इस आर्यावर्त धरती का सबसे आर्य अथवा छुवाछुत करने वाला श्रेष्ट प्राणी

आर्यव्रत श्रेष्ट उतम स्वर्ण उच्च जाती छुवा छुत भारत हिन्दुस्तान India Khoj 123
इस आर्यावर्त धरती का सबसे आर्य
अथवा छुवाछुत करने वाला श्रेष्ट प्राणी के श्रेष्ट होने के बारे में जानने से पहले ये बात जरुर जान लें कि गोरो की शोषन अत्याचारो से अजादी पाने का कड़ी संघर्ष 1947 ई. में ही समाप्त हो गई है|क्योंकि गोरो की सत्ता इस देश से चली गई है|जिनसे अजादी मिलने के बाद अब मनुवादियो से अजादी पाने की संघर्ष लंबे समय से चल रही है|जिन मनुवादियो का शोषण अन्याय अत्याचार पीड़ा सहते हुए बहुसंख्यक चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उसकी बहुमत वोट से देश में अगर गोरो की गुलामी से अजादी मिलने के बाद भारी बहुमत की भाजपा सरकार आती है,तो भी मनुवादियो से अजादी नही मिलती है,और अगर भारी बहुमत से कांग्रेस सरकार आती है,तो भी मनुवादियो से अजादी नही मिलती है|आखिर क्यों जो लोग मनुवादियो से अजादी पाने के लिए गोरो से गुलाम होने से पहले से ही लंबे संघर्ष कर रहे हैं,उनको अबतक मनुवादियो की शोषन अत्याचार से पुरी अजादी अजाद भारत का संविधान लागू होकर भी नही मिल पा रही है?जिसका जवाब खोजने के बाद यही सत्य बात पता चलता है कि मनुवादियो से पुरी अजादी अबतक न मिलने का प्रमुख वजह मनुवादी पार्टियो का अबतक देश की सत्ता पर अपनी दबदबा बनाये रखना है|जो स्वभाविक है,क्योंकि यदि गोरे भी इस देश की नागरिकता लेकर अभी भी अपने नेतृत्व में कोई पार्टी का गठन करके चुनाव लड़ते,और बार बार चुनाव लड़कर मनुवादियो से जितने के बाद किसी पार्टी या नेता का समर्थन लेकर अपनी दबदबा सरकार देश की सत्ता में अबतक बनाये भी रखते,तो भी जाहिर है अब भी गोरो के शोषण अत्याचार से अजादी का संघर्ष किसी न किसी पार्टी द्वारा चलाई जा रही होती|भले क्यों न गोरो में बहुत से गोरे मनुवादियो से कई गुना बेहत्तर सेवा देते हुए देश की सत्ता नेतृत्व कर रहे होते|क्योंकि गोरे विदेशी हैं,इसलिए चाहे वे सत्ता में रहकर जितना प्रजा और देश सेवा सुधार करे,और खुद भी सुधर जाय,उनके द्वारा शोषन अत्याचार जारी रहेगा ये बात सत्ता में गोरो की दबदबा कायम रहने तक बहुतो के मन में सेवा पाते हुए भी बैठी हुई रहती|जिस तरह की ही बात अब कई संगठनो और बहुसंख्यक शोषित पिड़ितो के भितर धिरे धिरे आग पकड़ रही है कि यदि गोरे विदेशी थे तो मनुवादियो की डीएनए भी विदेशियो से ही मिलती है,ये बात चूँकि साबित हो चूकि है,इसलिए अब गोरो की तरह मनुवादियो से भी पुरी अजादी जरुर मिलनी चाहिए|भले कुछ मनुवादी छुवा छुत करना छोड़कर सुधर गए हो|जो थोड़े बहुत गोरे भी निश्चित रुप से देश गुलाम के समय भी सुधरे हुए थे,जो भी गोरो का विरोध करके अजादी लड़ाई लड़ रहे लोगो का साथ दे रहे थे|जैसे की कुछ मनुवादी भी मनुवादियो के शोषन अत्याचार से पुर्ण अजादी पाने का संघर्ष चला रहे लोगो का साथ दे रहे हैं|क्योंकि गोरे जिस प्रकार गेट में ये लिखते थे कि कुत्तो और भारतीयो का अंदर प्रवेश मना है, उसी प्रकार मनुवादी भी मंदिरो के