Hindustan Hinduism Hindu Veda Purana Hindu Festivals and Nature Science



हिंदुस्तान हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण हिंदू पर्व त्योहार और प्रकृति विज्ञान


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hindustaan hindoo dharm hindoo ved puraan hindoo parv tyohaar aur prakrti vigyaan


इस कृषि प्रधान देश भारत जिसे हिन्दुस्तान भी कहा जाता है वहाँ पर जब मनुवादि हजारो साल पहले बाहर से प्रवेश किया था तो वह संभवता कपड़ा पहनना भी नही जानता था तो वह क्या इतने सारे वेद पुराण और हजारो जातियाँ बनाएगा | इस देश में प्रवेश से पहले उसे तो अपने परिवार समाज के बारे में भी पता नही था कि वह इस देश में आने से पहले किस परिवार समाज में जन्म लिया था | क्योंकि मनुवादियो के परिवार समाज के बारे में अबतक पता ही नही चला है कि कहाँ पर उसे मनुवादियो ने छोड़कर पुरुष झुंड बनाकर इस देश में आकर वापस अपने परिवार समाज के पास कभी लौटे ही नही | इस देश में मौजुद मनुवादियो का वंशवृक्ष तो इसी देश की नारियो से मनुवादियो द्वारा पारिवारिक रिस्ता जोड़कर बड़ाया गया है | जो कि DNA रिपोर्ट से साबित भी हो गया है | जिससे पहले के परिवार समाज के बारे में तो मनुवादियो को कुछ पता ही नही है | और जब उन्हे अपने परिवार के बारे में पता ही नही तो वे क्या धोबी नाई चमार बढ़ई महली वगैरा हजारो विकसित हुनरो के बारे में जानते होंगे | जिसे आज के समय में गिनती में छः हजार से ज्यादे हुनरो की जानकारी हजारो जाति के नाम से दर्ज है | जिन हजारो हुनरो को दरसल हमलोगो ने खुद विकसित किया है | न कि इसे मनुवादियो ने विकसित अथवा बनाकर सभी हजारो जातियो में धोबी नाई चमार महली वगैरा हुनर सिखाकर सबको काम पर लगाया है | क्योंकि जब खुद मनुवादि इस देश में पेट के वास्ते घुमकड़ भुखड़ लंगटा लुचा जिवन व्यक्तीत करते हुए प्रवेश किया था तब के समय में भी यह देश विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण करके हजारो हुनरो के साथ विकसित गणतंत्र जिवन व्यक्तीत कर रहा था | हजारो विकसित हुनर तब भी मौजुद थी , जिसके जरिये इस देश में विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण हुआ है | जिसमे वेद पुराणो की रचना भी शामिल है | न कि वेद पुराण और हजारो हुनरो जैसे जानकारियो का सागर उन लंगटा लुचा मनुवादियो द्वारा रचे गए हैं , जिन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता कपड़ा पहनना भी नही आता था | क्या वे तब जानते होंगे कपड़ा बनाना कपड़ा पहनना और कपड़ा धोना ! जिन्हे तो अपने परिवार समाज और इतिहास के बारे में भी नही पता | जो कुछ वे जानते हैं वह सब इस देश के लोगो के द्वारा जुटाई और खोजी गई जानकारी है | न कि लंगटा लुचा मनुवादियो ने इतनी सारी जानकारियो का वेद पुराण हुनर सागर और इस देश का इतिहास हमे प्रदान किया है | बल्कि हमने वेद पुराणो की रचना करके मनुवादियो को उनका इतिहास और परिवार समाज के बारे में जानकारि उपलब्ध कराया है | और भविष्य में इस देश के लोग ही मनुवादियो को उनके उस लापता गुमनाम परिवार के बारे में जानकारी जुटाकर उनसे मिलाने का प्रयाश भी करेंगे जिनके बारे में मनुवादियो को कुछ नही पता है कि इस देश में आने से पहले वे कहाँ पर पैदा होकर बड़ा होने तक अपनी जिवन व्यक्तीत कर रहे थे | क्योंकि मनुवादि किसी लावारिस बच्चे की तरह रोते विलखते माँ पिताजी करते हुए तो इस देश में प्रवेश नही किए होंगे | जिसके बारे में सबसे प्राचिन ऋंग्वेद में भी जिक्र है कि मनुवादि इस देश में प्रवेश करते समय दुध पिता बच्चा नही था | बल्कि बड़ा होकर उन्होने इस देश में प्रवेश किए और इस देश को घर के भेदियो की सहायता से गुलाम करके यहीं पर अपने गुलामो के साथ पारिवारिक रिस्ता जोड़कर बस गए | जिसके बाद उन्होने घर के भेदियो की ही सहायता से इस देश की भाषा को सिखा फिर इस देश की वेद पुराणो में अपनी लाभ के अनुसार मिलावट और छेड़छाड़ करके अपनी लाभ के अनुसार गुलाम भारत का संविधान मनुस्मृति रचना किया और उसे लागू करके अपने गुलामो को शूद्र घोषित करके हजारो हुनर से जुड़े हजारो पेशा को हजारो जाति घोषित कर दिया | अथवा हजारो पेशे को करने वाले इस देश के मुलनिवासियो को मनुवादियो ने शूद्र घोषित करके हजारो हुनर को हजारो जाति बना दिया है | 


