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सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

Amritkal budget is being asked to taunt people who are dying of poverty, starvation

 

गरीबी, भुखमरी से मर रहे लोगों पर तंज कसने के लिए कहा जा रहा है अमृतकाल बजट
khoj123


वैसे तो यह पोस्ट मैं इस साल का बजट भाषण के दुसरे दिन ही तैयार कर लिया था , पर चूँकि यह पोस्ट लिखते समय थोड़ी बहुत और भी बड़ी होते जा रही थी , इसलिए रोज ही थोड़ा और बड़ा करते और बिच में छोड़ते हुए आज इसे पुरी तरह से तैयार करके डाल रहा हूँ | जिसमे कथित अमृतकाल बजट को लेकर सबसे पहले तो मैं कांग्रेस भाजपा के बारे में बतालाना चाह रहा था कि डीजिटल इंडिया की बाते करके 60 महिने का मौका मांगकर भारी बहुमत से चुनकर आई वर्तमान की भाजपा सरकार ही नही बल्कि ,आधुनिक भारत , गरीबि हटाओ की बाते करके लगभग 60 सालो तक बीपीएल भारत कायम रखकर शासन करने वाली कांग्रेस को भी पता है की एकदिन सबको मरना है | चाहे गरिबी भुखमरी से मरे या फिर छप्पन भोग खा खाकर मरे , मरेंगे तो सभी अमिर भी ! पर जो असमय मौते हो रही है वह इतनी भारी तादार में नही होनी चाहिए थी | जैसे की भाजपा कांग्रेस दोनो के ही शासनकाल में भारी तादार में असमय मौते हुई है | गरिबी भुखमरी जैसे कारनो से असमय मरने वालो को भी जीने का अधिकार संविधान में भी मिला है , न कि सिर्फ अमिरो को जीने का अधिकार मिला है | पर असमय मौते होना आज भी भाजपा शासनकाल में हर रोज होना जारी है | चाहे गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी की वजह से असमय मौते हो या फिर बदहाली और अभावग्रस्त से हो ! हलांकि गरिबी की वजह से अनगिनत मौते हर रोज असमय सबसे ज्यादे हो रही है | क्योंकि यदि गरिबी न हो तो बहुत से ऐसे बाकि समस्याओ का समाधान किया जा सकता है जो की गरिबी की वजह से हल नही हो पाता और फिर वही समस्या असमय मौत का प्रमुख वजह बन जाता है | जिस तरह की असमय मौतो की आंकड़ो को देखकर खुदको खुश करने के लिए भी यदि अमिरी का सारा सुख सुविधा प्राप्त करने वाले मंत्रियो द्वारा यह कहा जा रहा है कि यह अमृतकाल चल रहा है , तो अहंकार में डुबकर यह गलतफेमी होने वालो को पता होना चाहिए कि एकदिन वर्तमान में मौजुद सभी धन्ना और सभी मंत्री भी मरेंगे न कि सिर्फ गरिब ही मरते रहेंगे | कोई बिमारी या फिर भुखमरी नही रहेगा तो भी प्रकृति उसे बुढ़ा करके उससे साँसे वापस ले लेगी | भले वे क्यों न दुनियाँ की सबसे अधिक दौलत को अपने पिछवाड़े के निचे दबाकर सारी सुख सुविधाओ को भोगते हुए अमर रहने की अहंकार में डुबकर गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के बारे में दिन रात यह सोचते रहते हो कि सिर्फ गरिब ही मरने के लिए पैदा होता है , अमिर तो कभी मरता ही नही है | जबकि कड़वा सत्य यह है कि अमृतकाल बजट भाषण करने वाले खुद अभी के बुढ़े मंत्री ही क्या अमर रह पायेंगे जो उनके द्वारा गरिबी भुखमरी जीवन जी रहे लोगो को नजरंदाज करते हुए अमृतकाल जैसी भारी भरकम बाते की जा रही हैं ? ऐसे अमर रहने की अहंकार में डुबे कई मंत्री अपने पुरे कार्यकाल में अपनी रहिशी जीवन जीए और गरिबी भुखमरी कायम रखने के लिए ऐसे ही गरिब विरोधी भाषण देकर हमेशा के लिए चले गए | क्योंकि उन्होने प्रयोगिक तौर पर देखा जाए तो गरिबी भुखमरी समाप्त करने के लिए कभी बजट ही नही बनाया | इसबार का भी बजट पहले की तरह ही गरिब विरोधी है , जिससे गरिबी भुखमरी दुर नही होनेवाली है | भाजपा सरकार भी कांग्रेस सरकार की तरह सिर्फ अमिर और अधिक अमिर कैसे होते जाए , और गरिब भुख और अभाव से मरते जाए , ऐसा बजट बनाकर अपनी सरकार की तारीफ करते हुए मंत्री अहंकार में डुबकर सारी सुख सुविधा भोगते हुए खुदपर गर्व करते रहे की उसकी सरकार बहुत बड़ा महान कार्य करके इतिहास रचने जा रही हैं | जिस तरह के इतिहास रचने वाली सरकार में जिन्होने भी पहले कभी ऐसी भाषण दिए हैं , उनकी अहंकारी भाषण को अब कोई सायद ही देखता सुनता है | जिनको इतिहास में बहुत बड़ा महान काम करने वाले लोगो में नही गिना जाता है | और जो लोग गिनते हैं वे भी उन्ही की तरह सोचते हैं इसलिए वे उन्हे महान कहते हैं | क्योंकि इतिहास में महान वे लोग कहलाते हैं , जो अपनी कथनी करनी से सचमुच में समाज सेवा ऐसे करके जाते हैं कि उनकी एक एक पल का जिवन में उसके द्वारा किए गए सेवा भावना साफ प्रयोगिक नजर आता है | गरिब दुःखी लोगो के जिवन में उनकी सेवाकाल में क्या क्या प्रयोगिक सेवा की गई गरिबी भुखमरी जैसे दुःखो को समाप्त करने में यह साफ नजर आता है | जिस तरह के सेवक ऐसे अहंकार लोग कतई नही दिखते हैं | जो सिर्फ अपनी झुठी शान के लिए बड़े बड़े पदो में बैठकर अहंकार में डुबे दिखते हैं | उनको गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के बारे में कोई चिंता नही रहता है | ऐ लोग सिर्फ जबतक जिवीत रहते हैं , अपने बारे में ही दिन रात चिंता करते हुए मेकप करके ज्यादेतर तो अमिरी भोग विलाश में डुबे दिखते हैं | जिनके मरने के बाद इनकी कहानी लुप्त होने लगती है | जो मुमकिन है सौ साल बाद लुप्त ही हो जाएगी | क्योंकि ऐ ऐसा कोई भी काम नही किए हैं कि क्रांतीकारी इतिहास में इन्हे खासतौर पर याद रखा जाए | इनको सिर्फ पीड़ा देनेवाले लोगो में जरुर याद किया जा सकता है कि ये लोग सत्ता में बैठकर अपने सेवाकाल में कैसे हर रोज हजारो लोगो को गरिबी भुखमरी और अभावग्रस्त में मरते हुए देखकर खुद सारी अमिरी सुख सुविधाओ का भोग विलाश हमेशा अमर रहने की अहंकार में डुबकर कर रहे थे |


 बल्कि अमृतकाल की ही तरह कई बार तो गरिबो की बड़ती आबादी को अपनी अमिरी जिवन में मानो कुड़ा कचड़ा समझकर उनकी आबादी को उदाहरन दे देकर बहुत से अन्य प्रकार के अहंकारी लोगो द्वारा जो की ऐसे ही अहंकारी सरकार को बेहत्तर समझते हैं , वे बड़ती आबादी की चिंता करने के बहाने उनके द्वारा दरसल असल में गरिबो पर ही तंज कशते हुए आबादी कम करने की बाते उनके द्वारा ऐसे की जाती है , जैसे मानो कोई व्यक्ती मरेगा ही नही ! इसलिए तो यदि कोई गरिबी भुखमरी जीवन में भी अपने हिस्से की समाजिक पारिवारिक जीवन जी रहा होता है , तो ऐ अहंकारी लोगो को किसी गरिब दुःखी लोगो को दो चार बच्चे पैदा करके परिवार बसाते देखकर इतना अधिक तकलीफ होता है कि कभी कभी तो यह भी देखने सुनने को मिलता है की अहंकारी सरकार द्वारा गरिबो की आबादी को दिवार या कोई धातु का चादर लगाकर ढक दिया जाता है , ताकि उनकी झुठी शान की उधारी रहिशी में दाग न लगे | गरिबी को छिपाकर या फिर गरिबो को ही हटाकर मानो सिर्फ खुद ही इस धरती में जीवन जिना चाहते हैं ! जैसे की कभी कांग्रेस नशबंदी करने का योजना लाकर लोगो की नशबंदी ऐसे किए जा रहे थे , जैसे कि नशबंदी करने से इस देश में वापस सोने की चिड़ियाँ सुख शांती समृद्धी आ जाएगी | जबकि इतिहास गवाह है कि कम आबादी वाला देश ही प्राचिनकाल में सबसे लंगटा लुचा भुखड़ घुमकड़ जीवन जीते आ रहे हैं | जो अपनी कबिलई लुटेरे जीवन जीते हुए मानो अपनी बुरे हालात से पगलाकर पुरी दुनियाँ में लुटमार करते हुए गुलाम बनाकर परजीवि जीवन जीना सुरु कर दीया था | जो की यह कृषि प्रधान देश कभी नही किया | क्योंकि इस देश का सोच कबिलई लुटेरा कभी नही रहा है | जिसके चलते अभी गरिबी भुखमरी जैसे इतने बुरे हालात होते हुए भी इस देश के मुलनिवासि भले इस गुलामीकाल में गरिबी भुखमरी से हर रोज मर रहे हैं , पर वे कबिलई लुटेरो की तरह कभी नही पगलाएंगे | क्योंकि उनके भितर विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति सोच मौजुद है | जैसे की बाकि भी उन देशो के मुलनिवासियो पर मौजुद है जिन्होने कभी भी किसी देश को गुलाम नही बनाया | जो सोच उन विदेशी मुल के लोगो पर आजतक भी पुरी तरह विकसित नही हुआ है , जिनके पूर्वज सैकड़ो हजारो सालो से लुटमार कब्जा करते हुए मानो परजीवि जीवन जीते रहे हैं | वह परजीवि जीवन जीसमे दुसरे का देश को गुलाम भी बनाया जाता है | और वहाँ के धन संपदा को लुटकर परजीवि जीवन गुजारा जाता है | जैसे की इस गुलामकाल में भी इस देश में उन लोगो द्वारा परजीवि जीवन जीते हुए साफ दिखलाई देता है , जो की दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर या कब्जा करके झुठी शान की जीवन जी रहे होते हैं | जिस तरह की सोच रखने वालो से आज भी यह देश पुरी तरह से आजाद नही हुआ है |



चाहे कांग्रेस हो या भाजपा इनका अमृतकाल बजट गरिबी हटाओ नही बल्कि गरिबो को ही हटाओ रहा है 


