Amritkal budget is being asked to taunt people who are dying of poverty, starvation
गरीबी, भुखमरी से मर रहे लोगों पर तंज कसने के लिए कहा जा रहा है अमृतकाल बजट
वैसे तो यह पोस्ट मैं इस साल का बजट भाषण के दुसरे दिन ही तैयार कर लिया था , पर चूँकि यह पोस्ट लिखते समय थोड़ी बहुत और भी बड़ी होते जा रही थी , इसलिए रोज ही थोड़ा और बड़ा करते और बिच में छोड़ते हुए आज इसे पुरी तरह से तैयार करके डाल रहा हूँ | जिसमे कथित अमृतकाल बजट को लेकर सबसे पहले तो मैं कांग्रेस भाजपा के बारे में बतालाना चाह रहा था कि डीजिटल इंडिया की बाते करके 60 महिने का मौका मांगकर भारी बहुमत से चुनकर आई वर्तमान की भाजपा सरकार ही नही बल्कि ,आधुनिक भारत , गरीबि हटाओ की बाते करके लगभग 60 सालो तक बीपीएल भारत कायम रखकर शासन करने वाली कांग्रेस को भी पता है की एकदिन सबको मरना है | चाहे गरिबी भुखमरी से मरे या फिर छप्पन भोग खा खाकर मरे , मरेंगे तो सभी अमिर भी ! पर जो असमय मौते हो रही है वह इतनी भारी तादार में नही होनी चाहिए थी | जैसे की भाजपा कांग्रेस दोनो के ही शासनकाल में भारी तादार में असमय मौते हुई है | गरिबी भुखमरी जैसे कारनो से असमय मरने वालो को भी जीने का अधिकार संविधान में भी मिला है , न कि सिर्फ अमिरो को जीने का अधिकार मिला है | पर असमय मौते होना आज भी भाजपा शासनकाल में हर रोज होना जारी है | चाहे गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी की वजह से असमय मौते हो या फिर बदहाली और अभावग्रस्त से हो ! हलांकि गरिबी की वजह से अनगिनत मौते हर रोज असमय सबसे ज्यादे हो रही है | क्योंकि यदि गरिबी न हो तो बहुत से ऐसे बाकि समस्याओ का समाधान किया जा सकता है जो की गरिबी की वजह से हल नही हो पाता और फिर वही समस्या असमय मौत का प्रमुख वजह बन जाता है | जिस तरह की असमय मौतो की आंकड़ो को देखकर खुदको खुश करने के लिए भी यदि अमिरी का सारा सुख सुविधा प्राप्त करने वाले मंत्रियो द्वारा यह कहा जा रहा है कि यह अमृतकाल चल रहा है , तो अहंकार में डुबकर यह गलतफेमी होने वालो को पता होना चाहिए कि एकदिन वर्तमान में मौजुद सभी धन्ना और सभी मंत्री भी मरेंगे न कि सिर्फ गरिब ही मरते रहेंगे | कोई बिमारी या फिर भुखमरी नही रहेगा तो भी प्रकृति उसे बुढ़ा करके उससे साँसे वापस ले लेगी | भले वे क्यों न दुनियाँ की सबसे अधिक दौलत को अपने पिछवाड़े के निचे दबाकर सारी सुख सुविधाओ को भोगते हुए अमर रहने की अहंकार में डुबकर गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के बारे में दिन रात यह सोचते रहते हो कि सिर्फ गरिब ही मरने के लिए पैदा होता है , अमिर तो कभी मरता ही नही है | जबकि कड़वा सत्य यह है कि अमृतकाल बजट भाषण करने वाले खुद अभी के बुढ़े मंत्री ही क्या अमर रह पायेंगे जो उनके द्वारा गरिबी भुखमरी जीवन जी रहे लोगो को नजरंदाज करते हुए अमृतकाल जैसी भारी भरकम बाते की जा रही हैं ? ऐसे अमर रहने की अहंकार में डुबे कई मंत्री अपने पुरे कार्यकाल में अपनी रहिशी जीवन जीए और गरिबी भुखमरी कायम रखने के लिए ऐसे ही गरिब विरोधी भाषण देकर हमेशा के लिए चले गए | क्योंकि उन्होने प्रयोगिक तौर पर देखा जाए तो गरिबी भुखमरी समाप्त करने के लिए कभी बजट ही नही बनाया | इसबार का भी बजट पहले की तरह ही गरिब विरोधी है , जिससे गरिबी भुखमरी दुर नही होनेवाली है | भाजपा सरकार भी कांग्रेस सरकार की तरह सिर्फ अमिर और अधिक अमिर कैसे होते जाए , और गरिब भुख और अभाव से मरते जाए , ऐसा बजट बनाकर अपनी सरकार की तारीफ करते हुए मंत्री अहंकार में डुबकर सारी सुख सुविधा भोगते हुए खुदपर गर्व करते रहे की उसकी सरकार बहुत बड़ा महान कार्य करके इतिहास रचने जा रही हैं | जिस तरह के इतिहास रचने वाली सरकार में जिन्होने भी पहले कभी ऐसी भाषण दिए हैं , उनकी अहंकारी भाषण को अब कोई सायद ही देखता सुनता है | जिनको इतिहास में बहुत बड़ा महान काम करने वाले लोगो में नही गिना जाता है | और जो लोग गिनते हैं वे भी उन्ही की तरह सोचते हैं इसलिए वे उन्हे महान कहते हैं | क्योंकि इतिहास में महान वे लोग कहलाते हैं , जो अपनी कथनी करनी से सचमुच में समाज सेवा ऐसे करके जाते हैं कि उनकी एक एक पल का जिवन में उसके द्वारा किए गए सेवा भावना साफ प्रयोगिक नजर आता है | गरिब दुःखी लोगो के जिवन में उनकी सेवाकाल में क्या क्या प्रयोगिक सेवा की गई गरिबी भुखमरी जैसे दुःखो को समाप्त करने में यह साफ नजर आता है | जिस तरह के सेवक ऐसे अहंकार लोग कतई नही दिखते हैं | जो सिर्फ अपनी झुठी शान के लिए बड़े बड़े पदो में बैठकर अहंकार में डुबे दिखते हैं | उनको गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के बारे में कोई चिंता नही रहता है | ऐ लोग सिर्फ जबतक जिवीत रहते हैं , अपने बारे में ही दिन रात चिंता करते हुए मेकप करके ज्यादेतर तो अमिरी भोग विलाश में डुबे दिखते हैं | जिनके मरने के बाद इनकी कहानी लुप्त होने लगती है | जो मुमकिन है सौ साल बाद लुप्त ही हो जाएगी | क्योंकि ऐ ऐसा कोई भी काम नही किए हैं कि क्रांतीकारी इतिहास में इन्हे खासतौर पर याद रखा जाए | इनको सिर्फ पीड़ा देनेवाले लोगो में जरुर याद किया जा सकता है कि ये लोग सत्ता में बैठकर अपने सेवाकाल में कैसे हर रोज हजारो लोगो को गरिबी भुखमरी और अभावग्रस्त में मरते हुए देखकर खुद सारी अमिरी सुख सुविधाओ का भोग विलाश हमेशा अमर रहने की अहंकार में डुबकर कर रहे थे |
बल्कि अमृतकाल की ही तरह कई बार तो गरिबो की बड़ती आबादी को अपनी अमिरी जिवन में मानो कुड़ा कचड़ा समझकर उनकी आबादी को उदाहरन दे देकर बहुत से अन्य प्रकार के अहंकारी लोगो द्वारा जो की ऐसे ही अहंकारी सरकार को बेहत्तर समझते हैं , वे बड़ती आबादी की चिंता करने के बहाने उनके द्वारा दरसल असल में गरिबो पर ही तंज कशते हुए आबादी कम करने की बाते उनके द्वारा ऐसे की जाती है , जैसे मानो कोई व्यक्ती मरेगा ही नही ! इसलिए तो यदि कोई गरिबी भुखमरी जीवन में भी अपने हिस्से की समाजिक पारिवारिक जीवन जी रहा होता है , तो ऐ अहंकारी लोगो को किसी गरिब दुःखी लोगो को दो चार बच्चे पैदा करके परिवार बसाते देखकर इतना अधिक तकलीफ होता है कि कभी कभी तो यह भी देखने सुनने को मिलता है की अहंकारी सरकार द्वारा गरिबो की आबादी को दिवार या कोई धातु का चादर लगाकर ढक दिया जाता है , ताकि उनकी झुठी शान की उधारी रहिशी में दाग न लगे | गरिबी को छिपाकर या फिर गरिबो को ही हटाकर मानो सिर्फ खुद ही इस धरती में जीवन जिना चाहते हैं ! जैसे की कभी कांग्रेस नशबंदी करने का योजना लाकर लोगो की नशबंदी ऐसे किए जा रहे थे , जैसे कि नशबंदी करने से इस देश में वापस सोने की चिड़ियाँ सुख शांती समृद्धी आ जाएगी | जबकि इतिहास गवाह है कि कम आबादी वाला देश ही प्राचिनकाल में सबसे लंगटा लुचा भुखड़ घुमकड़ जीवन जीते आ रहे हैं | जो अपनी कबिलई लुटेरे जीवन जीते हुए मानो अपनी बुरे हालात से पगलाकर पुरी दुनियाँ में लुटमार करते हुए गुलाम बनाकर परजीवि जीवन जीना सुरु कर दीया था | जो की यह कृषि प्रधान देश कभी नही किया | क्योंकि इस देश का सोच कबिलई लुटेरा कभी नही रहा है | जिसके चलते अभी गरिबी भुखमरी जैसे इतने बुरे हालात होते हुए भी इस देश के मुलनिवासि भले इस गुलामीकाल में गरिबी भुखमरी से हर रोज मर रहे हैं , पर वे कबिलई लुटेरो की तरह कभी नही पगलाएंगे | क्योंकि उनके भितर विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति सोच मौजुद है | जैसे की बाकि भी उन देशो के मुलनिवासियो पर मौजुद है जिन्होने कभी भी किसी देश को गुलाम नही बनाया | जो सोच उन विदेशी मुल के लोगो पर आजतक भी पुरी तरह विकसित नही हुआ है , जिनके पूर्वज सैकड़ो हजारो सालो से लुटमार कब्जा करते हुए मानो परजीवि जीवन जीते रहे हैं | वह परजीवि जीवन जीसमे दुसरे का देश को गुलाम भी बनाया जाता है | और वहाँ के धन संपदा को लुटकर परजीवि जीवन गुजारा जाता है | जैसे की इस गुलामकाल में भी इस देश में उन लोगो द्वारा परजीवि जीवन जीते हुए साफ दिखलाई देता है , जो की दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर या कब्जा करके झुठी शान की जीवन जी रहे होते हैं | जिस तरह की सोच रखने वालो से आज भी यह देश पुरी तरह से आजाद नही हुआ है |
