In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira.
पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं।
pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
गर्मी के मौसम में उगने वाले ये केंद फल जीवन अमृत है और उसी फल का केंदू पत्ता का इस्तेमाल करके हर साल मौत का बरसात लाई जा रही है
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तंबाकू धुम्रपान निषेध दिवस सरकार पुरे देश में मनाती है, और साथ साथ जनता भी मनाती है|
पर फिर भी सरकार बिड़ी सिगरेट का उद्योग को आसानी से ही लाईसेंश दे देती है|जिसमे बनने वाले बिड़ी सिगरेट को पीकर हर साल लाखो लोगो की मौत मुँह का कैंसर अथवा ओरल कैंसर की वजह से हो जाती है|क्योंकि नशा से देश की जीडीपी तो बड़ती है,पर जिवन की जीडीपी घटती है|जिसकी वजह से एक रिपोर्ट के अनुसार सेहत को छोड़कर पैसे को ज्यादे महत्व देते हुए 2010 में 605 अरब बिड़ीयाँ बनाई गई थी|जिसे खपाने के लिए भारत में जो साठ प्रतिशत से भी अधिक युवा हैं,जिसके चलते इस देश को युवा देश कहा जाता है,जिसकी वोट की ताकत किसी भी सरकार को बना और बिगाड़ सकता है,उस युवा को ही नशे कि लत देकर खुब सारा धन बिड़ी सिगरेट बेचकर मुठिभर लोगो के द्वारा कमाया जा रहा है|वह युवा सबसे अधिक बुढ़ापा का शिकार बीड़ी सिगरेट तंबाकू से ही हो रहा है|जिसकी मौत भी इसी की वजह से सबसे अधिक हो रही है|जिसके बारे में सिर्फ यह जानकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत का युवा किस तरह से नशे की जंजिरो में कैद होकर धिरे धिरे जवानी में ही बुढ़ापा का शिकार बनते जा रहा है|एक रिपोर्ट के अनुसार नशे की वजह से 35 साल से कम उम्र के लोगो की मौत भारत में 1910 से 2010 तक दस करोड़ से अधिक हो चुकि है|जितनी जनसंख्या अरब यूरोप के कई देशो को मिलाकर भी नही होगी उतनी अबादी भारत में बिड़ी सिगरेट पिकर मौत का शिकार होते जा रही है|जिस तरह की नशे से हुई मौते को रोकने के लिए माता पिता से लेकर सरकार भी युवा बुजुर्ग सभी नागरिको को सलाह देते हैं नशा मुक्त की पर ये भुल जाते हैं कि नशे में क्या युवा र्या बुजुर्ग,क्या सेवक सरकार क्या जनता मालिक अथवा नागरिक,सभी क्षेत्र में नशा कि संक्रमण हो चुका है|क्योंकि माता पिता भी पहले बच्चे थे और सरकार भी कभी वोट मांगने वाला उम्मीदवार और नागरिक!जिसके चलते जिस तरह सरकार द्वारा नशा मुक्त सरकारी मोहर मारकर तेंदु पत्ता बेचवाकर और पिड़ी पिलवाकर कैंसर से लाखो लोगो को मौत देकर गरिबी हटाओ आधुनिक भारत हो गया था,उसी तरह अब बिड़ी सिगरेट कुटिर और लघु उद्योग सरकारी मोहर लगार बिड़ी छोड़वाकर अब सिगरेट अपनवाकर डीजिटल इंडिया अपडेट हो गया है|क्योंकि विकाश तेजी से हो रहा है,जो कि आधुनिक भारत का गरिबी दुर होते ही अब बहुत से नागरिक और सरकार के बहुत से नेता समेत देश के बहुत से माता पिता बच्चे बुढ़े बिड़ी पिना छोड़कर डीजिटल सिगरेट पिने लगे हैं|हलांकि जो लोग गरिब हैं वे अब भी आधुनिक भारत की बीड़ी ही पिते