भारत india चुनाव 2024

 

भारत india चुनाव 2024


भारत इंडिया चुनाव में मनुवादि भाजपा गठबंधन भारत या मनुवादि कांग्रेस गठबंधन इंडिया किसे चुना जाय , या फिर मनुवादि गुलाम भारत या अंग्रेज गुलाम इंडिया चुना जाय ? मेरे विचार से तो गुलाम करने वाले मनुवादि और गुलाम करने वाले अंग्रेज से पुरी आजादी पाने के बजाय यदि किसी गुलाम करने वाले को ही फिर से गुलाम होने के लिये चुनना है, तो गुलाम भारत इंडिया चुनाव में भाजपा या कांग्रेस को एकतरफा सिर्फ एक गुलाम करने वाले को ही वोट करने के बजाय मनुवादि और अंग्रेज दोनो को उम्मिदवार बनाकर वोट करनी चाहिए,क्योंकि यदि गुलाम करने वाले को ही वोट करना है तो फिर एकतरफा कांग्रेस भाजपा को ही क्यों अंग्रेज को भी चुनावी उम्मीदवार बनाकर पक्ष विपक्ष वोट होने से चुनाव का परिणाम भी दो गुलाम करने वालो में मनुवादि या फिर अंग्रेज इन दोनो में कौन कम हानिकारक और कम खतरनाक है यह चुना जा सकेगा गुलाम बनाने वालो को ही सत्ता में बैठाने के लिए !  


जिस चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल का बयान आया की उपचुनाव में भाजपा का अग्नि परीक्षा हो गया है, तो अरविंद केजरीवाल को यह नही भुलना चाहिए की भाजपा कांग्रेस बल्कि खुद अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी भी उस रामराज को अपना आदर्श मानती है,  जिसमें अग्नि परीक्षा लेकर भी राम ने सीता को गर्भवती अवस्था में भी घने जंगल भेज दिया था, जहाँ सीता ने खुंखार जंगली शिकारी जानवरो की जंगलराज में लव कुश को जन्म देकर इतना अति दु:खी हुई की जीते जी धरती में समा गयी, और राम भी सरयू नदी में डुबकर आत्महत्या करके न घर परिवार का रहा न घाट का, जिस रामराज को अपना आदर्श मानने वाले मनुवादियो से चूँकि यह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही है, जिसके चलते आज भी इस देश में उच्च निच छुवाछूत भेदभाव कायम है, और उच्च निच छुवाछूत करने वाले मनुवादियो के हाथ में इस देश की सत्ता गोरो से आजादी मिलने के बाद फिर से कायम हो गयी है, जो की मुलता भाजपा कांग्रेस के नेतृत्व में ही पक्ष विपक्ष के रुप में आती जाती रही है, जिन दोनो पार्टियो को ही मुलता उच्च निच छुवाछुत करनेवाली मनुवादियो की खास पार्टी माना जाता है, जो की अबकीबार भारत इंडिय चुनाव कराकर देश की जनता को भाजपा या फिर कांग्रेस को ही वोट कराने के लिए अथवा पक्ष विपक्ष किसी भी हाल में मनुवादि सत्ता वापस कायम रखने के लिए भारत इंडिया विशेष चुनावी गठबंधन की गयी है, जिससे की चाहे चुनाव में गठबंधन भारत को वोट पड़कर भाजपा जिते या फिर गठबंधन इंडिया को वोट पड़कर कांग्रेस जीते , जीत तो वापस मनुवादि सत्ता की ही होगी !  


जबकि अगर इस देश को पुरी आजादी चाहिए और मनुवादि उच्च निच छुवाछूत भेदभाव गुलामी से भी पुरी आजादी चाहिए तो मनुवादि पार्टी भाजपा कांग्रेस दोनो को ही न तो चुनाव में साथ देना होगा और न ही दोनो को वोट करना होगा , या तो फिर घर का भेदि बनकर जिसे की मैं गुलाम करने वाले मनुवादियो से भी ज्यादे हानिकारक और देश गुलाम करने वालो का विशेष साथ देने वाले देशद्रोही भी मानता हूँ , वही बनकर गुलाम करने वालो का ही साथ देकर वापस गुलाम करने वाले मनुवादियो की ही सत्ता यदि लाना है तो मनुवादियो से भी कम हानिकारक दुसरा गुलाम करने वाले किसी गोरे को भारत इंडिया चुनाव में इंडिया गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाकर कम खतरनाक और कम हानिकारक गुलाम करने वाले को चुनना चाहिए,जिसके लिये देश में गोरो के संतानो में जो गोरे अब भी इस देश में रह रहे हैं गोरो से आजादी मिलने के बाद भी,  उन गोरो में से ही किसी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाकर भारत इंडिया चुनाव लड़ानी चाहिए, क्योंकि गुलाम बनाने वालो को ही यदि इस देश में वापस सत्ता देनी ही है तो दुसरा गुलाम करने वाले गोरो को भी भारत इंडिया चुनाव में इंडिया गठबंधन की तरफ से इस देश में रह रहे किसी अंग्रेज को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाकर मनुवादियो को भारत गठबंधन और गोरो को इंडिया गठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ाया जाय,  न की भारत इंडिया चुनाव करके कांग्रेस भाजपा के रुप में एकतरफा मनुवादियो का ही जीत दर्ज कराया जाय, क्योंकि मेरे विचार से मनुवादि से कम हानिकारक और कम खतरनाक गोरा है ! 


क्योंकि मनुवादि गुलाम बनाकर गुलामो द्वारा ज्ञान लेने पर जीभ काटने, अंगुठा काटने, कान में गर्म पिघला लोहा डालने, और यहाँ तक की गुलाम शंभुक की हत्या तक करने की सबसे खतरनाक और सबसे हानिकारक सोच रखता है, गोरे तो अपने गुलाम अंबेडकर को खुदको जन्म से ही सबसे उच्च विद्वान पंडित और सबसे उच्च टैलेंट डिग्रीधारी घोषित करनेवाले मनुवादियो से भी ज्यादे देश विदेश में उच्च डिग्री प्राप्त करने का अवसर प्रदान किये थे, जिसके चलते गुलाम अंबेडकर ने मनुस्मृति को जलाकर आजाद भारत इंडिया का संविधान तक लिखा है, भले उस संविधान की रक्षा और उसे लागू कराने की खास जिम्मेवार पदो में मनुस्मृति रचने वाले मनुवादियो के वंसजो को ही सबसे अधिक टैलेंटेड मानकर सबसे अधिक जज बहाल करके मनुवादियो का ही कब्जा लोकतंत्र के बाकि तीन प्रमुख स्तंभो सहित न्यायालय में भी कायम है,हलांकी गोरे भी अपने गुलाम शासन में न्यायालय पर भी कब्जा जमाकर खुद ही जज बनकर अपने गुलामो से न्याय कर रहे थे, जैसे की मनुवादि भी न्यायालय में भी अपनी दबदबा बनाकर अपने गुलामो के साथ न्याय करते आ रहे हैं,बल्कि मनुवादि तो आजाद भारत इंडिया का संविधान भी लागु होते हुए भी इस देश को गुलाम बनाकर अबतक शासन कर रहे हैं, यू ही नही वे गोरो से भी ज्यादे खतरनाक और ज्यादे हानिकारक हैं,जिसके पास गोरो से भी अधिक हानिकारक और खतरनाक गुलाम करने का टैलेंट और अधिक समय का एक्सप्रियंश अथवा अनुभव  है, जिसके बारे में तुलना करनी हो तो इस बात से भी पता लगाया जा सकता है कि गोरे तो सिर्फ सैकड़ो सालो तक इस देश को गुलाम किये हैं, पर मनुवादि तो हजारो सालो तक गुलाम किये हैं, जिनसे यह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही है, जिससे पुरी आजादी का मतलब उच्च निच छुवाछूत भेदभाव से भी पुरी आजादी है, जो भेदभाव तबतक कायम रहेगा जबतक की इस देश में मनुवादियो की सत्ता कायम अथवा गुलामी कायम रहेगी ! 