चाहे कांग्रेस हो या भाजपा इनका अमृतकाल बजट गरिबी हटाओ नही बल्कि गरिबो को ही हटाओ रहा है
गरिबो की आबादी को तेज गति से कम करने के लिए ही अबतक गरिबी भुखमरी दुर नही किया जा रहा है | जान बुझकर ऐसी बजट बनाई जाती है , जिसमे की अमिर और अधिक अमिर होता जाए , और गरिब और अधिक गरिब होकर भारी तादार में मरता जाए | जिसके बाद ऐ कह देंगे की उसके शासन में गरिबी कम हो रहा है | गरिबी कम नही बल्कि गरिबी भुखमरी से भारी तादार में हर रोज मरके गरिब कम हो रहा है | जो की प्रयोगिक जीवन में दिख भी रहा है कि अमिर और अधिक अमिर हो रहा है , और गरिब और अधिक गरिब होकर मर रहा है | जिनको भुखमरी से मारने की शैतानी सोच उन लोगो की सुरु से रही है , जिनको सायद लगता है कि वे हमेशा अमर रहकर इस धरती में सारी सुख सुविधा भोगते रहने वाले लोग हैं | जिस तरह के लोग ही किसी देश को गुलाम बनाकर अपने गुलामो की मौत इसी तरह गरिबी भुखमरी में होते हुए देखकर खुदको अमर समझने लगते हैं | जबकि 2021 ई० में कितने लोग बिना गरिबी भुखमरी के भी मरे उसके बारे में बताने वाले खबरो को देख सुन और पढ़कर यह तय किया जा सकता है की क्या वाकई में गरिबी भुखमरी जीवन जिने वाले लोगो को छोड़कर बाकि सबके लिए यह अमृतकाल चल रहा है ? फिर ये अमृतकाल में गरिबी भुखमरी से दुर रहने वाले लोग भी क्यों मर रहे हैं ? क्योंकि प्रकृति गरिब अमिर दोनो का ही प्राण हरन करती है | प्रकृति को कोई यह कहकर अमर नही हो सकता कि वह चूँकि किसी गरिब से कई गुणा धन रखनेवाला दुनियाँ का सबसे दौलतमंद इंसान है , इसलिए वह उम्र में भी दौलतमंद है | लेकिन चूँकि अहंकार में डुबकर उसे कभी कभी यह भी गलतफेमी होने लगती है कि प्रकृति द्वारा उसकी उम्र को भी किसी गरिब से कई गुना उम्र रखनेवाला इंसान बनाया गया है | जबकि किसी अमिर के पास भी जीने के लिए प्रकृति के द्वारा दिया गया वही उम्र है जो की गरिब के पास है | जिसके चलते अमिरो की मौतो के बारे में भी हर साल वीडियो बनती रहती है की फलाना साल कौन कौन लोग बिना गरिबी भुखमरी के भी अच्छे खाते पीते हुए मरे | बल्कि यदि किसी की असमय मौत न हो तो प्रकृति की गोद में जन्म लेकर कोई गरिब भी कभी अमिर से ज्यादे दिनो तक जी लेता है , तो कभी अमिर किसी गरिब से ज्यादे जी लेता है | हाँ गरिबी भुखमरी या फिर अति खा खाकर पेट फटने से जो असमय मौते हो रही है , वह रोकी जरुर जा सकती थी | पर गरिबी भुखमरी या फिर अति खा खाकर जो मौते हो रही है , उसका बड़ना जारी है | कम से कम गरिबी भुखमरी से हो रही मौत को तो सौ प्रतिशत रोका जरुर जा सकता है | जिसे मैं साबित भी कर सकता हूँ यदि कोई अमिर सरकार अपना सबकुछ दान करके भुखा नंगा होकर भुखमरी से मेरे पास आए और अपना पद मुझे सौंप दे ! उसके बाद वह खुदको गरिबी भुखमरी में ढालकर यह चुनौती दे सकता है कि उसे अब गरिबी भुखमरी से तुरंत बाहर निकाला जाए ! सौ प्रतिशत यकिन दिलाता हूँ कि उसे मैं कभी भी गरिबी भुखमरी से मरने नही दुँगा | और न ही देश के बाकि भी नागरिको को गरिबी भुखमरी से मरने दूँगा | खासकर तबतक जबतक की यह देश धन संपदा से भरा रहेगा | और जबतक की मुझे पता चलता रहेगा कि इस कृषि प्रधान देश में जहाँ पर अन्न जल की कमी नही है , उस देश परिवार में किस नागरिक के पास गरिबी भुखमरी हालात पैदा हो गया है | वह भी ऐसी हालत में जबकि इस देश में आज के समय में इतना भोजन हर साल बर्बाद किया जा रहा है , जितना की गोरो का देश में एक साल तक पुरा देश खा सकता है | हाँ यदि इस तरह का अन्न जल का भंडार होते हुए भी किसी कारन से सरकार को पता ही नही चले की देश परिवार में कोई गरिबी भुखमरी से मर रहा है तो जरुर दिक्कत हो सकती है | जैसे कि यदि कोई घना जंगल में भुला जाता है , और वह भुखा प्यासा मर रहा होता है , तो फिर उसकी जान बचाने के लिए खोजी टीम जबतक की उसे खोज नही निकालती तबतक उसकी जान मानो किस्मत या जंगल के भरोसे रहती है | लेकिन भी यदि उसके भुलाये जाने के बारे में पता चल जाए तो खोजी टीम के द्वारा बेहत्तर सुविधाओ के साथ बेहत्तर काम करने से उसके मिलने और बचने का अवसर ज्यादे रहता है | लेकिन गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो के बारे में तो सरकार को पुरा जानकारी पहले से ही उपलब्ध है , बीपीएल परिवार के रुप में भी जो की गरिबी से भी निचे का जीवन यापन कर रहे हैं | जिनकी तादार इस समय भी करोड़ो में है | और फिर गरिबो की भी तादार करोड़ो में है | ये सभी परिवार मानो हर रोज आपातकाल में जीवन यापन कर रहे हैं | और जैसा कि किसी परिवार का मुखिया जिसके हाथो पुरे परिवार की जिम्मेवारी रहती है , वह बेहत्तर सोच उसे मानता है , जिसमे यदि कोई परिवार का सदस्य किसी आपातकाल में चला जाए तो उसपर सबसे अधिक खास ध्यान दिया जाए | जैसे की गरिबी भुखमरी से असमय मर रहे लोगो पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए था | लेकिन भी उनपर विशेष ध्यान नही दिया जा रहा है | जिन्हे गरिबी भुखमरी से छुटकारा किसी धन संपदा से अमिर देश की सरकार चाहे तो अपनी प्रजा को गरिबी भुखमरी से छुटकारा अपने एक ही कार्यकाल में दिला सकता है | जैसे कि यदि कोई व्यक्ती किसी घने जंगल में किसी जगह फंसा हुआ है , और वह लंबे समय से भुखा प्यासा तड़प रहा हो तो उसके बारे में सटिक जानकारी उपलब्ध होते ही बेहत्तर खोजी ठीम की सहायता से उसतक जल्द ही पहूँचकर उसे भुखमरी से मरने से बचाने के साथ साथ फंसे रहने के बाद आई बाकि भी मुसिबतो से बाहर निकाला जा सकता है | बस इसके लिए जरुरी है कि खोजी टीम उसतक पहूँचने से पहले उसे कोई जंगली खुंखार जानवर न खा लिया हो | जो जंगली जानवर का रोल अभी के गुलामकाल में अन्याय अत्याचार करने वाले लोग अदा कर रहे हैं | जिन गुलाम करके अन्याय अत्याचार करने वाले जानवरो का घुसपैठ इस देश में बाहर से हुआ है | जो शासक बनकर कभी भी इस देश के गुलामो का भला नही कर सकते | जैसे की कोई खुंखार शिकारी जानवर राजा बनकर अपने शिकार प्रजा का भला नही कर सकता | उसके द्वारा राजा बनकर भला करना मतलब किसी शिकार प्रजा को शिकारी राजा द्वारा अपने खुनी पंजो से दबोचकर अपने खुंखार जबड़ो के जरिये अपने पेट में ले जाकर भला अथवा रक्षा करना है | जिस तरह का ही भला अभी उन नागरिको के साथ हो रहा है जो की गरिबी भुखमरी से मारे जा रहे हैं | क्योंकि गरिबी भुखमरी उन लोगो के द्वारा ही दिया गया खुनी पंजा और जबड़ा है , जो कि इस देश को हमेशा गुलाम बनाए रखना चाहते हैं | यू ही नही बार बार बतला रहा हूँ की यह गुलामकाल चल रहा है | जिस गुलामकाल में गरिबी भुखमरी समाप्त कभी नही हो सकता , जबतक की पुरी आजादी प्राप्त नही हो जाएगी | जिसके बाद पूर्ण रुप से आजाद देश की सरकार का नेतृत्व लंबे समय से गुलाम रहकर आजादी के लिए संघर्ष करने वाले लोग खुद करते हुए गरिबी भुखमरी को अपने एक कार्यकाल में ही समाप्त कर देंगे | जो कि बिल्कुल मुमकिन है | क्योंकि मुझे ही नही बल्कि पुरी दुनियाँ को पता है कि धन संपदा से अमिर देश में वहाँ की सारी धन संपदा अन्न जल की रक्षा और जरुरत पड़ने पर अपने और जनता के लिए खर्च कर रही सरकार के पास इतना पावर होती है कि वह चाहे तो किसी को भी गरिबी भुखमरी से भुखा प्यासा कभी मरने ही न दे ! जैसे की किसी परिवार में यदि अमिरी मौजुद है , और परिवार का प्रमुख अथवा अभिभावक यदि खुद अमिरी जीवन जी रहा हो तो स्वभाविक तौर पर उस परिवार में किसी भी सदस्य की गरिबी भुखमरी से मौते नही होगी , यदि उस परिवार को चलानेवाला परिवार प्रमुख जो की खुद अमिरी जीवन जी रहा हो , वह यदि किसी भी सदस्य को गरिबी भुखमरी से मरने देना न चाहे ! पर चूँकि अभी इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले कृषि प्रधान देश में गुलामीकाल चल रहा है , जिसके चलते