According to M DNA, even today the so-called upper caste is born from the cunt of Nich caste and not from the mouth and chest of male Brahma.



According to M DNA, even today the so-called upper caste is born from the cunt of Nich caste and not from the mouth and chest of male Brahma.

एम डीएनए के अनुसार, आज भी तथाकथित ऊंची जाति का जन्म निच जाति की योनी से होता है न कि पुरुष ब्रह्मा के मुंह और छाती से

khoj123

(m dna ke anusaar, aaj bhee tathaakathit oonchee jaati ka janm nich jaati kee yonee se hota hai na ki purush brahma ke munh aur chhaatee se.)


इस कृषि प्रधान देश में मनुवादी बाराती बनकर रिस्ता जोड़ने आये थे की इस देश के मुलनिवासियों को जोर जबरजस्ती दास दासी बनाने आये थे ? हलांकि हजारो साल पहले इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादीयों को परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में दरसल ज्ञान ही नही था | क्योंकि एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से यह बात प्रमाणित हो चुका है कि मनुवादी के परिवार में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए और इस देश के शोषित पिड़ित मुलनिवासियों के घरो में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए एक है , इसलिए जाहिर है मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में अपने परिवार के साथ प्रवेश नही किये थे | बल्कि मनुवादी पुरुष झुंड बनाकर प्रवेश किये थे | और चूँकि मनुवादी गोरो कि तरह जिधर से आए थे उधर वापस नही गए और न ही आजतक उन्होने अपने उस देश का नाम पता कर सके जहाँ के वे मुलनिवासी थे , इसलिए सत्य तो यही है कि मनुवादी इस देश में आने से पहले परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में अनजान थे | और जब परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में ही उन्हे नही पता था तो उन्हे अपने देश के बारे में कैसे पता होता | मुमकिन है मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले कपड़ा पहनना भी नही जानते थे , और घुमकड़ नंगा पुंगा जिवन जिते हुए इस देश में प्रवेश किये थे | जिसके बाद उन्हे कपड़ा पहनना भी आया और परिवारिक जिवन जिना भी आया | जिससे पहले तो वे मानो ऐसी लावारिस जिवन जी रहे थे जिन्हे न तो माता पिता क्या होता है यह जानकारी मौजुद थी , और न ही स्थिर होकर कृषि जिवन क्या होता है यह जानकारी मौजुद थी | सिर्फ उन्हे ऐसी परजिवी जिवन जिना आता था , जिसमे कि किसी प्राणी का मुल मकसद पेट का जुगाड़ कैसे करके भी हो जाय चाहे शिकार करके हो या फिर लुटपाट करके हो | जो दोनो कार्य किसी जंगली जानवर को भी अच्छी तरह से आता है | इसलिए वह शिकार भी करता है , और किसी और के क्षेत्र में जोर जबरजस्ती घुसपैठ करके दुसरो का हक अधिकार भी लुटता है | बल्कि परजिवी सोच का जानवर हो या इंसान उनके लिए दुसरो की इज्जत लुटना भी अपना पेट भरने जैसा ही होता है | बस अंतर यह है कि पेट का भुख शांत करने के लिए उन्हे बहुत सारे विकल्प उपलब्ध रहते हैं , पर हवश शांत करने के लिए उनके पास एक ही खास विकल्प उपलब्ध रहता है कि कैसे कोई अपने जैसा इंसान प्रजाति के बिच मादा मिल जाय जिसकी तन से अपनी हवश शांत किया जा सके | भले क्यों न कोई मादा सेक्स के लिए राजी न हो | जैसे कि जानवरो में भी देखने को मिलता हैं कि वे अपना वंश बड़ाने के लिए किसी मादा को जोर जबरजस्ती दौड़ा दौड़ाकर सेक्स करते हैं | हलांकि सभी जानवर ऐसा नही करते हैं , पर ज्यादेतर जानवर अपना वंश बलात्कार करके ही बड़ाते आ रहे हैं | सायद जोर जबरजस्ती दौड़ा दौड़ाकर बलात्कार करने को ही उनके लिए प्यार मोहब्बत माना जाता हो | जैसे कि मनुवादी भी जब इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किये होंगे और घर के भेदियो की सहायता से जोर जबरजस्ती इस देश में कब्जा किये होंगे तो निश्चित तौर पर वे लुटपाट करते समय इस देश देश के मुलनिवासियों की इज्जत का भी लुटपाट किये होंगे | जैसे की कई अन्य बाहरी हमलावर भी करते रहे हैं , जब वे दुसरो के क्षेत्र में जोर जबरजस्ती प्रवेश करके लुटपाट कब्जा करते हैं | जिसके बाद वे