बहुजन समाज राम भक्त हनुमान बने ताकि मनुवादी हमेशा शासक बना रहे
बहुजन समाज राम भक्त हनुमान बने
भाजपा वालो के द्वारा हनुमान को बहुजन समाज डीएनए का बतलाया जा रहा है | जो शुद्र और संवर्ण जाती का वोट राजनीति यदि भाजपा बहुजन समाज को खुश करके वोट पाना ही चाहती है , तो उससे पहले बहुजन शुद्र समाज सिधे रुद्र से ही खुदको क्यों न जोड़े , जिस रुद्र के साथ भी देवो ने भारी भेदभाव किया था यक्ष यज्ञ के समय | जिसके चलते यज्ञ में रुद्र को नही बुलाया गया था | जैसे की मनुस्मृती लागु में यज्ञ करते समय बहुजन समाज को संवर्ण नही बुलाते थे |
बहुजन समाज राम भक्त हनुमान बने
ताकि मनुवादी हमेशा शासक बना रहे
भाजपा वालो के द्वारा हनुमान को बहुजन समाज डीएनए का बतलाया जा रहा है | जो शुद्र और संवर्ण जाती का वोट राजनीति यदि भाजपा बहुजन समाज को खुश करके वोट पाना ही चाहती है , तो उससे पहले बहुजन शुद्र समाज सिधे रुद्र से ही खुदको क्यों न जोड़े , जिस रुद्र के साथ भी देवो ने भारी भेदभाव किया था यक्ष यज्ञ के समय | जिसके चलते यज्ञ में रुद्र को नही बुलाया गया था | जैसे की मनुस्मृती लागु में यज्ञ करते समय बहुजन समाज को संवर्ण नही बुलाते थे |
बल्कि अब भी बहुत से जगह बहुजन समाज का प्रवेश मना रहता है | रुद्र को देवो यक्षो द्वारा यक्ष यज्ञ में न बुलाये जाने के बाद सत्य शिव की पत्नी गयी थी यज्ञ में शामिल होने | क्योंकि यज्ञ का आयोजन करने वाले यक्ष उसके पिता थे | जिसके चलते यज्ञ स्थल में जाकर सत्य शिव की पत्नी अपने पति शिव का बुराई सुनकर घोर अपमान होने पर जलती यक्ष यज्ञ अग्नि में खुदको ही जीते जी डालकर भष्म हो गई थी | जिसके बारे में रुद्र को पता चला तो वह गुस्से में आकर अपने ससुर यक्ष का सर काट दिया था |
बल्कि ब्रह्मा के द्वारा सरस्वती का भारी अपमान करने पर सत्य शिव ने ब्रह्मा का भी सर काट दिया था | जो रुद्र इसी धरती में ही प्रकृति पर्यावरण पहाड़ पर्वत हरियाली के बिच शिकारी शेर का खाल उतारकर उसमे योग में लिन रहते हैं | या तो फिर कृषी का मदत करने वाले नंदी बैल में सवार रहते हैं | जिसे देव असुर सभी भोले भाले और सबसे ताकतवर भी मानते हैं | जो नर नारी दोनो का का बराबरी रुप अर्धनारेश्वर के रुप में भी पुजे जाते हैं | और लिंग योनी के रुप में भी पुजे जाते हैं | यानी नर नारी दोनो का ही बराबरी प्रतीक सत्य शिव हैं | जिस रुद्र के साथ भी देव एक तो भारी भेदभाव करते हैं , और मुसिबत आने पर या जरुरत पड़ने पर त्राहीमान त्राहीमान करके उसके पास हाथ पांव पसारने और जोड़ने भी जाते हैं |
जिस रुद्र को ही सिधे इस देश का शुद्र अपना डीएनए और अपना मुलनिवासी वंसज क्यों न माने यदि उन्हे बहुजन समाज कहकर उनकी तुलना उस हनुमान से किया जा रहा है , जिसने सत्य शिव का बहुत बड़ा भक्त रावण की लंका को भष्म कर दिया था | जिसमे खुद राम की पत्नी सीता भी मौजुद थी | जिसे लंका के रक्षको ने भष्म होती लंका के साथ भष्म होने से बचा लिया था | जिन रक्षको को राक्षस कहकर रामायण सुनाते दिखाते और पढ़ाते समय ऐसा दिखलाया जाता था जैसे कि लंका वासियो के बड़े बड़े दांत और लिंग योनी वगैरा थे | जो मानवो का रक्षन नही बल्कि भक्षण करते थे | हलांकि उसी कथित मानव भक्षण करने वाले नारी रक्षको के बिच सीता सुरक्षित रखी गई थी | जिसे भी असुरक्षा लंका के भष्म होते समय निश्चित तौर पर जरुर हुआ होगा |