हैं|पर जो थोड़ा अमिर हो जाते हैं तो बिड़ी पिना छोड़कर डीजिटल सिगरेट अपडेट करते हैं|हलांकि साथ साथ सरकार और नागरिक माता पिता और बच्चे सभी मिल जुलकर एक दुसरे की मदत से मन में तसली के लिए नशा मुक्त का अभियान भी चलता रहता है|यदि माता पिता बिड़ी सिगरेट पिते हैं,तो बच्चे सिखलाते हैं अपने माता पिता को की बिड़ी पिना सेहत के लिए हानिकारक है|जिससे दुसरो को भी नुकसान पहुँचता है| और सरकारी सेवक यदि बिड़ी सिगरेट की लाईसेंस देते हैं, और खुद भी पिते हैं तो उसे देखकर सरकार को नागरिक ये बात सिखलाते हैं कि बिड़ी सिगरेट बेचने की कुटिर और लघु उद्योग को लाईसेंस देकर और बिड़ी सिगरेट पिलवाकर और युवा बुजुर्ग सभी को नशे की लत में लगवाकर देश नशे में डुब सकता है|और लाखो करोड़ो लोग अबतक तो मर ही चूके हैं बिड़ी सिगरेट पी पीकर,पर आगे भी लाखो लोग असमय ही बीड़ि सिगरेट पिकर मर सकते हैं|जो बाते सरकार भी जानती है और जनता भी जानती है|लेकिन जान बुझकर बिड़ी सिगरेट का व्यापार उद्योग लगाना जारी है|और उसमे मानो बँधुवा मजदूर लगाकर कुछ लोग तो बिड़ी सिगरेट पिलवाकर खुब सारा धन तो कमा रहे हैं,जिससे कि वे धन्ना कुबेर बन रहे हैं,पर ज्यादेतर लोग बिड़ी सिगरेट बनाने की उद्योग में काम करके दो वक्त की अन्न रोटी का जुगाड़ तो किसी तरह से हो रहा है, पर इससे लाखो करोड़ो लोगो की बिड़ी सिगरेट पिलाकर मौत की भी जुगाड़ हो रहा है|जबकि मेरे ख्याल से बिड़ी सिगरेट के अलावे अन्य भी बहुत सारे रास्ते हैं अन्न रोटी के लिए धन कमाने की,जिसके जरिये सरकार भी अमिर बन सकती है,जिससे कि ये देश गरिब देश से अमिर देशो कि लिस्ट में आ जाय,और जनता भी सिर्फ मुठिभर लोगो के अमिर बनने के बजाय ज्यादेतर लोग अमिर बन सकते हैं|वह भी बिना बिड़ी सिगरेट बेचे कोई दुसरा अच्छा सा धँधा जिससे की देश और जनता स्वस्थ के साथ साथ आर्थिक रुप से भी ताकतवर हो सकता है उसे अपनाकर|पर देश की सरकार और जनता का बिड़ी सिगरेट बल्कि अन्य भी नशे का व्यापार करके मौत का ही विकाश तेजी से हो रहा है|जिस विकाश को रोकने के लिए यदि नागरिक बिड़ी सिगरेट पिना नही छोड़ता है,तो सरकार नशा मुक्त की सलाह के साथ किस गुरु घंटाल से सरकार ये सिखकर आती है कि नशे की व्यापार से जीडीपी जल्दी जल्दी बड़ाई जा सकती है|और इसकी वजह से सरकार नशा मुक्त के साथ साथ बिड़ी सिगरेट का उद्योग लाईसेंस भी देती है|और साथ में जनता को नशा मुक्त का सलाह भी देती है|जिस सरकार को मैं नशा मुक्त का समर्थन करने वाली जनता की ओर से सरकार को ही सलाह देना चाहुँगा कि जिस तरह स्कूल में शिक्षक कागज पेन के बजाय बम बारुद और हथियार से लैश होकर छात्र को सही से ज्ञान नही बांट सकते,उसी तरह ये सरकार भी नशा मुक्त ज्ञान बिड़ी सिगरेट उद्योग की लाईसेंस से लैश होकर नशा मुक्त का प्रवचन काम ठीक से नही करेगी|इसलिए पहले जरुरी है कि नशा मुक्त करने के लिए सरकार पहले सारे बिड़ी सिगरेट उद्योग को बंद करें यह निश्चित होकर की नोटबंदी से ज्यादे विरोध नशा उद्योग की बंदी