Dirty politics has also started in the death of singer Lata Mangeshkar
गायिका लता मंगेशकर की मौत पर भी गंदी राजनीति शुरू हो गई है
गायिका लता मंगेशकर की मौत पर भी गंदी राजनीति शुरु हो गई है | इस तरह का गंदी राजनीति वे लोग करते हैं , जो खास मौका मिलने पर भी अपने कथनी करनी से तो जनता को खुश करके वोट नही बटोर पाते हैं , पर मोह माया का इस्तेमाल करके जनता का वोट जरुर बार बार बटोरते हैं | जबकि गायिका लता मंगेशकर की मौत पर सबसे अधिक दुःख इस बात से भी बहुतो को हो रहा होगा कि उसकी मौत पर भी गंदी राजनिती सुरु हो गयी है | जैसे की कभी श्रीदेवी की मौत पर भी हुआ था | लंबे समय से इलाज कराते हुए लता मंगेशकर किसी अस्पताल में जीवन संघर्ष जब कर रही थी , उस समय के तो बुरे हालात के बारे में तो ये गंदी राजनिती करने वाले लोग उसकी इलाज में खास इंतजाम या खास मदत करने या विशेष ध्यान देने पर कभी नही चर्चा भी नही किए होंगे | जो अब उसकी गाना सुना सुनाकर अपनी राजनिती रोटी सेकने का काम कर रहे हैं | क्योंकि ऐसे लोग ऐसे ही तो करते आ रहे हैं | गायिका लता मंगेशकर कब मरेगी इस इंतजार में भी पहले से ही गिद्ध की तरह जरुर नजर गड़ाए होंगे ! ताकि वह चर्चित गायिका होने की वजह से जो पुरे देश दुनियाँ में उसे करोड़ो लोग जानते और सुनते हैं , उन्हे गायिका लता मंगेशकर की मौत की खबर के बहाने लता की जिन्दा आवाज से अपनी वह आवाज पहूँचा सके जिससे की उन्हे भारी लाभ लेना है | बल्कि मुझे तो शंका है कि जितने भी चर्चित लोग मर रहे हैं , उनमे से ज्यादेतर को किसी न किसी रुप में गंदी राजनीति करने वाले उनकी मौत को भी इस्तेमाल करते आ रहे हैं ! हलांकि गंदी सोच से गंदा इस्तेमाल थोड़े समय के लिए होता है , पर सबसे खराब तो यह है कि एक किसी चर्चित हस्ती की मौत का गलत इस्तेमाल होने के बाद मामला ठंडा पड़ जाने के पर किसी दुसरी चर्चित हस्ती की मौत में इस्तेमाल सुरु हो जाता है | ताकि मोह माया इमोशनली हालात का जनता से विशेष लाभ लिया जा सके ! साथ साथ जनता का ध्यान मुल मुद्दो से भटकाया भी जा सके | बल्कि मुझे तो यह भी शंका है कि किसी चर्चित हस्ती को समय आने पर जानबुझकर भी मरने के लिए उसकी जिवन पर विशेष समय आने पर बुरा हालात पैदा करके मानो धिमी जहर देकर उसके मरने के लिए इंतजार करते हैं वे लोग जो उनकी मौत का गलत इस्तेमाल करके विशेष लाभ लेने की प्लानिंग पहले से ही करके रखे होते हैं | जैसे की हो सकता है इस समय खास चुनाव की हालात को देखते हुए किसी चर्चित हस्ती की मौत पर गंदी राजनीति करने वालो द्वारा गायिका लता मंगेशकर की जिवन में खास कमी या रुकावट करके उसके मरने का इंतजार पहले से ही प्लानिंग करके किया जा रहा हो ! ताकि उसके मरने के बाद पहले से तैयार मोह माया इमोशनल हालात का खास फायदा उठाने का मौका मिल सके ! जो बिल्कुल मुमकिन भी है , क्योंकि कहीं पर जानकारी देख सुन रहा था की गायिका लता मंगेशकर को पहले भी धीमा जहर तक देकर मारने की कोशिष हो चूकि थी | पर गायिका लता मंगेशकर तब बच गयी थी | खैर मामला जो भी हो पर गायिका लता मंगेशकर की मौत कितना दुःखद है , यह तो वे लोग ही सबसे बेहत्तर समझ बुझ सकते हैं जो उनकी सैकड़ो