क्योंकि यदि वाकई में हनुमान ने पुरी लंका ही भष्म कर दिया था तो निश्चित रुप से लंका में मौजुद प्रजा के साथ साथ सीता भी खतरे में थी | जो लंका और बहुत से लंका वासी यदि सचमुच निंद में ही जिवित जला दिए गए थे और पुरा लंका ही भष्म हो गयी थी हनुमान के द्वारा तो निश्चित तौर पर चूँकि लंका में सीता भी अपहरण करके रखी गई थी लंका रक्षको की निगरानी में , इसलिए वह जलने से बचा ली गई थी | क्योंकि सीता वर्तमान में मौजुद किसी जेड सुरक्षा से भी ज्यादा सुरक्षित घेरा में महिला रक्षको के बिच रखी गई थी | इतना सुरक्षित पुरी लंका की निगरानी थी कि राम भक्तो द्वारा सबका संकट मोचन और सबसे ताकतवर कहे जाने वाले हनुमान को भी लंका में प्रवेश करने के लिए मक्खी का रुप धारन करना पड़ा था | फिर भी हनुमान बाद में पकड़े गए |
हलांकि यह बतलाया जाता है कि हनुमान को ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके पकड़ा गया था | अथवा बुद्धी बल का प्रयोग करके पकड़ा गया था | जिस बुद्धी बल के आगे हनुमान खुदको समर्पन कर दिया था | क्योंकि उसपर हरि भरी अशोक वाटिका को उजाड़ने उखाड़ने का आरोप लगा था | जिस आरोप से बचने के लिए हनुमान ने तर्क दिया था कि उसने भोजन करने के लिए फल फुल के पेड़ो को रात में हिला हिलाकर निंद से उठाने के बाद ही फल खाया था | जिसके बारे में लंका रक्षको का तर्क था कि हनुमान फल फुल तोड़कर खाने के बजाय पेड़ को ही उखाड़कर हरि भरी अशोक वाटिका को बर्बाद किया था |
जो स्वभाविक था यदि वाकई में हनुमान को लंका के प्रकृति पर्यावरण के बारे में ठीक से नही पता था | और वह फल फुल तोड़ने और पेड़ पौधे को जगाने के लिए पुरे पेड़ को ही उखाड़कर भोजन करता था | जिसके चलते ही उसने प्राकृति जड़ी बुटी लाने के लिए भेजने पर जड़ी बुटी तोड़कर लाने के बजाय पुरे पहाड़ को ही उखाड़कर ले आया था | जैसे कि उसने लंका की अशोक वाटिका में आम केला वगैरा फल फुल तोड़कर खाने के बजाय आम केला का पेड़ को ही उखाड़कर अलग प्रकार से भोजन करना सुरु कर दिया होगा |
और चूँकि हनुमान लंका में घुसपैठी था उस हरि भरी प्रकृति वन संपदा और प्रकृति खनिज संपदा से समृद्ध क्षेत्र लंका में , जहाँ पर अशोक वाटिका जैसे फल फुल के भंडार उपलब्ध थे , जो कि लंकावासी के साथ साथ रावण द्वारा अपहरण करके लाई गई सीता के लिए भी भोजन उपलब्ध कराती थी | जिसका स्वाद चखने का मौका हनुमान को लंका में प्रवेश करके नही मिली थी | और न ही लंका की यात्रा करने के लिए अपने साथ में ले जाने के लिए हनुमान को कोई टिफिन वगैरा मिला था | इसलिए उसे लंका में बने अन्न जल फल फुल भोजन वगैरा सिधे उपलब्ध मुमकिन न होने पर टेड़े तरिके से चोरी छिपे फल फुल वगैरा पेड़ पौधा उखाड़ उखाड़कर खाने की जरुरत पड़ी | जिसके बाद हनुमान अपराधी के रुप में पकड़ा गया था | जो कि स्वभाविक था , क्योंकि हनुमान ने लंका में चोरी छिपे प्रवेश करके हरी भरी अशोक वाटिका को ही बर्बाद किया था |
