आर्य और अनार्य

आर्य और अनार्य 
आर्य और अनार्य , Khoj123 , छुवा छुत ,शोषण अत्याचार ,भारत ,अजादी , गुलामी



कहीं पर एक सवाल पढ़ रहा था , जिसमे यह पुच्छा गया है कि आर्य कौन थे ? हलांकि वर्तमान में भी थे नही बल्कि हैं कहकर मनुवादियो को आर्य कहा जाता है |हलांकि बौद्ध धर्म में आर्य सत्य के बारे में कुछ और ही बतलाया गया है | जिसके बारे में भी जानकर यह समझा जा सकता है कि आर्य का मतलब दरसल उत्तम अथवा श्रेष्ठ होता है | जो खुदको आर्य कहलवाने के लिए मनुवादियो ने मनुस्मृती की रचना करके और छुवा छुत करके कान में गर्म पीघला लोहा डालकर , जीभ काटकर गले में थुक हांडी और कमर में झाड़ु टांगकर , हजारो साल पहले इस आर्य देश में खुदको विशेष प्रकार का आर्य कहलवाया है | जबकि आज यदि मनुस्मृती लागु करके किसी देश में प्रजा सेवा मनुवादी अपनी आरती उतारकर छुवा छुत करते हुए कान में गर्म पीघला लोहा डालने , और जीभ काटने , गले में थुक हांडी टांगने , कमर में झाड़ु टांगने का सेवा करे तो मनुवादियो को पिड़ित शोषित प्रजा आम इंसान मानने के लिए भी तैयार नही होगी | वैसे भी मनुवादी खुदको आर्य कहलवाना जारी रखने के लिए आज भी खुदको उच्च और इस देश के मुलनिवासियो को निच कहकर छुवा छुत करता रहता है | जिसका प्रमाण कई मंदिरो के बाहर बोर्ड लगाये हुए देखकर मिल जाता है | जिस बोर्ड में लिखा रहता है कि शुद्र का प्रवेश मना है | जैसे कि कभी गोरे बोर्ड लगाते थे , जिसमे लिखते थे इंडियन और कुत्तो का प्रवेश मना है | क्योंकि गोरे भी खुदको बहुत बुद्धीमान और श्रेष्ठ समझते थे | जिनको कई देशो को गुलाम करते समय बहुत सत्य बुद्धी मिलती थी अजादी के लिए संघर्ष करने वालो के साथ गुलाम करने का न्याय करके | जिस तरह की आचरण को क्या आर्य अथवा श्रेष्ठ आचरण कहा जाय और पुरी दुनियाँ में इसका प्रचार प्रसार किया जाय कि छुवा छुत और गुलाम करने वाले संस्कार लेकर ही सबसे श्रेष्ठ अथवा आर्य बना जा सकता है |

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