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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

मनुवादी छुवाछुत ढोंग पाखंड तंत्र मंत्र

Khoj123
आज भी इस देश में करिब साड़े सात हजार ऐसी भाषा बोली जाती है,जिसकी कोई लिपी नही है|इसलिये उसे सिर्फ वेद(आवाज) बोली अथवा मुँह से बातचीत के जरिये ही व्यवहार में लाई जाती है|जैसे कि जब लिखाई पढ़ाई की खोज अथवा आविष्कार नही हुए थे, तो वेद (आवाज) पुराण (दिखलाई देने वाला चित्र वगैरा) ही ज्ञान बांटने का माध्यम था|जिसका भंडारन सुन देखकर पिड़ी दर पिड़ि सिर्फ याद करके इंसान की दिमाक में की जाती थी|जिस ज्ञान भंडारन से ही गुरु अथवा शिक्षको के द्वारा वेद पुराण का ज्ञान बांटा जाता था|जो वेद पुराण मंदिरो अथवा वेद पुराण के विद्यालयो में होती थी,जिसमे मनुवादियो ने कब्जा करके शुद्रो के लिए वेद पुराण का ज्ञान लेने में रोक लगा दिया था|जिसके लिए मनुवादियो का संविधान मनुस्मृती लागू होने के बाद ये नियम कानून लागू किए गए कि शुद्र यदि वेद सुने तो उसके कान में गर्म पिघला लोहा डाल दिया जाय और वेद बोले तो उसका जीभ काट दिया जाय|जिस तरह के इंसानियत कायम थी मनुवादियो की संविधान लागू होकर|साथ साथ ये भी नियम कानून लागू थी कि शुद्र अमिर नही बन सकता अथवा सारा धन दौलत पर मनुवादियो का अधिकार होगा|शुद्र सिर्फ सेवा करेगा मनुवादियो की|आज जनता को मालिक और शासक को सेवक कहा जाता है,मनुस्मृती लागु होने पर शुद्र प्रजा मालिक नही बल्कि प्रजा का सेवा करने वाली गद्दी पर बैठने वाला  राजा अपनी प्रजा का मालिक होता था|जिसकी सेवा शुद्र जनता करती थी|जिस तरह की शासन में कान में गर्म पिघला लोहा डालने और जीभ काटने का कानून बनाने वाले जन्म से विद्वान पंडित और कान में गर्म पीघला लोहा डालने वाले जन्म से वीर रक्षक क्षत्रिय और शुद्र जनता का धन को लुटने वाले जन्म से धन्ना वैश्य कहलाते थे|जिस तरह की शासन को श्रेष्ट शासन कहा जाता था|खैर ये सारी बाते उस समय वेद पुराणो में अपडेट होकर समय के साथ दर्ज होती जा रही थी|जिसके बारे में ज्ञान वेद पुराण मंदिरो में दी जाती थी|जिसमे मनुवादि खुदको उच्च और श्रेष्ट कहलवाने के लिए वेद पुराणो में मिलावट और बदलाव करके नायक को खलनायक और खलनायक को नायक बतलाने कि कोशिष किया|जो वेद पुराण आने वाले नई पिड़ि के लिए भी ज्ञान का भंडार होता था,जिसे गुरु अथवा शिक्षक अपने दिमाक में भंडारन करके रखते थे|जैसे कि आज भी कोई गुरु या छात्र अपने दिमाक में ज्ञान भंडारन रोज रोज करता रहता है|जो बिना किताब कॉपी के भी किया जाता है|जिसके जरिये कोई भी ऐसे सवाल का जवाब दिया जा सकता है,जिसका जवाब दिमाक में सुन देखकर भंडारन किया जा चुका है|जिसे वह अपनी यादाश्त के जरिये बिना किताब कॉपी के मुँह से बोलकर अथवा आवाज जिसका मतलब वेद होता है,उसके जरिये दे सकता है|जो अपने दिमाक में मौजुद भंडारन को आवाज अथवा वेद और पुराण अथवा साक्षात चित्र के साथ साथ आज लिपी की खोज होने की वजह से लिखाई पढ़ाई के रुप में भी इस्तेमाल और भंडारन कर रहा है|जो उस समय ज्ञान मंदिरो में भी नही कर पाता था,जब कोई भाषा लिपी की खोज नही हुई थी| और सिर्फ वेद पुराण ही ज्ञान बांटने और बोलचाल का माध्यम बना हुआ था|जैसे की आज भी इस देश में हजारो बोली भाषा मौजुद है,जिसकी कोई लिपी मौजुद नही है|
हलांकि वर्तमान में कई बोली भाषा लिपी का आविष्कार हो चुका है|जिसके चलते किसी भी ऐसी बोली भाषा को जानने वाला इंसान जिसकी आज भी कोई लिपी उपलब्ध नही है,वह किसी दुसरी भाषा  जिसकी लिपी का खोज हो चुका है,उस भाषा में पढ़ाई लिखाई शिक्षा लेकर अपनी बोली भाषा का ज्ञान को लिखित तौर पर बांट सकता है|जो पहले लीपि न होने की वजह से ज्ञान बांटने का कार्य सिर्फ वेद पुराण के जरिये ही उस समय होता था,जब हजारो साल पहले इस देश के मुलनिवासियो द्वारा हजारो भाषा तो बोली जाती थी पर उन हजारो भाषाओ में किसी की भी लिपी मौजुद नही थी|जिस समय संभवता पुरे विश्व में भी किसी भी बोली भाषा की कोई लिपी मौजुद नही थी|जिसके चलते विश्व के अलग अलग क्षेत्रो में मौजुद सभी इंसानो द्वारा सिर्फ बोलकर और दिखाकर अथवा वेद पुराण के जरिये ही ज्ञान बांटी जाती थी|क्योंकि उस समय किसी भी बोली भाषा की लिपी  की खोज नही हुई थी|जो की सुरुवात में इस देश में भी कोई बोली भाषा की लिपी मौजुद नही थी|सिर्फ वेद पुराण के जरिये ज्ञान बांटी जाती थी|जो बाद में संस्कृत हिन्दी वगैरा भाषा लिपी की खोज जैसे जैसे होती चली गई तो वेद पुराण की रचना लिखित रुप से भी की जाने लगी|जिसकी उदाहरन किसी इंसान को बोलते और उसके द्वारा बोले गए ज्ञान को लिखते हुए देखकर जाना जा सकता है|हलांकि हो सकता है संस्कृत हिन्दी के अलावे अन्य भी कई भारतीय भाषाओ की लिपी जब खोजी गई,उससे पहले भी इस देश में कोई भारतीय भाषा की लिपी मौजुद थी,जिस लिपि भाषा में भारत के वेद पुराणो में जो लिखी गई बाते जो आज मौजुद है उससे भी पहले की बाते दर्ज होगी जब मनुवादि इस देश में प्रवेश ही नही किये थे|क्योंकि हमे ये नही भुलनी चाहिए की प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती के पुराने अवशोषो में मौजुद भाषा को अबतक समझी नही गयी है|जहाँ पर कोई मनुवादियो का मौजुदगी भी नही थी|क्योंकि यदि उस समय मनुवादी होते तो प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता में भी अनगिनत देवताओ की मंदिर मौजुद होती|जैसे की आज लाखो मंदिर मौजुद हैं|जो मंदिर दरसल वेद पुराण ज्ञान का मंदिर होगा जिसपर मनुवादियो का कब्जा होने