हिन्दु भगवान पुजा और पर्व त्योहार वेद पुराणो को मनुवादियो का बतलाने वाले ये मांशीक रोगी भगोड़े लोग

हिन्दु भगवान पुजा और पर्व त्योहार वेद पुराणो को मनुवादियो का बतलाने वाले ये मांशीक रोगी भगोड़े लोग
हिन्दु भगवान पुजा और हिन्दु पर्व त्योहार वेद पुराणो को मनुवादियो का बतलाने वाले ये मांशीक रोगी भगोड़े लोग या तो मनुवादियो द्वारा ब्रेनवाश होकर अपनी खोटे सिक्के वाली कमजोरी को स्वीकार न करने वाले घर के भेदी लोग बार बार यह साबित करने कि कोशिष में लगे हुए हैं कि इस देश में बारह माह मनाई जानेवाली पर्व त्योहारो और सागर जैसा विशाल ज्ञान का भंडार वेद पुराणो का रचनाकार और भगवान पुजा के निर्माता वे मनुवादि हैं जिन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता न तो परिवार समाज का पता था , और न ही वे कपड़े पहनना जानते होंगे | कृषि और वे तमाम हजारो हुनर जिन्हे आज हजारो निच जाति  कहा जाता है , जो दरसल कपड़ा धोने फर्नीचर का कार्य करने से लेकर ऐसे ही हजारो विकसित हुनर जिससे की विकसित गणतंत्र व्यवस्थित रुप से चलती है , उन सबका निर्माता ये मनुवादि हैं , ये सायद कहना चाहते हैं वे मांसिक विकृत या ब्रेनवाश किये हुए लोग जो दरसल वे भगोड़े हैं , जिन्हे अपने पुर्वजो की उन विरासत को लड़कर या संघर्ष करके वापस नही लेनी है , जिसपर कब्जा करके मनुवादि कुंडली मारकर बैठे हुए हैं | जैसे कि कभी गोरे इस देश और इस देश की धन संपदा पर कब्जा जमाकर कुंडली मारकर बैठे हुए थे | जिन्होने इस देश के पर्व त्योहार और वेद पुराणो की रचना नही किया था जैसा कि मनुवादि भी नही किये हैं | बस उसमे अपने फायदे और अपने अपराधो को छिपाया जा सके उसे ध्यान में रखकर वेद पुराणो और पर्व त्योहारो इस कृषि प्रधान देश की परंपराओ पर अपनी मनुवादि अप्राकृति सोच की मिलावट की है | जो मिलावट हटाई जायेगी और वेद पुराणो में भी सुधार के साथ साथ उसकी सत्य ज्ञान जो की विशाल सागर जैसा भरा हुआ है , उसी को अपडेट करके विश्वगुरु का ज्ञान अपडेट होगी | जिस ज्ञान से ही बहुत से ही उन मांसिक विकृत लोगो को भी थोड़ी बहुत अपडेट ज्ञान हासिल हो गई है किसी अमृत की तरह तो वे उछल कुद करते हुए बार बार मनुवादियो का हिन्दु धर्म और सारे वेद पुराण है कहकर ये मांसिक रोगी दरसल मनुवादियो को अपने पुर्वजो की उसी मुल विरासत को सौपने की खुली छुट देते रहते हैं जिससे ही उन्हे थोड़ी बहुत अपडेट ज्ञान हासिल हुई है | पर सुक्र है इन मांसिक रोगियो के जिम्मे में मनुवादियो से अपने पुर्वजो की वेद पुराण पर्व त्योहार जैसी सारी विरासत जिसपर कब्जा करके मनुवादियो ने मिलावट और छेड़छाड़ किया है , उसे वापस लेने या छिनने की मुल जिम्मेवारी उन्ही वीर मुलनिवासि हिन्दुओ में है , जो मनुवादियो द्वारा हजारो सालो से लाख शोषन अत्याचार और ढोंग द्वारा ब्रेनवाश किये जाने के बावजुद भी मानो जंग के मैदान में डटे हुए हैं | जो एकदिन मनुवादियो द्वारा