गुलामकाल में देश का शासन चला रही सरकार गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो को अनदेखा करके खास अमिरो और खुदके लिए ही खास बजट बनाने में लगी रहती है | भुखमरी से मरने वालो पर विशेष ध्यान न देकर अति खा खाकर पेट फटने से मरने वालो पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है | जैसे की हर बार की तरह इसबार के बजट में भी गरिबो के बजाय अमिरो पर ध्यान दिया गया है | जिस तरह का बजट गुलामीकाल में बनना स्वभाविक भी है | इसलिए देश में गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी भी करोड़ो की तादार में अबतक कायम है | जिसे अनदेखा करने वाले अहंकारी लोग गुलामीकाल चलाकर अमृतकाल चल रहा है , ऐसी बाते करके ऐसे अति आत्मविश्वास में डुबे हुए हैं , जैसे कि अपनी कार्यकाल में वे बहुत बड़ा क्रांतीकारी सरकार चला रहे हैं | जिस क्रांतीकारी सरकार को चलाते समय हर रोज गरिबी भुखमरी से अनगिनत लोगो को मरते हए जानकर भी अमृतकाल कहा जा रहा है | जो बात करने वाले मानो खुदको अमर होने की सोच रहे हैं | जो सोचने से पहले कोई सेवक एकबार यह जरुर सोचे कि यदि मान लेते हैं अभी का कोई मंत्री 75 साल या उससे उपर का है , तो 25 साल बाद गोरो से आजादी का 100 साल पुरे होने पर इसी अमृतकाल बजट भाषण को " अमृतकाल चल रहा है " कहते हुए क्या दोहरा पाएंगे ? और उसके अभी का भाषण सुन देखकर क्या उसके सारे अँधभक्त भी अमरता को प्राप्त कर लेंगे ? जो उसे खुश करने के लिए यह कहा जा रहा है की यह अमृतकाल बजट है | और क्या गोरो से आजादी मिलने के बाद तब से लेकर अबतक किसी की भी मौत नही हुई ? सभी क्या इस अमृतकाल में आजादी का 100 साल पुरा होने का जस्न मनाने के लिए बचे हुए हैं ? जबकि इतिहास दर्ज हो रहा है और हो चूका है कि कितने लोग भाजपा और कांग्रेस शासन में गरिबी भुखमरी से मरे और कितने लोग अच्छे खासे खाते पीते हुए भी मरे ! जो बात कांग्रेस भाजपा खुद अपने शासन के दौरान अबतक उनके कितने खास नेताओ और मंत्रियो की मौते हुई उसका विवरण तैयार करके पता कर सकती है कि कोई अमृतकाल नही चल रहा है ! बल्कि अभी जो बचे हुए हैं वे भी कभी न कभी मरेंगे ही | जिन बचे हुए लोगो में भारी तादार ऐसे लोगो की भी है , जो इस भाजपा सरकार को ही नही कांग्रेस सरकार को भी भारी बहुमत से वोट करके यह उम्मीद किए हुए थे की उनकी चुनी हुई सरकार उनके जीते जी इस देश को ऐसे बुरे हालात से बाहर निकालकर वाकई में उनके जीते जी गरिबी हटाओ आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश की झांकी देखने को मिलेगी | जो की नही मिली , जिसके कारन उन्होने अपनी पसंद की शाईनिंग इंडिया की बाते करने वाली भाजपा सरकार ही नही , बल्कि कभी गरिबी हटाओ की बाते करने वाली कांग्रेस सरकार से भी दुःखी होकर उसके खिलाफ भारी तादार में वोट किए थे | और यदि चुनाव घोटाला वाकई में अबतक कभी नही हुआ है , और नागरिक का वोट से ही अबतक सारी सरकार इमानदारी से चुनी जाती रही है , तो निश्चित तौर पर एक समय ऐसा भी आएगा जब डीजिटल इंडिया की बाते करने वाली वर्तमान की भाजपा सरकार के खिलाफ भी भारी वोट करके कांग्रेस की तरह ही भाजपा की भी भारी जीत के बाद भारी हार भी होगी | जिसके बाद यह अमृतकाल बजट भाजपा के लिए काल बन जाएगा | इतिहास गवाह है कि भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी भारी बहुमत की सरकार बनाने के बाद भारी बहुमत से हारती भी रही है | क्योंकि सरकार बनने के बाद ज्यादेतर तो वे अपनी जीत का अहंकार में ही डुबी रहती है | और उससे भी बड़ी बात यह गुलामीकाल चल रहा है | जिस गुलामीकाल में भले क्यों न आजाद भारत का संविधान लागू है , पर गुलाम करने वालो द्वारा खुद संविधान ही खतरे में है तो आजाद भारत का संविधान में जिनको विशेष ध्यान देकर उनके साथ हजारो सालो से हो रहे अन्याय अत्याचार को समाप्त करने के लिए कहा गया है , उन लगो का इस गुलामीकाल में अब भी खतरे में पड़ना स्वभाविक भी है | जिसके चलते यह भी स्वभाविक है कि हजारो सालो से अन्याय अत्याचार का सामना कर रहे लोग अब भी जबकि आजाद भारत का संविधान लागू है , तब भी पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं | जो कि सायद चुनाव के जरिए भी पुरी आजादी का उम्मीद करके करोड़ो की तादार में वोट भी करते हैं |
हलांकि मेरा मानना है कि इस गुलामीकाल में आजाद भारत का संविधान का प्रवाह किए बगैर समय समय पर चुनाव घोटाला जरुर हो रहा है , और जिसे वोट नही मिलता है , वह भी घोटाला करके चुनाव जीत भी रहा है | जो चुनाव घोटाला करने का आरोप कांग्रेस भाजपा पर ही लगते रहे हैं | जो की स्वभाविक भी है क्योंकि यही दोनो पार्टी इस देश की सत्ता में लंबे समय तक शासन करते आ रही है | और चुनाव घोटाला करने की तैयारी वही बेहत्तर कर सकता है , जिसकी पहूँच चुनाव आयोग से लेकर ऐसी सभी जगहो में खास हो , जहाँ से चुनाव प्रक्रिया संचालित होती है | और इस भाजपा सरकार के समय हो या फिर कांग्रेस सरकार के समय हो चुनाव संचालित बेहत्तर हो रहा है , यह कभी भी नही कहा जा सकता | ऐसा नही है कि इस समय जो गरिबी भुखमरी हालात कायम है , वह सरकार से सभी गरिब खुश होकर उसे भारी तादार में वोट कर करके बाद में वह अपनी चुनी गई सरकार के कार्यकाल में ही गरिबी भुखमरी से असमय मर रहे हैं | बल्कि यदि ऐसा भी है तो यह अहंकारी सरकार किसी गरिब से उसकी गरिबी दुर करने की झुठी बाते करके झुठी अश्वासन देकर गरिबो का वोट लेकर बाद में उन्हे गरिबी भुखमरी से मरते हुए छोड़कर जिस थाली में गरिब का वोट खाती रही है , उसी में छेद करके अपनी झुठी शान में डुबते आ रही है | वह तो गरिबी भुखमरी में उलझे हुए करोड़ो लोग अपना हक अधिकार मांगने के लिए ठीक से सामने नही आ पा रहे हैं ! नही तो सिर्फ इस देश की बीपीएल आबादी ही यदि सड़को पर अपना हक अधिकार मांगने उतर गया तो पुरी दुनियाँ एकदिन में ही प्रयोगिक तौर पर जान जाऐगी की ये अमृतकाल बजट बनाने वाली सरकार और गरिबी हटाओ की बाते करने वाली झुठी सरकार भी अपनी अमिरी को बड़ाने के अलावे गरिबी भुखमरी दुर करने में क्या ऐसी प्रभावी भूमिका अबतक अदा की है कि गरिबो का वोट पाकर एक भी नागरिक की मौत गरिबी भुखमरी से न हो | जैसे कि कोई सरकार बनने के बाद उनके किसी भी मंत्री की गरिबी भुखमरी से मौत नही होती है | भले क्यों न वे मंत्री बनने से पहले बीपीएल जीवन जी रहे हो | जैसे की मान लेते हैं अभी के सरकार में मंत्री या फिर उच्च अधिकारी बनकर देश और प्रजा की सेवा करने की जिम्मेवारी लेने वाले लोगो में कोई यदि ऐसे सरकारी गाड़ी बंगला की सुख सुविधा लेकर सेवा करने वाले सरकारी सेवक कभी गरिब रहा होगा तो क्या वह अब ऐसे खास सुविधा प्राप्त करनेवाला सेवक बनकर अब गरिबी भुखमरी से मरने की संभावना के बारे में कभी सपने में भी क्या सोच पाएगा ? सौ प्रतिशत बिल्कुल भी नही सोचेगा , भले हो सकता है यह जरुर सोचे की पहले कभी नही इतनी सारी सुख सुविधा और इतने प्रकार का खाना पीना प्राप्त किया जिसे अचानक प्राप्त करके उसकी अति अमिरी और अति खाना पीना ही उसकी जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन न बन जाए जीवन को संकट में डालने के लिए | कहीं अति खा खाकर पेट फटने से उसकी जीवन खतरे न पड़ जाए ! क्योंकि मंत्रियो के लिए जिस प्रकार का व्यवस्था पहले से तय रहता है , उसके अनुसार उनके मंत्री बनते ही उनके द्वारा अमिर होने और देश विदेश में भ्रमण करके छप्पन भोग खाने पीने की सौ प्रतिशत गारंटी मिल जाती है | हलांकि अमरता की गारंटी नही मिलती | क्योंकि सब कोई जानता है कि मरते तो अमिर लोग भी हैं , भले भरपेट छप्पन भोग खा खाकर मरते हैं | लेकिन यह सोने की चिड़ियां कहलाने वाले देश में लाखो लोग हर साल गरिबी भुखमरी से मरे यह अमृतकाल तो दुर सेवाकाल भी नही है | बल्कि ऐसे गरिबी भुखमरी बुरे हालात को गुलामीकाल जरुर कहा जा सकता है | क्योंकि गुलाम बनाने वाले लोग ही किसी धन संपदा से भरपुर देश को गुलाम करके अपने लिए सारी सुख