हजारो गाना पसंद करके सुने और सुनते रहते हैं , और साथ में उनके जैसा हुनरमंद हैं , व उनके साथ काम करने वाले भी बेहत्तर समझ सकते हैं | कहीं पर सुन देख रहा था कि गायिका लता मंगेशकर को अपनी मौत के बारे में पहले ही पता चल गया था , जिसे जानकर वह मरने से पहले अंतिम बातचीत करते समय यह चिंता जाहिर कर रही थी कि उसके मरने के बाद उसे भी तो लोग कहीं भुल नही जाएंगे | ऐसा उसे चिंता क्यों हुआ , जबकि वह देश की इतनी बड़ी और इतनी चर्चित गयिका थी | सायद इसलिए क्योंकि इतिहास में जहाँ तक मुझे याद है , तानसेन जैसे गायकारो को छोड़कर सायद ही किसी और को दुनियाँ में सैकड़ो सालो तक खाश याद किया जाता रहा है | बाकि गायिका या गायकार इतिहास में और कितने ऐसे याद किए जाते हैं ? हो सकता है गायिका लता मंगेशकर को भी यही चिंता हो रहा हो कि कहीं उसे भी भविष्य में लोग एक दो पीड़ि के बाद भुलने न लगेंगे | जैसे की बाकियो को भी भुलने लगे हैं उनके मरने के बाद | हलांकि लोग इस तरह के चर्चित गायिका या गायकार को उनकी रोजमरा जीवन की पहचान से भले ऐसे खास याद नही रखते की उन्हे कभी भुला ही नही पाएं , पर उनकी खास आवाज की पहचान से लंबे समय तक जरुर खास याद करते हैं | हलांकि हो सकता है हजार साल बाद लोग क्या पता अभी का गाना सुनना या याद करना भी पसंद करेंगे भी की नही ! क्योंकि सौ साल भी अभी चर्चित गायकार शहगल के मरे हुए नही हुआ है , तब भी कितने लोग अब उसका गाना सुनते और डाउनलोड करते हैं ? और जब सौ साल बाद इतना बदलाव आ जाता है किसी चर्चित गायकार या गायिका का गाना सुनने पर तो हजार साल बाद तो पता नही अभी मौजुद किसी चर्चित गायक या गायिका का सारा गाना एक प्रतिशत लोगो द्वारा भी सुनी जाएगी की नही सुनी जाएगी |
" जरा आँख में भर लो पानी "
मुमकिन है लता मंगेशकर के मरने के बाद उसकी अब भी जिन्दा आवाज में एक गाना " जरा आँख में भर लो पानी " सुना सुनाकर अपना विशेष लाभ लेने की तैयारी कई गंदे मांशिकता वाले लोग कर रहे होंगे | जो गाना खतरे में पड़ी थी आजादी बतलाते हुए देश के बॉर्डर में होनेवाली लड़ाई में कुर्बानी देनेवाले वीर सैनिको के लिए गाया गया था | जिस तरह का वीर कुर्बानी देनेवाले लोगो में मैं इस गुलामीकाल में गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो को भी मानता हूँ | जिनकी कुर्बानी में भी तब इस तरह का गाना जरुर बजना चाहिए जब यह देश पुरी तरह से आजाद हो जाएगा उन गुलाम करने वाले बाहर से आए विदेशी मुल के लोगो से जिनकी वजह से यह सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले धन संपदा से भरपुर कृषि प्रधान देश में भी लाखो करोड़ो लोग गरिबी भुखमरी से अबतक मारे जा चुके हैं | और हर रोज गरिबी भुखमरी से अब भी मर रहे हैं | क्योंकि देश का बॉर्डर खतरे में पड़कर आजादी खतरे में तो पड़ जाती है , पर जब पुरा देश ही गुलामकाल में सफर कर रहा हो तो देश का बॉर्डर ही नही बल्कि देश के अंदर भी उससे बड़ा खतरा मंडरा रहा होता है | जिस गुलामकाल के दौरान देश का बॉर्डर में देश के वीर सैनिक पहरा दे रहे होते हैं , और अंदर गुलाम करने वाले अन्याय अत्याचार शासन कर रहे होते हैं | जिनके शासन में बाहर से अंदर घुसकर