के बाद वहाँ पर अपने पुर्वजो की मुर्ती लगाकर उसकी और अपनी भी पुजा सुरु कर दिया होगा|जिसके बाद चूँकि वेद पुराण के रचनाकार गुलाम बनाये जा चुके थे इसलिए सुरु में उनके ही द्वारा मानो सोने की चिड़ियां मनुवादियो द्वारा हाईजेक होकर वेद पुराणो में भी मिलावट सुरु हो गया होगा|जिन मंदिरो को आज भी कहीं कहीं मनुवादियो के द्वारा हाईजेक किया गया है इसकी झांकी दिख जाती है|जिसके चलते आज भी कहीं कहीं मंदिर के बाहर शुद्र का अंदर प्रवेश मना है ये बाते लिखी रहती है|और चूँकि वेद पुराण का संग्रह कोई ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग मशीन के जरिये नही किया गया है,क्योंकि हजारो साल पहले ऑडियो विडियो रिकार्डिंग का आविष्कार नही हुआ था,नही तो फिर सारे बिना मिलावट वाला वेद पुराण का मुल संग्रह ऑडियो विडियो के रुप में आज मुल ऑडियो विडियो मौजुद रहती उन मुलनिवासियो की आवाज में जिन्होने वेद पुराण की  रचना किताब के रुप में होने से पहले ही ऑडियो विडियो के रुप में की थी|जो होने के बाद उसमे मिलावट जैसी गड़बड़ी होने की संभावना भी न के बराबर होती यदि मुल वेद पुराण की प्रथम संग्रह करने वाले गुरु की बिना रुके ऑडियो विडियो वेद पुराण ज्ञान बांटने समय रिकॉर्ड करके उसे संग्रहित की जाती|जैसे की आज तमाम ज्ञान की बाते जिन्होने उस ज्ञान की खोज की है उसे संग्रहित जरुर की जानी चाहिए|ताकि भविष्य में उसमे कोई भी मिलावट और बदलाव न किया जा सके|और मुल प्रति में यदि समय के साथ अपडेट अथवा बदलाव भी हो तो उसमे ये जानकारी अपडेट हो कि अपडेट किसके द्वारा हुआ?जैसे की आज यदि अजाद भारत का संविधान में अपडेट हो रहा है तो ऑडियो विडियो रिकार्डिंग के जरिये जानकारी में भी अपडेट हो रहा है कि किसके द्वारा अपडेट हो रहा है|जिस तरह कि सुविधा हजारो साल पहले उपलब्ध न होने की वजह से वेद पुराण में आज बहुत से बदलाव और मिलावट समय के साथ हो चुकी है,इसकी पुरी संभावना तो है,पर मुल ऑडियो विडियो रिकार्डिंग मौजुद नही है|
हलांकि वेद पुराण की कथनी करनी में मेल करते समय मुल सच्चाई तब पता चल जाती है,जब कोई चाल चरित्र का नायक को खलनायक और चाल चरित्र का खलनायक को नायक बतलाने की कोशिष करते हुए मिलावट और बदलाव साफ नजर आती है|जैसे की वेद पुराणो में अहिल्या का बलात्कार करने वाला इंद्रदेव को पुजने की ज्ञान बाते की जाती है तो वेद पुराण में साफ मिलावट और बदलाव नजर आती है|जिस तरह की मिलावट आगे अपडेट होने के बाद वेद सुनने पर कान में गर्म पिघला लोहा डालने,और वेद बोलने पर जीभ काटने का नियम कानून मनुस्मृती वगैरा संविधान लिखने वालो को जन्म से विद्वान पंडित कहना,और शोषन अत्याचार करने वालो को जन्म से वीर रक्षक क्षत्रिय कहना,और दुसरे का धन लुटने वालो को जन्म से धन्ना वैश्य कहना भी वेद पुराण में मिलावट का ही बुरे परिणाम है|जिस तरह कि मिलावट मनुवादियो ने इसलिए किया है,क्योंकि उन्होने इस देश में बाहर से आकर इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर छुवा छुत शोषन अत्याचार को किसी अपराधी के द्वारा सबूत छिपाने की भांती सत्य को छुपाने की कोशिष किया है|जिसके चलते ही तो मनुवादी खुदको देव का वंसज नायक के रुप में पेश करते हैं,और इस देश के मुलनिवासी जिसे मनुस्मृती में शुद्र कहा गया है,उसे राक्षस कहकर खलनायक बतलाते आ रहे हैं|जिसकी सच्चाई वेद पुराण को सिधा करके पढ़ने पर मुल अपडेट सुरु हो जाती है|जैसे की रक्षक का कार्य करने वाले को नायक और भक्षक का काम करने वाले को खलनायक चूँकि माना जाता है,इसे ध्यान में रखते हुए जब वेद पुराण का सत्य मंथन किया जाता है,तो देव खलनायक और राक्षस नायक नजर आते हैं,जो कि सच्चाई है|इसका मतलब ये बिल्कुल नही की वेद पुराण में मौजुद सभी देव खलनायक और सभी राक्षस नायक नजर आयेंगे,जैसे कि सभी गोरे भी खलनायक और सभी गोरो के द्वारा हुए गुलाम भी नायक नजर नही आयेंगे|लेकिन जिस तरह कुछ गोरे सही होने के बावजुद भी गुलाम होने के बाद सभी गोरो से अजादी पाने की लड़ाई लड़ी जा रही थी,उसी प्रकार सभी देव खलनायक नही होने के बावजुद भी खुदको देव का वंसज कहने वाले छुवा छुत शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादियो से अजादी पाने की लड़ाई आज लड़ी जा रही है|जिससे उन कथित देव के ही वंसजो को जिनके अंदर देव का ही डीएनए दौड़ रहा है,लेकिन वे मनुवादी होना अब बिल्कुल भी पसंद नही करते हैं,और छुवा छुत उच्च निच को भी नही मानते हैं,उनको अपने ही डीएनए का मनुवादियो की वजह से चूलुभर पानी में शर्म से डुब मरने की जरुरत बिल्कुल भी नही है,क्योंकि हजारो सालो तक इस देश में रहते रहते उनके भितर इस देश के मुलनिवासियो का सभ्यता संस्कृती का बहुत सारा ज्ञान हो चुका है|हाँ ये ख्याल जुरुर रहे कि भले अपने मनुवादी पुर्वज और इंद्रदेव बुरे हो उस समय और आज भी,पर इस समय उनकी आरती न उतारकर और उनकी गलतियो को सार्वजनिक तौर पर सबके सामने कबूल करके उन्हे खलनायक स्वीकारने के बाद अपने पुर्वजो के द्वारा किये गए गलतियो को भुलाकर और वेद पुराण की ज्ञान में सुधार करके उसे सही रुप से बांटकर अपने नई पिड़ी को छुवा छुत न करने के लिए सुधारा जा सकता है|जिससे की भविष्य में सुधरे हुए मनुवादियो के द्वारा इंसानियत कायम करने में भी काफी महत्वपुर्ण भूमिका अदा की जायेगी|नही तो फिर आगे भी मनुवादियो की नई पिड़ी भी मानो अँधा होकर झुठी शान में डुबकर गर्व से छुवा छुत का भ्रष्ट संस्कार को किसी किमती खजाना कि तरह खानदानी पुर्वजो की विरासत और वसियत की तरह पिड़ी