सुविधा प्राप्त करके अपने गुलामो को गरिबी भुखमरी में मरते रहने के लिए छोड़ देते हैं | और गरिबी भुखमरी से हो रही मौतो के आंकड़े पुरी दुनियाँ ससे आती रहती है | क्योंकि पुरी दुनियाँ में जो देश भी धन संपदा से अमिर है , और वहाँ की जनता यदि गरिबी भुखमरी से मर रहा है , तो समझो वह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही है | वहाँ पर अब भी गुलाम करने वाले लोग हावी होकर खुदके लिए अमिरी सुख सुविधा प्राप्त करके उस देश के लोगो को भारी तादार में गरिबी भुखमरी से मरने के लिए छोड़ दिए हैं | और अपने लिए उस देश की धन संपदा को खर्च करके सारी अमिरी सुख सुविधा भोग रहे हैं | जैसे की यह देश गोरो से आजाद होने के बाद भी अबतक अधुरी आजादी ही प्राप्त कर सका है | इस कृषि प्रधान देश को गोरो से भी पहले गुलाम करने वाले विदेशी मूल के कबिलई अब भी सत्ता पर हावी हैं | जिनकी वजह से ही तो यह सोने की चिड़ियां कहलाने वाले देश में भी गोरो से आजादी मिलने के बाद अबतक भारी तादार में गरिबी भुखमरी कायम है | क्योंकि चाहे वर्तमान में मौजुद भाजपा सरकार हो या फिर उससे पहले की कांग्रेस सरकार हो , दोनो ही सरकारो में गुलाम बनाने वाले लोग हावी होकर अन्याय अत्याचार करने वाली अहंकारी सरकार चलते आ रही हैं | फिर भी ये दोनो ही सरकार चुनाव आते ही ऐसे बाते करने लगती है , जैसे उसने इस देश की जनता का आधुनिक डीजिटल विकाश करके उनके जीवन में खुशियो का बरसात ला दिया है | जिनकी खुशियो की बरसात को देखनी है तो कभी गरिब बीपीएल की आबादी और भुखमरी से भारी तादार में मर रहे लोगो के बारे में जानकर देखा जा सकता है कि ये दोनो सरकार इस देश के बहुसंख्यक जनता को अपनी कथित अमृतकाल बजट से किस प्रकार का गरिबी भुखमरी जीवन को अबतक बरकरार रखे हुए है |
हलांकि अमृतकाल भाषण देनेवाले और सुनने वाले सभी लोगो को भी भितर से पता है कि दुनियाँ में कोई भी अमर नही है | इंसान जन्म ही होता है बुढ़ा होकर मरने के लिए | प्रकृति किसी को नही छोड़ता | क्या गरिब क्या अमिर क्या वैज्ञानिक क्या चर्चित नेता , अभिनेता , खिलाड़ी वगैरा वगैरा | जिस बात को जानते हुए भी मानो वर्तमान की सरकार भविष्य में मंगल ग्रह पर भी अमृतकाल बजट का भाषण देने के लिए अमर रहेगी ऐसी बाते की जा रही है | जिस तरह की बाते सरकार ही नही बल्कि बहुत से अन्य क्षेत्रो के लोग भी आएदिन करते ही रहते हैं | जैसे कि youtube में एक वीडियो देख रहा था , जिसमें एक व्यक्ती मंगल ग्रह के बारे में दर्शको को जिस तरह की जानकारी दे रहा था , उसे देखने से ऐसा प्रतित हो रहा था , मानो विडियो बनाने वाले व्यक्ती दर्शको को यह बता रहा हो कि वे अमृतकाल बजट में अगले आने वाले उस समय तक जीवित रहेंगे , जब इंसान मंगल में भी आधुनिक शाईनिंग डीजिटल घर बसाकर अपनी रोजमरा समान्य जीवन जीना सुरु कर देगा | जो समान्य जिवन जिने के लिए पृथ्वी से आना जाना भी सुरु कर देगा | जबकि कड़वा सत्य यह है कि वर्तमान यानि 21वीं सदी में मंगल पर जिवन जिने की दिन रात तैयारी करने वाले वैज्ञानिक ही नही बल्कि वर्तमान में जो इस पृथ्वी पर सात अरब से अधिक आबादी तो सिर्फ इंसानो की है , वे सभी 22वीं सदी आते आते ही बुढ़े होकर मर जाएंगे | जैसे की 16वीं ,17वीं ,18वीं वगैरा पुरानी सदी के सभी लोग मर गए | जिनके बारे में जानकारी अब सिर्फ इतिहास में ही मौजुद है | न कि वे अब भी इस 21वीं सदी में जीवित रहकर अपने बचपन और जवानी के दिनो को खुद बताने के लिए मौजुद हैं | बल्कि इस 21वीं सदी में भी अमृतकाल बजट बताकर भाषण करने वाले नेता और मंत्री ही नही , वे सारे लोग बुढ़ापा की वजह से एकदिन अपनी जीवनलीला समाप्त करेंगे जो अभी जीवित हैं |अमृतकाल बजट से अमर होने की बाते करने या सुनने से कोई अमर नही हो जाएगा | 22वीं सदी तक विरले ही कोई जीवित रहेगा | और वैसे भी अभी की मिलावटी खान पान और प्रदूषित पर्यावरण में जन्म लेने वाले इंसान अपना औसतन उम्र को घटाते जा रहा है | क्योंकि इस गुलामकाल में ऐसा असंतुलित विकाश हुआ है कि इंसान ही नही पशु पक्षी पेड़ पौधा सभी का औसतन उम्र कम हो रहा है | सबके जीवन में असंतुलित विकाश का ऐसा बुरा प्रभाव पड़ रहा है कि इस पृथ्वी में सबकी औसतन उम्र कम होता जा रहा है | जिस तरह का असंतुलित विकाश में अब सौ साल से अधिक कितने लोग जिवीत रह पायेंगे यह बता पाना मुश्किल है | हलांकि यह बात हर कोई जानता है की जिस तरह का असंतुलित विकाश हो रहा है , उससे सबकी औसतन उम्र लगातार घटते ही जा रही है | जिसे जानते हुए सायद ही कोई यह सोचता होगा कि कोई अब सौ साल से ज्यादे का जीवन जी पाएगा इस असंतुलित विकाश में ! अभी मौजुद बुढ़े लोग तो वैसे भी औसतन उम्र की दृष्टि से अपनी पुरी जिवन अब पुरे करने वाले हैं , जिनमे अमृतकाल बजट पर भाषण करने वाले कई मंत्री भी हैं | और बाकि जो जवान बच्चे शिशू बचे हैं , वे भी इंसान की औसतन उम्र के मुताबिक सौ साल से ज्यादे नही जी पायेंगे |
22वीं सदी आते आते वर्तमान में मौजुद इंसानो की पुरी आबादी किसी पतझड़ मौसम की तरह झड़कर वापस मिट्टी में मिल जाएगी | तब सिर्फ वे इतिहास में दर्ज किए जाएंगे | फिर भी इस पृथ्वी पर इंसानो की आबादी की चिंता कभी कभी ऐसे की जाती है , जैसे मानो कोई मरेगा ही नही , और धरती में आनेवाली नई पिड़ी सौ साल बाद अभी की सात अरब से अधिक आबादी के साथ मिलकर कहाँ रहेंगे | जबकि सौ दो सौ साल बाद वर्तमान में मौजुद पृथ्वी में इंसानो की पुरी सात अरब से अधिक आबादी समाप्त हो जायेगी | अभी जिवीत बचे विरले ही कुछ आबादी बचेगी जो सौ दो सौ साल बाद भी अपनी रोजमरा जीवन आनेवाली नई पिड़ी के साथ मिलकर जिने के लिए मौजुद रहेगी | मंगल ग्रह में जीवन की सुरुवात तक कितने लोग जीवित बचेंगे , या फिर आनेवाली नई पिड़ी छोड़कर वर्तमान में मौजुद पुरी अबादी ही समाप्त हो जाऐगी ! क्योंकि बंजर विरान मंगल ग्रह , जहाँ पर कोई इंसान अभी तो कम से कम जिवन नही जी सकता है , वहाँ सौ साल से पहले इंसान का आना जाना और रहना क्या वाकई में सुरु हो जाएगा ? और जब सौ दो सौ साल बाद वर्तमान में मौजुद इंसान कोई जीवित ही नही रहेंगे तब वे मंगल में रहेंगे कैसे भूत बनकर ! क्योंकि वीडियो बनाने वाला व्यक्ती मंगल में रहने की सपने दोस्तो हमे मंगल ग्रह में रहने पर बड़ा मजा आएगा कहकर हसी खुशी से मंगल में रहने की बाते करके अभी जिवन जी रहे लोगो को उत्साह बड़ाते हुए भविष्य की तस्वीर दिखा रहा था | जबकि असल में वह वीडियो मंगल ग्रह में रहने पर बड़ा मजा आएगा कहकर दरसल उस भविष्य में पैदा लेनेवाली नई पिड़ी को दिखा रहा था , जो असल में अगले कई पिड़ि तक पैदा ही नही लेगा | जो यह विडियो क्या पता उस समय देखेगा भी की नही जब मंगल ग्रह पर इंसानो द्वारा घर बनाकर रहने की सुरुवात हो जाएगी ! क्योंकि अभी का पिड़ी 1913 ई० में बनी राजा हरिश्चंद्र फिल्म जो सायद भारत में बनी पहली फिल्म थी , उसे अभी 21वीं सदी के समय में कितने लोग देखते हैं ? जबकि राजा हरिश्चंद्र फिल्म बने हुए दो चार पिड़ी भी पुरी तरह से नही गुजरे होंगे तो भी आज सायद ही कोई बुढ़ा व्यक्ती भी वह फिल्म देखता होगा | और मंगल ग्रह में जिवन की सुरुवात जैसे विषयो पर वीडियो देखने या सुनने वाले कितने लोग रोज सहगल का भी गाना डाउनलोड करके दिनभर सुनते होंगे ? खैर यह सब मंगल पर रहने की तस्वीर हमारे आनेवाली उन नई पिड़ियो के जिवन की तस्वीर हो सकती है , जो कि मुमकिन है अगला आनेवाली नई पिड़ि के भी गोद में बच्चे के रुप में नही दिखेगी |