वर्तमान में तो सिर्फ हरी भरी वाटिका से चोरी छिपे एक दो किलो फल फुल तोड़ने या फिर चोरी छिपे सरकारी अन्नाज खा जाने पर सजा के साथ साथ भारी जुर्माना भी हो जाती है | जो सजा नही होती तो आज क्या भुखमरी से अनगिनत लोग भुखो मरते ? खासकर तब जब टनो टन खाने की चीजे देश में हर साल खुले रास्तो में और बड़े बड़े होटलो महलो बंद कमरो वगैरा में भी बर्बाद हो जाती है | बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके गुप्त तरिके से कालाधन का भंडार को मानो भ्रष्टाचारियो द्वारा काला मुँह छुपाकर रखा जाना देश का धन बर्बाद हो रहा है वह अलग है | हनुमान ने तो उस अशोक वाटिका को बर्बाद किया था , जिसके बारे में रामायण सुनाते दिखाते और पढ़ाते समय यह कहा जाता है की लंका वासी हरि भरी अशोक वाटिका से फल फुल तोड़कर नही खाते थे बल्कि किमती सोने की बरतनो में मानव भक्षन करते थे | इसलिए भी सायद हनुमान चोरी छिपे लंका में प्रवेश किया था |
हलांकि फिर भी हनुमान रात में लंका रक्षको के द्वारा पकड़ा गया था | और तुरंत सजा की सुनवाई होकर रात में ही सजा के तौर पर हनुमान के पुंछ पर आग लगाकर छोड़ दिया गया था | जिसके बाद हनुमान ने लंका को जलाकर भष्म कर दिया था | जिसके बारे में यह भी कहा जाता है कि हनुमान जान बुझकर पकड़ाया था लंका के रक्षको द्वारा अपने पुँछ को जलवाने के लिए , ताकि अपनी जलती पुंच्छ से पुरी लंका को ही भष्म कर सके | क्योंकि चाहे जितनी मजबुत सुरक्षा घेरा कहीं पर मजबुत हो यदि वह पुरा जगह ही भष्म किया जाने लगे तो वहाँ पर मौजुद प्रजा और रक्षक के साथ साथ कैदी भी खतरे में होते हैं | जो भी निर्दोश प्रजा को आतंकित करने वाला बहुत बड़ा अपराध है | जैसे की सभी लंका वासी के साथ साथ जिस सीता का संकट मोचन बनकर हनुमान लंका में चोरी छुपे प्रवेश किया था , उस सीता को भी संकट में डाल दिया था , पुरी लंका को आग लगाकर |
हलांकि भष्म होती लंका से भले लंका के रक्षको ने अपने छोटे छोटे बच्चे , बुढ़े जवान , नर नारी , पशु पक्षी , पेड़ पौधे , जिव जन्तु वगैरा के साथ साथ अपने घर महल , धन संपदा समेत बहुतो को भष्म होने से नही बचा सके , पर उन्होने सीता को जरुर बचा लिया | जिस भष्म लंका का ढांचा बनाकर आज भी हर साल रामलीला करते समय उसे हनुमान का अभिनय कर रहे अभिनेता के द्वारा नकली जलती पुंछ से जलवाकर मनोरंजन करते हुए जस्न मनाया जाता है | और साथ साथ रावण का भी बड़ा पुतला बनाकर उसे भष्म करके मनोरंजन करते हुए जस्न मनाया जाता है | जिस लंका का राजा रावण सत्य शिव का बहुत बड़ा भक्त था | जिस रावण की तप से खुश होकर सत्य शिव ने रावण की इच्छा पुरी करने के लिए उसके साथ लंका जाने के लिए तैयार हो गए थे | पर रावण के द्वारा सत्य शिव लिंग को ले जाते समय बिच में ही देवो द्वारा साजिश अथवा छल कपट करके रावण के हाथो से सत्य शिव को आधे रास्ते में ही जमिन पर रख दिया गया था | जो कि सत्य शिव के द्वारा रावण को किसी भी हालत में लंका पहुँचने से पहले शिव लिंग को जमिन पर नही रखने के लिए कहा गया था |
क्योंकि सत्य शिव को लंका ले जाने के लिए रावण को शिव द्वारा यह सर्त रखा गया था कि शिव लिंग को उसके स्थान से एकबार उठाने के बाद जहाँ पर भी पहली बार रखा जायेगा वहीं पर सत्य शिव स्थापित हो जायेंगे | जो सत्य शिव देवघर में स्थापित हो गए हैं | जो प्राचिन मगध का प्रकृति खनिज संपदा और जल जंगल पहाड़ पर्वत समृद्धशाली छोटानागपुर अथवा नागो का पुर ( शहर ) शहर क्षेत्र है | जहाँ पर सत्य शिव जो की नाग को अपने गले में डाले रहते हैं , उसका सत्य शिव लिंग स्थापित है | वैसे तो शिव लिंग और शिव के गले में लिपटा सांप का चिन्ह या मुर्ती पुरे विश्व में ही किसी न किसी रुप में पाया गया है | खासकर प्राचिन विकसित उस कृषि सभ्यता संस्कृती की खुदाई में , जहाँ पर तब से प्रकृति की पुजा होती आ रही है , जब किसी मनुष्य निर्मित कई धर्म मौजुद नही थे | जैसे कि इस कृषि प्रधान देश में भी इंसानो द्वारा निर्मित कोई भी धर्म जब मौजुद नही था उस समय से ही इस देश के मुलनिवासी जिन्होने प्राचिन सिंधु घाटी कृषी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करके बारह माह प्रकृतिक पर्व त्योहार मनाते हुए प्रकृति नदी खेत पेड़ पौधे पशु पक्षी और पत्थर शिव लिंग की भी पुजा करते आ रहे हैं |
