Corona virus terror has also entered India कोरोना वायरस का आतंक भारत में भी प्रवेश कर चुका है



Corona virus terror has also entered India
कोरोना वायरस का आतंक भारत में भी प्रवेश कर चुका हैkorona vaayaras ka aatank bhaarat mein bhee pravesh kar chuka hai
khoj123

कोरोना वायरस आतंक के बारे में कहीं पर न्यूज देख सुन पढ़ रहा था की रुसी मीडिया की तरफ से यह बतलाया जा रहा है कि कोरोना वायरस पश्चिमी देशो द्वारा फैलाया जा रहा है | जिस रुसी मीडिया में अमेरिका के बारे में खास चर्चा हो रहा है कि उसके द्वारा ही कोरोना वायरस फैलाया जा रहा है | जिस तरह की खबर देख सुन और पढ़कर कोई भी समझ सकता है कि यदि कोरोना वायरस फैलाया जा रहा है तो निश्चित रुप से प्राकृति किसी का आदेश लेकर चुन चुनकर किसी के दुश्मन को अपना शिकार नही बना रही है , बल्कि कोरोना वायरस बनाने वालो द्वारा अपने मन मुताबिक क्षेत्र चुनकर फैलाया जा रहा है | जो बात यदि सत्य हुआ तो यह भी सत्य है कि ये कोरोना वायरस बनाकर मौत देने वाले इंसान के रुप में शैतानो की गैंग सक्रिय हैं | जो अपने ज्ञान का गलत उपयोग करके भस्मासुर बनकर दुसरो की हत्या करते करते एकदिन खुद भी किसी के द्वारा हत्या किये जायेंगे या फिर प्राकृति को बदनाम करने वाले ऐसे शैतानो को खुद प्राकृति ऐसी मौत देगी कि उनकी आनेवाली नई पिड़ी भी वैसी मौत मरना कभी भी पसंद नही करेगी | हलांकि उनके परिवार के सदस्य और खुद कोरोना वायरस बनाने वाला शैतान भी कोरोना वायरस का शिकार होना पसंद नही करेगा | जिस कोरोना वायरस का आतंक फैलाने वालो के पाप कुकर्म में मुझे नही लगता शैतानो के परिवार भी सम्मिलित होंगे | बल्कि शैतान अपने परिवार से छिपाकर इस तरह की कुकर्म को अंजाम दे रहा होगा | या फिर हो सकता है उसका परिवार ही न हो | खैर जो भी हो पर कोरोना वायरस यदि सचमुच में फैलाया जा रहा है तो फैलाने वाले शैतानो को भगवान जल्दी से सजा दे और इस कोरोना वायरस के आतंक से छुटकारा मिले पुरी दुनियाँ को | जिस आतंक को फैलाने वाली गैंग छिपकर निर्दोश लोगो के पिठ पिच्छे वार कर रहा है | जो मांसिक तौर पर कमजोर गैंग है , जिसको खोजने में पुरी दुनियाँ एकजुट होकर विचार करें | जिस गैंग की बुद्धी भ्रष्ट है , जिसके चलते उसे समझ में नही आ रहा है कि कोरोना वायरस आतंकवाद फैलाने से जो निर्दोश लोगो की मौते हो रही है , उससे इंसानियत और पर्यावरण का विकाश नही बल्कि शैतान सोच का विकाश होता है | और विकसित सोच अपनी नई पिड़ी को शैतान कभी नही बनाना चाहेगा | बल्कि शैतान ही अपनी नई पिड़ी को शैतान बनाना चाहेगा | जिसे अपनी शैतान सोच को विरासत के रुप में अपनी शैतान पिड़ी को देकर मरना चाहेगा | क्योंकि शैतान सोच वाला इंसान भी अमर नही है कि वह हमेशा के लिए जिवित रहे | जो सौ साल भी जिवित नही रहेगा | बल्कि प्राकृति उससे भी एकदिन प्राण वायु छिन लेगी और उसकी भी मृत्यु हो जायेगी | शैतान यदि बुढ़ा होगा तो जल्दी प्राकृति मौत मरेगा और जवान होगा तो देरी से बुढ़ा होकर मरेगा | मरेगा तो वह भी जो सौ प्रतिसत सत्य है | जो शैतान अमेरिका है कहकर अमेरिका को बदनाम नही किया जाय | क्योंकि अमेरिका में भी कोरोना वायरस का आतंक है | जहाँ पर भी कोरोना वायरस से मौते हुई है | बल्कि पुरी दुनियाँ में कोरोना वायरस से मौत की खबरे आ रही है | हाँ चीन में सबसे अधिक मौते हुई है | और यदि मान भी लेते हैं कि कोरोना वायरस का आतंक अमेरिका में ही सवार होकर वाकई में फैलाया जा रहा है तो भी उसे अमेरिका की पहचान से जोड़ना सही नही होगा | क्योंकि प्राचिन माया सभ्यता संस्कृति की खास पहचान से पहचाने जाने वाला अमेरिका में माया सभ्यता