बाहर अब भी ये बोर्ड लगाते हैं कि मंदिर के अंदर शुद्रो का प्रवेश मना है|गोरे तो अब देश अजाद होने के बाद बोर्ड लगाना छोड़ दिये हैं,पर मनुवादी अब भी छुवा छुत बोर्ड लगाना नही छोड़े हैं|जिसका मुल कारन देश की सत्ता में अबतक मनुवादियो का वर्चस्व बने रहना है|जो समाप्त होते ही जिस प्रकार देश अजाद होने के बाद गोरे बोर्ड हटाने के लिए मजबूर हुए थे, उसी प्रकार मनुवादियो की दबदबा देश की सत्ता से जाने के बाद छुवा छुत बोर्ड लगाना बंद करना मनुवादियो की मजबुरी बन जायेगी|क्योंकि उस समय देश की सत्ता में मनुवादियो की घोर विरोध करने वाली पार्टी जिनका जन्म ही मनुवादियो के शोषन अन्याय अत्याचार से पुर्ण अजादी दिलाने के लिए कड़ी संघर्ष से हुआ है,उन पार्टियो की दबदबा देश की सत्ता में कायम रहेगी|जिसकी वजह से जिस प्रकार दिल्ली में कभी हुए निर्भया रेप कांड हो,उत्तर प्रदेश का विवेक तिवारी वाला मामला हो,या फिर अभी का #Me Too अभियान हो,जिस तरह जल्दी से एक्सन ली जा रही है|उसी प्रकार देश की सत्ता से मनुवादियो का दबदबा समाप्त होने के बाद जब भी मनुवादियो द्वारा एक भी शोषन अन्याय अत्याचार की घटना कि शिकायत होगी तो तुरंत एक्सन ले ली जायेगी|जैसे की अभी यदि कोई संवर्ण के साथ घटना होता है, और उसकी जानकारी मनुवादी दबदबा वाली सत्ता और मनुवादी मीडिया को खास जानकारी उपलब्ध होती है,तो वह उसे खास महत्व देकर तुरंत कारवाई सुरु हो जाती है|जो कारवाई मनुवादियो से पिड़ित लोगो के लिए नही होती है|जो कारवाई देश में मनुवादियो की दबदबा वाली कांग्रेस भाजपा सत्ता जाने के बाद सुरु हो जायेगी|बल्कि उससे भी कड़ी और उससे भी तेज कारवाई मनुवादी दबदबा सत्ता के समाप्त होने पर होगी|क्योंकि इतिहास गवाह है कि मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता में मनुवादियो से संघर्ष करने वालो का बुद्धी धन बल मजबुती इतिहास मनुवादियो से ज्यादा रहा है|जिसका प्रमाण महाराष्ट्र में हुए मालेगांव घटना में और महाभारत के एकलव्य घटना का उदाहरन में वीर बाजु और रक्षा हुनर बल का मौजुद रहना है|और बुद्धी में अजाद भारत का संविधान रचना और मनुवादियो का प्रवेश करने से पहले इतना बड़ा देश का निर्माण करना खास उदाहरन है|रही बात धन की ताकत की तो मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता समाप्त होने के बाद किसके पास सबसे अधिक धन की ताकत होगी या मनुवादियो के आने से पहले भी थी,ये तो मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता समाप्त होने के कुछ समय बाद अपडेट होकर पता चल जायेगा कि उस समय के शासको और मुलनिवासी प्रजा के पास कितना धन मौजुद होता था|जो शासन वापसी होने के बाद मनुवादी कटोरा धरकर वापस वामन बनकर छल कपट से वापस सत्ता में आने की बात सोचेगा कि बुद्धी धन और बल से आने की सोचेगा?वर्तमान में तो चूँकि मनुवादियो की दबदबा सत्ता पर कायम है,इसलिए मनुवादियो से पिड़ीत होनेवाला बहुसंख्यक अबादी कमजोर कहलाकर करोड़ो की तादार में गरिब बीपीएल बना हुआ है!