दर पिड़ी और भी आगे न जाने और कितने समय तक ले जाती रहेगी|जो की आने वाले नई पिड़ी के लिए भी बहुत से ऐसी कुकर्म को जन्म देती रहेगी जिस बड़ी गलती को छिपाने की कोशिष में भी मनुवादी आज भी ढोंग पाखंड के जरिये दिन रात लगा रहता है|जैसे की इस समय भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारी अपनी गलती को छिपाने में लगे हुए हैं|ताकि उनकी झुठी शान बरकरार रह सके और वे सजा पाने से भी बचे रहे|जो लोग मेरी नजर में तो उस शिशु की तरह नजर आते हैं,जो पैंट में ही शुशु और टटी करके या तो उसी से खेलते हुए मुस्कुराते रहता है,या फिर रोते रहता है|उसकी सफाई नही करता,क्योंकि उसे सिर्फ हगना मुतना तो आता है,पर वह समय के साथ बड़ा होते होते धिरे धिरे बहुत कुछ सिख रहा होता है|बल्कि अपने पैंट में ही मल मुत्र करने वाले शिशु से भी कई गुणा अधिक मल मुत्र अपने पैंट में करने से ज्यादे खतरनाक गंदगी करने वाले शैतान शिशु होते हैं वे लोग जो बड़े बड़े भ्रष्टाचार की गंदगी करके जान बुझकर उसे छिपाये हुए जिवन जी रहे होते हैं|जिन बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की  बुद्धी का विकाश जिसदिन भी इंसानियत के तौर पर हो जायेगा अपनी बड़ी बड़ी गलती को कबूल करके उसदिन वे सारा कालाधन भी खुद ही सौंप देंगे|जैसे की शिशु जब बड़ा होकर समझदार बच्चा बन जाता है,तो कभी गलती या जान बुझकर पैंट में शुशु और टटी करने पर अपने अभिभावक को तुरंत बतला देता है कि उसने अपने पैंट में ही मल मुत्र किया है|बल्कि ज्यादेतर बच्चे तो समय के साथ खुद ही गंदा पैंट उतारना और  अपना पिछवाड़ा धोना पोछाना जान जाते हैं|जिस तरह की भी समझदार बच्चा तक अभी नही बन पाये हैं बड़े बड़े भ्रष्टाचारी तो वे अपनी जिवन में खासकर क्या मेरे जैसे लोगो की नजर में वे बड़े लोग बन पायेंगे जिनसे नई पिड़ी को सही इंसान बनने की ज्ञान प्राप्त होती है|बल्कि ऐसे बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के बच्चो की भी सही संस्कार तबतक खतरे में पड़ी रहती है, जबतक कि बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के बच्चे उन्हे अपना आदर्श मानने के बजाय उनके कुकर्मो का विरोध करना न सिख लें|जैसे की छुवा छुत करने वाले मनुवादियो के बच्चो को छुवा छुत का विरोध करके छुवा छुत समाप्त करने की ज्ञान सिखनी चाहिए उन लोगो से जो कि किसी से छुवा छुत नही करते हैं|जो सिखाने वाले चाहे इस देश के मुलनिवासी हो या फिर विदेशी हो,पर यदि छुवा छुत करना गलत संस्कार है,ये ज्ञान की बाते छुवा छुत करने वालो के सभी बच्चे सिख लेंगे तो भविष्य में वे कभी भी इस देश के मुलनिवासियो का ही नही,बल्कि किसी भी देश के मुलनिवासियो के साथ बिना कोई भेदभाव किये और हक अधिकारो का अँगुठा काटे बगैर सचमुच का गर्व से जिवन यापन करेंगे|अन्यथा आगे भी चाहे उन्होने जितनी बड़ी बड़ी उच्च ज्ञान डिग्री प्राप्त कर लिये हो तो भी वे छुवा छुत करते हुए झुठी शान में ही डुबे रहेंगे|जिस तरह के लोग ही दरसल आजतक भी छुवा छुत भ्रष्ट संस्कार को कायम किये हुए हैं|जिससे पुरी अजादी जल्द से जल्द पाने के लिए मेरे द्वारा बांटे गए इस ज्ञान को ज्यादे से ज्यादे लोगो तक बांटने का पुन्य कर्म करें!अन्यथा कुकर्म करने वाले और कुकर्म से पिड़ित होने वाले दोनो ही सुख शांती और समृद्धी जिवन ठीक से कभी नही जी पायेंगे| धन्यवाद!

रविवार, 21 अक्टूबर 2018

इस आर्यावर्त धरती का सबसे आर्य अथवा छुवाछुत करने वाला श्रेष्ट प्राणी

आर्यव्रत श्रेष्ट उतम स्वर्ण उच्च जाती छुवा छुत भारत हिन्दुस्तान India Khoj 123
इस आर्यावर्त धरती का सबसे आर्य
अथवा छुवाछुत करने वाला श्रेष्ट प्राणी के श्रेष्ट होने के बारे में जानने से पहले ये बात जरुर जान लें कि गोरो की शोषन अत्याचारो से अजादी पाने का कड़ी संघर्ष 1947 ई. में ही समाप्त हो गई है|क्योंकि गोरो की सत्ता इस देश से चली गई है|जिनसे अजादी मिलने के बाद अब मनुवादियो से अजादी पाने की संघर्ष लंबे समय से चल रही है|जिन मनुवादियो का शोषण अन्याय अत्याचार पीड़ा सहते हुए बहुसंख्यक चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उसकी बहुमत वोट से देश में अगर गोरो की गुलामी से अजादी मिलने के बाद भारी बहुमत की भाजपा सरकार आती है,तो भी मनुवादियो से अजादी नही मिलती है,और अगर भारी बहुमत से कांग्रेस सरकार आती है,तो भी मनुवादियो से अजादी नही मिलती है|आखिर क्यों जो लोग मनुवादियो से अजादी पाने के लिए गोरो से गुलाम होने से पहले से ही लंबे संघर्ष कर रहे हैं,उनको अबतक मनुवादियो की शोषन अत्याचार से पुरी अजादी अजाद भारत का संविधान लागू होकर भी नही मिल पा रही है?जिसका जवाब खोजने के बाद यही सत्य बात पता चलता है कि मनुवादियो से पुरी अजादी अबतक न मिलने का प्रमुख वजह मनुवादी पार्टियो का अबतक देश की सत्ता पर अपनी दबदबा बनाये रखना है|जो स्वभाविक है,क्योंकि यदि गोरे भी इस देश की नागरिकता लेकर अभी भी अपने नेतृत्व में कोई पार्टी का गठन करके चुनाव लड़ते,और बार बार चुनाव लड़कर मनुवादियो से जितने के बाद किसी पार्टी या नेता का समर्थन लेकर अपनी दबदबा सरकार देश की सत्ता में अबतक बनाये भी रखते,तो भी जाहिर है अब भी गोरो के शोषण अत्याचार से अजादी का संघर्ष किसी न किसी पार्टी द्वारा चलाई जा रही होती|भले क्यों न गोरो में बहुत से गोरे मनुवादियो से कई गुना बेहत्तर सेवा देते हुए देश की सत्ता नेतृत्व कर रहे होते|क्योंकि गोरे विदेशी हैं,इसलिए चाहे वे सत्ता में रहकर जितना प्रजा और देश सेवा सुधार करे,और खुद भी