फिलहाल तो हमारी जिवन में अभी के समय में जो बच्चे जवान और भुड़े लोग इस पृथ्वी में जिवन जी रहे दिखते हैं , उनकी जिवन की चिंता इस धरती में ही हसी खुशी से कट जाए अधिक करनी चाहिए | जो कि वर्तमान के समय में तो भारी आबादी इतना बेहतर ग्रह में भी हर रोज ज्यादेतर तो मूलभूत जरुरतो की कमी और असुविधा की वजह से असमय मारे जा रहे हैं | बच्चे भी हजारो लाखो की संख्या में असमय मारे जा रहे हैं , और बुढ़े जवान व औरत भी , जिस असमय मौत को रोकने के लिए सैकड़ो हजारो करोड़ का मंगल अभियान चलाने के लिए सरकार को अपनी राय देनेवाले वैज्ञानिको के पास क्या कोई ऐसी योजना नही जिसमे हजारो लाखो करोड़ खर्च करके वे वर्तमान में हर रोज असमय मर रहे हजारो लाखो लोगो की जिवन को बचा सके ? आज के समय में सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ खर्च करके मंगल में जिवन की सुरुवात करने की जो कोशिषे जारी है , उसके कभी कामयाब होने पर मंगल ग्रह में तो वे लोग जियेंगे जो न जाने मंगल ग्रह के बारे में बताने वाले अभी मौजुद विडियो का जिवित रहने तक भी जन्म लेंगे की नही लेंगे ! जो अभी तो फिलहाल वीर्य या अंडाणु के रुप में भी जन्म प्रक्रिया के लिए आवेदन नही किए होंगे | क्योंकि इतने लंबे समय बाद जब इंसान मंगल ग्रह पर जीवन की सुरुवात नही कर सका तो आनेवाली कई पिड़ी तक क्या वह मंगल ग्रह में जीवन की सुरुवात करेगा | और जब आनेवाली कई पिड़ी तक मंगल ग्रह में जीवन की सुरुवात ही नही होगी तो जाहिर है जब सुरुवात होगी उस समय मंगल ग्रह में जीवन जिनेवाला इंसान तो अभी किसी इंसान के शरिर में वीर्य अंडाणु के रुप में भी विकसित नही हुआ होगा | और वैसे भी मंगल में पृथ्वी जैसा जिवन की सुरुवात होने में जितना समय लगेगा उतने समय में बहुत कुछ बदल जाता है | बल्कि आजकल तो छोड़ो कल की बाते कहकर नई पिड़ि अपने बाप दादा के जिवन में मौजुद रोजमरा जिवन को भी ओल्ड फैशन कहकर भुलाने लगती है | हलांकि मेरा मानना है की छोड़ो कल की बाते जैसी बातो पर विश्वास करने वाले लोगो की आबादी मुठीभर लोगो की ही होती है | और मुठीभर लोग ही भविष्य में भी छोड़ो कल की बाते कहकर पुरानी जिवनशैली को बिल्कुल से छोड़ने वाले लोग होते हैं | जो मुठीभर लोग ही पृथ्वी छोड़कर दुसरे ग्रह में जिवन जिने की सोच रहे हैं | ज्यादेतर लोग तो अपने पुराने ग्रह को ही सबसे बेहत्तर मानकर आगे भी अपनाए हुए रहेंगे , जबतक की पृथ्वी में हरी भरी जिवन मौजुद रहेगी | उसी तरह ज्यादेतर इंसान अपनी पुरानी सभ्यता संस्कृति को ही अपनाकर जीते हैं | बल्कि उसमे नयापन जोड़ते जाते हैं , न की छोड़ते जाते हैं | हलांकि जो खाराब है , उसे मंथन करके छोड़ते जरुर जाते हैं | ज्यादेतर तो वही रहता है जो पहले से मौजुद है , बस उसमे अपडेट होते रहता है | क्योंकि कपड़ा पहनना हजारो साल पहले जन्मे पुराने लोगो का ही फैशन है | जिसे यह कहकर कि हमे समय के साथ कपड़ा पहनने की फैशन को बदलना चाहिए , मेरी मर्जी दुसरो को इससे क्या लेना देना कहकर कपड़ा उतारकर नई आधुनिक कहकर नंगा जिवन जिना मुर्खता है | बजाय इसके की हमे पुराने के साथ तालमेल करके उसमे नया जोड़के नया अपडेट करके आधुनिकता लाते रहना चाहिए | और जो गलत है , उसमे नया सुधार करके जिवन को जिते रहना चाहिए | जैसे की प्रकृति करती है , जिसमे हजारो लाखो करोड़ो सालो तक भी बहुत सी चीजे बदलते हुए भी कुछ नही बदलते प्रतित होती है | बल्कि इंसान को तो पता भी नही चल पाता की प्रकृति उसके शरिर में क्या क्या बदलते जा रही है | जिसके बारे में इंसान खुदके शरिर में हजारो लाखो करोड़ो सालो से हुए बदलाव का आंकड़ा जुटाता है , तब जान पाता है कि प्रकृति ने छोड़ो कल की बाते कहकर उसका शरिर में धीरे धीरे अति मंद गति से क्या क्या बदला है | जबकि इंसान अपने जिवन में क्या क्या बदल रहा है , यह तो हर रोज बाजार में नया फोन और किसी एप्प का जल्दी जल्दी नया अपडेट आना देखकर ही पता चल जाता है , कि इंसान आखिर क्यों अपनी पुरानी जिवन को जल्दी जल्दी बदलते देखना चाहता है | और यह सब सायद इसलिए भी इंसान के जिवन में घटित हो रहा है , क्योंकि प्रकृति ने इंसानो को कम उम्र दिया है जीवन जिने के लिए | जितना उम्र में वह पृथ्वी का भी पुरा भ्रमण नही कर पाएगा तो अंतरिक्ष में मौजुद बाकि ग्रहो का तेज गति से जल्दी जल्दी भ्रमण करना तो उसके लिए फिलहाल तो मुमकिन नही है |
पृथ्वी में सबसे श्रेष्ट प्राणी खुदको कहने वाला इंसान अपनी सबसे बेहत्तर बुद्धी से किसी कछुवे से भी कम उम्र का जिवन ही जी पाता है
इंसान से ज्यादे समय तक जीवित कई पेड़ भी जी लेते हैं | जो की सबसे अधिक उम्र वाले पेड़ इंसानो की कई पिड़ी को किसी रास्ते के किनारे खड़े स्थिर होकर देख रहे होंगे यदि वे भी देखते समझते होंगे | जो की अब भी कई पेड़ सैकड़ो हजारो सालो से जिवित होंगे जबकि इतने समय में इंसानो की कई पिड़ी मिट्टी में मिल चुकी है | जाहिर है वर्तमान में मौजुद इंसानो को यदि किसी दुसरे ग्रह में जिवन जिने के बारे में सोचना है तो उसके लिए पहले तो अभी मौजुद इंसानो को अपने औसतन उम्र को कम से कम हजार साल या फिर उससे भी अधिक बड़ाने के बारे में सोचना होगा ! क्योंकि यह सौ साल या उससे भी कम उम्र जिवन में इंसान दुसरे ग्रह में जिवन जिने की बाते करते या फिर जिवन जिने के लिए ग्रह की खोज करते ऐसा प्रतित होता है , जैसे मानो वह वर्तमान में अपनी पसंद का प्रधानमंत्री को वोट करके उसे मंगल ग्रह में 26 जनवरी या 15 अगस्त का झंडा फहराते देखने और सुनने की बाते कर रहा है | जबकि सच्चाई यह है कि वर्तमान में मौजुद इंसान सौ या हजार साल बाद न तो वह झंडा फहराते अपनी पसंद का प्रधानमंत्री को देखने के लिए जिवित रहेगा , और न ही मंगल ग्रह में तब जिस तरह से भी जिवन चल रही होगी उसमे खुदको शामिल करने के लिए जिवित रहेगा | क्योंकि उसकी जो औसतन उम्र है , उसे वह सारे धन्नाओ की दौलत को इकठा करके भी अपनी उम्र को उस समय तक नही बड़ा सकता जब सौ या हजार साल बाद 26 जनवरी 15 अगस्त का झंडा फहराने वाला समय का मंगल ग्रह या फिर कोई दुसरा ग्रह में जिवन जिनेवाले लोग मौजुद रहेंगे , या फिर मंगल ग्रह में लोग जिवन जी रहे होंगे | क्योंकि तब वर्तमान में जिवित सभी लोग मर गए होंगे , और वर्तमान में जी रहे लोगो में भी जो सौ साल बाद भी नही मरेंगे ऐसे लोग विरले ही रहेंगे , जो भी जीवित रहकर भी बुढ़ापा की दर्दभरी जिवन को इतनी झेल रहे होंगे की उनकी भी सौ साल से अधिक की उम्र वाली जिवन मानो जिते जी मौत से कम की नही होगी | जिन्हे समय पुरा हो गया कहकर घर खदेड़ रहा होगा और घाट बुला रहा होगा ! सबसे बेहत्तर तो यही होगा की इंसानो के लिए प्रकृति ने जितनी उम्र फिलहाल तय किया है , उस उम्र तक सारे इंसान हसी खुशी और सेहतमंद जिवन जी सके ऐसी कोशिष वैज्ञानिको से लेकर शासको और बाकि भी सभी इंसानो को करनी चाहिए | उसके बाद ही दुसरे ग्रह में जीवन की सुरुवात करने की बातो पर ज्यादे ध्यान दीया जाए | फिलहाल तो हर रोज असमय मौते हजारो लाखो इंसानो की हो रही है , जिसमे सबसे प्रमुख कारन गरिबी भुखमरी है | साथ साथ चिकित्सा का अभाव और मुलभूत जरुरतो का अभाव है | जो अभाव भी पुरी हो जाती यदि देश को परिवार समझकर देश की सरकार देश की धन संपदा को इस संतुलित तरिके से खर्च करती की सरकार बनते ही खुद भी गरिबी भुखमरी मुक्त होती और गरिब जनता भी सरकार चुनते ही गरिबी भुखमरी मुक्त होती | खासकर इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में तो गरिबी भुखमरी तुरंत समाप्त हो सकती है | क्योंकि जब कोई परिवार अमिर है तो उस परिवार में मुठीभर लोग अमिर और बाकि ज्यादेतर सदस्य गरिब तब भी कैसे रह सकते हैं , जबकि परिवार का अभिभावक परिवार का ही धन संपदा से अमिरी की सारी सुख सुविधा प्राप्त करके अमिरी जिवन जी रहा होता है ? क्योंकि अभी गुलामकाल चल रहा है , जब प्राया सभी सरकारे खुदके लिए तो सरकार बनते ही अमिरी प्रदान करती है , पर जनता को गरिबी भुखमरी से बाहर निकालने की बाते करके आजतक भी सायद ही ऐसा कोई देश होगा जहाँ पर एक भी गरिबी नही है |
खुदको विकसित देशो की श्रेणी में लाने वाले देशो में भी गरिबी और बेघर समस्या है
