिसके चलते किसी नशेड़ी के परिवार के लोगो के साथ साथ उसके कई अन्य करिबी व डॉक्टर भी थक हारकर नशा दुर नही कर पाते हैं|यही वजह है कि एक परिवार में यदि कोई नशेड़ी मौजुद हो तो उसके साथ रिस्ता जोड़ने के बाद दुसरा परिवार भी नशा संक्रमण की वजह से बर्बादी की ओर चला जाता है|जिस कारन से लोग घरेलू रिस्ता जोड़ते समय बल्कि प्रेम रिस्ता जोड़ते समय भी नर नारी एक दुसरे के बारे में जानने के लिए एक दुसरे की जिवन में नशा मौजुदगी की जानकारी रखना बहुत जरुरी समझते हैं|बहुत कम लोग ही नशेड़ी नर नारी से सबसे करिब का रिस्ता रखना पसंद करते हैं|बल्कि जो लोग नशेड़ियो से रिस्ता भी यदि जोड़ते हैं,तो या तो खुद भी नशेड़ी बनकर नशा का साथ निभाते रहते हैं,या फिर अपने करिबि का नशा आदत से कैसे मुक्ती जल्दी से जल्दी दिलाया जाय या फिर कम से कम उसे संतुलन बनाया जाय इसकी कोशिष जरुर चलती रहती हैं|जाहिर है नशा मुक्त होकर खुद के साथ साथ दुसरो को भी रोजमरा जिवन में सुख शांती और समृद्धी प्रदान की जा सकती है|खासकर मुझे पुरा यकिन है कि रोजमरा जिवन में शराब शबाब और कबाब का नशा से दुरी बनाकर पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक सुख शांती और समृद्धी जिवन जी जा सकती है|इसलिए इस तरह की नशा मुक्त संस्कार ज्ञान को तत्काल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन ही खासकर मैं उन लोगो तक पहुँचाने के लिए बांटना चाहता हुँ,जो कि शराब शबाब और कबाब के पिच्छे भागकर और उसकी नशा लगाकर खुदके साथ साथ अपने करिबियो को भी बहुत सारे यैसे दुःख तकलिफ अबतक देते आ रहे हैं,या दे रहे हैं,जो कि कबाब का नशा से दुर रहकर शाकाहारी जिवन और शबाब का नशा से दुर रहकर संयम जिवन बिता रहे लोग कभी भी नही देते हैं|या फिर न के बराबर ही देते हैं|क्योंकि रोजमरा जिवन में नशा करके अपने भितर भ्रष्ट आचरण को सबसे अधिक बड़ावा मिलता हैं|जैसे की ज्यादेतर बलात्कारी के बारे में जब भी उसके रोजमरा जिवन के बारे में जानकारी जुटाया जाता है,तो यही परिणाम सबसे अधिक सामने आता है कि बलात्कार जैसे पाप घटना को अंजाम देने वाले ज्यादेतर पापी चाहे शबाब का नशा हो या फिर शराब का नशा हो,उससे ग्रसित जरुर होते हैं|बल्कि कई बार तो ये भी जानकारी देखने सुनने और पढ़ने को मिलती है,कि कोई नशेड़ी शराब के नशे में टुल होकर अपने पत्नी और बच्चो को भी जानवर से भी अधिक बुरा सलूक करता है|कई बार तो पति पत्नी आपसी इच्छा से हम बिस्तर होने के बजाय नशे की हालत में उसके नशेड़ी पति द्वारा जबरजस्ती बलात्कार करने की मामले भी दर्ज हुए हैं|बल्कि किसी बेवड़ा के द्वारा किसी मासूम बच्ची के साथ हवश के नशे में बाप होते हुए भी बलात्कार जैसे पाप करने की मामले भी दर्ज हुए हैं|जिस तरह के कुकर्म करने वालो को तो चाहे नशे में चुर होकर रेप किया हो या फिर बिना नशे में किया हो,पाप पुन्य का हिसाब किताब होते समय अगले जन्म में सजा के तौर पर सिकड़ में बंधे मदहोश हाथी से जबरजस्ती संभोग कराकर नर्क में भटकती भूत आत्मा को अपनी गलती का यहशास कराया जाता होगा यदि नर्क और भूत वाकई में होता होगा|क्योंकि हवश में चुर होकर अपने इस जन्म में बहुत से नर्क का टिकट कटाने वाले हवशी भूत बनने से पहले ये भुल जाते हैं कि इस सृष्टी में गलती से इंसान जन्म के रुप में सिर्फ उसका पहला और आखिरी जन्म और मरन नही होगा,बल्कि उसका पाप कुकर्म किया इतिहास भी हमेशा स्थिर रहेगा इसी सृष्टी में ही|और उसका जन्म मरन भी आगे और होता रहेगा|जिसके बारे में बहुत से हवशी और अपराधी पापी कहीं ये सोचकर तो कुकर्म को दोहराते नही रहते हैं कि मरने के बाद मुर्दा शरिर को सजा मिले या फिर उसे नगा करके पुरे शरिर में चूना और कालिख लगाकर गधे में उल्टा बिठाकर यात्रा और पर्यटन कराया जाय,मुर्दा को क्या फर्क पड़ता है?जिसे लगता होगा कि मरने के बाद तो किसी भले इंसान को भी सबसे अधिक करिबी भी घर से बाहर कर देते हैं|तभी तो बेशर्म और चिंता मुक्त होकर कई कुकर्म और पाप करने वाले हवशी एक ही पाप को लगातार रेप में रेप पाप में पाप दोहराते चले जाते हैं|हलांकी तन की हवश के अलावे किसी भी भ्रष्ट आचरण का हवश किसी भ्रष्ट बुद्धी किये हुए व्यक्ती को हो सकता है|जैसे कि किसी को दौलत का हवश हो सकता है|जिसकी पुर्ती करने के लिए वह बड़े से बड़े भ्रष्टाचार करने लगता है|जिसे वह किसी ऐसे उच्च पद में भी बैठकर कर सकता है,जिसमे बैठने पर एक नंबर की कमाई से सारी जिवन उसकी जिवन अच्छी तरह से अभाव मुक्त होकर कट सकती है|जिस पद पर बैठकर इतनी दौलत उसे एक न० का श्रममोल के रुप में मिलता है,जिससे की वह यदि चाहे तो उसकी आनेवाली नई पिड़ि के लिए भी अच्छी खासी इंतजाम अपने एक न० का कमाई से भविष्य के लिए भी कर सकता है|बल्कि उसे रिटायर होने के बाद भी बहुत कुछ सुख सुविधा प्राप्त करने की अतिरिक्त धन भी मिलती है|जिसे मरने के बाद खाने वाले भी कई बार सामने का करिबि रिस्ता रखने वाले भी नही मिलते हैं और दुर का रिस्तेदार किसी गिध की तरह जमा किये हुए धन को आपस में नोच नोचकर खा जाते हैं|लेकिन भी यदि किसी व्यक्ती को दौलत का हवश हो जाय तो वह चाहे जितनी कमाई एक न० का कर रहा हो या फिर जितनी मासिक आमदनी या श्रममोल पा रहा हो,या फिर उसके मरने के बाद उसकी कमाई को आगे पिच्छे कोई खाने वाला न हो,तो भी उसकी दौलत की हवश उसे अपने पद का गलत उपयोग करके और अति धन प्राप्त करने के लिए चोरी,लूट,घुसखोरी मुनाफाखोरी,कालाबाजारी,ठगी,ढोंगी,पाखंडी वगैरा ऐसे तमाम कुकर्म करने के लिए प्रेरित करती रहती है|जिससे की उसे दो नंबर का दौलत और अधिक और अधिक जमा होता चला जाता है|इतना सारा अतिरिक्त कालाधन जिसे वह अपने जिवित रहने तक कभी खर्च भी नही कर पाता है|और उस पाप की कमाई को यदि उसका आगे पिच्छे खाने वाले मौजुद हो तो उसकी नई पिड़ि को पाप की वसियत के रुप में मानो अपनी पाप का विरासत दे जाता है|जिसे अपने पाप का विरासत देते समय जरा सा भी ये चिंता नही होती है कि वह अपने नई पिड़ि को अपनी काली कमाई से पाप का भ्रष्ट आचरण घुटी पिला रहा है|जिससे उसकी