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गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

According to M DNA, even today the so-called upper caste is born from the cunt of Nich caste and not from the mouth and chest of male Brahma.



According to M DNA, even today the so-called upper caste is born from the cunt of Nich caste and not from the mouth and chest of male Brahma.

एम डीएनए के अनुसार, आज भी तथाकथित ऊंची जाति का जन्म निच जाति की योनी से होता है न कि पुरुष ब्रह्मा के मुंह और छाती से

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(m dna ke anusaar, aaj bhee tathaakathit oonchee jaati ka janm nich jaati kee yonee se hota hai na ki purush brahma ke munh aur chhaatee se.)


इस कृषि प्रधान देश में मनुवादी बाराती बनकर रिस्ता जोड़ने आये थे की इस देश के मुलनिवासियों को जोर जबरजस्ती दास दासी बनाने आये थे ? हलांकि हजारो साल पहले इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादीयों को परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में दरसल ज्ञान ही नही था | क्योंकि एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से यह बात प्रमाणित हो चुका है कि मनुवादी के परिवार में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए और इस देश के शोषित पिड़ित मुलनिवासियों के घरो में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए एक है , इसलिए जाहिर है मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में अपने परिवार के साथ प्रवेश नही किये थे | बल्कि मनुवादी पुरुष झुंड बनाकर प्रवेश किये थे | और चूँकि मनुवादी गोरो कि तरह जिधर से आए थे उधर वापस नही गए और न ही आजतक उन्होने अपने उस देश का नाम पता कर सके जहाँ के वे मुलनिवासी थे , इसलिए सत्य तो यही है कि मनुवादी इस देश में आने से पहले परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में अनजान थे | और जब परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में ही उन्हे नही पता था तो उन्हे अपने देश के बारे में कैसे पता होता | मुमकिन है मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले कपड़ा पहनना भी नही जानते थे , और घुमकड़ नंगा पुंगा जिवन जिते हुए इस देश में प्रवेश किये थे | जिसके बाद उन्हे कपड़ा पहनना भी आया और परिवारिक जिवन जिना भी आया | जिससे पहले तो वे मानो ऐसी लावारिस जिवन जी रहे थे जिन्हे न तो माता पिता क्या होता है यह जानकारी मौजुद थी , और न ही स्थिर होकर कृषि जिवन क्या होता है यह जानकारी मौजुद थी | सिर्फ उन्हे ऐसी परजिवी जिवन जिना आता था , जिसमे कि किसी प्राणी का मुल मकसद पेट का जुगाड़ कैसे करके भी हो जाय चाहे शिकार करके हो या फिर लुटपाट करके हो | जो दोनो कार्य किसी जंगली जानवर को भी अच्छी तरह से आता है | इसलिए वह शिकार भी करता है , और किसी और के क्षेत्र में जोर जबरजस्ती घुसपैठ करके दुसरो का हक अधिकार भी लुटता है | बल्कि परजिवी सोच का जानवर हो या इंसान उनके लिए दुसरो की इज्जत लुटना भी अपना पेट भरने जैसा ही होता है | बस अंतर यह है कि पेट का भुख शांत करने के लिए उन्हे बहुत सारे विकल्प उपलब्ध रहते हैं , पर हवश शांत करने के लिए उनके पास एक ही खास विकल्प उपलब्ध रहता है कि कैसे कोई अपने जैसा इंसान प्रजाति के बिच मादा मिल जाय जिसकी तन से अपनी हवश शांत किया जा सके | भले क्यों न कोई मादा सेक्स के लिए राजी न हो | जैसे कि जानवरो में भी देखने को मिलता हैं कि वे अपना वंश बड़ाने के लिए किसी मादा को जोर जबरजस्ती दौड़ा दौड़ाकर सेक्स करते हैं | हलांकि सभी जानवर ऐसा नही करते हैं , पर ज्यादेतर जानवर अपना वंश बलात्कार करके ही बड़ाते आ रहे हैं | सायद जोर जबरजस्ती दौड़ा दौड़ाकर बलात्कार करने को ही उनके लिए प्यार मोहब्बत माना जाता हो | जैसे कि मनुवादी भी जब इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किये होंगे और घर के भेदियो की सहायता से जोर जबरजस्ती इस देश में कब्जा किये होंगे तो निश्चित तौर पर वे लुटपाट करते समय इस देश देश के मुलनिवासियों की इज्जत का भी लुटपाट किये होंगे | जैसे की कई अन्य बाहरी हमलावर भी करते रहे हैं , जब वे दुसरो के क्षेत्र में जोर जबरजस्ती प्रवेश करके लुटपाट कब्जा करते हैं | जिसके बाद वे धन दौलत के साथ साथ बहु बेटियों की इज्जत को भी लुटते रहे हैं | जिस तरह की लुटपाट मनुवादीयों ने भी निश्चित तौर पर किया होगा | न कि वे बाराती बनकर आये होंगे और इस देश के साथ प्रेम पुर्वक रिस्ता जोड़े होंगे | हलांकि जब बाद में वे इस देश की सभ्यता संस्कृति के बिच रहकर धिरे धिरे उन्हे समय के साथ परिवार समाज के बारे में ज्ञान हुआ होगा तब उन्होने विवाह करना सुरु किया होगा | जिससे पहले तो वे किसी महिला को दासी बनाकर उसका जबरजस्ती यौन शोषन करके ही अपना वंश बड़ाना जारी रखा होगा | क्योंकि मनुवादी हजारो साल पहले बिना कोई महिला के लुटपाट करने की मकसद से ही इस देश में मुठीभर पुरुष झुंड बनाकर प्रवेश किये थे | जिन मनुवादीयों के साथ सहयोगी के रुप में न तो कोई महिला थी और न ही वे अपने पिच्छे कोई परिवार छोड़कर आए थे | क्योंकि तब उन्हे परिवार समाज के बारे में जानकारी ही मौजुद नही थी | और जब परिवार समाज के बारे में उन्हे जानकारी ही मौजुद नही थी तो वे अपने पिच्छे कोई परिवार समाज कैसे छोड़ते और कैसे अपने परिवार के पास वापस जाते ? और वैसे भी जैसा कि हम सब जानते हैं कि इतिहास में महिलाओं की टोली लुटपाट और गुलाम दास दासी बनाने के लिए सायद ही कभी जानी जाती है | इसलिए सायद ही कोई लुटेरी टोली अपने साथ महिलाओं को भी लुटपाट में शामिल करती है | बल्कि महिलाओं की टोली इतिहास में अजादी के वीर जवानो से कंधा से कंधा मिलाकर संघर्ष करने के लिए जरुर जानी जाती है | न कि गुलाम दास दासी बनाने वालो से पारिवारिक रिस्ता जोड़कर नर नारी मिलकर बच्चा पैदा करने के साथ साथ लुटपाट परिवारिक गैंग बनाकर कंधा से कंधा मिलाकर गुलाम दास दासी बनाने के लिए भी जानी जाती है | क्योंकि आज भी अक्सर हम यही देखते सुनते और पढ़ते रहते हैं कि भ्रष्टाचार करने का कार्य पति करता है , और पत्नी सिर्फ उस चोरी का धन को रुप श्रृंगार भोग विलाश वगैरा में खर्च करती रहती है | और साथ साथ उस चोरी का धन से अपने बच्चो का भी परवरिश करती रहती है | जिस चोरी का धन को इकठा करने में किसी चोर लुटेरे का साथ उनकी महिलायें घर में बैठे बैठे या फिर सेक्स करते समय लेटे लेटे सिर्फ अपने पति का हौशला बड़ाकर देती हैं कि इसबार सोने नही हीरे का हार खरिदना है , और गाड़ी नही हवाई जहाज खरिदना है | जैसे की अली बाबा चालिस चोर कहानी में चालिस चोर जिस काली गुफा में चोरी का धन इकठा करते थे , वहाँ पर एक चुड़ैल रहा करती थी जो चालीस चोर के साथ चोरी करने तो नही जाती थी पर काली गुफा में रहकर चोरी से इकठा किया हुआ धन का रुप श्रृंगार और निगरानी जरुर किया करती थी | और साथ साथ चालीस चोरो का हौशला भी बड़ाती रहती होगी यह कहते हुए कि शाबास और चाहिए और चाहिए ! हलांकि चूँकि कहा जाता है दुनियाँ में कुछ भी नामुकिन नही है , इसलिए मुमकिन है हजारो साल पहले जब मनुवादी इस देश में प्रवेश किये होंगे तो उनके साथ उनकी तरह विदेशी मुल की महिलायें भी मौजुद होंगी | जिसे ही सायद वेद पुराणो में स्वर्ग की अप्सरायें कहा गया है | जो कि उस महिलाओं से अलग होंगी जिसे देव अपना दासी बनाकर शोषण अत्याचार करते थे | जिस देव दासी से अलग अप्सराओं की जिवन सुरक्षा वे नही कर पाये और लुप्त हो गई | हलांकि देव भी अब इस धरती और आकाश में पर साक्षात जिवित विचरन करते हुए नही दिखते हैं | जिसके चलते बाद में देवो के वंसज मनुवादीयों को अपना वंश आगे बड़ाने के लिए इस देश की महिलाओं को दासी बनाकर उसके साथ पारिवारिक रिस्ता जोड़कर मिलावट उच्च जाति का वंश की सुरुवात करनी पड़ी होगी | जिस मिलावट उच्च जाति में नर तो विदेशी मुल की पियोर उच्च जाति का है , पर नारी के भितर जो एम डीएनए दौड़ रहा है , वह पियोर उच्च नही है | चूँकि मनुस्मृति में जिन मुलनिवासियों को निच जाती कहा गया है, उसी निच्च जाति की महिला का ही एम डीएनए से मनुवादीयों के परिवार में मौजुद नारी का एम डीएनए मिलता है | इसलिए बाद में मनुवादीयों को दरसल अपने परिवार में मौजुद  पुरुषो के लिए यह ज्ञान बांटना पड़ा कि ढोल, गंवार, शुद्र, पशु , नारी | सकल ताड़न के अधिकारी || जिसका मतलब साफ था कि मनुवादीयों के लिए ताड़ने के लायक सिर्फ शुद्र और नारी हैं | भले इस देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादी नारी के प्रति इस तरह के विचार नही रखते होंगे , पर सर्त है वे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले परिवार समाज के बारे में जानते होंगे | जो कि मेरे विचार से जैसा कि बतलाया कि मनुवादी पुरुष झुंड इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले कपड़ा पहनना और कृषि कार्य करना भी नही जानते होंगे तो क्या वे परिवार समाज के बारे में जान रहे होंगे !  और और चूँकि मनुवादी न तो शुद्र है और न ही नारी हैं , बल्कि वह तो सिर्फ पुरुष झुंड में प्रवेश किये हैं जो कि विदेशो से आकर इस देश की महिलाओं से अपना वंशवृक्ष को आगे ले जा रहे हैं , इसलिए उनके लिए ताड़न की जरुरत सिर्फ शुद्र और नारी को हैं | क्योंकि वे तो मनुस्मृति बुद्धी के माध्यम से खुदको नारी के योनी से नही बल्कि पुरुष के मुँह से पैदा हुआ बतलाते आ रहे हैं | जो नामुमकिन नही है , जैसे कि नर नारी दोनो का शरिर बच्चे को जन्म देने लगे यह बात सच साबित होकर क्या पता भविष्य में पुरुषो का भी लिंग के साथ साथ योनी भी उगने लगे , और महिलाओं का भी योनी के साथ साथ लिंग भी उगने लगे , और वाकई में कुछ भी मुमकिन है कहावत सौ प्रतिशत सही साबित होकर महिला पुरुष सौ प्रतिशत बराबर होकर कहीं पर भी यह लिखा न मिले की महिला प्रथम ! या फिर महिला नाजुक होती है , और पुरुष का शरिर कठोर होता है | जिस तरह की बाते न पढ़ी सुनी जाय और न ही टेलिविजन वगैरा में देखी जाय ! जिसके बाद क्या पता ज्यादेतर लोगो को गुलाम दास दासी बनाकर भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो से रिस्ता जोड़ने की पारिवारिक बातचीत का प्रचलन भी बड़ने लगे | मसलन लड़का ने कितने लोगो का शोषण अत्याचार किया है , और लड़की के पास ऐसे शोषण अत्याचार करने वालो का कंधा से कंधा मिलाकर साथ देने के लिए हुनर मौजुद है कि नही , वगैरा वगैरा ! जिस तरह के लोग  सायद ही एकात प्रतिशत हजारो साल पहले भी मौजुद होंगे जो शोषण अत्याचार करने वालो से खास पारिवारिक रिस्ता जोड़ने की इच्छा अपनी हसी खुशी से जाहिर करते होंगे | बल्कि मैं तो कहुँगा ऐसे लोग यदि होंगे भी तो उनकी नई पिड़ि उनके ऐसे हुनर का विरोध करते करते अब न के बराबर ही इस दुनियाँ में मौजुद होंगे जो इस तरह के चरित्र को पसंद करके कहेंगे कि हमे ऐसे ही हुनर का विकाश करने के लिए इसी तरह का रिस्ता जोड़ते रहना है | जिसके लिए भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले लोगो को खुशियों का बारात लेकर आने के लिए कहो | जिन न के बराबर लोगो में घर के भेदी और वैसे हारे हुए लोग आते हैं जिन्हे या तो कोई खास पसंद ही नही