जिससे पुरी आजादी मिलते ही मनुवादि किसी के भी साथ उच्च निच छुवाछूत भेदभाव करना खुद ही छोड़ देंगे, जैसे की गोरे छोड़े, क्योंकि पुरी आजादी मिलने पर मनुवादियो द्वारा किसी पूजा स्थल से भी किसी को खिचकर बाहर निकालने के बजाय उल्टे उच्च निच छुवाछूत करने वाले मनुवादियो को ही भेदभाव करते हुए देखने पर गांव शहर गली मोहल्लो से भी एक एक करके खिच खिचकर बाहर निकालकर उनसे पुरी आजादी हासिल कर लिया जायेगा यदि वे तब भी नही सुधरे , जिन्हे अभी इसलिये नही निकाला जा रहा है, क्योंकि उन्हे खास संरक्षण और ताकत देनेवाला उनकी मनुवादि सत्ता कायम है इस देश में, जिसके चलते ही तो मनुवादि देश के किसी भी कोने में ही क्यों न मौजुद हो, वह आज भी खुदको जन्म से उच्च और अपने गुलामो को निच मानकर आजाद भारत इंडिया का संविधान लागू होने के बावजुद भी उच्च निच भेदभाव खुलकर सिना तानकर मार पिटाई हिंसक शोषण अत्याचार करके भी करता रहता है ! जिसकी भेदभाव गुलाम सत्ता कायम अबतक भी रहने में घर का भेदि प्रमुख रुप से साथ दे रहे हैं, जिन्हे मैं देश में अबतक भी गुलामी कायम रहने के लिये प्रमुख देशद्रोही मानता हूँ,  खासकर उन्हे भी जब पता है कि इस देश में अब भी पुरी आजादी कायम नही है, और इस देश में मुलता गुलाम करने वाले मनुवादियो की ही सत्ता कायम है, तो भी वे उनसे आजादी का संघर्ष करने के बजाय उनकी गुलामी को कायम रखने के लिये उनका खास साथ क्यों दे रहे हैं ,जबकि उन्हे भी पता है कि मनुवादियो ने इस देश को लंबे समय से गुलाम बनाकर क्या क्या शोषण अत्याचार किया है, जिन मनुवादियो का साथ देना यदि घर का भेदि छोड़ दे तो रातो रात गुलाम बनाने वाले मनुवादियो की हाथ से सत्ता जाकर इस देश में पुरी आजादी कायम हो जायेगी, जिस बात पर यदि किसी घर का भेदी को विश्वास नही हो रहा है तो अगली भारत इंडिया चुनाव में वह गुलाम बनाने वाले मनुवादियो की पार्टी का साथ न दे और न ही उसे वोद दे, बल्कि उस पार्टी से चुनाव भी न लड़े, उसके बाद 2024 भारत india चुनाव परिणाम में देखे की गुलाम बनाने वालो की सत्ता जाती है की वापस गुलामी कायम रहती है !


मनुवादियो के पास न तो देश और समाज सेवा करने का टैलेंट है, और न ही चुनाव जितने का वोट है, लेकिन भी वह इस देश की सेवा करने के लिये सत्ता में बार बार जीतकर इसलिए आता रहा है, क्योंकि उसका खास साथ घर का भेदि दे रहे हैं, उसकी पार्टी से चुनाव लड़कर भी और उसे वोट और समर्थन देकर भी, जिसे इस देश की आजादी और उच्च निच छुवाछुत गुलामी से कोई खास मतलब नही है, मतलब रहता तो मनुवादियो से इस देश को पुरी आजादी मिलने में इतना ज्यादे समय कभी नही लगता, जो अभी और अधिक समय लगेगा यह भारत इंडिया चुनाव गठबंधन की खास तैयारी झांकी देखकर साफ पता चल जाता है कि आज भी मनुवादि भारत इंडिया और भाजपा कांग्रेस पक्ष विपक्ष वोट कराकर किस तरह से अपनी मनुवादि सत्ता को कायम रखने के लिये अपनी मनुस्मृति बुद्धी बल सुझ बुझ का उपयोग कर रहा है, हलांकी वह अपनी मनुस्मृति बुद्धी सुझ बुझ का चाहे जितना उपयोग कर ले,  लेकिन जिस तरह एकदिन गोरो से आजादी मिली थी, उसी तरह एकदिन मनुवादियो से भी आजादी जरुर मिलेगी, जिसके बाद ही इस देश को पुरी आजादी मिलेगी, गोरो से आजादी तो अधुरी आजादी झांकी है, पुरी आजादी तो अभी बाकी है, जिसके लिये आजादी के उन वीर नायक नाईकाओ को इतिहास के पन्नो में खास याद रखा जायेगा जो की गुलाम बनाने वाले मनुवादियो से पुरी आजादी पाने के लिये खास संघर्ष कर रहे हैं,जिनपर मुझे गर्व है ! 