नई पिड़ी भी उसके ही जैसा भ्रष्टाचारी ट्रेनिंग बचपन से ही लेना सुरु कर देती है|बल्कि यदि परिवार के सारे सदस्यो को पता रहता है कि उसकी काली कमाई के द्वारा ही अति भोग विलाश और आस पड़ौस दोस्त रिस्तेदारो वगैरा को सेखी दिखावा कर रहे हैं,और रोजमरा की जरुरत चीजो में अति किमती किमती तमाम चीजे जो इस्तेमाल और अति धन खर्च की जा रही है,उनमे दो नंबर का कमाई का धन है,लेकिन भी पुरा परिवार यदि उस दो नंबर की कमाई से खुशी से लोट पोट होकर अपनी जिवन जी रही होती है,तो ऐसे भ्रष्ट परिवार में बच्चो का अति खर्चिली पढ़ाई लिखाई मानो दो नंबर के पैसो से होकर भ्रष्ट ट्रेनिंग ही चल रही होती है|और उनके माता पिता में एक तो भ्रष्ट दौड़ में मानो न०1 होने के लिए दो नंबर की कमाई तेज गति से कैसे हो इसके लिए उत्साहित करते हुए और अधिक,और अधिक कालाधन कहते हुए अपने सबसे अधिक करिबी को अपराध का बाड़ावा देकर कालाधन जमा करवाकर उसे लुटाने में लगी रहती है|और दुसरा कालाधन जमा करने के लिए लुटने में दिन रात लगा रहता है|जिससे परिवार को कभी फुरसत ही नही मिलती है भ्रष्ट आचरण से छुटकारा पाने के लिए और सत्य बुद्धी लेने की भी|क्योंकि ज्यादेतर बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को तो पाप की कमाई से भोग विलाश में मग्न होकर बाकि चीजो के बारे में सोचने की मानो उन्हे फुरसत ही नही मिलती है|जो कि भ्रष्ट आचरण करने और उसे छिपाने में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हे कभी यह महशुष होती ही नही कि जिसदिन भी उनकी पाप का इतिहास खुलेगी तो उनके बारे में उसके विरोधी नई पिड़ी क्या सत्य जानकारी अपडेट करेंगे उनकी काली कमाई के बारे में?क्योंकि करोड़ो साल पहले लुप्त हुए डायनासोर के भ्रष्ट कंकाल को खोदकर यदि उनकी इतिहास तलाशी जा रही है तो बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो का भ्रष्ट इतिहास जिसे छिपाने की कोशिष दिन रात होती रहती है,उसकी तलाश करने के लिए भविष्य की नई पिड़ि जब खुदाई करेगी तो निश्चित रुप से इतिहास अपडेट करके बहुत कुछ बतलाने के लिए नई नई भ्रष्ट कंकाल भविष्य में निकलेंगे इससे इंकार नही किया जा सकता है|जिसके बारे में मानो बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को कभी कोई चिंता ही नही है|तभी तो वे भ्रष्टाचार करने में और अधिक तरकी करते रहते हैं|बजाय इसके कि वे भला काम करने में तरकी करते|दरसल अपराध हवश की वजह से जिस इंसान की बुद्धी भ्रष्ट हो जाती ह,वह ज्यादेतर ये सोच ही नही पाता कि इतिहास कभी भी नही मिटती  है,बल्कि वह सिर्फ छुपी या छुपाई जाती है|जो समय आने पर सामने आ जाती है|और चूँकि हवश की वजह से किसी हवशी की बुद्धी धिरे धिरे पुरी तरह से  भ्रष्ट हो जाती है|जिसके चलते वह हवशी व्यक्ती अपने भ्रष्ट बुद्धी से लिया गया गंदा गंदा फैशला को भी साफ सुथरा समझकर मानो दाग अच्छे हैं कहकर अपराध में अपराध करता चला जाता है|क्योंकि उसके लिए उस समय अपना हवश पुर्ती के लिए पाप में पाप करता चला जाता है|जिसके बावजुद भी वह अपने आप को समान्य जिवन जिते हुए महशुष करता है|जैसे की कोई सुवर गू खाते समय या गंदगी में लोट पोट होते समय भी अपने आप को सबसे अधिक सकून मगसूश करता है|बल्कि हम इंसानो के समाज परिवार में अपराध का हवशी लोग ही अपने परिवार के साथ साथ समाज में दुसरो के लिए भी सबसे गंदे लोग साबित होते हैं|जितना कि सायद कोई गू खाने वाला सुवर भी नही होता हैं|इसलिए सुवर आस पास भले भरे पड़े हो पर चारो ओर उतनी गंदगी नही फैलती है,जितना की मन की गंदगी वाले भ्रष्ट लोग यदि मुठीभर भी आस पास मौजुद हो तो पुरे देश और समाज को मन की गंदगी से सबसे अधिक गंदगी फैलती है|और उससे सबसे अधिक नुकसान भी पहुँचता है|और जैसा कि मैने बतलाया की अपराध का हवश किसी भी ऐसे अपराध अथवा भ्रष्ट आचरण का  हो सकता है,जिससे की खुदके साथ साथ दुसरो को भी भारी बर्बादी होती है|जैसे की पुरी दुनियाँ में बड़े बड़े भ्रष्टाचार का हवश में डुबकर मुठिभर लोगो के द्वारा ही दिन रात बड़े बड़े भ्रष्टाचार की जाती है|और बड़े बड़े भ्रष्टाचार को करने वाले मुठिभर भ्रष्ट लोगो के द्वारा ही तो पुरे विश्व की सबसे बड़ी अबादी अथवा बहुसंख्यक लोग सबसे अधिक दुःखी और गरिबी भुखमरी से जुझ रहे हैं|जो कभी नही जुझते यदि दौलत का हवश में डुबकर बड़े बड़े भ्रष्टाचार मुठिभर लोगो द्वारा दिन रात नही की जाती|और बड़े बड़े भ्रष्टाचारी दुसरे की हक अधिकारो की चोरी और लुट करने की हवश से खुदको मुक्त कर लेते|क्योंकि सुवरो से भी अधिक नुकसान पहुँचाने वाले गंदे मन की गंदगी वाले भ्रष्ट बुद्धी किये हुए ऐसे गंदे लोग होते हैं,जिनके भितर मन में ऐसी गंदी भ्रष्ट बिमारी मौजुद होती है,जिसे कोई भी सफाई योजना चलाकर या कोई भी साबुन सैंपु वगैरा से धोकर साफ नही किया जा सकता है|और न ही उनका इलाज का कोई दवा मूल रुप से कहीं पर भी मौजुद है|और न ही मन की गंदी बिमारी का इलाज करने वाला कोई अचूक डॉक्टर ही मौजुद है|सिवाय इसके की उन्हे खुद ही अपने मन की सफाई करने के लिए अपने मन में मौजुद मैल को अपने ही भितर मौजुद उस सत्य से धोना होगा,जिस सत्य से पुरी दुनियाँ कायम है|क्योंकि तन की गंदगी मल मूत्र,मैल वगैरा से पैदा होने वाली बिमारी और किड़ो को खत्म करने का तो दवा इंसानो ने खोज लिया है,पर मन की गंदगी दुर करने का दवा अबतक ऐसा उपलब्ध नही हो पाया है,जिसे अपनाकर गंदे मन की सफाई हो सके|सिवाय इसके कि सबसे बड़ी सत्य दवा खुदके भितर ही किसी वरदान की तरह मौजुद होता है|क्योंकि मन का मैल किसी के तन में दिखलाई नही देता है|जिसके चलते तन से साफ सुथरा होकर दिन में कई बार नया नया कपड़ा बदलकर तरह तरह का किमती किमती साज सजा श्रृंगार हर रोज करने वाले व्यक्ती पर भी मन की गंदगी सबसे अधिक हो सकता है|और तन की मल मुत्र व मैल से हर रोज खुदको गंदा करने वाले फटे पुराने चिथड़ो से लिपटे व्यक्ती पर एक भी मन का मैल नही हो सकता है|जिसके चलते मन का मैल का तलाश और फिर उससे मुक्ती पाने का अचुक उपाय प्राप्त करने के लिए विभिन्न