maan bahan ek karana gaalee ka matalab kya hota hai?



maan bahan ek karana gaalee ka matalab kya hota hai?
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माँ बहन एक करना गाली का मतलब क्या होता है?


 अक्सर जानवरो में माँ बेटे बाप बेटी भी आपस में संभोग करते हुए देखे जा सकते हैं | जिसे देखने वाले किसी परिवार समाज के बारे में जानने वाले इंसान को पता है कि कौन जानवर किसके औलाद है तो वह जरुर बता सकता है कि जानवरो में माँ बेटे या फिर बाप बेटी सेक्स कर रहे हैं | खासकर सुवरो में तो इस तरह की माँ बहन एक करने का सेक्स प्रक्रिया आम है | क्योंकि सुवर के बच्चे जवान होने से पहले ही अपनी ही माँ के उपर चहड़कर सेक्स का ट्रेनिंग लेते हुए दिख जाते हैं | जिसे यदि प्रयोगिक रुप से किसी को देखनी हो तो गुगल सर्च मारकर किसी इंसान को जानवरो की तरह सेक्स करते हुए देखने के बजाय किसी आवारा सुवरो की झुंड जहाँ पर गु खाते हुए गुं गुं करते हुए गंदगी में जिवन गुजारा कर रहे होते हैं , उन जगहो में जाकर किसी सुवर के बच्चो की टोली को अपने माँ के साथ दिनभर घुमते और किचड़ो में नहाते हुए देख लेना , देर तक उनकी दिनचर्या पर नजर रखने पर कभी न कभी सुवर के बच्चे अपनी माँ में चहड़कर सेक्स की ट्रेनिंग लेते हुए जरुर दिख जायेंगे | पर अफसोस इस तरह की माँ बेटे और बाप बेटी का सेक्स चलन जानवरो के साथ साथ कुछ इंसानो में भी मौजुद है | जिसके बारे में गुगल सर्च करके पता लगाया जा सकता है | जिस गंदे अपरिवारिक और असमाजिक रिस्ते को ही गाली ग्लोज की भाषा में माँ बहन एक करना कहा जाता है | जिसका मतलब साफ है कि जब कोई पुरुष किसी महिला से सेक्स करके जिन बच्चो का पिता बनता है , उस बच्ची के साथ भी वह सेक्स करता है | अथवा अपनी पत्नी और बेटी दोनो के साथ संभोग करता है | जिसके चलते चूँकि उस बच्ची के जो भाई रहता है , उसके लिए माँ बहन एक हो जाते हैं | क्योंकि उसकी माँ भी उसके पिता के साथ सेक्स करती है , और उसकी बहन भी उसके पिता के साथ सेक्स करती है | जिस तरह की जानवरपन गंदगी इंसानो के भितर से जैसे जैसे दुर होती गई वैसे वैसे समाज परिवार विकसित हुआ है | जिससे पहले तो जब इंसान सुवरो कि तरह झुंड में रहकर सिर्फ इसी तरह के माँ बहन एक करने की रिस्तो को निभाता होगा तो उस समय निश्चित तौर पर परिवार समाज क्या होता है इसके बारे में उसे नही पता होगा | हाँ सेक्स करने के बारे में उसे वर्तमान में परिवार समाज को बेहत्तर समझने वाले इंसानो से भी ज्यादे बेहत्तर जरुर पता होता होगा | जिसके चलते ऐसे जानवरो की तरह सेक्स करने वाले कुछ इंसानो के बारे में उसके द्वारा सेक्स जानकारी बांटते समय आज भी अक्सर उसके द्वारा यह बतलाया जाता है कि उसने कुत्ता सेक्स , बंदर सेक्स , सुवर सेक्स वगैरा किया है | क्योंकि वह खुद ही कबुल करता है कि वह इंसानो वाला सेक्स नही बल्कि जानवरो वाला सेक्स किया है | जो दरसल अबतक भी उसके अंदर जानवरपन मौजुद है , यह खुद ही दर्शा देता है | जिस तरह के ही इंसानो में माँ बहन एक करने की जानवरपन आज भी मौजुद है | क्योंकि इंसान जब परिवार समाज के बारे में नही जानता होगा उस समय वह किसी आवारा कुत्ता कुत्तिया की तरह ही घुम घुमकर कई कई के साथ सेक्स करने या करवाने जरुर जानता था पर वह माँ बहन जैसे अलग कई रिस्तो के बारे में नही जानता था | विकसित परिवार समाज क्या होता है यह जानकारी उसे पता नही था | जिसके चलते तब के इंसानो में मौजुद न तो किसी नारी को कई कई के साथ सेक्स कराने के बावजुद भी पेट में किसका बच्चा पल रहा है यह जानकारी होती होगी और न ही कई कई महिला से सेक्स करने वाले पुरुष को ये पता रहता होगा कि उसके आस पास उसके वीर्य के कितने बच्चे घुम रहे हैं , जिसका वह डीएनए प्रमाणित पिता है | जैसे की कई कई आवारा कुत्तियों के साथ रेल गाड़ी रेल गाड़ी डब्बो कि तरह आपस में जुड़कर सेक्स की भुख मिटाने वाले आवारा कुत्तो को पता नही रहता है कि किस किस बच्चे का वह पिता है | हलांकि कुत्ता कुत्तिया के द्वारा इंसानो का पालतु होने के बाद बहुत से उदाहरन अब मिल सकते हैं कि