The truth is that the Manuwadi who calls himself a priest of Hinduism is not a Hindu at all



The truth is that the Manuwadi who calls himself a priest of Hinduism is not a Hindu at all.
khoj123

सच तो यह है कि मनुवादी जो खुद को हिंदू धर्म का पुजारी कहता है, वह हिंदू नहीं है।


(sach to yah hai ki manuvaadee jo khud ko hindoo dharm ka pujaaree kahata hai, vah hindoo nahin hai)


यूरेशिया से आए मनुवादी आज भी इस देश के मुलनिवासियों को उनके अपने ही देश और अपने ही हिन्दू धर्म के बहुत से मंदिरो में प्रवेश न करने देने के लिए ये बोर्ड लगाकर रखते हैं कि "शुद्र मंदिर में प्रवेश न करें" | जिस भेदभाव के चलते पुरे विश्व में हिन्दू धर्म इस बात के लिए बदनाम है कि हिन्दू धर्म में छुवाछुत होता है | बजाय इसके कि मनुवादी अपने पुर्वज देवो की पुजा को हिंदू धर्म से न जोड़कर भले यह बोर्ड लगाते कि देव मंदिर में हिंदु प्रवेश न करें | क्योंकि सच्चाई यह है कि जो मनुवादी खुदको हिन्दू धर्म का पुजारी कहता है वह दरसल हिन्दू ही नही है | और न ही देव पुजा हिन्दू भगवान पुजा है | इसलिए वह देव मंदिरो में भगवान की पुजा करने वाले हिंदू को प्रवेश करने से रोकता है | मनुवादी दरसल देव का पुजारी है | लेकिन खुदको हिंदु धर्म का प्रमुख घोषित इसलिए किये हुए है , क्योंकि उन्हे हिंदू धर्म का खास लाभ लेते रहना है | जैसे कि विदेश से आनेवाले गोरे इंडियन नही थे लेकिन भी इंडिया से खास लाभ लेने के लिए खुदको इंडिया का प्रमुख बनाये हुए थे | जो जिस तरह इस देश में प्रवेश करके इस देश के लोगो को गुलाम बनाकर मारते पिटते और भेदभाव करते थे , उसी तरह यूरेशिया से आने वाले मनुवादी भी हिंदुओं को गुलाम बनाकर भेदभाव करने के साथ साथ मारते पिटते आ रहे हैं | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि मनुवादी आजतक भी उस मनुस्मृति सोच से बाहर नही निकल पाया है , जो उसे किसी को गुलाम दास दासी बनाने और शोषण अत्याचार करने का संस्कार देता है | जिसके चलते ही तो उन्होने मुल हिन्दूओं से हजारो सालो से अबतक छुवाछुत करना पुरी तरह से नही छोड़ पाया है | 


