संदेश

अक्तूबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अदृश्य स्वर्ग अथवा जन्नत में पुरुष को 72 हुरी या नारी को हुरा मिलेगी वह कोई शरिर होगी कि आत्मा होगी ? और बिच का को क्या मिलेगी ?

चित्र
अदृश्य स्वर्ग अथवा जन्नत में पुरुष को 72 हुरी या नारी को हुरा मिलेगी वह कोई शरिर होगी कि आत्मा होगी ? और बिच का को क्या मिलेगी ? गंदी गंदी अंतिम इच्छा रखकर मरे हुए लोगो या फिर वर्तमान में भी ऐसी गंदी इच्छा रखने वाले जिवित मुर्दो को सेक्स का झुठा अश्वासन देकर क्यों गुमराह किया जा रहा है ? जिन लोगो को क्यों ऐसा आनंद का इंतजार कराकर दरसल अपनी फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है , जिनके लिए बिना शरिर के सेक्स करना पहले भी मुमकिन नही थी और न ही वर्तमान व भविष्य में मरने के बाद कभी मुमकिन होगी ! क्योंकि जन्नत की इच्छा रखने वाला इंसान अपनी हवश मिटाने के लिए जिवित रहते जो शारिरिक सबंध  बनाता है या बनाने की सोचता है , वह तो साक्षात मौजुद शरिर होता है , न कि कोई अदृश्य आत्मा होता है ! या फिर 72 हुरी हुरा की इच्छा रखने वाले इंसानो को मरने के बाद अदृश्य आत्मा से भी आत्मा आत्मा पंचतत्व से बना शरिर के बिना शारिरिक सबंध मनाकर वैसा ही आनंद आयेगा अथवा उनकी हवश वैसा ही शांत होगी जैसा कि साक्षात जिवित शरिर से सबंध मनाकर होता होगा !  और फिर 72 हुरी हुरा से सेक्स करने जैसी सोच अच्छी सोच मे

झुठा आश्वासन क्यों दिया जा रहा है कि यीशु उन्हे लेने आयेंगे ? क्योंकि तबतक तो वे उपर जा चुके होंगे

चित्र
 झुठा आश्वासन क्यों दिया जा रहा है कि यीशु उन्हे लेने आयेंगे ? क्योंकि तबतक तो वे उपर जा चुके होंगे ! हम आखिरी दिनो में जी रहे हैं से मतलब क्या है ? और यदि आखिरी दिनो का मतलब किसी इंसान के जन्म लेकर मरने के बाद वापस उसके आने का दिन से है तो यीशु कब आयेंगे उसदिन का तारीख बतला दिया जाय जब यीशु धरती पर वापस आयेंगे | जो तारीख यदि सौ साल बाद दो सौ साल बाद चार सौ बाद या फिर उससे भी अधिक साल बाद आयेगा तो फिर वर्तमान में जिवित लोगो को जिनकी जिवन सौ दो सौ सालो तक भी सिमित नही है , उन्हे यह झुठा आश्वासन क्यों दिया जा रहा है कि यीशु उन्हे लेने आयेंगे ? क्योंकि तबतक तो वे उपर जा चुके होंगे ! मसलन जो गाड़ी किसी यात्री को लेने जिस तारीख को आ रही है , उससे पहले ही वर्तमान के यात्री गाड़ी जहाँ पर ले जाने आयेगी वहाँ पर पहुँच जायेंगे , तो फिर उन्हे उस गाड़ी का इंतजार क्यों कराया जा रहा है जो उन्हे लेने उनके जाने के बाद आयेगी | या फिर या तो वर्तमान में जिवित सभी को यीशु का आने का तारीख उनके जिन्दा रहने की उम्र तक ही आ जायेंगे ऐसी तारीख बतला दिया जाय | जो दरसल किसी भी प्रवचन करने व