धन दौलत के साथ साथ बहु बेटियों की इज्जत को भी लुटते रहे हैं | जिस तरह की लुटपाट मनुवादीयों ने भी निश्चित तौर पर किया होगा | न कि वे बाराती बनकर आये होंगे और इस देश के साथ प्रेम पुर्वक रिस्ता जोड़े होंगे | हलांकि जब बाद में वे इस देश की सभ्यता संस्कृति के बिच रहकर धिरे धिरे उन्हे समय के साथ परिवार समाज के बारे में ज्ञान हुआ होगा तब उन्होने विवाह करना सुरु किया होगा | जिससे पहले तो वे किसी महिला को दासी बनाकर उसका जबरजस्ती यौन शोषन करके ही अपना वंश बड़ाना जारी रखा होगा | क्योंकि मनुवादी हजारो साल पहले बिना कोई महिला के लुटपाट करने की मकसद से ही इस देश में मुठीभर पुरुष झुंड बनाकर प्रवेश किये थे | जिन मनुवादीयों के साथ सहयोगी के रुप में न तो कोई महिला थी और न ही वे अपने पिच्छे कोई परिवार छोड़कर आए थे | क्योंकि तब उन्हे परिवार समाज के बारे में जानकारी ही मौजुद नही थी | और जब परिवार समाज के बारे में उन्हे जानकारी ही मौजुद नही थी तो वे अपने पिच्छे कोई परिवार समाज कैसे छोड़ते और कैसे अपने परिवार के पास वापस जाते ? और वैसे भी जैसा कि हम सब जानते हैं कि इतिहास में महिलाओं की टोली लुटपाट और गुलाम दास दासी बनाने के लिए सायद ही कभी जानी जाती है | इसलिए सायद ही कोई लुटेरी टोली अपने साथ महिलाओं को भी लुटपाट में शामिल करती है | बल्कि महिलाओं की टोली इतिहास में अजादी के वीर जवानो से कंधा से कंधा मिलाकर संघर्ष करने के लिए जरुर जानी जाती है | न कि गुलाम दास दासी बनाने वालो से पारिवारिक रिस्ता जोड़कर नर नारी मिलकर बच्चा पैदा करने के साथ साथ लुटपाट परिवारिक गैंग बनाकर कंधा से कंधा मिलाकर गुलाम दास दासी बनाने के लिए भी जानी जाती है | क्योंकि आज भी अक्सर हम यही देखते सुनते और पढ़ते रहते हैं कि भ्रष्टाचार करने का कार्य पति करता है , और पत्नी सिर्फ उस चोरी का धन को रुप श्रृंगार भोग विलाश वगैरा में खर्च करती रहती है | और साथ साथ उस चोरी का धन से अपने बच्चो का भी परवरिश करती रहती है | जिस चोरी का धन को इकठा करने में किसी चोर लुटेरे का साथ उनकी महिलायें घर में बैठे बैठे या फिर सेक्स करते समय लेटे लेटे सिर्फ अपने पति का हौशला बड़ाकर देती हैं कि इसबार सोने नही हीरे का हार खरिदना है , और गाड़ी नही हवाई जहाज खरिदना है | जैसे की अली बाबा चालिस चोर कहानी में चालिस चोर जिस काली गुफा में चोरी का धन इकठा करते थे , वहाँ पर एक चुड़ैल रहा करती थी जो चालीस चोर के साथ चोरी करने तो नही जाती थी पर काली गुफा में रहकर चोरी से इकठा किया हुआ धन का रुप श्रृंगार और निगरानी जरुर किया करती थी | और साथ साथ चालीस चोरो का हौशला भी बड़ाती रहती होगी यह कहते हुए कि शाबास और चाहिए और चाहिए ! हलांकि चूँकि कहा जाता है दुनियाँ में कुछ भी नामुकिन नही है , इसलिए मुमकिन है हजारो साल पहले जब मनुवादी इस देश में प्रवेश किये होंगे तो उनके साथ उनकी तरह विदेशी मुल की महिलायें भी मौजुद होंगी | जिसे ही सायद वेद पुराणो में स्वर्ग की अप्सरायें कहा गया है | जो कि उस महिलाओं से अलग होंगी जिसे देव अपना दासी बनाकर शोषण अत्याचार करते थे | जिस देव दासी से अलग अप्सराओं की जिवन सुरक्षा वे नही कर पाये और लुप्त हो गई | हलांकि देव भी अब इस धरती और आकाश में पर साक्षात जिवित विचरन करते हुए नही दिखते हैं | जिसके चलते बाद में देवो के वंसज मनुवादीयों को अपना वंश आगे बड़ाने के लिए इस देश की महिलाओं को दासी बनाकर उसके साथ पारिवारिक रिस्ता जोड़कर मिलावट उच्च जाति का वंश की सुरुवात करनी पड़ी होगी | जिस मिलावट उच्च जाति में नर तो विदेशी मुल की पियोर उच्च जाति का है , पर नारी के भितर जो एम डीएनए दौड़ रहा है , वह पियोर उच्च नही है | चूँकि मनुस्मृति में जिन मुलनिवासियों को निच जाती कहा गया है, उसी निच्च जाति की महिला का ही एम डीएनए से मनुवादीयों के परिवार में मौजुद नारी का एम डीएनए मिलता है | इसलिए बाद में मनुवादीयों को दरसल अपने परिवार में मौजुद  पुरुषो के लिए यह ज्ञान बांटना पड़ा कि ढोल, गंवार, शुद्र, पशु , नारी | सकल ताड़न के अधिकारी || जिसका मतलब साफ था कि मनुवादीयों के लिए ताड़ने के लायक सिर्फ शुद्र और नारी हैं | भले इस देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादी नारी के प्रति इस तरह के विचार नही रखते होंगे , पर सर्त है वे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले परिवार समाज के बारे में जानते होंगे | जो कि मेरे विचार से जैसा कि बतलाया कि मनुवादी पुरुष झुंड इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले कपड़ा पहनना और कृषि कार्य करना भी नही जानते होंगे तो क्या वे परिवार समाज के बारे में जान रहे होंगे !  