धर्मो में भी विभिन्न तरिको से मन की सफाई करने के बारे में बतलाया गया है|जिसका सत्य ज्ञान बांटने वाले तपस्वी भी कभी कभी मन का मैल दुर करने का वरदान प्राप्त करने लिए लंबे समय तक दिन रात तप में लिन होकर एक ही कपड़ो में रहकर और एक ही जगह में स्थिर तप करते हुए बिना शौचालय बनाये गुफा या किसी पेड़ के निचे बैठे बैठे या खड़े खड़े अपने तन को गंदा कर लेते हैं|पर अपना तप पुरा करने के बाद दिन में कई बार गंगा डुबकी लगाने वाले भी,और दिनभर में कई बार नया नया कपड़ा बदलकर किमती किमती साज श्रृंगार करने वाले लोग भी उनके चरण छुकर अपने मन का मैल दुर करने और सुख शांती समृद्धी प्राप्त करने का आशीर्वाद और सत्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए दुर वहाँ पर भी जाते हैं,जहाँ पर तन का मैल व मल मूत्र दूर करने का शौचालय और स्नान घर भी नही होता है|लेकिन भी चारो तरफ सबसे अधिक सुख शांती और मानवता पर्यावरण संतुलित बना रहता है|क्योंकि वहाँ पर मन की गंदगी दुर करने का बेहत्तर इंतजाम रहता है|जिस तरह का इंतजाम ऑनलाईन करके मैं भी आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन अपने विचारो के जरिये सबसे बड़ा रोग की रोकथाम और सुधार के बारे में इस पोस्ट में बतलाने कि कोशिष कर रहा हुँ कि शराब,शबाब और कबाब की नशा से जितनी अधिक दुरी बनाई जायेगी रोजमरा जिवन में उतनी जल्दी मन की सफाई होकर सुख शांती और समृद्धी आयेगी|क्योंकि मन का मैल जमा करने में शराब शबाब और कबाब का नशा सबसे आसान जरिया है|जिसके चलते वर्तमान में शराब पिकर अपराध और दुर्घटना तो सबसे अधिक होती ही रहती है,पर पहले भी सबसे अधिक ऐतिहासिक बड़े बड़े भ्रष्टाचार और पाप नशा करके ही होते रहे हैं|
जैसे कि शराबी शैतान सिकंदर ने अपने शराब पिये भ्रष्ट मन से पुरे विश्व को लुटने का मन बनाकर विश्व के कई देशो के साथ प्राचिन फारस को लुटने के बाद अखंड हिन्दुस्तान को भी लुटकर दुनियाँ की सबसे अधिक अबादी को दुःख तकलीफ देकर विश्व का सबसे बड़ा पाप करके शैतान लुटेरा न०1 बनना चाह रहा था|पर वह हिन्दुस्तान की प्राचिन राजधानी पाटलिपुत्र तक न पहुँच सका और भरी जवानी में उपर पहुंच गया|क्योंकि अखंड हिन्दुस्तान की राजधानी पाटलिपुत्र पहुँचने से पहले अखंड हिन्दुस्तान की बॉर्डर पर ही पुरु राजा से भिड़कर उसका हाफ मर्डर हो गया था|जिसकी फुल मर्डर अखंड हिन्दुस्तान का सम्राट नंद के हाथो होने की जरुरत ही नही पड़ी थी|क्योंकि पुरु राजा से भिड़ंत होने के बाद शैतान सिकंदर अधमरा हालत में अपनी जान बचाकर हिन्दुस्तान छोड़कर चला गया था|जिसके बाद सिकंदर विश्व का लुटेरा न०1 बनने का सपना अधुरा लिये चल बसा|जिसके चलते भी सायद आज भी उसकी भटकती आत्मा बहुत से लोगो के भितर भूत बनकर हावी होकर पागलो की तरह जो जीता वही सिकंदर बड़बड़वाती रहती है|जबकि बड़बड़ाने वाले लोगो को भी सायद शैतान सिकंदर का भुत सवार से पहले तक पता रहता है कि शैतान सिकंदर अखंड हिन्दुस्तान की प्राचिन राजधानी तक पहुँचना तो दुर हिन्दुस्तान के बॉर्डर के आस पास के राजाओ से ही भिड़ते भिड़ते उसकी लुटेरी गैंग आधी से अधिक खत्म हो गई थी|और जो कुछ बची थी उनमे से ज्यादेतर तो अखंड हिन्दुस्तान का सम्राट नंद और उसके हाथी सेना के बारे में सिर्फ सुनकर ही मानो इधर उधर भागने लगी थी|जिस अखंड हिन्दुस्तान के वीर रक्षक हाथी सेना से भिड़ते हुए सिर्फ पुरु झांकी देखकर हिन्दुस्तान को लुटने के लिए बॉर्डर प्रवेश किये लुटेरी गैंग अपने आका सिकंदर के हाथो ही मरना पसंद किया पर उससे आगे अखंड हिन्दुस्तान की प्राचिन राजधानी पाटलीपुत्र की ओर बड़ना पसंद नही किया|क्योंकि पुरु राजा का हाथी सेना सिकंदर के लूटेरी सैनिक जो कि घोड़ो पर भी सवार होकर लुटपाट करने आये थे,उन्हे अखंड हिन्दुस्तान का हाथी सेना अपने सुड़ में अजगर की तरह लपेट लपेटकर उठा उठाकर धोबी द्वारा कपड़ा पटकने जैसा पटक रहे थे|और कुछ को तो अपने हाथी दांत से घोंप घोंपकर अखंड हिन्दुस्तान छोड़कर बाहर जाने को कह रहे थे|पर हाथी सेना से भिड़ने के बाद बहुत से घुसपैठी तो देश से बाहर जाने से पहले ही दुनियाँ से बाहर हो गए थे|और जो बचे उन्हे शैतान सिकंदर द्वारा जख्मी हालत में मलहम लगाने के बजाय जबरजस्ती अधमरा हालत में ही और अधिक लुटपाट करने के लिए आगे बड़ने को कहा जा रहा था|पर चूँकि शैतान सिकंदर का लुटेरी गैंग में बचे हुए लुटेरे अधमरा होकर अपनी जान बचाने के लिए आगे बड़ने से इंकार कर दिया था,जिसके चलते सिकंदर ने अपने ही कुछ गुलाम सैनिको को आगे बड़ने से इंकार करने पर मौत की सजा दे दिया था|हलांकि शैतान सिकंदर भी खुद अखंड हिन्दुस्तान की प्राचिन राजधानी पाटलिपुत्र पर कब्जा करने के लिए आगे नही बड़ा और वह भी अधमरा हालत में वापस लौट गया था|क्योंकि वह हिन्दुस्तान की राजधानी पाटलिपुत्र पर कब्जा करने से पहले ही पुरे हिन्दुस्तान को लुटने की पापी सपना अधुरा छोड़कर बॉर्डर से ही अधमरा हालत में लौट गया था|और जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी|जिस मौत के बारे में कुछ इतिहासकार तो ये भी बतलाते हैं कि शैतान सिकंदर दारु पी पीकर मरा था|जो एक न० का शराबी शबाबी और कबाबी था|जो भरी जवानी का जोश में ही अपना होश खोकर पुरी दुनियाँ को लुटकर अयाशी करने निकला था|साथ साथ अपने देश यूनान से मात्र चार पाँच हजार लुटेरो का गैंग बनाकर पुरी दुनियाँ को धिरे धिरे लुटते हुए किसी बवंडर की तरह अपनी लुटेरी ताकत बड़ाता गया|क्योंकि हराये हुए देशो के सैनिको को अपनी लुटेरी गैंग में शामिल करके उन्हे भी लुटेरा बनाकर उनकी ताकत का गलत उपयोग करके पुरे विश्व को लुटपाट करते हुए आगे बड़ता चला गया|साथ साथ हारे हुए देशो में कब्जा करके वहाँ पर भोग विलाश भी करता रहा|और जैसा कि मैने इससे पहले बतलाया कि शराब पिकर सबसे अधिक अपराध और दुर्घटनायें होती है|जाहिर है शराबी सिकंदर यदि वाकई में शराब छोड़ देता तो सायद उसकी भ्रष्ट बुद्धी में सुधार आ जाती और वह अपनी भरी जवानी का ताकत का उपयोग भी लुटपाट के बजाय अपने देश यूनान को अपने ही देश के