जबकि इतिहास मंथन करके मुझे तो पुरा यकिन है कि मनुवादी भी उस समय गरिब बीपीएल नही रहेगा जब इस देश में मनुवादियो की वर्चस्व समाप्त होगी|हाँ अपकीबार उन्हे दान में ऐसी सत्ता नही मिलेगी जिसे पाने के बाद दान देने वाले को ही दान लेने वालो द्वारा कैद कर दिया जाय|फिलहाल तो मनुवादी पार्टियो में देश की सत्ता में सबसे प्रमुख पार्टी भाजपा कांग्रेस वर्चस्व प्रमुख पक्ष विपक्ष के रुप में भी मौजुद है, ये बात सबको पता है|जाहिर है बिना भाजपा कांग्रेस दोनो के हारे मनुवादियो की सत्ता में दबदबा कायम रहेगी ये निश्चित है!जिसका प्रमाण देश में चारो ओर साक्षात नजारा मौजुद है कि किस तरह से देश में मनुवादियो के खिलाफ आंदोलन अब भी जोर सोर से चल रहे हैं|जो नजारा जबतक मौजुद रहेगी तबतक ये कड़वा सत्य भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी को देश की सत्ता पर खुद बैठाकर मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करने वालो को स्वीकारनी पड़ेगी कि मुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने वाली आवाज को दबाने कुचलने वाली कांग्रेस भाजपा पार्टी को देश की सत्ता में खुद बिठाकर खुद ही अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारकर भाजपा कांग्रेस सरकार से मनुवादियो की शोषण अन्याय अत्याचारो से अजादी की उम्मीद फिजूल में की जा रही है|जाहिर है मेरा कहने का मतलब साफ है की मनुवादियो के शोषण अन्याय अत्याचार के खिलाफ अजादी संघर्ष चल रहा है,इसका मतलब इस देश की सत्ता में मनुवादियो की दबदबा कायम है|और मनुवादियो की दबदबा का मतलब साफ है कि उनको चुनाव मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने वाले ही जिताकर कांग्रेस भाजपा को सत्ता में बिठा रहे हैं|जिन दोनो पार्टियो को पहले देश की सत्ता दबदबा से हटाना होगा|उसके बाद ही ये तय ठीक से हो पायेगा की अजाद भारत का संविधान लागू व्यवस्था में असल गलती कहाँ पर मौजुद है|जिसमे सुधार जरुर करनी चाहिए|जिसके लिए सबसे पहले कांग्रेस और भाजपा के बगैर वाली सत्ता लाया जाय और कांग्रेस भाजपा दोनो को एक साथ हराया भी जाय|जो बिल्कुल आसान है कि शोषित पिड़ित बहुजन अभी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,जिनका डीएनए एक है,जो कि मनुवादियो से नही मिलता है,ये बात साबित हो चुकि है|वे सभी एकजुट होकर कांग्रेस भाजपा पार्टी को एक भी वोट न करें,बल्कि उनके खिलाफ एकजुट हो जाय|चाहे इसके लिए क्यों न अपने परिवार के उन सदस्य और दोस्त रिस्तेदारो को वोट देना बंद करनी पड़े जो भाजपा कांग्रेस में शामिल हैं|जिन शामिल लोगो को मैं गाँधी का तीन बंदर मानता हुँ|जो भाजपा कांग्रेस में शामिल होकर मनुवादियो के खिलाफ हो रहे कड़ी संघर्ष में कान बंद,मुँह बंद,और आँख बंद करके योगदान दे रहे हैं|जिनका नाम मनुवादियो के खिलाफ अजादी संघर्ष इतिहास में वैसा ही दर्ज होगा या हो रहा है,जैसे की घर का भेदी का नाम दर्ज होता है|जिस बात को कोई गलत तभी साबित कर पायेगा जब वह ये साबित कर देगा कि इस देश में भाजपा कांग्रेस के शासन में मनुवादी दबदबा कायम नही थी|इसलिए अब भी समय रहते वे तमाम बहुसंख्यक शोषित पिड़ित भाजपा कांग्रेस के खिलाफ हो जायं जो मनुवादियो के खिलाफ चल रहे कड़ी संघर्ष में अबतक गाँधी का तीन बंदर बने हुए हैं|क्योंकि कुछ समझदार संवर्ण भी यदि मान लिये हैं कि भाजपा कांग्रेस मनुवादी पार्टी हैं,जिसकी दबदबा रहते हुए देश से छुवा छुत शोषन अन्याय अत्याचार कभी नही समाप्त हो सकती है,तो फिर आखिर क्या वजह हो सकती है कि अब भी कांग्रेस भाजपा पर विश्वास कायम है?