और और चूँकि मनुवादी न तो शुद्र है और न ही नारी हैं , बल्कि वह तो सिर्फ पुरुष झुंड में प्रवेश किये हैं जो कि विदेशो से आकर इस देश की महिलाओं से अपना वंशवृक्ष को आगे ले जा रहे हैं , इसलिए उनके लिए ताड़न की जरुरत सिर्फ शुद्र और नारी को हैं | क्योंकि वे तो मनुस्मृति बुद्धी के माध्यम से खुदको नारी के योनी से नही बल्कि पुरुष के मुँह से पैदा हुआ बतलाते आ रहे हैं | जो नामुमकिन नही है , जैसे कि नर नारी दोनो का शरिर बच्चे को जन्म देने लगे यह बात सच साबित होकर क्या पता भविष्य में पुरुषो का भी लिंग के साथ साथ योनी भी उगने लगे , और महिलाओं का भी योनी के साथ साथ लिंग भी उगने लगे , और वाकई में कुछ भी मुमकिन है कहावत सौ प्रतिशत सही साबित होकर महिला पुरुष सौ प्रतिशत बराबर होकर कहीं पर भी यह लिखा न मिले की महिला प्रथम ! या फिर महिला नाजुक होती है , और पुरुष का शरिर कठोर होता है | जिस तरह की बाते न पढ़ी सुनी जाय और न ही टेलिविजन वगैरा में देखी जाय ! जिसके बाद क्या पता ज्यादेतर लोगो को गुलाम दास दासी बनाकर भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो से रिस्ता जोड़ने की पारिवारिक बातचीत का प्रचलन भी बड़ने लगे | मसलन लड़का ने कितने लोगो का शोषण अत्याचार किया है , और लड़की के पास ऐसे शोषण अत्याचार करने वालो का कंधा से कंधा मिलाकर साथ देने के लिए हुनर मौजुद है कि नही , वगैरा वगैरा ! जिस तरह के लोग  सायद ही एकात प्रतिशत हजारो साल पहले भी मौजुद होंगे जो शोषण अत्याचार करने वालो से खास पारिवारिक रिस्ता जोड़ने की इच्छा अपनी हसी खुशी से जाहिर करते होंगे | बल्कि मैं तो कहुँगा ऐसे लोग यदि होंगे भी तो उनकी नई पिड़ि उनके ऐसे हुनर का विरोध करते करते अब न के बराबर ही इस दुनियाँ में मौजुद होंगे जो इस तरह के चरित्र को पसंद करके कहेंगे कि हमे ऐसे ही हुनर का विकाश करने के लिए इसी तरह का रिस्ता जोड़ते रहना है | जिसके लिए भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले लोगो को खुशियों का बारात लेकर आने के लिए कहो | जिन न के बराबर लोगो में घर के भेदी और वैसे हारे हुए लोग आते हैं जिन्हे या तो कोई खास पसंद ही नही करता है , या फिर वे चूँकि अपनी पसंद के काबिल खुदको साबित नही कर पाते हैं तो मानो किसी फर्जी सुपर स्टार या फर्जी महान बनने की हवश में उन परजिवी सोच के लोगो की कुसंगत में आ जाते हैं जो उनकी गांड़ मारकर झुठी खुशी और झुठी शान शौकत देकर उन्हे अपने मन मुताबिक भरपुर इस्तेमाल करते हैं | जिस तरह की झुठी शान शौकत को मुझ जैसे लोग थुकते और मुतते हैं | क्योंकि हम जैसे लोग इंसानियत और पर्यावरण को ज्यादे से ज्यादे कायम करने वालो को महान और सुपर स्टार मानते हैं | जिस इंसानियत और पर्यावरण को पुरी दुनियाँ की बहुसंख्यक अबादी कायम रखना चाहती है | इसलिए अपनी अप्राकृति भ्रष्ट सोच से मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाने वाले मुठीभर लोगो को तो यही सुझाव हैं कि यदि परजिवी सोच वाले इंसान अपने भितर जरा सी भी अच्छाई महसुश करते हो तो उसी अच्छाई को अपनी खास हुनर मानकर उसे जितना चाहे विकसित करते रहने की जिवन के अंतिम समय तक कोशिष करते रहो , जिसके बाद सायद मुझ जैसे लोगो की नजरो के साथ साथ बहुसंख्यक अबादी की नजरो में भी हमेशा के लिए सचमुच का महान और सुपर स्टार बन जाओ ! और यदि ये भी नही कर सकते हो तो चुलूभर मुत में डुब मरो क्या पता अगले जन्म में भगवान ने ऐसे मुठीभर लोगो के लिए सचमुच में नर्क में डालकर सजा देकर अच्छा इंसान जन्म देकर सचमुच का सुपर स्टार और महान बनने का खास अवसर देता है ! न कि नर्क से भी बड़ा और एक और नर्क में परमोशन देकर उससे भी बड़ा फर्जी सुपर स्टार और महान बनने का हुनर