धन और एक न० की कमाई से सुख शांती और समृद्ध करता|जो न करके शैतान सिकंदर के लिए तो मानो लुटपाट ही उसकी कमाई बन गई थी|जिसकी लुटेरी गैंग सायद लुटपाट से ही अपने खास तरिके से महान बनने के लिए मानवता की लुटपाट सेवा और भलाई करने वाले थे|जैसे की गोरे भी लुटपाट करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी लगाकर विश्व के कई देशो को गुलाम करके खास तरह का मानवता सेवा किये|जिस तरह की गुलाम बनाकर लुटपाट करने की गंदी सोच यदि शैतान सिकंदर के मन में नही घुसी होती तो सायद वह भरी जवानी में अखंड हिन्दुस्तान आकर लड़ाई करके दुनियाँ नही छोड़ता|और न ही सायद गोरे भी लड़ाई करके यह देश छोड़ते|वे भी यहीं पर नागरिकता प्राप्त करके अपनी मेहनत की साफ सुथरा कमाई करके जीते खाते|जैसा की शैतान सिकंदर भी अपनी ताकत और बुद्धी का सही इस्तेमाल करता तो वह भी सायद अखंड हिन्दुस्तान में अपना परिवार के साथ सुख शांती और समृद्ध जिवन बुढ़ापा तक जीता|जिसने भरी जवानी में कई देशो के साथ लुटपाट करके पुरे विश्व की मानवता को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाया ही,साथ में खुदको भी भारी नुकसान पहुँचाया है|क्योंकि वैसे भी शबाब शबाब के चक्कर में सबसे अधिक अपराध और आत्महत्यायें आज भी होती रहती है|जिसके चलते हर रोज ये इतिहास दर्ज होती रहती है कि एक शराबी शबाबी ने किसी मासुम के साथ रेप किया या हत्या किया या फिर शराब पीकर दुर्घटना हुआ|बल्कि पी पीकर आज भी नशे की लत अपनाकर अनगिनत लोग मानो धीमा आत्महत्या कर रहे हैं|हो सकता है सिकंदर ने भी पी पीकर अपना बुद्धी भ्रष्ट करके पुरे विश्व को लुटने के बहाने जो जीता वही सिकंदर बड़बड़ाते हुए धीमा आत्महत्या करने ही निकला था|पर अखंड हिन्दुस्तान के रक्षको के हाथो अपने देश और प्रजा की बचाव में उसकी हत्या हो गयी थी|जिसकी आत्मा सायद आज भी अखंड हिन्दुस्तान में जो जिता वही सिकंदर बड़बड़ाते हुए भटक रही है|जो भटकती आत्मा भूत बनकर ज्यादेतर उन लोगो पर ही सवार हो जाती है,जो कि शैतान सिकंदर को महान बतलाकर उसकी जय जयकार करते रहते हैं|जिन्हे तो मैं यही कहूँगा कि वे शैतान सिकंदर के गुलाम लुटेरी गैंग बनकर सायद आज भी शैतान सिकंदर की भटकती हुई आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए शैतान सिकंदर को महान सिकंदर बतलाकर असत्य ज्ञान बांट रहे हैं|जिसे जबरजस्ती सत्य साबित करने के लिए जो जीता वही महान सिकंदर बड़बड़ाते हुए दरसल सायद शैतान सिकंदर की भटकती आत्मा का गुलामी कर रहे हैं|जैसे की नशे की फैक्ट्री लगाकर बहुत से लोग मौत बांटते हुए नशा का गुलामी कर रहे हैं|जो लोग नशा का ऐसा प्रचार प्रसार करते और कराते हैं जैसे वे शराब के रुप में महान बनने की अमृत बांट रहे हैं|जो शराब की नशा न होती तो आज सायद चारो तरफ सुख शांती और समृद्धी होती|शराब पिकर शैतान भी खुदको महान समझने लगता है|और नशे में महान कार्य समझकर वह कुकर्म भी कर डालता है जिसे नशा उतरने के बाद ठीक से जानकर अपने आप को कभी माफ नही कर पाता है|या तो फिर अपने किये गए कुकर्म पर यकिन न करके या याद न करके उसे झुठ साबित करने के लिए कई झुठ में झुठ या कुकर्म में कुकर्म बेशर्मी से आगे भी दोहराता चला जाता है|या फिर कुछ कुकर्मी तो अपने किये कुकर्म को स्वीकारकर उसकी गंदी पाप की प्राश्चित करने की कोशिष जिवनभर करते रहते हैं|क्योंकि नशे में इतने बड़े बड़े पाप और अपराध हो जाते हैं कि कई पापी तो लाज शर्म से आत्महत्या तक कर लेते हैं|रही बात कबाब की तो पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक लुटपाट और अपराध प्राचिनकाल में पशुओ की बोटी के लिए ही होती रही है|भारत में भी प्राचिन समय में जितने भी कबिलई लुटेरे आते रहे हैं,वे सभी बोटी नोचने के लिए ही ज्यादेतर पशुओ को लुटने चुराने और साथ साथ इस देश की प्राकृतिक खनिज धन संपदा को लुटने आते रहे हैं|क्योंकि यह कृषी प्रधान देश प्रकृतिक रुप से समृद्ध है|जिसके चलते चूँकि यहाँ पर कृषी का विकाश तब ही हो चुका है,जब कई कबिलई देशो के लोग न तो खेती करना जानते थे,और न ही कपड़ा पहनना सिखे थे|जबकि पुरी दुनियाँ जानती है कि अखंड हिन्दुस्तान की प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता हजारो साल पहले ही विकसित होकर यहाँ पर सबसे आधुनिक गणतंत्र व्यवस्था की स्थापना हो चुकि थी|तब से लेकर आजतक यह देश कृषी प्रधान देश के रुप में जाना जाता है|इस देश में हजारो कृषी हुनरो जिसे वर्तमान में हजारो शुद्र जाति के रुप में जाना जाता है,उन हजारो हुनरो को जानने वाले वर्तमान के हजारो जातियो के पुर्वजो ने मानो अपने कृषी तप वरदान के रुप में हजारो हुनर से इस कृषी प्रधान देश को हजारो साल पहले ही विकसित गणतंत्र शासन प्रणाली से युक्त करके यह देश हजारो साल पहले से ही सोने की चिड़िया और विश्वगुरु कहलाता रहा है|जाहिर है जो देश कृषी प्रधान हो वहाँ पर अन्न जल के साथ साथ कृषी कार्यो में मदत करने वाली पशुओ का भी भंडार होना निश्चित तौर पर स्वभाविक है|और जहाँ पर अन्न जल का भंडार मौजुद हो वहाँ पर इंसान ही नही पेड़ पौधे और पशु पक्षी का भी मौजुदगी काफी मात्रा में होना स्वभाविक है|क्योंकि अन्न जल ही जिवन है,जिसकी प्राप्ती के लिए ही इंसान ही नही बल्कि पशु पक्षी पेड़ पौधे भी दिन रात जुगाड़ में लगे रहते है|जैसे कि किसान अपने खेत में फसल लगाकर अन्न की जुगाड़ में लगा रहता है|और जिसे रोजमरा जिवन में अन्न जल से ज्यादे पशु मांस जरुरत है,जैसे कि शिकारियो और लुटेरे कबिलई को चूँकि खेती से पैदा होने वाली अन्न के बजाय पशु मांस में ज्यादे दिलचस्पी रही है,जिसे देखकर ही उनकी लार टपकती रहती है,इसलिए प्राचिन समय में लुटेरे कबिलई गैंग बनाकर इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करके किसान का अन्न लुटने नही बल्कि किसानो की खेती में मदत करने वाले पशुओ को लुटने आते रहे हैं|क्योंकि उन्हे अन्न भोजन करने से ज्यादा दिलचस्पी पशु मांस का भोजन करने में रही है|जिसकी प्रमुख वजह उनकी अपनी रोजमरा जिवन में अन्न जल के