चाहे वर्तमान में सबसे विकसित देश कहलाने वाले रुस अमेरिका जापान ही क्यों न हो , वहाँ भी गरिब और बेघर लोग मौजुद हैं | अविकसित और गरिब कहलाने वाले अफ्रीकन और एशियन देशो में तो गरिबी भुखमरी का आलम यह है कि धन संपदा अन्न जल का भरपुर भंडार होते हुए भी भोजन न मिल पाने की वजह से हर रोज अनगिनत मौते हो रही है | जिसकी रिपोर्ट हर साल पुरी दुनियाँ में विभिन्न माध्यमो से आती ही रहती है | यूरोप और अमेरिका में भी गरिबी मौजुद है , वहाँ भी लोग सड़को में सोने के लिए मजबूर हैं | लेकिन भी सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ खर्च करके मंगल पर रहने की सपने ऐसी देखी जा रही है , जैसे मानो मंगल ग्रह इस पृथ्वी से बेहत्तर है | और जब इतना बेहत्तर हरा भरा ग्रह पृथ्वी में सभी इंसान सुखमई जिवन जी सके ऐसी विकाश अबतक नही हो पाया है , तो मंगल जैसे विरान बंजर ग्रह में क्या खाक सुखमई जिवन जीएगा वह इंसान जो मंगल पर जीवन जिने की सपने सैकड़ो हजारो लाखो करोड़ खर्च करके देख रहा है | जबकि सभी इंसानो को सबसे पहले तो पृथ्वी में अभी जो जीवन मौजुद है , उसे सबके लिए सुखमई जिवन जीने की सोच रखनी चाहिए | जिस जीवन को सबके लिए सुखमई करने की सबसे पहली जिम्मेवारी वैसे तो सरकार की होती है , पर उसके बाद जिन इंसानो को दुनियाँ की सबसे अधिक इंसान देखते सुनते पढ़ते हैं , उनकी भी जिम्मेवारी सबसे अधिक बनती है | क्योंकि वे चाहे तो अपनी बातो से सारी दुनियाँ की सरकारो को वह बात पहूँचा सकते हैं , जिससे की सभी ऐसे असमय मर रहे इंसानो की जिवन को बचाने में खास भुमिका अदा की जा सकती है जो की गरिबी भुखमरी से तो सबसे अधिक मर ही रहे हैं , पर साथ साथ वे चिकित्सा के आभाव में भी मारे जा रहे हैं | चर्चित लोगो को तो गरिबी भुखमरी दुर करने पर सरकार को दिए जानेवाले खास सुझाव या विचार को सबसे पहली प्राथमिकता रखनी चाहिए | क्योंकि मान लिया जाय कि दुनियाँ की सारी सरकार यदि देश परिवार का अभिभावक होती है , तो फिर यह कहाँ का मानवता है कि अभिभावक सूट बूट लगाकर अपनी रहिसी जिवन जिये और परिवार में मौजुद बहुत से सदस्य भुखमरी से भी मरे और बेघर होकर ठंड से भी मरे ! यह सोच रखकर सरकार चलाने वाले कैसा अभिभावक का चरित्र और संस्कार है , जो उसकी नई पिड़ी को अपने चरित्र और संस्कारो को आगे बड़ाकर तरकी और विकाश करने की बाते बतलाएगा !
बल्कि तरकी और विकाश की बाते वह है , जिसमे ज्यादेतर परिवार समाज में तो इस बात को अपना आदर्श बनाया जाता है कि उसके अभिभावक उसके परिवार में मौजुद किसी भी सदस्य को भुखे नंगे मरते देखकर उस समस्या से बाहर सभी को निकालने के लिए तत्काल कारवाई करता है | जिसके लिए भले खुद भी भुखा नंगा मर जाएगा पर खुद सूट बूट पहनकर अपने परिवार के सदस्यो को भुखा नंगा मरते हुए खुदके लिए सारी अमिरी सुख सुविधा और भोग विलास की सुविधा पर खर्च कभी नही करेगा | पहले वह कम से कम परिवार के सभी सदस्यो के लिए इतना तो इंतजाम जरुर करेगा की वे भुखा नंगा न मर सके | और यदि परिवार में पहले से ही धन संपदा मौजुद है , तो फिर तो वह परिवार का किसी सदस्य को अभावग्रस्त व भुखा प्यासा देखते जानते ही तत्काल उसकी अभावग्रस्त और भुखा प्यासा जीवन में सुधार करते हुए जीवन की ऐसी मुख्य धारा में ला देगा , जिसमे कि किसी भी सदस्य की कम से कम गरिबी भुखमरी से तो मौत नही होगी | जैसे की अभी उदाहरन के लिए इसी देश में हर रोज कई की मौते भुख और बिना गर्म कपड़े के ठंठ में ठिठुरकर हो रही है , उसे तत्काल रोका जा सकता है | क्योंकि यह देश परिवार धन संपदा से अमिर है , फिर भी यहाँ गरिबी भुखमरी क्यों है | क्योंकि इस गुलामकाल में अबतक ऐसी सरकार ही नही पैदा ले रही है , जो की ऐसा बेहत्तर अभिभावक का भूमिका निभा सके जिससे की कोई गरिबी भुखमरी से मौते न हो | और जाहिर है देश परिवार का अभिभावक यदि सरकार को माना जाय जिसे शपथ दिलाकर देश परिवार के सभी सदस्यो के जिवन सुरक्षा की जिम्मेवारी दिया गया है , उस सरकार के मंत्री और उच्च अधिकारी भी खुदके लिए सारी अमिरी सुख सुविधा लेकर सूट बूट पहनकर भुखा नंगा मर रहे सदस्यो के बारे में कभी सोचना तो दुर बात तक नही करते हैं | सांसद या अधिकारी अपने कार्यालयो में ज्यादेतर तो अपनी नीजि जिवन में कुछ दुःख तकलीफ न हो इसकी बाते करते और सोचते रहते हैं | जयाँ सिर्फ ज्यादेतर तो यही बात होती रहती है कि अमिरी को और अधिक कैसे बड़ाया जाय , जिसे ही विकाश कहकर योजनाएं बनती रहती है | जैसे की कथित अमृतकाल बजट में बनी है |
गरिबी भुखमरी और ठंड से मौते हो रही है , उसके बारे में बात करना तो मानो आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश के बाद मिली सूटबूट जिवन का किमती समय को बर्बाद करना है
तभी तो आजतक सायद ही कोई मंत्री या उच्च अधिकारी अपनी रहिशी जिवन पर झांककर कभी यह सोचता रहा हो कि जनता झुगी झोपड़ी या फिर फूटपाथो में गरिबी और भुखमरी से मरे और हम सुटबूट पहनकर सरकारी बंगलो में रहे यह कुछ ठिक नही लगता है ! जो यदि सोचता तो वह मंत्री या उच्च अधिकारी बनने के बाद अपनी रोजमरा जिवन को भी गरिबी भुखमरी जिवन के बिच ले जाकर मानो खुद भी झुगी झोपड़ी में रहकर सभी गरिबो की दुःख को जमिन से जुड़कर सामने से प्रयोगिक रुप से देख और जिकर मिल जूलकर गरिबी भुखमरी और बेघर समस्या को दुर करने का विशेष दिनचर्या चलने लगता | ऐसी दिनचर्या जिसमे कोई मंत्री और अधिकारी जिस प्रकार मंत्री या अधिकारी बनते ही अपने लिए पक्का घर और भरपेट भोजन के बारे में सोचता रहता है , उसी तरह के सरकारी गाड़ी बंगले और छप्पन भोग न सही पर कम से कम सबकी मुलभूत जरुरत को पुरा करने के बारे में जरुर सोचकर दोनो के लिए संतुलित विकाश करने का कार्य करता | पर अभी तो वह ज्यादेतर अपनी खास जरुरतो को ही पुरा करने में लगा रहता है | बल्कि वह मंत्री और अधिकारी जब बनता है , उसी समय ही वह सरकारी धन से सारी सुख सुविधा का इंतजाम खुदके लिए कर लेता है | जो की वह पहले से ही नियम कानून भी बनाकर रखा हुआ रहता है की मंत्री अधिकारी बनने पर देश की सरकारी धन से उसके लिए क्या क्या इंतजाम तत्काल पुरे हो जाएंगे ! जबकि बाकियो अथवा उसे जिनकी सेवा के लिए इतनी ज्यादे सुख सुविधा दिया जाता है , सरकारी धन से उसके लिए क्या सुख सुविधा का इंतजाम होता है मंत्री पद की शपथ लेने के बाद ? चुनाव के बाद सरकार बनने पर मंत्री पद की शपथ होने के बाद सरकारी मंत्रियो को तो देश की धन संपदा से लाखो की तनख्वा और गाड़ी बंगला मिलना सुरु हो जाता है , पर गरिब जनता मालिक को गाड़ी बंगला छोड़ो सबको रोजमरा जीवन की मूल जरुरत अन्न जल रोटी कपड़ा मकान भी क्या मिल पाता है ? जो यदि सबको मिलता तो क्या आज कोई गरिबी भुखमरी से मरता ! क्या गरिब जनता मालिक बेघर रहता ! जिनकी हालत कैसी है इसके बारे में थोड़ी बहुत जाननी हो तो किसी बीपीएल से ही पुछ लिया जाय कि सेवा करने के लिए मोटी तनख्वा और गाड़ी बंगला जैसी सुख सुविधा लेकर उसके नौकर ने उस बीपीएल मालिक की सेवा करते हुए उसके बीपीएल राशन कार्ड में क्या क्य सुख सुविधा दे रखा है ? और खुदके लिए क्या क्या सरकारी राशन पानी और सुख सुविधा इंतजाम कर रखा है ? जो राशन पानी और सुख सुविधा नियम कानून बनाकर 1947 ई० से सत्ता प्राप्त करके बीपीएल जिवन में क्या ऐसी भारी बदलाव आ गए हैं , जिसे की आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल विकाश कहकर यह कहा जा सके की इस 21 वीं सदी में अब गरिब बीपीएल जिवन भी वोट करके अपना नौकर चुनकर अपने नौकर से सेवा कराते हुए बेहत्तर सरकारी सुख सुविधा प्राप्त कर रहा है | बल्कि उल्टे सच्चाई तो यही लगता है कि जनता नौकर है , और सरकार मालिक है | तभी तो सरकार खुदको नौकर कहकर बंगलो में रहकर सारी सुख सुविधा प्राप्त करते हुए सेवा करने की मानो खुदकी बेहत्तर आजादी जीवन जिने की समझौता किए हुए है | और जनता मालिक गरिब बीपीएल हालात में रहकर सरकारी राशन सुविधा प्राप्त करते हुए भी भुखमरी अभावग्रस्त जैसे सारी दुःखभरी जिवन प्राप्त करते हुए खुदको जनता मालिक सुनकर वोट करते रहने की आजादी समझौता किए हुए है | क्योंकि जनता को राशन कार्ड से क्या मिलता है , और सरकार को सेवक बनने का शपथ लेकर क्या मिलता है , इस अंतर को भी देखकर पता किया जा सकता है कि रोजमरा जिवन में कौन सेवक है , और कौन मालिक है ?