देकर पैदा करता है | जैसे की मनुवादीयों को पैदा करके हजारो साल पहले इस कृषि प्रधान देश में फर्जी सुपर स्टार और फर्जी महान उच्च इंसान का हुनर देकर भेजा गया | जिस हुनर के लिए उन्हे कोई महिला साथ नही दी और वे पुरुष के साथ पुरुष कंधा मिलाकर फर्जी सुपर स्टार और फर्जी महान बनने के लिए इस देश के मुलनिवासियों को जबरजस्ती गुलाम दास दासी बनाकर यहीं पर बस गये | जैसे कि गोरे इस देश को जबरजस्ती गुलाम बनाने के लिए इस देश में मौजुद घर के भेदियों का इस्तेमाल करके आपस में फुट डालकर छल कपट से सत्ता में कब्जा करके दो सौ सालो तक बस गए थे , उसी तरह मनुवादी भी इस देश में प्रवेश करके इस देश की सत्ता में छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से ही कब्जा जमाकर बसे हुए है | जो आज भी इसी देश में नागरिकता पाकर मौजुद हैं | और इसी देश के मुलनिवासियों को जो चाहे जिस धर्म को अपनाये हुए हैं , उनको ही बाहर खदेड़ने कि तैयारी NRC और कोरोना की आड़ में गुप्त मुहिम चला रहे हैं | जिस तरह की मुहिम चलाने के लिए उन्होने छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से अबतक सत्ता में बने हुए हैं | जो मनुवादी चूँकि विदेशी मुल के हैं , इसलिए सत्ता में काबिज होकर उनका इस तरह का मुहिम चलाना स्वभाविक भी है | जैसे की शैतान सिकंदर ने पुरे विश्व को लुटने की मुहिम चलाकर लुटेरी पुरुष झुंड बनाकर इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश किया था | पर शैतान सिकंदर ने विश्व के कई देशो को लुटते और कब्जा करते हुए जैसे ही इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किया उसका हाफ मडर इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश का एक वीर राजा पुरु ने कर दिया था | जिसके बाद वह इस देश की राजधानी में कब्जा नही कर सका और उसे अपना विश्व लुटेरा शैतान बनने का सपना को अधुरा छोड़कर उसे अधमरा हालत में इस देश के किनारे से ही लौटने के लिए मजबुर होना पड़ा था | क्योंकि इस देश का एक राजा पुरु ने यदि उसकी हाफ मडर किया था तो इस देश का सम्राट नंद तो निश्चित तौर पर उसकी फुल मडर कर देता | जिस नंद सम्राट के बारे में सुनकर शैतान सिकंदर की गुलाम सेना आगे बड़ने से मना कर दिया था | क्योंकि शैतान सिकंदर जब अपने देश यूनान से विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर बनने निकला था तो उसकी अपनी खुदकी सेना मात्र मुठीभर थी , जिसमे उसने बड़ौतरी किसी बवंडर की तरह करता चला गया था | जिसमे बड़ौतरी के लिये उसने किसी बवंडर की तरह घुम घुमकर जिस जिस देश में भी लुटपाट कब्जा किया वहाँ की धन संपदा को तो लुटा ही पर उस देश के सेना को भी बंधक या गुलाम बनाकर अपनी लुटेरी झुंड में शामिल करके अपनी ताकत बड़ाता चला गया था | जिसकी ताकत फारस जिसका वर्तमान नाम ईरान है , उसको हराने के बाद इतनी ज्यादे बड़ गयी थी कि उसने इस विशाल सागर देश सोने की चिड़ियाँ को भी कब्जा करने का फैशला कर लिया था | जिस देश ने अबतक न जाने कितने कबिलई लुटेरी गैंग को निगला है | या फिर कितने लुटेरी गैंग इस सागर देश में समाकर भारत माता की जय और हिन्दुस्तान जिन्दाबाद कहते हुए यहीं पर अपनी दुनियाँ बसा लिये हैं | जैसे की लुटेरा शैतान सिकंदर  की गुलाम सेना में भी बहुत से लोग यहीं पर अपनी दुनियाँ बसाने के लिये इस देश के सम्राट से लड़ने से इंकार कर दिये थे | जिन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले शैतान सिकंदर द्वारा जबरजस्ती या फिर लालच देकर लुटेरा बनाया गया था | जिन गुलाम सेनाओं ने नंद सम्राट के बारे में जानकर उससे भिड़ने से साफ इंकार कर दिया था | जिनके इंकार करने के बाद शैतान सिकंदर भी आगे बड़ने का फैशला कैंशिल करते हुए अपने देश यूनान वापस लौटने का फैशला किया था | पर शैतान सिकंदर पुरु राजा द्वारा हाफ मडर की हालत में वापस लौटकर भी भरी जवानी में आखिरकार मारा गया था | जिससे पहले वह फर्जी महान और फर्जी सुपर स्टार बनने के लिए पुरे विश्व को लुटने निकला था | जिस तरह के लोग दरसल मुझ जैसे लोगो को फर्जी महान लगते हैं | जिसे महान बताने वाले लोग चाहे तो बहस कर ले की उनकी बुद्धी भ्रष्ट है जो शैतान को महान बता रहे हैं कि मुझ जैसे लोगो की बुद्धी भ्रष्ट है जो सिकंदर जैसे लोगो को लुटेरा शैतान बताकर पुरी दुनियाँ के उन इंसानो को यह बतला रहे हैं कि शैतान सिकंदर की तरह अपने नई पिड़ि को बनने के लिए संस्कार कतई मत देना अन्यथा वे भी शैतान बनकर पुरी दुनियाँ में लुटमार करके फर्जी महान बनने की चक्कर में खुद तो डुबेंगे ही पर अपने साथ साथ उन लोगो को भी अपने साथ ले डुबेंगे जिन्हे उनके जैसा महान बनना है | क्योंकि ऐसे लोग पुरी दुनियाँ को लुटकर शोषण अत्याचार करके इंसानियत और पर्यावरण को सबसे भारी नुकसान पहुँचाते हैं | जिस तरह के फर्जी महान बनने वालो की तरह आज के समय में यदि कोई देश शैतान सिकंदर की तरह अभियान चलाये तो निश्चित तौर पर पुरे विश्व के देश उस देश को विश्व के नक्सा से ही गायब कर देंगे | वैसे अब भी कहा जाता है रोम युनान अपने कुकर्मो और पापो की वजह से मिट गए | हलांकि यह पुर्ण सत्य नही है , बल्कि रोम यूनान के पाप और कुकर्म जरुर धिरे धिरे मिटते गए हैं | जो की अब भी रोम युनान का पाप और कुकर्म दाग मिटना जारी है | बल्कि मुमकिन है यदि मनुवादीयों द्वारा इस कृषि प्रधान देश में आने से पहले उनका कोई ऐसा अपना देश होगा जहाँ के वे मुलनिवासी कहलाते होंगे , न कि बाहर से आये हुए लोग कहलाते होंगे , तो निश्चित तौर पर वह देश मनुवादीयों के पाप और कुकर्मो से विश्व के नक्से से जरुर मिट गया होगा | जिसके चलते आजतक भी मनुवादीयों के पुर्वजो का उस देश का पता नही चला है जहाँ से वे इस कृषि प्रधान देश में आए हैं | हो सकता है मनुवादी अपने पाप और कुकर्मो से इस विशाल सागर जैसा स्थिर कृषि प्रधान देश को भी मिटाने की कोशिष कर रहे हैं ! जो कोशिष मानो किसी नदी नाले द्वारा विशाल सागर को मिटाने की कोशिष खुद ही खुदको सागर में समाकर अपने आप को मिटाकर दुसरे को मिटाने की कोशिष कर रहे हो ! क्योंकि मनुवादी पुरुषो की झुंड बनाकर इस देश में प्रवेश करके घर के भेदी और छल कपट की सहायता से ही इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर और इस देश की महिलाओं से जबरजस्ती परिवारिक रिस्ता जोड़कर मानो जबरजस्ती घर जमाई बनकर अपने ससुराल को ही गुलाम बनाकर वेद पुराणो और सत्ता में कब्जा करके खुदको उच्च प्राणी घोषित किया हुआ है | जो उच्च प्राणी यदि कथित शुद्र के योनी से जन्म नही बल्कि कथित उच्च जाति के मुँह छाती और जँघा से पैदा होता है तो भी यह प्रमाणित होता है कि मनुवादी परिवार में सौ प्रतिशत कथित उच्च जाति का अब कोई भी जन्म नही ले रहा है | क्योंकि मनुवादी अनुसार कथित पियोर उच्च जाति ब्रह्मा के मुँह जाँघ और छाती से पैदा हुआ था , जिसकी नई पिड़ी अब शुद्र महिला के योनी से जन्म लेता है | क्योंकि प्रमाणित हो चुका है कि मनुवादी को आज जो महिला पैदा करती है , वह भी इस देश के मुलनिवासी महिला है , जिसे मनुवादीयों ने निच शुद्र घोषित किया हुआ है | न कि मनुवादी परिवार में मौजुद महिला का एम डीएनए विदेशी महिला का एम डीएनए से मिलता है | और जाहिर है चूँकि कथित निच और शुद्र महिला के एम डीएनए से चूँकि मनुवादीयों के परिवार में मौजुद महिलाओं से मिलता है , इसलिए एम डीएनए अनुसार मनुवादी निच और शुद्र महिला के ही योनी से पैदा ले रहा है | हलांकि यह बात डीएनए रिपोर्ट आने से पहले भी इतिहास और वेद पुराणो में भी बतलाया गया है कि मनुवादी कबिला इस देश में बाहर से आकर छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से इस देश की सत्ता में कब्जा जमाकर इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर खुदको जन्म से उच्च और इस देश के मुलनिवासियों को निच घोषित करके भेदभाव शोषण अत्याचार सुरु किया है | जैसे की आज भी मनुवादी सत्ता छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से ही बहुमत जुटाकर कायम है | न की मनुवादी अपने खुदके दम पर सरकार बनाये हुए हैं | जैसा कि उन्होने इस देश में पहली बार प्रवेश किया होगा तो पहले तो गोरो की तरह पेट पालने के लिए सरण मांगा होगा , उसके बाद मौका देखकर छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से इस देश की सत्ता में कब्जा किया होगा | न की अल्पसंख्यक मनुवादी खुदके दम से बहुसंख्यक मुलनिवासियों को हराकर इस देश में कब्जा