जिसे तो मैं मनुवादियो के प्रती अँधविश्वास भी मानता हुँ कि मनुवादियो की दबदबा में सबसे उत्तम शासन रामराज भी कभी था या आयेगा या चल रहा है|जहाँ पर शंभुक प्रजा सबसे सुख शांती और समृद्धी जिवन बिताती है|जिसका बड़ा उदाहरण वर्तमान में भी साफ है,जब मनुवादियो की दबदबा वाली ऐसी सत्ता देश में कायम है|या फिर गाँधी का तीन बंदर आँख होते भी अँधा,कान होते भी बहरा,मुँह होते भी गुँगा बनने वाली सत्ता घर के भेदियो द्वारा मन से जय श्री राम कहकर कायम है|जिसमे हर साल तीस से चालीस हजार बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज हो रही है|और आधी से अधिक शंभुक प्रजा गरिब बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है|जो बुरे हालात जल्द से जल्द समाप्त होनी चाहिए|और वैसे भी मनुवादियो की सत्ता तो एकदिन जानी ही है,जैसे की गोरो की दबदबा सत्ता गई|जिस तरह की दुसरी अजादी पाने के लिए ही तो कड़ी संघर्ष देश में बहुत पहले से ही विभिन्न रुपो में चल रही है|जो मनुवादियो देश छोड़ो हालात तो नही पर मनुवादियो देश की सत्ता छोड़ो संघर्ष लंबे समय से जरुर चल रही है|जिसे उसकी मंजिल तक इसी वर्तमान के युवा पिड़ी को ही पहुँचा देनी चाहिए देश से भाजपा कांग्रेस की सत्ता को हटाकर|जिसे एक न एकदिन हटना तो निश्चित है|जिसे हटना चाहिए इसकी बुद्धी करोड़ो लोगो को बहुत पहले ही आ चुकि है|और जिसे सत्य बुद्धी नही आई है उन्हे भी कभी न कभी जल्द आ जायेगी|जिसके बाद इस देश से मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता जायेगी|जो कोई आकाशवाणी या भविष्यवाणी नही है,बल्कि भविष्य में होनेवाली वह सच्चाई है,जिसका बीज उसी समय ही बहुत पहले बोई जा चुकि है,जब मनुवादियो से अजादी पाने का मन इस देश के शुद्रो ने पुरी तरह से बना लिया है|और इतिहास में आजतक कोई भी ऐसी क्रांती या फिर अजादी की लड़ाई नही लड़ी गई है,जिसे उसके मंजिल तक न पहुँचा दिया गया हो|और अगर यदि कोई किसी कारन वश नही भी पहुँची हो तो वह भी कभी न कभी रिले रेस छड़ी की तरह अजादी की जादुई छड़ी जरुर पहुँच जायेगी|क्योंकि सौ प्रतिशत सत्य है कि यदि गुलामी होती है,तो अजादी भी होती है|गोरो से अजादी मिलने का ई. 1947 ई. और गणतंत्र 1950 ई. तो इतिहास में दर्ज हो चुकि है,पर मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता जाने की अजादी ई. अबतक दर्ज नही हुई है|जिस ऐतिहासिक पल का इंतजार मेरे ख्याल से दिल से मनुवादी का शिकार होने वाले तमाम लोगो को बेसब्री से है|जो हो सकता है 2019 ई. में पुर्ण अजादी ई. मिल जाय यदि कांग्रेस भाजपा को बहुजन समाज पार्टी की तरह 0 न सही पर दोनो पार्टी के