कुत्ता कुत्तिया भी घुम घुमकर बच्चा पैदा करने और कराने के बजाय स्थिर अपना परिवार बसाकर रह रहे हो , जो बिल्कुल मुमकिन है | जिसके कारन यह भी मुमकिन है कि कोई कुत्ता ये मेरा अपना बच्चा है जानकर उससे अपने बच्चा जैसा खास व्यवहार करते हुए उसका लालन पालन और सुरक्षा की जिम्मेवारी भी उसी तरह उठा रहा हो जैसे की इंसानो को परिवार समाज के बारे में ज्ञान होने के बाद नर नारी स्थिर परिवार बसाकर अपने बच्चे का लालन पालन करते हैं | जिससे पहले तो सिर्फ नारी ही अपने बच्चे का लालन पालन बड़े होने तक करती होगी और पुरुष सिर्फ एक के बाद दुसरी और दुसरी के बाद तीसरी को गर्भवती करते हुए आवारा भंवरा की तरह कई कई नारी को घुमते फिरते माँ बनाकर छोड़ देता होगा | जैसे की मनुवादी पुरुष भी इस कृषि प्रधान देश में घुमते फिरते प्रवेश करके परिवार समाज के बारे में जानने से पहले कई कई नारियों को माँ बनाकर छोड़कर आये होंगे | पर जैसे ही उसे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके विकसित परिवार समाज का ज्ञान हुआ तो भारत माता , भारत माता कहकर यहीं पर बसकर पुरी दुनियाँ को यह बताने लगा कि उसे भी अब पता हो गया है कि परिवार समाज क्या होता है | जिससे पहले उसे उसकी माँ और पत्नी कौन थी यह पता नही था | क्योंकि इस देश में प्रवेश करने से पहले वे सिर्फ पुरुष झुंड में घुमते फिरते माँ बनाते रहते थे , इसलिए सिर्फ यही पता रहता था कि उन्ही पुरुषो में कोई एक पुरुष ने उसे पैदा किया है | और चूँकि उनकी पुरुष झुँड में कोई महिला मौजुद नही होती थी , इसलिए कौन माँ ने उसे जन्म दी होगी यह जानने के लिए उस पुरुष झुँड में सभी पुरुष एक दुसरे की तरफ देखकर पता नही चल पा रहा होगा कि कौन किसकी माँ है | क्योंकि पता तो तब चलता जब उसे परिवार समाज का ज्ञान होता या फिर उसका परिवार कहीं पर स्थिर बसी रहती | जिसके बारे में पुरुष झुंड को पता रहता कि उसका परिवार कहाँ पर मौजुद है | क्योंकि प्राकृति ने नर नारी को इस तरह से बनाया ही है कि जबतक इंसान परिवार समाज के बारे में नही जान रहा होगा तबतक निश्चित रुप से कौन बच्चा किसका औलाद है यह बता पाना उसके लिए मुमकिन नही होगा | क्योंकि सिर्फ पारिवारिक और सामाजिक रिस्तो से ही पुरी तरह से मुमकिन हो पाता है कि कौन किसके बच्चे हैं | जैसे की आवारा कुत्तो को ये पता नही रहता है कि उसके बच्चे कौन है | लेकिन भी इंसानो द्वारा कुत्ते कुतियो का नसबंदी करने का अभियान चलाया जाता है | क्योंकि इंसानो को पता है कि आवारा कुत्ते कुत्तियाँ परिवार समाज नही बसाते हैं , लेकिन सेक्स इतने कुत्ते कुत्तियों से बसाते हैं कि मोहल्लो में आवारा कुत्ते कुत्तियों की सेक्स रेल गाड़ी , रेल गाड़ी ..करते हुए आपस में जुड़कर कभी कभी तो एक दर्जन से भी अधिक आवारा कुत्ते एक कुत्तियाँ के साथ सेक्स करने के लिए झुंड बनाकर आपस में लड़ते भिड़ते हुए इंसानो के लिए ऐसा डर माहौल बनाते हैं कि कब कौन हवशी कुत्ता खुले आम रास्तो में सेक्स करने के लिए घुमते फिरते उसे काट ले |  जिन आवारा कुत्तो के औलादो के बारे में यदि कभी पता लगाना पड़े तो फिर सभी आवारा कुत्तो का डीएनए जाँच से ही मुमकिन हो पायेगा कि कुत्तो में कौन किसका औलाद और कौन किसका पिता है ? क्योंकि उनका कोई स्थिर परिवार नही होता है | जिसके चलते आवारा कुत्ते कुत्तियाँ घुम घुमकर मानो अर्ध सतक और सतक लगाने की होड़ में इतने से सेक्स करते हैं कि यह बता पाना मुमकिन नही है कि कौन आवारा कुत्ता कुत्तिया किसके औलाद हैं | हाँ बच्चे को जन्म देकर अपने साथ बड़े होने तक रखे रहने तक उसकी माँ के बारे में जरुर बताया जा सकता है कि किस कुत्ते को  वह जन्म दी है | खासकर यदि जन्म देने और उसके द्वारा लालन पालन करते समय किसी ने देखा है या फिर जबतक अपनी माँ के साथ कोई कुत्ता कुत्तिया रह रहा हो | जो लालन पालन आवारा कुत्ते नही करते हैं , और न ही वे बच्चे को दुध पिलाते या रोटी बोटी लाकर देते हैं | बल्कि आवारा कुत्तियाँ भी उसके बच्चे बड़े होने के बाद भुल जाती होगी की आवारा पुरुष झुंड में कौन कुत्ता कुत्तिया उसके बच्चे हैं ?
