प्राण जाय पर वचन न जाय नही बल्कि हर रोज हजारो की प्राण जाय पर सरकार न जाय सोच की सरकार चल रही है



प्राण जाय पर वचन न जाय नही बल्कि हर रोज हजारो की प्राण जाय पर सरकार न जाय सोच की सरकार चल रही है
अबतक जितने लोग पुरे विश्व में कोरोनावायरस से मरे हैं ,उससे कहीं ज्यादे मौते प्रतिदिन गरिबी भुखमरी से पुरे विश्व में होती है , जिसमे एक तिहाई अबादी भारत की है | जो मौते पानी और कोरोनावायरस से होनेवाली मौते खुन है इस तरह की गंदी भावना मुझे तब लगती है जब गरिबी भुखमरी और लोकडाउन से हुई बेगारी से जो मौते हो रही है उसपर भी बात न करके सिर्फ कोरोना कोरोना रट्टा मारकर पुरी मनुवादी मीडिया मानो कोरोना मंत्र जपकर बाकि मौतो को छिपाकर वर्तमान की फेलियर सरकार की ढाल बनने की कोशिष कर रही है | पर चूँकि वह खुद भी अब इस देश शोषित पिड़ित प्रजा का ढाल नही बन पा रही है तो क्या अब लंबे समय तक मनुवादी सरकार का ढाल बनी रहेगी | क्योंकि असल में मनुवादियों का शासन का अंत होने वाला है इस 21वीं सदी में , जिस इतिहास को रचने से मनुवादी नही रोक सकते | क्योंकि उसकी शासनकाल का एक्सपायर समय 21वीं सदी है |
बार बार कोरोना वायरस पर भाषण देते हुए यह सरकार दरसल खुदकी फेलियर को छिपाने के लिए क्यों अपनी सरकारी शक्तियों का उपयोग कर रही है , इसे भी जानने के लिए सारे राज्यों के मुख्यमंत्री ही नही पुरे देश को वर्तमान की सरकार के नेताओं के द्वारा क्या कुछ कहा गया था उसे भी लोकडाउन के दौरान जरुर जाना जाय |

2014 ई० में जब भारी बहुमत से भाजपा सरकार दिल्ली पर बैठी उस समय एक डॉलर की किमत साठ रुपया थी , जो अब सत्तर रुपया से अधिक हो गया है | हलांकि 2014 ई० से पहले भी भाजपा की अटल शाईनिंग इंडिया सरकार बनी थी , जो पाँच साल दिल्ली की गद्दी पर बैठकर जब दुबारा से चुनाव हुई तो शाईनिंग इंडिया का नारा देकर भाजपा चुनाव हार गई |
जिससे पहले गोरो से अजादी मिलने के बाद जब कांग्रेस की सरकार दिल्ली पर बैठी थी उस समय एक रुपये और एक डॉलर की किमत बराबर थी | पर आधुनिक भारत गरिबी हटाओ का नारा देकर जैसे जैसे कांग्रेस सरकार लगातार चुनकर दिल्ली पर बैठती रही वैसे वैसे 2014 ई०  तक आने तक कांग्रेस सरकार ने विदेशी डॉलर का विकाश 1रुपया से 60 रुपया कर दिया और देशी रुपया को इतना निचे गिरा दिया कि रुपया दुबारा कभी उठ ही नही पाई है | जिसके बाद भाजपा ने शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया नारा देकर विदेशी डॉलर का विकाश 60 रुपया से 71 रुपया कर दिया है | यानी कांग्रेस भाजपा दोनो ने ही देशी रुपये को निचे गिराया है | और विदेशी डॉलर को उपर कर उठाया है | जिन पार्टियों की नेताओ ने डॉलर के उपर उठते हुए देखकर वर्तमान के हालात अनुसार अपने ही विरोध में बयान दिए हैं | जिसमे भाजपा के ही सुषमा स्वराज का कहना था कि 
"देश की मुद्रा के साथ देश की प्रतिष्ठा जुड़ि रहती है , इसलिए जैसे जैसे मुद्रा की किमत गिरती है वैसे वैसे देश की प्रतिष्ठा गिरती है " यानी सुषमा स्वराज के अनुसार भाजपा कांग्रेस दोनो ने ही देश की प्रतिष्ठा को बहुत निचे गिरा दिया है |
उसी तरह वर्तमान में दिल्ली में बैठे प्रधान सेवक का कहना था कि
"दिल्ली सरकार और रुपया के बिच प्रतियोगिता चल रही है कि किसकी इज्जत तेजी से गिरेगी !" 
