मनुवादि हिंदू नही है


मनुवादि हिंदू नही है

 मनुवादि हिंदू नही है , उसके अंदर यहूदी dna है साबित हो चूका है ! जो हिंदू कब बने ? दरसल यूरेशिया से आये मनुवादियो ने इस देश को गुलाम करके इस देश के वेद पुराणो में भी कब्जा करके उसके साथ छेड़छाड़ करके अपना संविधान मनुस्मृति की रचना करके खुदको उच्च और इस देश के मुलनिवासियो को जिसे की उन्होने घर के भेदियो की सहायता से गुलाम बनाया उसे निच शूद्र अधम घोषित किया हुआ है , जो की स्वभाविक भी है | क्योंकि जो भी अविकसित इंसान जिसके अंदर इंसानियत का विकाश अबतक भी न होकर अब भी उसके अंदर खुंखार जानवर चोर लुटेरा कबिला  सोच कायम है , वह जब भी किसी को गुलाम बनाता है तो खुदको उच्च और अपने गुलामो को निच शूद्र अधम मानता ही है ! जैसे की गोरे भी अपने गुलामो को अपने से निचे मानते थे , तभी तो उन्होने खुदको उच्च जाति का कहने वाले गाँधी को भी निच समझकर लात मारकर रेल से बाहर फैंक दिया था , जब गाँधी गोरो के साथ सफर करने के लिए रेल में चहड़ा था ! जाहिर है गोरो के लिए चूँकि गाँधी भी उस समय एक गुलाम ही था , इसलिए गाँधी भी गोरो से निचे अथवा निच ही था जिसे अपने जैसा उच्च कभी नही मान सकते थे गोरे ! जैसे की उस समय चाहे मुगल हो या यूरेशिया से आये मनुवादि सभी गुलाम गोरो से निचे पायदान में थे ! उसी तरह मनुवादियो के लिए भी इस देश के मुलनिवासि चूँकि गुलाम हैं , इसलिए निच शूद्र अधम हैं ! हाँ यदि यह देश पुरी तरह यदि आजाद होता और गुलाम करने वाले गोरो की तरह मनुवादि भी इस देश की सत्ता को छोड़कर इस देश के मुलनिवासियो को सत्ता सौंपकर आजाद भारत का संविधान पुरी तरह से लागू होकर कोई गुलाम करनेवाला इस देश की सत्ता में कायम नही होता तो आज इस देश में उच्च निच भेदभाव कायम नही रहता ! बल्कि यदि कायम भी रहता तो भेदभाव करने वाले सुधार घर में अपने भितर मौजुद उस मांशिक विकृति का सुधार कर रहे होते  जिसपर की जबतक सुधार नही होगा तबतक इस देश ही नही बल्कि पुरी दुनियाँ में उच्च निच गोरा काला भेदभाव कायम रहेगा ! जिसे कायम करने वाले चाहे सुट बूट पहने या फिर चाँद और मंगल में खुदको ले जायं खुदको सबसे आधुनिक और सबसे उच्च विकसित मानव कहकर , असल में वे प्रकृतिक वैज्ञानिक समाजिक पारिवारिक सभी दृष्टी से सबसे अविकसित असल निच शूद्र अधम मानव हैं , जिसका विकाश होना ही सबसे अधिक जरुरी भी है ! बल्कि यदि इस पृथ्वी का भी विकास करना है तो इन विनाशकारी सोच वाले मानवो के भ्रष्ट बुद्धी विकाश करना होगा ! जिसमे अबतक भी किसी को गुलाम करनेवाला हैवानियत कायम है !

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गर्मी के मौसम में उगने वाले ये केंद फल जीवन अमृत है और उसी फल का केंदू पत्ता का इस्तेमाल करके हर साल मौत का बरसात लाई जा रही है

साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है , न कि मनुवादियो के पूर्वज देवो की पुजा की जाती है

गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है