जैसे की यदि आज के समय में भी मौजुद हजारो हुनर को जानने वाले हजारो पेशा को करने वालो को शूद्र घोषित कर दिया जाता तो आज तो पहले से भी अधिक जातियाँ बना दी जाती | क्योंकि आज के समय में इंसानो ने पहले से कहीं अधिक हुनर को सिखकर उसे अपना पेशा बनाकर उससे जुड़े हुए लाखो करोड़ो लोग अपना घर परिवार चला रहे हैं | जैसे की आज के समय में एक खास उदाहरन के तौर पर इंटरनेट मौजुद होने की वजह से इंटरनेट से जुड़े हुए Youtube , blogger वगैरा से जुड़कर हजारो हुनर के माध्यम से हजारो पेशे के रुप में परिवर्तित होकर उससे जुड़कर लाखो लोगो की रोजी रोटी चल रही है | जिससे जुड़े सभी लोगो को यदि पुरी दुनियाँ को मनुवादियो द्वारा गुलाम बनाकर शूद्र घोषित कर दिया जाय तो ये सभी इंटरनेट से जुड़े अलग अलग हुनर से जुड़े पेशे भी हजारो जाति बन जाएगी | जिसके बाद भविष्य में क्या यह गलत जानकारी दी जाएगी की इंटरनेट और इंटरनेट से जुड़े हुए हजारो हुनरो को मनुवादियो ने बनाए हैं ? वैसे भी मनुवादि खोज से ज्यादे पहले से ही खोजी गई जानकारियो में छेड़छाड़ और मिलावट करने की हुनर में ज्यादे महारत हासिल किया हुआ है | जिसका सबसे बड़ा उदाहरन इस देश के लोगो द्वारा रचे वेद पुराण और इस देश का हिंदू धर्म में मनुवादियो द्वारा मिलावट और छेड़छाड़ है | जिसे मनुवादि अपना घोषित करके उसके साथ छेड़छाड़ और मिलावट करके पुरी दुनियाँ को अबतक यह बतलाते आ रहा है कि असली हिंदू वह है , और हिंदू वेद पुराण उसी के द्वारा रचे गए हैं | वह तो इस देश को भी इसे हमने बनाया है और इस देश का मूल मालिक हम हैं बताने की सोच से लंबे समय से खुदको कट्टर हिंदू और खुदको जन्म से हिंदू धर्म का ठिकेदार बना रखा है | जबकि उसे भी पता है कि हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण और होली दीवाली मकर संक्रांती जैसे हिंदू पर्व त्योहार यूरेशिया से नही आए हैं | जिसे मनाने के लिए छुवाछूत की जरुरत भी नही पड़ती है | बल्कि छुवाछूत करने वाले तो खुदको कट्टर हिंदू कहकर भी इन पर्व त्योहारो को बिना छुवाछूत छोड़े मना भी नही सकते | जो पर्व त्योहार मुलता प्रकृति पर आधारित है | और हिंदू धर्म भी मूलता प्रकृति विज्ञान की प्रमाणित जानकारियो पर आधारित है | जिसमे मनुवादियो ने मिलावट और छेड़छाड़ करके प्रकृति सूर्य को सूर्यदेव , प्रकृति हवा को पवनदेव , प्रकृति आग को अग्निदेव पूजा वगैरा मिलावट और छेड़छाड़ करके प्रकृति विज्ञान को ढोंग पाखंड परिभाषित करने की कोशिष किया है | पर चूँकि एक झूठ को हजार बार सत्य बताकर सत्य को लंबे समय तक दबाया तो जा सकता है , पर हमेशा के लिए छिपाया नही जा सकता | इसलिए हिंदू धर्म वेद पुराणो और हिंदू पर्व त्योहारो की सच्चाई धिरे धिरे एकदिन पुरी दुनियाँ को समझ में आ जाएगी कि यह मनुवादियो के द्वारा बनाए गए ढोंग पाखंड नही बल्कि इस देश के मुलनिवासियो के द्वारा बनाए गए प्रकृति विज्ञान पर आधारित ज्ञान का सागर है | जिसकी नींव मनुवादियो के आने से कहीं पहले ही रखी जा चूकि थी |


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