खासकर मुझे ऐसे संघर्ष करने वाले वीरो पर ज्यादे गर्व है,  जो की गुलाम करने वालो से पुरी आजादी के लिये गरिब बीपीएल और विकलांग बेघर होकर भी कड़ी संघर्ष कर रहे हैं । जिनमे से ऐसे अनगिनत वीर भी मौजुद हैं, जिन्हे आजतक विकलांग, वृद्धा, विधवा, पेंशन भी नही मिल रही है, और न ही उन्हे रहने को सरकारी घर मिल रही है । बल्कि बहुत से वीर बेरोजगार भी बिना कोई सरकारी नौकरी मिले मनुवादियो से पुरी आजादी पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं , क्योंकि उनको पता है की उनकी ऐसी हालत अंग्रेजो से आजादी मिलने के बाद मनुवादियो द्वारा देश में गुलामी वापस कायम होने की वजह से ही इतने लंबे समय से मानो अनदेखा करके ऐसे बुरे हालात जानबुझकर रखा गया है ।  लेकिन भी इस तरह के बुरे हालात से भी संघर्ष करते हुए, पुरी आजादी के वीर नायक मनुवादियों का साथ देना नही बल्कि उनसे आजादी पाना चाहते हैं। जबकि घर के भेदियो के पास किस चीज की कमी है, बावजुद इसके की वे उस सुख सुविधा का उपयोग करते हुए भी आजादी के लिये खास संघर्ष करते ,जो न करके गुलाम करने वालो का खास साथ देकर अपने लिये तो खास सुख सुविधा की व्यवस्था कर लिये हैं, पर अपने ही परिवार समाज के गुलाम लोगो को पुरी आजादी दिलाने में मदत करने के बजाय गुलाम करने वालो का ही खास मदत कर रहे हैं । जिसके बावजुद भी उनपर अपने घर परिवार समाज के बहुत से लोग अब भी विश्वास कर रहे हैं, जो कि मेरे विचार से तो अपने ही पैर में कुल्हाड़ी नही अपने गर्दन में चाकू चला रहे हैं । जिनमे कुछ तो उन लोगो के ही बिच से आते हैं, जिनके बारे में मैने इससे पहले बतलाया कि किन लोगो पर मुझे खास गर्व है, जिन खास लोगो के बिच में ही कुछ ऐसे लोग भी मौजुद हैं, जिन्हे घर का भेदि का साथ देना बंद करना होगा यदि घर का भेदि का मन गुलामी के इतने लंबे समय बाद भी अबतक नही बदलता है ।  वह भी अपने ही घर परिवार समाज के गुलाम लोगो के लिये भी ।  क्योंकि जब गरिब, विकलांग,बेरोजगार,बेघर और सबसे बड़ी खास बात उनके ही तरह शोषित पिड़ित परिवार में जन्म लेने के बावजुद भी घर के भेदियो की सोच मनुवादियो के प्रति ही खास झुकाव होकर मनुवादियो की ही चाटुकारिता करते हुए उनकी मानो तलवा दिनरात चाटता रहता हो,  तो उनसे खास मदत की उम्मीद लिये उनकी सहायता करना अपने पैर में कुल्हाड़ी नही बल्कि अपने गर्दन में चाकू चलाना है । क्योंकि घर के भेदियो द्वारा खास मदत से चुनी गयी गुलाम भारत इंडिया सरकार से भी थोड़ी बहुत इंसानियत की उम्मिद करके कम से कम गरिब बीपीएल विकलांग के लिए तो इंसानियत मौजुद होगी यह सोचकर लंबे समय तक खाली जेब और खाली पेट भी चक्कर काटने वाले जिन शोषित पिड़ित गरिब बीपीएल विकलांग बेघरो को अबतक भी न तो विकलांग पेंशन मिल रहा है, और न ही उन्हे सरकारी राशन मिल रहा है, और न ही रहने को घर मिल रहा है, अनगिनत को तो सरकारी राशन कार्ड भी नही मिल रहा है, अथवा साफ तौर पर जिवीत रहने के लिये अन्न जल घर रोटी कपड़ा मकान रोजगार जैसी मुल जरुरी चीजे भी मिल जाय ऐसी सेवा भी अभी अधुरा आजाद देश की मनुवादि सरकार नही दे पा रही है।  इतिहास दर्ज होते हुए पुरी दुनियां देख रही है कि मनुवादियो के द्वारा इस देश का नेतृत्व में ऐसी बदहाली हालत करोड़ो गुलामो के साथ मौजुद है, जो की हर रोज आधा पेट बल्कि भुखा पेट भी सोकर अनगिनत तो सोकर दुबारा उठते भी नही हैं, क्योंकि उनकी भुख और बिमारी से निंद में ही मौत हो जाती है, जिनमे बच्चे बुढ़े और स्त्रियो की संख्या ज्यादे है, जिनके पास पेट भरने और बिमारी से इलाज कराने के लिये भी यह गुलाम भारत इंडिया की मनुवादि सरकार अबतक व्यवस्था नही करा पायी है, जिससे की हर रोज अनगिनत लोग सैकड़ो हजारो की संख्या में मर भी रहे हैं, जिसे जानकर तो शर्म से चुलूभर पानी नही बल्कि चुलूभर मूत में डूबकर अबतक मूत समाधि लेनी चाहिए थी वर्तमान के मनुवादियो और उनका खास साथ देने वाले घर के भेदियो को यदि जरा सा भी इंसानियत उनमे मौजुद है , राम तो सरयू नदी में डुबकर जल समाधि लेकर न घर का न घाट का रहा,  पर रामराज को अपना आदर्श मानकर अबतक भी आजादी न देकर आजाद देश का संविधान लागु कराकर भी इस तरह गुलाम बनाने वालो को तो नर्क में भी जगह नही मिलेगी यदि वे पुरी आजादी नही देंगे अपनी यह गलती स्वीकार करके कि उन्होने इस देश को अबतक भी गुलाम बनाकर रखा हुआ है !  जिस कड़वा सत्य को यदि वे जिते जी स्वीकार नही करेंगे तो उन्हे मरने के बाद उस स्थिर सत्य के पास ले जाकर स्वीकार कराया जायेगा जिससे बड़कर पुरी दुनियाँ में कोई नही है, क्योंकि पुरी दुनियाँ को ही उसी ने बनाया है, जिसके पास मानो सबका पाप पुण्य का एक एक पल का ओडियो विडियो रिकोर्ड भी मौजुद है, उसके द्वारा लगाये गये कण कण में मौजुद विशेष सीसी टीवी द्वारा नजर रखकर, जिसकी भी सत्य जाँच कराकर वे वहाँ पर भेजे जायेंगे जहाँ पर सायद असली रामराज कायम है,जि़सके चलते सायद यह कहा जाता है कि नर्क में राम का कपड़ा लता वगैरा सबसे अधिक सामान तो मौजुद है, पर वहाँ पर राम की मौजुदगी नही है, क्योंकि राम के लिये भी नर्क में जगह मौजुद नही थी,  भले उसके सामानो के लिये नर्क में जगह मौजुद थी , जिस सामानो से भी ज्यादे खराब राम को माना गया होगा जिसकी वजह से राम के सामानो को तो नर्क में जगह दिया गया पर राम को नही दिया गया ,  जैसे की युधिष्ठिर छोड़कर बाकि सभी पांडवो को उनका एक कुत्ता से भी ज्यादे खराब माना गया, जिसके चलते उन्हे हिमालय से कुदकर आत्महत्या करके नर्क में जगह मिला पर कुत्ता स्वर्ग गया  , राम को तो सायद नर्क से भी ज्यादे खतरनाक लोक में भेजा गया है , जहाँ पर ही  उसकी असली रामराज कायम होगा, जहाँ मनुस्मृति जैसे गुलाम संविधान से भी ज्यादे खतरनाक संविधान लागू होगा, जिस नर्क से भी ज्यादे खतरनाक लोक का राम भगवान हो सकता है, जिसमे की वह घर के भेदि गुलामो समेत अपने बिवि बच्चो को भी खतरनाक तरिके से सजा भी देते होंगे और नर्क की आग से भी बड़कर कोई आग का दरिया या पानी का नदी यदि होगा तो उसमे खुदको भी डुबोकर सजा देते होंगे , जैसे की राम ने खुदको सरयू नदी में डुबोकर दिया था,  इस देश में रामराज कायम करके, जो की अपना गुलाम राज कायम करके खुदको भगवान मानकर शासक बनकर अपनी पूजा कराते हुए सरयू नदी में डुबकर आत्महत्या करने तक पुरी जीवन रामराज चलाया था ! 