गुलाम करने वालो के द्वारा आजाद भारत का संविधान लागू के दौरान भी देश के अंदर अन्याय अत्याचार खुलेआम होना जारी रहता है | जिस गुलामीकाल के दौरान अन्याय अत्याचार और गरिबी भुखमरी से हर रोज मरने वालो की मौत में न तो अंदर संसद में भी कोई खास बहस होती है , और न ही मीडिया में कोई खास खबरे चलती है | दिनभर देखो सुनो और पढ़ो तो ज्यादेतर तो कुकूरमुतो की तरह वही बहस और खबर चलती रहती है , जिससे की बहुसंख्यक जनता को यह ब्रेनवाश किया जा रहा होता है की कांग्रेस भाजपा बहस देख सुन पढ़कर अपना मन बनाकर या तो भाजपा को वोट देना या फिर कांग्रेस को ! यह नही बतलाया जाता कि यही दोनो पार्टी तो इस गुलामकाल में अपनी दबदबा केन्द्र और राज्यो में भी सबसे अधिक शासन करके आधुनिक शाईनिंग डीजीटल बीपीएल कार्ड भी करोड़ो बनाकर उससे भी ज्यादे लोगो को गरिबी भुखमरी जीवन जिते हुए दिन रात देखकर विशेष इतिहास रच रही है | बाकियो को तो एकबार भी भारी बहुमत से स्थिर सरकार चलाने का मौका नही मिला है | जिन्हे पहले भारी बहुमत से मौका मिले तभी तो यह भी कहा जा सकता है की इस गुलामीकाल में बाकि भी गरिबी भुखमरी दुर करने में खास ध्यान नही दे रहे हैं | हलांकि किसी क्रांतीकारी पार्टी या इंसान को यदि विशेष पावरफुल पदो पर बैठने का मौका मिले तो वह थोड़े समय में भी बहुत बड़ा क्रांतीकारी परिवर्तन अन्याय अत्याचार और गरिबी भुखमरी समाप्त करने में क्रांतीकारी परिवर्तन ला सकता है | जो की अबतक आजाद भारत का संविधान लागू होते हुए भी नही आया है | खैर दुसरो का तो पता नही पर मुझे यदि एक महिने का भी मौका मिले तो एक एक अमिरो को विशेष DNA रिस्ता निभाते हुए तो इस समय की सरकार हजारो करोड़ भी दे रही है , पर बाकि सभी एक एक नागरिक को हजारो करोड़ तो नही पर सबकी गरिबी भुखमरी दुर हो जाए इसके लिए एक एक बाकि सभी नागरिक को देश की धन संपदा से इतना मोल का तो उनकी जरुरत का जरुर देकर मैं साबित कर सकता हूँ कि मन में यदि सोच हो तो गरिबी भुखमरी से मौते होनेवाले बुरे हालात कम से कम इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले धन संपदा से संपन्न देश में तो एक महिने में भी समाप्त किया जा सकता है | पर अभी की सरकार अमिर छोड़कर बाकियो को क्या इतना भी मोल का साथ दे पा रही है कि बीपीएल जीवन भी गरिबी जीवन में तब्दील हो जाए ? यदि जानकारी सच है तो कहीं पर जानकारी बांटी गई है कि गुलामकाल में चल रही सरकार भले एक एक धन्ना कुबेरो में भी पाँच दस हजार करोड़ लुटा देती है , पर प्रत्येक गरिब में अपना बजट अनुसार पाँच दस हजार से ज्यादे खर्च नही करती है | जिस पाँच दस हजार में भी खुद कांग्रेस का ही एक भुतपूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार जो खर्च जनता पर करती है , उससे सौ में पच्चीस पैसा ही जनता तक पहूँच पाती है | यानी यदि इस गुलामकाल में चल रही सरकार पाँच दस हजार रुपये प्रत्येक गरिब पर खर्च करने का बजट बनाती है , तो भी एक डेड़ या दो ढाई हजार ही किसी गरिब में खर्च हो रही है | जिसे की उसकी गरिबी भुखमरी दुर करने या उसका विकाश करने के लिए विशेष योजना बनाकर खर्च किया जा रहा है | जबकि धन्ना कुबेरो में तो कोई विशेष