किया होगा | आज भी दलित आदिवासी पिछड़ी सांसदो की सहायता से ही मनुवादी सरकार चल रही है | जिस सरकार का नेतृत्व करने के लिए मनुवादीयों ने पिछड़ी जाति का प्रधानमंत्री और दलित को राष्ट्रपति इसलिए चुना है , ताकि इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियों को यह भ्रम होता रहे कि मनुवादी की सरकार नही बल्कि बहुसंख्यक दलित आदिवासी पिछड़ी की सरकार चल रही है | न कि ये पिछड़ी प्रधानमंत्री और दलित राष्ट्रपति को इसलिए इतने बड़े उच्च पद दिये गए हैं ,क्योंकि उनसे ज्यादे बेहत्तर उम्मिदवार भाजपा को कथित उच्च जाति के लोगो में नही मिल रहे थे | बल्कि ये दोनो तो बुढ़ापा तक भाजपा कांग्रेस के सांसद पद के काबिल उम्मीदवार भी नही थे , जो कि अब भी नही हैं | चाहे तो उनको भाजपा से बाहर निकालकर चुनाव लड़वाकर देख लो विधायक भी नही बन पायेंगे तो बिना भाजपा के मदत के उनके द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रपति बनना तो हवा हवाई सपना है | जिस हवा हवाई सपना को पुरा करने की मजबूती उम्मिदवारी भी उनके सिर्फ दलित और पिछड़ी होने की वजह से मिली हुई है | जिस सत्य बात पर जिन मनुवादीयों को यकिन न आए तो वर्तमान में मौजुद मनुवादी शासन के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को कोई प्रमाणित तौर पर ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य इन तीनो में कोई एक जाति साबित करके प्रेसवर्ता करें और दोनो से सिर्फ खुदको उच्च जाति का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हैं यह कबूल करा लें , दुसरे दिन से इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी के साथ साथ भाजपा भी उन्हे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के रुप में देखना चाहेगी कि पद से हटाना चाहेगी ? बल्कि वर्तमान के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति खुद भी खुदको उच्च जाति का सोचकर कल्पना करें कि उन्हे जो पद इस समय मिला है वह पद उन्हे मिलते या उनके द्वारा चुनाव लड़ते समय क्या खास खबरे चलाया गया था | चाहे तो कोई गुगल सर्च मारकर तब के पुरानी खबरे देख लें | पता चल जायेगा कि वर्तमान के राष्टेरपति और प्रधानमंत्री को दलित और पिछड़ी जाति का उम्मीदवार बताकर प्रचार प्रसार किया गया था | क्योंकि वर्तमान के समय में भले कोई मनुवादी छल कपट से उच्च पदो में बैठ सकता है , पर उसके द्वारा अब चुनाव जितना या फिर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति बनना टेड़ी खीर साबित होता जा रहा है | भले कांग्रेस पार्टी ने कभी देश के सारे राज्यों के मुख्यमंत्री ब्रह्मणो को बनाया था | पर अब मनुवादीयों द्वारा इस तरह का कदम उठाने पर उनके परिवार में भी विरोध उठने लगा है कि उनके घर के लोग भारी भेदभाव करते हैं | जो भेदभाव शासन 21वीं सदी में अब जाने वाला है | जिस भेदभाव शासन की वजह से मनुवादीयों ने लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम किये हुए है | जिसे बचाने के लिए मनुवादी अपनी साम दाम दंड भेद नीति को अंतिम लेबल तक अजमा रहा है | क्योंकि उनकी जो लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मजबुत दबदबा और दबंग कायम थी जिसके चलते हम न्यायालय का सम्मान करते हैं , चुनाव आयोग का सम्मान करते हैं , मीडिया का सम्मान करते हैं , सरकार का सम्मान करते हैं जो बार बार कहकर मनुवादीयों की शक्तीशाली दबदबा का प्रभाव बड़ता था वह अब लगभग समाप्त होने को है | क्योंकि अब न्यायालय के खिलाफ भी बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सभी एकजुट होकर आवाज उठाने लगे हैं | और सरकार मीडिया चुनाव आयोग के विरोध में तो बहुत पहले से ही आवाज उठ रही है | मीडिया को तो वामन मेश्राम ने पिछवाड़ा पोछाने वाला पेप्पर तक कह दिया है | और वर्तमान के पिछड़ी प्रधानमंत्री को मनुवादीयों का रखैल प्रधानमंत्री कह दिया है | उसी तरह आरक्षण कोटा से जो भी दलित आदिवासी मनुवादीयों की सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ते हैं , उन्हे गाँधी का तीन बंदर और कोई तो मनुवादीयों का दलाल और चाटुकार तक कहकर इतिहास में उन्हे मनुवादीयों के द्वारा शोषण अत्याचार करने में