प्रचार

शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

Today 2021 AD will end and tomorrow 2022 will be welcomed by starving crores of people of people

 

आज 2021 ई० समाप्त होगा और कल 2022 ई० का स्वागत क्या करोड़ो लोगो को भुखा रखकर जस्न होगा

poor india,Khoj, गरिबी भुखमरी


क्या सरकार के पास खाना नही है किसी भुखे को भुख से मरने न देने के लिए ? 


और अगर है तो फिर क्यों गरिबी हटाओ कहकर सत्ता प्राप्त करके हर रोज गरिबो को ही हमेशा के लिए हटाया जा रहा है | जबकि सत्ता में बैठकर जिन मंत्रियो को संविधान द्वारा विशेष अधिकार प्राप्त है , वे मंत्री बनने से पहले क्यों न कितना गरिबी भुखमरी जिवन यापन कर रहे हो , वे एक भी गरिबी भुखमरी से कभी क्यों नही मरते हैं | क्यों इस देश में कोई मंत्री बनते ही चाहे वह पहले कितना ही गरिब हो , उसे मानो सारी जिवन अमिरी में बिताने की लॉटरी लग जाती है ! जैसे की कथित खुदको एक गरिब के घर में पैदा लेनेवाला बतलाने के बाद यदि वह गरिब जनता की वोट से मंत्री बन जाता है तो वह मानो रातो रात अमिर हो जाता है | पर जिस गरिब जनता को मालिक कहकर वह उससे वोट मांगकर मंत्री बनता है , वह जनता मालिक किसी गरिब को अमिर बनाने वाली सरकार बार बार चुनकर भी गरिब का गरिब बना रहता है | जिस अमिर सरकार को बार बार चुनकर गणतंत्र और आजादी दिवस के दिन भी आधी आबादी भुखे पेट सो जाती है |बहुसंख्यक आबादी ऐसी है , जो कि यदि आजादी के लिए पुरी तरह से कुद पड़ने के बाद मेहनत मजदुरी न कर तो उनकी पुरी जिन्दगी किसी अमिर की तरह खाते पिते कटना तो दुर एकदिन भी यदि वह काम पर न जाए तो उनकी और उनके परिवार दोनो की ही जिवन भुखा पेट सोकर दुबारा कभी आँख न खुले ऐसी खतरे में पड़ जाएगी | जिस बात को सरकार चलाने वाले अच्छी तरह से जानते हैं | तभी तो वे चुनाव में मौका का फायदा उठाकर वोट के लिए कंबल भोजन वगैरा बांटते हैं | जो चुनाव समाप्त होते ही सरकार बनने के बाद अपने किए हुए निवेश को सुध समेत वसुली करना सुरु कर देते हैं | सत्ता में बैठने के बाद उन्हे गरिबी भुखमरी से कोई खास लेना देना नही रहता है | जिसके चलते ही तो वे खुद तो सारी अमिरी सुख सुविधा पर खास ध्यान देते हैं , पर गरिबी भुखमरी में खास ध्यान नही देते हैं | नही तो फिर इस देश में अन्न धन की कमी न होते हुए भी हर साल लाखो लोग गरिबी भुखमरी से क्यों मारे जा रहे हैं ! जबकि इस देश के बहुसंख्यक आबादी को संविधान में खास अधिकार भी प्राप्त है | बल्कि जिने का अधिकार तो संविधान में सबको प्राप्त है | पर फिर भी हर साल लाखो लोग गरिबी भुखमरी से मर रहे हैं | 

poor india, गरिबी भुखमरी Khoj123

कांग्रेस भाजपा दोनो की ही सोच गरिबी को हटाने की नही है 

1947 ई० से लेकर अबतक इस देश में भाजपा और कांग्रेस दोनो ने ही सबसे अधिक समय और सबसे अधिक राज्यो में शासन किया है | आज 2021 ई० समाप्त होगा और कल 2022 ई० का स्वागत क्या करोड़ो लोगो को भुखा रखकर जस्न होगा | जिस तरह के बुरे हालात के लिए मुख्य जिम्मेवार वे लोग और उनके द्वारा स्थापित वह भ्रष्ट शासन है , जो सिर्फ चुनाव में गरिबी हटाओ और बेटी बचाओ की बाते करके लंबे समय तक शासक बनने के बाद गरिब बीपीएल भारत बसाकर बेटियो को पेट के लिए वैश्या तक बनने के लिए मजबुर करते आ रहे हैं |  इनके साशन में सड़क से लेकर पाँच सितारा होटल तक वैश्यावृति का धँधा बड़ते ही जा रही है | ये लोग नारी सुरक्षा के नाम से नारी का वोट लेकर सत्ता में बैठकर हर साल हजारो लाखो नारियो का बलात्कार होते नही रोक पा रहे हैं | सिर्फ अपनी सुरक्षा को खास ध्यान देकर इस देश के जवानो को नारी की इज्जत बचाने में कम लगा रहे हैं और अपनी सुरक्षा में ज्यादे लगाने में ध्यान देकर अपनी सुरक्षा में करोड़ो खर्च भी करते आ रहे हैं | जो लोग बेटी बचाओ नही खुदको बचाओ कहकर चौबीस घंटे देश की सबसे महंगी खास सुरक्षा से घिरे रहते हैं | गरिबी हटाओ नही गरिबो को हटाने में लगे रहते हैं | जैसे कि मुठीभर आबादी को खास सुख सुविधा प्रदान करने के लिए कभी गरिबो का घरबार उजाड़ देते हैं , तो कभी अपने खास करिबियो को खुश करने के लिए गरिबो को विस्थापित करके उनके हक अधिकारो में कब्जा करवा देते हैं | मुमकिन है ये नोएडा में जिस एयरपोर्ट का शिलान्यास करके उसे बनाने जा रहे हैं , वह भी गरिबो के हक अधिकारो को लुटकर बनेगा | जिसके बनने के बाद दस बीस हजार को भी सरकारी नौकरी मिलेगी की नही मिलेगी पर लाखो लोगो का जिवन अपने हक अधिकारो के छिने जाने से जरुर अभी से और अधिक खराब हो जाएगा | जैसे कि जहाँ जहाँ भी स्मार्ट सिटि बन रही है , वहाँ भी मुठीभर लोगो को खास सुख सुविधा प्रदान करने के लिए ज्यादेतर लोगो की जिवन को बर्बाद किया जा रहा है | कांग्रेस ये कुकर्म कई दसक तक करते आ रही थी | जिसे भाजपा आगे बड़ा रही है | क्योंकि ये लोग मानो श्रापित लोग हैं , जो जिधर भी जाते हैं विकाश नही वनाश करते हैं | कोई राज्य इनसे अछुता नही है | क्योंकु कांग्रेस भाजपा का सबसे अधिक राज्यो में भी सरकार है | जो दोनो ही पार्टी हम सत्ता में आकर विकाश करा देंगे कहकर वोट मांगकर चुनाव जितकर विकाश के नाम से जिधर भी अपना हाथ पाँव लगाते हैं , उधर मानवता और पर्यावरण का बर्बादी सुरु हो जाता है | 