बजाय शराब कबाब से ही दिन की सुरुवात होती है|जिनको खान पान में संतुष्ठी भी पशु मांस के बगैर पुरी नही हो सकती|जिस तरह की जिवनशैली को अपना सबसे आदर्श जिवनशैली मानकर चलने वाले लोगो को आज भी अन्न से ज्यादे मांस में धन खर्च करते हुए देखी जा सकती है|जो कि आज भी आधुनिक जिवनशैली के रुप में अन्न चावल रोटी के बजाय बोटी को ही सबसे ज्यादा महत्व देकर उसे ही अपनी रोजमरा जिवन में सबसे अधिक अपनाते हुए अपनी नजर में सबसे आधुनिक जिवन जिते हैं|जिनकी आधुनिक जिवन में बोटी जुगाड़ के लिए ही सबसे अधिक दिन रात भागदौड़ होती रहती है|जिस तरह के लोग यदि किसी किसान के खेत में चले जाय तो उसकी लहलहाती फसल के बजाय उस फसल की पैदावर में मदत करने वाली पशु जो की हरी हरी घांस चर रही होती है,उसपर नजर गड़ी रहती है|जिन्हे किसान अपना अन्न बेचने के लिए अतिथि देवः भवः कहकर स्वागत भी यदि करता है तो अतिथि द्वारा अन्न जलपान करते समय थाली में अन्न चावल रोटी के बजाय बोटी की तलाश होती रहती है|जिसके चलते ही सायद ऐसे बोटीखोर अपडेट होकर आज भी देश के कोने कोने में विभिन्न रुपो में पशु मांस व्यापार करने के लिए मौजुद हैं|जिनकी जिवनशैली बोटी पहले और अन्न जल रोटी बाद में आता है|जो किसान का अन्न खरिदने नही बल्कि किसान का पशु मांस खरिदने आते हैं|जिस तरह के लोगो की बोटी पुर्ती के लिए ही तो आज यह कृषी प्रधान देश भारत अन्न से ज्यादे पशु मांस का व्यापार कर रहा है|बल्कि भारत जैसे ही कई दुसरे कृषि देशो से भी बोटीखोरो को पशु मांस उपलब्ध कराई जाती है|जिसके चलते आज भी कहा जाता है कि यह कृषी प्रधान देश अन्न उत्पादन के साथ साथ पशु मांश निर्यात के लिए भी न०1 है|क्योंकि यहाँ पर अन्न के साथ साथ पशु भी भारी मात्रा में उपलब्ध है|जहाँ पर कुछ घर के भेदी द्वारा अन्न को फैंक या फैंकवाकर भले बर्बाद कर दी जाति है,पर विदेशी धन की लालच में इस कृषी प्रधान देश के पशुओ की एक एक बोटी बेची जा रही है|जिन घर के भेदियो के लिए अन्न का व्यापार घाटे का सौदा है|और पशु मांस के साथ साथ नशे का सौदा भारी मुनाफे का सौदा है|जिसके चलते पशु हत्या करने का कत्लखाना खोलने के लिए भारी सब्सिडी दी जाती है|और साथ साथ शराब बेचने वालो को भी हजारो करोड़ का कर्ज माफी के साथ साथ विशेष प्रकार का संरक्षण भी दी जाती है|पर शराब और कबाब व्यापारियो के हजारो करोड़ के कर्ज की तुलना में एक एक किसानो की छोटी मोटी कर्ज माफी न करके उसे वसुलने के लिए भारी दबाव बनवाकर आत्महत्या करने के लिए छोड़ दी जाती है|क्योंकि इस कृषी प्रधान देश में अभी जिस तरह की किसान विरोधी शासन चल रही है,उसमे सरकार के लिए अपनी खास पसंदीता विकाश अन्न जल के बजाय शराब कबाब का ज्यादे उत्पादन होना खास महत्व रखता है|जिस सरकार की दिलचस्पी अपनी रोजमरा जिवन में ज्यादे प्रमुखता अन्न जल को देने वाले लोगो की इंतजाम पर नही बल्कि शराब कबाब को ज्यादे पसंद करने वाले लोगो की विशेष इंतजाम में है|जिनकी पसंद की चीजे उपलब्ध कराने के लिए विशेष तरह का छुट और माफी भी भारी मात्रा में दी जाती है|जिसके बदले में सरकार को सबसे अधिक लाभ के रुप में विदेशी धन प्रदान करने में सबसे जरुरी व्यापार बोटी का व्यापार करना ज्यादे जरुरी लगती है|वर्तमान के शासक अन्न बेचने और खिलाने से ज्यादा बोटी खिलाने और बेचने में दिलचस्पी ले रही हैं|सिर्फ कहने को तो कह देती है कि ये सरकार किसानो की है,पर चारो तरफ किसान आंदोलन देखकर प्रयोगिक रुप से पता चल जाता है कि ये सरकार पिंक क्रांती लाने वालो को सबसे अधिक खास ध्यान दे रही है|जो सरकार अन्न को सड़ाकर उसे बर्बाद करके पशु बोटी नोचवाने  के लिए विशेष ध्यान देती रहती हैं|जिसके चलते इस कृषी प्रधान देश में अन्न जल का भंडार होते हुए भी इस देश की भारी अबादी अन्न जल के लिए तरस रही है|पर फिर भी सरकार द्वारा उन्हे अबतक ठीक से अन्न जल प्रदान नही की जा रही है|बल्कि इस कृषी प्रधान देश के किसानो के द्वारा पैदा कराये गए अन्न को सड़ाकर बियर बनाने के लिए भी सड़ा अन्नाज को बेवड़ो को बेच दिया जा रहा है|बजाय इसके कि उसे सड़ने से पहले उसका भंडारन यदि सरकार के पास सही तरिके से मौजुद न हो तो उसे सालभर का अन्न एकबार ही भुख और कुपोषन से ग्रसित गरिब बीपीएल नागरिको को दे दी जाती|जिसे देने के बजाय देश का अन्न को भुख और कुपोषन से ग्रसित बच्चे बुढ़े और जवानो को न देकर उसे सड़ाकर बियर का व्यापारियो को बेच दी जाती है|अथवा इस कृषी प्रधान देश के अंदर करोड़ो लोगो को अन्न जल से भुखा रखकर देश से बाहर मांस का निर्यात करके भरपेट बोटी और शराब व्यापारियो को विदेशो में विशेष छूट बराबर दिया जा रहा है|मानो ये सरकार शराब कबाब का भुख कुपोषन को सबसे पहले दुर करना चाहती है|जिसके चलते अन्न का भुखा नागरिक के लिए अन्न जल का खाल इंतजाम न होकर शराब कबाब का खास इंतजाम कराई जा रही है|जिस तरह के बुरे हालात अथवा सबके अच्छे दिन आनेवाले हैं कहकर इस कृषी प्रधान देश में हरित क्रांती और पिंक क्रांती एक साथ मौजुद इसलिए है,क्योंकि हजारो सालो से कबिलई लुटेरो की जो संक्रमण इस कृषी प्रधान देश को मिला है,उसका बोटीखोर प्रभाव अभी भी शासको के उपर से खत्म नही हुआ है|जिसके चलते मुँह में पिंक क्रांती का विरोधी बतलाकर बगल में बोटी नोचने वाला पशु कत्लखाना छुरा को विशेष छुट दी जा रही है|बल्कि विशेष रुप से राम नाम जपने वालो की तो बोटी का व्यापार में मालिकाना योगदान होकर ये प्रमाणित हो रही है कि बोटीखोर किसी से भी अपना बोटी का विशेष इंतजाम करा सकते हैं|जिस तरह की इंतजाम से शराब कबाब को प्रमुख रुप से खास व्यापार बनाकर पिंक क्रांती कभी खत्म भी  नही होगी|जबतक की इस कृषी प्रधान देश में शराब कबाब का व्यापार में ज्यादे ध्यान देने के बजाय किसानो की खेती में प्रयोगिक रुप से ज्यादे ध्यान नही दिया जायेगा|क्योंकि यह कृषी प्रधान देश यदि किसी सागर की तरह अपने भितर हजारो सालो से बोटीखोर कबिलई लुटेरो को अपने भितर समाकर उनसे खुदको संक्रमित करके अपनी हरित क्रांती में पिंक क्रांती का मिलावट हो गई है