गरिबो की आबादी को तेज गति से कम करने के लिए ही अबतक गरिबी भुखमरी दुर नही किया जा रहा है | जान बुझकर ऐसी बजट बनाई जाती है , जिसमे की अमिर और अधिक अमिर होता जाए , और गरिब और अधिक गरिब होकर भारी तादार में मरता जाए | जिसके बाद ऐ कह देंगे की उसके शासन में गरिबी कम हो रहा है | गरिबी कम नही बल्कि गरिबी भुखमरी से भारी तादार में हर रोज मरके गरिब कम हो रहा है |  जो की प्रयोगिक जीवन में दिख भी रहा है कि अमिर और अधिक अमिर हो रहा है , और गरिब और अधिक गरिब होकर मर रहा है | जिनको भुखमरी से मारने की शैतानी सोच उन लोगो की सुरु से रही है , जिनको सायद लगता है कि वे हमेशा अमर रहकर इस धरती में सारी सुख सुविधा भोगते रहने वाले लोग हैं | जिस तरह के लोग ही किसी देश को गुलाम बनाकर अपने गुलामो की मौत इसी तरह गरिबी भुखमरी में होते हुए देखकर खुदको अमर समझने लगते हैं | जबकि 2021 ई० में कितने लोग बिना गरिबी भुखमरी के भी मरे उसके बारे में बताने वाले खबरो को देख सुन और पढ़कर यह तय किया जा सकता है की क्या वाकई में गरिबी भुखमरी जीवन जिने वाले लोगो को छोड़कर बाकि सबके लिए यह अमृतकाल चल रहा है ? फिर ये अमृतकाल में गरिबी भुखमरी से दुर रहने वाले लोग भी क्यों मर रहे हैं ? क्योंकि प्रकृति गरिब अमिर दोनो का ही प्राण हरन करती है | प्रकृति को कोई यह कहकर अमर नही हो सकता कि वह चूँकि किसी गरिब से कई गुणा धन रखनेवाला दुनियाँ का सबसे दौलतमंद इंसान है , इसलिए वह उम्र में भी दौलतमंद है | लेकिन चूँकि अहंकार में डुबकर उसे कभी कभी यह भी गलतफेमी होने लगती है कि प्रकृति द्वारा उसकी उम्र को भी किसी गरिब से कई गुना उम्र रखनेवाला इंसान बनाया गया है | जबकि किसी अमिर के पास भी जीने के लिए प्रकृति के द्वारा दिया गया वही उम्र है जो की गरिब के पास है | जिसके चलते अमिरो की मौतो के बारे में भी हर साल वीडियो बनती रहती है की फलाना साल कौन कौन लोग बिना गरिबी भुखमरी के भी अच्छे खाते पीते हुए मरे | बल्कि यदि किसी की असमय मौत न हो तो प्रकृति की गोद में जन्म लेकर कोई गरिब भी कभी अमिर से ज्यादे दिनो तक जी लेता है , तो कभी अमिर किसी गरिब से ज्यादे जी लेता है | हाँ गरिबी भुखमरी या फिर अति खा खाकर पेट फटने से जो असमय मौते हो रही है , वह रोकी जरुर जा सकती थी | पर गरिबी भुखमरी या फिर अति खा खाकर जो मौते हो रही है , उसका बड़ना जारी है | कम से कम गरिबी भुखमरी से हो रही मौत को तो सौ प्रतिशत रोका जरुर जा सकता है | जिसे मैं साबित भी कर सकता हूँ यदि कोई अमिर सरकार अपना सबकुछ दान करके भुखा नंगा होकर भुखमरी से मेरे पास आए और अपना पद मुझे सौंप दे ! उसके बाद वह खुदको गरिबी भुखमरी में ढालकर यह चुनौती दे सकता है कि उसे अब गरिबी भुखमरी से तुरंत बाहर निकाला जाए ! सौ प्रतिशत यकिन दिलाता हूँ कि उसे मैं कभी भी गरिबी भुखमरी से मरने नही दुँगा | और न ही देश के बाकि भी नागरिको को गरिबी भुखमरी से मरने दूँगा | खासकर तबतक जबतक की यह देश धन संपदा से भरा रहेगा | और जबतक की मुझे पता चलता रहेगा कि इस कृषि प्रधान देश में जहाँ पर अन्न जल की कमी नही है , उस देश परिवार में किस नागरिक के पास गरिबी भुखमरी हालात पैदा हो गया है | वह भी ऐसी हालत में जबकि इस देश में आज के समय में इतना भोजन हर साल बर्बाद किया जा रहा है , जितना की गोरो का देश में एक साल तक पुरा देश खा सकता है | हाँ यदि इस तरह का अन्न जल का भंडार होते हुए भी किसी कारन से सरकार को पता ही नही चले की देश परिवार में कोई गरिबी भुखमरी से मर रहा है तो जरुर दिक्कत हो सकती है | जैसे कि यदि कोई घना जंगल में भुला जाता है , और वह भुखा प्यासा मर रहा होता है , तो फिर उसकी जान बचाने के लिए खोजी टीम जबतक की उसे खोज नही निकालती तबतक उसकी जान मानो किस्मत या जंगल के भरोसे रहती है | लेकिन भी यदि उसके भुलाये जाने के बारे में पता चल जाए तो खोजी टीम के द्वारा बेहत्तर सुविधाओ के साथ बेहत्तर काम करने से उसके मिलने और बचने का अवसर ज्यादे रहता है | लेकिन गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के बारे में तो सरकार को पुरा जानकारी पहले से ही उपलब्ध है , बीपीएल परिवार के रुप में भी जो की गरिबी से भी निचे का जीवन यापन कर रहे हैं | जिनकी तादार इस समय भी करोड़ो में है | और फिर गरिबो की भी तादार करोड़ो में है | ये सभी परिवार मानो हर रोज आपातकाल में जीवन यापन कर रहे हैं | और जैसा कि किसी परिवार का मुखिया जिसके हाथो पुरे परिवार की जिम्मेवारी रहती है , वह बेहत्तर सोच उसे मानता है , जिसमे यदि कोई परिवार का सदस्य किसी आपातकाल में चला जाए तो उसपर सबसे अधिक खास ध्यान दिया जाए | जैसे की गरिबी भुखमरी से असमय मर रहे लोगो पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए था | लेकिन भी उनपर विशेष ध्यान नही दिया जा रहा है | जिन्हे गरिबी भुखमरी से छुटकारा किसी धन संपदा से अमिर देश की सरकार चाहे तो अपनी प्रजा को गरिबी भुखमरी से छुटकारा अपने एक ही कार्यकाल में दिला सकता है | जैसे कि यदि कोई व्यक्ती किसी घने जंगल में किसी जगह फंसा हुआ है , और वह लंबे समय से भुखा प्यासा तड़प रहा हो तो उसके बारे में सटिक जानकारी उपलब्ध होते ही बेहत्तर खोजी ठीम की सहायता से उसतक जल्द ही पहूँचकर उसे भुखमरी से मरने से बचाने के साथ साथ फंसे रहने के बाद आई बाकि भी मुसिबतो से बाहर निकाला जा सकता है | बस इसके लिए जरुरी है कि खोजी टीम उसतक पहूँचने से पहले उसे कोई जंगली खुंखार जानवर न खा लिया हो | जो जंगली जानवर का रोल अभी के गुलामकाल में अन्याय अत्याचार करने वाले लोग अदा कर रहे हैं |  जिन गुलाम करके अन्याय अत्याचार करने वाले जानवरो का घुसपैठ इस देश में बाहर से हुआ है | जो शासक बनकर कभी भी इस देश के गुलामो का भला नही कर सकते | जैसे की कोई खुंखार शिकारी जानवर राजा बनकर अपने शिकार प्रजा का भला नही कर सकता | उसके द्वारा राजा बनकर भला करना मतलब किसी शिकार प्रजा को शिकारी राजा द्वारा अपने खुनी पंजो से दबोचकर अपने खुंखार जबड़ो के जरिये अपने पेट में ले जाकर भला अथवा रक्षा करना है | जिस तरह का ही भला अभी उन नागरिको के साथ हो रहा है जो की गरिबी भुखमरी से मारे जा रहे हैं | क्योंकि गरिबी भुखमरी उन लोगो के द्वारा ही दिया गया खुनी पंजा और जबड़ा है , जो कि इस देश को हमेशा गुलाम बनाए रखना चाहते हैं | यू ही नही बार बार बतला रहा हूँ की यह गुलामकाल चल रहा है | जिस गुलामकाल में गरिबी भुखमरी समाप्त कभी नही हो सकता , जबतक की पुरी आजादी प्राप्त नही हो जाएगी | जिसके बाद पूर्ण रुप से आजाद देश की सरकार का नेतृत्व लंबे समय से गुलाम रहकर आजादी के लिए संघर्ष करने वाले लोग खुद करते हुए गरिबी भुखमरी को अपने एक कार्यकाल में ही समाप्त कर देंगे | जो कि बिल्कुल मुमकिन है | क्योंकि मुझे ही नही बल्कि पुरी दुनियाँ को पता है कि धन संपदा से अमिर देश में वहाँ की सारी धन संपदा अन्न जल की रक्षा और जरुरत पड़ने पर अपने और जनता के लिए खर्च कर रही सरकार के पास इतना पावर होती है कि वह चाहे तो किसी को भी गरिबी भुखमरी से भुखा प्यासा कभी मरने ही न दे ! जैसे की किसी परिवार में यदि अमिरी मौजुद है , और परिवार का प्रमुख अथवा अभिभावक यदि खुद अमिरी जीवन जी रहा हो तो स्वभाविक तौर पर उस परिवार में किसी भी सदस्य की गरिबी भुखमरी से मौते नही होगी , यदि उस परिवार को चलानेवाला परिवार प्रमुख जो की खुद अमिरी जीवन जी रहा हो , वह यदि किसी भी सदस्य को गरिबी भुखमरी से मरने देना न चाहे ! पर चूँकि अभी इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले कृषि प्रधान देश में गुलामीकाल चल रहा है , जिसके चलते गुलामकाल में देश का शासन चला रही सरकार गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो को अनदेखा करके खास अमिरो और खुदके लिए ही खास बजट बनाने में लगी रहती है | भुखमरी से मरने वालो पर विशेष ध्यान न देकर अति खा खाकर पेट फटने से मरने वालो पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है | जैसे की हर बार की तरह इसबार के बजट में भी गरिबो के बजाय अमिरो पर ध्यान दिया गया है | जिस तरह का बजट गुलामीकाल में बनना स्वभाविक भी है |  इसलिए देश में गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी भी करोड़ो की तादार में अबतक कायम है | जिसे अनदेखा करने वाले अहंकारी लोग गुलामीकाल चलाकर अमृतकाल चल रहा है , ऐसी बाते करके ऐसे अति आत्मविश्वास में डुबे हुए हैं , जैसे कि अपनी कार्यकाल में वे बहुत बड़ा क्रांतीकारी सरकार चला रहे हैं | जिस क्रांतीकारी सरकार को चलाते समय हर रोज गरिबी भुखमरी से अनगिनत लोगो को मरते हए जानकर भी अमृतकाल कहा जा रहा है | जो बात करने वाले मानो खुदको अमर होने की सोच रहे हैं | जो सोचने से पहले कोई सेवक एकबार यह जरुर सोचे कि यदि मान लेते हैं अभी का कोई मंत्री 75 साल या उससे उपर का है , तो 25 साल बाद गोरो से आजादी का 100 साल पुरे होने पर इसी अमृतकाल बजट भाषण को " अमृतकाल चल रहा है " कहते हुए क्या दोहरा पाएंगे ? और उसके अभी का भाषण सुन देखकर क्या उसके सारे अँधभक्त भी अमरता को प्राप्त कर लेंगे ? जो उसे खुश करने के लिए यह कहा जा रहा है की यह अमृतकाल बजट है | और क्या गोरो से आजादी मिलने के बाद तब से लेकर अबतक किसी की भी मौत नही हुई ? सभी क्या इस अमृतकाल में आजादी का 100 साल पुरा होने का जस्न मनाने के लिए बचे हुए हैं ? जबकि इतिहास दर्ज हो रहा है और हो चूका है कि कितने लोग भाजपा और कांग्रेस शासन में गरिबी भुखमरी से मरे और कितने लोग अच्छे खासे खाते पीते हुए भी मरे ! जो बात कांग्रेस भाजपा खुद अपने शासन के दौरान अबतक उनके कितने खास नेताओ और मंत्रियो की मौते हुई उसका विवरण तैयार करके पता कर सकती है कि कोई अमृतकाल नही चल रहा है ! बल्कि अभी जो बचे हुए हैं वे भी कभी न कभी मरेंगे ही | जिन बचे हुए लोगो में भारी तादार ऐसे लोगो की भी है , जो इस भाजपा सरकार को ही नही कांग्रेस सरकार को भी भारी बहुमत से वोट करके यह उम्मीद किए हुए थे की उनकी चुनी हुई सरकार उनके जीते जी इस देश को ऐसे बुरे हालात से बाहर निकालकर वाकई में उनके जीते जी गरिबी हटाओ आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश की झांकी देखने को मिलेगी | जो की नही मिली , जिसके कारन उन्होने अपनी पसंद की शाईनिंग इंडिया की बाते करने वाली भाजपा सरकार ही नही , बल्कि कभी गरिबी हटाओ की बाते करने वाली कांग्रेस सरकार से भी दुःखी होकर उसके खिलाफ भारी तादार में वोट किए थे | और यदि चुनाव घोटाला वाकई में अबतक कभी नही हुआ है , और नागरिक का वोट से ही अबतक सारी सरकार इमानदारी से चुनी जाती रही है , तो निश्चित तौर पर एक समय ऐसा भी आएगा जब डीजिटल इंडिया की बाते करने वाली वर्तमान की भाजपा सरकार के खिलाफ भी भारी वोट करके कांग्रेस की तरह ही भाजपा की भी भारी जीत के बाद भारी हार भी होगी | जिसके बाद यह अमृतकाल बजट भाजपा के लिए काल बन जाएगा | इतिहास गवाह है कि भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी भारी बहुमत की सरकार बनाने के बाद भारी बहुमत से हारती भी रही है | क्योंकि सरकार बनने के बाद ज्यादेतर तो वे अपनी जीत का अहंकार में ही डुबी रहती है | और उससे भी बड़ी बात यह गुलामीकाल चल रहा है | जिस गुलामीकाल में भले क्यों न आजाद भारत का संविधान लागू है , पर गुलाम करने वालो द्वारा खुद संविधान ही खतरे में है तो आजाद भारत का संविधान में जिनको विशेष ध्यान देकर उनके साथ हजारो सालो से हो रहे अन्याय अत्याचार  को समाप्त करने के लिए कहा गया है , उन लगो का इस गुलामीकाल में अब भी खतरे में पड़ना स्वभाविक भी है | जिसके चलते यह भी स्वभाविक है कि हजारो सालो से अन्याय अत्याचार का सामना कर रहे लोग अब भी जबकि आजाद भारत का संविधान लागू है , तब भी पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं | जो कि सायद चुनाव के जरिए भी पुरी आजादी का उम्मीद करके करोड़ो की तादार में वोट भी करते हैं |


हलांकि मेरा मानना है कि इस गुलामीकाल में आजाद भारत का संविधान का प्रवाह किए बगैर समय समय पर चुनाव घोटाला जरुर हो रहा है , और  जिसे वोट नही मिलता है , वह भी घोटाला करके चुनाव जीत भी रहा है | जो चुनाव घोटाला करने का आरोप कांग्रेस भाजपा पर ही लगते रहे हैं | जो की स्वभाविक भी है क्योंकि यही दोनो पार्टी इस देश की सत्ता में लंबे समय तक शासन करते आ रही है | और चुनाव घोटाला करने की तैयारी वही बेहत्तर कर सकता है , जिसकी पहूँच चुनाव आयोग से लेकर ऐसी सभी जगहो में खास हो , जहाँ से चुनाव प्रक्रिया संचालित होती है | और इस भाजपा सरकार के समय हो या फिर कांग्रेस सरकार के समय हो चुनाव संचालित बेहत्तर हो रहा है , यह कभी भी नही कहा जा सकता | ऐसा नही है कि इस समय जो गरिबी भुखमरी हालात कायम है , वह सरकार से सभी गरिब खुश होकर उसे भारी तादार में वोट कर करके बाद में वह अपनी चुनी गई सरकार के कार्यकाल में ही गरिबी भुखमरी से असमय मर रहे हैं | बल्कि यदि ऐसा भी है तो यह अहंकारी सरकार किसी गरिब से उसकी गरिबी दुर करने की झुठी बाते करके झुठी अश्वासन देकर गरिबो का वोट लेकर बाद में उन्हे गरिबी भुखमरी से मरते हुए छोड़कर जिस थाली में गरिब का वोट खाती रही है , उसी में छेद करके अपनी झुठी शान में डुबते आ रही है | वह तो गरिबी भुखमरी में उलझे हुए करोड़ो लोग अपना हक अधिकार मांगने के लिए ठीक से सामने नही आ पा रहे हैं ! नही तो सिर्फ इस देश की बीपीएल आबादी ही यदि सड़को पर अपना हक अधिकार मांगने उतर गया तो पुरी दुनियाँ एकदिन में ही प्रयोगिक तौर पर जान जाऐगी की ये अमृतकाल बजट बनाने वाली सरकार और गरिबी हटाओ की बाते करने वाली झुठी सरकार भी अपनी अमिरी को बड़ाने के अलावे गरिबी भुखमरी दुर करने में क्या ऐसी प्रभावी भूमिका अबतक  अदा की है कि गरिबो का वोट पाकर एक भी नागरिक की मौत गरिबी भुखमरी से न हो | जैसे कि कोई सरकार बनने के बाद उनके किसी भी मंत्री की गरिबी भुखमरी से मौत नही होती है | भले क्यों न वे मंत्री बनने से पहले बीपीएल जीवन जी रहे हो | जैसे की मान लेते हैं अभी के सरकार में मंत्री या फिर उच्च अधिकारी बनकर देश और प्रजा की सेवा करने की जिम्मेवारी लेने वाले लोगो में कोई यदि ऐसे सरकारी गाड़ी बंगला की सुख सुविधा लेकर सेवा करने वाले सरकारी सेवक कभी गरिब रहा होगा तो क्या वह अब ऐसे खास सुविधा प्राप्त करनेवाला सेवक बनकर अब गरिबी भुखमरी से मरने की संभावना के बारे में कभी सपने में भी क्या सोच पाएगा ? सौ प्रतिशत बिल्कुल भी नही सोचेगा , भले हो सकता है यह जरुर सोचे की पहले कभी नही इतनी सारी सुख सुविधा और इतने प्रकार का खाना पीना प्राप्त किया जिसे अचानक प्राप्त करके उसकी अति अमिरी और अति खाना पीना ही उसकी जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन न बन जाए जीवन को संकट में डालने के लिए | कहीं अति खा खाकर पेट फटने से उसकी जीवन खतरे न पड़ जाए ! क्योंकि मंत्रियो के लिए जिस प्रकार का व्यवस्था पहले से तय रहता है , उसके अनुसार उनके मंत्री बनते ही उनके द्वारा अमिर होने और देश विदेश में भ्रमण करके छप्पन भोग खाने पीने की सौ प्रतिशत गारंटी मिल जाती है | हलांकि अमरता की गारंटी नही मिलती | क्योंकि सब कोई जानता है कि मरते तो अमिर लोग भी हैं , भले भरपेट छप्पन भोग खा खाकर मरते हैं | लेकिन यह सोने की चिड़ियां कहलाने वाले देश में लाखो लोग हर साल गरिबी भुखमरी से मरे यह अमृतकाल तो दुर सेवाकाल भी नही है | बल्कि ऐसे गरिबी भुखमरी बुरे हालात को गुलामीकाल जरुर कहा जा सकता है | क्योंकि गुलाम बनाने वाले लोग ही किसी धन संपदा से भरपुर देश को गुलाम करके अपने लिए सारी सुख सुविधा प्राप्त करके अपने गुलामो को गरिबी भुखमरी में मरते रहने के लिए छोड़ देते हैं | और गरिबी भुखमरी से हो रही मौतो के आंकड़े पुरी दुनियाँ ससे आती रहती है | क्योंकि पुरी दुनियाँ में जो देश भी धन संपदा से अमिर है , और वहाँ की जनता यदि गरिबी भुखमरी से मर रहा है , तो समझो वह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही है | वहाँ पर अब भी गुलाम करने वाले लोग हावी होकर खुदके लिए अमिरी सुख सुविधा प्राप्त करके उस देश के लोगो को भारी तादार में गरिबी भुखमरी से मरने के लिए छोड़ दिए हैं | और अपने लिए उस देश की धन संपदा को खर्च करके सारी अमिरी सुख सुविधा भोग रहे हैं |  जैसे की यह देश गोरो से आजाद होने के बाद भी अबतक अधुरी आजादी ही प्राप्त कर सका है | इस कृषि प्रधान देश को गोरो से भी पहले गुलाम करने वाले विदेशी मूल के कबिलई अब भी सत्ता पर हावी हैं | जिनकी वजह से ही तो यह सोने की चिड़ियां कहलाने वाले देश में भी गोरो से आजादी मिलने के बाद अबतक भारी तादार में गरिबी भुखमरी कायम है | क्योंकि चाहे वर्तमान में मौजुद भाजपा सरकार हो या फिर उससे पहले की कांग्रेस सरकार हो , दोनो ही सरकारो में गुलाम बनाने वाले लोग हावी होकर अन्याय अत्याचार करने वाली अहंकारी सरकार चलते आ रही हैं | फिर भी ये दोनो ही सरकार चुनाव आते ही ऐसे बाते करने लगती है , जैसे उसने इस देश की जनता का आधुनिक डीजिटल विकाश करके उनके जीवन में खुशियो का बरसात ला दिया है | जिनकी खुशियो की बरसात को देखनी है तो कभी गरिब बीपीएल की आबादी और भुखमरी से भारी तादार में मर रहे लोगो के बारे में जानकर देखा जा सकता है कि ये दोनो सरकार इस देश के बहुसंख्यक जनता को अपनी कथित अमृतकाल बजट से किस प्रकार का गरिबी भुखमरी जीवन को अबतक बरकरार रखे हुए है |


हलांकि अमृतकाल भाषण देनेवाले और सुनने वाले सभी लोगो को भी भितर से पता है कि दुनियाँ में कोई भी अमर नही है | इंसान जन्म ही होता है बुढ़ा होकर मरने के लिए | प्रकृति किसी को नही छोड़ता | क्या गरिब क्या अमिर क्या वैज्ञानिक क्या चर्चित नेता , अभिनेता , खिलाड़ी वगैरा वगैरा | जिस बात को जानते हुए भी मानो वर्तमान की सरकार भविष्य में मंगल ग्रह पर भी अमृतकाल बजट का भाषण देने के लिए अमर रहेगी ऐसी बाते की जा रही है | जिस तरह की बाते सरकार ही नही बल्कि बहुत से अन्य क्षेत्रो के लोग भी आएदिन करते ही रहते हैं | जैसे कि youtube में एक वीडियो देख रहा था , जिसमें एक व्यक्ती मंगल ग्रह के बारे में दर्शको को जिस तरह की जानकारी दे रहा था , उसे देखने से ऐसा प्रतित हो रहा था , मानो विडियो बनाने वाले व्यक्ती दर्शको को यह बता रहा हो कि वे अमृतकाल बजट में अगले आने वाले उस समय तक जीवित रहेंगे , जब इंसान मंगल में भी आधुनिक शाईनिंग डीजिटल घर बसाकर अपनी रोजमरा समान्य जीवन जीना सुरु कर देगा | जो समान्य जिवन जिने के लिए पृथ्वी से आना जाना भी सुरु कर देगा | जबकि कड़वा सत्य यह है कि वर्तमान यानि 21वीं सदी में मंगल पर जिवन जिने की दिन रात तैयारी करने वाले वैज्ञानिक ही नही बल्कि वर्तमान में जो इस पृथ्वी पर सात अरब से अधिक आबादी तो सिर्फ इंसानो की  है , वे सभी 22वीं सदी आते आते ही बुढ़े होकर मर जाएंगे  | जैसे की 16वीं ,17वीं ,18वीं वगैरा पुरानी सदी के सभी लोग मर गए | जिनके बारे में जानकारी अब सिर्फ इतिहास में ही मौजुद है | न कि वे अब भी इस 21वीं सदी में जीवित रहकर अपने बचपन और जवानी के दिनो को खुद बताने के लिए मौजुद हैं | बल्कि इस 21वीं सदी में भी अमृतकाल बजट बताकर भाषण करने वाले नेता और मंत्री ही नही , वे सारे लोग बुढ़ापा की वजह से एकदिन अपनी जीवनलीला समाप्त करेंगे जो अभी जीवित हैं |अमृतकाल बजट से अमर होने की बाते करने या सुनने से कोई अमर नही हो जाएगा | 22वीं सदी तक विरले ही कोई जीवित रहेगा | और वैसे भी अभी की मिलावटी खान पान और प्रदूषित पर्यावरण में जन्म लेने वाले इंसान अपना औसतन उम्र को घटाते जा रहा है | क्योंकि इस गुलामकाल में ऐसा असंतुलित विकाश हुआ है कि इंसान ही नही पशु पक्षी पेड़ पौधा सभी का औसतन उम्र कम हो रहा है | सबके जीवन में असंतुलित विकाश का ऐसा बुरा प्रभाव पड़ रहा है कि इस पृथ्वी में सबकी औसतन उम्र कम होता जा रहा है | जिस तरह का असंतुलित विकाश में अब सौ साल से अधिक कितने लोग जिवीत रह पायेंगे यह बता पाना मुश्किल है | हलांकि यह बात हर कोई जानता है की जिस तरह का असंतुलित विकाश हो रहा है , उससे सबकी औसतन उम्र लगातार घटते ही जा रही है | जिसे जानते हुए सायद ही कोई यह सोचता होगा कि कोई अब सौ साल से ज्यादे का जीवन जी पाएगा इस असंतुलित विकाश में ! अभी मौजुद बुढ़े लोग तो वैसे भी औसतन उम्र की दृष्टि से अपनी पुरी जिवन अब पुरे करने वाले हैं , जिनमे अमृतकाल बजट पर भाषण करने वाले कई मंत्री भी हैं | और बाकि जो जवान बच्चे शिशू बचे हैं , वे भी इंसान की औसतन उम्र के मुताबिक सौ साल से ज्यादे नही जी पायेंगे |