बल्कि अब भी रामराज को अपना आदर्श और भगवान मानने वाले मनुवादियो के ही हाथो में इस देश का शासन मौजुद है, जो उनका अपना खुदका शासन नही बल्कि इस देश को गुलाम बनाकर किया गया शासन है ! जिनसे इस देश को पुरी आजादी मिलने के बाद मनुवादियो का अपना खुदका शासन कहाँ पर कायम होगी यह तो उनके भगवान राम और मुझे भी अबतक पता नही चला है कि आखिर मनुवादियो के पूर्वजो का असली खुदका शासन कहाँ पर मौजुद थी इस देश में आने से पहले,क्योंकि गोरो का अपना खुदका शासन के बारे में तो पता चलता है कि वे किस देश के मुलनिवासि हैं, जहाँ के मुलनिवासियों से उनका डीएनए मिलता है, पर मनुवादियो का तो डीएनए जिन यहूदियो से मिलता है वे खुद भी कभी बिना देश और बिना शासन के जीवन यापन कर रहे थे, जिन्हे अभी जो देश दिया गया है, उसपर भी भारी विवाद है, जो विवाद यदि पुरी तरह से समाधान हो जाय तो ही सायद यह माना जा सकता है कि मनुवादि का शासन इस देश को पुरी आजादी कायम होने के बाद कहाँ पर मिल जुलकर चल सकती है , पर वहाँ पर भी क्या यहूदि मनुवादियो को पूरब की ओर आकर अपना बिछड़ा हुआ दुसरा कबिला स्वीकार करके क्या सचमुच में बिछड़ा हुआ अपना ही भाई समझकर अपना लेंगे, जो यदि अपना भी लेंगे तो मनुवादियो की जितनी आबादी हो गयी है इस देश में आकर उसके लिये तो यहूदियो के पास सायद न तो सुलाने के लिये जगह होगी और न ही खिलाने के लिये रोटी बोटी भोजन और धन होगी भले अभी यहूदि खुदको पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक धनवान और बलवान माने , पर सच्चाई यही है कि मनुवादियो को अभी कोई भी देश पालने की स्थिति में नही है,   जिनको यह सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला कृषि प्रधान देश हजारो सालो से महलो में भी रखकर और छप्पन भोग भी खिलाकर खुद गुलाम और भुखा रहकर भी पाल रहा है !  


बल्कि बाहर से आये मनुवादियो और अंग्रेजो की तरह और भी बहुत से कबिलई लुटेरे इस कृषि प्रधान देश में अपना पेट पालने के लिए समय समय पर लुटपाट करने आकर लंबे समय से लुटपाट गुलाम शोषण अत्याचार करके इस देश के मुलनिवासियो को भुखो मारकर खुद भरपेट खा पिकर पलते रहे हैं, पर मनुवादियो जैसा गुलाम बनाने वाला कबिला आजतक कोई भी नही आया जो की इतने लंबे समय तक इस देश को गुलाम बनाकर पला है, जिसके चलते बाकि तमाम लुटेरे कबिलई आबादी से उसकी आबादी सबसे अधिक है, इतना अधिक की यहूदियो को मनुवादियो को पूरब की ओर आकर अपना बिछड़ा हुआ कबिला मानने के लिए बहुत गंभीर होकर सोचना पड़ेगा कि मनुवादियो को वे कहाँ रखेंगे और क्या खिलायेंगे यदि अपना बिछड़ा हुआ भाई मानकर अपना लेंगे , एक तो वे वैसे भी पहले बिना देश के थे, और देश मिला तो भी उसे लेकर भारी विवाद है ,हाँ यदि मनुवादियो की आबादी यहूदियो की तरह कम होती तो सायद यहूदि कबका मनुवादि को अपने ही घर परिवार का बिछड़ा हुआ भाई मानकर अपना लेते, पर इतनी आबादी को कैसे स्वीकार करेंगे जो की यदि यहूदियो का घर परिवार को अपना भी घर परिवार मानकर यहूदियो के साथ रहने लगेंगे तो मनुवादियो की करोड़ो आबादी जो की यहूदियो से कई गुणा है, वह यहूदियो की भी रोटी बोटी भोजन और रहने की जगह को समाप्त करने के बावजुद भी पेट न भरके खुद तो भुखो मरेंगे ही यहूदियो को भी भुखा मार डालेंगे ।  क्योंकि मनुवादियो की आबादी जितनी है, उसके अपेक्षा यहूदियो के पास रोटी बोटी भोजन और रहने की जगह बहुत कम ही नही बल्कि न के बराबर है । चाहे तो यहूदि मनुवादियो की पुरी आबादी में सिर्फ आधी आबादी को भी अपने पास बुलाकर हमेसा के लिये तो छोड़ो एकदिन के लिये भी मेहमान समझकर भी भरपेट रोटी बोटी भोजन खिला पिलाकर  और अच्छे से सुलाकर प्रयोग करके देख ले कि इस कृषि प्रधान देश में कितनी आबादी हो गयी है मनुवादियो की  । जो आबादी मनुवादियो की किसी पुरुष ब्रह्मा ने अपने मुँह छाती और जंघाओ से पैदा नही किया है, बल्कि किसी नारी ने पैदा की है । वह भी अपनी पुरुष लुटेरी झुंड बनाकर मनुवादि कबिला इस कृषि प्रधान देश में आकर घर के भेदियो की सहायता से इस देश को गुलाम बनाकर यहाँ के बहु बेटियो को देवदासी बनाकर एक एक मनुवादियो ने कई कई गुलाम दासियो को कन्यादान के रुप में पशु और धन की तरह आपस में बांटकर सुरुवात में तो बिना वैवाहिक रिस्ता जोड़े ही उसके साथ बलात्कार करके भी अपनी आबादी इतनी तेजी से बड़ाया है कि उनके मुकाबले तब के समय में आज के वे लोग भी फेल हो जाय जिन्हे मनुवादि कई कई विवाह करने वाले लोग कहकर आबादी बड़ाने में खास जिम्मेवार मानते हैं । जबकि मनुवादि के पूर्वज तो बिना विवाह किये भी अनगिनत दासियो को कन्यादान के रुप में आपस में बांटकर अनगिनत दासियो से शारिरिक रिस्ता जोड़कर अनगिनत बच्चो के बाप भी बनते थे, भले वे आज भी यह ढोंग पाखंड और झुठे शान व अहंकार में डुबे रहते हैं की उनसे शूद्र दासियाँ छुवा जाने या छुने मात्र से उनका शरिर अपवित्र हो जाता है , जो की पवित्र कहलाने वाले पूजा स्थलो में भी वे कई कई देवदासी बनाकर सिर्फ उससे छुवाते और छुते ही नही बल्कि अंग में अंग डालकर साँप की तरह लिपटकर अपनी हवस मिटाकर भी खुदको सबसे उच्च और पवित्र कहकर मंदिरो में पूजा भी कराते हैं। जबकि वे अनगिनत दासियो के साथ बलात्कार करके अनगिनत नाजायज बच्चो के बाप बनने जैसे बड़े बड़े निच कर्म करते रहे हैं। और तो और उनकी हवस इतने से भी शांत नही होती थी तो खुदको खुला सांड़ बकरा वगैरा जानवर की तरह अनगिनत पुत्र यज्ञ में शामिल कराकर अपना पाल खिलाकर दुसरे की भी स्त्रियों को माँ बनाते रहे हैं ,यू ही नही बाहर से आये मुठिभर मनुवादियो की आबादी आज इतनी ज्यादे है,जो की आज भी और अधिक तेजी से बड़ती ही जाती यदि आज गर्भनिरोधक सुविधायें मौजुद नही होती, बल्कि बाहर से आये मुठीभर अंग्रेज भी अपनी आबादी मनुवादियो की तरह ही बड़ाते यदि वे भी मनुवादियो की तरह ही इस देश की अनगिनत बहु बेटियो को दासी बनाकर कन्यादान के रुप में आपस में बांटकर बाहर से आए गोरो की पुरी कबिलई लुटेरी टोली यहीं पर ही बसकर हजारो सालो तक अनगिनत देवदासीयो को अनगिनत नाजायज बच्चो का माँ बनाकर मनुवादियो की तरह लंबे समय तक इसी देश की नारियो के साथ अपना परिवार बसाकर राज करते।  जो की न करके अंग्रेज सैकड़ो सालो में ही इस देश को आजादी देकर अपने देश और अपने असली घर परिवार के पास चले गये, जो की मनुवादि नही गये और यहीं पर ही रहकर उन्होने धिरे धिरे पहले तो यहीं पर रहते रहते शादी व्याह परिवार समाज के बारे में सिखा और बाद में बैंड बाजा बारात के बारे में भी सिखा ! जिससे पहले वे किसी स्त्री से बैंड बाजा बारात लेकर वैवाहिक रिस्ता जोड़कर शारिरिक रिस्ता नही जोड़ते थे, बल्कि वेद पुराण भी गवाह है कि वे लुटेरी कबिलई गैंग लेकर गुलाम देवदासी बनाकर पशु और धन के साथ साथ इज्जत भी लुटते थे। 