जिसके अनुसार भी भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी ने देश की इज्जत गिराने में खुब प्रतियोगिता किया है | जो अब भी कर रहे हैं | जिस प्रतियोगिता के बारे में वर्तमान के प्रधान सेवक ने आगे और क्या बयान दिया था इसे भी सारांश में जान लिया जाय |
"देश का दुर्भाग्य है ,कि दिल्ली के शासको को न देश की रक्षा की चिंता है , न रुपये की किमत की चिंता है ,उन्हे अगर चिंता है ,तो कुर्सी बचाने के कार्यक्रमो की चिंता है ,कुर्सी बचाने के तौर तरिके क्या हो उसी में वो डुबे हुए हैं , और इसी के कारन आज देश के लिए वो कुछ सोच पायेंगे,डॉलर के सामने रुपया ताकत के साथ खड़ा हो ,इसके लिए कोई योजना कर पायेंगे , ये तो कुछ नजर नही आ रहा है | पिछले तीन महिने में जिस तेजी से रुपये की किमत टुटती गई है ,गिरावट आई है ,और दुसरी तरफ तीन महिने में सरकार की तरफ से एक भी कदम लिया गया हो , ऐसे कोई संकेत नजर नही आ रहे हैं ,और तब जाकर के देश को चिंता होना बहुत स्वभाविक है | और एकबार रुपया गिरता चला जा रहा हो गिरता चला जा रहा हो तो दुनियाँ की आर्थिक शक्तियाँ इसका भरपुर फायदा उठाती है | उसको भी रोकने में दिल्ली की सरकार पुरी तरह से विफल रही है | पिछले पाँच साल से लगातार हम सुनते आए हैं कि बस तीन महिने में महंगाई कम होगी , तीन महिने में महंगाई कम होगी , पिछले पाँच साल में सौ बार दिल्ली के किसी न किसी राष्ट्रीय स्तर के सरकार के नेताओ ने देश को आश्वाशन दिया ,महंगाई भी रोक नही पाये ,यानी कोई ऐसा क्षेत्र ऐसा हो जिसमे कोई विश्वास से कह सके कि इन्होने कुछ करने की कोशिष की कहीं कुछ नजर नही आ रहा है | तब जाकरके कल्पना के बहार का बहुत बड़ा संकट आज देश के सामने खड़ा हुआ है |"
जिस तरह के भाषण को यदि वर्तमान के समय में हर रोज प्रजा को मीडिया और बाकि भी माध्यनो के जरिये हर रोज सुनाया जाय तो निश्चित तौर पर ये दोनो ही भाजपा कांग्रेस सरकार भष्मासुर साबित होगी जिसे सरकार बनने का वरदान बार बार मिला पर वह खुद ही अपनी भाषनो से भष्म हो जायेगी यदि कोई इनके भाषणो को इनके ही मंच से बार बार दोहरा कर इनसे सवाल जवाब करे कि ये भाषण किस सरकार के लिए दिया जा रहा है ?