22वीं सदी आते आते वर्तमान में मौजुद इंसानो की पुरी आबादी किसी पतझड़ मौसम की तरह झड़कर वापस मिट्टी में मिल जाएगी | तब सिर्फ वे इतिहास में दर्ज किए जाएंगे | फिर भी इस पृथ्वी पर इंसानो की आबादी की चिंता कभी कभी ऐसे की जाती है , जैसे मानो कोई मरेगा ही नही , और धरती में आनेवाली नई पिड़ी सौ साल बाद अभी की सात अरब से अधिक आबादी के साथ मिलकर कहाँ रहेंगे | जबकि सौ दो सौ साल बाद वर्तमान में मौजुद पृथ्वी में इंसानो की पुरी सात अरब से अधिक आबादी समाप्त हो जायेगी | अभी जिवीत बचे विरले ही कुछ आबादी बचेगी जो सौ दो सौ साल बाद भी अपनी रोजमरा जीवन आनेवाली नई पिड़ी के साथ मिलकर जिने के लिए मौजुद रहेगी | मंगल ग्रह में जीवन की सुरुवात तक कितने लोग जीवित बचेंगे , या फिर आनेवाली नई पिड़ी छोड़कर वर्तमान में मौजुद पुरी अबादी ही समाप्त हो जाऐगी ! क्योंकि बंजर विरान मंगल ग्रह , जहाँ पर कोई इंसान अभी तो कम से कम जिवन नही जी सकता है , वहाँ सौ साल से पहले इंसान का आना जाना और रहना क्या वाकई में सुरु हो जाएगा ? और जब सौ दो सौ साल बाद वर्तमान में मौजुद इंसान कोई जीवित ही नही रहेंगे तब वे मंगल में रहेंगे कैसे भूत बनकर ! क्योंकि वीडियो बनाने वाला व्यक्ती मंगल में रहने की सपने दोस्तो हमे मंगल ग्रह में रहने पर बड़ा मजा आएगा कहकर हसी खुशी से मंगल में रहने की बाते करके अभी जिवन जी रहे लोगो को उत्साह बड़ाते हुए भविष्य की तस्वीर दिखा रहा था | जबकि असल में वह वीडियो मंगल ग्रह में रहने पर बड़ा मजा आएगा कहकर दरसल उस भविष्य में पैदा लेनेवाली नई पिड़ी को दिखा रहा था , जो असल में अगले कई पिड़ि तक पैदा ही नही लेगा | जो यह विडियो क्या पता उस समय देखेगा भी की नही जब मंगल ग्रह पर इंसानो द्वारा घर बनाकर रहने की सुरुवात हो जाएगी ! क्योंकि अभी का पिड़ी 1913 ई० में बनी राजा हरिश्चंद्र फिल्म जो सायद भारत में बनी पहली फिल्म थी , उसे अभी 21वीं सदी के समय में कितने लोग देखते हैं ? जबकि राजा हरिश्चंद्र फिल्म बने हुए दो चार पिड़ी भी पुरी तरह से नही गुजरे होंगे तो भी आज सायद ही कोई बुढ़ा व्यक्ती भी वह फिल्म देखता होगा | और मंगल ग्रह में जिवन की सुरुवात जैसे विषयो पर वीडियो देखने या सुनने वाले कितने लोग रोज सहगल का भी गाना डाउनलोड करके दिनभर सुनते होंगे ? खैर यह सब मंगल पर रहने की तस्वीर हमारे आनेवाली उन नई पिड़ियो के जिवन की तस्वीर हो सकती है , जो कि मुमकिन है अगला आनेवाली नई पिड़ि के भी गोद में बच्चे के रुप में नही दिखेगी | 


फिलहाल तो हमारी जिवन में अभी के समय में जो बच्चे जवान और भुड़े लोग इस पृथ्वी में जिवन जी रहे दिखते हैं , उनकी जिवन की चिंता इस धरती में ही हसी खुशी से कट जाए अधिक करनी चाहिए  | जो कि वर्तमान के समय में तो भारी आबादी इतना बेहतर ग्रह में भी हर रोज ज्यादेतर तो मूलभूत जरुरतो की कमी और असुविधा की वजह से असमय मारे जा रहे हैं | बच्चे भी हजारो लाखो की संख्या में असमय मारे जा रहे हैं , और बुढ़े जवान व औरत भी , जिस असमय मौत को रोकने के लिए सैकड़ो हजारो करोड़ का मंगल अभियान चलाने के लिए सरकार को अपनी राय देनेवाले वैज्ञानिको के पास क्या कोई ऐसी योजना नही जिसमे हजारो लाखो करोड़ खर्च करके वे वर्तमान में हर रोज असमय मर रहे हजारो लाखो लोगो की जिवन को बचा सके ?  आज के समय में सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ खर्च करके मंगल में जिवन की सुरुवात करने की जो कोशिषे जारी है , उसके कभी कामयाब होने पर मंगल ग्रह में तो वे लोग जियेंगे जो न जाने मंगल ग्रह के बारे में बताने वाले अभी मौजुद विडियो का जिवित रहने तक भी जन्म लेंगे की नही लेंगे ! जो अभी तो फिलहाल वीर्य या अंडाणु के रुप में भी जन्म प्रक्रिया के लिए आवेदन नही किए होंगे | क्योंकि इतने लंबे समय बाद जब इंसान मंगल ग्रह पर जीवन की सुरुवात नही कर सका तो आनेवाली कई पिड़ी तक क्या वह मंगल ग्रह में जीवन की सुरुवात करेगा | और जब आनेवाली कई पिड़ी तक मंगल ग्रह में जीवन की सुरुवात ही नही होगी तो जाहिर है जब सुरुवात होगी उस समय मंगल ग्रह में जीवन जिनेवाला इंसान तो अभी किसी इंसान के शरिर में वीर्य अंडाणु के रुप में भी विकसित नही हुआ होगा | और वैसे भी मंगल में पृथ्वी जैसा जिवन की सुरुवात होने में जितना समय लगेगा उतने समय में बहुत कुछ बदल जाता है | बल्कि आजकल तो छोड़ो कल की बाते कहकर नई पिड़ि अपने बाप दादा के जिवन में मौजुद रोजमरा जिवन को भी ओल्ड फैशन कहकर भुलाने लगती है | हलांकि मेरा मानना है की छोड़ो कल की बाते जैसी बातो पर विश्वास करने वाले लोगो की आबादी मुठीभर लोगो की ही होती है | और मुठीभर लोग ही भविष्य में भी छोड़ो कल की बाते कहकर पुरानी जिवनशैली को बिल्कुल से छोड़ने वाले लोग होते हैं |  जो मुठीभर लोग ही पृथ्वी छोड़कर दुसरे ग्रह में जिवन जिने की सोच रहे हैं | ज्यादेतर लोग तो अपने पुराने ग्रह को ही सबसे बेहत्तर मानकर आगे भी अपनाए हुए रहेंगे , जबतक की पृथ्वी में हरी भरी जिवन मौजुद रहेगी | उसी तरह ज्यादेतर इंसान अपनी पुरानी सभ्यता संस्कृति को ही अपनाकर जीते हैं | बल्कि उसमे नयापन जोड़ते जाते हैं , न की छोड़ते जाते हैं | हलांकि जो खाराब है , उसे मंथन करके छोड़ते जरुर जाते हैं | ज्यादेतर तो वही रहता है जो पहले से मौजुद है , बस उसमे अपडेट होते रहता है | क्योंकि कपड़ा पहनना हजारो साल पहले जन्मे पुराने लोगो का ही फैशन है | जिसे यह कहकर कि हमे समय के साथ कपड़ा पहनने की फैशन को बदलना चाहिए , मेरी मर्जी दुसरो को इससे क्या लेना देना कहकर कपड़ा उतारकर नई आधुनिक कहकर नंगा जिवन जिना मुर्खता है | बजाय इसके की हमे पुराने के साथ तालमेल करके उसमे नया जोड़के नया अपडेट करके आधुनिकता लाते रहना चाहिए | और जो गलत है , उसमे नया सुधार करके जिवन को जिते रहना चाहिए | जैसे की प्रकृति करती है , जिसमे हजारो लाखो करोड़ो सालो तक भी बहुत सी चीजे बदलते हुए भी कुछ नही बदलते प्रतित होती है | बल्कि इंसान को तो पता भी नही चल पाता की प्रकृति उसके शरिर में क्या क्या बदलते जा रही है | जिसके बारे में इंसान खुदके शरिर में हजारो लाखो करोड़ो सालो से हुए बदलाव का आंकड़ा जुटाता है , तब जान पाता है कि प्रकृति ने छोड़ो कल की बाते कहकर उसका शरिर में धीरे धीरे अति मंद गति से क्या क्या बदला है | जबकि इंसान अपने जिवन में क्या क्या बदल रहा है , यह तो हर रोज बाजार में नया फोन और किसी एप्प का जल्दी जल्दी नया अपडेट आना देखकर ही पता चल जाता है , कि इंसान आखिर क्यों अपनी पुरानी जिवन को जल्दी जल्दी बदलते देखना चाहता है | और यह सब सायद इसलिए भी इंसान के जिवन में घटित हो रहा है , क्योंकि प्रकृति ने इंसानो को कम उम्र दिया है जीवन जिने के लिए | जितना उम्र में वह पृथ्वी का भी पुरा भ्रमण नही कर पाएगा तो अंतरिक्ष में मौजुद बाकि ग्रहो का तेज गति से जल्दी जल्दी भ्रमण करना तो उसके लिए फिलहाल तो मुमकिन नही है |


पृथ्वी में सबसे श्रेष्ट प्राणी खुदको कहने वाला इंसान अपनी सबसे बेहत्तर बुद्धी से किसी कछुवे से भी कम उम्र का जिवन ही जी पाता है


इंसान से ज्यादे समय तक जीवित कई पेड़ भी जी लेते हैं | जो की सबसे अधिक उम्र वाले पेड़ इंसानो की कई पिड़ी को किसी रास्ते के किनारे खड़े स्थिर होकर देख रहे होंगे यदि वे भी देखते समझते होंगे | जो की अब भी कई पेड़ सैकड़ो हजारो सालो से जिवित होंगे जबकि इतने समय में इंसानो की कई पिड़ी मिट्टी में मिल चुकी है | जाहिर है वर्तमान में मौजुद इंसानो को यदि किसी दुसरे ग्रह में जिवन जिने के बारे में सोचना है तो उसके लिए पहले तो अभी मौजुद इंसानो को अपने औसतन उम्र को कम से कम हजार साल या फिर उससे भी अधिक बड़ाने के बारे में सोचना होगा ! क्योंकि यह सौ साल या उससे भी कम उम्र जिवन में इंसान दुसरे ग्रह में जिवन जिने की बाते करते या फिर जिवन जिने के लिए ग्रह की खोज करते ऐसा प्रतित होता है , जैसे मानो वह वर्तमान में अपनी पसंद का प्रधानमंत्री को वोट करके उसे मंगल ग्रह में 26 जनवरी या 15 अगस्त का झंडा फहराते देखने और सुनने की बाते कर रहा है | जबकि सच्चाई यह है कि वर्तमान में मौजुद इंसान सौ या हजार साल बाद न तो वह झंडा फहराते अपनी पसंद का प्रधानमंत्री को देखने के लिए जिवित रहेगा , और न ही मंगल ग्रह में तब जिस तरह से भी जिवन चल रही होगी उसमे खुदको शामिल करने के लिए जिवित रहेगा | क्योंकि उसकी जो औसतन उम्र है , उसे वह सारे धन्नाओ की दौलत को इकठा करके भी अपनी उम्र को उस समय तक नही बड़ा सकता जब सौ या हजार साल बाद 26 जनवरी 15 अगस्त का झंडा फहराने वाला समय का मंगल ग्रह या फिर कोई दुसरा ग्रह में जिवन जिनेवाले लोग मौजुद रहेंगे , या फिर मंगल ग्रह में लोग जिवन जी रहे होंगे | क्योंकि तब वर्तमान में जिवित सभी लोग मर गए होंगे , और वर्तमान में जी रहे लोगो में भी जो सौ साल बाद भी नही मरेंगे ऐसे लोग विरले ही रहेंगे , जो भी जीवित रहकर भी बुढ़ापा की दर्दभरी जिवन को इतनी झेल रहे होंगे की उनकी भी सौ साल से अधिक की उम्र वाली जिवन मानो जिते जी मौत से कम की नही होगी | जिन्हे समय पुरा हो गया कहकर घर खदेड़ रहा होगा और घाट बुला रहा होगा ! सबसे बेहत्तर तो यही होगा की इंसानो के लिए प्रकृति ने जितनी उम्र फिलहाल तय किया है , उस उम्र तक सारे इंसान हसी खुशी और सेहतमंद जिवन जी सके ऐसी कोशिष वैज्ञानिको से लेकर शासको और बाकि भी  सभी इंसानो को करनी चाहिए | उसके बाद ही दुसरे ग्रह में जीवन की सुरुवात करने की बातो पर ज्यादे ध्यान दीया जाए | फिलहाल तो हर रोज असमय मौते हजारो लाखो इंसानो की हो रही है , जिसमे सबसे प्रमुख कारन गरिबी भुखमरी है  | साथ साथ चिकित्सा का अभाव और मुलभूत जरुरतो का अभाव है | जो अभाव भी पुरी हो जाती यदि देश को परिवार समझकर देश की सरकार देश की धन संपदा को इस संतुलित तरिके से खर्च करती की सरकार बनते ही खुद भी गरिबी भुखमरी मुक्त होती और गरिब जनता भी सरकार चुनते ही गरिबी भुखमरी मुक्त होती | खासकर इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में तो गरिबी भुखमरी तुरंत समाप्त हो सकती है | क्योंकि जब कोई परिवार अमिर है तो उस परिवार में मुठीभर लोग अमिर और बाकि ज्यादेतर सदस्य गरिब तब भी कैसे रह सकते हैं , जबकि परिवार का अभिभावक परिवार का ही धन संपदा से अमिरी की सारी सुख सुविधा प्राप्त करके अमिरी जिवन जी रहा होता है ? क्योंकि अभी गुलामकाल चल रहा है , जब प्राया सभी सरकारे खुदके लिए तो सरकार बनते ही अमिरी प्रदान करती है , पर जनता को गरिबी भुखमरी से बाहर निकालने की बाते करके आजतक भी सायद ही ऐसा कोई देश होगा जहाँ पर एक भी गरिबी नही है | 


खुदको विकसित देशो की श्रेणी में लाने वाले देशो में भी गरिबी और बेघर समस्या है 


चाहे वर्तमान में सबसे विकसित देश कहलाने वाले रुस अमेरिका जापान ही क्यों न हो , वहाँ भी गरिब और बेघर लोग मौजुद हैं | अविकसित और गरिब कहलाने वाले  अफ्रीकन और एशियन देशो में तो गरिबी भुखमरी का आलम यह है कि धन संपदा अन्न जल का भरपुर भंडार होते हुए भी भोजन न मिल पाने की वजह से हर रोज अनगिनत मौते हो रही है | जिसकी रिपोर्ट हर साल पुरी दुनियाँ में विभिन्न माध्यमो से आती ही रहती है | यूरोप और अमेरिका में भी गरिबी मौजुद है , वहाँ भी लोग सड़को में सोने के लिए मजबूर हैं | लेकिन भी सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ खर्च करके मंगल पर रहने की सपने ऐसी देखी जा रही है , जैसे मानो मंगल ग्रह इस पृथ्वी से बेहत्तर है | और जब इतना बेहत्तर हरा भरा ग्रह पृथ्वी में सभी इंसान सुखमई जिवन जी सके ऐसी विकाश अबतक नही हो पाया है , तो मंगल जैसे विरान बंजर ग्रह में क्या खाक सुखमई जिवन जीएगा वह इंसान जो मंगल पर जीवन जिने की सपने सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ खर्च करके देख रहा है | जबकि सभी इंसानो को सबसे पहले तो पृथ्वी में अभी जो जीवन मौजुद है , उसे सबके लिए सुखमई जिवन जीने की सोच रखनी चाहिए | जिस जीवन को सबके लिए सुखमई करने की सबसे पहली जिम्मेवारी वैसे तो सरकार की होती है , पर उसके बाद जिन इंसानो को दुनियाँ की सबसे अधिक इंसान देखते सुनते पढ़ते हैं , उनकी भी जिम्मेवारी सबसे अधिक बनती है | क्योंकि वे चाहे तो अपनी बातो से सारी दुनियाँ की सरकारो को वह बात पहूँचा सकते हैं , जिससे की सभी ऐसे असमय मर रहे इंसानो की जिवन को बचाने में खास भुमिका अदा की जा सकती है जो की गरिबी भुखमरी से तो सबसे अधिक मर ही रहे हैं , पर साथ साथ वे चिकित्सा के आभाव में भी मारे जा रहे हैं  | चर्चित लोगो को तो गरिबी भुखमरी दुर करने पर सरकार को दिए जानेवाले खास सुझाव या विचार को सबसे पहली प्राथमिकता रखनी चाहिए | क्योंकि मान लिया जाय कि दुनियाँ की सारी सरकार यदि देश परिवार का अभिभावक होती है , तो फिर यह कहाँ का मानवता है कि अभिभावक सूट बूट लगाकर अपनी रहिसी जिवन जिये और परिवार में मौजुद बहुत से सदस्य भुखमरी से भी मरे और बेघर होकर ठंड से भी मरे ! यह सोच रखकर सरकार चलाने वाले कैसा अभिभावक का चरित्र और संस्कार है , जो उसकी नई पिड़ी को अपने चरित्र और संस्कारो को आगे बड़ाकर तरकी और विकाश करने की बाते बतलाएगा !  