ये विकाश नही विनाश करने वाले लोग हैं | जो एकदिन खुदका भी विनाश खुद ही कर लेंगे | जैसे की कौरव पांडवो ने खुद ही खुदका विनाश कर लिया था | बल्कि रामराज कायम करने वालो ने भी खुद ही खुदका विनाश कर लिया था | ये पांडवराज और रामराज को अपना आदर्श मानने वाले भी एकदिन अपना खुद ही विनाश कर लेंगे | बजाय इसके की ये आजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद दुसरो का भी विकाश करते और अपनी भी बेहत्तर विकाश करते | पर नही इन्हे तो बस अपनी झुठी शान को बरकरार रखने के लिए दुसरो के भी हक अधिकारो को छिनकर मुठीभर लोगो को मानो इतना अधिक खिलाते रहना है कि उनका विनाश अति खा खाकर पेट फटने की वजह हो जाय | ये भाजपा कांग्रेस के खास करिबी भी अति खाने में ही दिन रात लगे हुए हैं | जिनकी मदत से ये प्रत्येक चुनाव में सबसे अधिक धन खर्च करने वाली पार्टी भी कहलाती है | 


उत्तर प्रदेश चुनाव में भी ये दोनो पार्टी चुनाव से पहले ही सबसे अधिक धन खर्च करना सुरु भी कर दी है | एक एक रैली में लाखो करोड़ो खर्च किए जा रहे हैं | इनके द्वारा खर्च किए जा रहे पैसे को देखकर लाखो गरिब बीपीएल इनसे चुनाव प्रचार के दौरान कंबल खाना वगैरा की भी उम्मीद करके भिड़ लगा रही है | क्योंकि उन्हे पता है कि चुनाव के बाद ये सरकार बनकर उन्हे कुछ नही देने वाले हैं |


 जिसके चलते ये चुनाव प्रचार में कंबल खाना वगैरा की उम्मीद करके भिड़ लगाते हैं | ऐसी हालात बरकरार है कांग्रेस के द्वारा पचास साठ साल शासन करने और भाजपा द्वारा दस साल से भी अधिक समय तक शासन करने के बावजुद भी | क्योंकि इनके शासन में जो धन्ना कुबेरो को कई कई लाख करोड़ का विशेष लाभ पहुँचाया जाता रहा है , वह इनका मानो सत्ता पाने के लिए एक प्रकार का निवेश अथवा फिक्स डिपोजिट ही तो होता है | यू ही नही इनके खास खास करिबी सिर्फ एक साल में ही अमिर से और अति अमिर होते चले जाते हैं कि कोई सबसे अधिक तनख्वा पाकर सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्ती भी यदि अपनी सारी जिवन की कमाई को जोड़कर इनकी एक महिने की अमिरी से भी यदि तुलना करे तो सबसे अधिक तनख्वा में सरकारी नौकरी करने वाले भी उनके सामने भ्रष्ट सरकार की विशेष कृपा से सारी जिन्दगी कमाया गया धन के मामले में छोटे ही नजर आते हैं | रही बात भ्रष्ट शासको की तो वे तो सिर्फ अपनी एक विदेश यात्रा में ही देश के खजाने से सिर्फ मात्र खाने पिने में ही इतने खर्च मिल जुलकर कर देते हैं कि यदि उस खर्च से किसी गरिब का पेट भरा जाय तो इतने गरिबो का पेट भर सकता है , जितना कि इनकी सबसे अधिक भीड़ वाली रैलियो में भी भीड़ इकठा कभी नही होती होगी | जितने लोगो के पेट में लात मारकर ये विदेश यात्रा करके सिर्फ खाने पिने में ही खर्च करते रहते हैं | क्या इन्हे रोजमरा जिवन में बहुसंख्यक आबादी द्वारा खाये जानेवाला घरेलु खाना हजम नही होता है ? कांग्रेस शासन के दौरान आठ दस हजार रुपया प्रति प्लेट भी खाई जा रही थी जो बड़कर भाजपा शासन में कितना होगा यह तो भाजपा शासन के दौरान बड़ी महंगाई के बारे में ही जानकार अनुमान लगाया जा सकता है | जितना महंगा खाने की जरुरत क्या है जब यह देश गरिबी भुखमरी से जुझ रहा है | ये लोग किसी मजदुर को न्यनतम मजदुरी और विकलांग , वृद्ध और विधवा वगैरा को सरकारी पेंशन और सरकारी राशन महिना में जितना नही देते हैं , उससे कहीं ज्यादा तो सिर्फ अपने लिए चाय नास्ता में ही धन्ना कुबेरो के साथ बैठकर खर्च करते हैं | जो लोग इंद्रदेव और कुबेर की तरह झुठे शान के इतने भुखड़ लोग होते हैं कि इनके गलत संगत में यदि कोई व्यक्ती आकर इनकी पसंद का पार्टी खाना यदि वह भी सुरु कर देता है तो पुरी संभावना हो जाता है कि उसे भी झुठी शान का भुखड़पन आ जाएगा और वह भी मुठीभर खास लोगो के साथ ही उठना बैठना सुरु करके उसे भी तृप्ती मिलना मुश्किल हो जाता है | जैसे कि किसी धन्ना की पार्टी में जाकर गणेष को भी इतना भुखड़पन सवार हो गया था कि यदि गणेष की माँ उसे अपने हाथो से चावल बनाकर नही खिलाती तो गणेष अपनी भुख को शांत करने के लिए धन्ना को भी खा जाता | जिस तरह का भुखड़पन इनकी जिवन में तब से मौजुद है , जबसे ये दुसरो के हक अधिकारो को छिन और कब्जा करके इस देश को गरिबी भुखमरी देकर शासन करते आ रहे हैं | जो भुखड़पन सायद इनकी तब समाप्त होगी जब इनके द्वारा कब्जा किया हुआ इस देश का शासन इनके हाथो से हमेशा हमेशा के लिए चली जाएगी | जो कि तब जाएगा जब इस देश को पुरी आजादी मिलेगी |


गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

Hindustan Hinduism Hindu Veda Purana Hindu Festivals and Nature Science



हिंदुस्तान हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण हिंदू पर्व त्योहार और प्रकृति विज्ञान


हिंदुस्तान हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण हिंदू पर्व त्योहार और प्रकृति विज्ञान
हिंदुस्तान हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण हिंदू पर्व त्योहार और प्रकृति विज्ञान



Hindustan Hinduism Hindu Veda Purana Hindu Festivals and Nature Science




hindustaan hindoo dharm hindoo ved puraan hindoo parv tyohaar aur prakrti vigyaan