से नही होगा|क्योंकि देश और दुनियाँ में ज्यादेतर लोग नशा मुक्त का समर्थक हैं,और बहुत कम लोग ही इसका समर्थन करके रोज बिड़ि सिगरेट पियो और खुलकर जियो प्रचार करके लाखो करोड़ो लोगो को मौत का ज्ञान खुब सारा धन लेकर प्रचार द्वारा बांट रहे हैं|हलांकि मैं ये जरुर मानता हुँ कि बिड़ी सिगरेट की उद्योग बंद होने से लाखो लोगो कि रोजी रोटी प्रभावित होगी,पर वह तो वोट होने से भी लाखो करोड़ो लोगो कि रोजी रोटी प्रभावित होती है,पर क्या इस देश में बारह माह वोट होना बंद हो जाता है?मेरी राय में तो जिस तरह नशा मुक्त होकर कोई परिवार अपने घर में सबसे अधिक सुख चैन की जिवन नशा युक्त के बजाय ज्यादे बल्कि बहुत ज्यादे बेहत्तर जिवन जी सकता है|उसी तरह देश को नशा में डुबोने वाली नशा देनेवाली उद्योगो को बंद करके ये देश परिवार ज्यादे सुख चैन से जी सकता है,जो अभी मानो नशा के सिवाय और कोई दुसरा रास्ता ही नही है पैसे कमाने कि यैसी डर जनता और सरकार दोनो में ही समाकर एक तरफ तो नशा फैक्ट्री को लाईसेंस देना भी चालू है और दुसरी तरफ नशा मुक्त का प्रवचन भी चालू है|लाखो करोड़ो लोगो को बिड़ी सिगरेट से धिमा मौत देना तो चैलू है ही पर जो लोग बिड़ी सिगरेट नही पिते उन्हे भी मानो जबरजस्ती बिड़ी सिगरेट की धुँवा सुँघाया जा रहा है|मानो ये कहते हुए कि वे बिड़ि सिगरेट पियेंगे तो ही जियेंगे पर बाकि लोग जिनकी अबादी सबसे अधिक है,जैसे कि हर घर परिवार में यदि पाँच सात सदस्य रहता है तो उसमे से ज्यादेतर परिवारो में सिर्फ एक दो लोग ही बीड़ि सिगरेट पिते हैं,जिन्हे भी हर रोज ज्यादेतर घर से बाहर ही बिड़ी सिगरेट पिने की लत ज्यादे होती है,जो लोग ही मानो हर रोज बिड़ी पिते समय बाकि लोगो को ये कहते हो कि इसकी धुँवा को सिर्फ सुंघने से बाकि लोग मर नही जायेंगे!जबकि हमे पता है कि बिड़ी सिगरेट पिनेवालो के साथ साथ उसकी धुवाँ को सुँघने वालो की भी मौत हो सकती है बिड़ि सिगरेट का धुँवा रोज रोज सुँघकर|और जैसा कि हमे पता है सुँघने वालो की तादार ज्यादा है देश में,फिर क्या बिड़ी सिगरेट का उद्योग सिर्फ इसलिये चालू रखा गया है कि कम लोग बिड़ी सिगरेट पि पिकर और पिला पिलाकर अपना जिवन बेहत्तर बना सके और ज्यादेतर लोग अपने जिवन को बिड़ी सिगरेट की धुँवा सुँघकर यह सोचकर उसे रोज सुँघते रहे की इससे देश की जीडीपी बड़ती है,इसलिए इसे चालू रखा जाय आधुनिक डीजिटल विकाश के लिए!खैर इस तरह की उलट पुलट जिन्दगी के साथ प्राकृती में भी उलट पुलट गुणो के साथ बहुत सारे खाने पिने के फल फुल साग सब्जी मौजुद है|जैसे कि एक फल अंगूर जो की बच्चे बुढ़े और जवान सभी का सेहत भी बनाता है,और वही अंगूर अंगूरी बनकर उसे अगर अंगुरी शराब के रुप में पीया जाय तो सेहत को खराब भी करता है!