बल्कि तरकी और विकाश की बाते वह है , जिसमे ज्यादेतर परिवार समाज में तो इस बात को अपना आदर्श बनाया जाता है कि उसके अभिभावक उसके परिवार में मौजुद किसी भी सदस्य को भुखे नंगे मरते देखकर उस समस्या से बाहर सभी को निकालने के लिए तत्काल कारवाई करता है | जिसके लिए भले खुद भी भुखा नंगा मर जाएगा पर खुद सूट बूट पहनकर अपने परिवार के सदस्यो को भुखा नंगा मरते हुए खुदके लिए सारी अमिरी सुख सुविधा और भोग विलास की सुविधा पर खर्च कभी नही करेगा | पहले वह कम से कम परिवार के सभी सदस्यो के लिए इतना तो इंतजाम जरुर करेगा की वे भुखा नंगा न मर सके | और यदि परिवार में पहले से ही धन संपदा मौजुद है , तो फिर तो वह परिवार का किसी सदस्य को अभावग्रस्त व भुखा प्यासा देखते जानते ही तत्काल उसकी अभावग्रस्त और भुखा प्यासा जीवन में सुधार करते हुए जीवन की ऐसी मुख्य धारा में ला देगा , जिसमे कि किसी भी सदस्य की कम से कम गरिबी भुखमरी से तो मौत नही होगी | जैसे की अभी उदाहरन के लिए इसी देश में हर रोज कई की मौते भुख और बिना गर्म कपड़े के ठंठ में ठिठुरकर हो रही है , उसे तत्काल रोका जा सकता है | क्योंकि यह देश परिवार धन संपदा से अमिर है , फिर भी यहाँ गरिबी भुखमरी क्यों है | क्योंकि इस गुलामकाल में अबतक ऐसी सरकार ही नही पैदा ले रही है , जो की ऐसा बेहत्तर अभिभावक का भूमिका निभा सके जिससे की कोई गरिबी भुखमरी से मौते न हो | और जाहिर है देश परिवार का अभिभावक यदि सरकार को माना जाय जिसे शपथ दिलाकर देश परिवार के सभी सदस्यो के जिवन सुरक्षा की जिम्मेवारी दिया गया है , उस सरकार के मंत्री और उच्च अधिकारी भी खुदके लिए सारी अमिरी सुख सुविधा लेकर सूट बूट पहनकर भुखा नंगा मर रहे सदस्यो के बारे में कभी सोचना तो दुर बात तक नही करते हैं | सांसद या अधिकारी अपने कार्यालयो में ज्यादेतर तो अपनी नीजि जिवन में कुछ दुःख तकलीफ न हो इसकी बाते करते और सोचते रहते हैं | जयाँ सिर्फ ज्यादेतर तो यही बात होती रहती है कि अमिरी को और अधिक कैसे बड़ाया जाय , जिसे ही विकाश कहकर योजनाएं बनती रहती है | जैसे की कथित अमृतकाल बजट में बनी है |


गरिबी भुखमरी और ठंड से मौते हो रही है , उसके बारे में बात करना तो मानो आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश के बाद मिली सूटबूट जिवन का किमती समय को बर्बाद करना है 


तभी तो आजतक सायद ही कोई मंत्री या उच्च अधिकारी अपनी रहिशी जिवन पर झांककर कभी यह सोचता रहा हो कि जनता झुगी झोपड़ी या फिर फूटपाथो में  गरिबी और भुखमरी से मरे और हम सुटबूट पहनकर सरकारी बंगलो में रहे यह कुछ ठिक नही लगता है ! जो यदि सोचता तो वह मंत्री या उच्च अधिकारी बनने के बाद अपनी रोजमरा जिवन को भी गरिबी भुखमरी जिवन के बिच ले जाकर मानो खुद भी झुगी झोपड़ी में रहकर सभी गरिबो की दुःख को जमिन से जुड़कर सामने से प्रयोगिक रुप से देख और जिकर मिल जूलकर गरिबी भुखमरी और बेघर समस्या को दुर करने का विशेष दिनचर्या चलने लगता | ऐसी दिनचर्या जिसमे कोई मंत्री और अधिकारी जिस प्रकार मंत्री या अधिकारी बनते ही अपने लिए पक्का घर और भरपेट भोजन के बारे में सोचता रहता है , उसी तरह के सरकारी गाड़ी बंगले और छप्पन भोग न सही पर कम से कम सबकी मुलभूत जरुरत को पुरा करने के बारे में जरुर सोचकर दोनो के लिए संतुलित विकाश करने का कार्य करता | पर अभी तो वह ज्यादेतर अपनी खास जरुरतो को ही पुरा करने में लगा रहता है | बल्कि वह मंत्री और अधिकारी जब बनता है , उसी समय ही वह सरकारी धन से सारी सुख सुविधा का इंतजाम खुदके लिए कर लेता है | जो की वह पहले से ही नियम कानून भी बनाकर रखा हुआ रहता है की मंत्री अधिकारी बनने पर देश की सरकारी धन से उसके लिए क्या क्या इंतजाम तत्काल पुरे हो जाएंगे ! जबकि बाकियो अथवा उसे जिनकी सेवा के लिए इतनी ज्यादे सुख सुविधा दिया जाता है , सरकारी धन से उसके लिए क्या सुख सुविधा का इंतजाम होता है मंत्री पद की शपथ लेने के बाद ? चुनाव के बाद सरकार बनने पर मंत्री पद की शपथ होने के बाद सरकारी मंत्रियो को तो देश की धन संपदा से लाखो की तनख्वा और गाड़ी बंगला मिलना सुरु हो जाता है , पर गरिब जनता मालिक को गाड़ी बंगला छोड़ो सबको रोजमरा जीवन की मूल जरुरत अन्न जल रोटी कपड़ा मकान भी क्या मिल पाता है ? जो यदि सबको मिलता तो क्या आज कोई गरिबी भुखमरी से मरता ! क्या गरिब जनता मालिक बेघर रहता ! जिनकी हालत कैसी है इसके बारे में थोड़ी बहुत जाननी हो तो किसी बीपीएल से ही पुछ लिया जाय कि सेवा करने के लिए मोटी तनख्वा और गाड़ी बंगला जैसी सुख सुविधा लेकर उसके नौकर ने उस बीपीएल मालिक की सेवा करते हुए उसके बीपीएल राशन कार्ड में क्या क्य सुख सुविधा दे रखा है ? और खुदके लिए क्या क्या सरकारी राशन पानी और सुख सुविधा इंतजाम कर रखा है  ? जो राशन पानी और सुख सुविधा नियम कानून बनाकर 1947 ई० से सत्ता प्राप्त करके बीपीएल जिवन में क्या ऐसी भारी बदलाव आ गए हैं , जिसे की आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल विकाश कहकर यह कहा जा सके की इस 21 वीं सदी में अब गरिब बीपीएल जिवन भी वोट करके अपना नौकर चुनकर अपने नौकर से सेवा कराते हुए बेहत्तर सरकारी सुख सुविधा प्राप्त कर रहा है | बल्कि उल्टे सच्चाई तो यही लगता है कि जनता नौकर है , और सरकार मालिक है | तभी तो सरकार खुदको नौकर कहकर बंगलो में रहकर सारी सुख सुविधा प्राप्त करते हुए सेवा करने की मानो खुदकी बेहत्तर आजादी जीवन जिने की समझौता किए हुए है | और जनता मालिक गरिब बीपीएल हालात में रहकर सरकारी राशन सुविधा प्राप्त करते हुए भी भुखमरी अभावग्रस्त जैसे सारी दुःखभरी जिवन प्राप्त करते हुए खुदको जनता मालिक सुनकर वोट करते रहने की आजादी समझौता किए हुए है | क्योंकि जनता को राशन कार्ड से क्या मिलता है , और सरकार को सेवक बनने का शपथ लेकर क्या मिलता है , इस अंतर को भी देखकर पता किया जा सकता है कि रोजमरा जिवन में कौन सेवक है , और कौन मालिक है ?  


जनता मालिक बेघर बीपीएल जीवन जिए और सरकार गाड़ी बंगला समेत सारी सुख सुविधा प्राप्त करे , क्या इसी तरह की जीवन को बेहत्तर विकाश या फिर पुरी आजादी कहा जाता है ? 


बेहत्तर विकाश वह है , जिसमे सबको उचित हक अधिकार मिले , और सरकार द्वारा ऐसी जनता सेवा हो की कोई गरिबी भुखमरी से न मरे | क्योंकि देश का धन संपदा को खर्च करके सिर्फ मंत्री और अधिकारियो को जिने का अधिकार नही है , बल्कि सरकार द्वारा देश का धन संपदा को खर्च करके जिने का अधिकार सभी नगरिक को है | लेकिन अभी देश का धन संपदा का दोहन हर रोज हर पल भरपूर की जा रही है , पर उस दोहन से किसे सारी सुख सुविधा और छप्पन भोग जिवन प्रदान की जा रही है ? जबकि दुसरी तरफ सबको जीने का अधिकार जिस आजाद भारत का संविधान में दर्ज करके उसे लागू हुए इतने दशक बित जाने के बावजूद भी हर रोज अनगिनत नागरिको की गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी है | क्योंकि ये अहंकारी सरकार अपने सेवाकाल के दौरान नागरिको को उसके हिस्से की समान्य जीवन भी नही दे पा रही है | और खुद देश की धन संपदा से खास सुख सुविधा का इंतजाम करके जीवन व्यक्तीत कर रही है | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि यह देश अब भी गुलाम है | और गुलामी में सरकार अपने शासन के दौरान चुनाव कराकर सभी नागरिको की जीवन में बसंत बहार ला देगी यह सोचना मानो गुलामी के समय चुनाव कराकर आजादी प्राप्त करना है | आजादी चुनाव से नही बल्कि आजादी संघर्ष से मिलती है | चुनाव तभी होनी चाहिए जब देश पुरी तरह से आजाद हो | नही तो फिर गुलामी में चुनाव होने पर गुलाम करने वाला कभी नही चाहेगा की गुलामो की हाथ में देश की सत्ता चली जाए | जिसके चलते जाहिर है वह सत्ता में अपनी खास दबदबा की मदत से चुनाव में भी ऐसी गड़बड़ी जरुर करेगा जिससे की उसकी दबदबा बनी रहे | हो सकता है चुनाव के बाद वह थोड़ी बहुत शासन में हिस्सेदारी अपने गुलामो को भी देगा जो की गोरे अंग्रेज भी देते थे , पर उसे पुरी आजादी नही कहा जाता है | गुलाम करने वालो के हाथो आजाद भारत का संविधान खुद खतरे में रहता है तो क्या गुलाम करने वाले लोग अपने गुलामो के जिवन में खुशियो का बसंत बहार लाएंगे ! यू ही आएदिन यह नही कहा जाता की संविधान खतरे में है , या फिर संविधान की हत्या हो गयी है ! क्योंकि यह देश अब भी गुलाम है , जिसकी वजह से आजाद भारत का संविधान ही नही बल्कि पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा इस देश का बहुसंख्यक गुलाम भी खतरे में है | जिसके उपर खतरा हर पल गुलाम करने वालो का मंडराता रहता है | जैसे की कभी अल्पसंख्यक गोरो का खतरा मंडराता रहता था | जो खतरा मंडराना तब समाप्त होता है जब पुरी आजादी प्राप्त हो जाती है | जिसके बाद गुलाम करने वालो पर खतरा मंडराना सुरु हो जाता है , यदि वे अपनी शैतानी हरकतो को तब भी नही छोड़ते हैं ! क्योंकि तब उनके हाथो से वह सत्ता जा चूकि रहती है , जिसकी वजह से गुलाम करने वाले अल्पसंख्यक आबादी होते हुए भी बहुसंख्यको को दबाकर रख पाते हैं | जैसे की इस देश में गुलाम करने वाले इस देश की बहुसंख्यक मुलनिवासियो को जो चाहे जिस भी धर्म में मौजुद हो उनको बाहर से आए अल्पसंख्यक कबिलई द्वारा दबाया जाता रहा है | क्योंकि यह कृषि प्रधान देश अब भी बाहर से आए कबिलई द्वारा गुलाम है | एक गुलाम करने वाले कबिलई की हाथ से इस देश की सत्ता जाकर दुसरे गुलाम करने वाले कबिलई की हाथ में चला गया है | और दोनो ही गुलाम करने वाले वे विदेशी कबिलई हैं जो बाहर से आकर इस देश को गुलाम करके शासन करते रहे हैं | जो चूँकि विदेशी मुल के कबिलई हमलावर हैं , इसलिए इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर अपनी कबिलई लुटेरी सोच से सत्ता चलाते आ रहे हैं | जिनकी कबिलई लुटेरी सोच से इस कृषि प्रधान देश को पुरी आजादी मिलेगी , तब जाकर यह देश फिर से अपनी सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान को अपडेट करेगा | जिस पहचान को यह टनो टन सोना दबाकर इस देश के लोगो को गरिबी भुखमरी देकर मारने वाले और ज्ञान लेने में भेदभाव करने वाले क्या कभी सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान को अपडेट करेंगे ! वे तो सत्ता में बैठकर आपनी लूटपाट और अन्याय अत्याचार सोच को अपडेट करते रहेंगे | क्योंकि ये कबिलई लुटेरे जबतक अपनी सोच को कृषि सोच के रुप में विकसित नही कर लेते तबतक इस कृषि प्रधान देश को हमेशा इनसे आजाद रहने के बारे में ही सोचना चाहिए | न की अब ये बाहर से आए गुलाम करने वाले अपनी कबिलई लुटेरी सोच को अपडेट करके सुधर चुके हैं , यह सोचकर इनसे हमेशा गुलाम बने रहने के लिए इनका साथ देना चाहिए ! बल्कि जो मुलनिवासि लोग इनका साथ वोट या इनकी पार्टी में शामिल होकर दे रहे हैं , गुलाम इतिहास में वे इस देश और इस देश के मुलनिवासियो को हमेशा गुलाम बनाए रखने में साथ दे रहे हैं | जिनके द्वारा साथ देकर विदेशी कबिलई को इस कृषि प्रधान देश की सत्ता में बैठाए रखना मतलब किसी खुंखार शिकारी जानवर को राजा बनाकर प्रजा को उसके खुनी पंजो से दबोचवाकर उसके खुंखार जबड़ो के जरिये उसके पेट में सुरक्षा प्रदान हो रहा है , यह सोचना है | क्योंकि भले कबिलई प्रधान देश में खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानने वाला राजा बनकर अपनी कबिलई प्रजा का रक्षा या सेवा कर सकता है ,पर कृषि प्रधान देश में खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानने वाला किसी कृषि सोच रखने वाली प्रजा का बेहत्तर सेवा कभी नही कर सकता ! वह तो मानो किसी परजिवी शिकारी जानवर की तरह कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो को खा खाकर अपनी लंबी जिवन जीने की व्यवस्था में लगा रहेगा | यहाँ पर गुलाम करने वाले अपने गुलामो को खा खाकर जिवन जिने वाले नर नारी भक्षी लोग होते हैं , यह बताने की कोशिष नही हो रही है , बल्कि खुंखार शिकारी जानवर का उदाहरन देकर यह समझाने की कोशिष हो रही है कि गुलाम करने वाले किसी खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानकर जिवन जिते हैं | और खुंखार शिकारी जानवर की प्रकृति ही रहती है कि वह यदि राजा भी बन जाय तो अपनी प्रजा जिसमे की खासकर जो लोग उसके प्रजाति का नही होते हैं , उसे खा खाकर ही जिवन जीता है | ये गुलाम करने वाले लोग भी दुसरे का छिनकर या कब्जा करके खा खाकर जिवन जी रहे होते हैं | जो उनका मूल स्वभाव होता है , जिसे या तो खुद गुलाम करने वाला ही बदल सकता है , या फिर प्रकृति ही बदल सकता है | गुलाम बने लोग तो बस लंबे समय से खुंखार सोच रखने वालो की गंदी मांशिकता को बदलने का प्रयाश कर रहे हैं | जिसमे लंबा समय इसलिए लग रहा है , क्योंकि गुलाम करने वाले अपना इलाज करने के लिए अपने गुलामो के हाथ में सत्ता आने दे तब तो उनका ठीक से इलाज भी हो पाएगा और वे खुंखार शिकारी जानवर सोच से राजा बनने के बजाय बिना शिकार किए जिवन जिने वाले राजा बनने की मांशिकता को प्राप्त कर पाएंगे | जैसे की अभी गोरे प्राप्त किए या कर रहे हैं | जो कभी कई देशो को गुलाम करते समय खुंखार शिकारी सोच रखने वाले जानवरो को अपना आदर्श मानकर राजा बनकर शासन कर रहे थे | जिनको तो अपने भितर भारी बदलाव का नसीब हुआ पर अबतक भी जो लोग इस देश को गुलाम किए हुए हैं , उन्हे ऐसी नसीब होगी इसपर तो अब उम्मीद कम लगती है कि अबतक भी खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानकर गुलाम करके परजिवी जिवन जिने वाले अब कभी पुरी तरह से सुधरेंगे भी | क्योंकि हजारो सालो में अबतक भी नही सुधरे तो आनेवाले समय में और कब सुधरेंगे | बल्कि गुलाम करने वालो के परिवारो में जो थोड़े बहुत लोग समय के साथ सुधर रहे हैं , वे ही मुमकिन है भविष्य में अपने ही डीएनए और प्रजाति के लोगो को सुधारेंगे , चाहे जिस तरह से सुधारे | पर इस देश और इस देश के मुलनिवासियो के गुलामी हालात में सुधार तो पुरी आजादी प्राप्त करके ही हो पाएगा | जिसे बिगाड़ने वाले बाहर से आए कबिलई लुटेरे हैं , जो इस देश को गुलाम बनाकर लंबे समय से किसी परजिवी की तरह पलते आ रहे हैं | जिनसे पुरी आजादी पाने वाले तमाम लोगो को मैं इतिहास में अपनी आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर नायक मानता हूँ | और जो लोग गुलाम करने वालो का साथ देकर हमेशा गुलामी बने रहने में साथ दे रहे हैं , उन्हे तो मैं इतिहास में आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर नायको का सबसे बड़ा विरोधी मानता हूँ | जो की इतिहास में कभी भी अपना नाम आजादी के लिए संघर्ष करने वालो में दर्ज सायद नही करना चाहते हैं | क्योंकि सायद हो सकता है उन्हे गुलाम करने वालो से मिलकर उनके गलत संगत अपनाकर खुद भी मिलकर अन्याय अत्याचार करने में भितर से आनंद आता है | जैसे कि गुलाम करने वालो को किसी को गुलाम करके अन्याय अत्याचार करने में आनंद आता है | जिसे एक उदाहरन से समझा जा सकता है कि गुलाम करने वालो जैसा ही आनंद उनके बुरे संगत में पड़े गुलाम लोगो को भी आनंद क्यों आता है ? उदाहरन के तौर पर ड्रक्स नशा करने वाले जब अपने बुरे संगत से किसी नशा न करने वाले को भी ड्रक्स का नशा करने का लत लगा देते हैं , तो उसे भी वही आनंद आने लगता है , जैसे की किसी ड्रक्स नशेड़ी को ड्रक्स लेते समय आनंद आता है | ये गुलाम करने और उसका साथ देने वाले नशेड़ी तो किसी ड्रक्स नशेड़ी से लाखो करोड़ो गुणा अधिक खतरनाक होते हैं | जिनके द्वारा किसी को गुलाम करके अन्याय अत्याचार करने का नशा इतना खतरनाक है कि पुरा देश गुलामी के जंजीरो में जकड़कर पुरी आजादी के लिए संघर्ष करता रहता है | जैसे की यह देश पुरी आजादी के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा है | जो संघर्ष ड्रक्स नशा करने वालो से नही बल्कि किसी को गुलाम करने की नशा करने वालो से पुरी आजादी प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहा है | ड्रक्स का नशा करने वाले नशेड़ी तो वैसे भी नशा कर करके धीरे धीरे खुदको समाप्त कर रहे होते हैं , जिनको बचाना और इलाज करना उतना मुश्किल नही है , जितना की इस गुलाम करने वाले नशेड़ियो को बचाना या इलाज करना मुश्किल है | तभी तो इनका इलाज हजारो साल बाद भी अबतक ऐसा बेहत्तर हालात नही  बन पाया है कि इनके द्वारा गुलाम करके किए जा रहे अन्याय अत्याचार से पुरी तरह आजादी मिल सके | 