और न ही इस देश की महिलाओं को देव दासी बनाना छोड़ पाया है | 


मनुवादीयों के अंदर वैसे भी यहूदि डीएनए दौड़ रहा है , जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से साबित हो चुका है | जाहिर है जिस तरह यहूदि लोग हिन्दू नही हैं , उसी तरह विदेशी मुल का मनुवादी भी हिन्दू नही है | रही बात फिर वह हिंदु धर्म और सभ्यता संस्कृति में कैसे ढल गया है तो चूँकि जैसा कि हमे पता है कि मनुवादी यूरेशिया से लुटपाट की मकसद से पुरुष झुंड में इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके इस देश के मुलनिवासियों के परिवार में मौजुद महिलाओं से 
रिस्ता जोड़कर यहीं पर मानो घर जमाई बनकर अपना वंशवृक्ष बड़ा करके खुदकी पुजा कराने और विशेष लाभ लेने के लिए हिंदू धर्म में कब्जा कर लिया है | न कि वह बैंड बाजा बाराती की तरह इस देश में नाचते गाते हुए प्रवेश करके इस देश की महिलाओं को अपने साथ हसी खुशी यूरेशिया ले जाकर वहाँ की सभ्यता संस्कृति और धर्म से अवगत कराया है | बल्कि मनुवादी खुद इस देश की महिलाओं की मायके में रहकर उनकी सभ्यता संस्कृति और धर्म को या तो पुरी तरह से अपनाने की कोशिष कर रहा है या फिर विनाश करने की कोषिष कर रहा है | क्योंकि मनुवादी परिवार में मौजुद महिला इसी देश की मुलनिवासी है | जो बात भी डीएनए रिपोर्ट से साबित हो चूका है | क्योंकि मनुवादियों के परिवार में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए और इस देश की मुलनिवासियों के घरो में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए एक है , यह भी साबित हो चुका है | जिससे यह बात प्रमाणित होता है कि हजारो साल पहले मनुवादी कबिला पुरुष झुंठ बनाकर बैंड बाजा बराती बनकर प्रेम का रिस्ता जोड़ने नही आया था बल्कि वह लुटपाट और जोर जबरजस्ती कब्जा की नियत से ही इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किया था | क्योंकि उनके साथ कोई परिवारिक माहौल मौजुद नही था और न ही उनके साथ एक भी महिला मौजुद थी | जैसे कि गोरो के साथ भी उनके परिवार समाज मिल जुलकर इस देश में लुटपाट गुलाम बनाने नही आए थे | वैसे तो जिस तरह गोरे लुटपाट करके वापस अपने परिवार समाज के पास लौटे उस तरह मनुवादी चूँकि नही लौटा हैं , और न ही मनुवादीयों द्वारा अपने उस परिवार समाज के बारे में बतलाया है जिसे वे छोड़कर इस देश में प्रवेश किये थे , इसलिए मुमकिन है मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले परिवार समाज तो दुर कपड़ा पहनना भी नही जानते होंगे | जिसके चलते वे इस कृषि प्रधान देश में आकर यहाँ का कपड़ा पहना सिखकर कभी वापस अपने परिवार समाज के पास लौटने के बारे में सोचे ही नही , क्योंकि उन्हे परिवार समाज के बारे में पता ही नही था तो वे किस परिवार समाज के पास लौटते | 
रही बात फिर वे पैदा कैसे हुए तो इसका जवाब खुद मनुवादी ही उस समय अपनी अविकसित बुद्धी से दिया है जब वह इस कृषि प्रधान देश में आने के बाद धिरे धिरे इस देश की सभ्यता संस्कृति और भाषा सिखने के बाद हिंदू वेद पुराणो की तरह अपनी भी एक वेद मनुस्मृति रचना करके दिया है | जिसमे वह खुद अपनी नासमझी या नादानी के चलते हिन्दू वेद पुराण में मौजुद प्राकृति प्रमाणित ज्ञान बुद्धी वित्त और वीर रक्षक क्षेत्र जिसे वर्ण व्यवस्था कहा गया उसपर कब्जा जमाने के बाद इंसान जन्म के बारे में मानो यह जन्म प्रमाण पत्र बनाया कि ब्रह्मण पुरुष के मुँह से पैदा हुआ था , क्षत्रिय पुरुष छाती से पैदा हुआ था , और वैश्य यानी वित्त पुरुष जंघा से पैदा हुआ था और बाकि सब चरणो से पैदा हुए थे यह बताकर यह भी साबित करने की कोशिष किया है कि वाकई में उसे तब परिवार समाज के बारे में भी पता नही था | क्योंकि जो यह नही जानता कि इंसान का जन्म नारी योनी से होता है , उसे परिवार समाज के बारे में क्या पता होगा | जो जानकारी उसे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद ही मिला होगा कि इंसान का जन्म नारी योनी से होता है , न की पुरुष के मुँह वगैरा से होता है | क्योंकि प्राकृति ने पुरुष के शरिर में बच्चा पैदा करने के लिए योनी नही दिया है | और न ही पुरुष के मुँह कान वगैरा से कोई मासिक निकलता है | हाँ पुरुष के लिंग से वीर्य अथवा शुक्राणु जरुर निकलता है , जिसके जरिये वह किसी महिला को गर्भवती करता है , और वह बच्चे का पिता बनता है | जिस वीर्य के बगैर इंसान का जन्म नही हो सकता यह प्रमाणित सत्य है | और पुरुष अपने मुँह से बच्चा पैदा करेगा यह प्रमाणित सफेद झुठ है | जिसे नर नारी की सेक्स जिवन को समझने वाला कोई बच्चा भी जान सकता है कि बच्चे को पुरुष नही नारी जन्म देती है | जाहिर है न तो बिना नारी के पुरुष का जन्म हो सकता है , और न ही बिना नर के किसी नारी का जन्म हो सकता है | क्योंकि प्राकृति ने दोनो को ही एक दुसरे का पुरक बनाया है | और जो यह कहता है कि इंसान का जन्म में सिर्फ नारी का योगदान है या सिर्फ पुरुष का योगदान रहता है वह दरसल अविकसित मांसिकता का इंसान है , जिसकी बुद्धी का विकाश होते ही समझ जायेगा कि इंसान का जन्म के लिए नर नारी दोनो का योगदान होता है | न तो बिना अंडाणु का बच्चा पैदा हो सकता और न ही बिना शुक्राणु के बच्चा पैदा हो सकता है | बल्कि इंसान दुसरे किसी प्राणी से भी संभोग करके या कराके जेनेटिक माता पिता नही बन सकता | जो कि शाक्षात प्राकृति विज्ञान द्वारा प्रमाणित है | जिस शाक्षात प्राकृति की पुजा भगवान के रुप में हिंदू धर्म में होता है | जिसका पवित्र ग्रंथ वेद पुराणो में अपनी अविकसित बुद्धी से मनुवादीयों ने छेड़छाड़ और मिलावट किया है | जिसे सही करने पर हिंदू वेद पुराण प्राकृति विज्ञान पर अधारित प्रमाणित ज्ञान का सागर है , जिसमे मनुवादीयों ने गलत तरिके से डुबकी लगाकर गलत तरिके से उसे बांटने का कुकर्म किया है | जिसके चलते वे तो खुद डुबेंगे ही पर दुसरो को भी ले डुबेंगे यदि मनुवादीयों की बातो में विश्वास करके वेद पुराणो को मनस्मृति बुद्धी से समझने का प्रयाश किया जाय | जिससे बचने का सबसे आसान रास्ता है मनुवादीयों को हिंदू तबतक मत समझा जाय जबतक कि वे मनुस्मृति सोच से भेदभाव करना और वेद पुराणो का ज्ञान में मिलावट व छेड़छाड़ करके बांटना न छोड़ दे | और वैसे भी मनुवादीयों के भितर यहूदियों का डीएनए दौड़ रहा है यह डीएनए रिपोर्ट से प्रमाणित हो चुका है |

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