कब्जा किया हुआ विरासत को लेकर या छिनकर रहेंगे | भले इसमे हजारो साल का समय लग रहा है | जिनपर गर्व है ! बाकि भगोड़े और ब्रेनवाश किये हुए लोग जो की मनुवादियो से डरकर भागकर उन वीर मुलनिवासियो पर अपना गुस्सा झाड़ते रहते हैं जो कि मैदान में डटे हुए हैं | जो मनुवादियो के खिलाफ हजारो सालो से चल रही संघर्ष में बिना वजह ध्यान भी भटका रहे हैं | या फिर मनुवादियो के पक्ष में बाते करके किमती समय बर्बाद कर रहे हैं | जिनको इससे अच्छा अपने मांसिक विकृत दिमाक को खुद ही आत्मज्ञान से ठिक करने के लिए मैं एक सुझाव के रुप में मानो दवा देता हुँ , जो कि सारे हिन्दु वेद पुराण और पर्व त्योहार जिनको बारह माह मनाया जाता है , वह यदि मनुवादियो का है जिसे वे अपने साथ कहाँ से लाये हैं उस जगह का मुल रुप से था ये साबित करके दिखलाये | जो सुझाव या दवा उनके किसी भी आका या पुज्यनीय लोगो ने सायद दी है | जिसके चलते अबतक उल्टी दिशा में अपनी बुद्धी की शक्ती को खर्च करके यह साबित करने में लगे हुए हैं कि हिन्दु पर्व त्योहार वेद पुराण विदेशी मुल के मनुवादियो द्वारा रचे और निर्माण किये गए हैं | जैसे कि मानो गोरो ने भी रचे और निर्माण किये कहा जाता | जिनका वश चले तो ये मांसिक विकृत और भगोड़े लोग मनुवादियो को देश भी सौंप देंगे ये कहकर कि हिन्दु धर्म वेद पुराण पर्व त्योहार और संस्कृत समेत अनेक भाषायें और हजारो हुनर जिन्हे आज शुद्र निच जाति के रुप में जाना जाता है , ये सभी मनुवादियो का है कहकर हिन्दुस्तान भी विदेशी मुल विदेशी डीएनए के मनुवादियो का है कहकर सौंप देंगे | फिर लंगटा लुचा जिवन व्यक्तीत करते हुए इस सागर जैसा विशाल कृषि सभ्यता संस्कृति वाला देश में समाकर झुठे उच्चा और आर्य अथवा उत्तम बनने वाले मनुवादि लोग सचमुच का खुदको उच्चा और उत्तम साबित कर देंगे यह कहकर कि विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ का निर्माता ही वाकई में पुरे विश्व में आर्य अथवा उत्तम और उच्च कहलाने का काबिल है | हलांकि मनुवादियो की मनुस्मृती रचना करके शोषन अत्याचार करने वाली बुद्धी बल उत्तम और उच्च तभी साबित हो पायेगी जब मनुवादि प्राकृति भगवान से भी ज्यादे उत्तम और उच्च होकर हिन्दु पर्व त्योहार प्राकृति भगवान पुजा को कमजोर साबित कर देंगे | जबकि सच्चाई ये है की विज्ञान भी प्राकृति की वजह से ही कायम है , जो प्राकृति की ही ताकत और प्राकृति में ही मौजुद ज्ञान और तकनिक को हासिल करके उसे विज्ञान के रुप में अपनी झोली भरता रहता है | जैसे कि इंसान के बनाये धर्मो ने भी प्राकृति भगवान से ही बहुत कुछ लिया है | लेकिन भी अभी तो वे प्राकृति भगवान का एक छोटा अंश ग्रह तारो और सागर समेत उसमे मौजुद जिव निर्जिव दुनियाँ के बारे में भी विस्तार पुर्वक नही जान सका है तो प्राकृति में मौजुद विशाल ज्ञान का सागर के बारे में पुरा जान पाना तो नामुमकिन है | जिस प्राकृति भगवान की पुजा हिन्दु