वर्तमान की चाहे भाजपा सरकार हो या फिर इससे पहले की कांग्रेस सरकार हो , दोनो के ही कार्यकाल में यह देश गुलाम ही रहा है


जिनके द्वारा गुलाम करके शासन करने पर इस देश की हालत कितना बुरा रहा है , इसके बारे में खुद भाजपा कांग्रेस ही एक दुसरे के द्वारा किए गए बड़े बड़े कुकर्मो के बारे में हर रोज पोल खोलते रहते हैं | जो एक दुसरे की पोल खोलकर एक दुसरे को नंगा करते समय दोनो के ही समय की सत्ता कार्यकाल के दौरान हुए बड़े बड़े घोटाला जैसे कुकर्मो को उजागर कर रहे होते हैं | जैसे की अभी की भाजपा सरकार के बारे में कांग्रेस जितना भी भाजपा के द्वारा किए गए कुकर्मो के बारे में बहस करती है तो वह कुकर्म खुद कांग्रेस सरकार के समय का कार्यकाल में भी लागू होती है | क्योंकि यदि सचमुच में चुनाव परिणाम सही होता है जो कि मैं इस गुलामी काल में नही मानता , तो भी सही मानने वालो की मानकर ही पिछला रिकॉर्ड यदि देखा जाय तो कांग्रेस कार्यकाल में भी इतने सारे बड़े बड़े घोटाला जैसे कुकर्म होते रहे हैं की उसकी अंबार को देखते हुए भारी बहुमत से कांग्रेस के विरोध में वोट पड़कर भाजपा सरकार को चुना गया था | कांग्रेस के खिलाफ भी भारी विरोध प्रदर्शन और भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन हुए थे | अन्ना आंदोलन और रामदेव आंदोलन किस कांग्रेस या भाजपा नेता को याद नही है , जब कांग्रेस की सरकार थी और लोग भाड़ी तादार में कांग्रेस के खिलाफ सड़को पर उतरते थे | क्योंकि कांग्रेस भी भ्रष्टाचार में डुबी हुई थी , और उसके कार्यकाल में भी गरिबी भुखमरी बेरोजगारी और महंगाई चर्मशीमा में थी | जो की अब इस तरह के मुद्दो में भाजपा सरकार के खिलाफ भारी तादार में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं | क्योंकि भाजपा भी कुकर्मी निकला , जिसके बारे में लंबे समय तक कुकर्म करने वाली कांग्रेस खुद हर रोज पोल खोलते रहती है यह सोचकर की भाजपा को कुकर्मी मानकर कांग्रेस को फिर से लंबे समय तक कुकर्म करने का मौका मिल जाएगा | जो मुमकिन भी है , क्योंकि यह देश गुलाम है , और गुलामी में गुलाम करने वाले ही सत्ता का गलत उपयोग करके सत्ता पर अदला बदली बने रहते हैं | चाहे भाजपा रुप में बने रहें या फिर कांग्रेस रुप में , दोनो पार्टी ही गुलाम करने वालो द्वारा नेतृत्व होता है | भले ये दोनो पार्टी खुदको सबसे बड़ा विरोधी कहते हैं , पर ये दोनो पार्टी दरसल एक दुसरे के पूरक ऐसी पार्टी है , जिसे गुलामो को भ्रमित करने के लिए एक ही गुलाम करने वाले लोगो द्वारा दो पार्टी के रुप में बनाया गया है | जिनमे से चाहे जो भी पार्टी सत्ता पर बैठी हो दोनो का ही राज इस देश में कायम है | और दोनो ही तबतक बड़े बड़े कुकर्म और भ्रष्टाचार करके सुरक्षित हैं , जबतक की इन दोनो पार्टियो के हाथ में इस देश की सत्ता रहेगी | या कहो जबतक यह देश इनसे गुलाम रहेगा | जिस गुलामी में इस देश के मुलनिवासियो का शोषण अत्याचार होते रहना जारी रहेगा और इस देश में अति गरिबी भुखमरी बेरोजगारी जैसे मुल समस्या कायम रहेगी | क्योंकि गुलाम करने वालो के शासन में गुलाम करने वाले खुदके बारे में गहराई से सोचते हैं की कैसे उनकी सत्ता हमेशा बरकरार रहे और कैसे उन्हे देश का धन संपदा से विशेष लाभ मिलते रहे | जैसे की कभी गोरे भी सोचते थे जब उनके द्वारा यह देश गुलाम था | अभी सत्ता में बैठे गुलाम करने वाले तो गोरो से भी पहले से अथवा हजारो सालो से यह सोचते आ रहे हैं | जिनसे इस देश को पुरी आजादी मिलेगी तब यह देश फिर से खुदको सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु के रुप में अपडेट करेगा | जो की अँगुठा और जीभ काटने वाले गुरुघंटालो की हाथ में इस देश की सत्ता होकर कभी नही विश्वगुरु अपडेट हो सकता | और न ही बाहर से आकर इस देश को गुलाम करके दुसरे का हक अधिकार को लुटने वालो के द्वारा यह देश सोने की चिड़ियाँ के रुप में अपडेट हो सकता है |

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

Both the Congress government and the BJP government have a hand in the scam


घोटाले में कांग्रेस सरकार और भाजपा सरकार दोनों का हाथ है


यह पोस्ट किसी को यदि अच्छा लगे तो इसे जरुर बांटे ! और यदि खराब लगे, जिसके चलते की कोई इसे पुरा न पढ़ना चाह रहा हो तो कोई जरुरी भी नही है ! पर किसी को यदि मेरे द्वारा लिखे गए इस तरह के पोस्ट पर दिलचस्पी है , तो मेरा इस ब्लॉगर साईट में मौजुद सैकड़ो ऐसे पोस्ट मौजुद है | जिसे समय निकालकर पढ़ने से पता चल जाएगा कि मैने कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टीयो की शासन को गलत क्यों कहा है | कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टीयो ने इस देश में सरकार बनाकर अपने कार्यकाल के दौरान विकाश नही बल्कि बड़े बड़े घोटाले किये हैं | इन दोनो ही पार्टीयो ने देश का आर्थिक विकाश करने के लिए PHD नही बल्कि देश का बेड़ा गर्त करने के लिए बड़े बड़े घोटाले करके गरिबी भुखमरी बेरोजगारी कायम रखने के लिए PHD कर रखा है | जिसका आधुनिक भारत , गरिबी हटाओ , शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया ज्ञान ऐसे बांटते रहते हैं जैसे कि इनके शासन में देश का प्रत्येक परिवार गरिबी भुखमरी बेरोजगारी मुक्त हो गया है | जबकि सच्चाई यही है कि ये दोनो ही पार्टी अपने शासन के दौरान गरिबी भुखमरी बेरोजगारी मुक्त करने के बजाय बड़े बड़े घोटाला युक्त शासन को अपडेट करने में ज्यादे ध्यान देते आ रहे हैं | भाजपा सरकार में अभी जो बैंक से जुड़े बाईस हजार से अधिक करोड़ का एक और बड़ा घोटाला खबर सामने आ रही है , वह कोई नया नही है | क्योंकि बड़े बड़े घोटालो का जन्म 2014 ई० में नही हुआ है | और न ही इस देश का बेड़ा गर्त होकर गरिबी भुखमरी बेरोजगारी कोई 2014 ई० में जन्म लिया है ! भाजपा कांग्रेस के खास अँधभक्त जो की भाजपा कांग्रेस को देश का सबसे बेहत्तर पार्टी सोचकर अपनी पुरी जीवन लगातार वोट करते आ रहे हैं , उनको भी पता है कि 1947 ई० से लेकर अबतक 75 सालो में लगभग 60 साल कांग्रेस और 10 साल से अधिक भाजपा का शासन रहा है | वह भी दोनो ही पार्टीयो के द्वारा भारी बहुमत से भी जीतकर रहा है | बल्कि भाजपा तो 2014 ई० में 60 साल के बदले हमे 60 महिने का मौका दिया जाय कहकर भारी बहुमत से चुनाव जीतकर अबतक भी शासन कर रही है | इन दोनो पार्टी का तो देश के सबसे अधिक राज्यो में भी सरकार रही है | फिर भी ये दोनो और दोनो के अँधभक्त चुनाव आते ही ऐसे वोट की जुगाड़ में जुट जाते हैं , जैसे इन्हे विकाश को पैदा करने के लिए पहले कभी मौका ही नही मिला है ! जबकि इन्हे लगातार खासकर कांग्रेस को तो लगभग 60 सालो तक मौका दिया गया है | इतना मौका मिला की कांग्रेस सरकार बनते समय कई नेता जवानी में मंत्री बनकर बुढ़ापा तक शासन करते रहे | जिनमे से कई तो आधुनिक विकाश को पैदा करने के लिए जवान से बुढ़ा होकर अपनी पुरी जीवन यात्रा समाप्त कर चुके हैं | और कई इस इंतजार में पुरा करने वाले हैं कि घाट जाते जाते सायद और ऐसा कांग्रेस दौर आए जब दशको तक फिर से इस देश की सत्ता कांग्रेस के पास हो | मुँह में दांत नही पेट में आंत नही , भोजन से ज्यादे बार दवा खा खाकर बुढ़ापा के अंतिम समय में भी मंत्री बनने के सपने ऐसे देखते रहते हैं , जैसे मानो जिस विकाश को पुरी जवानी मौका मिलने पर भी नही पैदा करा पाए , उसे ऐसी उम्र में उनके मंत्री बनते ही देश में भारी बदलाव आ जाएगा | जिस भारी बदलाव के लिए ही तो कांग्रेस को लगभग 60 साल और भाजपा को दस साल से अधिक का समय मिल चुका है | भाजपा तो सिर्फ साठ महिने में ही भारी बदलाव करने की बाते करके 2014 ई० में भारी बहुमत से चुनाव जीतकर सत्ता में आई थी | जनता ने सायद यह सोचकर भी भाजपा को भारी बहुमत से जीताई थी कि कांग्रेस ने जो साठ सालो तक कुकर्म किया वह सायद भाजपा नही करेगी | लेकिन भी अबतक घोटालो का सिलसिला जारी ही है , जिसके चलते स्वभाविक भी है कि गरिबी भुखमरी बेरोजगारी यात्रा आजतक भारी तादार में जारी है | क्योंकि इन दोनो ही पार्टीयो ने अपने कार्यकाल के दौरान विकाश नही बल्कि बड़े बड़े घोटाले किये हैं | जिसके चलते इन दोनो ही पार्टीयो के कार्यकाल में भ्रष्टाचार को लेकर बड़े बड़े आंदोलन भी होते रहे हैं | कभी कांग्रेस के खिलाफ हो रहे थे तो अब भाजपा के खिलाफ हो रहे हैं | जिसका सबसे प्रमुख कारन तो यह भी है कि इस देश में घोटाले करने वालो का तो बहुत बड़ी लिस्ट कोर्ट कचहरी में भी मौजुद है , जो कि बड़ते ही जा रही है , पर उनपर उचित कारवाई नही हो रही है | जैसे की अभी का जो एक और अपडेट नया बैंक घोटाला केश CBI के पास दर्ज हुआ है , वह भी सिर्फ चुनाव के चलते कुछ समय तक गर्माएगा उसके बाद उसी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा , जहाँ पर इससे भी बड़े बड़े घोटालो का भंडार पड़ा हुआ है | और चूँकि लगभग बाईस हजार करोड़ से भी अधिक का नया घोटाला भी कांग्रेस भाजपा शासन के दौरान ही चल रही थी | जिसपर कारवाई होना मतलब कांग्रेस भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान होना | क्योंकि दोनो ही पार्टी इससे भी बड़े बड़े घोटालो में डुबी हुई है | और दोनो ही पार्टी सिर्फ एक दुसरे के खिलाफ कारवाई करने की बाते करके चुनाव जीतती रही हैं | पर चुनाव जीतकर कारवाई सायद ही कभी ऐ दोनो एक दुसरे के खिलाफ करने की सोचती हैं | जैसे कि 2014 ई० में भाजपा भारी बहुमत से लोकसभा चुनाव जीतकर आने से पहले जो कांग्रेस की सरकार लंबे समय से चल रही थी , उसके खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर बड़े बड़े आंदोलन हुए थे | जिन आंदोलनो में भाजपा जनता के पास जाकर यह वादा करके किसी न किसी रुप से जनता को लुभाती रही की यदि भाजपा की सरकार बनी तो कांग्रेस के सभी बड़े बड़े भ्रष्ट नेता को जेल में डाला जाएगा और सारा कालाधन भी भाजपा सरकार द्वारा जब्त किया जाएगा | जिस कालाधन के बारे में यह बतलाया गया कि कांग्रेस के समय में इतना घोटाला हुआ है कि यदि उन सभी घोटालो के द्वारा किया गया जमा धन को सरकार जब्त कर ले तो वह इतना है कि सभी गरीब के खाते में पंद्रह पंद्रह लाख दिए जा सकते हैं | जितना सारा कालाधन  होने की बाते सिर्फ भाजपा ने ही नही कही बल्कि योगगुरु रामदेव जैसे लोग जिनके की बातो को लाखो करोड़ो लोग टी० वी० वगैरा में दिनो रात योग करते समय भी सुनते देखते रहते हैं , उनके द्वारा भी भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन करते हुए  , सैकड़ो हजारो करोड़ ही नही , बल्कि एक हजार लाख करोड़ कालाधन होने की बाते किया गया | 