इस कृषि प्रधान देश भारत जिसे हिन्दुस्तान भी कहा जाता है वहाँ पर जब मनुवादि हजारो साल पहले बाहर से प्रवेश किया था तो वह संभवता कपड़ा पहनना भी नही जानता था तो वह क्या इतने सारे वेद पुराण और हजारो जातियाँ बनाएगा | इस देश में प्रवेश से पहले उसे तो अपने परिवार समाज के बारे में भी पता नही था कि वह इस देश में आने से पहले किस परिवार समाज में जन्म लिया था | क्योंकि मनुवादियो के परिवार समाज के बारे में अबतक पता ही नही चला है कि कहाँ पर उसे मनुवादियो ने छोड़कर पुरुष झुंड बनाकर इस देश में आकर वापस अपने परिवार समाज के पास कभी लौटे ही नही | इस देश में मौजुद मनुवादियो का वंशवृक्ष तो इसी देश की नारियो से मनुवादियो द्वारा पारिवारिक रिस्ता जोड़कर बड़ाया गया है | जो कि DNA रिपोर्ट से साबित भी हो गया है | जिससे पहले के परिवार समाज के बारे में तो मनुवादियो को कुछ पता ही नही है | और जब उन्हे अपने परिवार के बारे में पता ही नही तो वे क्या धोबी नाई चमार बढ़ई महली वगैरा हजारो विकसित हुनरो के बारे में जानते होंगे | जिसे आज के समय में गिनती में छः हजार से ज्यादे हुनरो की जानकारी हजारो जाति के नाम से दर्ज है | जिन हजारो हुनरो को दरसल हमलोगो ने खुद विकसित किया है | न कि इसे मनुवादियो ने विकसित अथवा बनाकर सभी हजारो जातियो में धोबी नाई चमार महली वगैरा हुनर सिखाकर सबको काम पर लगाया है | क्योंकि जब खुद मनुवादि इस देश में पेट के वास्ते घुमकड़ भुखड़ लंगटा लुचा जिवन व्यक्तीत करते हुए प्रवेश किया था तब के समय में भी यह देश विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण करके हजारो हुनरो के साथ विकसित गणतंत्र जिवन व्यक्तीत कर रहा था | हजारो विकसित हुनर तब भी मौजुद थी , जिसके जरिये इस देश में विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण हुआ है | जिसमे वेद पुराणो की रचना भी शामिल है | न कि वेद पुराण और हजारो हुनरो जैसे जानकारियो का सागर उन लंगटा लुचा मनुवादियो द्वारा रचे गए हैं , जिन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता कपड़ा पहनना भी नही आता था | क्या वे तब जानते होंगे कपड़ा बनाना कपड़ा पहनना और कपड़ा धोना ! जिन्हे तो अपने परिवार समाज और इतिहास के बारे में भी नही पता | जो कुछ वे जानते हैं वह सब इस देश के लोगो के द्वारा जुटाई और खोजी गई जानकारी है | न कि लंगटा लुचा मनुवादियो ने इतनी सारी जानकारियो का वेद पुराण हुनर सागर और इस देश का इतिहास हमे प्रदान किया है | बल्कि हमने वेद पुराणो की रचना करके मनुवादियो को उनका इतिहास और परिवार समाज के बारे में जानकारि उपलब्ध कराया है | और भविष्य में इस देश के लोग ही मनुवादियो को उनके उस लापता गुमनाम परिवार के बारे में जानकारी जुटाकर उनसे मिलाने का प्रयाश भी करेंगे जिनके बारे में मनुवादियो को कुछ नही पता है कि इस देश में आने से पहले वे कहाँ पर पैदा होकर बड़ा होने तक अपनी जिवन व्यक्तीत कर रहे थे | क्योंकि मनुवादि किसी लावारिस बच्चे की तरह रोते विलखते माँ पिताजी करते हुए तो इस देश में प्रवेश नही किए होंगे | जिसके बारे में सबसे प्राचिन ऋंग्वेद में भी जिक्र है कि मनुवादि इस देश में प्रवेश करते समय दुध पिता बच्चा नही था | बल्कि बड़ा होकर उन्होने इस देश में प्रवेश किए और इस देश को घर के भेदियो की सहायता से गुलाम करके यहीं पर अपने गुलामो के साथ पारिवारिक रिस्ता जोड़कर बस गए | जिसके बाद उन्होने घर के भेदियो की ही सहायता से इस देश की भाषा को सिखा फिर इस देश की वेद पुराणो में अपनी लाभ के अनुसार मिलावट और छेड़छाड़ करके अपनी लाभ के अनुसार गुलाम भारत का संविधान मनुस्मृति रचना किया और उसे लागू करके अपने गुलामो को शूद्र घोषित करके हजारो हुनर से जुड़े हजारो पेशा को हजारो जाति घोषित कर दिया | अथवा हजारो पेशे को करने वाले इस देश के मुलनिवासियो को मनुवादियो ने शूद्र घोषित करके हजारो हुनर को हजारो जाति बना दिया है | 


जैसे की यदि आज के समय में भी मौजुद हजारो हुनर को जानने वाले हजारो पेशा को करने वालो को शूद्र घोषित कर दिया जाता तो आज तो पहले से भी अधिक जातियाँ बना दी जाती | क्योंकि आज के समय में इंसानो ने पहले से कहीं अधिक हुनर को सिखकर उसे अपना पेशा बनाकर उससे जुड़े हुए लाखो करोड़ो लोग अपना घर परिवार चला रहे हैं | जैसे की आज के समय में एक खास उदाहरन के तौर पर इंटरनेट मौजुद होने की वजह से इंटरनेट से जुड़े हुए Youtube , blogger वगैरा से जुड़कर हजारो हुनर के माध्यम से हजारो पेशे के रुप में परिवर्तित होकर उससे जुड़कर लाखो लोगो की रोजी रोटी चल रही है | जिससे जुड़े सभी लोगो को यदि पुरी दुनियाँ को मनुवादियो द्वारा गुलाम बनाकर शूद्र घोषित कर दिया जाय तो ये सभी इंटरनेट से जुड़े अलग अलग हुनर से जुड़े पेशे भी हजारो जाति बन जाएगी | जिसके बाद भविष्य में क्या यह गलत जानकारी दी जाएगी की इंटरनेट और इंटरनेट से जुड़े हुए हजारो हुनरो को मनुवादियो ने बनाए हैं ? वैसे भी मनुवादि खोज से ज्यादे पहले से ही खोजी गई जानकारियो में छेड़छाड़ और मिलावट करने की हुनर में ज्यादे महारत हासिल किया हुआ है | जिसका सबसे बड़ा उदाहरन इस देश के लोगो द्वारा रचे वेद पुराण और इस देश का हिंदू धर्म में मनुवादियो द्वारा मिलावट और छेड़छाड़ है | जिसे मनुवादि अपना घोषित करके उसके साथ छेड़छाड़ और मिलावट करके पुरी दुनियाँ को अबतक यह बतलाते आ रहा है कि असली हिंदू वह है , और हिंदू वेद पुराण उसी के द्वारा रचे गए हैं | वह तो इस देश को भी इसे हमने बनाया है और इस देश का मूल मालिक हम हैं बताने की सोच से लंबे समय से खुदको कट्टर हिंदू और खुदको जन्म से हिंदू धर्म का ठिकेदार बना रखा है | जबकि उसे भी पता है कि हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण और होली दीवाली मकर संक्रांती जैसे हिंदू पर्व त्योहार यूरेशिया से नही आए हैं | जिसे मनाने के लिए छुवाछूत की जरुरत भी नही पड़ती है | बल्कि छुवाछूत करने वाले तो खुदको कट्टर हिंदू कहकर भी इन पर्व त्योहारो को बिना छुवाछूत छोड़े मना भी नही सकते | जो पर्व त्योहार मुलता प्रकृति पर आधारित है | और हिंदू धर्म भी मूलता प्रकृति विज्ञान की प्रमाणित जानकारियो पर आधारित है | जिसमे मनुवादियो ने मिलावट और छेड़छाड़ करके प्रकृति सूर्य को सूर्यदेव , प्रकृति हवा को पवनदेव , प्रकृति आग को अग्निदेव पूजा वगैरा मिलावट और छेड़छाड़ करके प्रकृति विज्ञान को ढोंग पाखंड परिभाषित करने की कोशिष किया है | पर चूँकि एक झूठ को हजार बार सत्य बताकर सत्य को लंबे समय तक दबाया तो जा सकता है , पर हमेशा के लिए छिपाया नही जा सकता | इसलिए हिंदू धर्म वेद पुराणो और हिंदू पर्व त्योहारो की सच्चाई धिरे धिरे एकदिन पुरी दुनियाँ को समझ में आ जाएगी कि यह मनुवादियो के द्वारा बनाए गए ढोंग पाखंड नही बल्कि इस देश के मुलनिवासियो के द्वारा बनाए गए प्रकृति विज्ञान पर आधारित ज्ञान का सागर है | जिसकी नींव मनुवादियो के आने से कहीं पहले ही रखी जा चूकि थी |