जिस तरह का एक जंगली फल के बारे में भी मैं थोड़ा बहुत विस्तार से बतलाना चाहुँगा ! जो फल वैसे तो बहुत से राज्यो के घने जंगलो में काफी मात्रा में उगता है, पर इसके फल और पत्ते ग्राम के साथ साथ शहरो में भी बहुत मंगाये जाते हैं|जिसका अभी चूँकि खास गर्मी का मौसम चल रहा है,क्योंकि उस फल का मौसम गर्मियो में ही आता है,इसलिए अभी वह फल बाजार में भारी मात्रा में उपलब्ध है|जिसे शहर के लोग भले कम खाते हो पर ग्राम में तो इसकी अभी बहार है|जिसे क्या बच्चे क्या बुढ़े जवान सभी चाव से खाते हैं|जिसमे गुण भी इतने सारे मौजुद है कि लगता ही नही है कि ये जो फल है उसका पत्ता से बनने वाली बिड़ी से लाखो लोग हर साल मौत का शिकार बनते हैं,और उसके फल से उससे कई गुना लोग सेहतमंद बनते हैं|जिस फल को कई नामो से दाना जाता है जिसे तेंदु,तेला,केंद,तिड़ैल,तिरील जैसे नामो से जाना जाता है|जो गर्मियो में फलता है और गर्मी में लू लगने से बचाता है|जो हल्का पीला रहता है और इसका स्वाद मीठा के साथ थोड़ा कशैला भी होता है|जिस फल के पकते समय उसके पत्ते लगभग झड़ जाते हैं और यह फल एक साथ इकठे मौजुद इतने सुंदर दिखते हैं डाल पर गोल गोल टमाटर के आकार में कि उसे देखकर कोई भी व्यक्ती जिसे कि ताजा फल पेड़ से खुद तोड़ या तोड़वाकर खाने की इच्छा बहुत होते रहती है वह ललचा सकता है|जिसका स्वाद मुझे तो इतना पसंद है कि इस फल का मौसम आते ही हमेशा पता करता रहता हुँ कि बाजार में वह फल आई है कि नही आई है?जो आते ही भले ही क्यों न कितना महंगा सुरु सुरु में बिकता है कम उपलब्ध की वजह से पर मैं कम ही मंगाकर पर जरुर इसे जल्दी से मानो इंतजार का फल मीठा होता है कहकर खरिद या खरिदवाकर खा लेता हुँ|जिस फल को बेचने वाले ज्यादेतर ग्रामीण लोग होते हैं,क्योंकि ये फल ज्यादेतर इस देश में उन्ही राज्यो में मिलती है जहाँ पर प्राकृतीक खनिज संपदा के साथ साथ प्राकृत वन संपदा भी भारी मात्रा में उपलब्ध है|यह फल वीर्य वर्धक भी है|इसमे बिटामीन Abc तीनो ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है|फल चूँकि मीठा के साथ साथ थोड़ा कसैला भी होता है,इसलिए इसे ज्यादे मात्रा में खाने से मुँह कसैला हो जाता है|यह फल पाचन के लिये भी लाभ दायक है और स्कीन के लिए भी लाभ दायक है|क्योंकि इसमे पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है|इसमे एंटीऑक्सिडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है|जिसके चलते त्वाचा कोमल और जवान रहता है|साथ साथ दिल कि बिमारियो के लिए भी लाभ दायक होता है|और चूँकि इसमे कार्बोहाईड्रेड प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, इसलिए ताकत भी प्रदान करता है|जैसे की चावल ताकत प्रदान करता है,जिसकी गाड़ा से चाईना दिवार की मजबूती भी आजतक बरकरार है|इस केंद फल में फाईवर प्रचुर मात्रा में होने की वजह से कब्ज भी दुर होता है,और इस फल में पेट के किड़े भी दुर रहते हैं|इसे सुखाकर भी लंबे समय तक मेवा की तरह खाया जाता है|जो फल चूँकि ग्राम के स्थानीय बजारो से लेकर शहरो के बाजारो में भी उपलब्ध हो जाता है गर्मियो के दिनो में,जिसके चलते इसे ग्राम शहर दोनो ही जगह उसका स्वाद के दिवाने इसका इंतजार सालभर करते हैं|जिसके बाद ये सालोभर गायब रहता है|हाँ इस फल के पत्तो से बनने वाली बिड़ी सालोभर जरुर उपलब्ध रहती है|पर वह सेहत के लिए नही बल्कि सेहत खराब करने के लिए हमेशा मसाला भर भरकर धुम्रपान सेवा में मौजुद रहती है|जाहिर है अबतक आप समझ ही चुके होंगे कि मैं किस खास फल की बात कर रहा हुँ|और यदि अबतक भी जिस किसी को समझ में न आया हो तो दुबारा मैं बतला देना चाहुँगा नाम से कि तेंदू पत्ता के नाम से मशहुर बिड़ी पत्ते का पेड़ में ही लगने वाले केंद फल का बात कर रहा हुँ,जो अभी गर्मियो का मौशम में लंबी जिवन की अमृत देगा और बरसात में उसी का पेड़ में उगने वाला तेंदू पत्ता मौत की बरसात लानेवाली बिड़ी देगी|जिसे पी पीकर हर साल लाखो लोगो की मौते हो जाती है|एक बुजूर्ग तो बिड़ी पिते पिते बिस्तर में ही मानो रेडियो में बिड़ी जलाईले फिल्मी गाना सुनते हुए बिड़ि पिते पिते बिड़ी जलाये ही उसे पिते पिते और गाना सुनते सुनते सो गया और उसकी बिड़ी ने उसे ही सुबह तक जला दिया|जिसके चलते सुबह उसकी अधजली शरिर को अस्पताल ले जाया गया पर उसकी जान नही बचाई जा सकी|हलांकि बीड़ि पि पिकर भी वह धिरे धिरे मौत को ही पी रहा था|जिसके चलते कुछ लोग तो ये भी कहकर बीड़ि सिगरेट पिते हैं कि मरना तो एकदिन सबको है,फिर पी पीकर क्यों नही मरा जाय|जिनको तो मैं जरुर कहना चाहुँगा कि स्वर्गवाशी होना तो एकदिन सभी को है फिर क्यों जिवनभर मंदिर मस्जिद और चर्च वगैरा जाकर स्वर्ग की कामना करते रहते हो,सिधे जिते जी एक झटके में आत्महत्या करके तुरंत स्वर्ग वाशी हो जाओ!हलांकि आत्महत्या करने कि सलाह तो मैं कोई जनवर और मछली मुर्गा को भी नही दुँगा जो की किसी इंसान के द्वारा भी रोज खाये जाते हैं|क्योंकि जब किसी की मौत भगवान के हाथ लिखी हुई रहती है तो फिर वह भगवान के कार्यो में दखल देकर आखिर क्यों आत्महत्या करे?जिसे बचना होगा बच जायेगा और मरना होगा मर जायेगा|उसकी हत्या करने वाला यदि गुनेहगार होगा तो जिते जी निचे तो उसे मौत सजा किसी के द्वारा मिल गई पर उपर सायद मरने के बाद स्वर्ग इनाम मिले!क्योंकि निचे धरती में जो जिवन चल रहा है उसमे सच्चाई तो यही है कि इंसान बोलता कुछ और है और उसके मन में होता कुछ और है|जिसके चलते बहुत से इंसानो के माता पिता अपने बच्चे को तो नशा मुक्त की सलाह देते रहते हैं,पर खुद छिप छिपकर नशा पिते रहते हैं|जैसे कि मैं रोजमरा जिवन में शाकाहारी के साथ नशा मुक्त जिवन भी जी रहा हुँ,पर मेरे पिता बचपन से जैसा कि मैं देखता आ रहा हुँ कि वे पहले नशा के आदि थे जिसके चलते माँ के साथ साथ मेरे नाना नानी दादा दादी और बाकि लोगो से भी उसकी अक्सर नशा करके लड़ाई होते रहती थी ये बात अपनी माँ से भी सुनता आ रहा हुँ और खुद भी अपनी आँखो से देखा व कानो से सुना हुँ|पर मेरे किशोर अवस्था की सुरुवात से लेकर अबतक उसकी नशा की आदतो में इतना सारा सुधार हो चुका है कि अब मैं उसे दारु पिता हुआ अंतिम बार कब देखा था अभी याद नही कर पा रहा हुँ|जिसका मुख्य कारन मेरे द्वारा उसे कई बार तो समझा बुझाकर भी और कई बार तो