जनता मालिक बेघर बीपीएल जीवन जिए और सरकार गाड़ी बंगला समेत सारी सुख सुविधा प्राप्त करे , क्या इसी तरह की जीवन को बेहत्तर विकाश या फिर पुरी आजादी कहा जाता है ?
बेहत्तर विकाश वह है , जिसमे सबको उचित हक अधिकार मिले , और सरकार द्वारा ऐसी जनता सेवा हो की कोई गरिबी भुखमरी से न मरे | क्योंकि देश का धन संपदा को खर्च करके सिर्फ मंत्री और अधिकारियो को जिने का अधिकार नही है , बल्कि सरकार द्वारा देश का धन संपदा को खर्च करके जिने का अधिकार सभी नगरिक को है | लेकिन अभी देश का धन संपदा का दोहन हर रोज हर पल भरपूर की जा रही है , पर उस दोहन से किसे सारी सुख सुविधा और छप्पन भोग जिवन प्रदान की जा रही है ? जबकि दुसरी तरफ सबको जीने का अधिकार जिस आजाद भारत का संविधान में दर्ज करके उसे लागू हुए इतने दशक बित जाने के बावजूद भी हर रोज अनगिनत नागरिको की गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी है | क्योंकि ये अहंकारी सरकार अपने सेवाकाल के दौरान नागरिको को उसके हिस्से की समान्य जीवन भी नही दे पा रही है | और खुद देश की धन संपदा से खास सुख सुविधा का इंतजाम करके जीवन व्यक्तीत कर रही है | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि यह देश अब भी गुलाम है | और गुलामी में सरकार अपने शासन के दौरान चुनाव कराकर सभी नागरिको की जीवन में बसंत बहार ला देगी यह सोचना मानो गुलामी के समय चुनाव कराकर आजादी प्राप्त करना है | आजादी चुनाव से नही बल्कि आजादी संघर्ष से मिलती है | चुनाव तभी होनी चाहिए जब देश पुरी तरह से आजाद हो | नही तो फिर गुलामी में चुनाव होने पर गुलाम करने वाला कभी नही चाहेगा की गुलामो की हाथ में देश की सत्ता चली जाए | जिसके चलते जाहिर है वह सत्ता में अपनी खास दबदबा की मदत से चुनाव में भी ऐसी गड़बड़ी जरुर करेगा जिससे की उसकी दबदबा बनी रहे | हो सकता है चुनाव के बाद वह थोड़ी बहुत शासन में हिस्सेदारी अपने गुलामो को भी देगा जो की गोरे अंग्रेज भी देते थे , पर उसे पुरी आजादी नही कहा जाता है | गुलाम करने वालो के हाथो आजाद भारत का संविधान खुद खतरे में रहता है तो क्या गुलाम करने वाले लोग अपने गुलामो के जिवन में खुशियो का बसंत बहार लाएंगे ! यू ही आएदिन यह नही कहा जाता की संविधान खतरे में है , या फिर संविधान की हत्या हो गयी है ! क्योंकि यह देश अब भी गुलाम है , जिसकी वजह से आजाद भारत का संविधान ही नही बल्कि पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा इस देश का बहुसंख्यक गुलाम भी खतरे में है | जिसके उपर खतरा हर पल गुलाम करने वालो का मंडराता रहता है | जैसे की कभी अल्पसंख्यक गोरो का खतरा मंडराता रहता था | जो खतरा मंडराना तब समाप्त होता है जब पुरी आजादी प्राप्त हो जाती है | जिसके बाद गुलाम करने वालो पर खतरा मंडराना सुरु हो जाता है , यदि वे अपनी शैतानी हरकतो को तब भी नही छोड़ते हैं ! क्योंकि तब उनके हाथो से वह सत्ता जा चूकि रहती है , जिसकी वजह से गुलाम करने वाले अल्पसंख्यक आबादी होते हुए भी बहुसंख्यको को दबाकर रख पाते हैं | जैसे की इस देश में गुलाम करने वाले इस देश की बहुसंख्यक मुलनिवासियो को जो चाहे जिस भी धर्म में मौजुद हो उनको बाहर से आए अल्पसंख्यक कबिलई द्वारा दबाया जाता रहा है | क्योंकि यह कृषि प्रधान देश अब भी बाहर से आए कबिलई द्वारा गुलाम है | एक गुलाम करने वाले कबिलई की हाथ से इस देश की सत्ता जाकर दुसरे गुलाम करने वाले कबिलई की हाथ में चला गया है | और दोनो ही गुलाम करने वाले वे विदेशी कबिलई हैं जो बाहर से आकर इस देश को गुलाम करके शासन करते रहे हैं | जो चूँकि विदेशी मुल के कबिलई हमलावर हैं , इसलिए इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर अपनी कबिलई लुटेरी सोच से सत्ता चलाते आ रहे हैं | जिनकी कबिलई लुटेरी सोच से इस कृषि प्रधान देश को पुरी आजादी मिलेगी , तब जाकर यह देश फिर से अपनी सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान को अपडेट करेगा | जिस पहचान को यह टनो टन सोना दबाकर इस देश के लोगो को गरिबी भुखमरी देकर मारने वाले और ज्ञान लेने में भेदभाव करने वाले क्या कभी सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान को अपडेट करेंगे ! वे तो सत्ता में बैठकर आपनी लूटपाट और अन्याय अत्याचार सोच को अपडेट करते रहेंगे | क्योंकि ये कबिलई लुटेरे जबतक अपनी सोच को कृषि सोच के रुप में विकसित नही कर लेते तबतक इस कृषि प्रधान देश को हमेशा इनसे आजाद रहने के बारे में ही सोचना चाहिए | न की अब ये बाहर से आए गुलाम करने वाले अपनी कबिलई लुटेरी सोच को अपडेट करके सुधर चुके हैं , यह सोचकर इनसे हमेशा गुलाम बने रहने के लिए इनका साथ देना चाहिए ! बल्कि जो मुलनिवासि लोग इनका साथ वोट या इनकी पार्टी में शामिल होकर दे रहे हैं , गुलाम इतिहास में वे इस देश और इस देश के मुलनिवासियो को हमेशा गुलाम बनाए रखने में साथ दे रहे हैं | जिनके द्वारा साथ देकर विदेशी कबिलई को इस कृषि प्रधान देश की सत्ता में बैठाए रखना मतलब किसी खुंखार शिकारी जानवर को राजा बनाकर प्रजा को उसके खुनी पंजो से दबोचवाकर उसके खुंखार जबड़ो के जरिये उसके पेट में सुरक्षा प्रदान हो रहा है , यह सोचना है | क्योंकि भले कबिलई प्रधान देश में खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानने वाला राजा बनकर अपनी कबिलई प्रजा का रक्षा या सेवा कर सकता है ,पर कृषि प्रधान देश में खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानने वाला किसी कृषि सोच रखने वाली प्रजा का बेहत्तर सेवा कभी नही कर सकता ! वह तो मानो किसी परजिवी शिकारी जानवर की तरह कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो को खा खाकर अपनी लंबी जिवन जीने की व्यवस्था में लगा रहेगा | यहाँ पर गुलाम करने वाले अपने गुलामो को खा खाकर जिवन जिने वाले नर नारी भक्षी लोग होते हैं , यह बताने की कोशिष नही हो रही है , बल्कि खुंखार शिकारी जानवर का उदाहरन देकर यह समझाने की कोशिष हो रही है कि गुलाम करने वाले किसी खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानकर जिवन जिते हैं | और खुंखार शिकारी जानवर की प्रकृति ही रहती है कि वह यदि राजा भी बन जाय तो अपनी प्रजा जिसमे की खासकर जो लोग उसके प्रजाति का नही होते हैं , उसे खा खाकर ही जिवन जीता है | ये गुलाम करने वाले लोग भी दुसरे का छिनकर या कब्जा करके खा खाकर जिवन जी रहे होते हैं | जो उनका मूल स्वभाव होता है , जिसे या तो खुद गुलाम करने वाला ही बदल सकता है , या फिर प्रकृति ही बदल सकता है | गुलाम बने लोग तो बस लंबे समय से खुंखार सोच रखने वालो की गंदी मांशिकता को बदलने का प्रयाश कर रहे हैं | जिसमे लंबा समय इसलिए लग रहा है , क्योंकि गुलाम करने वाले अपना इलाज करने के लिए अपने गुलामो के हाथ में सत्ता आने दे तब तो उनका ठीक से इलाज भी हो पाएगा और वे खुंखार शिकारी जानवर सोच से राजा बनने के बजाय बिना शिकार किए जिवन जिने वाले राजा बनने की मांशिकता को प्राप्त कर पाएंगे | जैसे की अभी गोरे प्राप्त किए या कर रहे हैं | जो कभी कई देशो को गुलाम करते समय खुंखार शिकारी सोच रखने वाले जानवरो को अपना आदर्श मानकर