क्योंकि तब मनुवादियो का अपना कोई देश ही नही था, जिसके चलते वे यहाँ आने से पहले कबिलई लुटेरी झुंड बनाकर घुम घुमकर मुलता जानवरो का शिकार करके और पशु लुटपाट करके ही अपना पेट पालते थे, क्योंकि उन्हे कृषि कार्य नही आता था, जिसके चलते उनकी जीवन अन्न रोटी नही मुलता पशु बोटी पर ही निर्भर थी, बल्कि तब वे संभवता परिवार समाज के भी बारे में नही जानते थे,  और माँ बाप भाई बहन वगैरा रिस्तेदारी के बारे में भी नही जानते थे, जिसके चलते वे पहलीबार इस देश में आकर माँ बाप भाई बहन कहना सिखा होगा ।  यही वजह है कि मनुवादि आज भी इस देश की नारी से जन्म लेकर इस देश को भारत माता भारत माता तो कहता है पर इस देश में आने से पहले उसके पिता का देश कौन था नही जानता, जिसका पता चलेगा तब तो वह अपने पिता के उस देश को बता पायेगा जहाँ से उनके पूर्वज अंग्रेजो की तरह सिर्फ पुरुष कबिला बनाकर इस देश में आये थे, न की उसके साथ कोई स्त्रियाँ भी मौजुद थी , या तो मनुवादि यह कह दे की जिसे वह भारत माता भारत माता कहकर पुरी दुनियाँ को चिल्ला चिल्लाकर बतलाता रहता है कि उसकी माँ कौन है,  वह भी मनुवादियो की तरह ही बाहर से इस देश में उनके साथ ही आई थी, जबकि वेद पुराण और इतिहास ही नही बल्कि अब तो डीएनए द्वारा भी विज्ञान प्रमाणित हो चूका है कि मनुवादियो के परिवार में मौजुद नारियो की एम डीएनए और इस देश के मुलनिवासियो के परिवार में मौजुद नारियो की एम डीएनए एक है,मतलब दोनो इसी देश की नारी है ,अंतर इतना है कि आज एक गुलाम बनाने वाले मनुवादियो की तरह जन्म से उच्च  जाती की नारी कहलाती है और दुसरी जन्म से निच जाती की नारी कहलाती है । जबकि आज जो मनुवादियो के घर परिवार में मौजुद नारी है, उसके अंदर भी इस देश की मुलनिवासि  नारियो की एम डीएनए ही मौजुद है। क्योंकि इसी देश की नारी ही कभी इस देश में बाहर से आये मनुवादियो के पूर्वजो की गुलाम दासी बनकर उनके बच्चे को जन्म देकर मनुवादियो के वंशवृक्ष को पिड़ि दर पिड़ि आगे बड़ाते आ रही हैं । जो नारी ही आज मनुवादियो के घर परिवार में जन्म लेकर खुदको भी उच्च जाती का मानती है, जो की स्वभाविक भी है।  हलांकि मनुवादि उन्हे आज भी मुलता शूद्र ही मानकर लड़का लड़की में भारी भेदभाव करके लड़कियों की सबसे अधिक भ्रुण हत्या भी करते हैं,क्योंकि उन्हे भी आज ही नही बहुत पहले वेद पुराण काल से ही पता है कि उसके पूर्वज इस देश में आने के बाद जिस नारी के साथ शारिरिक रिस्ता जोड़कर अपना वंशवृक्ष आगे बड़ाया है, वह नारी एक गुलाम जिसे की जन्म से खुदको उच्च कहने वाले मनुवादियो ने जन्म से शूद्र घोषित किया हुआ है, उसी शूद्र परिवार की ही थी, जिसके चलते तुलसीदास ने भी ढोल गंवार शूद्र पशु नारी सकल ताड़न के अधिकारी कहकर शूद्र से नारी की तुलना करते हुए साफ कर दिया है कि इस देश में मनुवादि परिवार का सिर्फ पुरुष ही उच्च जाती का है नारी नही ! जिसके चलते मनुवादियो ने शूद्र और अपने परिवार में भी मौजुद नारी का भेदभाव शोषण अत्याचार किया है, जिसके बारे में कुछ गुरुघंटाल और ढोंगी पाखंडी बाबा यह तर्क देते हैं की जिस तुलसीदास ने नारी सीता को हे माता हे जगज्जननी जानकी कहा और शूद्र केवट से भी खास मिलन किया है, वह शूद्र और नारी की पिटाई के बारे में कैसे सोच सकता है, जिन गुरुघंटालो और ढोंगी पाखंडी बाबाओ को आजतक सायद कोई सही गुरु और सही से जवाब देनेवाला नही मिला है, इसलिए वे पुरी जीवन गुरुघंटाल और ढोंगी पाखंडी बनकर जिते जी भी भटकते रहे हैं,  और मरने के बाद भी सायद भटकती आत्मा बनकर भटकते रहे हैं, नही तो फिर उनको पता होना चाहिए था की खुद उनके ही नजर में तुलसीदास राम के मुकाबले क्या है, और जब राम अपनी गर्भवती पत्नी तक को भी घने जंगल में खुंखार शिकारी जानवरो के बिच मरने के लिये छोड़ सकता है, और शूद्र शंभुक के द्वारा वेद ज्ञान लेने पर उसकी हत्या तक कर सकता है तो तुलसीदास तो शूद्र और नारी की सिर्फ पिटाई के बारे कहा है, जिसमे आश्चर्य होने की क्या बात है, बजाय इसके की राम के द्वारा लंका पर कब्जा करने और लंका का विनास करने, बल्कि राम के द्वारा भेजे गए हनुमान द्वारा लंका दहन करके निंद में ही अनगिनत बच्चे बुढ़े जवान नर नारी को उनके घर महल समेत जिंदा जलाने, जिनके साथ यदि हनुमान द्वारा लंका दहन में सीता का भी अग्नि परीक्षा से पहले ही लंका दहन की आग में जलकर लंका के साथ भष्म हो जाती तो क्या फिर भी लंका दहन की जस्न हर साल आज भी रामलीला करके मनाई जाती, जिस तरह की लंका दहन पाप करने के लिये राम द्वारा शाबासी और बड़ावा देने जैसे बड़े बड़े कुकर्मो और इनसे जुड़ी तुलसीदास के लिखी हुई बातो को स्वीकार करके यह मानो की मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर शूद्र घोषित करके हजारो सालो तक उच्च निच छुवाछूत जैसे भेदभाव शोषण अत्याचार भी किया है,और अपने परिवार में मौजुद नारी की तुलना भी शूद्र से करके उसकी भी पिटाई करने की बात किया है, क्योंकि उसके परिवार में मौजुद नारी भी इसी देश की नारी है , जिससे ही मनुवादियो के पूर्वजो ने दासी बनाकर अपना वंशवृक्ष आगे बड़ाया है ! जो यदि इसी देश की नारी नही होती तो उसे मनुवादि इस देश से तुलना करके अपनी भारत माता कभी नही मानते और न ही उसकी तुलना भी अपने गुलाम शूद्र से करते । क्योंकि उनको भी पता है कि उनके परिवार में जो नारी मौजुद है वह भी आखिर भारत माता भारत माता मनुवादियो के मुँह से सुनते समय खुदको इस देश का ही मुलनिवासी नारी महसुश करते हुए मनुवादियो को उनके उन बाहर से आए पूर्वजो के पितृभूमि अथवा पिता का नाम नही बताती है जो की भारत माता से जन्मे मनुवादियो के पूर्वजो का पिता कहे जायेंगे । जो की मनुवादियो के द्वारा भी यह बात स्वीकारा जाता रहा है कि इस देश में बाहर से आए उनके पूर्वजो के पिता इस देश के मुलनिवासि नही हैं। 