सांसद कम से कम गाँधी का तीन बंदर चुनाकर लोकसभा में छुवा छुत करने वालो की सपोर्टरो को बचाने के लिए आवाज उठाने के लिए चुनकर आयें|या फिर यदि कांग्रेस या भाजपा  में ही कोई एक पार्टी फिर से चुनकर आये तो 2024 ई. में तो कम से कम मनुवादी सत्ता को बिल्कुल ही समाप्त हो जानी चाहिए|क्योंकि मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करते करते जो पिड़ी बुढ़ा बुढ़ी हो चुके हैं,उनकी नई पिड़ी भी युवा होकर मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करते करते या फिर घर का भेदी बनकर गाँधी का तीन बंदर बनकर जय श्री राम करते करते इस अँधविश्वास में डुबकर कहीं बुढ़ा बुढ़ी न हो जाय कि दुनियाँ का सबसे आदर्श शासन मनुवादियो की दबदबा में चल रहा है|क्योंकि मनुवादियो की छुवा छुत परंपरा पिड़ि दर पिड़ि वैसे भी डायनासोर काल से चली आ रही है|जिसकी झांकी अब भी मनुवादी परंपरा की डायनासोर हड्डी की तरह खुदाई करने से नही बल्कि साक्षात आज भी छुवा छुत करने वाले प्राणी विचरण करते पाये जाते हैं|जिनकी भी कभी डायनासोर पार्क की तरह छुवा छुत पार्क बननी चाहिए|जहाँ पर उन तमाम मनुवादियो को सुधार घर की तरह रखनी चाहिए,जिन्होने आजतक भी अपने भितर छुवा छुत करना नही छोड़ा है|जिनके बारे में करिब से जानने के लिए मनुवादी का शिकार हुए लोग विशेष सुरक्षा इंतजाम में छुवा छुत पार्क का भ्रमन कर सके|जो सारी अपडेट तब हो पायेगी जब मनुवादियो की सत्ता पुरी तरह से चली जायेगी|जो अभी जाय या न जाय पर वर्तमान में मौजुद मनुवादियो के बुढ़े होकर उनके अपने आप ही खत्म होने के बाद मनुवादी दबदबा समाप्त जरुर हो जायेगी|क्योंकि मनुवादियो की नई पिड़ी अब और आगे छुवा छुत परंपरा को ले जाने के लिए न तो ज्यादे दिलचस्पी दिखला रही है,और न ही सभी अपने पुर्वज मनुवादियो की छुवा छुत सत्ता को कोई किमती खजाना समझकर हमेशा कायम रखना चाहती है|जो यदि चाहेगी भी तो उसका अब सामना करने के लिए वर्तमान और भविष्य की भी नई पिड़ी पुर्ण अजादी पाने के लिए बुद्धी बल से तैयार हो चुकी है|जिसका प्रमाण देश के कोने कोने से ऐसे युवा पिड़ी का चुन चुनकर उभरते हुए भरमार देखने सुनने और पढ़ने को मिल रही है,जिनके भितर अब जागरुकता आकर मनुवादियो की गुलामी से अजादी पाने की सारी जुनून सवार हो गई  है|मैं उछल कुद करते गाँधी का तीन बंदरो की बात नही कर रहा हुँ|उसे तो मैं बार बार कभी समझाना ही नही चाहुँगा|क्योंकि घर के भेदियो को समझाने से ज्यादा बेहतर तो जो लोग अपने पुर्वजो का इतिहास अब भी ठीक से नही जानते हैं,उनको उनके पुर्वजो के साथ छुवा छुत करने वाले प्राणिये का भी भेदभाव इतिहास बतलाकर उनके भितर अपने हक अधिकारो को पाने के लिए जागरुक करना ज्यादे बेहतर समझता हुँ|जिसके लिए ही तो भविष्य में डायनासोर पार्क की तरह छुवा छुत पार्क भी बनने की भी उम्मीद करता हुँ|जहाँ पर तब भी लोग अपना खोई हुई अजादी के बाद खुशी से मनोरंजन करते हुए छुवा छुत करने वालो के बारे में भी उनका इतिहास भी बेहत्तर तरिके से करिब से जान सकेंगे,जब एक भी छुवा छुत करने वाले लोग इस कृषी