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शनिवार, 28 जनवरी 2023

Only such people are called real professional Randa Randi! whether they do sex for money or for free



Only such people are called real professional Randa Randi! whether they do sex for money or for free


ऐसे लोगों को ही असली पेशेवर रंडा रंडी कहा जाता है! चाहे वे पैसे के लिए सेक्स करें या मुफ्त में

सच्चा प्यार के बारे में मेरा विचार पहले भी बता चूका हूँ कि "प्यार जुठन पत्तल में किया गया भोजन नही जिसमे कुत्ते कुत्तिया पलते हो , बल्कि प्रेम वह प्रसाद है जिसे हमेशा पवित्र रखा जाता है अपने जीवन साथी के लिए ! " जिसमे प्रसाद मैने मुलता किसे कहा है हर सच्चा प्रेमी को पता है ! जिसने भी सिर्फ अपने सच्चे प्यार के सिवा किसी और को अपना शरिर नही सौंपा है वही सच्चा प्यार है ! क्योंकि मेरा यह मानना है कि किसी से प्यार होने का सबसे बड़ा कारन किसी के साथ शारिरिक सुख भोगने के लिए अपनी मन पसंद का चुनाव करना होता है | जिसके साथ कोई प्यार करके शारिरिक रिस्ता बनाना चाहता है ! जिस विचार को मैं सत्य के तराजू में तौलकर बतला रहा हूँ , न की यह कह रहा हूँ कि सभी प्यार अपनी पसंद के साथ शारिरिक सुख भोगने के लिए ही होता है ! पर ज्यादेतर प्यार अपनी मन पसंद का चुनाव करके उसके साथ सेक्स करने के लिए ही होता है ! और मैं पहला प्यार पहला सेक्स जिसके साथ अपनी मन पसंद चुनाव से किया जाता है , उसको मानता हूँ , इंसान जानवर चाहे किसी से भी हो ! क्योंकि चाहे क्यों न सुवर और कुत्ता से ही हो , जिसके साथ भी अपनी मन पसंद से पहला सेक्स किया वही उसका पहला प्यार है ! और मैं सच्चा प्यार उसे मानता हूँ जो कि सिर्फ एक के साथ तन मन का रिस्ता जोड़कर सारी जीवन एक के साथ ही बिता देने का तन मन समर्पित किया जाता है एक दुसरे को ! जो यदि कई के साथ हुआ तो उसे मैं आवारा कुत्ता कुत्तिया का झुठा और हवसी प्यार मानता हूँ ! जिसके बारे में इससे पहले बतला चूका हूँ ! 