सहयोग करने वाले गद्दार घोषित कर चुके हैं | जिन लोगो का नाम मनुवादीयों के खिलाफ चलने वाले अजादी आंदोलनो में मनुवादीयों का सहयोग करने वाले गद्दारो के रुप में दर्ज हो रहा है | क्योंकि वर्तमान में जितने भी शोषण अत्याचार इस देश के मुलनिवासियों के साथ मनुवादी कर रहे हैं , उसे करने में जो सत्ता ढाल और ताकत बन रही है , उसे कायम करने में सौ प्रतिशत योगदान उन्ही घर के भेदियों का है |जो अपने मुलनिवासी होने का फायदा मनुवादीयों को भर भरकर दे रहे हैं | जो यदि अभी समर्थन खिच ले तो अभी के अभी रातो रात सरकार गिर जायेगी और जिस भी मुलनिवासी के नेतृत्व में किसी मुलनिवासी द्वारा स्थापित पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनाने की प्रक्रिया चलाई जायेगी वही सरकार बन जायेगी | यकिन नही हो रहा है तो किसी राजनीति जानकार से पता कर लो कि ऐसी सरकार बन सकती है कि नही ? और एकबार मुलनिवासी सरकार बनने के बाद संविधान में यह संसोधन कर दो कि इस देश में कोई विदेशी डीएनए का व्यक्ती सरकारी उच्च पदो में कभी नही बैठ सकता | और यदि बैठेगा भी तो दस प्रतिसत से ज्यादे सरकारी पदो में किसी भी हालत में नही बैठ सकता है ! और वह भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के सबसे उच्च पदो में तो बैठ ही नही सकता | जिसे अजाद भारत का संविधान संसोधन करके पहले पेज में ही दर्ज कर दिया जाय , फिर देखो इस देश के मुलनिवासी इस देश की सरकार के 90% पदो में बैठने के बाद कभी गुलामी महसुश करता है क्या ? जिस तरह की संविधान संसोधन जबतक नही होगा तबतक तो मेरे विचार से तो समझो जिस मनुस्मृति को जलाकर अंबेडकर ने संविधान लिखा था , उस मनुस्मृती का भुत अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे पालन करा रहा है | जिसकी झांकि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० में दिखती है | जो रिपोर्ट निचे मौजुद है |
जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली का ही जानकारी ले लिया जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं |
जिस रिपोर्ट के बारे में जानकर कोई भी शिक्षित मुलनिवासी बल्कि अशिक्षित मुलनिवासी को भी यदि समझाया जाय कि मुलनिवासियों की अबादी कितनी है और उस अबादी के अनुसार इस देश के मुलनिवासियों को वर्तमान में इस देश के लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तंभो में कितनी भागीदारी मौजुद है ? और उस भागीदारी के बारे में भेदभाव बहाली हो रहा है यह महसुश इस देश के मुलनिवासियों को होता है कि नही ? जो समझ भाजपा कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ने वाले मुलनिवासियों को कैसे नही है ? क्योंकि जाहिर है इस तरह की भेदभाव बहाली तबतक होती रहेगी जबतक की घर के भेदियों की सहायता से मनुवादी सत्ता कायम रहेगी | जिस सत्ता में मनुवादी अपनी दबदबा कायम रखकर निडर होकर खुलेआम छुवा छुत व मार पिटाई भी करने में पिच्छे नही हटेगा | जिसकी वजह से अजाद भारत का संविधान लागु होने के बावजुद भी इस देश के मुलनिवासियों को गुलामी महसुश होता रहेगा | और गुलामी का मतलब साफ है कि चाहे जितने उच्च डिग्री हासिल करो या फिर गिने चुने मुलनिवासी चाहे जितनी बड़ी उच्च पद या फिर अमिरी हासिल करो | मनुवादी भेदभाव शोषण अत्याचार करना नही छोड़ेंगे | जिस भेदभाव शोषण अत्याचार से अजाद भारत का रचना करने वाले अंबेडकर भी नही बच पाये थे | जिसके चलते उनके पास देश विदेश के तीस से अधिक उच्च डिग्री भले मौजुद थी पर अनपढ़ मनुवादी भी खुदको उससे ज्यादा उच्च बताकर उनसे भेदभाव करना नही छोड़े थे | जिसके चलते उन्हे सरकारी उच्च पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था | हलांकि इसके बावजुद भी उन्होने मनुवादीयों पर विश्वास करके न चाहते हुए भी पुणे में उच्च जाति के गाँधी से समझौता किया था | जो समझौता विश्वास के रुप में ऐसा समझौता था जो मानो मनुवादीयों द्वारा पिठ पिच्छे छुरा घोपने का काम किया | जिसके चलते अंबेडकर को बाद में महसुश हुआ की पूणा समझौता दरसल मनुवादीयों की छल कपट अपडेट का ही नतिजा था | जिस तरह के छल कपट अपडेट मनुवादी हजारो सालो से करके ही तो अबतक राज करते आ रहे हैं | यूं ही वे अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक मुलनिवासियों पर अबतक राज नही कर रहे हैं | जिन मनुवादीयों से शोषित पिड़ित परिवार में जन्मे अंबेडकर द्वारा देश विदेश से तीस से अधिक उच्च डिग्री हासिल करने के बावजुद भी भेदभाव का शिकार होना नही रुका था तो बाकि सब शोषित पिड़ित तो अंबेडकर जितनी उच्च कामयाबी भी हासिल नही किये हैं | लेकिन भी अंबेडकर से भी कम शिक्षित बल्कि अनपढ़ मनुवादीयों द्वारा भी भेदभाव किया जाता था | क्योंकि मनुवादी खुदको जन्म से उच्च मानता है | जो यदि जन्म से खुदको उच्च मानना छोड़ चुका होता तो अंबेडकर के द्वारा देश विदेश में तीस से अधिक उच्च डिग्री हासिल करने के बाद उसके साथ भेदभाव करना बंद कर देता | जबकि सच्चाई ये है कि जैसा की बतलाया कि अंबेडकर के साथ सरकारी कार्यालय में भी मनुवादीयों के द्वारा भारी भेदभाव किया जाता था | जिसके कारन अंबेडकर को सरकारी उच्च अधिकारी के पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था | क्योंकि देश विदेश से तीस से अधिक उच्च डिग्री प्राप्त करने के बाद उच्च अधिकारी की नौकरी हासिल करने के बावजुद भी सरकारी कार्यालय में भी उसके साथ भेदभाव होता था | नौकरी करते समय निचे पदो में मौजुद मनुवादी जो कि उनके पद तक पहुँचने के काबिल नही थे वे भी निच कहकर अंबेडकर के साथ भारी भेदभाव करते थे | कार्यालय में अंबेडकर के कमरे में घुसकर सरकारी फाईलो को दुर से ही फैंककर देते थे ताकि वे अंबेडकर से न छुवा जाय | जिस तरह के मनुवादी लोग अंबेडकर से विद्यालय में पढ़ते समय भी अंबेडकर से कम काबिल होने के बावजुद भी छुवाछुत करते थे | जिसके चलते अंबेडकर के साथ पढ़ाई करते समय भी विद्यालय में भारी भेदभाव होता था | विद्यालय में मौजुद क्लाश के दरवाजे से बाहर जहाँ पर जुता चप्पल उतारकर वर्ग में प्रवेश किया जाता है , उस जगह बैठकर अंबेडकर को पढ़ाई करने की इजाजत थी | वह भी मनुवादीयों का शासन तब कायम नही था इसलिए ये छुट भी मौजुद थी | घड़ा से पानी भी पीने की इजाजत नही थी | अंबेडकर और उनके जैसे तमाम शोषित पिड़ितो को दुसरे जगहो में भी अलग ग्लाश में पानी पीना पड़ता था | तालाव में भी इस देश के मुलनिवासियों को नहाने धोने नही दिया जाता था | जिसके खिलाफ भी अंबेडकर ने हिन्दू रहते आंदोलन चलाया था |  जिसके बावजुद भी अबतक मनुवादी सत्ता कायम है , क्योंकि मनुवादीयों को घर के भेदियों का साथ देना अबतक जारी है | जिन घर के भेदियों को उपर दिये गए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० को हर रोज एकबार देखकर अपने भितर झांककर खुदसे सवाल करना चाहिए कि मनुवादी शासन में जो भेदभाव हो रहा है उसमे साथ देकर घर के भेदियों की आनेवाली नई पिड़ि और जिनका वंश ही नही है उनके खानदान का नई पिड़ि घर के भेदियों को इतिहास में गद्दार कहेगी कि उनकी आरती उतारेगी यह कहकर कि घर के भेदियों ने मनुवादियों को भेदभाव शोषण अत्याचार में दाहिना हाथ बनकर अथवा साथ देकर इस देश के मुलनिवासियों का बहुत भलाई कार्य किया है ! जिन घर के भेदियों को यदि मनुवादियों द्वारा भेदभाव शोषण अत्याचार करने में खास मदत करके भलाई का कार्य लगता है तो घर के भेदि भी उन मंदिरो के अंदर पुजारी बनकर मनुवादियों के साथ कंधा से कंधा मिलकर पुजा पाठ करे जिसके बाहर बोर्ड में ये लिखा रहता है कि अंदर शुद्र का प्रवेश मना है | बल्कि घर के भेदियों को तो खुदको उच्च जाति का घोषित करके उच्च जाति के परिवारो से चुनाव टिकट के साथ साथ पारिवारिक रिस्ता भी मांगने जाना चाहिए था | न कि सिर्फ प्यार मोहब्बत होने का इंतजार करते रहना चाहिए कि कब ईश्क होगा और कब अंतरजातीय विवाह रचाई जायेगी | जिस तरह से यदि जाती प्रथा मिटती तो फिर तो हजारो साल पहले ही जाती प्रथा उस समय ही कबका मिट चूका होता जब मनुवादीयों ने जिन्हे शुद्र निच अच्छुत घोषित किया हुआ है , उस परिवार की महिलाओं से संभोग करके शुद्र निच अच्छुत महिला के योनी से मनुवादीयों की नई पिड़ी जन्म लेना सुरु कर दिया था | बल्कि आज भी कथित उच्च जाति का जन्म निच जाति की योनी से होता है , न कि पुरुष ब्रह्मा के मुँह छाती और जँघा से होता है |

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