प्रधान देश की आपसी मेल जोल समाज में घुमते हुए नजर नही आयेंगे|क्योंकि तब छुवा छुत करते हुए पकड़े जाने के बाद मनुवादी सुधार के लिए छुवा छुत पार्को में ही भेजे जायेंगे|जो स्वभाविक है,क्योंकि छुवा छुत पुरी तरह से समाप्त होने के बाद मनुवादियो का शिकार होने वाले लोग जेल का कैदी बनकर भी छुवा छुत करने वालो के साथ सजा काटना कभी नही पसंद करेगा,और उन्हे छुवा छुत करने वालो से मान सम्मान के साथ सजा देने के लिए भी अलग कमरो में रखा जाय इसकी हड़ताल आंदोलन अपनी सत्ता में करने लगेंगे|अभी तो मनुवादी दबदबा शासन में मनुवादियो के साथ रहकर सर में छुवा छुत का मैला ढोना भी रोज की मजबुरी बनी हुई है|क्योंकि उन्हे पता है कि जब गुलामी से अजादी संघर्ष चल रही होती है उस समय जिवित रहना उस मान सम्मान से ज्यादे जरुरी होती है,जो अजादी के बाद मिलती है|जिसे पाने के लिये डंडे खाने से लेकर सर में मैला ढोना भी मजबुरी बन जाती है|जैसे की गोरो के शासन में बहुत से भारतीयो की न चाहते हुए भी गुलाम करने वाले गोरो के कार्यालयो में साथ में रहकर नौकरी करना भी अजादी पाने के लिए बहुत से परिवारो की भुख से बड़ा दुःख नही मजबुरी बन गई थी|पर ज्यादे जरुरत होने पर उस नौकरी को भी बहुत से लोग त्यागकर अजादी आंदोलन में खाली पेट भी कुद पड़े थे|जैसे की आज बहुत से लोग मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने के लिए बड़े बड़े सरकारी नौकरी तक को भी छोड़ रहे हैं|कम से कम मनुवादियो के विरोध में वोट डालने के लिए एकदिन के लिए तो भुखा जरुर रहा जा सकता है|बल्कि पेट के लिए रुखा सुखा भी इंतजाम रहने पर धिरे धिरे लोग हर साल दो करोड़ को नौकरी मिलने के बजाय मनुवादियो की सत्ता से छुटकारा मिलने के लिए सड़को पर ज्यादे आने लगे हैं जो आगे और भी अधिक आयेंगे|क्योंकि उन्हे तब यहसाश हो जायेगा कि मनुवादियो की सत्ता जबतक रहेगी तबतक नौकरी मिलने में भी आरक्षण के बाद भी भारी भेदभाव होती रहेगी|जिसकी झांकी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मनुवादियो की दबदबा किस तरह से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है?जिसके अनुसार विधायिका में आजतक एक भी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री इसलिए सायद नही बनाया गया है,क्योंकि संवर्णो को लगता है कि सबसे ज्यादे बेहत्तर देश चला सकते हैं|पिछड़ी और अल्पसंख्यक लोग भी कितने बने ये भी एक ही डीएनए के तमाम मुलनिवासियो के खास चिंतको द्वारा मंथन करके अब किसी से भी नही छुपी हुई है|जो सभी अब जल्द से जल्द प्रधानमंत्री मंत्री और राष्ट्रपति बनना चाहते हैं|पर चूँकि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति पद तक हर कोई पहुँचना चाहता है,जिसके चलते आपसी फुट होकर आजतक मनुवादी पार्टियो को सेवा के बदले सबसे अधिक वोट भी सायद मिलते रहे है|और आपसी फुट का फायदा उठाकर फुट डालो और राज करो की नीति ही से तो संवर्ण बार बार लगातार सबसे अधिक प्रधानमंत्री बनते आ रहे हैं|नही तो फिर मनुवादियो से ज्यादे वोट आपस में ही बंटकर चुनाव लड़ने वाले मनुवादियो