सुधर जाय,उनके द्वारा शोषन अत्याचार जारी रहेगा ये बात सत्ता में गोरो की दबदबा कायम रहने तक बहुतो के मन में सेवा पाते हुए भी बैठी हुई रहती|जिस तरह की ही बात अब कई संगठनो और बहुसंख्यक शोषित पिड़ितो के भितर धिरे धिरे आग पकड़ रही है कि यदि गोरे विदेशी थे तो मनुवादियो की डीएनए भी विदेशियो से ही मिलती है,ये बात चूँकि साबित हो चूकि है,इसलिए अब गोरो की तरह मनुवादियो से भी पुरी अजादी जरुर मिलनी चाहिए|भले कुछ मनुवादी छुवा छुत करना छोड़कर सुधर गए हो|जो थोड़े बहुत गोरे भी निश्चित रुप से देश गुलाम के समय भी सुधरे हुए थे,जो भी गोरो का विरोध करके अजादी लड़ाई लड़ रहे लोगो का साथ दे रहे थे|जैसे की कुछ मनुवादी भी मनुवादियो के शोषन अत्याचार से पुर्ण अजादी पाने का संघर्ष चला रहे लोगो का साथ दे रहे हैं|क्योंकि गोरे जिस प्रकार गेट में ये लिखते थे कि कुत्तो और भारतीयो का अंदर प्रवेश मना है, उसी प्रकार मनुवादी भी मंदिरो के बाहर अब भी ये बोर्ड लगाते हैं कि मंदिर के अंदर शुद्रो का प्रवेश मना है|गोरे तो अब देश अजाद होने के बाद बोर्ड लगाना छोड़ दिये हैं,पर मनुवादी अब भी छुवा छुत बोर्ड लगाना नही छोड़े हैं|जिसका मुल कारन देश की सत्ता में अबतक मनुवादियो का वर्चस्व बने रहना है|जो समाप्त होते ही जिस प्रकार देश अजाद होने के बाद गोरे बोर्ड हटाने के लिए मजबूर हुए थे, उसी प्रकार मनुवादियो की दबदबा देश की सत्ता से जाने के बाद छुवा छुत बोर्ड लगाना बंद करना मनुवादियो की मजबुरी बन जायेगी|क्योंकि उस समय देश की सत्ता में मनुवादियो की घोर विरोध करने वाली पार्टी जिनका जन्म ही मनुवादियो के शोषन अन्याय अत्याचार से पुर्ण अजादी दिलाने के लिए कड़ी संघर्ष से हुआ है,उन पार्टियो की दबदबा देश की सत्ता में कायम रहेगी|जिसकी वजह से जिस प्रकार दिल्ली में कभी हुए निर्भया रेप कांड हो,उत्तर प्रदेश का विवेक तिवारी वाला मामला हो,या फिर अभी का #Me Too अभियान हो,जिस तरह जल्दी से एक्सन ली जा रही है|उसी प्रकार देश की सत्ता से मनुवादियो का दबदबा समाप्त होने के बाद जब भी मनुवादियो द्वारा एक भी शोषन अन्याय अत्याचार की घटना कि शिकायत होगी तो तुरंत एक्सन ले ली जायेगी|जैसे की अभी यदि कोई संवर्ण के साथ घटना होता है, और उसकी जानकारी मनुवादी दबदबा वाली सत्ता और मनुवादी मीडिया को खास जानकारी उपलब्ध होती है,तो वह उसे खास महत्व देकर तुरंत कारवाई सुरु हो जाती है|जो कारवाई मनुवादियो से पिड़ित लोगो के लिए नही होती है|जो कारवाई देश में मनुवादियो की दबदबा वाली कांग्रेस भाजपा सत्ता जाने के बाद सुरु हो जायेगी|बल्कि उससे भी कड़ी और उससे भी तेज कारवाई मनुवादी दबदबा सत्ता के समाप्त होने पर होगी|क्योंकि इतिहास गवाह है कि मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता में मनुवादियो से संघर्ष करने वालो का बुद्धी धन बल मजबुती इतिहास मनुवादियो से ज्यादा रहा है|जिसका प्रमाण महाराष्ट्र में हुए मालेगांव घटना में और महाभारत के एकलव्य घटना का उदाहरन में वीर बाजु और रक्षा हुनर बल का मौजुद रहना है|और बुद्धी में अजाद भारत का संविधान रचना और मनुवादियो का प्रवेश करने से पहले इतना बड़ा देश का निर्माण करना खास उदाहरन है|रही बात धन की ताकत की तो मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता समाप्त होने के बाद किसके पास सबसे अधिक धन की ताकत होगी या मनुवादियो के आने से पहले भी थी,ये तो मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता समाप्त होने के कुछ समय बाद अपडेट होकर पता चल जायेगा कि उस समय के शासको और मुलनिवासी प्रजा के पास कितना धन मौजुद होता था|जो शासन वापसी होने के बाद मनुवादी कटोरा धरकर वापस वामन बनकर छल कपट से वापस सत्ता में आने की बात सोचेगा कि बुद्धी धन और बल से आने की सोचेगा?वर्तमान में तो चूँकि मनुवादियो की दबदबा सत्ता पर कायम है,इसलिए मनुवादियो से पिड़ीत होनेवाला बहुसंख्यक अबादी कमजोर कहलाकर करोड़ो की तादार में गरिब बीपीएल बना हुआ है!जबकि इतिहास मंथन करके मुझे तो पुरा यकिन है कि मनुवादी भी उस समय गरिब बीपीएल नही रहेगा जब इस देश में मनुवादियो की वर्चस्व समाप्त होगी|हाँ अपकीबार उन्हे दान में ऐसी सत्ता नही मिलेगी जिसे पाने के बाद दान देने वाले को ही दान लेने वालो द्वारा कैद कर दिया जाय|फिलहाल तो मनुवादी पार्टियो में देश की सत्ता में सबसे प्रमुख पार्टी भाजपा कांग्रेस वर्चस्व प्रमुख पक्ष विपक्ष के रुप में भी मौजुद है, ये बात सबको पता है|जाहिर है बिना भाजपा कांग्रेस दोनो के हारे मनुवादियो की सत्ता में दबदबा कायम रहेगी ये निश्चित है!जिसका प्रमाण देश में चारो ओर साक्षात नजारा मौजुद है कि किस तरह से देश में मनुवादियो के खिलाफ आंदोलन अब भी जोर सोर से चल रहे हैं|जो नजारा जबतक मौजुद रहेगी तबतक ये कड़वा सत्य भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी को देश की सत्ता पर खुद बैठाकर मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करने वालो को स्वीकारनी पड़ेगी कि मुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने वाली आवाज को दबाने कुचलने वाली कांग्रेस भाजपा पार्टी को देश की सत्ता में खुद बिठाकर खुद ही अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारकर भाजपा कांग्रेस सरकार से मनुवादियो की शोषण अन्याय अत्याचारो से अजादी की उम्मीद फिजूल में की जा रही है|जाहिर है मेरा कहने का मतलब साफ है की मनुवादियो के शोषण अन्याय अत्याचार के खिलाफ अजादी संघर्ष चल रहा है,इसका मतलब इस देश