करता है , या फिर वे चूँकि अपनी पसंद के काबिल खुदको साबित नही कर पाते हैं तो मानो किसी फर्जी सुपर स्टार या फर्जी महान बनने की हवश में उन परजिवी सोच के लोगो की कुसंगत में आ जाते हैं जो उनकी गांड़ मारकर झुठी खुशी और झुठी शान शौकत देकर उन्हे अपने मन मुताबिक भरपुर इस्तेमाल करते हैं | जिस तरह की झुठी शान शौकत को मुझ जैसे लोग थुकते और मुतते हैं | क्योंकि हम जैसे लोग इंसानियत और पर्यावरण को ज्यादे से ज्यादे कायम करने वालो को महान और सुपर स्टार मानते हैं | जिस इंसानियत और पर्यावरण को पुरी दुनियाँ की बहुसंख्यक अबादी कायम रखना चाहती है | इसलिए अपनी अप्राकृति भ्रष्ट सोच से मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाने वाले मुठीभर लोगो को तो यही सुझाव हैं कि यदि परजिवी सोच वाले इंसान अपने भितर जरा सी भी अच्छाई महसुश करते हो तो उसी अच्छाई को अपनी खास हुनर मानकर उसे जितना चाहे विकसित करते रहने की जिवन के अंतिम समय तक कोशिष करते रहो , जिसके बाद सायद मुझ जैसे लोगो की नजरो के साथ साथ बहुसंख्यक अबादी की नजरो में भी हमेशा के लिए सचमुच का महान और सुपर स्टार बन जाओ ! और यदि ये भी नही कर सकते हो तो चुलूभर मुत में डुब मरो क्या पता अगले जन्म में भगवान ने ऐसे मुठीभर लोगो के लिए सचमुच में नर्क में डालकर सजा देकर अच्छा इंसान जन्म देकर सचमुच का सुपर स्टार और महान बनने का खास अवसर देता है ! न कि नर्क से भी बड़ा और एक और नर्क में परमोशन देकर उससे भी बड़ा फर्जी सुपर स्टार और महान बनने का हुनर देकर पैदा करता है | जैसे की मनुवादीयों को पैदा करके हजारो साल पहले इस कृषि प्रधान देश में फर्जी सुपर स्टार और फर्जी महान उच्च इंसान का हुनर देकर भेजा गया | जिस हुनर के लिए उन्हे कोई महिला साथ नही दी और वे पुरुष के साथ पुरुष कंधा मिलाकर फर्जी सुपर स्टार और फर्जी महान बनने के लिए इस देश के मुलनिवासियों को जबरजस्ती गुलाम दास दासी बनाकर यहीं पर बस गये | जैसे कि गोरे इस देश को जबरजस्ती गुलाम बनाने के लिए इस देश में मौजुद घर के भेदियों का इस्तेमाल करके आपस में फुट डालकर छल कपट से सत्ता में कब्जा करके दो सौ सालो तक बस गए थे , उसी तरह मनुवादी भी इस देश में प्रवेश करके इस देश की सत्ता में छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से ही कब्जा जमाकर बसे हुए है | जो आज भी इसी देश में नागरिकता पाकर मौजुद हैं | और इसी देश के मुलनिवासियों को जो चाहे जिस धर्म को अपनाये हुए हैं , उनको ही बाहर खदेड़ने कि तैयारी NRC और कोरोना की आड़ में गुप्त मुहिम चला रहे हैं | जिस तरह की मुहिम चलाने के लिए उन्होने छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से अबतक सत्ता में बने हुए हैं | जो मनुवादी चूँकि विदेशी मुल के हैं , इसलिए सत्ता में काबिज होकर उनका इस तरह का मुहिम चलाना स्वभाविक भी है | जैसे की शैतान सिकंदर ने पुरे विश्व को लुटने की मुहिम चलाकर लुटेरी पुरुष झुंड बनाकर इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश किया था | पर शैतान सिकंदर ने विश्व के कई देशो को लुटते और कब्जा करते हुए जैसे ही इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किया उसका हाफ मडर इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश का एक वीर राजा पुरु ने कर दिया था | जिसके बाद वह इस देश की राजधानी में कब्जा नही कर सका और उसे अपना विश्व लुटेरा शैतान बनने का सपना को अधुरा छोड़कर उसे अधमरा हालत में इस देश के किनारे से ही लौटने के लिए मजबुर होना पड़ा था | क्योंकि इस देश का एक राजा पुरु ने यदि उसकी हाफ मडर किया था तो इस देश का सम्राट नंद तो निश्चित तौर पर उसकी फुल मडर कर देता | जिस नंद सम्राट के बारे में सुनकर शैतान सिकंदर की गुलाम सेना आगे बड़ने से मना कर दिया था | क्योंकि शैतान सिकंदर जब अपने देश यूनान से विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर बनने निकला था तो उसकी अपनी खुदकी सेना मात्र मुठीभर थी , जिसमे उसने बड़ौतरी किसी बवंडर की तरह करता चला गया था | जिसमे बड़ौतरी के लिये उसने किसी बवंडर की तरह घुम घुमकर जिस जिस देश में भी लुटपाट कब्जा किया वहाँ की धन संपदा को तो लुटा ही पर उस देश के सेना को भी बंधक या गुलाम बनाकर अपनी लुटेरी झुंड में शामिल करके अपनी ताकत बड़ाता चला गया था | जिसकी ताकत फारस जिसका वर्तमान नाम ईरान है , उसको हराने के बाद इतनी ज्यादे बड़ गयी थी कि उसने इस विशाल सागर देश सोने की चिड़ियाँ को भी कब्जा करने का फैशला कर लिया था | जिस देश ने अबतक न जाने कितने कबिलई लुटेरी गैंग को निगला है | या फिर कितने लुटेरी गैंग इस सागर देश में समाकर भारत माता की जय और हिन्दुस्तान जिन्दाबाद कहते हुए यहीं पर अपनी दुनियाँ बसा लिये हैं | जैसे की लुटेरा शैतान सिकंदर  की गुलाम सेना में भी बहुत से लोग यहीं पर अपनी दुनियाँ बसाने के लिये इस देश के सम्राट से लड़ने से इंकार कर दिये थे | जिन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले शैतान सिकंदर द्वारा जबरजस्ती या फिर लालच देकर लुटेरा बनाया गया था | जिन गुलाम सेनाओं ने नंद सम्राट के बारे में जानकर उससे भिड़ने से साफ इंकार कर दिया था | जिनके इंकार करने के बाद शैतान सिकंदर भी आगे बड़ने का फैशला कैंशिल करते हुए अपने देश यूनान वापस लौटने का फैशला किया था | पर शैतान सिकंदर पुरु राजा द्वारा हाफ मडर की हालत में वापस लौटकर भी भरी जवानी में आखिरकार मारा गया था | जिससे पहले वह फर्जी महान और फर्जी सुपर स्टार बनने के लिए पुरे विश्व को लुटने निकला था | जिस तरह के लोग दरसल मुझ जैसे लोगो को फर्जी महान लगते हैं | जिसे महान बताने वाले लोग चाहे तो बहस कर ले की उनकी बुद्धी भ्रष्ट है जो शैतान को महान बता रहे हैं कि मुझ जैसे लोगो की बुद्धी भ्रष्ट है जो सिकंदर जैसे लोगो को लुटेरा शैतान बताकर पुरी दुनियाँ के उन इंसानो को यह बतला रहे हैं कि शैतान सिकंदर की तरह अपने नई पिड़ि को बनने के लिए संस्कार कतई मत देना अन्यथा वे भी शैतान बनकर पुरी दुनियाँ में लुटमार करके फर्जी महान बनने की चक्कर में खुद तो डुबेंगे ही पर अपने साथ साथ उन लोगो को भी अपने साथ ले डुबेंगे जिन्हे उनके जैसा महान बनना है | क्योंकि ऐसे लोग पुरी दुनियाँ को लुटकर शोषण अत्याचार करके इंसानियत और पर्यावरण को सबसे भारी नुकसान पहुँचाते हैं | जिस तरह के फर्जी महान बनने वालो की तरह आज के समय में यदि कोई देश शैतान सिकंदर की तरह अभियान चलाये तो निश्चित तौर पर पुरे विश्व के देश उस देश को विश्व के नक्सा से ही गायब कर देंगे | वैसे अब भी कहा जाता है रोम युनान अपने कुकर्मो और पापो की वजह से मिट गए | हलांकि यह पुर्ण सत्य नही है , बल्कि रोम यूनान के पाप और कुकर्म जरुर धिरे धिरे मिटते गए हैं | जो की अब भी रोम युनान का पाप और कुकर्म दाग मिटना जारी है | बल्कि मुमकिन है यदि मनुवादीयों द्वारा इस कृषि प्रधान देश में आने से पहले उनका कोई ऐसा अपना देश होगा जहाँ के वे मुलनिवासी कहलाते होंगे , न कि बाहर से आये हुए लोग कहलाते होंगे , तो निश्चित तौर पर वह देश मनुवादीयों के पाप और कुकर्मो से विश्व के नक्से से जरुर मिट गया होगा | जिसके चलते आजतक भी मनुवादीयों के पुर्वजो का उस देश का पता नही चला है जहाँ से वे इस कृषि प्रधान देश में आए हैं | हो सकता है मनुवादी अपने पाप और कुकर्मो से इस विशाल सागर जैसा स्थिर कृषि प्रधान देश को भी मिटाने की कोशिष कर रहे हैं ! जो कोशिष मानो किसी नदी नाले द्वारा विशाल सागर को मिटाने की कोशिष खुद ही खुदको सागर में समाकर अपने आप को मिटाकर दुसरे को मिटाने की कोशिष कर रहे हो ! क्योंकि मनुवादी पुरुषो की झुंड बनाकर इस देश में प्रवेश करके घर के भेदी और छल कपट की सहायता से ही इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर और इस देश की महिलाओं से जबरजस्ती परिवारिक रिस्ता जोड़कर मानो जबरजस्ती घर जमाई बनकर अपने ससुराल को ही गुलाम बनाकर वेद पुराणो और सत्ता में कब्जा करके खुदको उच्च प्राणी घोषित किया हुआ है | जो उच्च प्राणी यदि कथित शुद्र के योनी से जन्म नही बल्कि कथित उच्च जाति के मुँह छाती और जँघा से पैदा होता है तो भी यह प्रमाणित होता है कि मनुवादी परिवार में सौ प्रतिशत कथित उच्च जाति का अब कोई भी जन्म नही ले रहा है | क्योंकि मनुवादी अनुसार कथित पियोर उच्च जाति ब्रह्मा के मुँह जाँघ और छाती से पैदा हुआ था , जिसकी नई पिड़ी अब शुद्र महिला के योनी से जन्म लेता है | क्योंकि प्रमाणित हो चुका है कि मनुवादी को आज जो महिला पैदा करती है , वह भी इस देश के मुलनिवासी महिला है , जिसे मनुवादीयों ने निच शुद्र घोषित किया हुआ है | न कि मनुवादी परिवार में मौजुद महिला का एम डीएनए विदेशी महिला का एम डीएनए से मिलता है | और जाहिर है चूँकि कथित निच और शुद्र महिला के एम डीएनए से चूँकि मनुवादीयों के परिवार में मौजुद महिलाओं से मिलता है , इसलिए एम डीएनए अनुसार मनुवादी निच और शुद्र महिला के ही योनी से पैदा ले रहा है | हलांकि यह बात डीएनए रिपोर्ट आने से पहले भी इतिहास और वेद पुराणो में भी बतलाया गया है कि मनुवादी कबिला इस देश में बाहर से आकर छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से इस देश की सत्ता में कब्जा जमाकर इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर खुदको जन्म से उच्च और इस देश के मुलनिवासियों को निच घोषित करके भेदभाव शोषण अत्याचार सुरु किया है | जैसे की आज भी मनुवादी सत्ता छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से ही बहुमत जुटाकर कायम है | न की मनुवादी अपने खुदके दम पर सरकार बनाये हुए हैं | जैसा कि उन्होने इस देश में पहली बार प्रवेश किया होगा तो पहले तो गोरो की तरह पेट पालने के लिए सरण मांगा होगा , उसके बाद मौका देखकर छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से इस देश की सत्ता में कब्जा किया होगा | न की अल्पसंख्यक मनुवादी खुदके दम से बहुसंख्यक मुलनिवासियों को हराकर इस देश में कब्जा किया होगा | आज भी दलित आदिवासी पिछड़ी सांसदो की सहायता से ही मनुवादी सरकार चल रही है | जिस सरकार का नेतृत्व करने के लिए मनुवादीयों ने पिछड़ी जाति का प्रधानमंत्री और दलित को राष्ट्रपति इसलिए चुना है , ताकि इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियों को यह भ्रम होता रहे कि मनुवादी की सरकार नही बल्कि बहुसंख्यक दलित आदिवासी पिछड़ी की सरकार चल रही है | न कि ये पिछड़ी प्रधानमंत्री और दलित राष्ट्रपति को इसलिए इतने बड़े उच्च पद दिये गए हैं ,क्योंकि उनसे ज्यादे बेहत्तर उम्मिदवार भाजपा को कथित उच्च जाति के लोगो में नही मिल रहे थे | बल्कि ये दोनो तो बुढ़ापा तक भाजपा कांग्रेस के सांसद पद के काबिल उम्मीदवार भी नही थे , जो कि अब भी नही हैं | चाहे तो उनको भाजपा से बाहर निकालकर चुनाव लड़वाकर देख लो विधायक भी नही बन पायेंगे तो बिना भाजपा के मदत के उनके द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रपति बनना तो हवा हवाई सपना है | जिस हवा हवाई सपना को पुरा करने की मजबूती उम्मिदवारी भी उनके सिर्फ दलित और पिछड़ी होने की वजह से मिली हुई है | जिस सत्य बात पर जिन मनुवादीयों को यकिन न आए तो वर्तमान में मौजुद मनुवादी शासन के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को