राजा बनकर शासन कर रहे थे | जिनको तो अपने भितर भारी बदलाव का नसीब हुआ पर अबतक भी जो लोग इस देश को गुलाम किए हुए हैं , उन्हे ऐसी नसीब होगी इसपर तो अब उम्मीद कम लगती है कि अबतक भी खुंखार शिकारी जानवर को अपना आदर्श मानकर गुलाम करके परजिवी जिवन जिने वाले अब कभी पुरी तरह से सुधरेंगे भी | क्योंकि हजारो सालो में अबतक भी नही सुधरे तो आनेवाले समय में और कब सुधरेंगे | बल्कि गुलाम करने वालो के परिवारो में जो थोड़े बहुत लोग समय के साथ सुधर रहे हैं , वे ही मुमकिन है भविष्य में अपने ही डीएनए और प्रजाति के लोगो को सुधारेंगे , चाहे जिस तरह से सुधारे | पर इस देश और इस देश के मुलनिवासियो के गुलामी हालात में सुधार तो पुरी आजादी प्राप्त करके ही हो पाएगा | जिसे बिगाड़ने वाले बाहर से आए कबिलई लुटेरे हैं , जो इस देश को गुलाम बनाकर लंबे समय से किसी परजिवी की तरह पलते आ रहे हैं | जिनसे पुरी आजादी पाने वाले तमाम लोगो को मैं इतिहास में अपनी आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर नायक मानता हूँ | और जो लोग गुलाम करने वालो का साथ देकर हमेशा गुलामी बने रहने में साथ दे रहे हैं , उन्हे तो मैं इतिहास में आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर नायको का सबसे बड़ा विरोधी मानता हूँ | जो की इतिहास में कभी भी अपना नाम आजादी के लिए संघर्ष करने वालो में दर्ज सायद नही करना चाहते हैं | क्योंकि सायद हो सकता है उन्हे गुलाम करने वालो से मिलकर उनके गलत संगत अपनाकर खुद भी मिलकर अन्याय अत्याचार करने में भितर से आनंद आता है | जैसे कि गुलाम करने वालो को किसी को गुलाम करके अन्याय अत्याचार करने में आनंद आता है | जिसे एक उदाहरन से समझा जा सकता है कि गुलाम करने वालो जैसा ही आनंद उनके बुरे संगत में पड़े गुलाम लोगो को भी आनंद क्यों आता है ? उदाहरन के तौर पर ड्रक्स नशा करने वाले जब अपने बुरे संगत से किसी नशा न करने वाले को भी ड्रक्स का नशा करने का लत लगा देते हैं , तो उसे भी वही आनंद आने लगता है , जैसे की किसी ड्रक्स नशेड़ी को ड्रक्स लेते समय आनंद आता है | ये गुलाम करने और उसका साथ देने वाले नशेड़ी तो किसी ड्रक्स नशेड़ी से लाखो करोड़ो गुणा अधिक खतरनाक होते हैं | जिनके द्वारा किसी को गुलाम करके अन्याय अत्याचार करने का नशा इतना खतरनाक है कि पुरा देश गुलामी के जंजीरो में जकड़कर पुरी आजादी के लिए संघर्ष करता रहता है | जैसे की यह देश पुरी आजादी के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा है | जो संघर्ष ड्रक्स नशा करने वालो से नही बल्कि किसी को गुलाम करने की नशा करने वालो से पुरी आजादी प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहा है | ड्रक्स का नशा करने वाले नशेड़ी तो वैसे भी नशा कर करके धीरे धीरे खुदको समाप्त कर रहे होते हैं , जिनको बचाना और इलाज करना उतना मुश्किल नही है , जितना की इस गुलाम करने वाले नशेड़ियो को बचाना या इलाज करना मुश्किल है | तभी तो इनका इलाज हजारो साल बाद भी अबतक ऐसा बेहत्तर हालात नही बन पाया है कि इनके द्वारा गुलाम करके किए जा रहे अन्याय अत्याचार से पुरी तरह आजादी मिल सके |
वर्तमान की चाहे भाजपा सरकार हो या फिर इससे पहले की कांग्रेस सरकार हो , दोनो के ही कार्यकाल में यह देश गुलाम ही रहा है
जिनके द्वारा गुलाम करके शासन करने पर इस देश की हालत कितना बुरा रहा है , इसके बारे में खुद भाजपा कांग्रेस ही एक दुसरे के द्वारा किए गए बड़े बड़े कुकर्मो के बारे में हर रोज पोल खोलते रहते हैं | जो एक दुसरे की पोल खोलकर एक दुसरे को नंगा करते समय दोनो के ही समय की सत्ता कार्यकाल के दौरान हुए बड़े बड़े घोटाला जैसे कुकर्मो को उजागर कर रहे होते हैं | जैसे की अभी की भाजपा सरकार के बारे में कांग्रेस जितना भी भाजपा के द्वारा किए गए कुकर्मो के बारे में बहस करती है तो वह कुकर्म खुद कांग्रेस सरकार के समय का कार्यकाल में भी लागू होती है | क्योंकि यदि सचमुच में चुनाव परिणाम सही होता है जो कि मैं इस गुलामी काल में नही मानता , तो भी सही मानने वालो की मानकर ही पिछला रिकॉर्ड यदि देखा जाय तो कांग्रेस कार्यकाल में भी इतने सारे बड़े बड़े घोटाला जैसे कुकर्म होते रहे हैं की उसकी अंबार को देखते हुए भारी बहुमत से कांग्रेस के विरोध में वोट पड़कर भाजपा सरकार को चुना गया था | कांग्रेस के खिलाफ भी भारी विरोध प्रदर्शन और भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन हुए थे | अन्ना आंदोलन और रामदेव आंदोलन किस कांग्रेस या भाजपा नेता को याद नही है , जब कांग्रेस की सरकार थी और लोग भाड़ी तादार में कांग्रेस के खिलाफ सड़को पर उतरते थे | क्योंकि कांग्रेस भी भ्रष्टाचार में डुबी हुई थी , और उसके कार्यकाल में भी गरिबी भुखमरी बेरोजगारी और महंगाई चर्मशीमा में थी | जो की अब इस तरह के मुद्दो में भाजपा सरकार के खिलाफ भारी तादार में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं | क्योंकि भाजपा भी कुकर्मी निकला , जिसके बारे में लंबे समय तक कुकर्म करने वाली कांग्रेस खुद हर रोज पोल खोलते रहती है यह सोचकर की भाजपा को कुकर्मी मानकर कांग्रेस को फिर से लंबे समय तक कुकर्म करने का मौका मिल जाएगा | जो मुमकिन भी है , क्योंकि यह देश गुलाम है , और गुलामी में गुलाम करने वाले ही सत्ता का गलत उपयोग करके सत्ता पर अदला बदली बने रहते हैं | चाहे भाजपा रुप में बने रहें या फिर कांग्रेस रुप में , दोनो पार्टी ही गुलाम करने वालो द्वारा नेतृत्व होता है | भले ये दोनो पार्टी खुदको सबसे बड़ा विरोधी कहते हैं , पर ये दोनो पार्टी दरसल एक दुसरे के पूरक ऐसी पार्टी है , जिसे गुलामो को भ्रमित करने के लिए एक ही गुलाम करने वाले लोगो द्वारा दो पार्टी के रुप में बनाया गया है | जिनमे से चाहे जो भी पार्टी सत्ता पर बैठी हो दोनो का ही राज इस देश में कायम है | और दोनो ही तबतक बड़े बड़े कुकर्म और भ्रष्टाचार करके सुरक्षित हैं , जबतक की इन दोनो पार्टियो के हाथ में इस देश की सत्ता रहेगी | या कहो जबतक यह देश इनसे गुलाम रहेगा | जिस गुलामी में इस देश के मुलनिवासियो का शोषण अत्याचार होते रहना जारी रहेगा और इस देश में अति गरिबी भुखमरी बेरोजगारी जैसे मुल समस्या कायम रहेगी | क्योंकि गुलाम करने वालो के शासन में गुलाम करने वाले खुदके बारे में गहराई से सोचते हैं की कैसे उनकी सत्ता हमेशा बरकरार रहे और कैसे उन्हे देश का धन संपदा से विशेष लाभ मिलते रहे | जैसे की कभी गोरे भी सोचते थे जब उनके द्वारा यह देश गुलाम था | अभी सत्ता में बैठे गुलाम करने वाले तो गोरो से भी पहले से अथवा हजारो सालो से यह सोचते आ रहे हैं | जिनसे इस देश को पुरी आजादी मिलेगी तब यह देश फिर से खुदको सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु के रुप में अपडेट करेगा | जो की अँगुठा और जीभ काटने वाले गुरुघंटालो की हाथ में इस देश की सत्ता होकर कभी नही विश्वगुरु अपडेट हो सकता | और न ही बाहर से आकर इस देश को गुलाम करके दुसरे का हक अधिकार को लुटने वालो के द्वारा यह देश सोने की चिड़ियाँ के रुप में अपडेट हो सकता है |
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