बकझप करके भी अब उसके दिमाक में नशा के प्रति इतना नफरत और घर में नशा मुक्त सदस्यो के प्रति प्रेम की भावना भर दिया हुँ कि वे अब जहाँ भी जाते हैं या कोई हमारे घर आता है,तो वे हमारे बारे में ही तारिफो का पुल बांधना सुरु कर देते हैं,कि हम सभी भाई शाकाहारी हैं,और कोई भी नशा नही करता है,सिर्फ मैं अब कभी कभार होली या मेहमान नवाजी वगैरा में दो बुंद नशा कर लिया करता हुँ कहकर बेवड़ो को थोड़ा बहुत मौका अब भी दे देते हैं|हलांकि मैने उसकी धुम्रपान की नशा को पुरी तरह से नही छुड़ा सका हुँ,जो कि निश्चित तौर पर उसे भी छुड़ा देता यदि वे रिटायर के बाद इधर उधर अपने कुछ नसेड़ी दोस्तो की बुरी संगत में आकर एकबार फिर से दुबारा से नशे की संक्रमण थोड़ी बहुत बुरी संगतो द्वारा कराकर इस बहाने को बार बार नही दोहराते कि मुँह का स्वाद के लिए कभी कभार इसे पी लेता हुँ|क्योंकि नशा करने वालो को भी ये अच्छी तरह से पता होता है कि दारु सिगरेट और बिड़ि का स्वाद मुँह का स्वाद देता है की मौत का स्वाद देता है|जिसका प्रयोगिक जवाब नशा करने वालो को तब मिल जाता है जब वे नशे कि वजह से कैंसर का शिकार हो जाते हैं|जिसकी सुरुवाती मुँह का कैंसर लक्षण मेरे पिताजी में भी मुँह में आना सुरु हो गया था पर जबसे वे नशा को न के बराबर करते हैं,तबसे अब वे सेहतमंद हैं|जिसके चलते अब वे दिनभर कुछ न कुछ इतना सारा खाते रहते हैं,खासकर सलाद वगैरा कि घर के कुछ सदस्य उसकी थाली के देखकर ये कहते हैं कि इतना ज्यादा उम्र में भी वे इतना सारा कैसे पचा लेते हैं?जिसके बारे में मैं तो सिधे तौर पर यही कहुँगा कि चूँकि वे अब लगभग नशा मुक्त हो गए हैं,जिसके चलते उसका शरिर अब इतना स्वस्थ है कि खाने पीने कि सारे चीजो की जायका को अच्छी तरह से स्वीकार रहा है|नही तो नशा करने वालो को तो अक्सर मैं महसुश किया हुँ कि मांसाहारी व्यंजन ही उन्हे ज्यादे पसंद आती है,जिसके चलते वे रोजमरा जिवन में अन्न रोटी के जगह बोटी की डिमांड अधिक करते रहते हैं|जिसके बगैर वे मानो चिड़चिड़े हो डाते हैं,और अक्सर साग सब्जी को देखकर ऐसा बर्ताव करते हैं,जैसे खाते पिते समय बिमार मरिज करते हैं|खैर सारांश में मेरा कहने का तात्पर्य ये है कि नशा छोड़ना या छुड़वाना मेरे ख्याल से नशा करने और नशा छुड़वाने की ज्ञान बांटने वालो पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है|जिसके चलते यदि कोई नशेड़ी ये ठान ले कि वह अब नशा नही करेगा तो वह उसे बिल्कूल से छोड़ सकता है,और यदि मन में ही उसका नशा करना बैठा हुआ है तो वह चाहे जितना किमती किमती दवा और नशा मुक्त ज्ञान बांटने वालो की संगत में रहे उसका नशा नही छुटेगा और वह नशा छुड़वाने वाला अस्पताल में भी ब्लेक में नशा मंगवाकर उसे दवा के साथ पियेगा|युवा नशेड़ी तो सायद नशा करके जबतक अपने मुँह का कैंसर कराकर अपने प्रेमी प्रेमिका को उसी कैंसर मुँह से नही चुमेगा या चुमवायेगा तबतक सायद उसे ये यहसाश नही होगा कि एकदिन नशा उसकी जिवन में कैसी बुरे बदलाव ला सकती