1000 लाख करोड़ कालाधन होने का प्रमाण भारी बस्ता रामदेव द्वारा अपने पिठ में लादकर लगभग सभी राष्ट्रीय टी० वी० चैनलो में योग के बहाने भांग खाए बंदर की तरह उछल उछलकर यह बतलाया और अश्वासन दिया गया कि देश विदेश में जो एक हजार लाख कालाधन जमा है , उसे भाजपा सरकार बनते ही वापस भी किया जाएगा और कांग्रेस के सभी भ्रष्ट नेताओ को जेल में भी डाला जाएगा | जिस बात में जनता द्वारा विश्वास भी कर लीया गया था , जिसके चलते भ्रष्टाचार को लेकर रामदेव के द्वारा चलाए गए आंदोलन में भारी तादार भीड़ महिला पुरुष सबकी थी | तब  रामदेव और भाजपा के बिच खास समझौता भी हुए थे , जिसके अनुसार भी भाजपा सरकार बनते ही कालाधन वापस और भ्रष्टाचारियो को जेल होनी थी | जिसमे भ्रष्टाचार का जननी कांग्रेस को बताकर उसे सत्ता से हटाकर कांग्रेस के सभी भ्रष्ट नेताओ को जेल में डालने की बात की गयी | जिसके लिए रामदेव बाबा द्वारा मानो भाजपा से सात फेरे लेकर अटल समझौते किए गए थे | जिस अटल समझौते को हाथ में लेकर मीडिया में घुम घुमकर यह कहा जा रहा था कि भाजपा सरकार बनते ही इस समझौते के तहत भी कांग्रेस के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी | अथवा भाजपा रामदेव के बिच किए गए वादे और वचनो का लिखित प्रमाण जो तैयार किया गया था उसे भाजपा सरकार बनते ही पुरा किया जाएगा | पर भाजपा सरकार बनने के बाद क्या हुआ ? साक्षात प्रमाण सामने है कि कांग्रेस के खिलाफ विशेष जाँच कारवाई करने की भाजपा सिर्फ बाते करती है , कारवाई तो सिर्फ दुसरी पार्टियो के खिलाफ होती आ रही है | बल्कि कांग्रेस ने रामदेव के भितर जिस प्रकार सलवार सूट पहनकर रामलीला मैदान छोड़कर भागने के लिए दहसत आतंक पैदा किया था , उसे याद करके अब रामदेव को लापता देख जानकर जनता जरुर यह विचार करती होगी कि रामदेव भाजपा सरकार आने के बाद भी अबतक सायद कांग्रेस से इतना डरा हुआ और आतंकीत है कि उसके साथ कांग्रेस ने क्या किया था और आगे और क्या कर सकती है , इसके बारे में सोचते ही उसकी सारी हवा बाहर निकल जाती होगी | जैसे की रामलीला मैदान में आंदोलन करते समय हवा निकली थी और रामदेव अचानक से मैदान छोड़कर गायब हो गया था | जिसके बाद सलवार कमीज में मीडिया के सामने आकर भयभीत आतंकीत होते हुए बड़बड़ाने लगा की कांग्रेस उसकी जान लेने की तैयारी की थी | जिससे बचने के लिए उसे मंच से कुदकर बेहरुबिया की तरह रुप बदलकर छुपते छिपाते भागना पड़ा | जिसके चलते रामदेव अब भी इन सब मामलो से दुर ही भागता रहता है | क्योंकि उसे अब सायद भितर से यह पता चल चुका है की भाजपा कांग्रेस दोनो ही एक दुसरे के लिए खास हैं | न की रामदेव जैसे लोग इन दोनो पार्टीयो के लिए खास होते हैं | रामदेव तो मानो इन दोनो ही पार्टीयो के लिए वह बली का बकरा है , जो खास समय आने पर बली दे दीया गया | जैसे की कभी अन्ना हजारे को भी आंदोलन करवाकर उससे विशेष लाभ लेकर बली दे दीया गया | ये बली देनेवाले लोग खास चिन्हित करके खास समय के लिए भाजपा कांग्रेस द्वारा ही खास ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं | जैसे की बली देनेवाले किसी मुर्गे या बकरे को खास चिन्हित करके खास समय के लिए तैयार करते हैं | जो बली भाजपा कांग्रेस खुदको बचाने और खासकर उस कालाधन को भी बचाए रखने के लिए दिया जाता आ रहा है , जिसे भाजपा कांग्रेस सरकार के समय खास संरक्षण प्राप्त किए चोर लुटेरो ने खुल जा शिमशिम कहकर अपनी कालीगुफा में जमा कर रखा है | जिस काली गुफा से भाजपा कांग्रेस को अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए प्रत्येक चुनाव में खास टॉनिक मिलता रहता है | यू ही नही इस देश में गरिबी भुखमरी बड़ी है | अमिरी भी बड़ी है पर आखिर किन लोगो की और कितने प्रतिशत लोगो की बड़ी है ? 


बल्कि थोड़ी बहुत दिखावे के लिए भ्रष्टाचारियो पर कारवाई भी जरुर होती रही है | इसके लिए जब भी कांग्रेस भाजपा शासन में रही तो दुसरी पार्टीयो के खिलाफ विशेष तौर पर CBI द्वारा कारवाई करके उन्हे सजा भी हुई है | पर कांग्रेस भाजपा को कभी भी ऐसी विशेष कारवाई नही हुई है , जिससे की उन्हे सजा मिली हो | जबकि भ्रष्टाचार के खिलाफ जब भी कांग्रेस भाजपा शासन के समय बड़े बड़े आंदोलन हुए , और हो रहे हैं , तो जनता द्वारा जरुर यह विशेष उम्मीद की जाती रही है कि किसी कांग्रेस या भाजपा नेता जिनके उपर की बड़े बड़े घोटालो का केश भी चल रहा है  , उसके खिलाफ कारवाई होकर उन्हे भी जेल हो | पर भाजपा कांग्रेस के खिलाफ कभी भी ऐसी विशेष कारवाई नही हुई जिससे की यह कहा जा सके की वाकई में ये दोनो पार्टी एक दुसरे का प्रमुख विपक्षी पार्टी हैं | जबकि दोनो ही पार्टीयो के द्वारा किए गए सबसे बड़े बड़े घोटाले का सबसे बड़ा लिस्ट मौजुद है | जैसे की अभी भाजपा शासन में जो बाईस हजार करोड़ से भी अधिक का बैंक घोटाला करने की  खबरे चल रही है | जिसमे की कांग्रेस भांग खाये बंदर की तरह हाथ में मीडिया का मैक पकड़कर उछल कूद ऐसे कर रही है , जैसे की इससे पहले कभी घोटाला ही नही हुआ | और उछल कुद करते हुए प्रेसवर्ता करके जनता को यह बतलाने की कोशिष कर रही है कि यदि उसकी सरकार बनी तो इस तरह के घोटालो के खिलाफ कड़ी कारवाई करेगी | जिस तरह की बाते भाजपा भी तब करती रही है जब कांग्रेस इस देश की सत्ता में थी | दोनो की बाते चुनाव को सबसे अधिक ध्यान में रखकर जुबान से निकलती है , जो की चुनाव समाप्त होने के बाद जुमला हो जाती है | जैसे की कांग्रेस के द्वारा कही गई बात गरिबी हटाओ भी जुमला ही साबित हुई | जिन बातो पर गौर करते हुए जनता को यह बात अच्छी तरह से समझ जाना चाहिए , की इस तरह की जुमला करके भाजपा कांग्रेस दोनो ही सरकार  बनने के बाद किस तरह से देश का बेड़ा गर्त कर रखा है |


अबतक हुए बड़े बड़े घोटालो को पंख लगने के लिए गलती कांग्रेस भाजपा दोनो की है , क्योंकि आजादी के पिछले 75 सालो में लगभग 60 साल कांग्रेस ने तो 10 से अधिक साल भाजपा ने शासन किया है , इतने सालो तक दोनो पार्टी भ्रष्टाचारियो के खिलाफ क्या कारवाई की है ? जैसा की मैने बतलाया की बड़े बड़े घोटालो का जन्म कोई 2014 ई० में तो नही हुआ है ! बल्कि गोरो से मिली आजादी से लेकर अबतक जितने भी बड़े बड़े घोटालो का लिस्ट तैयार किया जाता रहा है , उसमे कांग्रेस भाजपा दोनो ही बड़े बड़े घोटाला करने में पहला और दुसरा पुरुस्कार लेनेवाली पार्टी रही है | इसलिए भी ऐ दोनो ही पार्टी खास कारवाई करके बेहत्तर रिजल्ट लाने के बजाय बड़े बड़े घोटालो को दबाते आ रही है | कांग्रेस शासन करते करते बुढ़ा गयी पर अबतक उसने कोई कारवाई नही की , तो अब क्या वह कारवाई करेगी ? सत्ता में भाजपा के रहते न तो कांग्रेस को कुछ होगा और न ही कांग्रेस के सत्ता में रहते भाजपा को कुछ हुआ | जिसे जानते हुए भी इन दोनो पार्टीयो को फिर से मौका देना बड़े बड़े घोटालो को मानो परमोशन देना है | जिसका एक उदाहरन हाल फिलहाल में बड़ा परमोशन होकर सामने आया अबतक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला के रुप में भी | क्योंकि इससे भी पहले बैंक घोटाला हो चुके हैं पर वह इससे कम के थे | जिस कम का प्रमोशन होकर ज्यादे का हो गया है | जिस घोटाले को अंजाम देनेवालो पर SBI द्वारा CBI के पास केश दर्ज करके कारवाई होने की खबरे गर्मा रही है | जो सिर्फ चुनाव के चलते कुछ समय तक गर्माएगा उसके बाद उसी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा जहाँ पर इससे भी बड़े बड़े घोटालो का भंडार पड़ा हुआ है | जिसपर कारवाई होना मतलब कांग्रेस भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान होना है | क्योंकि दोनो ही पार्टी सबसे बड़े बड़े घोटालो में डुबी हुई है | जिसके बारे में बहुत सारी जानकारी भरे पड़े हैं | इस नए घोटाले के बारे में भी यही जानकारी सामने आ रही है कि जैसे जैसे CBI और बाकि जाँच एजेंशियो की जाँच आगे बड़ेगी इन दोनो ही पार्टी के लोगो का नाम सामने आना सुरु हो जाएगा | क्योंकि एक अनुमान मुताबिक 22842 करोड़ का जो बैंक घोटाला हुआ है , वह 2012 ई० से लेकर 2018 ई० तक का है | और जैसा की सबको पता है कि 2012 ई० में कांग्रेस की सरकार थी , जो 2014 ई० में भाजपा सरकार बनने के बाद भी घोटाला जारी रहा है | जिस घोटाले में सरकार के मंत्री से लेकर बैंक के उच्च अधिकारी तक मिले होने की बाते कही जा रही है | जो मामला सामने वैसे समय में आया है , जब देश का सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव हो रहा हैं | और उस चुनाव से 2024 ई० में होनेवाले लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा प्रभाव पड़नेवाला हैं | और भाजपा कांग्रेस को पता है कि घोटाला जाँच से दोनो को तो कोई खास खतरा नही है , पर चुनाव में यदि घोटाला बहस को भाजपा कांग्रेस बहस नही बनाया गया तो दोनो को ही खास खतरा जरुर मंडराने लगेगा | क्योंकि तब जनता का ध्यान ऐसे बहसो में न जाकर इन दोनो ही पार्टीयो के द्वारा अबतक किए गए बड़े बड़े वादो वचनो पर जाने लगेगा | जिसे ये दोनो ही पार्टी कभी आजतक पुरी ही नही की है | जिसको जानने के बाद जनता दोनो को ही नकारने लगेगी | जिसके चलते इस घोटाले के बहाने भाजपा कांग्रेस दोनो ही इस नये अपडेट घोटाला मामले को मानो देश में पहलीबार घोटाला हुआ है , ऐसी बात करते हुए घोटाला खबर को भाजपा कांग्रेस करके जनता का ध्यान भटकाकर चुनावी लाभ लेने की पुरी प्लानिंग है | जिस प्लानिंग के तहत कांग्रेस प्रेशवर्ता भी कर रही है | वह भी भितर से इस आत्मविश्वास के साथ की चाहे कांग्रेस की सरकार बने या फिर भाजपा का दोनो में कोई भी बने बात बराबर है | बस किसी तरह दोनो में किसी का भी सरकार वापस बन जाए | जिसके बाद दोनो के ही खिलाफ कोई खास कारवाई होनी तो है नही ! भले क्यों न भाजपा कांग्रेस के सरकार द्वारा इतने बड़े बड़े घोटाले किए गए हो , जिसपर यदि सजा मिले तो इतने बड़े बड़े घोटाले करने वालो को उम्रकैद की भी सजा हो सकती है | जो फिलहाल तो वे इतने बड़े बड़े घोटाले करके भी पुरी जीवन बिना कोई खास कारवाई हुए सिर्फ यह बाते सुनते हुए गुजार देते हैं कि उनके खिलाफ बड़ी कारवाई हो सकती है | 


बल्कि प्रकृति अपनी कारवाई जरुर करती है उन्हे बुढ़ापा के बाद साँसे वापस लेकर ! क्योंकि घोटाले करने वाले अपनी शैतानी बुद्धी से चाहे क्यों न पुरी दुनियाँ का सबसे बड़ा घोटाला करके भी बच जाते हैं , पर वे प्रकृति से कभी नही बच पाते अपने उम्र का घोटाला करने की बाते सोचकर भी ! प्रकृति द्वारा साँसे वापस लेकर एकदिन उनकी भी मौत हो जाती है | जिसके बाद उनके द्वारा अपने जीवनकाल में किए गए घोटाले का विवरण इतिहास में दर्ज हो जाता है | अभी जो घोटाला सामने आया है , और इससे पहले भी जो इससे भी बड़े बड़े घोटाले के मामले सामने आए हैं , वह सभी इतिहास में दर्ज हो गए हैं | जिन घोटालो को करने या कराने वाले चाहे क्यों न कितना बड़ा नेता या अधिकारी हो , उनको यदि उनके पुरी जीवनकाल में भी कोई सजा नही मिलेगी तो भी उनकी मौत प्रकृति द्वारा साँसे वापस लिए जाने के बाद जरुर होगी ! भले ये घोटाले करने वाले बड़े बड़े घोटालेबाजो से वह धन वापस न हो पायेगी जिसे लुट या चुराकर ये झुठी शान की जीवन यह कहकर जीते आ रहे हैं कि देखो हम अपने जीवन में कितना बड़ा बन गए हैं | कितना बड़ा पार्टी बन गए हैं | कितना बड़ा मंत्री और अधिकारी बन गए हैं | चाहे तुम कितने ही बड़े क्यों न बन जाओ , तुम्हारा कुकर्म तुम्हे इंसानियत के मामले में सबसे छोटा कर देता है | क्योंकि तुमने करोड़ो लोगो की जीवन से उनके हक अधिकारो को लुट या लुटवाकर इंसानियत को इतना ज्यादे नुकसान किया है कि यदि सचमुच में नर्क जैसा कोई दुसरी दुनियाँ भी होती होगी , जहाँ की मरे हुए इंसानो को अपने जीवनकाल के दौरान किए गए कुकर्मो का हिसाब किताब देना होता होगा , तो निश्चित तौर पर बड़े बड़े घोटालेबाजो को मरने के बाद नर्क में अपने कुकर्मो का सारा हिसाब किताब खोलकर मानो आत्मसमर्पन कर देना होता होगा | जिसके बाद उनके द्वारा किए गए कुकर्मो से कितने लोगो के हक अधिकारो में डाका पड़ा था , इसका फैशला होकर नर्क में सबसे बड़ा न्याय होता होगा | भले क्यों न अभी न्यायालय में पड़े बड़े बड़े घोटालो पर न्याय नही हो रहा हो , और वह फाईलो पर धुल फांक रहा हो | मरने के बाद नर्क में सभी बड़े बड़े घोटालेबाज बड़े बड़े सजा काट रहे होते होंगे ! भले इस जीवन में बड़े बड़े घोटाले करके भी सारी सुख सुविधा भोग विलाश का मजा लेकर जीवन जी रहे होते होंगे ! जिन्दा रहने तक यदि मानो उनकी घोटालेबाज जीवन स्वर्ग लगता होगा तो मरने के बाद उनको नर्क जरुर मिलेगा | और इन घोटालेबाजो द्वारा करोड़ो लोगो के जिवन में गरिबी भुखमरी बेरोजगारी जैसी समस्या उत्पन्न करके यदि नर्क जीवन लगता होगा तो उनके मरने के बाद निश्चित तौर पर उनको स्वर्ग मिलेगा | जिसके लिए उन्हे अपने जीवन में इन घोटालेबाजो की वजह से जो नर्क जैसा जीवन मिला है , उसे स्वर्ग में तब्दील करने के लिए अति दुःखी होकर अति पूजा पाठ करने की भी जरुरत नही है | अति पूजा पाठ तो उन लोगो को पुरी जीवन करते रहना चाहिए जो बड़े बड़े कुकर्म करके भी अपने जीवन में कोई सजा नही काट रहे होते हैं | क्योंकि मरने के बाद उन्ही को तो नर्क सजा मिलनी है | जिसकी सुनवाई कोई जज नही बल्कि वह करता है , जिसकी पूजा पाठ की जाती है | जिसकी कोई पूजा करे या न करे वह सबके कर्म और कुकर्मो का हिसाब किताब रखते हैं | जिस भगवान की पूजा हिंदू प्रकृति पूजा के रुप में भी करता है | जो प्रकृति जीव निर्जीव सबमे मौजुद है | जीवित इंसान में भी और मरे हुए इंसान में भी ! बिना भगवान के कोई न जीव कहला सकता है , और न ही निर्जीव कहला सकता है | क्योंकि बिना भगवान के उसका कोई वजूद ही नही रहेगा | न इस दुनियाँ में और न ही उस दुनियाँ में यदि कोई प्रकृति दुनियाँ से भी बाहर की कोई दुसरी दुनियाँ स्वर्ग नर्क वाकई में होती होगी ! जहाँ की लोग प्रकृति हवा आग पानी भोजन हरियाली वगैरा अप्रकृति तौर पर प्राप्त करते होंगे ! प्रकृति हवा नही लेते होंगे , प्रकृति पानी नही पीते होंगे , प्रकृति से प्राप्त भोजन नही लेते होंगे , प्रकृति से प्राप्त अग्नि नही लेते होंगे , कोई दुसरे ही प्रकार का हवा पानी भोजन हरियाली अग्नि प्राप्त होता होगा | जो की इस प्रकृति से प्राप्त हवा पानी भोजन हरियाली वगैरा से अलग होता होगा | जो की नर्क में सबसे खराब होता होगा और स्वर्ग में सबसे अच्छा होता होगा | जिसे मरने के बाद प्राप्त करने के लिए बड़े बड़े कुकर्म करने पर नर्क वाला मिलता होगा , और सत्यकर्म करने वालो को स्वर्ग वाला मिलता होगा | मसलन मरने के बाद सबसे अच्छा वाला भोजन स्वर्ग में मिलता होगा , और सबसे खराब भोजन नर्क में मिलता होगा | कांग्रेस भाजपा लंबे समय से बड़े बड़े कुकर्म करके नर्क में सबसे खराब वाला भोजन करने की तैयारी में लगी हुई हैं | भले वे क्यों न अभी बड़े घोटाले जैसा बड़े कुकर्म करके प्रकृति से प्राप्त सबसे अच्छा वाला भोजन करके गरिबी भुखमरी से संघर्ष कर रहे लोगो के इस जिवन में सबसे खराब वाला भोजन करा रहे हैं | जिसे कांग्रेस या भाजपा सरकार सबसे खराब वाला भोजन जानकर कभी नही खाती है अपने इस जीवन में ! जैसे की भाजपा कांग्रेस सरकार क्या कभी गंदा पानी पीती है ? क्या कभी कुड़े कचड़े से चुनकर खाती है ? ऐसा भोजन नही खाती पीती है , बल्कि इस देश के लाखो करोड़ो लोगो को ऐसा खराब भोजन जरुर करा रही है | ऐ दोनो ही सरकार खुदको भले क्यों न आधुनिक भारत , गरिबी हटाओ , शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया आर्थिक मामले में PHD की हुई समझती है , पर प्रयोगिक सच्चाई यही है की 1947 ई० से लेकर अबतक जो लगभग 75 साल का शासनकाल रहा है , उसमे कांग्रेस लगभग 60 साल का और भाजपा लगभग 10 साल तक का शासन रहा है , लेकिन भी ये दोनो ही पार्टी सबको साफ पानी तक उपलब्ध नही करा पाएं हैं तो काहे का PHD ! भले क्यों न कांग्रेस भाजपा एक दुसरे को PHD ज्ञान यह कहकर देते रहें की उनके शासन में इस देश की जनता आर्थिक रुप से बहुत विकाश किए हैं और सभी लोग अच्छा भोजन खा पी रहे हैं , पर कांग्रेस भाजपा अपनी आधुनिक भारत गरिबी हटाओ , शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया PHD डिग्री नर्क में जाकर दिखाकर वहाँ खुदको साबित करना की वाकई में कांग्रेस भाजपा शासन में सबको साफ पानी और बेहत्तर भोजन मिल रहे थे की करोड़ो लोग गरिबी भुखमरी से मर रहे थे और गंदा पानी खराब भोजन करने के लिए भी मजबूर थे |