जिस शिव को उस सत्य का प्रतीक माना जाता है जिस सत्य पर पुरी दुनियाँ कायम है | जिस सत्य शिव जिसे रुद्र भी कहा जाता है | जिस रुद्र के डीएनए से बहुजन समाज क्यों न सिधे जोड़े यदि हनुमान के डीएनए से जोड़ने की बात हो रही है | जबकि वर्तमान में बहुजन समाज से वायु देव के पुत्र हनुमान को इसलिए भी जोड़ा जा रहा है , क्योंकि हनुमान रामराज का खास ऐसा राम भक्त है , जो कभी शासक ही नही बना , सिर्फ सारी जिवन सीता राम , सीता राम ही जपता रहता है | जिससे बहुजन समाज को जोड़कर मनुवादी खुद हमेशा शासक बने रहना चाहता है | क्योंकि मनुवादी जो की खुदको कथित उस अप्रकृति दुनियाँ में रहने देव के वंसज कहते हैं , जो कि वेद पुराण के अनुसार स्वर्गवासी हैं , न कि प्रकृति निर्मित पृथ्वीवासी हैं | पृथ्वीवासी तो रुद्र हैं , जो हमेशा प्रकृति धरती से ही जुड़े हुए सत्य शिव लिंग के रुप में मिलते हैं |
बहुजन समाज अथवा शुद्र भी चूँकि हमेशा कृषि सभ्यता संस्कृती धरती से ही जुड़े हुए लोग हैं , इसलिए शुद्र को यदि जोड़ना ही है किसी से तो रुद्र से क्यों न सिधे जोड़ा जाय | रुद्र और शुद्र दोनो के साथ ही भेदभाव हुआ है | वेद पुराण अनुसार पृथ्वी में शासन कर रहे देव यक्ष रुद्र से भेदभाव करते हैं , और खुदको देव का वंसज कहने वाले इस देश में मौजुद संवर्ण लोग शुद्र के साथ भारी भेदभाव करते हैं | शुद्र के साथ भारी भेदभाव होने पर 85 % बहुजन समाज जो कि वीर रक्षक सेना की नौकरी में भी सबसे अधिक तादार में मौजुद हैं , उनको भारी भेदभाव के खिलाफ गुस्से में आकर हिंसक तांडव तो खैर नही करना चाहिए पर एकजुट होकर मनुवादियो के खिलाफ शांती पुर्वक वोट तांडव जरुर करना चाहिए |
जो मनुवादी कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के दो अलग अलग पहलू हेड टेल पार्टी बनाकर भारी भेदभाव शासन कर रहे हैं | जिस शासन को अब बहुत जल्द जाना चाहिए | जिसे जाने से बचाने के लिए ही बहुजन समाज से राम भक्त हनुमान को जोड़ा जा रहा है | चूँकि हनुमान को उस रामराज का संकट मोचन कहा जाता है , जिसका राजा राम का मंदिर बनाने के नाम से लंबे समय तक हमेशा शासक बने रहने की वोट राजनीति 2019 ई. के लोकसभा चुनाव में करने की योजना बना ली गई होगी | हलांकि जिस रामराज की बाते बार बार होती है , उस रामराज में ही संकट मोचन हनुमान ने रानी सीता को अति दुःखी होकर जीते जी धरती में समाने से नही रोक पाया था | और न ही राजा राम को अति दुःखी होकर अपने प्रजा की सेवा करना छोड़कर जीते जी सरयू नदी में डुबने से रोक पाया था | बल्कि हनुमान तो खुदको भी जंगली अथवा वनवासी जिवन व्यक्तीत कर रहे रानी सीता के बच्चे लव कुश के द्वारा बंधक बनने से नही रोक पाया था | जिस संकट मोचन कहे जाने वाले हनुमान को बांधने वाले बच्चे लव कुश को सीता ने वन में ही जन्म दिया था | जिस लव कुश ने रामराज में हुए अश्व यज्ञ का घोड़ा को रोककर रामराज के खिलाफ हथियार उठा लिया था | क्योंकि राम ने लव कुश की माँ सीता को गर्भवती अवस्था में ही अग्नि परीक्षा में पास होने के बावजुद भी अपने ही महलो से बाहर करके वन भेजवा दिया था |