कोई प्रमाणित तौर पर ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य इन तीनो में कोई एक जाति साबित करके प्रेसवर्ता करें और दोनो से सिर्फ खुदको उच्च जाति का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हैं यह कबूल करा लें , दुसरे दिन से इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी के साथ साथ भाजपा भी उन्हे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के रुप में देखना चाहेगी कि पद से हटाना चाहेगी ? बल्कि वर्तमान के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति खुद भी खुदको उच्च जाति का सोचकर कल्पना करें कि उन्हे जो पद इस समय मिला है वह पद उन्हे मिलते या उनके द्वारा चुनाव लड़ते समय क्या खास खबरे चलाया गया था | चाहे तो कोई गुगल सर्च मारकर तब के पुरानी खबरे देख लें | पता चल जायेगा कि वर्तमान के राष्टेरपति और प्रधानमंत्री को दलित और पिछड़ी जाति का उम्मीदवार बताकर प्रचार प्रसार किया गया था | क्योंकि वर्तमान के समय में भले कोई मनुवादी छल कपट से उच्च पदो में बैठ सकता है , पर उसके द्वारा अब चुनाव जितना या फिर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति बनना टेड़ी खीर साबित होता जा रहा है | भले कांग्रेस पार्टी ने कभी देश के सारे राज्यों के मुख्यमंत्री ब्रह्मणो को बनाया था | पर अब मनुवादीयों द्वारा इस तरह का कदम उठाने पर उनके परिवार में भी विरोध उठने लगा है कि उनके घर के लोग भारी भेदभाव करते हैं | जो भेदभाव शासन 21वीं सदी में अब जाने वाला है | जिस भेदभाव शासन की वजह से मनुवादीयों ने लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम किये हुए है | जिसे बचाने के लिए मनुवादी अपनी साम दाम दंड भेद नीति को अंतिम लेबल तक अजमा रहा है | क्योंकि उनकी जो लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मजबुत दबदबा और दबंग कायम थी जिसके चलते हम न्यायालय का सम्मान करते हैं , चुनाव आयोग का सम्मान करते हैं , मीडिया का सम्मान करते हैं , सरकार का सम्मान करते हैं जो बार बार कहकर मनुवादीयों की शक्तीशाली दबदबा का प्रभाव बड़ता था वह अब लगभग समाप्त होने को है | क्योंकि अब न्यायालय के खिलाफ भी बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सभी एकजुट होकर आवाज उठाने लगे हैं | और सरकार मीडिया चुनाव आयोग के विरोध में तो बहुत पहले से ही आवाज उठ रही है | मीडिया को तो वामन मेश्राम ने पिछवाड़ा पोछाने वाला पेप्पर तक कह दिया है | और वर्तमान के पिछड़ी प्रधानमंत्री को मनुवादीयों का रखैल प्रधानमंत्री कह दिया है | उसी तरह आरक्षण कोटा से जो भी दलित आदिवासी मनुवादीयों की सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ते हैं , उन्हे गाँधी का तीन बंदर और कोई तो मनुवादीयों का दलाल और चाटुकार तक कहकर इतिहास में उन्हे मनुवादीयों के द्वारा शोषण अत्याचार करने में सहयोग करने वाले गद्दार घोषित कर चुके हैं | जिन लोगो का नाम मनुवादीयों के खिलाफ चलने वाले अजादी आंदोलनो में मनुवादीयों का सहयोग करने वाले गद्दारो के रुप में दर्ज हो रहा है | क्योंकि वर्तमान में जितने भी शोषण अत्याचार इस देश के मुलनिवासियों के साथ मनुवादी कर रहे हैं , उसे करने में जो सत्ता ढाल और ताकत बन रही है , उसे कायम करने में सौ प्रतिशत योगदान उन्ही घर के भेदियों का है |जो अपने मुलनिवासी होने का फायदा मनुवादीयों को भर भरकर दे रहे हैं | जो यदि अभी समर्थन खिच ले तो अभी के अभी रातो रात सरकार गिर जायेगी और जिस भी मुलनिवासी के नेतृत्व में किसी मुलनिवासी द्वारा स्थापित पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनाने की प्रक्रिया चलाई जायेगी वही सरकार बन जायेगी | यकिन नही हो रहा है तो किसी राजनीति जानकार से पता कर लो कि ऐसी सरकार बन सकती है कि नही ? और एकबार मुलनिवासी सरकार बनने के बाद संविधान में यह संसोधन कर दो कि इस देश में कोई विदेशी डीएनए का व्यक्ती सरकारी उच्च पदो में कभी नही बैठ सकता | और यदि बैठेगा भी तो दस प्रतिसत से ज्यादे सरकारी पदो में किसी भी हालत में नही बैठ सकता है ! और वह भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के सबसे उच्च पदो में तो बैठ ही नही सकता | जिसे अजाद भारत का संविधान संसोधन करके पहले पेज में ही दर्ज कर दिया जाय , फिर देखो इस देश के मुलनिवासी इस देश की सरकार के 90% पदो में बैठने के बाद कभी गुलामी महसुश करता है क्या ? जिस तरह की संविधान संसोधन जबतक नही होगा तबतक तो मेरे विचार से तो समझो जिस मनुस्मृति को जलाकर अंबेडकर ने संविधान लिखा था , उस मनुस्मृती का भुत अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे पालन करा रहा है | जिसकी झांकि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० में दिखती है | जो रिपोर्ट निचे मौजुद है |
जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली का ही जानकारी ले लिया जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं |
जिस रिपोर्ट के बारे में जानकर कोई भी शिक्षित मुलनिवासी बल्कि अशिक्षित मुलनिवासी को भी यदि समझाया जाय कि मुलनिवासियों की अबादी कितनी है और उस अबादी के अनुसार इस देश के मुलनिवासियों को वर्तमान में इस देश के लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तंभो में कितनी भागीदारी मौजुद है ? और उस भागीदारी के बारे में भेदभाव बहाली हो रहा है यह महसुश इस देश के मुलनिवासियों को होता है कि नही ? जो समझ भाजपा कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ने वाले मुलनिवासियों को कैसे नही है ? क्योंकि जाहिर है इस तरह की भेदभाव बहाली तबतक होती रहेगी जबतक की घर के भेदियों की सहायता से मनुवादी सत्ता कायम रहेगी | जिस सत्ता में मनुवादी अपनी दबदबा कायम रखकर निडर होकर खुलेआम छुवा छुत व मार पिटाई भी करने में पिच्छे नही हटेगा | जिसकी वजह से अजाद भारत का संविधान लागु होने के बावजुद भी इस देश के मुलनिवासियों को गुलामी महसुश होता रहेगा | और गुलामी का मतलब साफ है कि चाहे जितने उच्च डिग्री हासिल करो या फिर गिने चुने मुलनिवासी चाहे जितनी बड़ी उच्च पद या फिर अमिरी हासिल करो | मनुवादी भेदभाव शोषण अत्याचार करना नही छोड़ेंगे | जिस भेदभाव शोषण अत्याचार से अजाद भारत का रचना करने वाले अंबेडकर भी नही बच पाये थे | जिसके चलते उनके पास देश विदेश के तीस से अधिक उच्च डिग्री भले मौजुद थी पर अनपढ़ मनुवादी भी खुदको उससे ज्यादा उच्च बताकर उनसे भेदभाव करना नही छोड़े थे | जिसके चलते उन्हे सरकारी उच्च पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था | हलांकि इसके बावजुद भी उन्होने मनुवादीयों पर विश्वास करके न चाहते हुए भी पुणे में उच्च जाति के गाँधी से समझौता किया था | जो समझौता विश्वास के रुप में ऐसा समझौता था जो मानो मनुवादीयों द्वारा पिठ पिच्छे छुरा घोपने का काम किया | जिसके चलते अंबेडकर को बाद में महसुश हुआ की पूणा समझौता दरसल मनुवादीयों की छल कपट अपडेट का ही नतिजा था | जिस तरह के छल कपट अपडेट मनुवादी हजारो सालो से करके ही तो अबतक राज करते आ रहे हैं | यूं ही वे अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक मुलनिवासियों पर अबतक राज नही कर रहे हैं | जिन मनुवादीयों से शोषित पिड़ित परिवार में जन्मे अंबेडकर द्वारा देश विदेश से तीस से अधिक उच्च डिग्री हासिल करने के बावजुद भी भेदभाव का शिकार होना नही रुका था तो बाकि सब शोषित पिड़ित तो अंबेडकर जितनी उच्च कामयाबी भी हासिल नही किये हैं | लेकिन भी अंबेडकर से भी कम शिक्षित बल्कि अनपढ़ मनुवादीयों द्वारा भी भेदभाव किया जाता था | क्योंकि मनुवादी खुदको जन्म से उच्च मानता है | जो यदि जन्म से खुदको उच्च मानना छोड़ चुका होता तो अंबेडकर के द्वारा देश विदेश में तीस से अधिक उच्च डिग्री हासिल करने के बाद उसके साथ भेदभाव करना बंद कर देता | जबकि सच्चाई ये है कि जैसा की बतलाया कि अंबेडकर के साथ सरकारी कार्यालय में भी मनुवादीयों के द्वारा भारी भेदभाव किया जाता था | जिसके कारन अंबेडकर को सरकारी उच्च अधिकारी के पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था | क्योंकि देश विदेश से तीस से अधिक उच्च डिग्री प्राप्त करने के बाद उच्च अधिकारी की नौकरी हासिल करने के बावजुद भी सरकारी कार्यालय में भी उसके साथ भेदभाव होता था | नौकरी करते समय निचे पदो में मौजुद मनुवादी जो कि उनके पद तक पहुँचने के काबिल नही थे वे भी निच कहकर अंबेडकर के साथ भारी भेदभाव करते थे | कार्यालय में अंबेडकर के कमरे में घुसकर सरकारी फाईलो को दुर से ही फैंककर देते थे ताकि वे अंबेडकर से न छुवा जाय | जिस तरह के मनुवादी लोग अंबेडकर से विद्यालय में पढ़ते समय भी अंबेडकर से कम काबिल होने के बावजुद भी छुवाछुत करते थे | जिसके चलते अंबेडकर के साथ पढ़ाई करते समय भी विद्यालय में भारी भेदभाव होता था | विद्यालय में मौजुद क्लाश के दरवाजे से बाहर जहाँ पर जुता चप्पल उतारकर वर्ग में प्रवेश किया जाता है , उस जगह बैठकर अंबेडकर को पढ़ाई करने की इजाजत थी | वह भी मनुवादीयों का शासन तब कायम नही था इसलिए ये छुट भी मौजुद थी | घड़ा से पानी भी पीने की इजाजत नही थी | अंबेडकर और उनके जैसे तमाम शोषित पिड़ितो को दुसरे जगहो में भी अलग ग्लाश में पानी पीना पड़ता था | तालाव में भी इस देश के मुलनिवासियों को नहाने धोने नही दिया जाता था | जिसके खिलाफ भी अंबेडकर ने हिन्दू रहते आंदोलन चलाया था |  जिसके बावजुद भी अबतक मनुवादी सत्ता कायम है , क्योंकि मनुवादीयों को घर के भेदियों का साथ देना अबतक जारी है | जिन घर के भेदियों को उपर दिये गए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० को हर रोज एकबार देखकर अपने भितर झांककर खुदसे सवाल करना चाहिए कि मनुवादी शासन में जो भेदभाव हो रहा है उसमे साथ देकर घर के भेदियों की आनेवाली नई पिड़ि और जिनका वंश ही नही है उनके खानदान का नई पिड़ि घर के भेदियों को इतिहास में गद्दार कहेगी कि उनकी आरती उतारेगी यह कहकर कि घर के भेदियों ने मनुवादियों को भेदभाव शोषण अत्याचार में दाहिना हाथ बनकर अथवा साथ देकर इस देश के मुलनिवासियों का बहुत भलाई कार्य किया है ! जिन घर के भेदियों को यदि मनुवादियों द्वारा भेदभाव शोषण अत्याचार करने में खास मदत करके भलाई का कार्य लगता है तो घर के भेदि भी उन मंदिरो के अंदर पुजारी बनकर मनुवादियों के साथ कंधा से कंधा मिलकर पुजा पाठ करे जिसके बाहर बोर्ड में ये लिखा रहता है कि अंदर शुद्र का प्रवेश मना है | बल्कि घर के भेदियों को तो खुदको उच्च जाति का घोषित करके उच्च जाति के परिवारो से चुनाव टिकट के साथ साथ पारिवारिक रिस्ता भी मांगने जाना चाहिए था | न कि सिर्फ प्यार मोहब्बत होने का इंतजार करते रहना चाहिए कि कब ईश्क होगा और कब अंतरजातीय विवाह रचाई जायेगी | जिस तरह से यदि जाती प्रथा मिटती तो फिर तो हजारो साल पहले ही जाती प्रथा उस समय ही कबका मिट चूका होता जब मनुवादीयों ने जिन्हे शुद्र निच अच्छुत घोषित किया हुआ है , उस परिवार की महिलाओं से संभोग करके शुद्र निच अच्छुत महिला के योनी से मनुवादीयों की नई पिड़ी जन्म लेना सुरु कर दिया था | बल्कि आज भी कथित उच्च जाति का जन्म निच जाति की योनी से होता है , न कि पुरुष ब्रह्मा के मुँह छाती और जँघा से होता है |

