प्रचार

शनिवार, 7 जनवरी 2023

क्या मतलब है " ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी "

क्या मतलब है " ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी "


जबतक मनुवादि अपनी गलती स्वीकार नही करेगा इसी तरह ही झुठी शान में डुबा रहेगा कि वह पुरी दुनियाँ में उच्च है , वह कैसे हो सकता है उसी नारी के योनी से पैदा होनेवाला शैतान सोचवाला ऐसा इंसान जिसे उनके मुताबिक ताड़न की जरुरत नही है यदि ताड़न का मतलब देखना होता है मान भी लिया जाय ! क्योंकि दुःखी तो सिर्फ नारी शूद्र और पशु होते हैं ये मनुवादि नही जो कि खुदको भगवान तक भी मानते रहे हैं ! जैसे उस राम को भगवान माना जाता है जिसके रामराज में प्रवेश के लिये सीता से जीते जी अग्नि परीक्षा लीया गया और रामराज में ही उसके साथ ऐसी ऐसी दुःखभरी घटना हुई की सीता जीते जी रोते हुए धरती में समा गयी और राजा राम भी प्रजा शंभूक के साथ भारी भेदभाव अन्याय अत्याचार बल्कि सिर्फ ज्ञान लेने पर उसकी हत्या करके खुद भी अपने रामराज से इतना दुःखी हुआ की जीते जी सरयू नदी में डूब गया ! ऐसा था रामराज जिसे दुनियाँ का कोई भी देश पसंद नही करेगा ! और करेगा तो उसे भी राम की तरह सरयू नदी में जीते जी डूबकर अपनी रामलीला समाप्त करना होगा ! अभी जो रामलीला हर साल दशहरा में मनाया जाता है वह तो दरसल रावणलीला होता है ! असल रामलीला तो सीता द्वारा अग्नी प्रवेश करने के बाद सुरु और अति दुःखी होकर जीते जी धरती में प्रवेश करने के बाद राजा राम द्वारा भी जीते जी सरयू नदी में डूबकर समाप्त होती है ! जो सब अभी के रामलीला में दिखलाया ही कहाँ जाता है ! क्योंकि अभी असल राम भक्तो का रामराज ही तो  चल रहा है ! जब चारो तरफ देव पूजा और राम पूजा होता है ! जीस रामराज में चारो तरफ लाखो देव मंदिर हैं न की दानव और असुर मंदिर ! और जब जब देव राज आता है तो समझो गुलामी होती है और गुलाम प्रजा को ये गुलाम करने वाले शूद्र कहकर खुदको उच्च समझते हैं ! जिस गुलामी से आजादी चुनाव से नही आजादी आंदोलन और संघर्ष से मिलती है !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...