जिससे आगे भी सच्चा प्यार के बारे में मेरा अपना खुदका पर्शनल विचार बतलाना चाहता हूँ कि जिसे कई के साथ सेक्स करने का हवस अथवा नशा चड़ चुका हो , जैसे की आवारा कुत्ता कुत्तिया को , वे कभी नही सच्चा प्यार कर सकते ! और न ही वे किसी सच्चे प्यार की मुल भावना की इज्जत करते हैं ! बल्कि अपना कुत्ता कुत्तिया वाला झुठा प्यार यदि धोखे और झुठ से संक्रमित कर देते हैं तो किसी को मानो अपने जैसा ही झुठा प्यार कहलवा देते हैं ! इसलिए ऐसे लोगो से यदि किसी को सच्चा प्यार हो जाता है , अथवा जिस इंसान को पहली बार सेक्स करने के लिए अपनी पसंद का चुनाव करने के लिए उसके प्रति आर्कषण हो जाता है तो वह मेरे लिए एकतरफा सच्चा प्यार है ! क्योंकि दुसरा चूँकि आवारा कुत्ता कुत्तिया है इसलिए वह पुर्ण रुप से सच्चा प्यार नही है ! बल्कि एकतरफा सच्चा प्यार करनेवाला भी किसी कुत्ता कुत्तिया वाला प्यार करने वाले से शारिरिक रिस्ता अथवा सेक्स करके वह भी झुठा प्यार से संक्रमित होकर उसका भी प्यार झुठा प्यार ही कहलायेगा यदि वह जानबुझकर की अगला कुत्ता कुत्तिया प्यार है , फिर भी उसके साथ शारिरिक रिस्ता के लिए राजी हो जाता है तो उसका भी प्यार झुठा प्यार ही कहलायेगा ! जैसे की यदि कोई जानबुझकर किसी वैश्या के साथ रण्डीबाजी अथवा रण्डाबाजी करता है तो वह भी रण्डी व रण्डा ही कहलायेगा ! भले क्यों न वह झुठी शान का साफ सुथरा मुखौटा लगा रखा हो ! ऐसे लोगो को सच्चा प्यार की तलास नही बल्कि हवस की तलास रहती है ! जिसकी पूर्ती कुत्ता कुत्तिया से भी हो जाती है ! अथवा कुत्ता कुत्तिया से भी उनकी शारिरिक भूख मिटे तो उनको कोई एतराज नही होता है ! ऐसे लोग ही असल पेशेवर रण्डा रण्डी कहलाते हैं ! चाहे वे सेक्स पैसे के लिए करते हो या फ्री में करते हो ! जिस तरह के हवसी लोग वविकसित परिवार समाज के लिए श्राप हैं ! जिन्हे पुरी दुनियाँ का देश मिलकर कहीं पर अलग से देश दे देना चाहिए ! यह मेरा पर्शनल विचार है , जिसे मैने बहुत मंथन करके सत्य का तराजू में तौलकर तय किया है !
जिससे आगे भी प्यार को लेकर मेरा यह भी विचार है कि सच्चा प्यार अपनी मन पसंद तलास में जिसके भी प्रति आर्कषण होता है , उसे ऐसे साथी की मन पसंद तलास रहती है , जो कि सिर्फ उसी को अपना मन पसंद चुनकर सिर्फ उसी को अपना तन मन समर्पित कर सके !  लेकिन जो लोग झुठा प्यार करते हैं , वे चूँकि आवारा कुत्ता कुत्तिया की तरह कई से सेक्स कर चूके होते हैं , इसलिए उन्हे अपनी तरफ से तो कभी सच्चे प्यार की तलास होगी ही नही , पर इनके झांसे में सच्चा प्यार करने वाले आने से वे भी झुठे प्यार का संक्रमण में आकर उसके साथ प्यार अथवा सेक्स करके झुठा प्यार कहला जाते हैं ! इसलिए सच्चा प्यार किस्मत वालो को ही नसीब होता है ! जिसमे प्रेमी प्रेमिका दोनो ही एक दुसरे को अपनी मन पसंद से चुनकर एक दुसरे के लिए सारा जीवन तन मन से हो जाते हैं !
