Why is there similarity between Buddha statue and Shiva statue

 

Why is there similarity between Buddha statue and Shiva statue?


बुद्ध प्रतिमा और शिव प्रतिमा में समानता क्यों है,khoj123

बुद्ध प्रतिमा और शिव प्रतिमा में समानता क्यों है?


शिव को जट्टाधारी माना जाता है | और बुद्ध को भी मूर्ति वगैरा में जट्टाधारी देखा जा सकता है | बल्कि कई विवाद भी है कि शिव को ही बुद्ध बताकर बौद्ध धर्म का जन्म हुआ है | वहीं बौद्ध धर्म वाले भी अपनी तरफ से यह कहते रहते हैं कि हिंदू धर्म में मौजुद शिव प्रतिमा बुद्ध का ही प्रतिमा है | वैसे बौद्ध धर्म में चूँकि बिना बाल के बौद्ध पुजारी दिखते हैं , इसलिए कहा जा सकता है कि वे चूँकि बुद्ध जैसा जट्टाधारी नही हैं , इसलिए मुमकिन है बुद्ध भी जट्टाधारी शिव को ही बताया जाता है | क्योंकि बुद्ध के समय में भी ढोंग पाखंड मौजुद था | अथवा मनुवादि लोग तब भी मौजुद थे | जिस ढोंग पाखंड के बिच में बुद्ध का जन्म हुआ | अथवा बुद्ध भी ढोंगी पाखंडियो के परिवार में ही पैदा लिए थे | जिसके कारन उसे ढोंग पाखंड को त्यागकर अपने ढोंगी पाखंडी परिवार से दुर जाकर उस प्राकृति ज्ञान विज्ञान सत्य को प्राप्त करना पड़ा , जिसे ढोंगी पाखंडी परिवार अपने बच्चो को नही देते हैं | क्योंकि वे अपने बच्चो को ढोंग पाखंड अप्राकृति चमत्कार असत्य और भोग विलाश सिखलाते हैं , जो कि बुद्ध को भी महलो के अंदर प्राप्त था  | जिससे बाहर की असल दुनियाँ से बुद्ध का परिवार बुद्ध को इसलिए दुर रखे हुए था , क्योंकि बुद्ध का परिवार को सिर्फ अपनी झुठी शान से मतलब था | जिस शान को बुद्ध भी अपनाकर भोग विलाश में डुबे रहे , इसलिए उसे बाहरी दुनियाँ से दुर रखा गया था | बुद्ध भी बचपन से लेकर जवानी और फिर विवाह करके बाप बनने तक झुठी शान की महलो वाली भोग विलास जिवन यापन किया था | जिसे त्यागकर ही वह सत्य बुद्धी को प्राप्त किया | जिससे पहले उसके पास जो भी ज्ञान की डिग्री थी , उसके आधार पर बुद्ध को ज्ञानी नही कहा जाता है | तभी तो यह कहा जाता है कि बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ती पीपल पेड़ के निचे हुआ था | वह भी बिना गुरु का ही हुआ था | जिससे पहले महलो के भितर मनुवादि गुरु ब्राह्मणो द्वारा प्राप्त किया हुआ ज्ञान को महत्व नही दिया जाता है | क्योंकि वह सब ज्ञान ढोंग पाखंड अथवा असत्य को बढ़ावा देता है | जिस ढोंग पाखंड का सरदार मनुवादियो को माना जाता है | जिस मनुवादि परिवार में ही बुद्ध का भी जन्म हुआ था | तभी तो उसे वेद पुरान का भी ज्ञान प्राप्त था | जो कि इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र निच कहकर उस समय वेद ज्ञान प्राप्त करना मना था | जो पाबंदी बुद्ध को नही था , क्योंकि वह भी उच्च क्षत्रिय जाति परिवार में पैदा हुआ था | जिस क्षत्रिय के साथ छुवाछूत जैसे भेदभाव नही होता है | जैसा कि बुद्ध के साथ भी नही होता था , और उसे वेद ज्ञान देने वाले ब्राह्मण उसके महल में आते जाते थे | न कि बुद्ध शूद्र था जिसके साथ भी मनुवादि छुवाछूत करते थे | छुवाछूत करते तो फिर बुद्ध के महलो में उसे ज्ञान देने नही जाते | 