की सत्ता में मनुवादियो की दबदबा कायम है|और मनुवादियो की दबदबा का मतलब साफ है कि उनको चुनाव मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने वाले ही जिताकर कांग्रेस भाजपा को सत्ता में बिठा रहे हैं|जिन दोनो पार्टियो को पहले देश की सत्ता दबदबा से हटाना होगा|उसके बाद ही ये तय ठीक से हो पायेगा की अजाद भारत का संविधान लागू व्यवस्था में असल गलती कहाँ पर मौजुद है|जिसमे सुधार जरुर करनी चाहिए|जिसके लिए सबसे पहले कांग्रेस और भाजपा के बगैर वाली सत्ता लाया जाय और कांग्रेस भाजपा दोनो को एक साथ हराया भी जाय|जो बिल्कुल आसान है कि शोषित पिड़ित बहुजन अभी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,जिनका डीएनए एक है,जो कि मनुवादियो से नही मिलता है,ये बात साबित हो चुकि है|वे सभी एकजुट होकर कांग्रेस भाजपा पार्टी को एक भी वोट न करें,बल्कि उनके खिलाफ एकजुट हो जाय|चाहे इसके लिए क्यों न अपने परिवार के उन सदस्य और दोस्त रिस्तेदारो को वोट देना बंद करनी पड़े जो भाजपा कांग्रेस में शामिल हैं|जिन शामिल लोगो को मैं गाँधी का तीन बंदर मानता हुँ|जो भाजपा कांग्रेस में शामिल होकर मनुवादियो के खिलाफ हो रहे कड़ी संघर्ष में कान बंद,मुँह बंद,और आँख बंद करके योगदान दे रहे हैं|जिनका नाम मनुवादियो के खिलाफ अजादी संघर्ष इतिहास में वैसा ही दर्ज होगा या हो रहा है,जैसे की घर का भेदी का नाम दर्ज होता है|जिस बात को कोई गलत तभी साबित कर पायेगा जब वह ये साबित कर देगा कि इस देश में भाजपा कांग्रेस के शासन में मनुवादी दबदबा कायम नही थी|इसलिए अब भी समय रहते वे तमाम बहुसंख्यक शोषित पिड़ित भाजपा कांग्रेस के खिलाफ हो जायं जो मनुवादियो के खिलाफ चल रहे कड़ी संघर्ष में अबतक गाँधी का तीन बंदर बने हुए हैं|क्योंकि कुछ समझदार संवर्ण भी यदि मान लिये हैं कि भाजपा कांग्रेस मनुवादी पार्टी हैं,जिसकी दबदबा रहते हुए देश से छुवा छुत शोषन अन्याय अत्याचार कभी नही समाप्त हो सकती है,तो फिर आखिर क्या वजह हो सकती है कि अब भी कांग्रेस भाजपा पर विश्वास कायम है?जिसे तो मैं मनुवादियो के प्रती अँधविश्वास भी मानता हुँ कि मनुवादियो की दबदबा में सबसे उत्तम शासन रामराज भी कभी था या आयेगा या चल रहा है|जहाँ पर शंभुक प्रजा सबसे सुख शांती और समृद्धी जिवन बिताती है|जिसका बड़ा उदाहरण वर्तमान में भी साफ है,जब मनुवादियो की दबदबा वाली ऐसी सत्ता देश में कायम है|या फिर गाँधी का तीन बंदर आँख होते भी अँधा,कान होते भी बहरा,मुँह होते भी गुँगा बनने वाली सत्ता घर के भेदियो द्वारा मन से जय श्री राम कहकर कायम है|जिसमे हर साल तीस से चालीस हजार बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज हो रही है|और आधी से अधिक शंभुक प्रजा गरिब बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है|जो बुरे हालात जल्द से जल्द समाप्त होनी चाहिए|और वैसे भी मनुवादियो की सत्ता तो एकदिन जानी ही है,जैसे की गोरो की दबदबा सत्ता गई|जिस तरह की दुसरी अजादी पाने के लिए ही तो कड़ी संघर्ष देश में बहुत पहले से ही विभिन्न रुपो में चल रही है|जो मनुवादियो देश छोड़ो हालात तो नही पर मनुवादियो देश की सत्ता छोड़ो संघर्ष लंबे समय से जरुर चल रही है|जिसे उसकी मंजिल तक इसी वर्तमान के युवा पिड़ी को ही पहुँचा देनी चाहिए देश से भाजपा कांग्रेस की सत्ता को हटाकर|जिसे एक न एकदिन हटना तो निश्चित है|जिसे हटना चाहिए इसकी बुद्धी करोड़ो लोगो को बहुत पहले ही आ चुकि है|और जिसे सत्य बुद्धी नही आई है उन्हे भी कभी न कभी जल्द आ जायेगी|जिसके बाद इस देश से मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता जायेगी|जो कोई आकाशवाणी या भविष्यवाणी नही है,बल्कि भविष्य में होनेवाली वह सच्चाई है,जिसका बीज उसी समय ही बहुत पहले बोई जा चुकि है,जब मनुवादियो से अजादी पाने का मन इस देश के शुद्रो ने पुरी तरह से बना लिया है|और इतिहास में आजतक कोई भी ऐसी क्रांती या फिर अजादी की लड़ाई नही लड़ी गई है,जिसे उसके मंजिल तक न पहुँचा दिया गया हो|और अगर यदि कोई किसी कारन वश नही भी पहुँची हो तो वह भी कभी न कभी रिले रेस छड़ी की तरह अजादी की जादुई छड़ी जरुर पहुँच जायेगी|क्योंकि सौ प्रतिशत सत्य है कि यदि गुलामी होती है,तो अजादी भी होती है|गोरो से अजादी मिलने का ई. 1947 ई. और गणतंत्र 1950 ई. तो इतिहास में दर्ज हो चुकि है,पर मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता जाने की अजादी ई. अबतक दर्ज नही हुई है|जिस ऐतिहासिक पल का इंतजार मेरे ख्याल से दिल से मनुवादी का शिकार होने वाले तमाम लोगो को बेसब्री से है|जो हो सकता है 2019 ई. में पुर्ण अजादी ई. मिल जाय यदि कांग्रेस भाजपा को बहुजन समाज पार्टी की तरह 0 न सही पर दोनो पार्टी के सांसद कम से कम गाँधी का तीन बंदर चुनाकर लोकसभा में छुवा छुत करने वालो की सपोर्टरो को बचाने के लिए आवाज उठाने के लिए चुनकर आयें|या फिर यदि कांग्रेस या भाजपा  में ही कोई एक पार्टी फिर से चुनकर आये तो 2024 ई. में तो कम से कम मनुवादी सत्ता को बिल्कुल ही समाप्त हो जानी चाहिए|क्योंकि मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करते करते जो पिड़ी बुढ़ा बुढ़ी हो चुके हैं,उनकी नई पिड़ी भी युवा होकर मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करते करते या फिर घर का भेदी बनकर गाँधी का तीन बंदर बनकर जय श्री राम करते करते इस अँधविश्वास में डुबकर कहीं बुढ़ा बुढ़ी न हो जाय कि दुनियाँ का सबसे आदर्श शासन मनुवादियो की दबदबा में चल रहा है|क्योंकि