जिससे पहले सीता चौदह वर्षो तक राम के साथ वनवासी जिवन व्यक्तीत कर चुकी थी | जो चौदह वर्षो का वनवासी जिवन समाप्त होने के बाद सीता ने अग्नी परीक्षा देकर रामराज में प्रवेश किया था | क्योंकि उस चौदह वर्षो का वनवासी जिवन के दौरान ही सीता रावण के द्वारा अपहरण होकर रावणराज में राम के द्वारा रावण की हत्या होने तक लंका में ही कैद थी | जिस रावणराज से अजादी मिलने के बाद रामराज में सीता राम के द्वारा वापस जंगल भेज दी गयी थी | जाहिर है सीता न तो गैरो के रावणराज में सुखी थी और न ही अपनो के रामराज में ही सुखी थी | बल्कि रावणराज में फिर भी सुख के सपने देखकर और दुःख के आँसु पिकर सोने की लंका में जी रही थी | पर रामराज में तो इतनी अधिक दुःखी हुई कि जीते जी वह धरती में समा गई |
जैसे की दुःखी होकर सत्य शिव की पत्नी भी यक्ष यज्ञ की अग्नि में समा गयी थी | हलांकी शिव की पत्नी शिव से दुःखी नही थी बल्कि अपने पिता यक्ष और उन देवो से दुःखी थी जिन्होने सत्य शिव के साथ भेदभाव करके उसे एक तो यज्ञ में भी नही बुलाया था और दुसरा भुतनाथ वगैरा ताना मारकर सत्य शिव के बारे में शिव की पत्नी के सामने बुराई करके शिव की पत्नी को भी भारी दुःखी कर दिया था | जिसके चलते शिव की पत्नी जलती यक्ष यज्ञ में समा गयी थी |जिसके बारे में जानकर सत्य शिव ने अपनी पत्नी के गम में रुद्र तांडव करना सुरु कर दिया था | जिस रुद्र से ही सिधे खुदको बहुजन समाज क्यों न जोड़े | क्योंकि जैसा कि हमे पता है कि रुद्र के साथ भी भारी भेदभाव हुआ है और शुद्र के साथ भी भारी भेदभाव हुआ है | जो कि आज भी हो रहा है |
जो शुद्र एकजुट हो रहा है तो उसका 85% वोट तांडव से बचने के लिए बहुजन समाज को हनुमान बताकर दरसल अपने मनुवादी सत्ता में मंडरा रहा संकट को दुर करने की मकसद से बहुजन समाज को राम का सेवक हनुमान बनाकर और उसका वोट लेकर सत्ता में हमेशा शासक बने रहना चाहता है | जिस मनुवादियो का सेवक हनुमान बनने के बजाय रुद्र से खुदको क्यों न जोड़ा जाय शुद्र के द्वारा एकजुट होकर | ताकि मनुवादियो के खिलाफ एकजुट होकर शुद्र वोट तांडव करके बहुजन सत्ता वापस लाई जा सके | जिसके आने से ही ये देश फिर से विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ खुदको अपडेट करेगा और बहुजन समाज भी सुख शांती और समृद्धी जिवन मनुवादियो की शोषन अत्याचार से मुक्त होकर सुख चैन की जिवन जि सकेगा |
जो फिलहाल तो छुवा छुत शोषन के अलावे विभिन्न रुपो में भेदभाव के रुप में भष्म मनुस्मृती का भुत चारो ओर मंडरा रहा है | जिससे मुक्ती के लिए शुद्रो को रुद्र की जरुरत है राम का सेवक हनुमान की नही | बल्कि मैं तो कहुँगा खुदको शिव का सेना कहने वाले भी राम मंदिर मुद्दे पर अयोध्या यात्रा करके आने के बाद अपनी शिव सैनिक नाम बदलकर जय श्री राम कहकर राम सैनिक रख ले | क्योंकि राम सैनिको को शिव सैनिक कहकर सत्य शिव के नाम से राम मंदिर निर्माण करके शिव को भी विवाद में लपेटना शिव भक्तो के लिए बहुत ज्यादे तनाव और निराशा उत्पन्न कर रहा है | जो निराशा भाजपा कांग्रेस के साथ साथ कथित शिव सेना पार्टी को भी सत्ता से बाहर करेगी |
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