जिस तरह का प्यार मैं भी करना चाहूँगा , और अपना मन पसंद उसी को चुनना चाहूँगा जो की मेरी तरह वर्जिन हो , और हम दोनो ही एक दुसरे को पसंद करके दोनो ही पहलीबार एक दुसरे के लिए समर्पित हो , वह भी जीवनभर के लिए ! जो कि मेरा मन पसंद ..? है यदि वह भी मेरी तरह वर्जिन है , और वह भी मुझे अपना मन पसंद चुनकर सारी जीवन सिर्फ मेरे साथ जीवन बिताना चाहती है ! तब मैं हम दोनो का प्यार को सच्चा प्यार मानुंगा नही तो हम दोनो में कोई एक भी यदि झुठा निकला तो हम दोनो का प्यार सच्चा नही बल्कि वह झुठा प्यार है , जिसे की मैं आवारा कुत्ता कुत्तिया प्यार से तुलना करता हूँ ! मैं और ..? में जो कोई भी पहले से ही शारिरिक रिस्ता बना चूका होगा उसका प्यार ऐसा झुठा और धोखेबाज प्यार होगा , जिसे की मैं आवारा कुत्ता कुत्तिया का प्यार मानता हूँ ! झुठा और धोखेबाज प्यार के लिए कई के साथ सेक्स करना समान्य बात होती है ! जिनका परिवार निर्माण भी ऐसे नाजायज औलादो से होता है , जिसमे की कुत्ता कुत्तिया इतने के साथ सेक्स कर चूके होते हैं कि कुत्तिया को अपने बच्चे का असली बाप कौन है पता नही चलता और कुत्ता को यह नही पता होता कि उसके कौन कौन औलाद और कितने औलाद सड़क मोहल्ले में घुम रहे हैं ! ऐसे कुत्ते कुत्तियो के प्रेम को मैं सच्चा प्रेम नही मानता ! और एक सर्वे के मुताबिक भी कहीं पर मैने एक खबर देखा था कि एकबार सर्वे किया गया था dna जाँचकर एक खास विकसित आधुनिक कहलाने वाले क्षेत्र में तो वहाँ के 70% औलादे किसी दुसरे मर्द की औलादे निकले थे ! अथवा असल बाप का औलाद के बजाय दुसरे का अथवा नाजायज औलादे थे ! जहाँ पर यह भी सर्वे हुआ था कि वहाँ के लोग शादी से पहले औसतन कम से कम आधा दर्जन से सेक्स पहले ही मना चुके होते हैं ! जिस तरह के ही तो लोग झुठा और धोखेबाज प्यार करते हैं ! जिनको तो कभी भी पारिवारिक रिस्ता जोड़ना ही नही चाहिए और सिर्फ आवारा कुत्ता कुत्तिया रण्डा रण्डी की तरह ही जीवन जीना चाहिए वह भी मेरा वश चले तो इससे पहले लिख चुका कि इनके लिए पुरी दुनियाँ का देश एकजुट होकर ऐसे कुत्ता कुत्तियो के लिए कोई अलग से देश दे देना चाहिए जहाँ पर कोई परिवार समाज न हो ! सिर्फ मानो मुर्गा मुर्गी भेंड़ बकरी वगैरा का मानो ऐसा फार्म हो जहाँ की ये सिर्फ ज्यादेतर तो जिससे मन करे इधर उधर कहीं भी हवस पूर्ति में ही डुबे हुए हो ! जैसे की मुर्गा मुर्गी डुबे रहते हैं यदि उनको एक जगह खुब सारा इकठा करके छोड़ दिया जाय ! जिस तरह का ही मु्र्गा मुर्गी भेड़ बकरी का भिड़ आधुनिकता के नाम से अब शहरो में होटल वगैरा खोलकर उसका विस्तार करते हुए कुत्ता कुत्तिया वाला झुठा और धोखेबाज प्यार का संक्रमण फैलाया जा रहा है ! जिसे मैं सही आधुनिकता नही मानता ! क्योंकि सही आधुनिकता अथवा सच्चा प्रेम के बारे में फिर से अपना सत्य विचार बतलाना चाहूँगा कि 
"प्यार जुठन पत्तल में किया गया भोजन नही जिसमे कुत्ते कुत्तिया पलते हो , बल्कि प्रेम वह प्रसाद है जिसे हमेशा पवित्र रखा जाता है अपने जीवन साथी के लिए ! " 

