Stay indoors to escape Corona and stay out to avoid earthquakes, but what to do to avoid Bhasmasura?
Stay indoors to escape Corona and stay out to avoid earthquakes, but what to do to avoid Bhasmasura?
कोरोना से बचने के लिए घर के अंदर रहें और भूकंप से बचने के लिए बाहर रहें, लेकिन भस्मासुर से बचने के लिए क्या करें?
(korona se bachane ke lie ghar ke andar rahen aur bhookamp se bachane ke lie baahar rahen, lekin bhasmaasur se bachane ke lie kya karen?)
कोरोना से बचने के लिये घर में रहो और और भुकंप से बचने के लिए बाहर रहो, पर गरिबो को सताकर और शोषण अत्याचार करके नर्क जाने वालो से बचने के लिए उनके जिवित रहने तक चाहे बाहर रहो या अंदर रहो वे ऐसे आत्मघाती भस्मासुर हैं जो रक्षक बनकर भी पिच्छे पड़े रहेंगे | जिस तरह के भस्मासुरों की वजह से ही तो रक्षको से भी डरने लगी है निर्दोश प्रजा | जिन रक्षको को प्रजा के दिमाक से रक्षको के प्रति डर और भय का माहौल कभी न बन सके इसके लिए रक्षक अपने बिच मौजुद रक्षक के भेष में छुपे उन भेड़ियों को पहचानकर उनकी खाल उतारकर उन्हे जनता के सामने बेनकाब किया जाय उनकी उन कुकर्मो को जिसे करने के लिये उन्हे मानो सोची समझी साजिश के तहत सुपारी देकर भेजा जा रहा है | जिन भेड़ियों के रहते बाहर से आनेवाली कोरोना वायरस का डर और आतंक में बड़ौतरी तो होगी ही पर उससे भी ज्यादे खतरनाक डर और आतंक उन भस्मासुरो से बड़ता जा रहा है जो की इस देश के रक्षको का खाल ओड़कर प्रजा को डराने और आतंकित करने के लिए दंगई माहौल पैदा करने की फुल तैयारी कर रहे हैं | जो देश के अंदर ही मौजुद हैं | बाहर से आनेवाले कोरोना वायरस तो हाल फिलहाल में आतंक फैला रहा है , पर देश के अंदर का भ्रष्ट वायरस बहुत पहले से आतंक फैला रहा है | जो कि कोरोना वायरस से भी ज्यादे खतरनाक साबित हो सकता है यदि कोरोना वायरस की वजह से जो लॉकडाउन किया गया है , उसका लाभ लेते हुए लॉकडाउन से कमजोर हो रहे प्रजा का शिकार करने लगे | बल्कि शिकार करना सुरु भी कर दिया है , चाहे वह रक्षको के बिच खाल ओड़कर या फिर अस्पतालो वगैरा में डॉक्टरो के बिच खाल ओड़कर कर रहा है | जिसका परिणाम ये आयेगा कि अस्पतालो में इलाज में भी भेदभाव और गुंडागर्दी सुरु हो जायेगा और रक्षको के बिच भी गुंडागर्दी सुरु होकर लॉकडाउन से कमजोर पड़ी प्रजा का भक्षण सुरु हो जायेगा | जिससे सैकड़ो निर्दोश जनता मालिक की तो मौत होगी पर एक भी मंत्री और उच्च अधिकारी नौकर की मौत नही होगी | जबकि इस देश की धन संपदा पर जितना अधिकार सरकार का है उतना अधिकार प्रजा का भी है | पर अजाद भारत का संविधान लागु होकर गणतंत्र शासन होते हुए भी प्रजा ही हर रोज अनगिनत की संख्या में बदहाली और गरिबी भुखमरी से क्यों मर रहा है ? कोरोना वायरस ही नही बल्कि एक भी मंत्री और उच्च अधिकारियों की मौत गरिबी भुखमरी से क्यों नही हो रही है ? क्योंकि गणतंत्र में भ्रष्ट राजनीति पुरी तरह से हावी है | जिस तरह की गंदी राजनीति जबतक कायम रहेगी तबतक तो कोरोना वायरस भी ऐसी गंदी राजनीति करने वालो के लिए मानो भ्रष्ट प्रमोशन लेकर आती है | जिससे बचाव के लिए एक एक नागरिको में कितना खर्च किया जा रहा है , और उन्हे कितनी आर्थिक सहायता दिया जा रहा है , यह तो लॉकडाउन से भुखो मर रहे गरिब मजदूरो की जुबान से ही सुनाई और दिखाई देती है जब वे यह कहते हैं कि लॉकडाउन में यदि वे और अधिक ज्यादे दिनो तक इसी तरह शहर में बिना काम धँधा किये कैद रहे तो वे कोरोना वायरस से तो नही मरेंगे पर भुखो जरुर मर जायेंगे | जिसके चलते लाखो गरिब मजदूर शहर से अपने ग्राम की ओर कई कई किलोमिटर पैदल चलकर भी जा रहे हैं | जिन्हे उनके घरो तक सुरक्षित पहुँचाने का भी इंतजाम सरकार के पास नही है | लेकिन अपने साथ मुफ्त में अपने खास करिबियों को विदेश यात्रा कराने के लिए खास हवा हवाई सुविधा मौजुद है | भले उस जहाज से कोरोना वायरस साथ में यात्रा करते हुए इस देश में प्रवेश कर जाय | गरिबी भुखमरी दुर करने के नाम से सरकारी धन जमकर लुटाकर अपने लिए लाखो करोड़ो खर्च करके अपनी भोग विलाश करोड़ो की विदेश यात्रा जिवन तो हर रोज चलती रहती है , पर उसी सरकारी धन या फिर गरिबी भुखमरी दुर करने के नाम से कर्ज या सहायता द्वारा लाया गया धन से गरिबी भुखमरी दुर नही होती है | हलांकि नाम मात्र के लिए थोड़ी बहुत खर्च गरिबो के लिए भी सरकारी धन जरुर खर्च की जाती है | ताकि गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करने के लिए कर्ज या सहायता द्वारा लाया गया धन को खर्च करते समय यह दिखाया जा सके कि लाया गया धन सचमुच में गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करने के लिए हो रहा है | लेकिन उसपर भी यह बतलाया जाता है कि गरिबो का धन को भी ये गुप्त रुप से मांसिक गरिबी भुखमरी का शिकार भ्रष्टाचारी सेवक अपने जनता मालिक को एक तरफ से सप्लाई करते हैं , तो दुसरी तरफ से मानो घड़ा में छेद करके पानी निकालने के जैसा सरकारी अन्न धन गरिबो तक आते आते उसपर भी आधा से अधिक हाथ साफ करते हैं | वह भी तब जबकि उन्हे सरकारी तनख्वा और बहुत सारी सरकारी सुख सुविधा मिलती है | लेकिन भी चूँकि मनुवादी शासन में भ्रंष्टतंत्र का शिकार खुद भी होते होते जो लोग खुदको मांसिक तौर पर मजबुत नही कर पाते हैं , उन्हे सरकारी सेवक बनते बनते मांसिक भुखड़पन की ऐसी बिमारी हो जाती है कि नौकर बनते ही मानो किसी लंबी उपवास के बाद अचानक से खाने पर टुट पड़ने के जैसा अपने पद का गलत उपयोग करते हुए भ्रष्टाचार करने के लिए टुट पड़ते हैं | जिसके बाद उनका कालाधन का गुफा खुल जा सिमसिम कहते हुए भरने लगता है | जिससे की उनकी आने वाली नई पिड़ी भी किसी जेनेटिक बिमारी की तरह पिड़ी दर पिड़ी भ्रष्टाचार की परंपरा को आगे बड़ाते हुए कालाधन का सुध खाती रहती है | और जिसका कोई परिवार नही होता है वह अपनी अली बाबा चालीस चोर लुटेरी गैंग को परिवार मानकर उनके लिए खुल जा सिमसिम कहकर कालाधन इकठा करने लगता है | जिस तरह का लुटपाट के बाद सैकड़ो चुहे खाकर बिल्ली हज या तीर्थयात्रा को चली हालात की तरह खुब सारा बड़े बड़े पाप और भ्रष्टाचार करके कैसे खुदको गरिबो की सेवा करने वाला समाज सुधारक घोषित किया जाय इसका उन्हे भरपुर लाभ कमाने का बेहत्तर अवसर कोरोना जैसे वायरस भी लेकर आता है | जिससे