मैं न तो भाजपा का समर्थक हूँ , और न ही कांग्रेस का समर्थक हूँ , क्योंकि दोनो ने ही इस देश का बेड़ा गर्त कर रखा है , चाहे 60 सालो तक शासन करनेवाली कांग्रेस हो या फिर 60 महिने का मौका मांगकर भारी बहुमत से जीतकर आई भाजपा हो , दोनो के ही कार्यकाल को जब मैं नेहरु का आधुनिक भारत, इदिरा का गरिबी हटाओ , अटल का शाईनिंग इंडिया और अब मोदी का डीजिटल इंडिया विकाश की तुलना करता हूँ , तो इन सभी नारो को देकर बनी सरकार के कार्यकाल के दौरान गरिबी भुखमरी से मरे और मर रहे नागरिको के बारे में देश विदेश की जानकारी और खुद सरकार के द्वारा ही बंट रही बीपीएल कार्ड जो की गरिबी हटाने की बाते करते करते डीजिटल हो गया है , उसकी संख्या जिससे की कहीं ज्यादे संख्या गरिबो की है , उसे सामने रखकर कांग्रेस और भाजपा को फिर से मौका मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए यह तय करता हूँ ! रही बात किसी के परिवार के बारे में कैसी सोच रखनी चाहिए , तो मेरा ख्याल से मोदी अपना परिवार आरएसएस को मानता है , जिसके बारे में गलत बात करना यदि गलत है , तो खुद कांग्रेस और उसके नेता ही नही बाकि भी वे लोग अपने बारे में सोचे जो आरएसएस की बुराई करते रहते हैं , मेरा ख्याल से यदि किसी का परिवार ही भ्रष्टाचारी है , जो की अपने पुरे परिवार की सहमती से भ्रष्टाचार करके मिल बांटकर कालाधन इकठा करके उससे अपनी झुठी शान की जिवन जीता है , तो फिर उस परिवार की बुराई करना उसे सुधरने के लिए मानो यह शबक देना है कि भ्रष्टाचार करना बंद करके अच्छा इंसान अच्छा परिवार बनो , न कि कोई माता पिता अपने बच्चो को चोर लुटेरे बनना सिखाये | और उसके बच्चे भी मेरे पापा मम्मी मम्मी कितने अच्छे लोग हैं , चोरी और लुट लुटकर सारी सुख सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं , कितने महान लोग हैं , कहकर ऐसे माता पिता बच्चे और परिवार की भी कोई कभी बुराई ही न करे , हलांकि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कोई माता पिता बच्चे या फिर किसी का परिवार कैसा है , कहीं बड़े बड़े अपराध में तो डुबा हुआ नही है ! खैर भाजपा के नेता कांग्रेस के नेता के परिवार के बारे में जो कुछ भी बाते करते हैं , यह तो इस बात पर निर्भर करता है कि कही गयी बात गलत है की झुठ है , अथवा किसका परिवार कैसा है ? जो की हमसे ज्यादा सायद कांग्रेस को भाजपा नेता के परिवार और भाजपा को कांग्रेस नेता के परिवार के बारे में ज्यादे पता है | क्योंकि दोनो एक दुसरे के द्वारा किए गए बड़े बड़े भ्रष्टाचार की लिस्ट भी किसी भी पार्टी से ज्यादे बेहत्तर बतलाते रहते हैं | वैसे गुगल सर्च मारने पर भी दोनो के द्वारा किए गए बड़े बड़े घोटालो का लिस्ट सामने आ जाता है | क्योंकि गुगल को भी पता है इनके द्वारा किए गए बड़े बड़े घोटालो का इतिहास | यू ही नही अबतक भी देश का बेड़ा गर्त हो रखा है | जिसका मुल सारांश अभी की भाषा में यही है कि यह अमृतकाल नही बल्कि इस कृषि प्रधान देश में हजारो सालो से गुलामीकाल चल रहा है ! यह देश हजारो सालो से पुरी तरह कभी आजाद ही नही हो पाया है विदेशी मुल के कबिलई लोगो द्वारा किए गए गुलामी से ! जो पुरी आजादी यदि मिली होती तो मैं ही नही पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे कोई भी वह व्यक्ती जिसे लगता है कि यह देश पुरी तरह से आजाद नही है , वह इस तरह के विचार या पोस्ट सायद ही लिखता यह बताने के लिए की कांग्रेस भाजपा दोनो ही का शासन में इस देश का बेड़ा गर्त हो रखा है | क्योंकि तब सायद कम से कम मैं तो अपनी नीजि जीवन के बारे में सबसे पहले सोचते हुए विकाश की बाते कर रहा होता ! पर चारो तरफ गुलामी की आग लगी हुई है , और कांग्रेस भाजपा शासन में आधुनिक भारत शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया वह भी अमृतकाल चल रहा है , यह मानना मुर्खता नही तो और क्या है ? जो या तो झुठी पक्ष विपक्ष बनकर ( -) (-) , (+)(+) गे सरकार चला रही है, जिसके चलते विकाश पैदा नही हो रहा है , या तो फिर विकाश को जन्म देने में असमर्थ होने का मुल कारन मानो दोनो में कोई एक नपुंशक या बांझ विचारधारा है ! या तो फिर दोनो ही बांझ और नपुंशक विचारधारा है विकाश को जन्म देने के मामले में ! नही तो फिर विकाश का जन्म अबतक हो जाना चाहिए था इनके आधुनिक भारत गरिबी हटाओ शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया जैसे विचारो से ! इनको इतना मौका मिलने के बाद भी गरिबी भुखमरी बेरोजगारी का मंजर ऐसी नही दिखनी थी ! पाँच साल काफी होता है विकाश को जन्म देने के लिए ! मैं विकाश का जन्म हो गया यह तब मानुंगा जब कम से कम गरिबी रेखा से भी निचे का जीवन जीने वाले अथवा बीपीएल जीवन जीनेनाले की जीवन में तो कम से कम इतना क्रांतीकारी सुधार सरकार बनने के बाद आए की बीपीएल कार्ड ही बनना बंद हो जाय विकाश का पैदा होते ही यह मंथन करके कि अब देश का इतना विकाश हो गया है कि कोई बीपीएल जीवन नही जीएगा ! जबकि अभी भी सिर्फ बीपीएल की आबादी ही इतनी है जितनी की 1947 ई० में पुरे देश की आबादी थी ! क्या यही है आर्थिक क्षेत्र में कांग्रेस भाजपा शासन का PHD ? गरिब की आबादी , मध्यम वर्ग की आबादी और फिर अमिरो की आबादी के बारे में तो जोड़ा ही नही जाता है बीपीएल आबादी में , क्योंकि भले यह देश गरिब देशो की लिस्ट में आता है , पर यह देश चूँकि धन संपदा से अमिर देश है , जिसके चलते इसे सोने की चिड़ियाँ भी कहा जाता है | इसलिए स्वभाविक भी है कि यहाँ ऐसे कभी भी ऐसे दिन देखने को नही मिलेंगे जब सभी गरिब बीपीएल हो जाएंगे ! भले क्यों न कितना ही गुलामीकाल चल रहा हो , तो भी सभी लोग कभी भी गरिब बीपीएल नही होंगे ! जैसा की गोरो के शासन के समय भी इस देश में सभी लोग गरिब बीपीएल नही थे | पर विकाश का मतलब यह नही की धन संपदा से अमिर देश में कोई गरिबी भुखमरी से मरे और कोई अति खा खाकर पेट फटने से मरे ! कम से कम संतुलित तो हो गरिबी अमिरी में ! जो की कांग्रेस भाजपा दोनो ही संतुलित करने में नकाम रही है ! जिन दोनो को तो अब रिटायर होकर भजन कीर्तन करते जीवन गुजारना चाहिए ! क्योंकि ये दोनो में यदि कोई विकाश को पैदा कराने में सक्षम होते हुए भी यदि मान लेते हैं किसी कारन से नकाम हुए भी होंगे तो वह कारन हो सकता है ये दोनो ही रोज विकाश को पैदा करने के लिए कल सुहागरात मनाएंगे विचार करते हुए सुहागरात न मनाकर भजन कीर्तन में ही पुरा जवानी समय गुजार दीए ! क्योंकि 1947 ई० में यदि किसी का जन्म हुआ होगा तो क्या वह अब भी जवान होगा कि उसे फिर से यह सोचकर मौका दिया जाय कि पुरा जवानी विकाश को जन्म नही दिलवा पाया अब सायद बुढ़ापा में जरुर जन्म दिला पाएगा ! जबकि पेट में आंत नही और मुँह में दांत नही ऐसी उम्र आने लगता है , तो नए को मौका मिलनी चाहिए ! क्योंकि वैसे भी ऐसा समय आने पर किसी इंसान को घर भगा रहा होता है , और घाट बुला रहा होता है | जितना समय कांग्रेस भाजपा को मिला है देश में विकाश को पैदा करने का उतना समय मिलने के बाद दोनो का समय ऐसा ही चल रहा है ! दोनो को अब विकाश को जन्म दे सकते हैं कहकर फिर से सरकारी विदेश दौरा करने के बारे में नही बल्कि तीर्थयात्रा के बारे में सोचते हुए अब भजन कीर्तन करते हुए जीवन गुजारना चाहिए ! जिनको फिर से मौका देना मतलब देश का किमती समय बर्बाद करना है ! ये दोनो वैसे भी देश का बहुत ज्यादा समय सिर्फ यह विचार करते बर्बाद कर दिए हैं कि विकाश हो रहा है , विकाश हो रहा है !

रविवार, 13 फ़रवरी 2022

Every year thousands of women are being raped and murdered under the Congress BJP rule, is it not an insult to the country?


कांग्रेस भाजपा शासन में हर साल हजारों महिलाओं का बलात्कार और हत्या हो रही है, क्या यह देश का अपमान नहीं है?

Khoj123


चेहरे और शारिरिक बनावट से भी पता चल जाता है कि कोई किसी का सचमुच में औलाद है कि किसी और का है ? जिसके आधार पर कम से कम मैं तो सौ प्रतिशत कह सकता हूँ कि राहुल गाँधी राजीव गाँधी का ही औलाद है | भाजपा के मुख्यमंत्री दरसल गुस्से में आकर अपनी मांशिक संतुलन खो बैठा है | रही बात किसी भी नारी का सम्मान होना चाहिए या नही होना चाहिए , तो मैं इस बात से सहमत नही हूँ कि सभी पुरुष का सम्मान होना चाहिए , या फिर सभी नारी का सम्मान होना चाहिए ! क्योंकि मैं उसी पुरुष या नारी का सम्मान के पक्ष में हूँ जो उसके काबिल है | जो कि ज्यादेतर तो काबिल ही होते हैं ! पर मुठीभर ऐसे भी नर नारी होते हैं , जो सम्मान करने के काबिल नही होते हैं | जैसे की कोई नारी यदि बच्चे को जन्म देकर उसे दुनियाँ देखने से पहले ही मार डालकर मुझसे सम्मान की उम्मीद करती है , तो मैं फिर से कहूँगा मैं मदर इंडिया का सम्मान करता हूँ , अपने ही खुन अपने ही बच्चे को मार डालने वाली मडर इंडिया का नही ! उसी तरह मैं उस पिता का सम्मान करता हूँ जो रक्षक होता है , न कि अपनी बेटी तक का भी बलात्कार करने से पिच्छे नही हटता ऐसे पिता या पुरुष का मैं सम्मान करता हूँ ! ऐसे लोगो को तो नर नारी के रुप में इंसान जन्म ही नही लेना चाहिए था ! ऐसे लोगो की वजह से ही नर नारी बदनाम होते हैं ! पर क्या करे कड़वा सत्य है कि ऐसे लोग पहले भी पैदा लेते आ रहे हैं , और आज भी पैदा होते हैं ! खैर राहुल गाँधी और विवादित बयान देनेवाला मुख्यमंत्री दोनो ही किसी माँ के ही पेट से पैदा लिए हैं , न कि राहुल गाँधी का जन्म किसी नारी के पेट से हुआ है तो मुख्यमंत्री का जन्म पिता के पेट से हुआ है | दोनो की माँ यदि गलत नही है तो दोनो के ही माँ का सम्मान होना चाहिए ! न कि राहुल गाँधी का माँ देश का माँ है , और मुख्यमंत्री का माँ विदेश का माँ है ! बल्कि उस विदेशी माँ का भी सम्मान होना चाहिए जो की अपने ही पेट से जन्मे मासुम बच्चे को जन्म देकर कुड़े में फैंककर हत्या न की हो ! जो गलत है उस मुद्दे पर बात होनी चाहिए ! जैसे की भाजपा कांग्रेस दोनो को ही इस देश की जनता ने भारी बहुमत से वोट देकर देश के नर नारी का भी जिम्मेवारी कई कई बार दिया है | पर क्या ये लंबे समय तक देश की सत्ता में बैठकर भी अबतक नर नारियो का बेहत्तर रक्षा करने में कामयाब हो पाए हैं ? कांग्रेस के समय में भी देश में हर साल हजारो लाखो बलात्कार हत्या होती थी , और

 " बहुत हुआ नारी पर वार , अबकी बार मोदी सरकार " नारा देकर भारी बहुमत से चुनी गई भाजपा शासन में भी हो रही है | और तो और अपनी सरकार को बेहत्तर बताने के लिए एक बार मैं सुन देख रहा था कि भाजपा के गृहमंत्री जनता से यह कह रहे थे की हमारी सरकार में कांग्रेस की सरकार के समय से कम बलात्कार और हत्या हुए हैं | और कम आंकड़ा में बता रहे थे कि एक राज्य में अधिक से अधिक सिर्फ पाँच से छः हजार बलात्कार साल में हुए हैं , जो की कांग्रेस के समय से कम है | ये दोनो ही पार्टी जनता को ज्यादेतर यही तर्क देकर आर्कषित करती रहती है कि उसकी सरकार छोटा चोर है , उससे बड़ा चोर उसका सबसे प्रमुख विपक्ष पार्टी है | जबकि जनता को यह देखकर वोट करना चाहिए कि भाजपा कांग्रेस दोनो ही देश की सत्ता में लंबे समय से बैठकर नर नारी दोनो का ही बेहत्तर रक्षा करने में नकाम होते आ रही है ! दोनो ही का शासन में इस देश का बेड़ा गर्त हुआ है | न कि जब भाजपा सरकार आई तब देश का बेड़ा गर्त होना सुरु हुआ है ! इन दोनो ही पार्टी को तो अब वोट कभी भी नही करना चाहिए ! इन्हे वोट करने का मतलब हर साल फिर से हजारो लाखो बलात्कार और हत्या को अपडेट करते रहना है | क्योंकि ये दोनो पार्टी हत्यारे और बलात्कारियो को भी टिकट देने में सबसे आगे रहती है तो देश में हो रहे बलात्कार और हत्या को रोकने में क्या बेहत्तर भूमिका अदा कर पाएगी ! किसी की माँ के बारे में गलत टिप्पणी करने से कहीं ज्यादे विनाशकारी किसी की माँ बहन बहू बेटियो का बलात्कार होना है | नियम कानून में भी किसी गलत टिप्पणी करने वाले को फाँसी नही दी जाती , पर कई बलात्कारी और हत्यारे को फाँसी हो चुकी है ! और कांग्रेस भाजपा शासन में हर साल हजारो लाखो नारियो के साथ बलात्कार और हत्या होता आ रहा है | यह बात अलग है कि सभी बलात्कारियो को अबतक सजा नही हुआ है | सिर्फ कुछ को ही सजा हुआ है | बलात्कारी आज भी सिरीयल बलात्कार किए जा रहे हैं | क्या यह देश की माँ बहन बेटियो का अपमान नही है ? इसपर भी कितनी शर्मनाक है कहकर बहस हो न कि सिर्फ राहुल गाँधी के माँ के बारे में किसी भाजपा के मुख्यमंत्री के द्वारा इतनी शर्मनाक टिप्पणी की गई यह बहस करके हजारो लाखो बलात्कार और हत्या पर कोई बहस ही न हो ! 

यह पोस्ट जानकारी युक्त लगी हो तो इस जानकारी को जरुर बांटे ! धन्यवाद !