जो बात डीएनए प्रमाणित भी हो गया है कि मनुवादि परिवार में मौजुद पुरुष का डीएनए इस देश के मुलनिवासियो से नही मिलता, बल्कि यहूदियो से मिलता है, जो यहूदि मनुवादियो के पूर्वजो के पिता हो सकते हैं । इसलिए मनुवादि तो असली हिंदू भी नही है, और न ही राम हिंदू भगवान है, क्योंकि यहूदियो के डीएनए से जिन मनुवादियो का डीएनए मिलता है वे मुलता यहूदि ही कहलायेंगे यदि वे कभी भी अपना धर्म परिवर्तन करके हिंदू नही बना हैं । और हजारो साल पहले पूरब की ओर आकर यहूदियो से बिछड़ने वाले मनुवादि इस देश में आकर कब हिंदू बने और उन्होने होली दीवाली छठ और मकर संक्रांती जैसे मिल जुलकर मनाये जाने वाले मुल हिंदू पर्व त्योहारो को उच्च निच छुवाछूत भेदभाव मानना छोड़कर खुदको हिंदू बनाकर असली हिंदूओ से मिल जुलकर मनाना कब सुरु किया इसका इतिहास मौजुद नही है,पर इसका इतिहास जरुर मौजुद ही नही बल्कि आज भी अपडेट होकर दर्ज हो रहा है कि बहुत से मनुवादि आज भी हिंदू पर्व त्योहार मुल हिंदूओ से मिल जुलकर मनाना तो दुर आज भी उच्च निच छुवाछूत भेदभाव करके यह साबित करते रहते हैं कि वे दरसल भगवान पूजा करने और मिल जुलकर पर्व त्योहार मनाने वाले मुल हिंदू है ही नही,बल्कि वे तो यहूदि हो सकते हैं ।  क्योंकि यहूदि भी मनुवादियो की तरह ही भेदभाव करते हैं,  भले वे भेदभाव गोरा काला के रुप में करते हैं। जबकि उच्च निच छुवाछूत भेदभाव करना मुल हिंदू पर्व त्योहार कभी नही सिखाता, क्योंकि हिंदू जिस प्राकृति की पूजा भगवान के रुप में करता है, वह सभी प्राणियो को जिंदा रखने के लिए प्राणवायु वगैरा में भेदभाव नही करता है। सभी प्राणियो का एक ही प्राकृति भगवान भ से भूमि ग से गगन व से वायु अ से अग्नि न से नीर (पानी) की पूजा हिंदू धर्म में होती है ।  बल्कि हिंदू कलेंडर भी प्राकृति पर ही आधारित है, जिसके अनुसार ही मुलता समय तय करके मुल हिंदू पर्व त्योहार बिना कोई उच्च निच छुवाछुत भेदभाव के मनाई जाती है ! जिसे जो मनुवादि मुल हिंदू नही है उन मनुवादियो को हिंदू धर्म का मुल पूजारी और मुल धर्मगुरु मानकर उनकी बातो में चलकर मानो उनका ब्रेनवाश होकर ढोंग पाखंड कहना प्राकृति विज्ञान को ढोंग पाखंड कहना है। जिस प्राकति विज्ञान की कृपा बगैर कोई प्राणी अथवा जीव ही नही बल्कि निर्जीव कहलाने वाले यह पृथ्वी और चाँद तारे सूर्य ग्रह वगैरा भी न तो जन्म ले सकते और न ही मर सकते। जिनके उम्र के आगे इंसानो की उम्र क्या है। जिनके अंदर भी भगवान मौजुद हैं, जैसे की कण कण में मौजुद है। या तो कोई यह साबित कर दे कि जिस भगवान ने सबकी रचना किया है, उससे वे जीव निर्जीव पैदा ही नही लिये हैं जिन्हे मानो शैतान कहा जाता है। जबकि हिंदू धर्म किसी भी धर्म का इंसान बिना भगवान के जन्म नही ले सकता और न ही मर सकता,  बल्कि वह स्वर्ग नर्क किसी भी लोक में भी नही रह सकता यह हिंदू धर्म साबित भी कर सकता है।  