जिस तरह के भाषण देने के बाद हर साल दो करोड़ को रोजगार देने का वचन लेकर भी वर्तमान की भाजपा सरकार भारी बहुमत से चुनकर 2014 ई० में आई थी जो अपना पाँच साल का कार्यकाल पुरा करने के बावजुद भी एक करोड़ को भी रोजगार नही दे पाई | यानी भाजपा के द्वारा दिए गए वचन कि हर साल दो करोड़ को रोजगार देगी झुठे वचन साबित हुए | जिससे पहले की कांग्रेस सरकार गरिबी हटाओ वचन लेकर साठ सालो तक शासन करके भी गरिबी तो दुर गरिबी रेखा से निचे की बीपीएल जैसे बुरे हालात को भी नही हटा पाई है | ये सरकारे सिर्फ वचन लेकर वचन तोड़ते आ रही है | जाहिर है ऐसी सरकार के नेतृत्व में करोड़ो नौजवान वह भी पढ़े लिखे उच्च डिग्री लिये नौजवान भी जब बेरोजगार हो तो इस देश में गरिबी भुखमरी समाप्त तबतक होना नामुमकिन है , जबतक कि वचन निभाने वाली सरकार न आ जाय | जो सरकार दिल्ली की गद्दी में बैठकर अपने उन वचनो को पुरा करने के लिए अपनी प्राण तक नौछावर कर दे जिससे की प्रजा की प्राण जुड़ी हुई है | जैसे कि अन्न जल से सबका प्राण जुड़ा हुआ है | न कि मंदिर मस्जिद और चर्च से जुड़ा हुआ है | पर अन्न जल में ध्यान न देकर ज्यादेतर मंदिर मस्जिद चर्च बनाने में ध्यान दिया जा रहा है | लाखो मंदिर मस्जिद चर्च बनाने की विकाश इतनी तेजी से हो रहा है कि आज चाहे शहर हो या ग्राम सभी जगह चाहे स्कूल अस्पताल बल्कि रहने के लिए करोड़ो लोगो के पास क्यों न घर भी न हो और वे खुले में सोकर जिवन गुजारा कर रहे हो पर मंदिर मस्जिद और चर्च बनाने का विकाश तेजी से चल रहा है | क्योंकि इन मंदिर मस्जिद चर्च में हर साल कई कई लाख करोड़ रुपये दान जमा हो रहे हैं , जिसके माध्यम से मंदिर मस्जिद और चर्च का निर्माण तेजी से हो रहा है | जिन मंदिर मस्जिद और चर्चो में इतने भव्य मंदिरें भी हैं जिस खर्च से हजारो लाखो बेघर लोगो की घर बनाई जा सकती थी | रही बात भगवान की घर का तो भगवान के लिए तो पुरी सृष्टी ही घर है | मैं उन नकली भगवानो कि बात नही कर रहा हूँ जिनके पास भी लिंग योनी मौजुद था और वे भी इंसानो से सेक्स करके इंसान पैदा करते थे और मरते थे | जो अब जिवित मौजुद नही हैं नही तो उनकी निर्जिव मुर्ति और तस्वीर को मंदिरो में नही रखी जाती | जिन भगवानो के लिए अनेको मंदिर मस्जिद और चर्च बनाकर भगवान हम तुम्हारे लिए इस पृथ्वी में घर बना रहे हैं जिसमे तुम हम इंसानो के लिये रहना यह कहकर लाखो मंदिर मस्जिद चर्च बनाकर आपस में मंदिर मस्जिद चर्च के नाम से लड़कर अपनी प्राण गवाना मुझे तो बचपन में बच्चो के द्वारा बालु मिट्टी का घरौंदा बनाकर नकली घर घर खेलते समय आपस में ही एक दुसरे का घरौंदा को तोड़कर असली लड़ाई लड़ने जैसे हालात से भी ज्यादे बचपना लगता है | जिस तरह की लड़ाई और मंदिर मस्जिद चर्च की बड़ौतरी और विकाश से गरिबी भुखमरी दुर नही हो सकती और न ही बेरोजगारी दुर होगी | दुर होती तो पुरी दुनियाँ में जो हर रोज 25000 लोग गरिबी भुखमरी से मर जाते हैं उनकी मौत को ये मंदिर मस्जिद और चर्च जरुर रोक देती | क्योंकि मुझे पुरा यकिन है इन मंदिर मस्जिद और चर्चो में सबसे अधिक गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन जी रहे लोग ही अपनी बुरे हालात में चमत्कारी सुधार हो इसकी उम्मीद करके जाते हैं | क्योंकि अपने अपने धर्मो से जोड़ने के लिए जो धर्म परिवर्तन का मानो प्रतियोगिता लंबे समय से चल रहा है उसमे गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन जी रहे लोगो को ही सबसे अधिक जोड़ा जा रहा है उनकी दुःख दर्द दुर करने की झुठी अश्वाशन और प्रवचन करके | जिन गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन जिते हुए सबसे अधिक धर्म