शनिवार, 14 जनवरी 2023

पैसे के लिए खुदको निच अथवा भ्रष्ट मत बनाओ


पैसे के लिए खुदको निच अथवा भ्रष्ट मत बनाओ

पैसा तो रण्डा रण्डी भी कमा लेते हैं , सत्य इमानदारी अथवा इंसानियत कमाना सबसे बड़ी कमाई है ! इसलिए इंसान को पैसा को ज्यादे महत्व तबतक देना चाहिए ,जबतक कि उसके पास इतना न हो जाय की उससे खुदका भी पेट भर जाय और कोई घर आया मेहमान भी भुखा वापस न लौटे ! लेकिन जो लोग पैसा को इंसानियत और सत्य से भी ज्यादे महत्व देते हैं , उन्ही लोगो के चलते ही तो आज पुरी दुनियाँ में इतनी गरिबी भुखमरी है , और हर रोज पुरी दुनियाँ में गरिबी भुखमरी की वजह से हजारो लोग मर रहे हैं , और ये लोग अपने गांड़ के निचे पैसो का अंबार लगाकर दिन रात महंगे महंगे भोग विलास और झुठी शान में डुबे रहते हैं ! जिसमे बड़ौतरी होता रहे इसके लिये ही तो ये लोग झुठ बोलना ही नही न जाने क्या क्या नही करते हैं ! मसलन अभिनेता अमिताभ को ही ले लिया जाय जिसे मैं नायक नही मानता और न ही असल में भी अभिनेता का मतलब नायक होता है इतनी तो कम पढ़े लिखे लोगो को भी पता रहता है ! फिर भी न जाने कौन सी महानायक वाला सत्यकर्म देखकर अभिनेता अमिताभ को सदी का महानायक जैसे पुरुस्कार दे दिया गया ! जबकि दुनियाँ का सबसे बड़ा घोटाला में एक पनामा घोटाला में अमिताभ का भी जो नाम है वह यदि सत्य साबित हो जाय तो इनको सदी का महानायक नही सदी का सबसे बड़ा घोटाला करनेवाला खलनायक तक कहा जाएगा ! जिस तरह के घोटालो का पुरा अंबार लगा हुआ है इस देश में भी ! जिसकी झांकी कोई भी गुगल सर्च करके पता कर सकता है कांग्रेस भाजपा के घोटालो का लिस्ट जानकर भी ! जिस तरह के लिस्टो के बारे में भी यदि सारा पोल खुलने लगे तो ये तो सिर्फ झांकी अथवा ट्रेलर है , पुरी दुनियाँ में जो कालाधन का अंबार काली गुफा में लगा हूआ है , जिसे खुल जा शिमशिम कहकर भ्रष्टाचारी दिन रात अपनी रहिसी दिखलाते रहते हैं , जिसकी वजह से ही पुरी दुनियाँ में गरिबी भुखमरी कायम है , उसके बारे में भी सत्यपोल खोलकर उसका सत्य फैशला भी सुनाया जाय तो सिर्फ इस देश में ही ऐसे बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की पुरी गैंग मौजुद है , जो इतिहास में कई कई अली बाबा चालिस चोर का कहानी वह भी सत्य पर आधारित रच रहे हैं ! जिनका पोल भविष्य में तब खुलेगा जब पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम होगी , और सभी चोरो का काली गुफा भी जब्त होगी खुल जा शिमशिम कहकर ! जिस गुफा की वजह से आज चारो तरफ गरिबी भुखमरी कायम है ! मसलन इस देश में ही जो की सोने की चिड़ियाँ तक कहलाता है इतना धन संपदा से भरपुर देश में भी आधुनिक भारत डीजिटल इंडिया गरिबी हटाओ का नारा आजादी से लेकर अबतक सुन सुनकर हजारो लोग हर रोज भुख से मर रहे हैं , और काली गुफा वाले अति खा खाकर और भोग विलास करके मर रहे हैं ! 

मनुवादि हिंदू नही है


मनुवादि हिंदू नही है

 मनुवादि हिंदू नही है , उसके अंदर यहूदी dna है साबित हो चूका है ! जो हिंदू कब बने ? दरसल यूरेशिया से आये मनुवादियो ने इस देश को गुलाम करके इस देश के वेद पुराणो में भी कब्जा करके उसके साथ छेड़छाड़ करके अपना संविधान मनुस्मृति की रचना करके खुदको उच्च और इस देश के मुलनिवासियो को जिसे की उन्होने घर के भेदियो की सहायता से गुलाम बनाया उसे निच शूद्र अधम घोषित किया हुआ है , जो की स्वभाविक भी है | क्योंकि जो भी अविकसित इंसान जिसके अंदर इंसानियत का विकाश अबतक भी न होकर अब भी उसके अंदर खुंखार जानवर चोर लुटेरा कबिला  सोच कायम है , वह जब भी किसी को गुलाम बनाता है तो खुदको उच्च और अपने गुलामो को निच शूद्र अधम मानता ही है ! जैसे की गोरे भी अपने गुलामो को अपने से निचे मानते थे , तभी तो उन्होने खुदको उच्च जाति का कहने वाले गाँधी को भी निच समझकर लात मारकर रेल से बाहर फैंक दिया था , जब गाँधी गोरो के साथ सफर करने के लिए रेल में चहड़ा था ! जाहिर है गोरो के लिए चूँकि गाँधी भी उस समय एक गुलाम ही था , इसलिए गाँधी भी गोरो से निचे अथवा निच ही था जिसे अपने जैसा उच्च कभी नही मान सकते थे गोरे ! जैसे की उस समय चाहे मुगल हो या यूरेशिया से आये मनुवादि सभी गुलाम गोरो से निचे पायदान में थे ! उसी तरह मनुवादियो के लिए भी इस देश के मुलनिवासि चूँकि गुलाम हैं , इसलिए निच शूद्र अधम हैं ! हाँ यदि यह देश पुरी तरह यदि आजाद होता और गुलाम करने वाले गोरो की तरह मनुवादि भी इस देश की सत्ता को छोड़कर इस देश के मुलनिवासियो को सत्ता सौंपकर आजाद भारत का संविधान पुरी तरह से लागू होकर कोई गुलाम करनेवाला इस देश की सत्ता में कायम नही होता तो आज इस देश में उच्च निच भेदभाव कायम नही रहता ! बल्कि यदि कायम भी रहता तो भेदभाव करने वाले सुधार घर में अपने भितर मौजुद उस मांशिक विकृति का सुधार कर रहे होते  जिसपर की जबतक सुधार नही होगा तबतक इस देश ही नही बल्कि पुरी दुनियाँ में उच्च निच गोरा काला भेदभाव कायम रहेगा ! जिसे कायम करने वाले चाहे सुट बूट पहने या फिर चाँद और मंगल में खुदको ले जायं खुदको सबसे आधुनिक और सबसे उच्च विकसित मानव कहकर , असल में वे प्रकृतिक वैज्ञानिक समाजिक पारिवारिक सभी दृष्टी से सबसे अविकसित असल निच शूद्र अधम मानव हैं , जिसका विकाश होना ही सबसे अधिक जरुरी भी है ! बल्कि यदि इस पृथ्वी का भी विकास करना है तो इन विनाशकारी सोच वाले मानवो के भ्रष्ट बुद्धी विकाश करना होगा ! जिसमे अबतक भी किसी को गुलाम करनेवाला हैवानियत कायम है !