तो निश्चित तौर पर अन्न रोटी में बोटी मिलकर ऐसा संगम हो गया है जिससे दोनो का अलग होना अब बहुत कठिन है|बल्कि जिस प्रकार चावल और बोटी से बना बिरयानी स्वाद का मिलना अब कभी इस देश से खत्म नही होगा उसी तरह हरित क्रांती और पिंक क्रांती का एक साथ होना खत्म नही होगा|जैसे की सागर से नमक का स्वाद मिलना कभी खत्म नही होगा|क्योंकि इस कृषी प्रधान देश में हरित क्रांती के साथ साथ पिंक क्रांती का भी आना स्वभाविक होते जा रहा है|जिसके चलते पशु और हरियाली जो एक दुसरे की विकाश करने के लिए सबसे अधिक एक दुसरे पर निर्भर रहते है,उसपर अब कबिलई लुटेरो का संक्रमण के बाद फसल और पशु दोनो की ही कटाई जमकर हो रही है|कृषी प्रधान देश में फसल की कटाई तो स्वभाविक है,पर खेती में मदत करने वाली पशु की भी कटाई वह भी भारी मात्रा में सब्सिडी देकर डीजिटल रुप धारन करके मशिनो के जरिये और अधिक मात्रा में होना कोई छोटी बात नही है|क्योंकि इस कृषी प्रधान देश में मुल रुप से मेहमान नवाजी के समय ही या फिर कभी कभार ही मांस मछली खाने का परंपरा है|रोजमरा जिवन में अन्न जल रोटी रोज खाई जाती है|बोटी कभी कभार ही खाई जाती है|वह भी ज्यादेतर घर से बाहर ही होटलो पार्टियो वगैरा में खाई जाती है|जिसके चलते ही सायद मेरे ख्याल से यह सागर देश अखंड हिन्दुस्तान पुरे विश्व में सबसे अधिक बोटी का निर्यात बाहर ही करता है|इसके बाद पशु मांस निर्यात में ब्राजील का सायद दुसरा स्थान है|जिस अखंड अमेरिका में भी प्राचिन माया सभ्यता मौजुद रहा है|जिसे पुरी दुनियाँ जानती है कि माया सभ्यता भी सबसे आधुनिक सभ्यता संस्कृती रही है|जैसे की अखंड हिन्दुस्तान की सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती रही है|जिस तरह की कृषी सभ्यता जहाँ जहाँ भी विकसित हुई है,वहाँ पर एक बात समान्य है कि उन सभी जगह कोई न कोई बड़ी नदी बहती है|जिसके किनारे ही कृषी सभ्यता संस्कृती विकसित हुई है|जैसे कि सिंधु नदी के किनारे अखंड हिन्दुस्तान की सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई है|और अखंड अमेरिका की माया सभ्यता के अलावे चीन की सभ्यता,बेबिलोन की सभ्यता,फारस की सभ्यता वगैरा वगैरा ये सभी किसी बड़ी नदी के किनारे ही विकसित हुई है|जो सारी सभ्यतायें बहुत प्राचिनकाल में ही विकसित की जा चुकि है|जहाँ के लोग सबसे अधिक अन्न को ही अपने रोजमरा जिवन में शामिल करते हैं|जहाँ पर कबिलई लुटेरो के द्वारा समय समय पर लगातार लुट पाट की वजह से वहाँ पर भारी क्षती हुई है|जिसकी प्राचिन इतिहास और अवशेष के बारे में जानकर यह पता की जा सकती है कि वहाँ पर बाहरी कबिलई हमलावरो की वजह से ही वहाँ की मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान किस तरह से हुआ है|क्योंकि कबिलई लुटेरो की लुटपाट संस्कार जो कि सायद खुदको शिकारी जिवन से पुरी तरह से बाहर न निकालकर उसे समय समय पर अपडेट करके कबिलई लुटपाट के रुप में आगे बड़ाकर फंदा लगाउ संस्कार से कृषी प्रधान देशो को संक्रमण दिया जाता रहा है|जिसके चलते ही तो गुलामी फंदा लगाकर कई ऐसे प्राकृत समृद्ध देश जहाँ के लोगो ने कभी भी किसी देश को नही लुटा और न गुलाम बनाया है,उन्हे लुटकर और गुलाम भी बनाकर कबिलई लुटेरो ने सबसे बड़ा ऐतिहासिक पाप किया है|क्योंकि जो लोग हजारो साल पहले ही कृषी सभ्यता संस्कृति को स्थापित करके स्थिर सागर की तरह विकसित गणतंत्र व्यवस्था अपनाकर अन्न जल प्राकृत की पुजा तक करके सुख शांती और संमृद्धी जिवन जिते रहे हैं,उन लोगो की सुख शांती जिवन में गरिबी भुखमरी देकर मानो अन्न जल रोटी के जगह कबिलई लुटेरो ने जबरजस्ती बोटी ठुसकर शराब शबाब और कबाब नशा का फैक्ट्री लगाकर विनाशकारी कुकर्म किया है|क्योंकि सोने की चिड़ियाँ की बर्बादी बाहरी कबिलई लुटेरो द्वारा ही समय समय पर हुआ है|जैसे की कबिलई गोरे और कबिलई सिकंदर ने विश्व के कई देशो को अपने लुटपाट से मानवता और पर्यावरण को बहुत भारी नुकसान किया है|जिसका जख्म अब भी इस कृषी प्रधान देश में मौजुद है|जो कि कबिलई लुटेरो के द्वारा इस देश में प्रवेश करने से पहले मौजुद नही था|जिसका भरना अभी भाकि है|बल्कि बहुत से कबिलई लुटेरो द्वारा जो बाहर से भ्रष्ट संक्रमण दी गई है,उसका फैलना भी अबतक नही रुका है|क्योंकि कबिलई लुटपाट नया अपडेट के रुप में कई अलग अलग रुप में अब भी देश को अधुरी अजादी का एहशास कराता रहता है|जिसकी वजह से पुरी अजादी मिलना अभी बाकि है|जिस देश में लुटपाट की वजह से गरिबी भुखमरी बुरे हालात जबतक आती रहेगी तबतक बोटीखोर कबिलई संक्रमण भी होती रहेगी|क्योंकि गरिबी भुखमरी का फंदा लगाकर ही सबसे अधिक शराब कबाब का संक्रमण असानी से दी जाती है|जिस तरह का फंदा लगाउ गुलाम बनाने की प्राचिन लुटपाट सभ्यता संस्कृती कृषी प्रधान देशो की नही बल्कि मूल रुप से उनकी रही है जिनके जिवन में आज भी अन्न जल रोटी से ज्यादा जरुरी बोटी को माना जाता है|जिसका संक्रमण पुरे विश्व में घुम घुमकर बहुत पहले ही दी जाती रही है|जिस संक्रमण की वजह से गुलामी जख्म का भरना अब भी बाकी है|जाहिर है जिसदिन पुरी अजादी मिल गई उस दिन यह प्राकृत खनिज संपदा से समृद्ध कृषी प्रधान देश में सुख शांती और समृद्धी की वापसी स्वभाविक रुप से अन्न जल रोटी सबके जिवन में भरपुर मात्रा में उपलब्ध कराकर आ जायेगी|जो कि फिलहाल तो हजारो साल पहले ही जो देश विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ के रुप में पहचाना जाता रहा है,उस देश में आज दुनियाँ का सबसे अमिर लोग और सबसे महंगा घर भी भले मौजुद हो, पर दुनियाँ के सबसे गरिब देशो की लिस्ट में भी यह देश आज इसलिए मौजुद है,क्योंकि बाहर से जो कबिलई बोटीखोर संक्रमण दिया गया है,उसका असर अब भी मौजुद है|खासकर गरिबी भुखमरी फंदा लगाकर दुसरो की हक अधिकारो को छिनकर भोग विलाश करते हुए खुदकी सेवा कराने की जो हजारो साल पहले प्राचिन रोमराज में चलता था उसका प्रभाव अबतक भी इस हिन्दुस्तान में मौजुद है|जहाँ पर अन्न जल और खनिज संपदा की  इतनी समृद्धी होते हुए भी वर्तमान में इतनी अबादी गरिबी रेखा से भी निचे अथवा बीपीएल जिवन जिनेवको मजबूर है,जितनी की गोरो से अजादी मिलते समय पुरे देश की अबादी थी|जितनी तादार में गरिबी भुखमरी का होना वह भी इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में,इसका मतलब साफ है कि अब भी इस देश को पुरी अजादी नही मिली है उन बाहरी लुटेरी भ्रष्ट ताकतो से जो कि इस देश और इस देश के मुलवासियो को किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह खुन पिने के जैसा सुख शांती और समृद्धी को चुसते रहे हैं|जिनसे पुरी तरह से अजादी मिलना अभी बाकी है|कबिलई गोरो से अजादी तो सिर्फ झांकी है|क्योंकि पुरा विश्व जानता है कि अखंड हिन्दुस्तान में सिर्फ गोरे लुटपाट करने के लिए नही आये थे!