है|जिसके चलते कई नशेड़ी तो नशे में दुर्घटना होने के साथ साथ आत्महत्या तक कर लेते हैं|जिस नशा से बलात्कार जैसी घटना होना आम बात है|बल्कि मुझे तो पुरा विश्वास है कि पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक अपराध और बर्बादी नशे की वजह से ही हो रही है|चाहे वह शराब का नशा हो या फिर शबाब का नशा हो,बल्कि मैं तो कहुँगा यदि किसी को कबाब का भी नशा हो तो भी उसकी जिवन में बहुत कुछ गड़बड़ चलता रहता है|खासकर यदि वह कम पैसेवाला है तो मांस मछली की जुगाड़ न होने के चलते भले घर के बच्चे पैसे की कमी की वजह से ठीक से पढ़ न सके पर वह अपनी गरिबी को नशा में हावी होने नही देता है|जिसके कारन बच्चो की पढ़ाई खर्च और सेहतमंद साग सब्जी फल वगैरा का खर्च जितना धन वह नशापुर्ती के लिए खर्च कर देता है|जिस तरह की बुरे हालात बहुत से नशेड़ियो के जिवन में देखी जा सकती है|जोकिसी के द्वारा गरिब से अमिर बनकर भी नशा करना जारी रहता है|अंतर सिर्फ इतना रहता है कि नशे का अपडेट हो जाता है|देशी दारु के साथ सस्ता चना मिक्चर चखना अथवा गरिबी में कम किमत वाला देशी ज्यादे चलता है,और अमिरी में महंगी महंगी विदेशी बोतल के साथ मीट मुर्गा खस्सी वगैरा हावी हो जाता है|बल्कि कई बड़े बड़े होटलो में शराब कबाब के साथ साथ शबाब अथवा वैश्या भी परोसी जाती है,कई अलग तरह के नशेडियो को इसकी भी जानकारी खुब मिलती रहती है रोजमरा जिवन में|जिस तरह की अपडेट आधुनिक डीजिटल जिवन को देखकर तो यही लगता है कि शराब शबाब और कबाब ये तीनो ही तरह की नशा कभी समाप्त नही हो सकती है|जो बात बिल्कुल मुमकिन है ये मैं भी जरुर मानता हुँ|पर नशा को ऐसे नसेड़ियो के जिवन में अचार और चटनी की तरह यदि सिर्फ चाटा जाय तो धिरे धिरे नसेड़ियो की जिवन से नशा जरुर समाप्त हो सकता है,बजाय इसके कि नशा उनकी जिवन को ही धिरे धिरे समाप्त कर रहा है|जिसे असमय समाप्त होने से रोका जा सकता है|खासकर यदि नशा को सिधे भोजन के रुप में न लेकर चटनी अचार के रुप में रोजमरा जिवन में कभी कभार ही चाटा जाय नशेड़ियो द्वारा तो भी नशामुक्त जिवन की तरह ही प्रयोगिक भारी बदलाव हो सकता है|नही तो फिर रोजमरा जिवन में नशेड़ियो के लिए नशा ही मानो वह ऐसा भोजन है,जिससे कि पेट भरा जाता है,और उसी भोजन की इंतजाम के लिये पुरी दुनियाँ हर रोज अपने घरो से बाहर निकलकर और कई तो घर बैठे ही धन कमाने में लग जाते हैं|जबकि नशेड़ी मेरे ख्याल से पीकर ही रोज नशा युक्त जिवन जीने के लिए ही ज्यादे कमाते हैं|क्योंकि मैने प्रयोगिक रुप से देखा है कई रिस्तेदारो के यहाँ मेहमान जाने पर कि वे भुखे मेहमानो को खाना नही नशा परोसते हैं|बल्कि मेरे यहाँ भी ऐसे कई लोग मेहमान के रुप में भी आए हैं जो कि सुबह सुबह दतवन अथवा बरस ही नशा से करते हैं,अथवा अपना दाँत मुँह साफ करते हैं नशा से|जो सुबह सुबह घर में चाय नास्ता भोजन वगैरा करने से पहले ही थोड़ा सा बाहर से घुमकर आते हैं कहकर सुबह सुबह कहीं से नशा करके घर आकर ही बरस दतवन वगैरा करते