बुधवार, 22 दिसंबर 2021

Even now many countries are slaves even after being freedom


 Even now many countries are slaves even after being freedom

आजादी के बाद भी आज भी कई देश गुलाम हैं ,khoj123

आजादी के बाद भी आज भी कई देश गुलाम हैं


aajaadee ke baad bhee aaj bhee kaee desh gulaam hain


जिस देश में भी गरिबी भुखमरी मौजुद है वह देश किसी गरिब की नजर से पुरी तरह से आजाद तभी कहलाएगा जब वहाँ की सरकार उसकी गरिबी को सिर्फ अपने एक ही कार्यकाल में दुर कर देगा | और यदि दुर नही किया तो समझो वह देश पुरी तरह से आजाद नही है |

बेघर लोग,khoj123
                                     

                                        homeless citizens

 क्योंकि सरकार बनाने वाले यदि सरकार बनते ही अपनी कार्यकाल पुरा होने से पहले ही अपनी गरिबी भुखमरी दुर कर सकते हैं तो फिर वे सरकारी सेवक बनकर जनता की गरिबी भुखमरी को पुरा कार्यकाल समाप्ती तक क्यों नही दुर कर सकते हैं | क्यों वे विदेशी और विदेशी कंपनियो को स्थापित करने वालो को तो  अमिर से और अधिक अमिर बनने में विशेष सहायता करते रहते हैं पर अपनी जमिन से जुड़े मुलनिवासियो की गरिबी भुखमरी दुर करने में असमर्थ महसुश करते हैं | ऐसा क्यों , क्योंकि असल में गुलाम बनाने वाले अब भी उस देश को लुटकर गरिबी मुक्त होने नही दे रहे हैं | जिन गुलाम करने वालो की दबदबा अब भी मौजुद है | जैसे कि अफ्रीका और भारत में भी गुलाम करके लुटपाट करने वाले अब भी मौजुद हैं | जो कि इस देश को गरिबी भुखमरी मुक्त होने नही दे रहे हैं | जबकि अफ्रीका और भारत दोनो ही प्राकृति धन संपदा से अमिर देश हैं | जिसकी ही तो लुटपाट करने के लिए गुलाम करने वाले लुटेरे अबतक भी इन क्षेत्रो में किसी न किसी माध्यम से लुटपाट जारी रखे हुए हैं | जो लुटपाट जबतक जारी रहेगा तबतक गरिबी भुखमरी भी जारी रहेगा | क्योंकि लुटेरा अपनी गरिबी दुर करने के लिए लुटपाट सुरु किया है | जो लुटपाट को छोड़कर अमिर बने ज्यादे समय तक अमिर बने नही रह सकता | क्योंकि अमिरी उसकी प्रकृति नही है | जिसके चलते वह प्राकृति खनिज संपदा से अमिर क्षेत्रो में ही लुटपाट का मुख्य धँधा चलाता है | गुलाम करके लुटपाट करना भी अमिर बनने का धँधा है | जो धँधा मुलता वे लोग करते आ रहे हैं जो उन क्षेत्रो के मुलनिवासि हैं , जहाँ पर प्राकृति धन संपदा का अभाव है | अथवा वहाँ के मुलनिवासि प्राकृति तौर पर अमिर नही हैं | जिन्हे असली अमिर बनाना है तो उनके क्षेत्रो को प्राकृति रुप से अमिर करने की कोशिष पुरी दुनियाँ को मिलकर करनी चाहिए | प्राकृति रुप से अमिर क्षेत्रो के मुलनिवासि अपनी अमिरी को लुटाकर लंबे समय से अपनी जान की कुर्बानी गरिबी भुखमरी से मरकर देते आ रहे हैं | जिनकी मौत गरिबी भुखमरी से कभी नही होती यदि प्राकृति रुप से गरिब क्षेत्रो के मुलनिवासि अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए प्राकृति अमिर क्षेत्रो के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर उनकी अमिरी को लुटकर खुद अमिर न होते ! जैसे की अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए कबिलई गोरे पुरे विश्व के कई ऐसे देशो को लुटे , जो की प्राकृति रुप से अमिर देश हैं | जिनकी अमिरी को लुटकर वे मानो उधार की अमिरी लेकर आज के समय में विकसित देश कहलाते हैं | जो लुटपाट दरसल प्राकृति में घटी कोई बड़ी घटना की वजह से पुरी दुनियाँ का नक्सा बिगड़ने के बाद से सुरु हो गया है | हाँ सुरुवात में जब इंसानो ने कोई अपना क्षेत्र अथवा अपना देश जहाँ के वे मुलनिवासि कहलाते हैं , वह नही बनाया होगा तबतक जानवर ही एक प्राकृति गरिब क्षेत्र से दुसरे प्राकृति अमिर क्षेत्र में जाकर लुटपाट करते होंगे | जैसे की अब भी जानवर करते हैं | जो की अपने क्षेत्र में उन्हे भोजन का अभाव महसुश होता है तो वे दुसरे के क्षोत्रो में जाकर भोजन करते हैं | जो की इंसान भी लंबे समय से करते आ रहे हैं | क्योंकि जिस प्राकृति क्षेत्र में कोई बड़ी घटना होने की वजह से वहाँ की प्राकृति अमिरी चली गई है , अथवा वहाँ पर प्राकृति खनिज संपदा या फिर पानी उपजाउ जमिन वगैरा की घोर कमी हो गई है , वहाँ के मुलनिवासि अपनी प्राकृति गरिबी से छुटकारा पाने के लिए प्राकृति अमिर क्षेत्रो में लुटपाट करना सुरु कर दिया है | जो जड़ से समाप्त तबतक नही होगा जबतक की या तो पुरी दुनियाँ मिलकर जिन जिन क्षेत्रो में प्राकृति गरिबि मौजुद है उसे दुर करने का उपाय करे वहाँ पर पानी वगैरा पहुँचाने और खेती भरपुर मात्रा में सुरु करने की | जबकि अभी देखा जाय तो पुरी दुनियाँ दरसल असल गरिबी जो जड़ में मौजुद है , उसे दुर न करके उस गरिबी को दुर करने में ही लगा हुआ है जो कि असल में जड़ से गरिब नही बल्कि गरिब बनाया गया है | क्योंकि वह क्षेत्र प्राकृति रुप से अमिर है | जैसे की अफ्रीका और भारत वगैरा जड़ से प्राकृति रुप से अमिर क्षेत्र है | जहाँ पर यदि बाहरी कबिलई लुटेरे जो की अब भी खुदको अपडेट करके इन क्षेत्रो में लुटपाट जारी रखे हुए हैं , वे यदि अपनी लुटपाट धँधा बंद कर दे तो इन क्षेत्रो में अमिरी लौट आएगी | जिस अमिरी को ज्यादेतर विदेशी कबिलई लुटेरे लुट लुटकर अब भी अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने में ही लगे हुए हैं | यू ही नही कहा जाता की अमिर लोग पहले से और अधिक अमिर होते जा रहे हैं और गरिब लोग पहले से और अधिक गरिब होते जा रहे हैं | क्योंकि लुटपाट से अमिर बनने वाले मुलता विदेशी कबिलई लुटेरो के वंशज लोग प्राकृति रुप से जड़ से गरिब लोग हैं | जिसके चलते यदि वे अपनी लुटपाट से धन संपदा भर भी लेते हैं , तो भी उन्हे भितर से अपनी गरिबी उन्हे और अधिक अमिर बनने के लिए उनसे लुटपाट करवाती रहती है | क्योंकि गरिबी उनकि प्रकृति है |