का विनाश करने और गोरा काला भेदभाव करने के लिए जिस तरह बाहरी कबिलई द्वारा प्रवेश किया गया है , उसी तरह कोरोना वायरस का आतंक फैलाने वाले कबिलई भी अमेरिका में बाहर से ही प्रवेश किया होगा | जिस कोरोना वायरस से अमेरिका की खास पहचान से जोड़ना वैसा ही है जैसे कि हिन्दू धर्म की पहचान से यूरेशिया से आये मनुवादीयों को जोड़ना और कह देना कि हिन्दुस्तान ही छुवा छुत ढोंग पाखंड वायरस का उत्पादन करता है | जो छुवा छुत यदि दुसरे देशो में फैलता है तो यह कहना सही नही होगा कि हिन्दुस्तान द्वारा छुवा छुत फैलाया जा रहा है | बल्कि यह कहना सही होगा की हिन्दुस्तान में बाहर से प्रवेश करने वाले मनुवादी द्वारा छुवा छुत वायरस मनुस्मृति द्वारा पैदा करके फैलाया जा रहा है | क्योंकि मुल हिन्दू न तो छुवा छुत करता है , और न ही छुवा छुत करने वाले देवता मुल हिन्दूओं के मुल पुर्वज हैं | बल्कि देवता तो मनुवादीयों के पुर्वज हैं | जिनके बारे में वेद पुराण को यदि मनुवादीयों द्वारा मिलावट की गयी ढोंग पाखंड अप्रकृति मान्यताओं को हटाकर प्रमाणित सही जानकारी इकठा किया जाय तो ये देवता दरसल मनुवादीयों के वही कबिलई पुर्वज हैं , जिनका प्रवेश इस देश में होकर इस देश के मुलनिवासीयों को दास दासी बनाकर मनुवादीयों ने खुदकी पुजा कराना सुरु किया गया है | जिन देवताओ की मौत होने के बाद उनके नाम की मुर्ति और तस्वीर बनाकर उसकी स्थापना मंदिरो में करके उसकी पुजा को हिन्दू पुजा प्रचार प्रसार किया गया है | ताकि हिन्दू धर्म से इनकी पुजा को जोड़कर हिन्दू धर्म से मिलने वाली सारी लाभ को बटोरा जा सके | जबकि ये हिन्दू ही नही हैं तो इनकी पुजा हिन्दू भगवान मानकर करना जानकारी के अभाव की वजह से किया जा रहा है | जो दरसल मनुवादीयों की गुलामी की वजह से जानकारी का अभाव होना आज भी जारी है | जबकि हिन्दू भगवान पुजा साक्षात प्राकृति की पुजा है यह प्रयोगिक जानकारी हिन्दू द्वारा मनाई जानेवाली प्राकृति पर्व त्योहार परंपरा में साफ नजर आता है | जिस प्राकृति की पुजा हिन्दू करते हुए बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार मनाते हुए मिल जुलकर खुशियों का मेला लगाकर नाचते गाते हैं | न कि ये खुशियों का मेला उन देवता मंदिरो की वजह से लगती है जहाँ पर प्रवेश आज भी कई जगह मुलनिवासीयों को मना है | क्योंकि देवता भी छुवा छुत करते थे | जो देवता आज एक भी विचरन करते नही दिखते हैं , क्योंकि वे भी अमर नही थे जिसके चलते सभी  मर चुके हैं | जिनके नाम की मूर्ति और तस्वीर लगाकर पुजा होती है , न की देवता जिवित रुप में मंदिरो में मौजुद हैं | जिन देवताओं की मूर्ति पुजा को अनजाने में भगवान पुजा समझकर यदि कोई मुलनिवासी देवता मंदिर में प्रवेश करना चाहता है तो आज भी उन्हे कई मंदिरो में देवताओं की मूर्ति पुजा करने नही दिया जाता हैं | जिन देवता मंदिरो के बाहर लिखा रहता है कि शुद्र अछुतो का प्रवेश वर्जित है | अथवा देवता के वंसज कथित उच्च जाति के लोग ही देवता मंदिरो में प्रवेश कर सकते हैं | बल्कि देवता मंदिरो में तो कथित उच्च जाति के लोगो को ही पुजारी बनने का जन्म से आरक्षित किया गया है | मनुस्मृति पुरी तरह से लागु के समय तो शुद्र निच अच्छुत घोषित किये हुए इस देश के मुलनिवासियों को वेद ज्ञान लेना भी मना था | जिनके द्वारा वेद का उच्चारण करने पर जीभ काट दी जाती थी और वेद सुनने पर कान में गर्म पीघला लोहा डाल दी जाती थी | बल्कि रामराज में तो राम द्वारा शंभुक की हत्या तक कर दिया गया था | क्योंकि शंभुक ने वेद ज्ञान हासिल कर लिया था | क्योंकि रामराज में ये नियम कानून लागु था कि कोई शुद्र वेद ज्ञान नही ले सकता | सिर्फ उच्च जाति कहलाने वाले ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य को ही वेद ज्ञान लेने की इजाजत थी | जिस तरह का क्रुर संविधान रचना करने वाले तो अपना धर्म परिवर्तन करके भी मुल हिन्दू कभी नही बन सकते हैं | और न ही इस तरह के संविधान रचना करके शासन करने वाले भी खुदको भगवान बताकर भी अपने मन मुताबिक खुद सुखी रह सकते हैं | जैसे की रामराज में भी न तो राजा राम सुखी जिवन गुजार सका और न ही उसकी पत्नी सीता और बच्चे लव कुश उसके साथ कभी हसी खुशी रह सके | प्रजा शंभुक के साथ तो क्या गुजरी होगी यह बात वह तमाम शोषित पिड़ित अच्छी तरह से सोच समझ सकता है जिनके पुर्वज या खुद उसके साथ भी भेदभाव शोषण अत्याचार कभी न कभी हुआ है | वैसे रामराज में भेदभाव का शिकार शंभुक इस देश के मुलनिवासियों के पुर्वज ही तो थे | जिसकी हत्या राम द्वारा होने के बाद भगवान ने राम को भी नही छोड़ा और राम अपने ही रामराज में इतना दुःखी हुए की जीते जी सरयू नदी में डुब गए | सीता भी रामराज में इतनी दुःखी हुई की जीते जी धरती में समा गयी | जिस संकट से सबका संकट मोचन कहलाने वाला हनुमान भी बाहर नही निकाल सके तो क्या वे शंभुक प्रजा को संकट से बाहर निकालते जो अपने सबसे आदर्श और पुज्यनीय राम सीता को भी संकट से बाहर नही निकाल सके | इसलिए जाहिर है हनुमान के नाम का संकट मोचन संगीत कहीं से सुनने को मिले या पढ़ने को मिले तो हमेशा राम सीता और रामराज का संकट को याद करके अपनी संकट दुर करने के लिए उस भगवान को याद करना चाहिए जो इनकी संकट भी दुर कर सकता है और इन्हे भी संकट दे सकता है | जो भगवान प्राकृति में ही मौजुद है न की किसी दुसरी दुनियाँ में मौजुद है | जिस भगवान की पुजा हिन्दू धर्म में होता है | न की छुवा छुत करने वाला देवता पुजा हिन्दू पुजा है  | क्योंकि हिन्दू धर्म छुवा छुत को नही मानता और न ही यह मानता कि भगवान किसी दुसरी दुनियाँ में रहते हैं | जिस हिन्दू धर्म का नकाब लगाकर मनुवादी छुवा छुत करते हैं | और वैसे भी डीएनए द्वारा भी प्रमाणित हो चुका है ये यहूदि डीएनए के मनुवादी उस यूरेशिया से आए हैं , जहाँ होली दिवाली मकर संक्राति जैसे  हिन्दू पर्व त्योहार नही मनाये जाते हैं | और  न ही हिन्दू वेद पुराण में यूरेशिया के बारे में वैसी जानकारी मौजुद है , जैसे की इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति और इस देश के भुगोल के बारे में है | क्योंकि वेद पुराणो को इस देश के मिट्टी से जुड़े मुलनिवासीयों ने रचे हैं | बस उन वेद पुराणो में कबिलई मनुवादियों ने अपने लाभ के लिए बाद में मिलावट और छेड़छाड़ किया है | जैसे की कबिलई गोरो ने इतिहास में छेड़छाड़ किया है | और आज संविधान में भी मिलावट की जा रही है | पर चूँकि सत्य आखिर सत्य होता है , जो प्रमाणित होता है , न कि ढोंग पाखंड अप्रमाणित और अप्रकृति होता है | और डीएनए प्रमाणित सत्य तो यही है कि मनुवादी हिन्दू नही है | बल्कि यहूदि डीएनए और मनुवादी डीएनए एक है | मुमकिन है यहूदि कबिला का जो बंटे हुए दो कबिला में एक कबिवा पूरब की ओर आकर लापता हो गया है , वह कबिला और कोई नही बल्कि मनुवादी कबिला है | क्योंकि यहूदि कबिला का जो दुसरा कबिला पूरब की ओर आया था उसे ब्लेकहोल नही निगला है कि अबतक भी उसका अता पता इस पृथ्वी में न मिले | बल्कि मनुवादी ही गुमसुदा दुसरा यहूदि कबिला है | तभी तो दोनो का डीएनए एक है | और यहूदि कबिला के बारे में यह भी मान्यता है की गुमनाम कबिला वर्तमान में मौजुद यहूदि कबिला से बड़ा था | और जैसा की हमे पता है कि मनुवादीयों की अबादी यहूदियों से ज्यादे है |

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