Even now many countries are slaves even after being freedom


 Even now many countries are slaves even after being freedom

आजादी के बाद भी आज भी कई देश गुलाम हैं ,khoj123

आजादी के बाद भी आज भी कई देश गुलाम हैं


aajaadee ke baad bhee aaj bhee kaee desh gulaam hain


जिस देश में भी गरिबी भुखमरी मौजुद है वह देश किसी गरिब की नजर से पुरी तरह से आजाद तभी कहलाएगा जब वहाँ की सरकार उसकी गरिबी को सिर्फ अपने एक ही कार्यकाल में दुर कर देगा | और यदि दुर नही किया तो समझो वह देश पुरी तरह से आजाद नही है |

बेघर लोग,khoj123
                                     

                                        homeless citizens

 क्योंकि सरकार बनाने वाले यदि सरकार बनते ही अपनी कार्यकाल पुरा होने से पहले ही अपनी गरिबी भुखमरी दुर कर सकते हैं तो फिर वे सरकारी सेवक बनकर जनता की गरिबी भुखमरी को पुरा कार्यकाल समाप्ती तक क्यों नही दुर कर सकते हैं | क्यों वे विदेशी और विदेशी कंपनियो को स्थापित करने वालो को तो  अमिर से और अधिक अमिर बनने में विशेष सहायता करते रहते हैं पर अपनी जमिन से जुड़े मुलनिवासियो की गरिबी भुखमरी दुर करने में असमर्थ महसुश करते हैं | ऐसा क्यों , क्योंकि असल में गुलाम बनाने वाले अब भी उस देश को लुटकर गरिबी मुक्त होने नही दे रहे हैं | जिन गुलाम करने वालो की दबदबा अब भी मौजुद है | जैसे कि अफ्रीका और भारत में भी गुलाम करके लुटपाट करने वाले अब भी मौजुद हैं | जो कि इस देश को गरिबी भुखमरी मुक्त होने नही दे रहे हैं | जबकि अफ्रीका और भारत दोनो ही प्राकृति धन संपदा से अमिर देश हैं | जिसकी ही तो लुटपाट करने के लिए गुलाम करने वाले लुटेरे अबतक भी इन क्षेत्रो में किसी न किसी माध्यम से लुटपाट जारी रखे हुए हैं | जो लुटपाट जबतक जारी रहेगा तबतक गरिबी भुखमरी भी जारी रहेगा | क्योंकि लुटेरा अपनी गरिबी दुर करने के लिए लुटपाट सुरु किया है | जो लुटपाट को छोड़कर अमिर बने ज्यादे समय तक अमिर बने नही रह सकता | क्योंकि अमिरी उसकी प्रकृति नही है | जिसके चलते वह प्राकृति खनिज संपदा से अमिर क्षेत्रो में ही लुटपाट का मुख्य धँधा चलाता है | गुलाम करके लुटपाट करना भी अमिर बनने का धँधा है | जो धँधा मुलता वे लोग करते आ रहे हैं जो उन क्षेत्रो के मुलनिवासि हैं , जहाँ पर प्राकृति धन संपदा का अभाव है | अथवा वहाँ के मुलनिवासि प्राकृति तौर पर अमिर नही हैं | जिन्हे असली अमिर बनाना है तो उनके क्षेत्रो को प्राकृति रुप से अमिर करने की कोशिष पुरी दुनियाँ को मिलकर करनी चाहिए | प्राकृति रुप से अमिर क्षेत्रो के मुलनिवासि अपनी अमिरी को लुटाकर लंबे समय से अपनी जान की कुर्बानी गरिबी भुखमरी से मरकर देते आ रहे हैं | जिनकी मौत गरिबी भुखमरी से कभी नही होती यदि प्राकृति रुप से गरिब क्षेत्रो के मुलनिवासि अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए प्राकृति अमिर क्षेत्रो के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर उनकी अमिरी को लुटकर खुद अमिर न होते ! जैसे की अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए कबिलई गोरे पुरे विश्व के कई ऐसे देशो को लुटे , जो की प्राकृति रुप से अमिर देश हैं | जिनकी अमिरी को लुटकर वे मानो उधार की अमिरी लेकर आज के समय में विकसित देश कहलाते हैं | जो लुटपाट दरसल प्राकृति में घटी कोई बड़ी घटना की वजह से पुरी दुनियाँ का नक्सा बिगड़ने के बाद से सुरु हो गया है | हाँ सुरुवात में जब इंसानो ने कोई अपना क्षेत्र अथवा अपना देश जहाँ के वे मुलनिवासि कहलाते हैं , वह नही बनाया होगा तबतक जानवर ही एक प्राकृति गरिब क्षेत्र से दुसरे प्राकृति अमिर क्षेत्र में जाकर लुटपाट करते होंगे | जैसे की अब भी जानवर करते हैं | जो की अपने क्षेत्र में उन्हे भोजन का अभाव महसुश होता है तो वे दुसरे के क्षोत्रो में जाकर भोजन करते हैं | जो की इंसान भी लंबे समय से करते आ रहे हैं | क्योंकि जिस प्राकृति क्षेत्र में कोई बड़ी घटना होने की वजह से वहाँ की प्राकृति अमिरी चली गई है , अथवा वहाँ पर प्राकृति खनिज संपदा या फिर पानी उपजाउ जमिन वगैरा की घोर कमी हो गई है , वहाँ के मुलनिवासि अपनी प्राकृति गरिबी से छुटकारा पाने के लिए प्राकृति अमिर क्षेत्रो में लुटपाट करना सुरु कर दिया है | जो जड़ से समाप्त तबतक नही होगा जबतक की या तो पुरी दुनियाँ मिलकर जिन जिन क्षेत्रो में प्राकृति गरिबि मौजुद है उसे दुर करने का उपाय करे वहाँ पर पानी वगैरा पहुँचाने और खेती भरपुर मात्रा में सुरु करने की | जबकि अभी देखा जाय तो पुरी दुनियाँ दरसल असल गरिबी जो जड़ में मौजुद है , उसे दुर न करके उस गरिबी को दुर करने में ही लगा हुआ है जो कि असल में जड़ से गरिब नही बल्कि गरिब बनाया गया है | क्योंकि वह क्षेत्र प्राकृति रुप से अमिर है | जैसे की अफ्रीका और भारत वगैरा जड़ से प्राकृति रुप से अमिर क्षेत्र है | जहाँ पर यदि बाहरी कबिलई लुटेरे जो की अब भी खुदको अपडेट करके इन क्षेत्रो में लुटपाट जारी रखे हुए हैं , वे यदि अपनी लुटपाट धँधा बंद कर दे तो इन क्षेत्रो में अमिरी लौट आएगी | जिस अमिरी को ज्यादेतर विदेशी कबिलई लुटेरे लुट लुटकर अब भी अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने में ही लगे हुए हैं | यू ही नही कहा जाता की अमिर लोग पहले से और अधिक अमिर होते जा रहे हैं और गरिब लोग पहले से और अधिक गरिब होते जा रहे हैं | क्योंकि लुटपाट से अमिर बनने वाले मुलता विदेशी कबिलई लुटेरो के वंशज लोग प्राकृति रुप से जड़ से गरिब लोग हैं | जिसके चलते यदि वे अपनी लुटपाट से धन संपदा भर भी लेते हैं , तो भी उन्हे भितर से अपनी गरिबी उन्हे और अधिक अमिर बनने के लिए उनसे लुटपाट करवाती रहती है | क्योंकि गरिबी उनकि प्रकृति है |

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