जो यदि झुठ है तो जिस धर्म में जुड़ने को कहोगे जुड़ुँगा

चित्र
जो यदि झुठ है तो जिस धर्म में जुड़ने को कहोगे जुड़ुँगा इतने धर्म और उनके रक्षक होते हुए भी महिलाएँ और पुरुष ही नही बाकि प्राणी भी पुरी दुनियाँ में मात्र एक इंसान से भी सुरक्षित क्यों नही है ? हिन्दु धर्म क्यों कोई भी धर्म के भक्त पुजा करके बार बार सुरक्षा की फरियाद करके भी असुरक्षित है ! जो यदि झुठ है तो जिस धर्म में जुड़ने को कहोगे जुड़ुँगा ! लेकिन अगर मेरी बात सत्य हुई तो जो व्यक्ति मेरी चैलेंज कबूल कर लेगा उसके बाद यह असत्य साबित हुआ कि उसके धर्म में भी पुरुष महिलाएँ असुरक्षित हैं , तो वह अपना धर्म परिवर्तन करके जिस तरह कुत्ता कुतिया सेक्स करते करते जुड़ जाते हैं , वैसा ही किसी आवारा कुत्ता से जुड़कर भिड़ भाड़ सड़को पर घुमेगा वह व्यक्ती जो दावा करता है कि उसके धर्म में सारे पुरुष महिलाएँ सुरक्षित हैं ! मुझे पता है चूँकि आजतक कोई धर्म ऐसा नही बना जिससे जुड़कर सभी इंसान सुरक्षित रह सकते हैं , इसलिए कोई भक्त क्या स्वंय उसके आका भी यह दावा करके चैलेंज कबूल नही कर सकते कि उसके धर्म में सारी महिलाएँ ही क्यों सभी पुरुष भी सुरक्षित है | जैसे कि हिन्दु धर्म भी यह धावा नही करत

हिन्दु भगवान पुजा और पर्व त्योहार वेद पुराणो को मनुवादियो का बतलाने वाले ये मांशीक रोगी भगोड़े लोग

चित्र
हिन्दु भगवान पुजा और पर्व त्योहार वेद पुराणो को मनुवादियो का बतलाने वाले ये मांशीक रोगी भगोड़े लोग हिन्दु भगवान पुजा और हिन्दु पर्व त्योहार वेद पुराणो को मनुवादियो का बतलाने वाले ये मांशीक रोगी भगोड़े लोग या तो मनुवादियो द्वारा ब्रेनवाश होकर अपनी खोटे सिक्के वाली कमजोरी को स्वीकार न करने वाले घर के भेदी लोग बार बार यह साबित करने कि कोशिष में लगे हुए हैं कि इस देश में बारह माह मनाई जानेवाली पर्व त्योहारो और सागर जैसा विशाल ज्ञान का भंडार वेद पुराणो का रचनाकार और भगवान पुजा के निर्माता वे मनुवादि हैं जिन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता न तो परिवार समाज का पता था , और न ही वे कपड़े पहनना जानते होंगे | कृषि और वे तमाम हजारो हुनर जिन्हे आज हजारो निच जाति  कहा जाता है , जो दरसल कपड़ा धोने फर्नीचर का कार्य करने से लेकर ऐसे ही हजारो विकसित हुनर जिससे की विकसित गणतंत्र व्यवस्थित रुप से चलती है , उन सबका निर्माता ये मनुवादि हैं , ये सायद कहना चाहते हैं वे मांसिक विकृत या ब्रेनवाश किये हुए लोग जो दरसल वे भगोड़े हैं , जिन्हे अपने पुर्वजो की उन विरासत को लड़कर या संघर्ष

तब जाकर यह देश फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु अपडेट होगा

चित्र
परजिवी लुटेरो द्वारा दी गयी गरिबी और भुख ही रोजमरा जिवन की रक्षा प्रणाली को कमजोर करके ज्यादेतर दुःखो को प्रवेश करने का अवसर देता है जिसके रहते हुए हम कभी भी सुख शांती और समृद्धी सबके जिवन में नही देख सकते | जिसे देखना है तो परजिवी सोच की मनुवादि सत्ता को उखाड़ फैकना होगा  | हलांकि मनुवादि सत्ता में भी कुछ मुलनिवासी लोग भी ताकतवर होने का दावा कर रहे हैं | क्या वाकई में मनुवादियो की शासन में इस देश के कुछ मुलनिवासी अब ताकतवर हो चूके हैं ? और यदि वाकई में ताकतवर हो चुके हैं तो फिर कमजोर पिड़ित लोगो को हमे हक अधिकार मिलना चाहिए कहकर क्यों संसद से सड़क तक आवाज उठाया जा रहा है ! खासकर अब हम ताकतवर हो चुके हैं कहकर मनुवादियो के खिलाफ शोसल मीडिया में जुता चप्पल का अभियान चलाने वाले खुदको यदि वाकई में संसद से सड़क तक शोषित पिड़ित कमजोर लोगो की आवाज उठाने वाले मायावती और लालू से भी ज्यादे ताकतवर समझते हैं , तो फिर सवाल उठता है कि बहुत से ऐसे ताकतवर मुलनिवासी इस सोने की चिड़ियाँ का मालिक होते हुए भी अमिर होने के लिए विदेशो की तरफ क्यों भागते हैं ? क्योंकि दरसल उन्हे पता है कि मनुवादियो की