जिस हिंदू धर्म के बारे में पुरी दुनियाँ में अभी सही से ज्ञान इसलिये नही बांटा जा रहा है, क्योंकि सही से ज्ञान बांटने वाले असली विश्वगुरु को मनुवादियो ने कैद और गुलाम करके खुदको विश्वगुरु बताकर, इस देश ही नही बल्कि इस देश के मुल हिंदू धर्म में भी कब्जा जमाकर, खुदको हिंदू धर्म का जन्म से ही मानो ठिकेदार बनाकर, हिंदू वेद पुराणो में मिलावट और छेड़छाड़ संक्रमित करके, खुदको और अपने पूर्वजो को हिंदू भगवान बताकर और मुल हिंदुओ को निच शूद्र घोषित करके, इस देश के मुलनिवासियो को घर के भेदियो की सहायता से उनके अपने देश में ही गुलाम बनाकर रखा है, और उनके अपने मुल हिंदू धर्म में भी गुलाम बनाकर रखा है, जिसके चलते बहुत से मुल हिंदु अपना धर्म छोड़कर भी दुसरे धर्म को अपना रहे हैं, जिनको अपना हिंदू धर्म को मनुवादियो के हाथो छोड़कर नही जाना चाहिए था , जैसे की उनको इस गुलाम देश को छोड़कर नही जाना चाहिए, बल्कि अपने धर्म और अपने देश में ही रहकर आजादी लड़ाई लड़ना चाहिए । क्योंकि मनुवादियो से बड़ा पापी और अन्याय अत्याचारी सायद पुरे ब्रह्माण्ड में नही है । इसलिये मनुवादियो से पुरी आजादी पाये बगैर जहाँ भी जाओगे वहाँ भी पुरी आजादी कभी भी नही पाओगे । इस पृथ्वी में तो उससे बड़ा पापी और अन्याय अत्याचारी कोई नही है, जिसका प्रमाण मनुवादियो ने इस सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाले इतने बड़े देश को हजारो सालो तक गुलाम बनाकर, बल्कि इतने बड़े हिंदू धर्म को भी कब्जा करके,  और इतनी बड़ी आबादी को हजारो सालो से उच्च निच छुवाछूत जैसे शोषण अत्याचार करके, खुदको इस पृथ्वी का सबसे बड़ा पापी और अन्याय अत्याचारी साबित कर ही दिया है ,जिससे बड़ा पापी यदि कहीं सचमुच का एलियन भी होंगे तो मनुवादियो से बड़ा पापी वे भी नही होंगे !  या फिर क्या पता खुद मनुवादि ही एलियन हो,  जिसके चलते इस पृथ्वी में आजतक उसके अपने खुदका देश का पता नही चला है, जहाँ का वे मुलनिवासी कहलाते हो, जिसके चलते ही सायद मनुवादियो के द्वारा हिंदू वेद पुराणो में छेड़छाड़ और मिलावट करके मनुवादि अपना पूर्वज उन देवताओ को मानते आ रहे हैं,  जिन्हे वे वेद पुराणो में इस पृथ्वी का वासी नही बल्कि उस स्वर्ग का वासी मानते हैं, जहाँ पर मनुवादियो की माने तो इस कलियुग में बिना मरे स्वर्गवासी नही हो सकते, भले तब देव ही नही बल्कि इस धरती का दानव असुर भी बिना कोई यान वगैरा के वहाँ जाकर भी स्वर्ग के देवताओ को कोई अपराध वगैरा करने पर पकड़कर इस धरती में लाकर कैद करते थे ! जो स्वर्ग यदि सचमुच में कहीं मौजुद होगा तो उसको मैं असली स्वर्ग नही मानता, भले हो सकता है मनुवादियो के लिये वह असली स्वर्ग हो , क्योंकि सायद उन्हे वहाँ पर उनकी परम सुख सुविधा शराब पिलाने वाली अप्सराओ और मदिरालय सहित भोग विलास की विशेष प्राप्ती होती होगी, हलांकि इसके बावजुद भी वहाँ के राजा इंद्रदेव को कथित स्वर्ग की अप्सराओ से भी हवसपूर्ति पूरी नही हो पाती है, और न ही वह उसे उतनी सुंदर भी दिखती होगी , तभी तो वह उसे स्वर्ग में छोड़कर इस धरती में आकर दानव कन्या को अपनी पत्नी बनाकर उससे भी उसका हवस शांत नही होता था तो एक शादीशुदा स्त्री अहिल्या के साथ भी बलात्कार करके उसे अपनी हवसपूर्ति करनी पड़ी थी , जिसके चलते बलात्कार पिड़ित अहिल्य के पति गौतम ने इंद्रदेव को श्राप दिया था कि इंद्रदेव अब हजार योनी को अपने शरीर में किसी घुंघरु और फूलमाला की तरह टांगकर जीवन यापन करेगा , जिसके बाद भी इंद्रदेव कहीं अपनी हवस को शांत करने के लिए अपने शरिर में लटकी हजार योनी के साथ भी कहीं फिर से अपना रुप बदलकर बलात्कार न किया हो,  जिस तरह के हवसी देवता लोग यदि सचमुच का एलियन होंगे तो वे अपना हवस का भूख मिटाने के लिए इस पृथ्वी में आकर  यहाँ की नारियो से नाजायज रिस्ता जोड़कर,और मनुवादियो का नाजायज पिता बनकर, किसी बहुत बड़ा श्राप पाकर डायनासोर की तरह लुप्त हो गये होंगे, जिसके चलते वे कहीं भी अब पुरी दुनियाँ में देव के रुप में कहीं भी नही मौजुद हैं , क्योंकि वेद पुराण बतलाता है कि मनुवादियो की तरह उनके पूर्वज देव भी बड़े बड़े ऐसे पाप कुकर्म करते रहे हैं की उनको बड़े बड़े श्राप भी मिलते रहे हैं ! जिसके चलते उनको कोई ऐसा श्राप मिल गया हो जिससे की वे सचमुच में किसी डायनासोर की तरह लुप्त हो गये हों !  