मनुवादियो की छुवा छुत परंपरा पिड़ि दर पिड़ि वैसे भी डायनासोर काल से चली आ रही है|जिसकी झांकी अब भी मनुवादी परंपरा की डायनासोर हड्डी की तरह खुदाई करने से नही बल्कि साक्षात आज भी छुवा छुत करने वाले प्राणी विचरण करते पाये जाते हैं|जिनकी भी कभी डायनासोर पार्क की तरह छुवा छुत पार्क बननी चाहिए|जहाँ पर उन तमाम मनुवादियो को सुधार घर की तरह रखनी चाहिए,जिन्होने आजतक भी अपने भितर छुवा छुत करना नही छोड़ा है|जिनके बारे में करिब से जानने के लिए मनुवादी का शिकार हुए लोग विशेष सुरक्षा इंतजाम में छुवा छुत पार्क का भ्रमन कर सके|जो सारी अपडेट तब हो पायेगी जब मनुवादियो की सत्ता पुरी तरह से चली जायेगी|जो अभी जाय या न जाय पर वर्तमान में मौजुद मनुवादियो के बुढ़े होकर उनके अपने आप ही खत्म होने के बाद मनुवादी दबदबा समाप्त जरुर हो जायेगी|क्योंकि मनुवादियो की नई पिड़ी अब और आगे छुवा छुत परंपरा को ले जाने के लिए न तो ज्यादे दिलचस्पी दिखला रही है,और न ही सभी अपने पुर्वज मनुवादियो की छुवा छुत सत्ता को कोई किमती खजाना समझकर हमेशा कायम रखना चाहती है|जो यदि चाहेगी भी तो उसका अब सामना करने के लिए वर्तमान और भविष्य की भी नई पिड़ी पुर्ण अजादी पाने के लिए बुद्धी बल से तैयार हो चुकी है|जिसका प्रमाण देश के कोने कोने से ऐसे युवा पिड़ी का चुन चुनकर उभरते हुए भरमार देखने सुनने और पढ़ने को मिल रही है,जिनके भितर अब जागरुकता आकर मनुवादियो की गुलामी से अजादी पाने की सारी जुनून सवार हो गई  है|मैं उछल कुद करते गाँधी का तीन बंदरो की बात नही कर रहा हुँ|उसे तो मैं बार बार कभी समझाना ही नही चाहुँगा|क्योंकि घर के भेदियो को समझाने से ज्यादा बेहतर तो जो लोग अपने पुर्वजो का इतिहास अब भी ठीक से नही जानते हैं,उनको उनके पुर्वजो के साथ छुवा छुत करने वाले प्राणिये का भी भेदभाव इतिहास बतलाकर उनके भितर अपने हक अधिकारो को पाने के लिए जागरुक करना ज्यादे बेहतर समझता हुँ|जिसके लिए ही तो भविष्य में डायनासोर पार्क की तरह छुवा छुत पार्क भी बनने की भी उम्मीद करता हुँ|जहाँ पर तब भी लोग अपना खोई हुई अजादी के बाद खुशी से मनोरंजन करते हुए छुवा छुत करने वालो के बारे में भी उनका इतिहास भी बेहत्तर तरिके से करिब से जान सकेंगे,जब एक भी छुवा छुत करने वाले लोग इस कृषी प्रधान देश की आपसी मेल जोल समाज में घुमते हुए नजर नही आयेंगे|क्योंकि तब छुवा छुत करते हुए पकड़े जाने के बाद मनुवादी सुधार के लिए छुवा छुत पार्को में ही भेजे जायेंगे|जो स्वभाविक है,क्योंकि छुवा छुत पुरी तरह से समाप्त होने के बाद मनुवादियो का शिकार होने वाले लोग जेल का कैदी बनकर भी छुवा छुत करने वालो के साथ सजा काटना कभी नही पसंद करेगा,और उन्हे छुवा छुत करने वालो से मान सम्मान के साथ सजा देने के लिए भी अलग कमरो में रखा जाय इसकी हड़ताल आंदोलन अपनी सत्ता में करने लगेंगे|अभी तो मनुवादी दबदबा शासन में मनुवादियो के साथ रहकर सर में छुवा छुत का मैला ढोना भी रोज की मजबुरी बनी हुई है|क्योंकि उन्हे पता है कि जब गुलामी से अजादी संघर्ष चल रही होती है उस समय जिवित रहना उस मान सम्मान से ज्यादे जरुरी होती है,जो अजादी के बाद मिलती है|जिसे पाने के लिये डंडे खाने से लेकर सर में मैला ढोना भी मजबुरी बन जाती है|जैसे की गोरो के शासन में बहुत से भारतीयो की न चाहते हुए भी गुलाम करने वाले गोरो के कार्यालयो में साथ में रहकर नौकरी करना भी अजादी पाने के लिए बहुत से परिवारो की भुख से बड़ा दुःख नही मजबुरी बन गई थी|पर ज्यादे जरुरत होने पर उस नौकरी को भी बहुत से लोग त्यागकर अजादी आंदोलन में खाली पेट भी कुद पड़े थे|जैसे की आज बहुत से लोग मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने के लिए बड़े बड़े सरकारी नौकरी तक को भी छोड़ रहे हैं|कम से कम मनुवादियो के विरोध में वोट डालने के लिए एकदिन के लिए तो भुखा जरुर रहा जा सकता है|बल्कि पेट के लिए रुखा सुखा भी इंतजाम रहने पर धिरे धिरे लोग हर साल दो करोड़ को नौकरी मिलने के बजाय मनुवादियो की सत्ता से छुटकारा मिलने के लिए सड़को पर ज्यादे आने लगे हैं जो आगे और भी अधिक आयेंगे|क्योंकि उन्हे तब यहसाश हो जायेगा कि मनुवादियो की सत्ता जबतक रहेगी तबतक नौकरी मिलने में भी आरक्षण के बाद भी भारी भेदभाव होती रहेगी|जिसकी झांकी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मनुवादियो की दबदबा किस तरह से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है?जिसके अनुसार विधायिका में आजतक एक भी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री इसलिए सायद नही बनाया गया है,क्योंकि संवर्णो को लगता है कि सबसे ज्यादे बेहत्तर देश चला सकते हैं|पिछड़ी और अल्पसंख्यक लोग भी कितने बने ये भी एक ही डीएनए के तमाम मुलनिवासियो के खास चिंतको द्वारा मंथन करके अब किसी से भी नही छुपी हुई है|जो सभी अब जल्द से जल्द प्रधानमंत्री मंत्री और राष्ट्रपति बनना चाहते हैं|पर चूँकि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति पद तक हर कोई पहुँचना चाहता है,जिसके चलते आपसी फुट होकर आजतक मनुवादी पार्टियो को सेवा के बदले सबसे अधिक वोट भी सायद मिलते रहे है|और आपसी फुट का फायदा उठाकर फुट डालो और राज करो की नीति ही से तो संवर्ण बार बार लगातार सबसे अधिक प्रधानमंत्री बनते आ रहे हैं|नही तो फिर मनुवादियो से ज्यादे वोट आपस में ही बंटकर चुनाव लड़ने वाले मनुवादियो का विरोध करने वालो के पास गोरो के जाने के बाद पहली चुनाव 1952 ई. में हुआ था उस समय से ही मौजुद है|पर