सैकड़ो प्रजा की तो मौत होगी पर एक भी मंत्री और उच्च अधिकारी की मौत नही होगी | क्योंकि जनता मालिक की सेवा सुरक्षा सिर्फ नाम मात्र के लिए हो रहा है , पर मंत्री और उच्च पदो में बैठे नौकरो की सेवा सुरक्षा में हर रोज जमकर धन लुटाया जा रहा है , ताकि उनकी जिवन बुढ़ापा में भी कांपते हुए सारी सुख सुविधा का लाभ लेता रहे | जबकि जनता मालिक के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को भी अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान के लिए भी अजादी के इतने सालो बाद भी सिर्फ भाषण अश्वासन सुनना पड़े की आधुनिक भारत डीजिटल इंडिया हो गया है | अब सबकी जिवन में अच्छे दिन आ गए हैं | ऐसे अच्छे दिन जिसमे कोई भ्रष्ट मंत्री भी मरे तो उसके लिए दो मिनट का मौन ऐसे रखा जाता है , जैसे की उसके मरने से देश को बहुत बड़ा हानि हो गया है | और हर रोज सैकड़ो हजारो प्रजा भुख और गरिबी से मर रहे हैं , जिससे देश को बहुत बड़ा हानि नही हो रहा है | जिन गरिबो की मौत के लिए जो भी भ्रष्ट सेवक जिम्मेवार है , ऐसे भ्रष्ट सेवक पर इतिहास गर्व नही बल्कि शर्म करेगा कि ये सिर्फ बार बार तो झुठे वादे और अश्वासन देकर सरकार तो बनाये हैं , पर आजतक गरिबी भुखमरी को जड़ से समाप्त करने के बारे में कभी गंभिर ही नही हुए हैं | सिर्फ उन्हे धन्ना कुबेरो की गुप्त गरिबी भुखमरी को दुर करने के लिये हर साल जमकर सरकारी धन लुटाते रहना है | और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देकर उन्हे जमकर शराब शबाब का लुप्त देश विदेश के बड़े बड़े महलो और होटलो में उठवाते रहना है | जिससे लोकतंत्र मजबुत नही बल्कि गुलाम शासन की तरफ जाती है , जिसमे प्रजा शासक के खिलाफ सड़को में उतरकर आंदोलन संघर्ष करती है | बल्कि मैं तो कहुँगा अजाद भारत का संविधान लागु होने के बावजुद भी मनुवादीयों द्वारा गुलाम शासन ही चल रहा है | क्योंकि ये मनुवादी चूँकि इस देश के मुलनिवासी नही हैं , इसलिए इस देश और इस देश के मुलनिवासियों को हमेशा के लिए गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं | जिसके लिये वे घर के भेदियों का भरपुर साथ ले रहे हैं | जिन घर के भेदियों से भी इस देश के उन शोषित पिड़ितो को पुर्ण अजादी चाहिए जिनके नाम से घर के भेदी वोट और सहायता लेकर मनुवादियों का साथ देकर अपने लिए सारी सुख सुविधा और भोग विलाश का इंतजाम तो कर लेते हैं , पर अपने ही डीएनए के शोषित पिड़ितो के लिए गाँधी का तीन बंदर बन जाते हैं | जिस तरह के बुरे दिनो के लिए इंसानो द्वारा परिवार और समाज की खोज करने के बाद गणतंत्र की खोज नही हुई थी , बल्कि गणतंत्र की स्थापना देश और प्रजा की सेवा और सुरक्षा में और अधिक मजबुती प्रदान करने के लिए हुआ है | जिसे वे लोग ठीक से समझ ही नही सकते जिन्हे जमिन से जुड़े हुए रहने का खास अनुभव नही है | जैसे की मनुवादी जिन्हे आजतक भी जमिन से जुड़े रहने का अनुभव इस कृषि प्रधान देश की मिट्टी का अन्न जल ग्रहन करके भी हजारो साल बाद भी अबतक भष्म मनुस्मृति का ही भुत सवार रहता है | जिसे उतारने के लिए मनुवादी को गणतंत्र के बारे में सेवा भावना अपने भितर जगाना जरुरी है | खासकर यदि उन्हे भी वाकई में वैसा विकसित इंसान बनना है , जिससे इंसानियत और पर्यावरण को ज्यादे खतरा नही है | क्योंकि परिवार समाज के बाद जन्मा एक और नई खोज जानकारी गणतंत्र है | जिस गणतंत्र में सरकार चुनी जाती है | जिस सरकार को इंसानो ने देश परिवार समाज और पर्यावरण की भी सुरक्षा करने के लिए अपने वैसे सेवक के तौर पर बनाया है , जो देश और प्रजा की सेवा और सुरक्षा के साथ साथ पर्यावरण का भी रक्षा जैसे खास कार्य करती है | जिस कार्य और सेवा के बदले प्रजा सरकार को ऐसी बहुत सी सुख सुविधा बल्कि बहुत सारी ऐसी अन्न धन का मोल भी चुकाती है , जिसका गलत उपयोग करके विशेष लाभ लेने के लिए मनुवादी शासन में आजकल तो ऐसी ऐसी भ्रष्टाचार होड़ लग गई है कि प्रजा सेवा के नाम से भ्रष्टाचार करने अथवा लुटने चोरी करने के लिए भी लोग राजनीति में आने लगे हैं | जिस तरह के भ्रष्टाचारी सेवक नेता या सरकारी अधिकारी के लिए सेवा करना सिर्फ दिखावा है | जो असल में सरकारी पद का लाभ लेकर गाड़ी बंगला नौकर चाकर समेत अन्य किमती सुख सुविधा का लाभ लेकर लुटपाट भ्रष्टाचार और भोग विलाश करते हुए प्रजा को गरिबी भुखमरी से मरते हुए सिर्फ बहस करके खुद अति खा खाकर पेट फटने से मर रहे हैं | और अपने जनता मालिक को गरिबी भुखमरी में मरने के लिए छोड़ दे रहे हैं | जिसके चलते वर्तमान की राजनिती इतनी गंदी हो चुकि है कि प्रजा की गरिबी भुखमरी के बारे में बहस होकर उस गरिबी भुखमरी को अपने कार्यकाल में समाप्त करना तो दुर यदि मंत्री और अधिकारी भरपुर खाते पिते और सरकारी सुख सुविधा का भरपुर लाभ लेते हुए अपना जिवन भी समाप्त कर दे तो भी ऐसी भ्रष्ट राजनीति से तो गरिबी भुखमरी दुर कभी नही होगी जबतक की ऐसी बेहत्तर राजनीति का जन्म न हो जिसमे की प्रजा का मौत यदि गरिबी भुखमरी से हर रोज हजारो की संख्या में हो रहा हो तो कम से कम कोई एक दो मंत्री प्रधानमंत्री या उच्च अधिकारी की भी मौत गरिबी भुखमरी से जरुर हो , और उनके लिए भी बीपीएल कार्ड और प्रधानमंत्री आवास के रुप में एक दो कमरो का गरिब बीपीएल घर मिले ऐसा संतुलन देखने को मिले | कम से कम तबतक जबतक की गरिबी भुखमरी वाकई में जड़ से न दुर हो जाय | ताकि मंत्री और अधिकारियों के उपर भी यदि गरिबी भुखमरी का मार पड़े तो वे जिस तरह अभी लाखो की सुख सुविधा और तनख्वा मिलते हुए भी अपनी तनख्वा और सुख सुविधा का प्रमोशन लगातार करवाते रहते हैं , उसी तरह गरिबी भुखमरी को दुर करने पर भी खुदके पिठ में भी गरिबी भुखमरी का डंडा पड़ने पर गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करने पर खास ध्यान प्रयोगिक तौर पर दिया जा सके | न की सिर्फ गरिबी हटाओ और डीजिटल इंडिया का नारा देकर खुद तो सारी सुख सुविधा का लाभ लेते हुए अति खा खाकर मरते रहे और हजारो नागरिक हर रोज गरिबी भुखमरी से मरते रहे | जिसके बारे में जाननी हो तो विश्व भुखमरी रिपोर्ट अनुसार प्रतिदिन पुरे विश्व में जो मौते गरिबी भुखमरी से होती है उसमे एक तिहाई अबादी इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले कृषि प्रधान देश में होती है | वह भी तब जबकि इस देश में भ्रष्टाचार बदहाली और झुठी