जैसे कि मनुवादी को भी इस देश में प्रवेश करने से पहले जबतक परिवार समाज के बारे में नही पता होगा तबतक वह भी बिना परिवार बसाने वाला आवारा जानवरो की तरह ही सेक्स करता फिरता होगा | तभी तो इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद बाहर उसकी पत्नी और माँ कहाँ छुट गई यह मालुम नही था | मालुम रहता तो वह जरुर बताता कि इस देश में प्रवेश करने से पहले उसका परिवार समाज कहाँ पर छुट गया था | और न ही उसकी माँ और पत्नी को पता होगा कि उसके रिस्तेदार कहाँ गये या क्या करने गए हैं | और कब वापस आयेंगे इसकी खोज खबर से उन्हे कोई लेना देना होगा | और न ही पुरुष भी खोज खबर लिया होगा कि उसकी माँ पत्नी और बच्चे कैसे हैं | जो सब जानकारी लेना अब मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में आकर सिख चुका है | जिसके लिए उसने इस देश की महिलाओं को दासी बनाकर उनके साथ सुरुवात में तो जानवरो जैसा ही व्यवहार करके जबरजस्ती शारिरिक रिस्ता बनाया होगा उसके बाद ही धिरे धिरे उनको परिवार समाज के बारे में बुद्धी आना इस देश के लोगो के साथ रहते रहते सिख गया होगा | जिसे सिखकर इस देश की महिलाओं के साथ पारिवारिक रिस्ता जोड़कर धिरे धिरे समाज परिवार क्या होता है यह सिख गया होगा | जिसके बाद अब वह रोज अपने परिवार के बारे में भारत माता की जय , वंदे मातरम् कहकर परिवार समाज के प्रति गंभीर रहता है | बल्कि उसका परिवार समाज कैसा है ये भी जानकारी लेता रहता है जबसे उसे परिवार समाज का ज्ञान हुआ है | जैसे की गोरे अपने परिवार समाज के बारे में खोज खबर दो तीन सालो तक लेते रहे और अपने परिवार को लुटपाट का अन्न धन भेजते रहे | बल्कि अजादी के बाद अपने परिवार समाज के पास वापस भी लौट गए , क्योंकि उन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले ही परिवार समाज के बारे में पता था | और जो कोई दुसरे विदेशी वापस नही भी लौटे तो भी उन्हे पता है कि उनका परिवार समाज कहाँ से इस देश में प्रवेश किया है ? जो जानकारी मनुवादी को नही है , क्योंकि इस देश में प्रवेश से पहले उसे परिवार समाज के बारे में नही पता था | जिसके चलते उसे सराफत और भलाई क्या होता है यह भी इस देश में प्रवेश से पहले नही पता था | हाँ सराफत से किसी का भलाई कर दिया हो तो वह अलग बात है | जो सराफत किसी के भी औलाद का भलाई करते हुए दिखाई दे सकती है | लेकिन जैसे ही उसे परिवार समाज की जानकारी हो जाती है तो वह सिर्फ अपने बच्चे में ज्यादे सराफत और भलाई दिखाता है चाहे जानवर हो या फिर इंसान !  जैसे कि अभी कोरोना वायरस से बचने के लिए जो लोकडाउन चल रहा है उसमे सभी लोगो को सिर्फ अपने बच्चे की पेट और जिवन सुरक्षा ज्यादे होगी क्योंकि अभी का इंसान परिवार समाज को पुरी तरह से जान चुका है | हाँ उस परिवार समाज की जानकारी में यह भी जानकारी मौजुद है कि यदि अपने पास कुछ ज्यादा अन्न धन मौजुद हो तो इंसानियत के नाते दुसरे के भी बच्चे की जिवन सुरक्षित रहे इसका भी ध्यान जरुर देना चाहिए | 

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