सोमवार, 13 अप्रैल 2020

Stay indoors to escape Corona and stay out to avoid earthquakes, but what to do to avoid Bhasmasura?



Stay indoors to escape Corona and stay out to avoid earthquakes, but what to do to avoid Bhasmasura?
khoj123


कोरोना से बचने के लिए घर के अंदर रहें और भूकंप से बचने के लिए बाहर रहें, लेकिन भस्मासुर से बचने के लिए क्या करें?

(korona se bachane ke lie ghar ke andar rahen aur bhookamp se bachane ke lie baahar rahen, lekin bhasmaasur se bachane ke lie kya karen?)


कोरोना से बचने के लिये घर में रहो और और भुकंप से बचने के लिए बाहर रहो, पर गरिबो को सताकर और शोषण अत्याचार करके नर्क जाने वालो से बचने के लिए उनके जिवित रहने तक चाहे बाहर रहो या अंदर रहो वे ऐसे आत्मघाती भस्मासुर हैं जो रक्षक बनकर भी पिच्छे पड़े रहेंगे | जिस तरह के भस्मासुरों की वजह से ही तो रक्षको से भी डरने लगी है निर्दोश प्रजा | जिन रक्षको को प्रजा के दिमाक से रक्षको के प्रति डर और भय का माहौल कभी न बन सके इसके लिए रक्षक अपने बिच मौजुद रक्षक के भेष में छुपे उन भेड़ियों को पहचानकर उनकी खाल उतारकर उन्हे जनता के सामने बेनकाब किया जाय उनकी उन कुकर्मो को जिसे करने के लिये उन्हे मानो सोची समझी साजिश के तहत सुपारी देकर भेजा जा रहा है | जिन भेड़ियों के रहते बाहर से आनेवाली कोरोना वायरस का डर और आतंक में बड़ौतरी तो होगी ही पर उससे भी ज्यादे खतरनाक डर और आतंक उन भस्मासुरो से बड़ता जा रहा है जो की इस देश के रक्षको का खाल ओड़कर प्रजा को डराने और आतंकित करने के लिए दंगई माहौल पैदा करने की फुल तैयारी कर रहे हैं | जो देश के अंदर ही मौजुद हैं | बाहर से आनेवाले कोरोना वायरस तो हाल फिलहाल में आतंक फैला रहा है , पर देश के अंदर का भ्रष्ट वायरस बहुत पहले से आतंक फैला रहा है | जो कि  कोरोना वायरस से भी ज्यादे खतरनाक साबित हो सकता है यदि कोरोना वायरस की वजह से जो लॉकडाउन किया गया है , उसका लाभ लेते हुए लॉकडाउन से कमजोर हो रहे प्रजा का शिकार करने लगे | बल्कि शिकार करना सुरु भी कर दिया है , चाहे वह रक्षको के बिच खाल ओड़कर या फिर अस्पतालो वगैरा में डॉक्टरो के बिच खाल ओड़कर कर रहा है | जिसका परिणाम ये आयेगा कि अस्पतालो में इलाज में भी भेदभाव और गुंडागर्दी सुरु हो जायेगा और रक्षको के बिच भी गुंडागर्दी सुरु होकर लॉकडाउन से कमजोर पड़ी प्रजा का भक्षण सुरु हो जायेगा | जिससे सैकड़ो निर्दोश जनता मालिक की तो मौत होगी पर एक भी मंत्री और उच्च अधिकारी नौकर की मौत नही होगी | जबकि इस देश की धन संपदा पर जितना अधिकार सरकार का है उतना अधिकार प्रजा का भी है | पर अजाद भारत का संविधान लागु होकर गणतंत्र शासन होते हुए भी प्रजा ही हर रोज अनगिनत की संख्या में बदहाली और गरिबी भुखमरी से क्यों मर रहा है ? कोरोना वायरस ही नही बल्कि एक भी मंत्री और उच्च अधिकारियों की मौत गरिबी भुखमरी से क्यों नही हो रही है ? क्योंकि गणतंत्र में भ्रष्ट राजनीति पुरी तरह से हावी है | जिस तरह की गंदी राजनीति जबतक कायम रहेगी तबतक तो कोरोना वायरस भी ऐसी गंदी राजनीति करने वालो के लिए मानो भ्रष्ट प्रमोशन लेकर आती है | जिससे बचाव के लिए एक एक नागरिको में कितना खर्च किया जा रहा है , और उन्हे कितनी आर्थिक सहायता दिया जा रहा है , यह तो लॉकडाउन से भुखो मर रहे गरिब मजदूरो की जुबान से ही सुनाई और दिखाई देती है जब वे यह कहते हैं कि लॉकडाउन में यदि वे और अधिक ज्यादे दिनो तक इसी तरह शहर में बिना काम धँधा किये कैद रहे तो वे कोरोना वायरस से तो नही मरेंगे पर भुखो जरुर मर जायेंगे | जिसके चलते लाखो गरिब मजदूर शहर से अपने ग्राम की ओर कई कई किलोमिटर पैदल चलकर भी जा रहे हैं | जिन्हे उनके घरो तक सुरक्षित पहुँचाने का भी इंतजाम सरकार के पास नही है | लेकिन अपने साथ मुफ्त में अपने खास करिबियों को विदेश यात्रा कराने के लिए खास हवा हवाई सुविधा मौजुद है | भले उस जहाज से कोरोना वायरस साथ में यात्रा करते हुए इस देश में प्रवेश कर जाय | गरिबी भुखमरी दुर करने के नाम से सरकारी धन जमकर लुटाकर अपने लिए लाखो करोड़ो खर्च करके अपनी भोग विलाश करोड़ो की विदेश यात्रा जिवन तो हर रोज  चलती रहती है , पर उसी सरकारी धन या फिर गरिबी भुखमरी दुर करने के नाम से कर्ज या सहायता द्वारा लाया गया धन से गरिबी भुखमरी दुर नही होती है | हलांकि नाम मात्र के लिए थोड़ी बहुत खर्च गरिबो के लिए भी सरकारी धन जरुर खर्च की जाती है | ताकि गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करने के लिए कर्ज या सहायता द्वारा लाया गया धन को खर्च करते समय यह दिखाया जा सके कि लाया गया धन सचमुच में गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करने के लिए हो रहा है | लेकिन उसपर भी यह बतलाया जाता है कि गरिबो का धन को भी ये गुप्त रुप से मांसिक गरिबी भुखमरी का शिकार भ्रष्टाचारी सेवक अपने जनता मालिक को एक तरफ से सप्लाई करते हैं , तो दुसरी तरफ से मानो घड़ा में छेद करके पानी निकालने के जैसा सरकारी अन्न धन गरिबो तक आते आते उसपर भी आधा से अधिक हाथ साफ करते हैं | वह भी तब जबकि उन्हे सरकारी तनख्वा और बहुत सारी सरकारी सुख सुविधा मिलती है | लेकिन भी चूँकि मनुवादी शासन में भ्रंष्टतंत्र का शिकार खुद भी होते होते जो लोग खुदको मांसिक तौर पर मजबुत नही कर पाते हैं , उन्हे सरकारी सेवक बनते बनते मांसिक भुखड़पन की ऐसी बिमारी हो जाती है कि नौकर बनते ही मानो किसी लंबी उपवास के बाद अचानक से खाने पर टुट पड़ने के जैसा अपने पद का गलत उपयोग करते हुए भ्रष्टाचार करने के लिए टुट पड़ते हैं | जिसके बाद उनका कालाधन का गुफा खुल जा सिमसिम कहते हुए भरने लगता है | जिससे की उनकी आने वाली नई पिड़ी भी किसी जेनेटिक बिमारी की तरह पिड़ी दर पिड़ी भ्रष्टाचार की परंपरा को आगे बड़ाते हुए कालाधन का सुध खाती रहती है | और जिसका कोई परिवार नही होता है वह अपनी अली बाबा चालीस चोर लुटेरी गैंग को परिवार मानकर उनके लिए खुल जा सिमसिम कहकर कालाधन इकठा करने लगता है | जिस तरह का लुटपाट के बाद सैकड़ो चुहे खाकर बिल्ली हज या तीर्थयात्रा को चली हालात की तरह खुब सारा बड़े बड़े पाप और भ्रष्टाचार करके कैसे खुदको गरिबो की सेवा करने वाला समाज सुधारक घोषित किया जाय इसका उन्हे भरपुर लाभ कमाने का बेहत्तर अवसर कोरोना जैसे वायरस भी लेकर आता है | जिससे सैकड़ो प्रजा की तो मौत होगी पर एक भी मंत्री और उच्च अधिकारी की मौत नही होगी | क्योंकि जनता मालिक की सेवा सुरक्षा सिर्फ नाम मात्र के लिए हो रहा है , पर मंत्री और उच्च पदो में बैठे नौकरो की सेवा सुरक्षा में हर रोज जमकर धन लुटाया जा रहा है , ताकि उनकी जिवन बुढ़ापा में भी कांपते हुए सारी सुख सुविधा का लाभ लेता रहे | जबकि जनता मालिक के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को भी अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान के लिए भी अजादी के इतने सालो बाद भी सिर्फ भाषण अश्वासन सुनना पड़े की आधुनिक भारत डीजिटल इंडिया हो गया है | अब सबकी जिवन में अच्छे दिन आ गए हैं | ऐसे अच्छे दिन जिसमे कोई भ्रष्ट मंत्री भी मरे तो उसके लिए दो मिनट का मौन ऐसे रखा जाता है , जैसे की उसके मरने से देश को बहुत बड़ा हानि हो गया है | और हर रोज सैकड़ो हजारो प्रजा भुख और गरिबी से मर रहे हैं , जिससे देश को बहुत बड़ा हानि नही हो रहा है | जिन गरिबो की मौत के लिए जो भी भ्रष्ट सेवक जिम्मेवार है , ऐसे भ्रष्ट सेवक पर इतिहास गर्व नही बल्कि शर्म करेगा कि ये सिर्फ बार बार तो झुठे वादे और अश्वासन देकर सरकार तो बनाये हैं , पर आजतक गरिबी भुखमरी को जड़ से समाप्त करने के बारे में कभी गंभिर ही नही हुए हैं | सिर्फ उन्हे धन्ना कुबेरो की गुप्त गरिबी भुखमरी को दुर करने के लिये हर साल जमकर सरकारी धन लुटाते रहना है | और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देकर उन्हे