Why is there similarity between Buddha statue and Shiva statue

 

Why is there similarity between Buddha statue and Shiva statue?


बुद्ध प्रतिमा और शिव प्रतिमा में समानता क्यों है,khoj123

बुद्ध प्रतिमा और शिव प्रतिमा में समानता क्यों है?


शिव को जट्टाधारी माना जाता है | और बुद्ध को भी मूर्ति वगैरा में जट्टाधारी देखा जा सकता है | बल्कि कई विवाद भी है कि शिव को ही बुद्ध बताकर बौद्ध धर्म का जन्म हुआ है | वहीं बौद्ध धर्म वाले भी अपनी तरफ से यह कहते रहते हैं कि हिंदू धर्म में मौजुद शिव प्रतिमा बुद्ध का ही प्रतिमा है | वैसे बौद्ध धर्म में चूँकि बिना बाल के बौद्ध पुजारी दिखते हैं , इसलिए कहा जा सकता है कि वे चूँकि बुद्ध जैसा जट्टाधारी नही हैं , इसलिए मुमकिन है बुद्ध भी जट्टाधारी शिव को ही बताया जाता है | क्योंकि बुद्ध के समय में भी ढोंग पाखंड मौजुद था | अथवा मनुवादि लोग तब भी मौजुद थे | जिस ढोंग पाखंड के बिच में बुद्ध का जन्म हुआ | अथवा बुद्ध भी ढोंगी पाखंडियो के परिवार में ही पैदा लिए थे | जिसके कारन उसे ढोंग पाखंड को त्यागकर अपने ढोंगी पाखंडी परिवार से दुर जाकर उस प्राकृति ज्ञान विज्ञान सत्य को प्राप्त करना पड़ा , जिसे ढोंगी पाखंडी परिवार अपने बच्चो को नही देते हैं | क्योंकि वे अपने बच्चो को ढोंग पाखंड अप्राकृति चमत्कार असत्य और भोग विलाश सिखलाते हैं , जो कि बुद्ध को भी महलो के अंदर प्राप्त था  | जिससे बाहर की असल दुनियाँ से बुद्ध का परिवार बुद्ध को इसलिए दुर रखे हुए था , क्योंकि बुद्ध का परिवार को सिर्फ अपनी झुठी शान से मतलब था | जिस शान को बुद्ध भी अपनाकर भोग विलाश में डुबे रहे , इसलिए उसे बाहरी दुनियाँ से दुर रखा गया था | बुद्ध भी बचपन से लेकर जवानी और फिर विवाह करके बाप बनने तक झुठी शान की महलो वाली भोग विलास जिवन यापन किया था | जिसे त्यागकर ही वह सत्य बुद्धी को प्राप्त किया | जिससे पहले उसके पास जो भी ज्ञान की डिग्री थी , उसके आधार पर बुद्ध को ज्ञानी नही कहा जाता है | तभी तो यह कहा जाता है कि बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ती पीपल पेड़ के निचे हुआ था | वह भी बिना गुरु का ही हुआ था | जिससे पहले महलो के भितर मनुवादि गुरु ब्राह्मणो द्वारा प्राप्त किया हुआ ज्ञान को महत्व नही दिया जाता है | क्योंकि वह सब ज्ञान ढोंग पाखंड अथवा असत्य को बढ़ावा देता है | जिस ढोंग पाखंड का सरदार मनुवादियो को माना जाता है | जिस मनुवादि परिवार में ही बुद्ध का भी जन्म हुआ था | तभी तो उसे वेद पुरान का भी ज्ञान प्राप्त था | जो कि इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र निच कहकर उस समय वेद ज्ञान प्राप्त करना मना था | जो पाबंदी बुद्ध को नही था , क्योंकि वह भी उच्च क्षत्रिय जाति परिवार में पैदा हुआ था | जिस क्षत्रिय के साथ छुवाछूत जैसे भेदभाव नही होता है | जैसा कि बुद्ध के साथ भी नही होता था , और उसे वेद ज्ञान देने वाले ब्राह्मण उसके महल में आते जाते थे | न कि बुद्ध शूद्र था जिसके साथ भी मनुवादि छुवाछूत करते थे | छुवाछूत करते तो फिर बुद्ध के महलो में उसे ज्ञान देने नही जाते | 