बल्कि गोरो से भी पहले कई लुटेरी कबिलई टोली अखंड हिन्दुस्तान को लुटने और सुख शांती व समृद्धी चुसने के लिए प्रवेश करती रही है|जिसके बारे में इससे पहले मैने शैतान सिकंदर का लुटेरी टोली के बारे में बतला दिया है|जिस तरह की लुटेरी टोली जो लुटा और गुलाम दास बनाया वही महान सिकंदर कहकर आज भी विभिन्न अपडेट के साथ इस देश में मच्छड़ खटमल और जू की तरह खून न सही पर सुख शांती और समृद्धी चुसने के लिए और शैतान सिकंदर की भटकती आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए जरुर घुम रही है|जिसके चलते यह देश सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी गरिबी भुखमरी से संघर्ष कर रहा है|इसलिए यह पोस्ट पढ़कर जिस पाठक को भी मेरा ये ज्ञान बांटने के बावजुद भी समझ में नही आया है कि शराब शबाब और कबाब का नशा से दुरी क्यों बड़ाना चाहिए,वे लोग जब भी इस कृषी प्रधान देश में अपने आस पास गरिबी भुखमरी देखे तो उन्हे देखते समय मन में ये बात जरुर सोचे की जिन्हे वे गरिबी भुखमरी में जिते हुए देख रहे हैं, वे लोग इस सोने की चिड़ियाँ का जनता मालिक होते हुए भी आखिर गरिबी भुखमरी से संघर्ष आज भी क्यों कर रहे हैं?जिस सवाल का जवाब और भी अधिक विस्तार से जानने के लिए मेरा बाकि भी पोस्ट अपना किमती समय निकाल निकालकर जरुर पढ़ी जाय|खासकर उन लोगो के द्वारा जिनको सोने की चिड़िया और विश्वगुरु पहचान के बारे में बहुत कुछ जानकारी इकठा करना है |जिसके लिए भी तो मैं इस ब्लॉगर साईट को बनाकर इस तरह की जानकारी और विचार बांट रहा हुँ|जिस जानकारी और विचार अथवा मेरे ब्लॉगर साईट में मौजुद सारे पोस्ट को पढ़ने के बजाय यदि सिर्फ जो जीता वही सिकंदर झुठ को सत्य मानकर लुट पाट की ज्ञान ली जाती रही तो फिर तो निश्चित तौर पर बहुत से ज्ञान वरदान पाये हुए लोग ज्ञान वरदान का उपयोग किसी भस्मासुर की तरह आगे भी करते रहेंगे|और अपना आदर्श शैतान सिकंदर को मानकर लुटपाट का ज्ञान ले लेकर शैतान सिकंदर जैसा महान बनते रहेंगे|जिस तरह का महान बनना जो लोग पसंद न करके भला इंसान बनना पसंद करते हैं,उन्हे मैं असल जिन्दगी में महान मानता हूँ|जो अति गरिब भी हो सकते हैं,और अति अमिर भी हो सकते हैं|बल्कि बहुत से शासक भी भला इंसान बनने के लिए राजा हरिश्चंद्र बनने के लिए भी तैयार हो जाते हैं|हलांकि ऐसे शासको का अभी मिलना विरले माना जाता है|क्योंकि वैसे भी वर्तमान में जनता मालिक कहकर वोट लेकर भारी बहुमत की सरकार बनाकर भी जनता मालिक की सेवा उन्हे गरिबी भुखमरी देकर और अपने लिए खुदको सेवक नौकर कहकर किमती गाड़ी बंगला नौकर चाकर और विशेष जेड सुरक्षा का इंतजाम करके प्रजा सेवा कम और अपनी सेवा ज्यादे कराई जा रही है|जिसके चलते ऐसा पल कभी कभार ही देखने को मिलता है जब कोई शासक अपने वचन पुरा करने के लिए खुदको गरिबी भुखमरी में झौंक देता है|जिस तरह का शासक मैं अबतक तो कम से कम गोरो से मिली अजादी से लेकर अबतक एक भी शासक को गरिबी भुखमरी से मरते हुए नही सुना देखा और पढ़ा है|बल्कि जब भी किसी गरिब को इस प्राकृत समृद्ध कृषी प्रधान देश ही नही बल्कि कोई भी ऐसा देश जहाँ पर प्राकृत खनिज संपदा और धन संपदा रहते हुए भी वहाँ के मुलवासियो के परिवारो में गरिबी भुखमरी  मौजद है,उन्हे मैं गरिब नागरिक के रुप में भी भितर मन से राजा हरिश्चंद्र से कम नही गवाया हुआ पाता हुँ|जो कि अपना बहुत कुछ लुटाने वाले जड़ से ऐतिहासिक जड़ से समृद्ध पर अपना बहुत कुछ खोकर गरिब जनता मालिक लोग हैं|जिनकी अमिरी को बाहरी लुटेरो के द्वारा किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह चुसकर अमिर से गरिब बनाया गया है|जिसकी रोजमरा जिवन में धनवान देश का नागरिक होते हुए भी गरिबी भुखमरी का जकड़न उनके जिवन में बड़ता ही चला जा रहा है|बहुत से नागरिक तो अपने सत्य वचन को कायम रखने के लिए गरिबी भुखमरी से जुझ रहे होते हैं|जिस सत्य वचन को पुरा करने के लिए अपने आप को इस तरह से भारी नुकसान कराने के बजाय मेरे विचार से सत्य वचन निभाने को लेकर अब नया अपडेट ये होनी चाहिए कि यदि वचन झुठे लोगो को दी गई है,और अतिथि देवः भवः स्वागत लुटेरो का हुआ है,तो वचन तोड़कर लुटेरे अतिथियो को बोटी प्रदान करने के बजाय उन्हे अन्न जल रोटी कृषी प्रधान रास्ता दिखाना और सिखाना चाहिए|जैसे की जब गोरो को अतिथि देवः भवः स्वागत करके उन्हे ईस्ट इंडिया कंपनी लगाने के लिए जगह देकर उनकी सुरक्षा का भी वचन दिया गया था और बाद में जब गोरो द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी लगाने की जगह लुट इंडिया कंपनी के रुप में भेड़ के खाल में देश गुलाम किया गया,जिससे कि ऐसा शिकारी भेड़िया गिदड़ और शेर राजा जंगल राज कायम हुआ था,जिसमे राजा अपने प्रजा को अपने खुनी पंजो में दबोजकर खुंखार जबड़ो के जरिये उसकी रक्षा पेट में ले जाकर करता है|जिस जंगल का शिकारी राज को अपना आदर्श मानकर देश गुलाम करके गोरो का शिकारी रुप जब दिख गया तो बाद में उन्हे कृषी सभ्यता संस्कृती का ज्ञान प्रदान करने के साथ साथ उन्हे अपने देश में जाकर वहाँ पर अपने घुमकड़ मन को शांत करके स्थिर सुख शांती जिवन जिने के लिए सत्य बुद्धी दिया गया था|और इस कृषी प्रधान देश में गोरो से अजादी पाकर गणतंत्र राज फिर से कायम करने के लिए गोरो की सुरक्षा करने की वचन तोड़कर उनसे लड़ाई करते हुए अजादी पाने का संघर्ष सुरु हो गया था|जिस तरह की अजादी संघर्ष फैशला वचन तोड़कर तब लेनी चाहिए जब किसी झुठे और परजिवी जैसे व्यक्ती को वचन दी गई होती है,या फिर उसका अतिथि देवो भवः कहकर स्वागत हो रहा होता है|जो न होकर ऐसे व्यक्तीयो को अपने मन के अंदर बिठाकर रखने के बजाय वचन तोड़कर उन्हे बाहर कर देना चाहिए!