करता है | न कि वह मुल रुप से मनुवादियो के पुर्वज देवताओ की पुजा करता है | हाँ अभी मनुवादियो का दबदबा और कब्जा है इसलिए बहुत कुछ उल्टा पुल्टा भी जरुर हो रहा होगा जैसे की गोरो के भी दबदबा में हो रहा था | जिसके कारन इतिहास में भी छेड़छाड़ हुआ था | इसका मतलब ये नही कि सत्य को गोरो ने निगल लिया | उसी तरह मनुवादि भी वेद पुराण पर्व त्योहार या फिर इन सबका जड़ सत्य प्राकृति भगवान को ही नही निगल जायेंगे | मनुवादि अपनी मनुस्मृती सोच से प्राकृति निर्मित सुर्य को हनुमान ने निगल लिया था ये कह तो देते हैं पर इससे क्या सचमुच में प्रमाणित साक्षात मौजुद प्राकृति भगवान असत्य साबित हो जायेगी ! बल्कि सबको सत्य पता है कि प्राकृति भगवान ही सबको जन्म देकर बाद में निगलता भी है | जैसे की हनुमान और राम समेत तमाम उन लोगो को भी निगला जिनका जन्म हुआ था | और वे अब धरती या सृष्टी में कहीं पर भी अपने जन्म हुए उसी रुप में विचरण या मौजुद नही हैं | मौजुद है तो एक उदाहरन के तौर पर हनुमान को ही वापस उसी रुप में बुलाकर मनुवादि उसके सामने साक्षात उसकी आरती उतारते हुए बाकि भी निगले गए को उसी रुप में बुलवाये | जिसकी पुजा भगवान पुजा नही बल्कि भगवान पुजा साक्षात मौजुद प्राकृति पुजा है | जिस प्राकृति भगवान की साक्षात प्रमाणित तौर से मौजुद शक्ति और ज्ञान का भंडार को सबसे बड़कर मानकर उसकी पुजा यदि कि जाती है तो क्या गलत की जाती है | कुछ लोग तो सिर्फ यदि कोई एक हुनर या चमत्कार देखकर किसी इंसान की भी पुजा करने लगते हैं | जबकि प्राकृति भगवान में निराकार हुनर चमत्कार मौजुद है | जिसकी न कोई गिनती और मापी ले सकता कि प्राकृति भगवान में कितनी हुनर चमत्कार और कितना बड़ा रुप मौजुद है ? हलांकि चूँकि सबमे प्राकृति भगवान का अंश मौजुद है , इसलिए यदि किसी में चमत्कारी शक्ती या हुनर का अंश प्रकट हो जाय जिसकी भी पुजा होने लगे तो इसमे आश्चर्य नही होनी चाहिए ! मगर यह ध्यान जरुर रहे की प्राकृति भगवान का चमत्कार साक्षात प्रमाणित वह सत्य है जो अपने जगह स्थिर कायम है | जैसे की प्राकृति भगवान का एक सत्य यह भी स्थिर मौजुद है कि प्राकृति भगवान यदि जिवन देता है तो जिवन लेता भी है | जो एकदिन चाँद और पृथ्वी समेत जन्म लेने वाले तमाम इंसानो का भी जिवन लेगा ! जिसके बाद वापस भी नये रुप में जन्म देगा और दे रहा है | जो सत्य प्रमाणित है न की ढोंग पाखंड या विवादित है | जिसे ढोंग पाखंड और विवाद कहने वाले खुद दरसल विवादो का भारी बस्ता ढोकर दिन रात प्राकृति भगवान पुजा को ढोंग पाखंड साबित करने में लगे हुए हैं | जिनको प्राकृति भगवान को असत्य साबित करते करते एकदिन सायद प्राकृति भगवान की ही कृपा से सत्य बुद्धी आ जाय की हिन्दु धर्म पर्व त्योहार वेद पुराण मनुवादियो का नही बल्कि इस देश के ही मुलनिवासियो के द्वारा रचे और निर्माण किए गए हैं |

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