शिव और बुद्ध दोनो ही प्राकृति के बिच नजर आते हैं


जिसके बारे में तो यह भी मुमकिन है कि जट्टाधारी बुद्ध प्रतिमा दरसल शिव प्रतिमा का ही कॉपी है | कॉपी करके मनुवादियो ने मनुवादी ढोंग पाखंड का एक और नया ब्रांच खोलने की मकसद से बौद्ध धर्म को जन्म देकर बौद्ध धर्म में भी ढोंग पाखंड का धँधा सुरु कर दिया है | जैसे की कांग्रेस पार्टी के बाद भाजपा पार्टी एक नया ब्रांच पार्टी है मनुवादियो का | क्योंकि मनुवादीयो की दबदबा हिंदू धर्म में भी है और बौद्ध धर्म में भी है | मनुवादि हिंदू मंदिरो में भी भेदभाव करते दिख जाते हैं , और बौद्ध मंदिरो में भी भेदभाव करते मिल जाते हैं | उसी तरह मनुवादियो की दबदबा कांग्रेस पार्टी में भी है , और भाजपा पार्टी में भी है | मनुवादि हिंदू मंदिरो में भी भेदभाव कायम किए हुए हैं , और बौद्ध मंदिरो में भी भेदभाव कायम किए हुए हैं | उसी तरह मनुवादि कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी में अपनी दबदबा कायम किए हुए हैं | बल्कि मनुवादियो की दबदबा इस देश में ही कायम है | जिनके सामने इस देश के मुलनिवासियो की हालत कैसी है , यह तो इसी बात से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्तमान के समय में  इस देश के मुलनिवासि खंड खंड हुए किसी भी देश का न तो मूल शासक हैं , और न ही किसी भी धर्म के मूल धर्मगुरु हैं | हलांकि यह देश और इस देश का मुल धर्म और धर्म ग्रंथ इस देश के मुलनिवासियो द्वारा ही रचा या बनाया गया है | जिसमे कब्जा करके गुलाम करने वालो ने उसे अपना खास बना लिया है , देश का खास शासक बनकर और धर्म का खास धर्मगुरु बनकर | जो इस देश के मुलनिवासि खास हिंदू या बौद्ध नही माने जाते | और न ही इस देश के मुलनिवासियो को इस देश की सत्ता में खास माना जाता हैं | क्योंकि वे अभी भी गुलाम हैं | जिन्हे न तो हिंदू धर्मगुरु माना जाता और न ही बौद्ध धर्मगुरु माना जाता | बुद्ध को तो बौद्ध धर्मगुरु या फिर बुद्ध भगवान माना जाता है | बल्कि यह भी माना जाता है कि बुद्ध क्षत्रिय परिवार में जन्मे और विष्णु अवतार थे | भले बौद्ध धर्म वाले और हिंदू धर्म के ठिकेदार एक दुसरे को दिन रात गाली देते रहते हैं , पर वे हमेशा बौद्ध बनने के लिए इस देश के मुलनिवासियो को ही कहते हैं | क्योंकि उन्हे पता है कि हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनो में ही जिन मनुवादियो का छुवाछूत कब्जा है , वे दोनो इस देश के मुलनिवासियो को ही गुलाम बना सकते हैं | नही तो फिर जो मनुवादि बुद्ध को क्षत्रिय और विष्णु देव का अवतार कहता है , वह मुलता खुद बौद्ध बनकर बौद्ध धर्म को क्यों नही अपना लेता है | क्योंकि उन्हे पता है कि मूल रुप से एक मनुवादि दुसरे मनुवादि को गुलाम भक्त कभी नही बना सकता , बल्कि एक दुसरे के गुलाम भक्तो को धर्म परिवर्तन कराकर आपस में बांट जरुर सकता है | उन गुलाम भक्तो को जिसे ये मनुवादि चाहे हिंदू धर्म में मौजुद हो या फिर बौद्ध धर्म में , उन्हे कभी भी मुल धर्मगुरु नही बनाते हैं | हाँ धर्म भक्त जरुर बनाते हैं | क्योंकि उनसे उन्हे विशेष लाभ मिलता रहता है | जिसमे यदि सच्चाई नही है तो स्वीकार करो की असली हिंदू धर्मगुरु इस देश का मुलनिवासि हैं , और असली बौद्ध धर्मगुरु भी इस देश के मुलनिवासि ही हैं | जो कि नही स्वीकार कर सकते , क्योंकि स्वीकारे तो गुलामी समाप्त हो जाएगी और मनुवादियो का ढोंग पाखंड धँधा भी समाप्त हो जाएगा | जिसके बगैर मनुवादि अपनी झुठी शान की जिवन नही जी सकते | जिस झुठी शान के लिए ही तो वे हिंदू धर्म में भी रहकर छुवाछूत करते हैं , और बौद्ध धर्म में भी रहकर छुवाछूत करते हैं | दिन रात असली हिंदू कहकर मनुवादि रट्टा मारकर मनुवादियो को हिंदू बताया जाता है | यह जानते हुए कि बिना इस देश के मुलवासियो के हिंदू रहते हिंदू धर्म सिर्फ मनुवादियो की अल्पसंख्यक आबादी को गिनकर दुनियाँ का तीसरा बड़ा धर्म का स्थान प्राप्त नही कर सकता | बल्कि मनुवादि चूँकि वे मिल जुलकर होली दीवाली और मकर संक्रांती जैसे हिंदू पर्व त्योहार भी अपनी मनुवादि सोच अनुसार नही मना सकते हैं , इसलिए यदि वे अपनी मनुस्मृति को अपना सबसे खास धर्म ग्रंथ मानकर जिसमे लिखे सारी बातो को खास पालन करना जरुरी मानकर यदि हिंदू धर्म से अलग होकर अपना खास मनुसृति धर्म बनाकर अपने मनुस्मृति को पवित्र धर्मग्रंथ घोषित करके खुदको भौगोलिक पहचान के हिसाब से हिंदू के बजाय यूरेशियन नाम का कोई अलग विदेशी पहचान से नाम रख भी देंगे तो भी हिंदू धर्म दुनियाँ के पाँच सबसे बड़े धर्मो में जरुर गिना जाएगा | लेकिन भी बौद्ध धर्म में मौजुद छुवाछूत करने वाले बार बार मनुवादियो की तरह भ्रमित करके जो कि वे मनुवादि हैं भी , यही कहते रहते हैं कि इस देश के मुलनिवासि हिंदू नही हैं | जबकि बौद्ध धर्म में मौजुद छुवाछूत करने वाले और हिंदू धर्म में  भी मौजुद छुवाछूत करने वाले दोनो का  ही DNA जाँच हो तो ये निश्चित तौर पर एक ही DNA के मनुवादि ही निकलेंगे , जो न असल हिंदू हैं और न ही असल बौद्ध हैं | जिनसे ही तो यह देश सबसे अधिक लंबे समय से गुलाम है | जिन गुलाम करने वालो की दबदबा हिंदू और बौद्ध धर्म दोनो में ही मौजुद है | जिसकी वजह से ही तो हिंदू और बौद्ध दोनो धर्मो के वे लोग मनुवादियो से निचे माने जाते हैं , जिनके रगो में मुलनिवासियो का DNA मौजुद है | जो कि लंबे समय से भेदभाव का शिकार होते आ रहे हैं | जो लोग चाहे हिंदू धर्म में मौजुद हो या फिर अपना हिंदू धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बने हो उनको कभी भी मुल धर्मगुरु नही माना जाता है | कहीं न कहीं उन्हे बौद्ध धर्म में जाकर वहाँ भी मनुवादि गुलामी महशुस होता है | बाकि विदेशो में जन्म लेकर इस देश में आनेवाले धर्म तो वैसे भी अपने धर्म का मूल धर्मगुरु इस देश के मुलनिवासियो को क्यों नही बना सकते इसमे आश्चर्य होनेवाली कोई बात नही है | हाँ यदि मनुवादि यूरेशिया से निकलकर इस देश को यदि गुलाम नही बनाए होते तो यह मुमकिन है कि मनुवादियो द्वारा यदि यूरेशिया गुलाम होता तो फिर मनुवादि अपनी छुवाछूत सोच से विदेशी धर्मो में भी जरुर अपनी दबदबा कायम किए होते | हलांकि विदेशो में जन्मे यहूदि ईसाई और मुस्लिम धर्म के बारे में भी यह माना और देखा जाता है कि इन धर्मो में भी भारी भेदभाव मौजुद है | क्योंकि इन धर्मो में भी भारी अबादी भेदभाव शोषण अत्याचार का शिकार है | जो बात यदि सत्य नही होती तो इन धर्मो को मानने वाले कोई भी व्यक्ती गरिबी भुखमरी या फिर अन्याय अत्याचार का शिकार नही होता | क्योंकि हक अधिकार लुटने वाले अन्याय अत्याचार करने वाले देश विदेश दोनो ही जगह मौजुद हैं | जो की सभी धर्मो में मौजुद हैं | जिन्हे कोई भी धर्म अपनी ज्ञान की ताकत से अबतक इतना बुद्धी नही दे पाए हैं कि वे लुटपाट करना अन्याय अत्याचार करना छोड़ सके | जो यदि लुटपाट अन्याय अत्याचार नही होता तो आज कहीं भी गरिबी भुखमरी मौजुद नही होती | पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक लुटपाट और अन्याय अत्याचार गुलाम करने वालो ने किया है | और गुलाम करने वालो से ही तो आजाद होने के लिए आज भी पुरी दुनियाँ की सबसे अधिक आबादी संघर्ष कर रहा है | इतिहास गवाह है कि गुलामी से आजादी पाने के लिए आजादी संघर्ष करते करते कई धर्मो का भी जन्म हुआ है | 