जमकर शराब शबाब का लुप्त देश विदेश के बड़े बड़े महलो और होटलो में उठवाते रहना है | जिससे लोकतंत्र मजबुत नही बल्कि गुलाम शासन की तरफ जाती है , जिसमे प्रजा शासक के खिलाफ सड़को में उतरकर आंदोलन संघर्ष करती है | बल्कि मैं तो कहुँगा अजाद भारत का संविधान लागु होने के बावजुद भी मनुवादीयों द्वारा गुलाम शासन ही चल रहा है | क्योंकि ये मनुवादी चूँकि इस देश के मुलनिवासी नही हैं , इसलिए इस देश और इस देश के मुलनिवासियों को हमेशा के लिए गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं | जिसके लिये वे घर के भेदियों का भरपुर साथ ले रहे हैं | जिन घर के भेदियों से भी इस देश के उन शोषित पिड़ितो को पुर्ण अजादी चाहिए जिनके नाम से घर के भेदी वोट और सहायता लेकर मनुवादियों का साथ देकर अपने लिए सारी सुख सुविधा और भोग विलाश का इंतजाम तो कर लेते हैं , पर अपने ही डीएनए के शोषित पिड़ितो के लिए गाँधी का तीन बंदर बन जाते हैं | जिस तरह के बुरे दिनो के लिए इंसानो द्वारा परिवार और समाज की खोज करने के बाद गणतंत्र की खोज नही हुई थी , बल्कि गणतंत्र की स्थापना देश और प्रजा की सेवा और सुरक्षा में और अधिक मजबुती प्रदान करने के लिए हुआ है | जिसे वे लोग ठीक से समझ ही नही सकते जिन्हे जमिन से जुड़े हुए रहने का खास अनुभव नही है | जैसे की मनुवादी जिन्हे आजतक भी जमिन से जुड़े रहने का अनुभव इस कृषि प्रधान देश की मिट्टी का अन्न जल ग्रहन करके भी हजारो साल बाद भी अबतक भष्म मनुस्मृति का ही भुत सवार रहता है | जिसे उतारने के लिए मनुवादी को गणतंत्र के बारे में सेवा भावना अपने भितर जगाना जरुरी है | खासकर यदि उन्हे भी वाकई में वैसा विकसित इंसान बनना है , जिससे इंसानियत और पर्यावरण को ज्यादे खतरा नही है | क्योंकि परिवार समाज के बाद जन्मा एक और नई खोज जानकारी गणतंत्र है | जिस गणतंत्र में सरकार चुनी जाती है | जिस सरकार को इंसानो ने देश परिवार समाज और पर्यावरण की भी सुरक्षा करने के लिए अपने वैसे सेवक के तौर पर बनाया है , जो देश और प्रजा की सेवा और सुरक्षा के साथ साथ पर्यावरण का भी रक्षा जैसे खास कार्य करती है | जिस कार्य और सेवा के बदले प्रजा सरकार को ऐसी बहुत सी सुख सुविधा बल्कि बहुत सारी ऐसी अन्न धन का मोल भी चुकाती है , जिसका गलत उपयोग करके विशेष लाभ लेने के लिए मनुवादी शासन में आजकल तो ऐसी ऐसी भ्रष्टाचार होड़ लग गई है कि प्रजा सेवा के नाम से भ्रष्टाचार करने अथवा लुटने चोरी करने के लिए भी लोग राजनीति में आने लगे हैं | जिस तरह के भ्रष्टाचारी सेवक नेता या सरकारी अधिकारी के लिए सेवा करना सिर्फ दिखावा है | जो असल में सरकारी पद का लाभ लेकर गाड़ी बंगला नौकर चाकर समेत अन्य किमती सुख सुविधा का लाभ लेकर लुटपाट भ्रष्टाचार और भोग विलाश करते हुए प्रजा को गरिबी भुखमरी से मरते हुए सिर्फ बहस करके खुद अति खा खाकर पेट फटने से मर रहे हैं | और अपने जनता मालिक को गरिबी भुखमरी में मरने के लिए छोड़ दे रहे हैं | जिसके चलते वर्तमान की राजनिती इतनी गंदी हो चुकि है कि प्रजा की गरिबी भुखमरी के बारे में बहस होकर उस गरिबी भुखमरी को अपने कार्यकाल में समाप्त करना तो दुर यदि मंत्री और अधिकारी भरपुर खाते पिते और सरकारी सुख सुविधा का भरपुर लाभ लेते हुए अपना जिवन भी समाप्त कर दे तो भी ऐसी भ्रष्ट राजनीति से तो गरिबी भुखमरी दुर कभी नही होगी जबतक की ऐसी बेहत्तर राजनीति का जन्म न हो जिसमे की प्रजा का मौत यदि गरिबी भुखमरी से हर रोज हजारो की संख्या में हो रहा हो तो कम से कम कोई एक दो मंत्री प्रधानमंत्री या उच्च अधिकारी की भी मौत गरिबी भुखमरी से जरुर हो , और उनके लिए भी बीपीएल कार्ड और प्रधानमंत्री आवास के रुप में एक दो कमरो का गरिब बीपीएल घर मिले ऐसा संतुलन देखने को मिले | कम से कम तबतक जबतक की गरिबी भुखमरी वाकई में जड़ से न दुर हो जाय | ताकि मंत्री और अधिकारियों के उपर भी यदि गरिबी भुखमरी का मार पड़े तो वे जिस तरह अभी लाखो की सुख सुविधा और तनख्वा मिलते हुए भी अपनी तनख्वा और सुख सुविधा का प्रमोशन लगातार करवाते रहते हैं , उसी तरह गरिबी भुखमरी को दुर करने पर भी खुदके पिठ में भी गरिबी भुखमरी का डंडा पड़ने पर गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करने पर खास ध्यान प्रयोगिक तौर पर दिया जा सके | न की सिर्फ गरिबी हटाओ और डीजिटल इंडिया का नारा देकर खुद तो सारी सुख सुविधा का लाभ लेते हुए अति खा खाकर मरते रहे और हजारो नागरिक हर रोज गरिबी भुखमरी से मरते रहे | जिसके बारे में जाननी हो तो विश्व भुखमरी रिपोर्ट अनुसार प्रतिदिन पुरे विश्व में जो मौते गरिबी भुखमरी से होती है उसमे एक तिहाई अबादी इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले कृषि प्रधान देश में होती है | वह भी तब जबकि इस देश में भ्रष्टाचार बदहाली और झुठी शान के चलते हर साल इतना भोजन बर्बाद कर दिया जाता है , जितना की इस देश को गुलाम करने वाला देश ब्रिटेन में पुरा साल का भोजन खाया जाता है | जिसे क्या कहा जाय कि विकसित देश की सरकार जितना खाना अपनी समृद्ध प्रजा को खिलाते हैं , उतना खाना इस गरिब देश की मनुवादी सरकार गरिब प्रजा को न देकर फैंक या फैंकवा देती हैं ! क्योंकि इस कृषि प्रधान देश के गणतंत्र को अभी पुरी अजादी नही मिली है उन मनुवादीयों से जिन्हे प्रजा को गुलाम बनाकर झुठी शान की जिवन जिना सबसे सुखमई लगता है | भले जिवन के अंतिम क्षणो में वे सारी जिवन की पाप कुकर्मो की सजा ही क्यों न इतिहास में बार बार छुवा छुत भेदभाव शोषण अत्याचार  थु थु करके झेले , जिसे देख सुनकर उनकी नई पिड़ि को तो कम से कम मन में विचार करनी चाहिए थी कि ऐसी झुठी शान की मौत वे न मरे जिसमे उनकी भी मौत के बाद उसी तरह थु थु हो जैसा की पिछली गुलाम परजिवी सोच का भ्रष्ट इतिहास पलटकर होता है | क्योंकि भविष्य में भी जब वर्तमान में हो रहे कुकर्मो का इतिहास खोदा जायेगा और वर्तमान के बड़े बड़े कुकर्मो को भी खंगाला जायेगा तो उसमे से भी इतनी गंदगी निकलेगी की उस गंदगी के आगे पुरी दुनियाँ की मल मुत्र की गंदगी कुछ भी नही ! जिस कुकर्म को करने वाले मन की गंदगी के लिए कभी शौचालय भी तो नही बनाया जा सकता है | और न ही ऐसे गंदे इतिहास को परमाणु कचड़ा की तरह मोटी मजबुत धातु का दिवार बनाकर ढका जा सकता है | सिवाय इसके की इस तरह की भ्रष्ट सोच की भ्रष्ट इतिहास को दोहराने से पहले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों की नई पिड़ी पुरानी भ्रष्ट सोच को शौच की तरह अपने मन से निकालकर अपने मन की सफाई कर लें | जिसके लिए गणतंत्र की सेवा बेहत्तर माध्यम हो सकता है | जिसके माध्यम से प्रजा की ऐसी सेवा हो की प्रजा पिड़ी दर पिड़ी याद करे कि कोई सेवक सरकार ऐसा भी था जिसकी सेवा सुरक्षा से किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से होने से पहले ही उसतक आर्थिक और अन्न जल की मदत खोजते हुए बिना कोई भेदभाव किये पहुँच जाती थी | जो फिलहाल तो गरिबी भुखमरी से मर रहा जनता मालिक सरकार की आर्थिक सहायता और अन्न जल खोजता रहता है सरकारी कार्यालय और सरकारी नौकरो का घर घर भटकते हुए | क्योंकि हमे यह बात नही भुलनी चाहिए की आजतक गरिब बीपीएल का ऐसा लिस्ट भी तैयार नही हो पाया है कि उसे जानकर कोई निश्चित हो जाय कि इतने लोगो को अब गरिबी भुखमरी से छुटकारा चाहिए ! क्योंकि अब भी लाखो करोड़ो लोग ऐसे हैं जिनके पास गरिब बीपीएल  राशन कार्ड मौजुद नही है | फिर भी इस गरिब देश में मुठिभर धन्ना कुबेर और मंत्री अधिकारी जिस तरह की रहिसी जिवन जी रहे हैं उन्हे सरकारी अन्नाज की वैसे भी जरुरत कभी पड़ती ही नही है | हलांकि उन्हे सरकारी धन से इतना सारा मदत और सब्सिडी बल्कि धन्ना कुबेरो को तो इतना अधिक सरकारी छुट और माफी हर साल मिलता है कि उस राशि से लाखो करोड़ो गरिब बीपीएल को जिन्हे अभी आधा पेट सरकारी राशन मिलता है , और कभी नही भी मिलता है , उसमे बड़ौतरी होकर पेटभर खाना मिलने लगे !