शिव और बुद्ध दोनो ही प्राकृति के बिच नजर आते हैं


जिसके बारे में तो यह भी मुमकिन है कि जट्टाधारी बुद्ध प्रतिमा दरसल शिव प्रतिमा का ही कॉपी है | कॉपी करके मनुवादियो ने मनुवादी ढोंग पाखंड का एक और नया ब्रांच खोलने की मकसद से बौद्ध धर्म को जन्म देकर बौद्ध धर्म में भी ढोंग पाखंड का धँधा सुरु कर दिया है | जैसे की कांग्रेस पार्टी के बाद भाजपा पार्टी एक नया ब्रांच पार्टी है मनुवादियो का | क्योंकि मनुवादीयो की दबदबा हिंदू धर्म में भी है और बौद्ध धर्म में भी है | मनुवादि हिंदू मंदिरो में भी भेदभाव करते दिख जाते हैं , और बौद्ध मंदिरो में भी भेदभाव करते मिल जाते हैं | उसी तरह मनुवादियो की दबदबा कांग्रेस पार्टी में भी है , और भाजपा पार्टी में भी है | मनुवादि हिंदू मंदिरो में भी भेदभाव कायम किए हुए हैं , और बौद्ध मंदिरो में भी भेदभाव कायम किए हुए हैं | उसी तरह मनुवादि कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी में अपनी दबदबा कायम किए हुए हैं | बल्कि मनुवादियो की दबदबा इस देश में ही कायम है | जिनके सामने इस देश के मुलनिवासियो की हालत कैसी है , यह तो इसी बात से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्तमान के समय में  इस देश के मुलनिवासि खंड खंड हुए किसी भी देश का न तो मूल शासक हैं , और न ही किसी भी धर्म के मूल धर्मगुरु हैं | हलांकि यह देश और इस देश का मुल धर्म और धर्म ग्रंथ इस देश के मुलनिवासियो द्वारा ही रचा या बनाया गया है | जिसमे कब्जा करके गुलाम करने वालो ने उसे अपना खास बना लिया है , देश का खास शासक बनकर और धर्म का खास धर्मगुरु बनकर | जो इस देश के मुलनिवासि खास हिंदू या बौद्ध नही माने जाते | और न ही इस देश के मुलनिवासियो को इस देश की सत्ता में खास माना जाता हैं | क्योंकि वे अभी भी गुलाम हैं | जिन्हे न तो हिंदू धर्मगुरु माना जाता और न ही बौद्ध धर्मगुरु माना जाता | बुद्ध को तो बौद्ध धर्मगुरु या फिर बुद्ध भगवान माना जाता है | बल्कि यह भी माना जाता है कि बुद्ध क्षत्रिय परिवार में जन्मे और विष्णु अवतार थे | भले बौद्ध धर्म वाले और हिंदू धर्म के ठिकेदार एक दुसरे को दिन रात गाली देते रहते हैं , पर वे हमेशा बौद्ध बनने के लिए इस देश के मुलनिवासियो को ही कहते हैं | क्योंकि उन्हे पता है कि हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनो में ही जिन मनुवादियो का छुवाछूत कब्जा है , वे दोनो इस देश के मुलनिवासियो को ही गुलाम बना सकते हैं | नही तो फिर जो मनुवादि बुद्ध को क्षत्रिय और विष्णु देव का अवतार कहता है , वह मुलता खुद बौद्ध बनकर बौद्ध धर्म को क्यों नही अपना लेता है | क्योंकि उन्हे पता है कि मूल रुप से एक मनुवादि दुसरे मनुवादि को गुलाम भक्त कभी नही बना सकता , बल्कि एक दुसरे के गुलाम भक्तो को धर्म परिवर्तन कराकर आपस में बांट जरुर सकता है | उन गुलाम भक्तो को जिसे ये मनुवादि चाहे हिंदू धर्म में मौजुद हो या फिर बौद्ध धर्म में , उन्हे कभी भी मुल धर्मगुरु नही बनाते हैं | हाँ धर्म भक्त जरुर बनाते हैं | क्योंकि उनसे उन्हे विशेष लाभ मिलता रहता है | जिसमे यदि सच्चाई नही है तो स्वीकार करो की असली हिंदू धर्मगुरु इस देश का मुलनिवासि हैं , और असली बौद्ध धर्मगुरु भी इस देश के मुलनिवासि ही हैं | जो कि नही स्वीकार कर सकते , क्योंकि स्वीकारे तो गुलामी समाप्त हो जाएगी और मनुवादियो का ढोंग पाखंड धँधा भी समाप्त हो जाएगा | जिसके बगैर मनुवादि अपनी झुठी शान की जिवन नही जी सकते | जिस झुठी शान के लिए ही तो वे हिंदू धर्म में भी रहकर छुवाछूत करते हैं , और बौद्ध धर्म में भी रहकर छुवाछूत करते हैं | दिन रात असली हिंदू कहकर