जो अपडेट खास सिर्फ मेरा नही बल्कि उन अनगिनत लोगो के लिए भी आदर्श हो सकता है,जो कि झुठे और लुटेरे मन के लोगो को दिया गया सत्य वचन तोड़ने में ज्यादे विश्वाश करते हैं|और उन्हे अपने मन से बाहर निकालने में भी यकिन रखते हैं|हाँ इसके लिए एक बात का ख्याल हमेशा जरुर रखना चाहिए की सत्य को तौलकर ही उसे सत्य माना जाता है|जिस बात की जानकारी अच्छी तरह से जरुर जान लेनी चाहिए|जैसे की मैने शराब शबाब और कबाब का नशा से होने वाली हानी और शराब शबाब और कबाब से होने वाले लाभ के बारे में सत्य को तौलकर देखा तो मुझे सत्य झुठ का पलड़ा में ज्यादे झुकाव शराब शबाब और कबाब का नशा से हानि होता है यह सत्य ही सत्य झुठ को तौलकर सामने आया है|इसलिए एकबार फिर से मैं यही दोहराना चाहूँगा कि शराब शबाब और कबाब का नशा से हमेशा दुर ही रहना चाहिए|तभी जाकर मानवता और पर्यावरण में भी संतुलन बनाये रखने में सबसे अधिक मदत भी मिलेगी|नही तो फिर हरी हरी हरित क्रांती के साथ साथ गुलाबी गुलाबी पशु बोटी की पिंक क्रांती भी इसी तरह आगे भी आती रहेगी|जिसका आना मानो फल जुश में बोटी का खुन मिलाकर पिना और साग के साथ बोटी भुनकर खाना है|जिस तरह का खानपान विकाश कृषी प्रधान देश में जबतक होता रहेगा तबतक गरिबी भुखमरी मानो जान बुझकर दी जाती रहेगी|ताकि बोटीखोर कबिलई जिवन में ज्यादे से ज्यादे बोटीखोर रिस्तो में बड़ौतरी हो सके|क्योंकि भुखे को जिंदा रहने के लिए या तो अन्न रोटी चाहिए या फिर रोटी के साथ ज्यादे बोटी चाहिए|और यदि गरिबी भुखमरी की वजह से अन्न रोटी नही मिलेगा या नही खरिद पायेगा तो वह खुदको जिवित रखने के लिए अपने रोजमरा जिवन में प्रमुखता से बोटी को अपनाकर बोटीखोर बनने में भी संकोच नही करेगा|और वैसे भी हम सब ये बात भी अच्छी तरह से जानते हैं कि इंसान खुदको जिवित रखने के लिए कभी कभी आदमखोर भी बन जाता है|तो फिर बोटीखोर बनना उसके लिए समान्य बात है|हाँ मेरे जैसे इंसानो के लिए पृथ्वी में जबतक कृषी सभ्यता संस्कृती कायम रहेगी,और चारो तरफ अन्न जल फल फुल कंद मुल साग सब्जी वगैरा की पैदावर होती रहेगी,जिसकी बाजार और दुकान भी लगती रहेगी,तबतक बोटीखोरो की कोई भी ताकत मुझे मेरी मर्जी से बोटीखोर नही बना सकता|सिवाय कोई सिर्फ मुझे जबरजस्ती बोटीखोर बना सकता है|जैसे कि कोई जबरजस्ती किसी की इज्जत लुट सकता है|कोई किसी की मर्जी से बलात्कार नही कर सकता|और जाहिर है मेरे जैसे इंसान के लिए इस कृषी प्रधान देश में हरित क्रांती के साथ जबरजस्ती पिंक क्रांती लाना सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान की मान सम्मान को बाहरी कबिलई लुटेरो के द्वारा जबरजस्ती संक्रमण देकर जबरजस्ती लुटने से कम नही है|क्योंकि यदि बाहरी कबिलई लुटेरो का इस देश में प्रवेश करके गरिबी भुखमरी और गुलामी नही दी जाती तो फिर इस कृषी प्रधान देश में हरित क्रांती के बाद पिंक क्रांती कभी नही आती|जो ऐसी कड़वी सच्चाई है,जिसे पिने से कबिलई लुटेरो और उनके प्रशंसको को शर्म और लज्जा आती है|इसलिए उनके द्वारा इस सत्य को झुठ बतलाकर यह साबित करने की कोशिष होती रहती है कि इस कृषी प्रधान देश में सुरु से ही हरित क्रांती और पिंक क्रांती एक साथ अपडेट होती आ रही है|जिस बात को सत्य बतलाने वालो को मैं ये जरुर बतलाना चाहुँगा कि पिंक क्रांती अगर वे वैदिक काल के समय में पशु हत्या और पशु लुट चोरी और फिर बोटीखोरी की सुरुवात के बारे में जानकर पिंक क्रांती पहले से ही रहने की मुल प्रमाणित कारन मानते हैं,तो वे पहले वैदिक काल में जिन लोगो ने पशु लुट चोरी और बोटीखोरी की सुरुवात की है, या वे सुरु से ही मुलता बोटीखोर ही रहे हैं,उनकी डीएनए की जाँच मदर और फादर इंडिया डीएनए से कराकर पता कर ले उन्हे असली सच्चाई पता चल जायेगा कि इस कृषी प्रधान देश में पिंक क्रांती की सुरुवात करने वाले लोग इस देश के मुलवासी हैं कि उन्ही विदेशी कबिलई लुटेरो की डीएनए से उनका डीएनए मिलता है,जिनके पुर्वज कभी पशु लुटपाट के साथ साथ दुसरो की धन संपदा और सत्ता में कब्जा करके मुलता परजिवी जिवन जिते रहे हैं|जिनके डीएनए की बहुत सी नई पिड़ी आज भी खुदको मुलता शिकारी सोच से बाहर नही निकाल पाये हैं|जिसके चलते आज भी उनके द्वारा इस कृषी प्रधान देश के मुलवासियो को गरिबी भुखमरी देकर अपने जैसा बोटीखोर बनाना जारी है|जिससे इस देश के मुलवासी सतर्क रहे अन्यथा उन्हे अपना कबिलई संक्रमण देकर माया सभ्यता के रेड इंडियनो की तरह उनका विनाश करके अपनी दबदबा कायम करने की फंदा लगाई जा रही है|इस कृषी प्रधान देश में पिंक क्रांती लाकर बोटी व्यापार को ज्यादे से ज्यादे छुट और बड़ावा देकर इस देश के कृषी जिवन में गरिबी भुखमरी लाकर इस देश के किसानो को बोटीखोर बनाकर माया सभ्यता संस्कृती की तरह इस देश की कृषी सभ्यता संस्कृती का भी विनाश करने का फंदा लगाया जा रहा है|हलांकि जिस तरह नदी नाला किसी सागर में समाकर सागर को नही पिते हैं बल्कि सागर ही उसे अपने भितर निगल लेता है,उसी प्रकार यह विशाल सागर देश न जाने अबतक कितने ही कबिलई लुटेरो की टोली को निगल लिया है और कितने आगे भी निगले जाते रहेंगे|जिनको सिर्फ ये गलतफेमी हमेशा होती रहेगी कि वे धिरे धिरे अखंड हिन्दुस्तान की कृषी सभ्यता संस्कृती को निगल रहे हैं|क्योंकि इस अखंड हिन्दुस्तान की सभ्यता संस्कृती को निगलना किसी नदी नाला द्वारा सागर को निगलना है|जो सिर्फ कल्पना में हो सकता है प्राकृत हकिकत में नही|सत्य तो यही है कि यदि शैतान सिकंदर और गोरे भी यदि इस देश से बाहर नही जाते तो वे आज इस कृषी प्रधान देश की सभ्यता संस्कृती से घुल मिलकर मानो सागर देश में निगले जाते|

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