शनिवार, 18 दिसंबर 2021

what is meaning of Digital India

 


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डीजिटल इंडिया की तस्वीर क्या ऐसी दुसरे की चुराई हुई होनी चाहिए ?


किसी के मुँह से सुना था कि " चीन का माल चला तो चाँद तक और नही चला तो शाम तक " पर भाजपा तो दो साल पुराना चीन का बनाया एयरपोर्ट को भी भविष्य का सबसे बड़ा डीजिटल एयरपोर्ट बताकर चाँद तक ले जाने की बात करके एशिया का न० 1 एयरपोर्ट घोषित कर दिया है | भाजपा द्वारा चीन के एयरपोर्ट को उत्तर प्रदेश नोएडा का जेवर एयरपोर्ट बताया गया | जबकि चीन के शेन शिवाई ने बताया कि " जिस तस्वीर को जेवर एयरपोर्ट बतलाया जा रहा है , वह दरसल बीजिंग में दो साल पहले ही सुरु हुआ एयरपोर्ट है " यानी भाजपा पार्टी डीजिटल विकाश करने के लिए किसी की पुरानी तस्वीरो की भी चोरी करके उसे अपने विकाश की तस्वीर बताती है |

विकाश के दौड़ में बहुत आगे निकल चुके देशो से भी बहुत आगे निकलने का डीजिटल विकाश का दावा भाजपा द्वारा इसी तरह का ही झुठ परोसकर वोट लिए जा रहे हैं हैं | 



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आधुनिक भारत



कांग्रेस भी यही कर रही थी,  जिसके झुठ को भाजपा आगे बड़ा रही है | दोनो ही पार्टी झुठ बोलकर डीजिटल विकाश के नाम से वोट बटोरकर सत्ता में आती रही है | कांग्रेस गरिबी हटाओ और आधुनिक भारत का नारा देकर कई दशक तक वोट बटोरती थी तो भाजपा शाईनिंग इंडिया,  डीजिटल इंडिया का नारा देकर वोट बटोरती आ रही है | जिन दोनो के शासन में न तो गरिबी भुखमरी हटी , और न ही बेरजगारी व महंगाई दुर होने का नाम ले रही है | जबकि दोनो ही पार्टी को भारी बहुमत से सरकार बनाने का मौका मिला है | लेकिन कांग्रेस यदि 55-60 सालो तक सत्ता में रही तो भाजपा भी दस साल से अधिक समय तक सत्ता में रही है | 2014 ई० में तो भाजपा यह झुठ बोलकर आई थी कि कांग्रेस को 60 साल मौका दिया गया,  भाजपा को सिर्फ साठ महिना दिजिए ! जबकि इससे पहले भी भाजपा शाईनिंग इंडिया का नारा देकर साठ महिना साशन कर चुकी थी | और अब तो भाजपा को साठ महिना तो क्या दो दो बार भारी बहुमत का भी मौका मिल चुका है | लेकिन भी ये अब चुनाव भाषण देकर झुठ में झुठ बोलकर फिर से मौका मांगेंगे !  क्या इनको प्राकृति भी जब बुढ़ा करके अब समय समाप्त हो गया कहेगी तो उससे भी यह फिर से जवान होकर बुढ़ा होने का मौका मांगेंगे ? जबकि सबको पता है कि भले जनता फिर से सरकार को पाँच साल या फिर उससे भी अधिक बार सरकार का समय समाप्त होकर भी मौका देती है,  पर बुढ़ा होने के बाद समय समाप्त होने पर प्राकृति दुबारा जवान होकर बुढ़ा होने का मौका नही देती है | जो बात को सरकार चुनते समय वोट देनेवाले और वोट लेनेवाले दोनो को ही जरुर सोचना चाहिए ! खैर बातो बातो में मैने यह छोटा सा पोस्ट लिख डाला , जो यदि जानकारी युक्त लगा हो तो इसे जरुर शेयर करें ! धन्यवाद! 


चीन एयरपोर्ट की तस्वीर वायरल

http://fumacrom.com/3F0Bw


गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

अप्राकृतिक संबंध से जन्मा Omicron Variant



अप्राकृतिक संबंध से जन्मा 

Omicron Variant




कोरोना वायरस को अपडेट करके OMICRON VARIANT के रुप में कुछ पढ़े लिखे भस्मासुरो ने फिर ला दिया है  


यह खबर तेजी से पुरी दुनियाँ में वायरल हो रहा है कि कोरोना का नया अपडेट OMICRON VARIANT महामारी फैलाने आ गया है | कोरोना का नया अपडेट करने के लिए इसबार भस्मासुरो ने दक्षिन अफ्रीका को चुनकर वहाँ पर सबसे पहले OMICRON VARIANT का प्रयोग किया है | जिसके बाद वे OMICRON VARIANT को धिरे धिरे पुरी दुनियाँ में फैलाकर पहले से मौजुद कोरोना महामारी को और अधिक अपडेट रुप से फैलाने की तैयारी कर रहे हैं | 


काश की भगवान कोरोना वायरस से पहले इन पढ़े लिखे भस्मासुरो का नसबंदी करके इनकी शैतानी हरकतो को हमेशा के लिए नशबंदी लगा देते !