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

Dirty politics has also started in the death of singer Lata Mangeshkar


गायिका लता मंगेशकर की मौत पर भी गंदी राजनीति शुरू हो गई है
Khoj123


गायिका लता मंगेशकर की मौत पर भी गंदी राजनीति शुरु हो गई है | इस तरह का गंदी राजनीति वे लोग करते हैं , जो खास मौका मिलने पर भी अपने कथनी करनी से तो जनता को खुश करके वोट नही बटोर पाते हैं , पर मोह माया का इस्तेमाल करके जनता का वोट जरुर बार बार बटोरते हैं | जबकि गायिका लता मंगेशकर की मौत पर सबसे अधिक दुःख इस बात से भी बहुतो को हो रहा होगा कि उसकी मौत पर भी गंदी राजनिती सुरु हो गयी है | जैसे की कभी श्रीदेवी की मौत पर भी हुआ था |  लंबे समय से इलाज कराते हुए लता मंगेशकर किसी अस्पताल में जीवन संघर्ष जब कर रही थी , उस समय के तो बुरे हालात के बारे में तो ये गंदी राजनिती करने वाले लोग उसकी इलाज में खास इंतजाम या खास मदत करने या विशेष ध्यान देने पर कभी नही चर्चा भी नही किए होंगे | जो अब उसकी गाना सुना सुनाकर अपनी राजनिती रोटी सेकने का काम कर रहे हैं | क्योंकि ऐसे लोग ऐसे ही तो करते आ रहे हैं | गायिका लता मंगेशकर कब मरेगी इस इंतजार में भी पहले से ही गिद्ध की तरह जरुर नजर गड़ाए होंगे ! ताकि वह चर्चित गायिका होने की वजह से जो पुरे देश दुनियाँ में उसे करोड़ो लोग जानते और सुनते हैं , उन्हे गायिका लता मंगेशकर की मौत की खबर के बहाने लता की जिन्दा आवाज से अपनी वह आवाज पहूँचा सके  जिससे की उन्हे भारी लाभ लेना है | बल्कि मुझे तो शंका है कि जितने भी चर्चित लोग मर रहे हैं , उनमे से ज्यादेतर को किसी न किसी रुप में गंदी राजनीति करने वाले उनकी मौत को भी इस्तेमाल करते आ रहे हैं ! हलांकि गंदी सोच से गंदा इस्तेमाल थोड़े समय के लिए होता है , पर सबसे खराब तो यह है कि एक किसी चर्चित हस्ती की मौत का गलत इस्तेमाल होने के बाद मामला ठंडा पड़ जाने के पर किसी दुसरी चर्चित हस्ती की मौत में इस्तेमाल सुरु हो जाता है | ताकि मोह माया इमोशनली हालात का जनता से विशेष लाभ लिया जा सके ! साथ साथ जनता का ध्यान मुल मुद्दो से भटकाया भी जा सके | बल्कि मुझे तो यह भी शंका है कि किसी चर्चित हस्ती को समय आने पर जानबुझकर भी मरने के लिए उसकी जिवन पर विशेष समय आने पर बुरा हालात पैदा करके मानो धिमी जहर देकर उसके मरने के लिए इंतजार करते हैं वे लोग जो उनकी मौत का गलत इस्तेमाल करके विशेष लाभ लेने की प्लानिंग पहले से ही करके रखे होते हैं | जैसे की हो सकता है इस समय खास चुनाव की हालात को देखते हुए किसी चर्चित हस्ती की मौत पर गंदी राजनीति करने वालो द्वारा गायिका लता मंगेशकर की जिवन में खास कमी या रुकावट करके उसके मरने का इंतजार पहले से ही प्लानिंग करके किया जा रहा हो ! ताकि उसके मरने के बाद पहले से तैयार मोह माया इमोशनल हालात का खास फायदा उठाने का मौका मिल सके ! जो बिल्कुल मुमकिन भी है , क्योंकि कहीं पर जानकारी देख सुन रहा था की गायिका लता मंगेशकर को पहले भी धीमा जहर तक देकर मारने की कोशिष हो चूकि थी | पर गायिका लता मंगेशकर तब बच गयी थी | खैर मामला जो भी हो पर गायिका लता मंगेशकर की मौत कितना दुःखद है , यह तो वे लोग ही सबसे बेहत्तर समझ बुझ सकते हैं जो उनकी सैकड़ो हजारो गाना पसंद करके सुने और सुनते रहते हैं , और साथ में उनके जैसा हुनरमंद हैं , व उनके साथ काम करने वाले भी बेहत्तर समझ सकते हैं | कहीं पर सुन देख रहा था कि गायिका लता मंगेशकर को अपनी मौत के बारे में पहले ही पता चल गया था , जिसे जानकर वह मरने से पहले अंतिम बातचीत करते समय यह चिंता जाहिर कर रही थी कि उसके मरने के बाद उसे भी तो लोग कहीं भुल नही जाएंगे | ऐसा उसे चिंता क्यों हुआ , जबकि वह देश की इतनी बड़ी और इतनी चर्चित गयिका थी | सायद इसलिए क्योंकि इतिहास में जहाँ तक मुझे याद है , तानसेन जैसे गायकारो को छोड़कर सायद ही किसी और को दुनियाँ में सैकड़ो सालो तक खाश याद किया जाता रहा है | बाकि गायिका या गायकार इतिहास में और कितने ऐसे याद किए जाते हैं ? हो सकता है गायिका लता मंगेशकर को भी यही चिंता हो रहा हो कि कहीं उसे भी भविष्य में लोग एक दो पीड़ि के बाद भुलने न लगेंगे | जैसे की बाकियो को भी भुलने लगे हैं उनके मरने के बाद | हलांकि लोग इस तरह के चर्चित गायिका या गायकार को उनकी रोजमरा जीवन की पहचान से भले ऐसे खास याद नही रखते की उन्हे कभी भुला ही नही पाएं , पर उनकी खास आवाज की पहचान से लंबे समय तक जरुर खास याद करते हैं | हलांकि हो सकता है हजार साल बाद लोग क्या पता अभी का गाना सुनना या याद करना भी पसंद करेंगे भी की नही ! क्योंकि सौ साल भी अभी चर्चित गायकार शहगल के मरे हुए नही हुआ है , तब भी कितने लोग अब उसका गाना सुनते और डाउनलोड करते हैं ? और जब सौ साल बाद इतना बदलाव आ जाता है किसी चर्चित गायकार या गायिका का गाना सुनने पर तो हजार साल बाद तो पता नही अभी मौजुद किसी चर्चित गायक या गायिका का सारा गाना एक प्रतिशत लोगो द्वारा भी सुनी जाएगी की नही सुनी जाएगी |



 " जरा आँख में भर लो पानी " 


मुमकिन है लता मंगेशकर के मरने के बाद उसकी अब भी जिन्दा आवाज में एक गाना " जरा आँख में भर लो पानी " सुना सुनाकर अपना विशेष लाभ लेने की तैयारी कई गंदे मांशिकता वाले लोग कर रहे होंगे | जो गाना खतरे में पड़ी थी आजादी बतलाते हुए देश के बॉर्डर में होनेवाली लड़ाई में कुर्बानी देनेवाले वीर सैनिको के लिए गाया गया था | जिस तरह का वीर कुर्बानी देनेवाले लोगो में मैं इस गुलामीकाल में गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो को भी मानता हूँ | जिनकी कुर्बानी में भी तब इस तरह का गाना जरुर बजना चाहिए जब यह देश पुरी तरह से आजाद हो जाएगा उन गुलाम करने वाले बाहर से आए विदेशी मुल के लोगो से जिनकी वजह से यह सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले धन संपदा से भरपुर कृषि प्रधान देश में भी लाखो करोड़ो लोग गरिबी भुखमरी से अबतक मारे जा चुके हैं | और हर रोज गरिबी भुखमरी से अब भी मर रहे हैं | क्योंकि देश का बॉर्डर खतरे में पड़कर आजादी खतरे में तो पड़ जाती है , पर जब पुरा देश ही गुलामकाल में सफर कर रहा हो तो देश का बॉर्डर ही नही बल्कि देश के अंदर भी उससे बड़ा खतरा मंडरा रहा होता है | जिस गुलामकाल के दौरान देश का बॉर्डर में देश के वीर सैनिक पहरा दे रहे होते हैं , और अंदर गुलाम करने वाले अन्याय अत्याचार शासन कर रहे होते हैं | जिनके शासन में बाहर से अंदर घुसकर गुलाम करने वालो के द्वारा आजाद भारत का संविधान लागू के दौरान भी देश के अंदर अन्याय अत्याचार खुलेआम होना जारी रहता है | जिस गुलामीकाल के दौरान अन्याय अत्याचार और गरिबी भुखमरी से हर रोज मरने वालो की मौत में न तो अंदर संसद में भी कोई खास बहस होती है , और न ही मीडिया में कोई खास खबरे चलती है | दिनभर देखो सुनो और पढ़ो तो ज्यादेतर तो कुकूरमुतो की तरह वही बहस और खबर चलती रहती है , जिससे की बहुसंख्यक जनता को यह ब्रेनवाश किया जा रहा होता है की कांग्रेस भाजपा बहस देख सुन पढ़कर अपना मन बनाकर या तो भाजपा को वोट देना या फिर कांग्रेस को ! यह नही बतलाया जाता कि यही दोनो पार्टी तो इस गुलामकाल में अपनी दबदबा केन्द्र और राज्यो में भी सबसे अधिक शासन करके आधुनिक शाईनिंग डीजीटल बीपीएल कार्ड भी करोड़ो बनाकर उससे भी ज्यादे लोगो को गरिबी भुखमरी जीवन जिते हुए दिन रात देखकर विशेष इतिहास रच रही है | बाकियो को तो एकबार भी भारी बहुमत से स्थिर सरकार चलाने का मौका नही मिला है |  जिन्हे पहले भारी बहुमत से मौका मिले तभी तो यह भी कहा जा सकता है की इस गुलामीकाल में बाकि भी गरिबी भुखमरी दुर करने में खास ध्यान नही दे रहे हैं | हलांकि किसी क्रांतीकारी पार्टी या इंसान को यदि विशेष पावरफुल पदो पर बैठने का मौका मिले तो वह थोड़े समय में भी बहुत बड़ा क्रांतीकारी परिवर्तन अन्याय अत्याचार और गरिबी भुखमरी समाप्त करने में क्रांतीकारी परिवर्तन ला सकता है | जो की अबतक आजाद भारत का संविधान लागू होते हुए भी नही आया है | खैर दुसरो का तो पता नही पर मुझे यदि एक महिने का भी मौका मिले तो एक एक अमिरो को विशेष DNA रिस्ता निभाते हुए तो इस समय की सरकार हजारो करोड़ भी दे रही है , पर बाकि सभी एक एक नागरिक को हजारो करोड़ तो नही पर सबकी गरिबी भुखमरी दुर हो जाए इसके लिए एक एक बाकि सभी नागरिक को देश की धन संपदा से इतना मोल का तो उनकी जरुरत का जरुर देकर मैं साबित कर सकता हूँ कि मन में यदि सोच हो तो गरिबी भुखमरी से मौते होनेवाले बुरे हालात कम से कम इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले धन संपदा से संपन्न देश में तो एक महिने में भी समाप्त किया जा सकता है | पर अभी की सरकार अमिर छोड़कर बाकियो को क्या इतना भी मोल का साथ दे पा रही है कि बीपीएल जीवन भी गरिबी जीवन में तब्दील हो जाए ? यदि जानकारी  सच है तो कहीं पर जानकारी बांटी गई है कि गुलामकाल में चल रही सरकार भले एक एक धन्ना कुबेरो में भी पाँच दस हजार करोड़ लुटा देती है , पर प्रत्येक गरिब में अपना बजट अनुसार पाँच दस हजार से ज्यादे खर्च नही करती है | जिस पाँच दस हजार में भी खुद कांग्रेस का ही एक भुतपूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार जो खर्च जनता पर करती है , उससे सौ में पच्चीस पैसा ही जनता तक पहूँच पाती है | यानी यदि इस गुलामकाल में चल रही सरकार पाँच दस हजार रुपये प्रत्येक गरिब पर खर्च करने का बजट बनाती है , तो भी एक डेड़ या दो ढाई हजार ही किसी गरिब में खर्च हो रही है | जिसे की उसकी गरिबी भुखमरी दुर करने या उसका विकाश करने के लिए विशेष योजना बनाकर खर्च किया जा रहा है | जबकि धन्ना कुबेरो में तो कोई विशेष योजना भी नही बनती है , तो भी उन्हे सरकार हजारो करोड़ की विशेष छूट और विशेष माफी के रुप में देकर हर साल देश का धन लाखो करोड़ एक झटके में खर्च किया जा रहा है | यू ही नही गुलामीकाल चल रहा है | जबकि यदि कोई देश परिवार धन संपदा से अमिर हो और कोई अभिभावक सरकार देश परिवार की धन संपदा से खुद अमिरी जीवन जी रहा हो  , तो उसका मन चाहे तो कभी भी बाकि सभी सदस्यो को भी गरिबी भुखमरी मुक्त कर सकता है | कम से कम वह इतना तो जरुर कर ही सकता है कि देश परिवार के पैसे से जो वह अति रहिसी जीवन जी रहा होता है , उससे कम ही सही पर परिवार के किसी भी सदस्य को गरिबी भुखमरी से तो नही मरने देगा यदि वह ऐसा सोच रखता हो कि उसके देश परिवार में कोई गरिबी भुखमरी से न मरे ! जिस तरह की सोच भाजपा कांग्रेस इस धन संपदा से संपन्न देश परिवार का अभिभावक भारी बहुमत से भी बनकर आजतक तो कभी सोचे ही नही हैं | तभी तो इनके द्वारा सरकार चलाते समय एक तरफ तो हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत जारी रहती है , और दुसरी तरफ खुदके लिए देश का धन संपदा को खर्च करके गाड़ी बंगला जैसे सुख सुविधाओ पर नया आधुनिक शाईनिंग डीजिटल खर्च अपडेट करना जारी है | क्योंकि इनकी सोच में ही गंदगी है | ये कभी इस देश को अपना परिवार की तरह समझे ही नही ! सिर्फ देश हित सबसे पहले कह कहकर सत्ता में बैठते रहे | कभी कांग्रेस गरिबी हटाओ की बाते करके लंबे समय तक केन्द्र और सबसे अधिक राज्यो में भी बैठी रही और अब भाजपा भी सिर्फ बैठी हुई है | दोनो ही पार्टी सत्ता में बैठकर गरिबी भुखमरी तो दुर कर नही सकती है , पर फिर भी आधुनिक शाईनिंग डीजिटल इंडीया की बाते करके ऐसे भारी बहुमत से ए दोनो आती रही है सत्ता में , जैसे मानो बीपीएल कार्ड को आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश कर देने भर से देश में शाईनिंग डीजिटल विकाश हो जाएगा | जिन दोनो पार्टियो को तो जब कभी भी इनका विदेश दौरा होता है आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश को लेकर तो इनके साथ करोड़ो लोगो की बीपीएल कार्ड और अबतक गरिबी भुखमरी से हुई मौतो की लिस्ट पकड़वाकर  भेजना चाहिए | जिसे ये विदेश दौरा करते समय किसी वीजा कार्ड की तरह दिखाकर विदेशियो को ये बतलाते फिरे की उनके शासन में यह देश कितना अधिक तरक्की और विकाश किया है | हलांकि कभी भी ये दोनो ऐसी जानकारी पकड़कर तो विदेश यात्रा में नही जाते हैं , पर फिर भी जानने वाले दुनियाँ के किसी भी कोने से जरुर जान सकते हैं की गोरो से आजादी मिलने के बाद से लेकर अबतक इस देश में आजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी जो गुलामकाल चल रहा है उसमे इस देश की हालत कैसी है ? थोड़ा बहुत विकाश तो गुलामी के समय भी होता है , जैसे की इस देश में गोरो की भी जब सत्ता थी तो बहुत से ऐसे विकाश का काम हुए हैं , जिसे देश में आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश से कम नही कहा जाता है | जैसे की एक छोटा उदाहरन में  गोरो ने अपने शासन के दौरान इस देश में रेल और टेलीफोन की सुरुवात किया था | और भविष्य में भी जिसदिन इस देश को पुरी आजादी मिलेगी उसदिन यह जरुर उदाहरन दिया जा सकता है की गोरो के जाने के बाद अधुरी आजादी मिलकर वर्तमान में भी जो गुलामकाल के दौरान सरकार चल रही है , वह भी इस देश में बहुत से ऐसे आधुनिक शाईनिंग  और डीजिटल विकाश कार्य कर रही थी | जैसे की इस देश में कलर टी०वी० , कम्प्यूटर , 2G 4G 5G की सुरुवात वगैरा कर रही थी | इसका मतलब यह बिल्कुल नही यह विचार किया जा सकता है की गुलामीकाल में चूँकि इस तरह का आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश होता रहा है , इसलिए आजादी से अच्छा हमेशा गुलामी में ही देश को छोड़कर गुलामी जीवन ही जीते रहना चाहिए | जिस तरह का विचार तो गुलाम करने वाले लोग अक्सर करते रहते हैं | जो अपने गुलामो को यह समझाते रहते हैं की इसी तरह गुलामी करते रहो हम सबका आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश करते रहेंगे | जैसे की हर चुनाव में भाजपा कांग्रेस यह कहती रहती है की उसकी सरकार बनेगी तो ही देश बचेगा | जबकि यह देश तब से ही बचा हुआ है , जब इस देश में न तो भाजपा कांग्रेस पैदा हुई थी , और न ही इस देश के पिच्छे से गोरे जैसे कई लुटेरे पैदा हुए थे  |  इतिहास रहा है कि इस देश को खत्म करने वाले खुद खत्म हो गए , और जोअब भी इस देश को खत्म करने की सपने देखते रहते हैं , वे भी खत्म हो जाएंगे पर यह देश कभी खत्म नही होगा चाहे क्यों न भविष्य में भी जब इस देश को पुरी आजादी मिलेगी तो भी इस देश को लुटने और गुलाम करने वाले कितने ही विदेशी आते रहेंगे | और यदि कोई इस सत्य को झुठ साबित करने के लिए इस देश को खत्म करने के लिए अभी भी लगा हुआ है , तो वह और उसका पुरा DNA वंश ही समाप्त हो जाएगा यह श्राप उसे इस देश से मिलेगा !  यू ही नही इस देश में आनेवाले बड़े बड़े हमलावर पुरी दुनियाँ को तो मानो समाप्त करने निकले , पर इस देश को समाप्त करने के लिए टच करते ही खुद ही साप्त हो गए | जैसे की शैतान सिकंदर समाप्त हुआ , जो किसी गुरुघंटाल से महान बनने का शैतानी दिमाक प्राप्त करके पुरी दुनियाँ को जीतने निकला था | जो इस देश की राजधानी को जीतने से पहले ही इतना पिटाई खाया और उसे श्राप भी मिला की वापस लौटकर भरी जवानी में समाप्त हो गया | 

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...