थे|क्या पता ऐसे लोग मल मुत्र भी शराब को हि निकालकर करते होंगे|जो यदि अपना नशे की लत को छोड़ दें तो उनको लगता होगा सायद मल मुत्र भी निकलना छोड़ दे|जिसके चलते उनकी प्राण पिच्छे से या फिर कैंसर आगे मुँह से निकल नही जाती तबतक नशा करना उनकी जिवन का सबसे महत्वपुर्ण हिस्सा माना जाता है|जो सोते,खाते,हगते,मुतते हर वक्त नशा को ही अपने जिवन का खास अंग बना लेते हैं|जिससे उनको अलग करना मानो उनके सबसे अधिक करिबि को उनसे अलग कर देना है|
गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है इस देश के मुलनिवासियों को गुलाम बनाकर उनके साथ छुवा छूत जैसे शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादीयों के पुर्वज देव मूर्तियों की पूजा करने वाले मुलनिवासी दरसल फिल्म कोयला का वह गुंगा हिरो है , जो गुंगा बनाने वाले प्रमुख बिलेन की गुलामी तबतक करता है , जबतक की उसे यह सत्य मालुम नही हो जाता कि उसको गुंगा कौन बनाया है ? जबकि इस देश के मुलनिवासियों को बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार मनाते और साक्षात प्राकृति की पुजा भगवान मानकर करते हुए साक्षात सत्य को जानकर भी अनजान बनकर साक्षात प्राकृति की पुजा करते समय बल्कि कभी भी मनुवादीयों के पुर्वज देवो की पुजा उन्हे भगवान मानकर नही करनी चाहिए थी , क्योंकि मनुवादीयों के पुर्वज देव जन्म लेकर मरने वाले इंसान ही थे , न की भगवान थे | तभी तो वे कथित धार्मिक धारावाहिको और फिल्मो में भी इंसानो की तरह इंसानो से संभोग करके अपना वंश बड़ाते दिखते हैं , और इंसानो की तरह धरती में विचरण करते रहते हैं | जैसे की देवो का राजा इंद्र
यहूदी DNA का मनुवादियों के आने से पहले से ही हिन्दू किसकी पूजा करता आ रहा है ? होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे प्राकृति पर्व त्योहार यूरेशिया से नही लाये गए हैं , बल्कि इस कृषि प्रधान देश के मुल पर्व त्योहार हैं ? जिन पर्व त्योहारो को इस देश के मुलनिवासी हजारो सालो से मनाते आ रहे हैं | जिसको मनाने वाले मुलनिवासी अन्न जल धरती सूर्य प्राकृति भगवान की पुजा पाठ करते हैं | जिन मुलनिवासियों के बारे में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि इस देश के मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले किसी भी धर्म को न मानने वाले लोग होते हैं ! जबकि यदि धर्म का मतलब धारन करना होता है तो क्या होली दिवाली मनाने वाले मुलनिवासी किसी भी पुजा पाठ को धारन किए हुए नही हैं ? क्या होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाते समय प्राकृति की पुजा नही की जाती है ? और यदि की जाती है तो धर्म परिवर्तन कराने के लिए भ्रम फैलाने वालो को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि अन्न जल धरती सूर्य प्राकृति की पुजा ही हिन्दूओ की मुल पुजा है ! जिसमे मनुवादियों द्वारा ढोंग पाखंड की मिलावट करने से यहूदी DNA का
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