रविवार, 12 अप्रैल 2020

maan bahan ek karana gaalee ka matalab kya hota hai?



maan bahan ek karana gaalee ka matalab kya hota hai?
khoj123

माँ बहन एक करना गाली का मतलब क्या होता है?


 अक्सर जानवरो में माँ बेटे बाप बेटी भी आपस में संभोग करते हुए देखे जा सकते हैं | जिसे देखने वाले किसी परिवार समाज के बारे में जानने वाले इंसान को पता है कि कौन जानवर किसके औलाद है तो वह जरुर बता सकता है कि जानवरो में माँ बेटे या फिर बाप बेटी सेक्स कर रहे हैं | खासकर सुवरो में तो इस तरह की माँ बहन एक करने का सेक्स प्रक्रिया आम है | क्योंकि सुवर के बच्चे जवान होने से पहले ही अपनी ही माँ के उपर चहड़कर सेक्स का ट्रेनिंग लेते हुए दिख जाते हैं | जिसे यदि प्रयोगिक रुप से किसी को देखनी हो तो गुगल सर्च मारकर किसी इंसान को जानवरो की तरह सेक्स करते हुए देखने के बजाय किसी आवारा सुवरो की झुंड जहाँ पर गु खाते हुए गुं गुं करते हुए गंदगी में जिवन गुजारा कर रहे होते हैं , उन जगहो में जाकर किसी सुवर के बच्चो की टोली को अपने माँ के साथ दिनभर घुमते और किचड़ो में नहाते हुए देख लेना , देर तक उनकी दिनचर्या पर नजर रखने पर कभी न कभी सुवर के बच्चे अपनी माँ में चहड़कर सेक्स की ट्रेनिंग लेते हुए जरुर दिख जायेंगे | पर अफसोस इस तरह की माँ बेटे और बाप बेटी का सेक्स चलन जानवरो के साथ साथ कुछ इंसानो में भी मौजुद है | जिसके बारे में गुगल सर्च करके पता लगाया जा सकता है | जिस गंदे अपरिवारिक और असमाजिक रिस्ते को ही गाली ग्लोज की भाषा में माँ बहन एक करना कहा जाता है | जिसका मतलब साफ है कि जब कोई पुरुष किसी महिला से सेक्स करके जिन बच्चो का पिता बनता है , उस बच्ची के साथ भी वह सेक्स करता है | अथवा अपनी पत्नी और बेटी दोनो के साथ संभोग करता है | जिसके चलते चूँकि उस बच्ची के जो भाई रहता है , उसके लिए माँ बहन एक हो जाते हैं | क्योंकि उसकी माँ भी उसके पिता के साथ सेक्स करती है , और उसकी बहन भी उसके पिता के साथ सेक्स करती है | जिस तरह की जानवरपन गंदगी इंसानो के भितर से जैसे जैसे दुर होती गई वैसे वैसे समाज परिवार विकसित हुआ है | जिससे पहले तो जब इंसान सुवरो कि तरह झुंड में रहकर सिर्फ इसी तरह के माँ बहन एक करने की रिस्तो को निभाता होगा तो उस समय निश्चित तौर पर परिवार समाज क्या होता है इसके बारे में उसे नही पता होगा | हाँ सेक्स करने के बारे में उसे वर्तमान में परिवार समाज को बेहत्तर समझने वाले इंसानो से भी ज्यादे बेहत्तर जरुर पता होता होगा | जिसके चलते ऐसे जानवरो की तरह सेक्स करने वाले कुछ इंसानो के बारे में उसके द्वारा सेक्स जानकारी बांटते समय आज भी अक्सर उसके द्वारा यह बतलाया जाता है कि उसने कुत्ता सेक्स , बंदर सेक्स , सुवर सेक्स वगैरा किया है | क्योंकि वह खुद ही कबुल करता है कि वह इंसानो वाला सेक्स नही बल्कि जानवरो वाला सेक्स किया है | जो दरसल अबतक भी उसके अंदर जानवरपन मौजुद है , यह खुद ही दर्शा देता है | जिस तरह के ही इंसानो में माँ बहन एक करने की जानवरपन आज भी मौजुद है | क्योंकि इंसान जब परिवार समाज के बारे में नही जानता होगा उस समय वह किसी आवारा कुत्ता कुत्तिया की तरह ही घुम घुमकर कई कई के साथ सेक्स करने या करवाने जरुर जानता था पर वह माँ बहन जैसे अलग कई रिस्तो के बारे में नही जानता था | विकसित परिवार समाज क्या होता है यह जानकारी उसे पता नही था | जिसके चलते तब के इंसानो में मौजुद न तो किसी नारी को कई कई के साथ सेक्स कराने के बावजुद भी पेट में किसका बच्चा पल रहा है यह जानकारी होती होगी और न ही कई कई महिला से सेक्स करने वाले पुरुष को ये पता रहता होगा कि उसके आस पास उसके वीर्य के कितने बच्चे घुम रहे हैं , जिसका वह डीएनए प्रमाणित पिता है | जैसे की कई कई आवारा कुत्तियों के साथ रेल गाड़ी रेल गाड़ी डब्बो कि तरह आपस में जुड़कर सेक्स की भुख मिटाने वाले आवारा कुत्तो को पता नही रहता है कि किस किस बच्चे का वह पिता है | हलांकि कुत्ता कुत्तिया के द्वारा इंसानो का पालतु होने के बाद बहुत से उदाहरन अब मिल सकते हैं कि कुत्ता कुत्तिया भी घुम घुमकर बच्चा पैदा करने और कराने के बजाय स्थिर अपना परिवार बसाकर रह रहे हो , जो बिल्कुल मुमकिन है | जिसके कारन यह भी मुमकिन है कि कोई कुत्ता ये मेरा अपना बच्चा है जानकर उससे अपने बच्चा जैसा खास व्यवहार करते हुए उसका लालन पालन और सुरक्षा की जिम्मेवारी भी उसी तरह उठा रहा हो जैसे की इंसानो को परिवार समाज के बारे में ज्ञान होने के बाद नर नारी स्थिर परिवार बसाकर अपने बच्चे का लालन पालन करते हैं | जिससे पहले तो सिर्फ नारी ही अपने बच्चे का लालन पालन बड़े होने तक करती होगी और पुरुष सिर्फ एक के बाद दुसरी और दुसरी के बाद तीसरी को गर्भवती करते हुए आवारा भंवरा की तरह कई कई नारी को घुमते फिरते माँ बनाकर छोड़ देता होगा | जैसे की मनुवादी पुरुष भी इस कृषि प्रधान देश में घुमते फिरते प्रवेश करके परिवार समाज के बारे में जानने से पहले कई कई नारियों को माँ बनाकर छोड़कर आये होंगे | पर जैसे ही उसे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके विकसित परिवार समाज का ज्ञान हुआ तो भारत माता , भारत माता कहकर यहीं पर बसकर पुरी दुनियाँ को यह बताने लगा कि उसे भी अब पता हो गया है कि परिवार समाज क्या होता है | जिससे पहले उसे उसकी माँ और पत्नी कौन थी यह पता नही था | क्योंकि इस देश में प्रवेश करने से पहले वे सिर्फ पुरुष झुंड में घुमते फिरते माँ बनाते रहते थे , इसलिए सिर्फ यही पता रहता था कि उन्ही पुरुषो में कोई एक पुरुष ने उसे पैदा किया है | और चूँकि उनकी पुरुष झुँड में कोई महिला मौजुद नही होती थी , इसलिए कौन माँ ने उसे जन्म दी होगी यह जानने के लिए उस पुरुष झुँड में सभी पुरुष एक दुसरे की तरफ देखकर पता नही चल पा रहा होगा कि कौन किसकी माँ है | क्योंकि पता तो तब चलता जब उसे परिवार समाज का ज्ञान होता या फिर उसका परिवार कहीं पर स्थिर बसी रहती | जिसके बारे में पुरुष झुंड को पता रहता कि उसका परिवार कहाँ पर मौजुद है | क्योंकि प्राकृति ने नर नारी को इस तरह से बनाया ही है कि जबतक इंसान परिवार समाज के बारे में नही जान रहा होगा तबतक निश्चित रुप से कौन बच्चा किसका औलाद है यह बता पाना उसके लिए मुमकिन नही होगा | क्योंकि सिर्फ पारिवारिक और सामाजिक रिस्तो से ही पुरी तरह से मुमकिन हो पाता है कि कौन किसके बच्चे हैं | जैसे की आवारा कुत्तो को ये पता नही रहता है कि उसके बच्चे कौन है | लेकिन भी इंसानो द्वारा कुत्ते कुतियो का नसबंदी करने का अभियान चलाया जाता है | क्योंकि इंसानो को पता है कि आवारा कुत्ते कुत्तियाँ परिवार समाज नही बसाते हैं , लेकिन सेक्स इतने कुत्ते कुत्तियों से बसाते हैं कि मोहल्लो में आवारा कुत्ते कुत्तियों की सेक्स रेल गाड़ी , रेल गाड़ी ..करते हुए आपस में जुड़कर कभी कभी तो एक दर्जन से भी अधिक आवारा कुत्ते एक कुत्तियाँ के साथ सेक्स करने के लिए झुंड बनाकर आपस में लड़ते भिड़ते हुए इंसानो के लिए ऐसा डर माहौल बनाते हैं कि कब कौन हवशी कुत्ता खुले आम रास्तो में सेक्स करने के लिए घुमते फिरते उसे काट ले |  जिन आवारा कुत्तो के औलादो के बारे में यदि कभी पता लगाना पड़े तो फिर सभी आवारा कुत्तो का डीएनए जाँच से ही मुमकिन हो पायेगा कि कुत्तो में कौन किसका औलाद और कौन किसका पिता है ? क्योंकि उनका कोई स्थिर परिवार नही होता है | जिसके चलते आवारा कुत्ते कुत्तियाँ घुम घुमकर मानो अर्ध सतक और सतक लगाने की होड़ में इतने से सेक्स करते हैं कि यह बता पाना मुमकिन नही है कि कौन आवारा कुत्ता कुत्तिया किसके औलाद हैं | हाँ बच्चे को जन्म देकर अपने साथ बड़े होने तक रखे रहने तक उसकी माँ के बारे में जरुर बताया जा सकता है कि किस कुत्ते को  वह जन्म दी है | खासकर यदि जन्म देने और उसके द्वारा लालन पालन करते समय किसी ने देखा है या फिर जबतक अपनी माँ के साथ कोई कुत्ता कुत्तिया रह रहा हो | जो लालन पालन आवारा कुत्ते नही करते हैं , और न ही वे बच्चे को दुध पिलाते या रोटी बोटी लाकर देते हैं | बल्कि आवारा कुत्तियाँ भी उसके बच्चे बड़े होने के बाद भुल जाती होगी की आवारा पुरुष झुंड में कौन कुत्ता कुत्तिया उसके बच्चे हैं ?
जैसे कि मनुवादी को भी इस देश में प्रवेश करने से पहले जबतक परिवार समाज के बारे में नही पता होगा तबतक वह भी बिना परिवार बसाने वाला आवारा जानवरो की तरह ही सेक्स करता फिरता होगा | तभी तो इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद बाहर उसकी पत्नी और माँ कहाँ छुट गई यह मालुम नही था | मालुम रहता तो वह जरुर बताता कि इस देश में प्रवेश करने से पहले उसका परिवार समाज कहाँ पर छुट गया था | और न ही उसकी माँ और पत्नी को पता होगा कि उसके रिस्तेदार कहाँ गये या क्या करने गए हैं | और कब वापस आयेंगे इसकी खोज खबर से उन्हे कोई लेना देना होगा | और न ही पुरुष भी खोज खबर लिया होगा कि उसकी माँ पत्नी और बच्चे कैसे हैं | जो सब जानकारी लेना अब मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में आकर सिख चुका है | जिसके लिए उसने इस देश की महिलाओं को दासी बनाकर उनके साथ सुरुवात में तो जानवरो जैसा ही व्यवहार करके जबरजस्ती शारिरिक रिस्ता बनाया होगा उसके बाद ही धिरे धिरे उनको परिवार समाज के बारे में बुद्धी आना इस देश के लोगो के साथ रहते रहते सिख गया होगा | जिसे सिखकर इस देश की महिलाओं के साथ पारिवारिक रिस्ता जोड़कर धिरे धिरे समाज परिवार क्या होता है यह सिख गया होगा | जिसके बाद अब वह रोज अपने परिवार के बारे में भारत माता की जय , वंदे मातरम् कहकर परिवार समाज के प्रति गंभीर रहता है | बल्कि उसका परिवार समाज कैसा है ये भी जानकारी लेता रहता है जबसे उसे परिवार समाज का ज्ञान हुआ है | जैसे की गोरे अपने परिवार समाज के बारे में खोज खबर दो तीन सालो तक लेते रहे और अपने परिवार को लुटपाट का अन्न धन भेजते रहे | बल्कि अजादी के बाद अपने परिवार समाज के पास वापस भी लौट गए , क्योंकि उन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले ही परिवार समाज के बारे में पता था | और जो कोई दुसरे विदेशी वापस नही भी लौटे तो भी उन्हे पता है कि उनका परिवार समाज कहाँ से इस देश में प्रवेश किया है ? जो जानकारी मनुवादी को नही है , क्योंकि इस देश में प्रवेश से पहले उसे परिवार समाज के बारे में नही पता था | जिसके चलते उसे सराफत और भलाई क्या होता है यह भी इस देश में प्रवेश से पहले नही पता था | हाँ सराफत से किसी का भलाई कर दिया हो तो वह अलग बात है | जो सराफत किसी के भी औलाद का भलाई करते हुए दिखाई दे सकती है | लेकिन जैसे ही उसे परिवार समाज की जानकारी हो जाती है तो वह सिर्फ अपने बच्चे में ज्यादे सराफत और भलाई दिखाता है चाहे जानवर हो या फिर इंसान !  जैसे कि अभी कोरोना वायरस से बचने के लिए जो लोकडाउन चल रहा है उसमे सभी लोगो को सिर्फ अपने बच्चे की पेट और जिवन सुरक्षा ज्यादे होगी क्योंकि अभी का इंसान परिवार समाज को पुरी तरह से जान चुका है | हाँ उस परिवार समाज की जानकारी में यह भी जानकारी मौजुद है कि यदि अपने पास कुछ ज्यादा अन्न धन मौजुद हो तो इंसानियत के नाते दुसरे के भी बच्चे की जिवन सुरक्षित रहे इसका भी ध्यान जरुर देना चाहिए | 

The truth is that the Manuwadi who calls himself a priest of Hinduism is not a Hindu at all



The truth is that the Manuwadi who calls himself a priest of Hinduism is not a Hindu at all.
khoj123

सच तो यह है कि मनुवादी जो खुद को हिंदू धर्म का पुजारी कहता है, वह हिंदू नहीं है।


(sach to yah hai ki manuvaadee jo khud ko hindoo dharm ka pujaaree kahata hai, vah hindoo nahin hai)