मनुवादि रट्टा मारकर मनुवादियो को हिंदू बताया जाता है | यह जानते हुए कि बिना इस देश के मुलवासियो के हिंदू रहते हिंदू धर्म सिर्फ मनुवादियो की अल्पसंख्यक आबादी को गिनकर दुनियाँ का तीसरा बड़ा धर्म का स्थान प्राप्त नही कर सकता | बल्कि मनुवादि चूँकि वे मिल जुलकर होली दीवाली और मकर संक्रांती जैसे हिंदू पर्व त्योहार भी अपनी मनुवादि सोच अनुसार नही मना सकते हैं , इसलिए यदि वे अपनी मनुस्मृति को अपना सबसे खास धर्म ग्रंथ मानकर जिसमे लिखे सारी बातो को खास पालन करना जरुरी मानकर यदि हिंदू धर्म से अलग होकर अपना खास मनुसृति धर्म बनाकर अपने मनुस्मृति को पवित्र धर्मग्रंथ घोषित करके खुदको भौगोलिक पहचान के हिसाब से हिंदू के बजाय यूरेशियन नाम का कोई अलग विदेशी पहचान से नाम रख भी देंगे तो भी हिंदू धर्म दुनियाँ के पाँच सबसे बड़े धर्मो में जरुर गिना जाएगा | लेकिन भी बौद्ध धर्म में मौजुद छुवाछूत करने वाले बार बार मनुवादियो की तरह भ्रमित करके जो कि वे मनुवादि हैं भी , यही कहते रहते हैं कि इस देश के मुलनिवासि हिंदू नही हैं | जबकि बौद्ध धर्म में मौजुद छुवाछूत करने वाले और हिंदू धर्म में  भी मौजुद छुवाछूत करने वाले दोनो का  ही DNA जाँच हो तो ये निश्चित तौर पर एक ही DNA के मनुवादि ही निकलेंगे , जो न असल हिंदू हैं और न ही असल बौद्ध हैं | जिनसे ही तो यह देश सबसे अधिक लंबे समय से गुलाम है | जिन गुलाम करने वालो की दबदबा हिंदू और बौद्ध धर्म दोनो में ही मौजुद है | जिसकी वजह से ही तो हिंदू और बौद्ध दोनो धर्मो के वे लोग मनुवादियो से निचे माने जाते हैं , जिनके रगो में मुलनिवासियो का DNA मौजुद है | जो कि लंबे समय से भेदभाव का शिकार होते आ रहे हैं | जो लोग चाहे हिंदू धर्म में मौजुद हो या फिर अपना हिंदू धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बने हो उनको कभी भी मुल धर्मगुरु नही माना जाता है | कहीं न कहीं उन्हे बौद्ध धर्म में जाकर वहाँ भी मनुवादि गुलामी महशुस होता है | बाकि विदेशो में जन्म लेकर इस देश में आनेवाले धर्म तो वैसे भी अपने धर्म का मूल धर्मगुरु इस देश के मुलनिवासियो को क्यों नही बना सकते इसमे आश्चर्य होनेवाली कोई बात नही है | हाँ यदि मनुवादि यूरेशिया से निकलकर इस देश को यदि गुलाम नही बनाए होते तो यह मुमकिन है कि मनुवादियो द्वारा यदि यूरेशिया गुलाम होता तो फिर मनुवादि अपनी छुवाछूत सोच से विदेशी धर्मो में भी जरुर अपनी दबदबा कायम किए होते | हलांकि विदेशो में जन्मे यहूदि ईसाई और मुस्लिम धर्म के बारे में भी यह माना और देखा जाता है कि इन धर्मो में भी भारी भेदभाव मौजुद है | क्योंकि इन धर्मो में भी भारी अबादी भेदभाव शोषण अत्याचार का शिकार है | जो बात यदि सत्य नही होती तो इन धर्मो को मानने वाले कोई भी व्यक्ती गरिबी भुखमरी या फिर अन्याय अत्याचार का शिकार नही होता | क्योंकि हक अधिकार लुटने वाले अन्याय अत्याचार करने वाले देश विदेश दोनो ही जगह मौजुद हैं | जो की सभी धर्मो में मौजुद हैं | जिन्हे कोई भी धर्म अपनी ज्ञान की ताकत से अबतक इतना बुद्धी नही दे पाए हैं कि वे लुटपाट करना अन्याय अत्याचार करना छोड़ सके | जो यदि लुटपाट अन्याय अत्याचार नही होता तो आज कहीं भी गरिबी भुखमरी मौजुद नही होती | पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक लुटपाट और अन्याय अत्याचार गुलाम करने वालो ने किया है | और गुलाम करने वालो से ही तो आजाद होने के लिए आज भी पुरी दुनियाँ की सबसे अधिक आबादी संघर्ष कर रहा है | इतिहास गवाह है कि गुलामी से आजादी पाने के लिए आजादी संघर्ष करते करते कई धर्मो का भी जन्म हुआ है | 

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