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मंगलवार, 28 मई 2019

मनुवादि इस देश की अमिरी से ही लंगटा लुचा से उचा बने हुए हैं

मनुवादि इस देश की अमिरी से ही लंगटा लुचा से उचा बने हुए हैं

एक जानकारी विडियो देख रहा था , जिसमे कही गई बाते यदि सत्य है कि इस कृषी प्रधान देश के आदिवासी क्षेत्रो में ग्यारह हजार लाख करोड़ की प्राकृति खनिज संपदा दर्ज है | जिसे लुटने के लिए विदेशी डीएनए के कबिलई मनुवादि और दुसरे भी विदेशी डीएनए के कबिलई लोग राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय लुटेरे बनकर लुट रहे हैं | जो स्वभाविक भी है क्योंकि ऐसे लोगो की कबिलई पुर्वजे अपनी लंगटा लुचा जिवन को उचा बनाने के लिए ही तो इस देश में लुटपाट करने और यहाँ के मुलनिवासियो को गरिब बीपीएल बनाने के लिए हजारो सालो से आते रहे हैं | जिनकी नई पिड़ी भी अपने कबिलई लुटेरे पिड़ियो की परजिवी विरासत को ही मुल रुप से अपना आदर्श मानकर आज भी जिन जिन देशो में प्राकृति खनिज संपदा का अंबार है वहाँ पर नजर गड़ाये हुए हैं | जिसके बारे में प्रयोगिक रुप से पता करनी हो तो इस कृषि प्रधान देश में जिन जिन क्षेत्रो में प्रकृति खनिज संपदा का अंबार है , वहाँ के मुलनिवासियो की गरिबी भुखमरी और पलायन वगैरा के बारे में विस्तार पुर्वक पता कर लें पता चल जायेगा कि लुटेरे लुटपाट करके कितना जख्म प्राकृति और स्थानीय मुलनिवासियो को दिए हैं | जिस तरह की लुटपाट खत्म होने पर लुटेरो की झुठी शान खत्म हो जायेंगी जो दुसरो की लुटकर बनी हुई है | जैसे की इस देश में मनुवादियो की सत्ता और लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा जिसदिन भी जायेगी उसदिन इनकी झुठी शान चली जायेगी | क्योंकि मनुवादि इस देश की अमिरी से ही लंगटा लुचा से उचा बने हुए हैं | जो इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता कपड़ा पहनना भी नही जानते थे तो क्या खाक इस देश में हजारो साल पहले ही विकसित सिंधु घाटी सभ्यता का निर्माण करने वाले इस देश के मुलनिवासियो की तरह चला पायेंगे | जिनका शासन जाने के बाद जबतक इस कृषी प्रधान देश में मनुवादियो की दबदबा रहेगा तबतक इस देश में गरिबी भुखमरी मौजुद रहेगी चाहे जितनी रामराज पांडवराज जैसे झुठे भाषन अश्वासन और प्रवचन कर ले मनुवादि कि उनके नेतृत्व में यह देश आगे भी विश्व में सबसे आगे निकल जायेगा | बल्कि ज्यादेतर तो मनुवादि सत्ता पिच्छे की पश्चिमी रोमराज पुंछ को ही पकड़कर चलती रहती है | क्योंकि उनका डीएनए विदेशी लोगो से ही तो मिलती है | जिसे वे झुठला नही सकते की मनुवादियो का डीएनए और इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए अलग है | क्योंकि मनुवादि यहाँ के नही हैं | जैसे कि गोरे नहि थे |

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