यूरेशिया से आए मनुवादी आज भी इस देश के मुलनिवासियों को उनके अपने ही देश और अपने ही हिन्दू धर्म के बहुत से मंदिरो में प्रवेश न करने देने के लिए ये बोर्ड लगाकर रखते हैं कि "शुद्र मंदिर में प्रवेश न करें" | जिस भेदभाव के चलते पुरे विश्व में हिन्दू धर्म इस बात के लिए बदनाम है कि हिन्दू धर्म में छुवाछुत होता है | बजाय इसके कि मनुवादी अपने पुर्वज देवो की पुजा को हिंदू धर्म से न जोड़कर भले यह बोर्ड लगाते कि देव मंदिर में हिंदु प्रवेश न करें | क्योंकि सच्चाई यह है कि जो मनुवादी खुदको हिन्दू धर्म का पुजारी कहता है वह दरसल हिन्दू ही नही है | और न ही देव पुजा हिन्दू भगवान पुजा है | इसलिए वह देव मंदिरो में भगवान की पुजा करने वाले हिंदू को प्रवेश करने से रोकता है | मनुवादी दरसल देव का पुजारी है | लेकिन खुदको हिंदु धर्म का प्रमुख घोषित इसलिए किये हुए है , क्योंकि उन्हे हिंदू धर्म का खास लाभ लेते रहना है | जैसे कि विदेश से आनेवाले गोरे इंडियन नही थे लेकिन भी इंडिया से खास लाभ लेने के लिए खुदको इंडिया का प्रमुख बनाये हुए थे | जो जिस तरह इस देश में प्रवेश करके इस देश के लोगो को गुलाम बनाकर मारते पिटते और भेदभाव करते थे , उसी तरह यूरेशिया से आने वाले मनुवादी भी हिंदुओं को गुलाम बनाकर भेदभाव करने के साथ साथ मारते पिटते आ रहे हैं | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि मनुवादी आजतक भी उस मनुस्मृति सोच से बाहर नही निकल पाया है , जो उसे किसी को गुलाम दास दासी बनाने और शोषण अत्याचार करने का संस्कार देता है | जिसके चलते ही तो उन्होने मुल हिन्दूओं से हजारो सालो से अबतक छुवाछुत करना पुरी तरह से नही छोड़ पाया है | 


और न ही इस देश की महिलाओं को देव दासी बनाना छोड़ पाया है | 


मनुवादीयों के अंदर वैसे भी यहूदि डीएनए दौड़ रहा है , जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से साबित हो चुका है | जाहिर है जिस तरह यहूदि लोग हिन्दू नही हैं , उसी तरह विदेशी मुल का मनुवादी भी हिन्दू नही है | रही बात फिर वह हिंदु धर्म और सभ्यता संस्कृति में कैसे ढल गया है तो चूँकि जैसा कि हमे पता है कि मनुवादी यूरेशिया से लुटपाट की मकसद से पुरुष झुंड में इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके इस देश के मुलनिवासियों के परिवार में मौजुद महिलाओं से 
रिस्ता जोड़कर यहीं पर मानो घर जमाई बनकर अपना वंशवृक्ष बड़ा करके खुदकी पुजा कराने और विशेष लाभ लेने के लिए हिंदू धर्म में कब्जा कर लिया है | न कि वह बैंड बाजा बाराती की तरह इस देश में नाचते गाते हुए प्रवेश करके इस देश की महिलाओं को अपने साथ हसी खुशी यूरेशिया ले जाकर वहाँ की सभ्यता संस्कृति और धर्म से अवगत कराया है | बल्कि मनुवादी खुद इस देश की महिलाओं की मायके में रहकर उनकी सभ्यता संस्कृति और धर्म को या तो पुरी तरह से अपनाने की कोशिष कर रहा है या फिर विनाश करने की कोषिष कर रहा है | क्योंकि मनुवादी परिवार में मौजुद महिला इसी देश की मुलनिवासी है | जो बात भी डीएनए रिपोर्ट से साबित हो चूका है | क्योंकि मनुवादियों के परिवार में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए और इस देश की मुलनिवासियों के घरो में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए एक है , यह भी साबित हो चुका है | जिससे यह बात प्रमाणित होता है कि हजारो साल पहले मनुवादी कबिला पुरुष झुंठ बनाकर बैंड बाजा बराती बनकर प्रेम का रिस्ता जोड़ने नही आया था बल्कि वह लुटपाट और जोर जबरजस्ती कब्जा की नियत से ही इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किया था | क्योंकि उनके साथ कोई परिवारिक माहौल मौजुद नही था और न ही उनके साथ एक भी महिला मौजुद थी | जैसे कि गोरो के साथ भी उनके परिवार समाज मिल जुलकर इस देश में लुटपाट गुलाम बनाने नही आए थे | वैसे तो जिस तरह गोरे लुटपाट करके वापस अपने परिवार समाज के पास लौटे उस तरह मनुवादी चूँकि नही लौटा हैं , और न ही मनुवादीयों द्वारा अपने उस परिवार समाज के बारे में बतलाया है जिसे वे छोड़कर इस देश में प्रवेश किये थे , इसलिए मुमकिन है मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले परिवार समाज तो दुर कपड़ा पहनना भी नही जानते होंगे | जिसके चलते वे इस कृषि प्रधान देश में आकर यहाँ का कपड़ा पहना सिखकर कभी वापस अपने परिवार समाज के पास लौटने के बारे में सोचे ही नही , क्योंकि उन्हे परिवार समाज के बारे में पता ही नही था तो वे किस परिवार समाज के पास लौटते | 
रही बात फिर वे पैदा कैसे हुए तो इसका जवाब खुद मनुवादी ही उस समय अपनी अविकसित बुद्धी से दिया है जब वह इस कृषि प्रधान देश में आने के बाद धिरे धिरे इस देश की सभ्यता संस्कृति और भाषा सिखने के बाद हिंदू वेद पुराणो की तरह अपनी भी एक वेद मनुस्मृति रचना करके दिया है | जिसमे वह खुद अपनी नासमझी या नादानी के चलते हिन्दू वेद पुराण में मौजुद प्राकृति प्रमाणित ज्ञान बुद्धी वित्त और वीर रक्षक क्षेत्र जिसे वर्ण व्यवस्था कहा गया उसपर कब्जा जमाने के बाद इंसान जन्म के बारे में मानो यह जन्म प्रमाण पत्र बनाया कि ब्रह्मण पुरुष के मुँह से पैदा हुआ था , क्षत्रिय पुरुष छाती से पैदा हुआ था , और वैश्य यानी वित्त पुरुष जंघा से पैदा हुआ था और बाकि सब चरणो से पैदा हुए थे यह बताकर यह भी साबित करने की कोशिष किया है कि वाकई में उसे तब परिवार समाज के बारे में भी पता नही था | क्योंकि जो यह नही जानता कि इंसान का जन्म नारी योनी से होता है , उसे परिवार समाज के बारे में क्या पता होगा | जो जानकारी उसे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद ही मिला होगा कि इंसान का जन्म नारी योनी से होता है , न की पुरुष के मुँह वगैरा से होता है | क्योंकि प्राकृति ने पुरुष के शरिर में बच्चा पैदा करने के लिए योनी नही दिया है | और न ही पुरुष के मुँह कान वगैरा से कोई मासिक निकलता है | हाँ पुरुष के लिंग से वीर्य अथवा शुक्राणु जरुर निकलता है , जिसके जरिये वह किसी महिला को गर्भवती करता है , और वह बच्चे का पिता बनता है | जिस वीर्य के बगैर इंसान का जन्म नही हो सकता यह प्रमाणित सत्य है | और पुरुष अपने मुँह से बच्चा पैदा करेगा यह प्रमाणित सफेद झुठ है | जिसे नर नारी की सेक्स जिवन को समझने वाला कोई बच्चा भी जान सकता है कि बच्चे को पुरुष नही नारी जन्म देती है | जाहिर है न तो बिना नारी के पुरुष का जन्म हो सकता है , और न ही बिना नर के किसी नारी का जन्म हो सकता है | क्योंकि प्राकृति ने दोनो को ही एक दुसरे का पुरक बनाया है | और जो यह कहता है कि इंसान का जन्म में सिर्फ नारी का योगदान है या सिर्फ पुरुष का योगदान रहता है वह दरसल अविकसित मांसिकता का इंसान है , जिसकी बुद्धी का विकाश होते ही समझ जायेगा कि इंसान का जन्म के लिए नर नारी दोनो का योगदान होता है | न तो बिना अंडाणु का बच्चा पैदा हो सकता और न ही बिना शुक्राणु के बच्चा पैदा हो सकता है | बल्कि इंसान दुसरे किसी प्राणी से भी संभोग करके या कराके जेनेटिक माता पिता नही बन सकता | जो कि शाक्षात प्राकृति विज्ञान द्वारा प्रमाणित है | जिस शाक्षात प्राकृति की पुजा भगवान के रुप में हिंदू धर्म में होता है | जिसका पवित्र ग्रंथ वेद पुराणो में अपनी अविकसित बुद्धी से मनुवादीयों ने छेड़छाड़ और मिलावट किया है | जिसे सही करने पर हिंदू वेद पुराण प्राकृति विज्ञान पर अधारित प्रमाणित ज्ञान का सागर है , जिसमे मनुवादीयों ने गलत तरिके से डुबकी लगाकर गलत तरिके से उसे बांटने का कुकर्म किया है | जिसके चलते वे तो खुद डुबेंगे ही पर दुसरो को भी ले डुबेंगे यदि मनुवादीयों की बातो में विश्वास करके वेद पुराणो को मनस्मृति बुद्धी से समझने का प्रयाश किया जाय | जिससे बचने का सबसे आसान रास्ता है मनुवादीयों को हिंदू तबतक मत समझा जाय जबतक कि वे मनुस्मृति सोच से भेदभाव करना और वेद पुराणो का ज्ञान में मिलावट व छेड़छाड़ करके बांटना न छोड़ दे | और वैसे भी मनुवादीयों के भितर यहूदियों का डीएनए दौड़ रहा है यह डीएनए रिपोर्ट से प्रमाणित हो चुका है |

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

प्राण जाय पर वचन न जाय नही बल्कि हर रोज हजारो की प्राण जाय पर सरकार न जाय सोच की सरकार चल रही है



प्राण जाय पर वचन न जाय नही बल्कि हर रोज हजारो की प्राण जाय पर सरकार न जाय सोच की सरकार चल रही है
अबतक जितने लोग पुरे विश्व में कोरोनावायरस से मरे हैं ,उससे कहीं ज्यादे मौते प्रतिदिन गरिबी भुखमरी से पुरे विश्व में होती है , जिसमे एक तिहाई अबादी भारत की है | जो मौते पानी और कोरोनावायरस से होनेवाली मौते खुन है इस तरह की गंदी भावना मुझे तब लगती है जब गरिबी भुखमरी और लोकडाउन से हुई बेगारी से जो मौते हो रही है उसपर भी बात न करके सिर्फ कोरोना कोरोना रट्टा मारकर पुरी मनुवादी मीडिया मानो कोरोना मंत्र जपकर बाकि मौतो को छिपाकर वर्तमान की फेलियर सरकार की ढाल बनने की कोशिष कर रही है | पर चूँकि वह खुद भी अब इस देश शोषित पिड़ित प्रजा का ढाल नही बन पा रही है तो क्या अब लंबे समय तक मनुवादी सरकार का ढाल बनी रहेगी | क्योंकि असल में मनुवादियों का शासन का अंत होने वाला है इस 21वीं सदी में , जिस इतिहास को रचने से मनुवादी नही रोक सकते | क्योंकि उसकी शासनकाल का एक्सपायर समय 21वीं सदी है |
बार बार कोरोना वायरस पर भाषण देते हुए यह सरकार दरसल खुदकी फेलियर को छिपाने के लिए क्यों अपनी सरकारी शक्तियों का उपयोग कर रही है , इसे भी जानने के लिए सारे राज्यों के मुख्यमंत्री ही नही पुरे देश को वर्तमान की सरकार के नेताओं के द्वारा क्या कुछ कहा गया था उसे भी लोकडाउन के दौरान जरुर जाना जाय |