परिवर्तन करके सबसे अधिक संख्या में मंदिर मस्जिद चर्च जाने के बावजुद भी अफसोस इन्ही लोगो की असमय मौत पुरी दुनियाँ में हर रोज सबसे अधिक हो रही है | हाँ यदि इन मंदिर मस्जिद और चर्च के नाम से जो धन संपदा दान वगैरा के नाम से जमा होता जा रहा है उसे यदि गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी को दुर करने के लिए प्रजा का धन संपदा प्रजा के ही  बुरे दिनो की सुधार के लिए खर्च कर दिया जाता तो निश्चित तौर पर न हर रोज पुरे विश्व में पचीस हजार लोग गरिबी भुखमरी से मरते और न ही इतनी बेरोजगारी रहती | मसलन इस देश के हिन्दू मंदिरो के बारे में कहीं पर जानकारी बतलाया जा रहा था कि मंदिरो में इतना सोना मौजुद है कि उसे यदि राष्ट्रीय संपत्ती घोषित कर दिया जाय तो एक झटके में एक डॉलर एक रुपये के बराबर हो जायेगी | बल्कि रुपया डॉलर को भी पार कर जायेगी | वैसे तो मैं डॉलर और रुपये की प्रतियोगिता को विकाश का सही पैमाना नही मानता हूँ , क्योंकि यदि ये पैमाना सही होता तो देश जब गोरो से गुलाम था उस समय एक डॉलर और एक रुपया बराबर था | आज एक रुपये और एक डॉलर की दौड़ में औसतन उम्र से भी अधिक मुल्य रुपये की तुलना में डॉलर पार कर गया है | क्योंकि एक डॉलर के लिए इस देश को अब 71₹ देना पड़ रहा है | यानि यदि यह देश या इस देश के लोगो द्वारा रुपया की किमत बड़ने से पहले ही विदेशीयो से कर्ज लिया होगा तो अब वह कर्ज देने वाला विदेशी को कर्ज के बदले सुध अथवा ब्याज से ज्यादा वसुली डॉलर का मुल्य बड़ने से कर रहा होगा | क्योंकि यदि कोई एक रुपया कर्ज लिया होगा और उसका ब्याज माफ हो जायेगा तो भी उसे बिना सुध अथवा ब्याज दिये भी 1₹ के बदले 71₹ वापस करना पड़ेगा | यानी आज यदि कोई भारतीय कोई विदेशी सामान खरिदने का मन बनाता है तो सरकार उस सामान को 71गुणा ज्यादे मुल्य चुकाकर विदेशो से आयात करती है | जो आयात करने के लिए सालोभर विदेशी दौरा में ज्यादा ध्यान देने के बजाय यदि भाजपा और कांग्रेस दोनो ही सरकार जमिन से जुड़ी हुई कार्यो में ज्यादे ध्यान देती तो आज इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में हर रोज हजारो लोगो की मौत गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे मुल समस्याओ से नही होती | बल्कि ऐसे बुरे दिनो में सरकार द्वारा अपने किये गए गरिबी हटाओ और हर साल दो करोड़ को रोजगार देने जैसे वचनो को निभाने में सरकार यदि अपनी प्राण भी नौछावर कर देती तो भी इतिहास में कम से कम इसके लिये जरुर याद की जाती की प्राण जाय पर वचन न जाय विचारो को जो सरकार फोलो करने की बाते करती थी वह सचमुच में प्राण जाय पर वचन न जाय वाली सरकार सिद्ध हुई , भले लाखो करोड़ो प्रजा का प्राण भी नही बचा पाई और गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे मुल समस्याओ से भी बाहर न निकाल पाई | वैसे ऐसे खास वचनो को भी न निभाने और इन सरकारो के वचन फर्जी अथवा झुठे साबित  होने की वजह से चारो ओर गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसी मुल समस्याओ से हर रोज हजारो लोगो की प्राण जाना निश्चित है | क्योंकि ये सरकार प्राण जाय पर वचन न जाय नही बल्कि हर रोज हजारो की प्राण जाय पर सरकार न जाय इसके लिए ये सरकार चुनाव भी फर्जी तरिके से करा रही है | जिसकी गवाही ये सरकार खुद कैसे देती है इसकी झांकी वर्तमान के प्रधान सेवक के पहले के बयानो के बारे में जानकर पता चलता है जब यह कहा जाता था कि 

"भाईयो बहनो ये दुनियाँ के पढ़े लिखे देश भी जब चुनाव होता है न तो बैलेट पेप्पर पर नाम पढ़करके ठपा मारते हैं आज भी "

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