शान के चलते हर साल इतना भोजन बर्बाद कर दिया जाता है , जितना की इस देश को गुलाम करने वाला देश ब्रिटेन में पुरा साल का भोजन खाया जाता है | जिसे क्या कहा जाय कि विकसित देश की सरकार जितना खाना अपनी समृद्ध प्रजा को खिलाते हैं , उतना खाना इस गरिब देश की मनुवादी सरकार गरिब प्रजा को न देकर फैंक या फैंकवा देती हैं ! क्योंकि इस कृषि प्रधान देश के गणतंत्र को अभी पुरी अजादी नही मिली है उन मनुवादीयों से जिन्हे प्रजा को गुलाम बनाकर झुठी शान की जिवन जिना सबसे सुखमई लगता है | भले जिवन के अंतिम क्षणो में वे सारी जिवन की पाप कुकर्मो की सजा ही क्यों न इतिहास में बार बार छुवा छुत भेदभाव शोषण अत्याचार थु थु करके झेले , जिसे देख सुनकर उनकी नई पिड़ि को तो कम से कम मन में विचार करनी चाहिए थी कि ऐसी झुठी शान की मौत वे न मरे जिसमे उनकी भी मौत के बाद उसी तरह थु थु हो जैसा की पिछली गुलाम परजिवी सोच का भ्रष्ट इतिहास पलटकर होता है | क्योंकि भविष्य में भी जब वर्तमान में हो रहे कुकर्मो का इतिहास खोदा जायेगा और वर्तमान के बड़े बड़े कुकर्मो को भी खंगाला जायेगा तो उसमे से भी इतनी गंदगी निकलेगी की उस गंदगी के आगे पुरी दुनियाँ की मल मुत्र की गंदगी कुछ भी नही ! जिस कुकर्म को करने वाले मन की गंदगी के लिए कभी शौचालय भी तो नही बनाया जा सकता है | और न ही ऐसे गंदे इतिहास को परमाणु कचड़ा की तरह मोटी मजबुत धातु का दिवार बनाकर ढका जा सकता है | सिवाय इसके की इस तरह की भ्रष्ट सोच की भ्रष्ट इतिहास को दोहराने से पहले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों की नई पिड़ी पुरानी भ्रष्ट सोच को शौच की तरह अपने मन से निकालकर अपने मन की सफाई कर लें | जिसके लिए गणतंत्र की सेवा बेहत्तर माध्यम हो सकता है | जिसके माध्यम से प्रजा की ऐसी सेवा हो की प्रजा पिड़ी दर पिड़ी याद करे कि कोई सेवक सरकार ऐसा भी था जिसकी सेवा सुरक्षा से किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से होने से पहले ही उसतक आर्थिक और अन्न जल की मदत खोजते हुए बिना कोई भेदभाव किये पहुँच जाती थी | जो फिलहाल तो गरिबी भुखमरी से मर रहा जनता मालिक सरकार की आर्थिक सहायता और अन्न जल खोजता रहता है सरकारी कार्यालय और सरकारी नौकरो का घर घर भटकते हुए | क्योंकि हमे यह बात नही भुलनी चाहिए की आजतक गरिब बीपीएल का ऐसा लिस्ट भी तैयार नही हो पाया है कि उसे जानकर कोई निश्चित हो जाय कि इतने लोगो को अब गरिबी भुखमरी से छुटकारा चाहिए ! क्योंकि अब भी लाखो करोड़ो लोग ऐसे हैं जिनके पास गरिब बीपीएल राशन कार्ड मौजुद नही है | फिर भी इस गरिब देश में मुठिभर धन्ना कुबेर और मंत्री अधिकारी जिस तरह की रहिसी जिवन जी रहे हैं उन्हे सरकारी अन्नाज की वैसे भी जरुरत कभी पड़ती ही नही है | हलांकि उन्हे सरकारी धन से इतना सारा मदत और सब्सिडी बल्कि धन्ना कुबेरो को तो इतना अधिक सरकारी छुट और माफी हर साल मिलता है कि उस राशि से लाखो करोड़ो गरिब बीपीएल को जिन्हे अभी आधा पेट सरकारी राशन मिलता है , और कभी नही भी मिलता है , उसमे बड़ौतरी होकर पेटभर खाना मिलने लगे !
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