 क्योंकि जबतक भगवान इनके बुरे इरादो में नशबंदी हमेशा के लिए नही लगाएंगे तबतक ये अपने जैसा और कई भस्मासुरो को जन्म देते रहेंगे | जिनके पिच्छे किमती समय की बर्बादी होता रहेगा पुरी दुनियाँ का ! जैसे कि कभी इतिहास में गुलाम करने वाले लुटेरो ने पुरी दुनियाँ का लंबा समय बर्बाद करवाया है | जिस तरह की बर्बादी ये  OMICRON VARIANT अपडेट करने वाले पढ़े लिखे भस्मासुर अब 21वीं सदी का भी काफी किमती समय बर्बाद करवा रहे हैं | सौ प्रतिशत यह सत्य है कि कोरोना वायरस को अपनी लैब में अपडेट करने  वाले भस्मासुर अनपढ़ जाहिल लोग तो नही होंगे | और न ही ये जंगली लोगो की तरह नंगे होकर अपने प्रयोगशाला में  OMICRON VARIANT जैसे अपडेट करते रहते हैं | जिस तरह के पढ़े लिखे लोग किसी जाहिल से भी ज्यादा विनाशकारी भस्मासुर तब बन जाते हैं , जब वे ज्ञान वरदान का गलत उपयोग करके अपने ही जैसे प्राणी इंसानो के साथ साथ पुरे पर्यावरण का भी विनाश करने में सबसे खास भूमिका अदा करने लगते हैं | 


बुद्धी भ्रष्ठ करके वे अपनी झुठी शान में डुबकर यह सोचना भुल जाते हैं कि एकदिन उनका भी खात्मा होगा 


क्योंकि ऐसा प्रयोग करके दक्षिण अफ्रीका समेत दुनियाँ के सारे खनिज संपदा से भरपुर देशो समेत अन्य प्राकृति खनिज संपदा से समृद्ध देशो के साथ साथ चाहे वे दुनियाँ का सारा धन दौलत को इकठा कर ले या फिर सारे इंसानो का ज्ञान को इकठा कर ले , और फिर उस दौलत और ज्ञान का चाहे जितना उपयोग कर ले खुदको बचाने की , उम्र ढलते ही उसकी भी मौत सौ प्रतिशत निश्चित है | 


फिर उसके बाद उसकी सारी झुठी शान उसके मुर्दे में परिवर्तित हो जायेगी 


 जिसे उसकी झुठी शान को सर में चड़ाने वाले लोग अपने कंधो में धरकर शमशान या कब्रिस्तान छोड़ आएंगे | जहाँ पर प्राकृति मानो उससे गिन गिनकर बदला लेते हुए उसके मुर्दा शरिर में भी यदि झुठी शान बची रहेगी तो उसे भी तोड़ तोड़कर चुर करके अपने में विलिन कर लेगी | जिस तरह का विलिन वैसे तो सभी को जन्म लेकर कभी न कभी होना सौ प्रतिशत निश्चित है , लेकिन प्राकृति जिनसे खास नाराज रहती है , उन्हे अपने में विलिन करके मानो उनकी इस घमंड को भी चकनाचुर कर देती है , जिसके चलते वे सारी जिवन अपने द्वारा किए गए बड़ी बड़ी गलतियो को स्वीकारने के बजाय भस्मासुर बनकर जानबुझकर गलती में गलती किए जाते हैं | यह सोचकर की वे जो विनाशकारी कार्य मानवता और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाने के लिए खास भूमिका अदा कर रहे हैं , उससे उनके जिवन में हमेशा के लिए उच्च शान कायम हो जाएगा | जैसे की अपनी झुठी उच्च शान कायम करने के लिए कुछ लोगो की विनाशकारी गैंग जो कि किसी आतंकवादी और लुटेरा गैंग से भी खतरनाक गैंग होती है , वे अपनी ज्ञान का गलत उपयोग करके कोरोना और फिर उसका नया अपडेट OMICRON VARIANT तैयार करके अपने ही इंसान जाति का विनाश करने में लग जाते हैं | जिन भस्मासुरो पर नशबंदी दुनियाँ के सारे विकसित और विकाशसील देश मिलकर भी नही कर पाते हैं | क्योंकि आज के समय में दुनियाँ के सबसे शक्तीशाली देश कहलाने वाले भले हजारो परमाणु बम बनाकर अपने पास रखकर उससे डराकर अपने खास दुश्मनो को दुर रखते हो , पर ये पढ़े लिखे भस्मासुरो का गैंग उनसे भी नही डरते हैं | क्योंकि इनकी शैतानी शक्ती इतनी विनाशकारी होती है कि इनके द्वारा फैलाई गई महामारी से शक्तीशाली देश भी डरे सहमे रहते हैं कि कब वे भी इन भस्मासुरो की चपेट में आ जाए | जैसे की जैसे जैसे OMICRON VARIANT की खबरे पुरी दुनियाँ में फैल रही है वैसे वैसे तेजी से कई देश अपना दरवाजा विदेश से आने वाले लोगो के लिए बंद कर रहे हैं | क्योंकि उनको यह विशेष चिंता कायम हो गया है कि भस्मासुरो द्वारा तैयार किया OMICRON VARIANT किसी बाहर से आने वाले इंसानो के भितर प्रवेश करके उस देश में प्रवेश कर जाएगा | जिसके बाद उस देश के नागरिको का विनाश करने लगेगा | बल्कि ये भस्मासुर तो खुद जिस देश को अपना मुल स्थान मानते हैं उस देश के लिए भी विनाशकारी साबित होते हैं | क्योंकि भस्मासुर खुदका भी विनाश करते हैं | जाहिर है इनके अपने तो बाद में आते हैं | जिन भस्मासुरो का नशबंदी प्राकृति ही करती है उनको बुढ़ा करके ! जिसके बाद वे हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं | पर जबतक वे जिवित रहते हैं बहुतो को समाप्त करने का प्लान करते रहते हैं | जैसे कि सत्य शिव तक को भी भस्म करने की मकसद से उसके पिच्छे पड़ने वाला भस्मासुर जबतक समाप्त नही हुआ था तबतक सबके लिए विनाशकारी बना हुआ था | और मुझे पुरा यकिन है कि कोरोना के जरिये पुरी दुनियाँ में महामारी फैलाकर आतंक खौफ पैदा करने वाले गैंग का मास्टरमाईंड कोई बुढ़ा व्यक्ती ही होगा जो अपनी ढलती उम्र को स्वीकार करने के बजाय अपने साथ साथ सबको मौत की निंद में सुलाने की गंदी मांसिकता रखकर यह गंदी विनाशकारी हरकत कर रहा है | बजाय इसके की उसे अपने अंतिम क्षणो में शांती प्रेम से दुनियाँ को अलविदा लेना चाहिए था |


The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...