फिर भी मनुवादी दबदबा शासन ही कायम होती चली गयी है|और उसके बाद जाहिर है मनुवादी दबदबा सत्ता स्थिर होने के बाद कार्यपालिका में भी 79% संवर्णो का ही कब्जा है|जिसके बारे में उनका मानना है कि संवर्ण ज्यादे लायक अथवा हुनरमंद हैं|इसलिये वे सबसे अधिक चुने गये हैं|और आरक्षण वाले कम हुनरमंद हैं,जिसके चलते आरक्षण होने के बावजुद भी नौकरियो में उनकी भागिदारी कम है|क्योंकि मनुवादियो के लिये तो इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो बस ढोल,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी के ही सबसे बेहतर लायक हैं|जिन मुलनिवासियो के हक अधिकारो के साथ विशेष न्याय करने वाली न्यायपालिका में भी 97% संवर्णो का कब्जा है|जिसके बारे में उनका मानना है कि जिस अजाद भारत का संविधान की रचना बाबा अंबेडकर ने मनुस्मृती को जलाकर किया था|उसमे अथवा अजाद भारत का संविधान में जो विशेष अधिकार दिया गया है,उसकी सुरक्षा और उसे लागु करने का सबसे अधिक हुनर मनुस्मृती की रचना करने वालो की परिवार के लोगो के पास ही मौजुद है|इसके बाद चौथा स्तंभ लोकतंत्र में घटित हो रहे सत्य का आईना दिखाने का काम करने वाली मीडिया में भी 97% संवर्णो का ही कब्जा है|कुल मिलाकर मनुवादी दबदबा बनाकर मनुवादियो ने छुवा छुत शोषन करके भी ये साबित करने की कोशिष किया है कि वे एकलव्य का हक अधिकार अँगुठा काटकर भी सबसे बेहतर वीर रक्षक बने हुए हैं|और मनुस्मृती रचने वाले ही अजाद भारत का संविधान रक्षक बनने का सबसे विद्वान पंडित कहला सकते हैं|और साथ साथ इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश के मुलवासियो से ज्यादा धन्ना हैं| जैसे की सायद इस देश को गुलाम करके गोरे सबसे अमिर और विद्वान भी खुदको कहते थे|जो देश गुलाम करके अजादी की लड़ाई लड़ने वालो को सजा देकर न्याय करने में भी सबसे माहिर थे|फिर क्यों नही पुरी दुनियाँ को अपने सबसे विकसित होने की गुलाम करने वाला संस्कार अब सिखलाते हैं?क्यों मनुवादी पुरी दुनियाँ को छुवा छुत करना नही सिखलाते हैं?क्योंकि उनकी नई पिड़ि को अपने छुवा छुत करने और गुलाम करने वालो से ज्यादा विकसित जिवन जिने की कला गुलाम होने वाले और छुवा छुत सहने वालो से आ गई है|जो कला उन्हे अपने छुवा छुत करने और गुलाम करने वाले पुर्वजो से कभी भी नही आ सकती थी|जिन्हे मनुवादी दबदबा समाप्त होने के बाद भी बहुत कुछ आधुनिक अपडेट सिखने को मिलेगी जो अभी उन्हे मंगल तक भी पहुँचकर सिखने को नही मिलेगी|जैसे की मनुवादी खुदको जन्म से ही विद्वान पंडित कहलाकर भी आजतक छुवा छुत को पुरी तरह से छोड़ पाना अबतक भी नही सिख पाया है,और आर्यव्रत का सबसे श्रेष्ट उत्तम अथवा आर्य प्राणी छुवा छुत करने वाला होता है,ये साबित करने में लगा हुआ है|जैसे की कभी गोरे भी पुरी दुनिया में घुम घुमकर कई देशो को गुलाम बनाकर खुदको सबसे आधुनिक मानव कहलाने में लगे हुए थे|

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

अँधेर नगरी चौपट मनुवादी राज

Khoj123
भारत में चल रहे #MeToo अभियान में इनकी दुःख दर्द को भी शामिल किया जाय|जो इस समय तो मौजुद नही हैं शोसल मीडिया में,पर उनकी दुःख दर्द को समझने वाली जनता तो जरुर उनकी अवाज को भी अपनी अवाज कहकर उठा सकती है|
#MeToo विष्णु ने जालंधर की पत्नी तुलसी का शोषन किया, #MeToo ब्रह्मा ने सरस्वती का शोषन किया,
 #MeToo वृहस्पती ने अपने भाई की गर्भवती पत्नी ममता का शोषन किया ,#MeToo चंद्र ने अपने गुरु की पत्नी तारा का शोषन करके बुध को पैदा किया, #MeToo स्वर्ग का राजा इंद्र ने निचे धरती पर किसी एलियन कि तरह उतरकर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का बलात्कार किया |
#MeToo इसके अलावे भी वेद पुराण रामायण महाभारत में शोषण अत्याचार की वह बहुत सारी कहानी दबी हुई है|जिसकी आरती उतारने के बजाय पोल खोल अभियान चले|क्योंकि वे सारी महिलायें भी कहीं न कहीं खास महिलायें कहलाती हैं|बाकि तो हर साल हजारो बलात्कार जिन महिलाओ के साथ हो रही है,वह तो ऐसी अभियान के लिए कमजोर महिलायें हैं,इसलिये उनके लिये #MeToo अभियान नही बल्कि मनुवादी सत्ता का खात्मे की अभियान चल रही है| क्योंकि उनके लिये तो लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत तमाम फिल्म उद्योग,खेल जगत,व्यापारी जगत,वगैरा वगैरा में इस मनुवादी दौर में अभी घोर अँधेर नगरी चौपट राजा का दौर चल रहा है|जिस दौर में कमजोर माने जानी वाले घरो कि महिलाओ की आवाज घोर अँधेरा में सिर्फ ज्यादेतर तो चिख चिला रही है|जिनमे मासुम बच्चियो से लेकर बुढ़ी महिलायें भी उनकी अवाज सुनने और उनके साथ न्याम मिलने का इंतजार कर रही हैं|
जिनकी तादार बड़ती ही जा रही है|जिनके बारे में अंदाजा करनी हो की इस घोर अँधेर नगरी चौपट राजा मनुवादी शासन के दौर में गोरो के जाने के बाद से लेकर अबतक कितनो के साथ शोषन अत्याचार हो गयी होगी तो सिर्फ 2016 के NCRB आंकड़े को झांकी के तौर में देख पढ़ लिया जाय,जिनके मुताबिक बहुत हुआ नारी पर वार,अपकीबार भाजपा सरकार आने के बाद बलात्कार के मामले 2015 की तुलना में 2016 ई. में 12.4% बड़कर 38947 दर्ज हो चुके हैं| सबसे अधिक मध्यप्रदेश में 4882 बलात्कार के केश दर्ज हुए हैं|कांग्रेस शासन में भी हर साल हजारो बलात्कार और भाजपा सरकार में भी हर साल हजारो बलात्कार हुए हैं|जिसकी पुरी फिल्म तो जब मनुवादियो की दबदबा वाली घोर अँधेर नगरी चौपट राजा का दौर समाप्त होगा और लोकतंत्र के चारो स्तंभो में जब इस देश के मुलवासियो की दबदबा