2014 ई० में जब भारी बहुमत से भाजपा सरकार दिल्ली पर बैठी उस समय एक डॉलर की किमत साठ रुपया थी , जो अब सत्तर रुपया से अधिक हो गया है | हलांकि 2014 ई० से पहले भी भाजपा की अटल शाईनिंग इंडिया सरकार बनी थी , जो पाँच साल दिल्ली की गद्दी पर बैठकर जब दुबारा से चुनाव हुई तो शाईनिंग इंडिया का नारा देकर भाजपा चुनाव हार गई |
जिससे पहले गोरो से अजादी मिलने के बाद जब कांग्रेस की सरकार दिल्ली पर बैठी थी उस समय एक रुपये और एक डॉलर की किमत बराबर थी | पर आधुनिक भारत गरिबी हटाओ का नारा देकर जैसे जैसे कांग्रेस सरकार लगातार चुनकर दिल्ली पर बैठती रही वैसे वैसे 2014 ई०  तक आने तक कांग्रेस सरकार ने विदेशी डॉलर का विकाश 1रुपया से 60 रुपया कर दिया और देशी रुपया को इतना निचे गिरा दिया कि रुपया दुबारा कभी उठ ही नही पाई है | जिसके बाद भाजपा ने शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया नारा देकर विदेशी डॉलर का विकाश 60 रुपया से 71 रुपया कर दिया है | यानी कांग्रेस भाजपा दोनो ने ही देशी रुपये को निचे गिराया है | और विदेशी डॉलर को उपर कर उठाया है | जिन पार्टियों की नेताओ ने डॉलर के उपर उठते हुए देखकर वर्तमान के हालात अनुसार अपने ही विरोध में बयान दिए हैं | जिसमे भाजपा के ही सुषमा स्वराज का कहना था कि 
"देश की मुद्रा के साथ देश की प्रतिष्ठा जुड़ि रहती है , इसलिए जैसे जैसे मुद्रा की किमत गिरती है वैसे वैसे देश की प्रतिष्ठा गिरती है " यानी सुषमा स्वराज के अनुसार भाजपा कांग्रेस दोनो ने ही देश की प्रतिष्ठा को बहुत निचे गिरा दिया है |
उसी तरह वर्तमान में दिल्ली में बैठे प्रधान सेवक का कहना था कि
"दिल्ली सरकार और रुपया के बिच प्रतियोगिता चल रही है कि किसकी इज्जत तेजी से गिरेगी !" 
जिसके अनुसार भी भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी ने देश की इज्जत गिराने में खुब प्रतियोगिता किया है | जो अब भी कर रहे हैं | जिस प्रतियोगिता के बारे में वर्तमान के प्रधान सेवक ने आगे और क्या बयान दिया था इसे भी सारांश में जान लिया जाय |
"देश का दुर्भाग्य है ,कि दिल्ली के शासको को न देश की रक्षा की चिंता है , न रुपये की किमत की चिंता है ,उन्हे अगर चिंता है ,तो कुर्सी बचाने के कार्यक्रमो की चिंता है ,कुर्सी बचाने के तौर तरिके क्या हो उसी में वो डुबे हुए हैं , और इसी के कारन आज देश के लिए वो कुछ सोच पायेंगे,डॉलर के सामने रुपया ताकत के साथ खड़ा हो ,इसके लिए कोई योजना कर पायेंगे , ये तो कुछ नजर नही आ रहा है | पिछले तीन महिने में जिस तेजी से रुपये की किमत टुटती गई है ,गिरावट आई है ,और दुसरी तरफ तीन महिने में सरकार की तरफ से एक भी कदम लिया गया हो , ऐसे कोई संकेत नजर नही आ रहे हैं ,और तब जाकर के देश को चिंता होना बहुत स्वभाविक है | और एकबार रुपया गिरता चला जा रहा हो गिरता चला जा रहा हो तो दुनियाँ की आर्थिक शक्तियाँ इसका भरपुर फायदा उठाती है | उसको भी रोकने में दिल्ली की सरकार पुरी तरह से विफल रही है | पिछले पाँच साल से लगातार हम सुनते आए हैं कि बस तीन महिने में महंगाई कम होगी , तीन महिने में महंगाई कम होगी , पिछले पाँच साल में सौ बार दिल्ली के किसी न किसी राष्ट्रीय स्तर के सरकार के नेताओ ने देश को आश्वाशन दिया ,महंगाई भी रोक नही पाये ,यानी कोई ऐसा क्षेत्र ऐसा हो जिसमे कोई विश्वास से कह सके कि इन्होने कुछ करने की कोशिष की कहीं कुछ नजर नही आ रहा है | तब जाकरके कल्पना के बहार का बहुत बड़ा संकट आज देश के सामने खड़ा हुआ है |"
जिस तरह के भाषण को यदि वर्तमान के समय में हर रोज प्रजा को मीडिया और बाकि भी माध्यनो के जरिये हर रोज सुनाया जाय तो निश्चित तौर पर ये दोनो ही भाजपा कांग्रेस सरकार भष्मासुर साबित होगी जिसे सरकार बनने का वरदान बार बार मिला पर वह खुद ही अपनी भाषनो से भष्म हो जायेगी यदि कोई इनके भाषणो को इनके ही मंच से बार बार दोहरा कर इनसे सवाल जवाब करे कि ये भाषण किस सरकार के लिए दिया जा रहा है ?
जिस तरह के भाषण देने के बाद हर साल दो करोड़ को रोजगार देने का वचन लेकर भी वर्तमान की भाजपा सरकार भारी बहुमत से चुनकर 2014 ई० में आई थी जो अपना पाँच साल का कार्यकाल पुरा करने के बावजुद भी एक करोड़ को भी रोजगार नही दे पाई | यानी भाजपा के द्वारा दिए गए वचन कि हर साल दो करोड़ को रोजगार देगी झुठे वचन साबित हुए | जिससे पहले की कांग्रेस सरकार गरिबी हटाओ वचन लेकर साठ सालो तक शासन करके भी गरिबी तो दुर गरिबी रेखा से निचे की बीपीएल जैसे बुरे हालात को भी नही हटा पाई है | ये सरकारे सिर्फ वचन लेकर वचन तोड़ते आ रही है | जाहिर है ऐसी सरकार के नेतृत्व में करोड़ो नौजवान वह भी पढ़े लिखे उच्च डिग्री लिये नौजवान भी जब बेरोजगार हो तो इस देश में गरिबी भुखमरी समाप्त तबतक होना नामुमकिन है , जबतक कि वचन निभाने वाली सरकार न आ जाय | जो सरकार दिल्ली की गद्दी में बैठकर अपने उन वचनो को पुरा करने के लिए अपनी प्राण तक नौछावर कर दे जिससे की प्रजा की प्राण जुड़ी हुई है | जैसे कि अन्न जल से सबका प्राण जुड़ा हुआ है | न कि मंदिर मस्जिद और चर्च से जुड़ा हुआ है | पर अन्न जल में ध्यान न देकर ज्यादेतर मंदिर मस्जिद चर्च बनाने में ध्यान दिया जा रहा है | लाखो मंदिर मस्जिद चर्च बनाने की विकाश इतनी तेजी से हो रहा है कि आज चाहे शहर हो या ग्राम सभी जगह चाहे स्कूल अस्पताल बल्कि रहने के लिए करोड़ो लोगो के पास क्यों न घर भी न हो और वे खुले में सोकर जिवन गुजारा कर रहे हो पर मंदिर मस्जिद और चर्च बनाने का विकाश तेजी से चल रहा है | क्योंकि इन मंदिर मस्जिद चर्च में हर साल कई कई लाख करोड़ रुपये दान जमा हो रहे हैं , जिसके माध्यम से मंदिर मस्जिद और चर्च का निर्माण तेजी से हो रहा है | जिन मंदिर मस्जिद और चर्चो में इतने भव्य मंदिरें भी हैं जिस खर्च से हजारो लाखो बेघर लोगो की घर बनाई जा सकती थी | रही बात भगवान की घर का तो भगवान के लिए तो पुरी सृष्टी ही घर है | मैं उन नकली भगवानो कि बात नही कर रहा हूँ जिनके पास भी लिंग योनी मौजुद था और वे भी इंसानो से सेक्स करके इंसान पैदा करते थे और मरते थे | जो अब जिवित मौजुद नही हैं नही तो उनकी निर्जिव मुर्ति और तस्वीर को मंदिरो में नही रखी जाती | जिन भगवानो के लिए अनेको मंदिर मस्जिद और चर्च बनाकर भगवान हम तुम्हारे लिए इस पृथ्वी में घर बना रहे हैं जिसमे तुम हम इंसानो के लिये रहना यह कहकर लाखो मंदिर मस्जिद चर्च बनाकर आपस में मंदिर मस्जिद चर्च के नाम से लड़कर अपनी प्राण गवाना मुझे तो बचपन में बच्चो के द्वारा बालु मिट्टी का घरौंदा बनाकर नकली घर घर खेलते समय आपस में ही एक दुसरे का घरौंदा को तोड़कर असली लड़ाई लड़ने जैसे हालात से भी ज्यादे बचपना लगता है | जिस तरह की लड़ाई और मंदिर मस्जिद चर्च की बड़ौतरी और विकाश से गरिबी भुखमरी दुर नही हो सकती और न ही बेरोजगारी दुर होगी | दुर होती तो पुरी दुनियाँ में जो हर रोज 25000 लोग गरिबी भुखमरी से मर जाते हैं उनकी मौत को ये मंदिर मस्जिद और चर्च जरुर रोक देती | क्योंकि मुझे पुरा यकिन है इन मंदिर मस्जिद और चर्चो में सबसे अधिक गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन जी रहे लोग ही अपनी बुरे हालात में चमत्कारी सुधार हो इसकी उम्मीद करके जाते हैं | क्योंकि अपने अपने धर्मो से जोड़ने के लिए जो धर्म परिवर्तन का मानो प्रतियोगिता लंबे समय से चल रहा है उसमे गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन जी रहे लोगो को ही सबसे अधिक जोड़ा जा रहा है उनकी दुःख दर्द दुर करने की झुठी अश्वाशन और प्रवचन करके | जिन गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन जिते हुए सबसे अधिक धर्म परिवर्तन करके सबसे अधिक संख्या में मंदिर मस्जिद चर्च जाने के बावजुद भी अफसोस इन्ही लोगो की असमय मौत पुरी दुनियाँ में हर रोज सबसे अधिक हो रही है | हाँ यदि इन मंदिर मस्जिद और चर्च के नाम से जो धन संपदा दान वगैरा के नाम से जमा होता जा रहा है उसे यदि गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी को दुर करने के लिए प्रजा का धन संपदा प्रजा के ही  बुरे दिनो की सुधार के लिए खर्च कर दिया जाता तो निश्चित तौर पर न हर रोज पुरे विश्व में पचीस हजार लोग गरिबी भुखमरी से मरते और न ही इतनी बेरोजगारी रहती | मसलन इस देश के हिन्दू मंदिरो के बारे में कहीं पर जानकारी बतलाया जा रहा था कि मंदिरो में इतना सोना मौजुद है कि उसे यदि राष्ट्रीय संपत्ती घोषित कर दिया जाय तो एक झटके में एक डॉलर एक रुपये के बराबर हो जायेगी | बल्कि रुपया डॉलर को भी पार कर जायेगी | वैसे तो मैं डॉलर और रुपये की प्रतियोगिता को विकाश का सही पैमाना नही मानता हूँ , क्योंकि यदि ये पैमाना सही होता तो देश जब गोरो से गुलाम था उस समय एक डॉलर और एक रुपया बराबर था | आज एक रुपये और एक डॉलर की दौड़ में औसतन उम्र से भी अधिक मुल्य रुपये की तुलना में डॉलर पार कर गया है | क्योंकि एक डॉलर के लिए इस देश को अब 71₹ देना पड़ रहा है | यानि यदि यह देश या इस देश के लोगो द्वारा रुपया की किमत बड़ने से पहले ही विदेशीयो से कर्ज लिया होगा तो अब वह कर्ज देने वाला विदेशी को कर्ज के बदले सुध अथवा ब्याज से ज्यादा वसुली डॉलर का मुल्य बड़ने से कर रहा होगा | क्योंकि यदि कोई एक रुपया कर्ज लिया होगा और उसका ब्याज माफ हो जायेगा तो भी उसे बिना सुध अथवा ब्याज दिये भी 1₹ के बदले 71₹ वापस करना पड़ेगा | यानी आज यदि कोई भारतीय कोई विदेशी सामान खरिदने का मन बनाता है तो सरकार उस सामान को 71गुणा ज्यादे मुल्य चुकाकर विदेशो से आयात करती है | जो आयात करने के लिए सालोभर विदेशी दौरा में ज्यादा ध्यान देने के बजाय यदि भाजपा और कांग्रेस दोनो ही सरकार जमिन से जुड़ी हुई कार्यो में ज्यादे ध्यान देती तो आज इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में हर रोज हजारो लोगो की मौत गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे मुल समस्याओ से नही होती | बल्कि ऐसे बुरे दिनो में सरकार द्वारा अपने किये गए गरिबी हटाओ और हर साल दो करोड़ को रोजगार देने जैसे वचनो को निभाने में सरकार यदि अपनी प्राण भी नौछावर कर देती तो भी इतिहास में कम से कम इसके लिये जरुर याद की जाती की प्राण जाय पर वचन न जाय विचारो को जो सरकार फोलो करने की बाते करती थी वह सचमुच में प्राण जाय पर वचन न जाय वाली सरकार सिद्ध हुई , भले लाखो करोड़ो प्रजा का प्राण भी नही बचा पाई और गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे मुल समस्याओ से भी बाहर न निकाल पाई | वैसे ऐसे खास वचनो को भी न निभाने और इन सरकारो के वचन फर्जी अथवा झुठे साबित  होने की वजह से चारो ओर गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसी मुल समस्याओ से हर रोज हजारो लोगो की प्राण जाना निश्चित है | क्योंकि ये सरकार प्राण जाय पर वचन न जाय नही बल्कि हर रोज हजारो की प्राण जाय पर सरकार न जाय इसके लिए ये सरकार चुनाव भी फर्जी तरिके से करा रही है | जिसकी गवाही ये सरकार खुद कैसे देती है इसकी झांकी वर्तमान के प्रधान सेवक के पहले के बयानो के बारे में जानकर पता चलता है जब यह कहा जाता था कि 

"भाईयो बहनो ये दुनियाँ के पढ़े लिखे देश भी जब चुनाव होता है न तो बैलेट पेप्पर पर नाम पढ़करके ठपा मारते हैं आज भी "

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...