या तो फिर कथित स्वर्ग के देवता इस धरती में आकर अपने काले पाप कुकर्मो से मनुवादियो को पैदा करवाकर उन्हे अपना मुल वारिस मानने से इंकार करते हुए इस पृथ्वी पर लावारिस छोड़कर जाकर हजारो साल बाद अबतक भी अपने कथित स्वर्ग से वापस लेने नही आ रहे होंगे ! जो यदि आते तो उनकी निर्जिव मूर्ति और तस्वीरो की पूजा मनुवादि इस धरती में करने के बजाय साक्षात उन्हे मंदिरो में जिवीत खड़ा करके या बैठाकर पूजते, बल्कि उनसे आशीर्वाद लेते हुए उनके साथ जिते जी स्वर्गवासी भी हो जाते, जो की उनकी माने तो अभी बिना मरे कभी नही स्वर्गवासी हो सकते ।  और न ही किसी को भी स्वर्गलोक का पता मालुम है कि देवलोक कहाँ पर मौजुद है यह जानकर वहाँ से संपर्क किया जा सके, क्योंकि अबतक चाँद मंगल समेत अनेको ग्रह तारो का तो पता लगाया जा चूका है, पर कथित देवताओ का उस स्वर्ग के बारे में पता अबतक भी नही चला है, जहाँ के स्वर्गवासी मनुवादियो के पूर्वज देवता हैं, जिसके बारे में पता यदि चल भी जायेगा कि सचमुच का ऐसा स्वर्ग इस ब्रह्माण्ड में मौजुद है तो भी न तो हिंदू धर्म उसे सचमुच का स्वर्ग मानेगा, और न ही बाकि भी धर्म उसे स्वर्ग मानेंगे, क्योंकि स्वर्ग के बारे में लगभग सभी धर्मो का एक समान विचार है कि वहाँ पर कोई दु:ख नही है, जबकि दंद्रदेव जहाँ का राजा है,  वह स्वर्ग तो ऐसे दु:खो से भरा पड़ा है कि वहाँ के देवता अपना सिंघासन भी डोलते हुए महसुश करके हमेसा भयभीत रहते थे,  और दानव असुर द्वारा तप वरदान पाकर वहाँ जाकर उन्हे पकड़कर निचे धरती में लाकर कैद किये जाने से भी भयभीत रहते थे,बल्कि तब भी उन्हे मुलता अपना पेट भरने और धन संपदा जुटाने यहाँ तक की अपना वंशवृक्ष बड़ाने के लिये भी इस धरती पर ही आकर घर के भेदियो की सहायता से यहाँ के लोगो को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार करना पड़ता था ,जो वे न करे तो एक तो वे या तो भुखो मर जायेंगे और दुसरा अपने भितर पापी और लुटेरी सोच होने की वजह से साफ सुथरा परिवार समाज बसाने की हुनर और सोच न होने की वजह से आपस में ही लड़ मरकर भी धिरे धिरे डायनासोर की तरह लुप्त हो जायेंगे, क्योंकि आज भी यदि मनुवादियो के अंदर थोड़ी बहुत इंसानियत विकसित हुआ है तो वह उन गुलाम इंसानो द्वारा ही विकसित हुआ है जो की देखा जाय तो सचमुच का इस धरती में सबसे विकसित सोच रखनेवाला सबसे विकसित इंसान है, जो चाहे जिस देश का भी मुलनिवासि इंसान हो, जिसे मनुवादि या फिर कोई भी लुटेरा कबिला गुलाम बनाकर जाने अनजाने में भी अपने जानवर बुद्धी को इंसान बनने के लिए उसकी सरन में विकसित कर रहा है ,और जो विकसित नही कर रहा है वह आज भी कहीं न कहीं किसी देश में खुदको सबसे उच्च विद्वान बलवान और धनवान समझकर दरसल खुदको धरती का सबसे अविकसित इंसानो के रुप में इतिहास दर्ज कर रहा है, क्योंकि जिस इंसान के अंदर एक प्राणी दुसरे प्राणी को मारकर जिंदा रहने का शिकारी जानवरपन जितना अधिक समाप्त होकर उसमे दुसरे प्राणियो के प्रति अपनापन और सेवा भलाई की भावना सबसे अधिक विकसित होता जाता है, अथवा जितना अधिक इंसानियत विकसित होता है, वह इंसान उतना ही विकसित इंसान कहलाता है, जो विकसित इंसान ही किसी विकसित देश का निर्माण करता है, जिस बात को मनुवादि जैसे पापी और शोषण अत्याचारी क्या जानेंगे,  जिनका अपना ऐसा खुदका विकसित देश का पता नही जहाँ के वे मुलनिवासि कहलाते हो , वे तो दुसरे का इस कृषि प्रधान देश को गुलाम बनाकर यहाँ पर किसी परजिवी की तरह मानो खुन चुस चुसकर हजारो सालो से पल रहे हैं, जिनसे पुरी आजादी मिलने के बाद ही सायद उन्हे पता चलेगा की असली विकसित इंसान किसे कहा जाता हैं, जिसके बारे में अभी वह नही जान पायेगा, क्योंकि वह इस देश को गुलाम बनाकर इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र निच घोषित करके खुदको उच्च घोषित करके झुठी शान के नशे में डुबकर यह भुल गया है कि यहाँ जब वह लंगटा लुचा हालत में बिना माँ के आया था, उस समय भी इस देश के मुलनिवासि इतने विकसित थे की तब हजारो साल पहले भी हजारो हुनर, जिसे की वे इस देश को गुलाम बनाकर हजारो जाती घोषित किये हुए हैं, उन हजारो हुनरो की मदत से इस देश में हजारो साल पहले भी विकसित सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण करके इतने बड़े देश का भी निर्माण किया है, जिसे की बाहर से आये घुमकड़ कबिलई लुटेरो के द्वारा गुलाम बनाने के बाद खंड खंड करके भी आजतक गुलाम करने वाले इसका स्थिर सागर रुप को समाप्त नही कर पाये हैं, और न कभी समाप्त कर पायेंगे, बल्कि उल्टे यह स्थिर कृषि प्रधान सागर देश उन्हे ही अपने भितर समाकर उन्हे भी शैतान सिकंदर की तरह समाप्त कर देगा यदि वे अब भी इस उच्च अहंकार में डुबे रहे कि शैतान सिकंदर की तरह उन्हे भी कोई नही हरा सकता, जबकि घुमकड़ कबिलई राजा शैतान सिकंदर की भटकती आत्मा को भी सायद आज समझ में आ रहा होगा कि इस कृषि प्रधान देश को उसे क्यों नही किनारे से भी छुना चाहिए था !

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