का विरोध करने वालो के पास गोरो के जाने के बाद पहली चुनाव 1952 ई. में हुआ था उस समय से ही मौजुद है|पर फिर भी मनुवादी दबदबा शासन ही कायम होती चली गयी है|और उसके बाद जाहिर है मनुवादी दबदबा सत्ता स्थिर होने के बाद कार्यपालिका में भी 79% संवर्णो का ही कब्जा है|जिसके बारे में उनका मानना है कि संवर्ण ज्यादे लायक अथवा हुनरमंद हैं|इसलिये वे सबसे अधिक चुने गये हैं|और आरक्षण वाले कम हुनरमंद हैं,जिसके चलते आरक्षण होने के बावजुद भी नौकरियो में उनकी भागिदारी कम है|क्योंकि मनुवादियो के लिये तो इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो बस ढोल,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी के ही सबसे बेहतर लायक हैं|जिन मुलनिवासियो के हक अधिकारो के साथ विशेष न्याय करने वाली न्यायपालिका में भी 97% संवर्णो का कब्जा है|जिसके बारे में उनका मानना है कि जिस अजाद भारत का संविधान की रचना बाबा अंबेडकर ने मनुस्मृती को जलाकर किया था|उसमे अथवा अजाद भारत का संविधान में जो विशेष अधिकार दिया गया है,उसकी सुरक्षा और उसे लागु करने का सबसे अधिक हुनर मनुस्मृती की रचना करने वालो की परिवार के लोगो के पास ही मौजुद है|इसके बाद चौथा स्तंभ लोकतंत्र में घटित हो रहे सत्य का आईना दिखाने का काम करने वाली मीडिया में भी 97% संवर्णो का ही कब्जा है|कुल मिलाकर मनुवादी दबदबा बनाकर मनुवादियो ने छुवा छुत शोषन करके भी ये साबित करने की कोशिष किया है कि वे एकलव्य का हक अधिकार अँगुठा काटकर भी सबसे बेहतर वीर रक्षक बने हुए हैं|और मनुस्मृती रचने वाले ही अजाद भारत का संविधान रक्षक बनने का सबसे विद्वान पंडित कहला सकते हैं|और साथ साथ इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश के मुलवासियो से ज्यादा धन्ना हैं| जैसे की सायद इस देश को गुलाम करके गोरे सबसे अमिर और विद्वान भी खुदको कहते थे|जो देश गुलाम करके अजादी की लड़ाई लड़ने वालो को सजा देकर न्याय करने में भी सबसे माहिर थे|फिर क्यों नही पुरी दुनियाँ को अपने सबसे विकसित होने की गुलाम करने वाला संस्कार अब सिखलाते हैं?क्यों मनुवादी पुरी दुनियाँ को छुवा छुत करना नही सिखलाते हैं?क्योंकि उनकी नई पिड़ि को अपने छुवा छुत करने और गुलाम करने वालो से ज्यादा विकसित जिवन जिने की कला गुलाम होने वाले और छुवा छुत सहने वालो से आ गई है|जो कला उन्हे अपने छुवा छुत करने और गुलाम करने वाले पुर्वजो से कभी भी नही आ सकती थी|जिन्हे मनुवादी दबदबा समाप्त होने के बाद भी बहुत कुछ आधुनिक अपडेट सिखने को मिलेगी जो अभी उन्हे मंगल तक भी पहुँचकर सिखने को नही मिलेगी|जैसे की मनुवादी खुदको जन्म से ही विद्वान पंडित कहलाकर भी आजतक छुवा छुत को पुरी तरह से छोड़ पाना अबतक भी नही सिख पाया है,और आर्यव्रत का सबसे श्रेष्ट उत्तम अथवा आर्य प्राणी छुवा छुत करने वाला होता है,ये साबित करने में लगा हुआ है|जैसे की कभी गोरे भी पुरी दुनिया में घुम घुमकर कई देशो को गुलाम बनाकर खुदको सबसे आधुनिक मानव कहलाने में लगे हुए थे|

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