शनिवार, 7 जनवरी 2023

क्या मतलब है " ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी "

क्या मतलब है " ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी "


जबतक मनुवादि अपनी गलती स्वीकार नही करेगा इसी तरह ही झुठी शान में डुबा रहेगा कि वह पुरी दुनियाँ में उच्च है , वह कैसे हो सकता है उसी नारी के योनी से पैदा होनेवाला शैतान सोचवाला ऐसा इंसान जिसे उनके मुताबिक ताड़न की जरुरत नही है यदि ताड़न का मतलब देखना होता है मान भी लिया जाय ! क्योंकि दुःखी तो सिर्फ नारी शूद्र और पशु होते हैं ये मनुवादि नही जो कि खुदको भगवान तक भी मानते रहे हैं ! जैसे उस राम को भगवान माना जाता है जिसके रामराज में प्रवेश के लिये सीता से जीते जी अग्नि परीक्षा लीया गया और रामराज में ही उसके साथ ऐसी ऐसी दुःखभरी घटना हुई की सीता जीते जी रोते हुए धरती में समा गयी और राजा राम भी प्रजा शंभूक के साथ भारी भेदभाव अन्याय अत्याचार बल्कि सिर्फ ज्ञान लेने पर उसकी हत्या करके खुद भी अपने रामराज से इतना दुःखी हुआ की जीते जी सरयू नदी में डूब गया ! ऐसा था रामराज जिसे दुनियाँ का कोई भी देश पसंद नही करेगा ! और करेगा तो उसे भी राम की तरह सरयू नदी में जीते जी डूबकर अपनी रामलीला समाप्त करना होगा ! अभी जो रामलीला हर साल दशहरा में मनाया जाता है वह तो दरसल रावणलीला होता है ! असल रामलीला तो सीता द्वारा अग्नी प्रवेश करने के बाद सुरु और अति दुःखी होकर जीते जी धरती में प्रवेश करने के बाद राजा राम द्वारा भी जीते जी सरयू नदी में डूबकर समाप्त होती है ! जो सब अभी के रामलीला में दिखलाया ही कहाँ जाता है ! क्योंकि अभी असल राम भक्तो का रामराज ही तो  चल रहा है ! जब चारो तरफ देव पूजा और राम पूजा होता है ! जीस रामराज में चारो तरफ लाखो देव मंदिर हैं न की दानव और असुर मंदिर ! और जब जब देव राज आता है तो समझो गुलामी होती है और गुलाम प्रजा को ये गुलाम करने वाले शूद्र कहकर खुदको उच्च समझते हैं ! जिस गुलामी से आजादी चुनाव से नही आजादी आंदोलन और संघर्ष से मिलती है !

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...