वाली हजारो लाखो के साथ न्याय करने का दौर चलेगा,जिसकी खामौश अवाजे अभी मानो घोर अँधेरा में भी छुपते दबाते हुए भी इतिहास में उसी तरह दर्ज होते जा रही है,जैसे की गोरो की दबदबा वाली शासन में हजारो लाखो लोगो की अवाजे दबी हुई थी|जिनके साथ भी अधुरा न्याय हुआ है,क्योंकि इस देश के मुलवासियो को अधुरा अजादी मिला है ये बात धिरे धिरे सभी उन लोगो को समझ में आती जा रही है जिन्हे लगता है कि देश पुर्ण अजाद हो चुका है और अबतक लोकतंत्र के चारो स्तंभो में ज्यादेतर टैलेंटेड लोगो का राज चल रहा है|जो गलतफेमी गोरो के राज में भी कही जा रही थी कि गोरे बहुत बुद्धीमान थे इसलिए देश के तमाम उच्च पदो में उनकी दबदबा थी|जिस समय ऐसा नही था कि भारत के लोग उस समय शासन में नही थे|उसी तरह अभी भी ऐसा नही कि इस देश के मुलनिवासी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे बिल्कुल नही हैं|बस उनका अभी राज नही चल रहा है|जो चलेगा तो समझो उसी समय पुर्ण अजादी मिल जायेगी मनुवादियो की अँधेर नगरी चौपट राज से|

रविवार, 7 अक्टूबर 2018

एकजुट होकर अपकीबार 85% मुलनिवासी सरकार मन में ठान लें चाहे जिस भी धर्म में मौजुद हो शोषित पिड़ित संघर्ष कर रहे मुलनिवासी

इस देश के मुलवासियो द्वारा चाहे वे जिस भी धर्म में मौजुद हो उनके द्वारा भाजपा कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़कर या फिर भाजपा कांग्रेस को वोट डालकर कभी भी इस देश में मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो से समाप्त नही हो सकती|जो बात सिर्फ मैं ही नही बल्कि भाजपा और कांग्रेस की सरन में जाने वाले मुलनिवासी नेता और मंत्री खुद तब कहते हैं जब भारी भेदभाव के चलते उनकी कुर्सी चली जाती है या फिर टिकट न मिलने का डर उन्हे सताता रहता है|जिससे पहले तक वे मनुवादियो के खिलाफ न खुलकर बोलते सुनते हैं,और न ही देखते हैं|जिस तरह के लोगो को मुलता अपने उपर बिल्कुल भी यकिन नही है कि वे कभी कांग्रेस भाजपा को हरा भी सकते हैं|वह भी ये जानते हुए कि यदि इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में भी मौजुद हो, जिनकी अबादी 85% है वे यदि एकबार भी यदि एकजुट होकर भाजपा कांग्रेस पार्टी छोड़कर किसी ऐसी पार्टी को वोट कर दे जिसका जन्म किसी मुलवासि के द्वारा हुआ है,और नेतृत्व भी मुलनिवासी के द्वारा ही हो रहा है,तो ये बात सौ प्रतिशत तय है कि अपने एग्जिट पोल में भाजपा कांग्रेस को पहला और दुसरा बतलाने वाले मनुवादी मीडिया को ये बात भी समझ में आ जायेगी कि इन दोनो पार्टियो की वजह से ही लोकतंत्र का चौथा स्तंभ का नेतृत्व करने का खास मौका मिलने के बावजुद भी वह अपना सही काम ठीक से नही कर पा रही है|और क्रांतीकारी युग में भी लोकतंत्र का आईना में ढोंग पाखंड जादुगरी खबर को ज्यादे दिखलाने में लगी हुई है|बजाय इसके कि वह इसका जवाब तलाशने की कोशिष में दिन रात लगी रहती कि खुदको जन्म से सबसे अधिक टैलेंटेड बतलाने वाले मनुवादियो की दबदबा में यह सोने की चिड़िसाँ कहलाने वाला कृषी प्रधान देश होने के बावजुद भी आखिर उतनी अबादी आज भी बीपीएल भारत क्यों है जितनी की अजादी के समय पुरे देश की अबादी थी?जितनी अबादी आज गरिबी रेखा से भी निचे का जिवन जिने को मजबुर है|और भाजपा कांग्रेस बार बार चुनाव में भाषन देते समय देश का बहुत विकाश कर दिया है कहकर आधुनिक भारत गरिबी हटाओ शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया करके मानो मनुवादी मीडिया से मिलकर इस देश में हो रहे शोषन अन्याय अत्याचार बदहाली को छिपाने में लगी हुई है|कुछ विकाश तो गोरे भी कर रहे थे देश का जब वे देश गुलाम किये हुए थे|इसका मतलब ये नही कि भारी भेदभाव करते हुए वे बेहत्तर सेवा कर रहे थे|बेहत्तर सेवा क्या होती है ये बात छुवा छुत करने वाले मनुवादियो को इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनकी दबदबा जब लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में हो जायेगी तब समझ में पुरी दुनियाँ को भी अच्छी तरह से आ जायेगी कि आखिर ये देश सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी अबतक गरिब क्यों है?

मनुवादी मीडिया अपने ढोंग पाखंड एग्जिटपोल में 85% मुलनिवासियो को 4% सीट मिलेगा दिखलाकर भ्रमित करके दरसल भाजपा कांग्रेस का वोट दलाली कर रही है

मनुवादी एक्जिट पोल देखकर 85% मुलनिवासी जो चाहे जिस भी धर्म में मौजुद हो वे अपने आप को लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपना हक अधिकारो का अँगुठा कटते हुए जानकर निराश हतास बिल्कुल भी न होवे!क्योंकि उनकी दबदबा की सत्ता लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में जिसदिन भी आयेगी,उसदिन मनुवादियो को भी समझ में आ जायेगी कि इस समृद्ध देश में अबतक आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ,और शाईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया की भारी बहुमत सेवा पाकर भी बीपीएल भारत क्यों अबतक भरपेट अन्न जल के लिए भी तरस रही है|क्यों 15% अबादी 85% अबादी को शोषन अत्याचार करने में संकोच नही कर रही है?बल्कि मारने पिटने और छुवा छुत करने के बाद भी निश्चित होकर क्यों अबतक राज कर रही है?जिस तरह का निश्चित होकर कभी मुठीभर गोरे भी हिन्दु मुस्लिम के नाम से आपस में फुट डालकर राज कर रहे थे|मनुवादी तो 85%मुलवासियो को जो चाहे जिस धर्म में भी मौजुद हो उन्हे हजारो जातियों में बांटकर आपस में फुट डालकर राज कर रहे हैं|

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...