योजना भी नही बनती है , तो भी उन्हे सरकार हजारो करोड़ की विशेष छूट और विशेष माफी के रुप में देकर हर साल देश का धन लाखो करोड़ एक झटके में खर्च किया जा रहा है | यू ही नही गुलामीकाल चल रहा है | जबकि यदि कोई देश परिवार धन संपदा से अमिर हो और कोई अभिभावक सरकार देश परिवार की धन संपदा से खुद अमिरी जीवन जी रहा हो , तो उसका मन चाहे तो कभी भी बाकि सभी सदस्यो को भी गरिबी भुखमरी मुक्त कर सकता है | कम से कम वह इतना तो जरुर कर ही सकता है कि देश परिवार के पैसे से जो वह अति रहिसी जीवन जी रहा होता है , उससे कम ही सही पर परिवार के किसी भी सदस्य को गरिबी भुखमरी से तो नही मरने देगा यदि वह ऐसा सोच रखता हो कि उसके देश परिवार में कोई गरिबी भुखमरी से न मरे ! जिस तरह की सोच भाजपा कांग्रेस इस धन संपदा से संपन्न देश परिवार का अभिभावक भारी बहुमत से भी बनकर आजतक तो कभी सोचे ही नही हैं | तभी तो इनके द्वारा सरकार चलाते समय एक तरफ तो हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत जारी रहती है , और दुसरी तरफ खुदके लिए देश का धन संपदा को खर्च करके गाड़ी बंगला जैसे सुख सुविधाओ पर नया आधुनिक शाईनिंग डीजिटल खर्च अपडेट करना जारी है | क्योंकि इनकी सोच में ही गंदगी है | ये कभी इस देश को अपना परिवार की तरह समझे ही नही ! सिर्फ देश हित सबसे पहले कह कहकर सत्ता में बैठते रहे | कभी कांग्रेस गरिबी हटाओ की बाते करके लंबे समय तक केन्द्र और सबसे अधिक राज्यो में भी बैठी रही और अब भाजपा भी सिर्फ बैठी हुई है | दोनो ही पार्टी सत्ता में बैठकर गरिबी भुखमरी तो दुर कर नही सकती है , पर फिर भी आधुनिक शाईनिंग डीजिटल इंडीया की बाते करके ऐसे भारी बहुमत से ए दोनो आती रही है सत्ता में , जैसे मानो बीपीएल कार्ड को आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश कर देने भर से देश में शाईनिंग डीजिटल विकाश हो जाएगा | जिन दोनो पार्टियो को तो जब कभी भी इनका विदेश दौरा होता है आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश को लेकर तो इनके साथ करोड़ो लोगो की बीपीएल कार्ड और अबतक गरिबी भुखमरी से हुई मौतो की लिस्ट पकड़वाकर भेजना चाहिए | जिसे ये विदेश दौरा करते समय किसी वीजा कार्ड की तरह दिखाकर विदेशियो को ये बतलाते फिरे की उनके शासन में यह देश कितना अधिक तरक्की और विकाश किया है | हलांकि कभी भी ये दोनो ऐसी जानकारी पकड़कर तो विदेश यात्रा में नही जाते हैं , पर फिर भी जानने वाले दुनियाँ के किसी भी कोने से जरुर जान सकते हैं की गोरो से आजादी मिलने के बाद से लेकर अबतक इस देश में आजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी जो गुलामकाल चल रहा है उसमे इस देश की हालत कैसी है ? थोड़ा बहुत विकाश तो गुलामी के समय भी होता है , जैसे की इस देश में गोरो की भी जब सत्ता थी तो बहुत से ऐसे विकाश का काम हुए हैं , जिसे देश में आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश से कम नही कहा जाता है | जैसे की एक छोटा उदाहरन में गोरो ने अपने शासन के दौरान इस देश में रेल और टेलीफोन की सुरुवात किया था | और भविष्य में भी जिसदिन इस देश को पुरी आजादी मिलेगी उसदिन यह जरुर उदाहरन दिया जा सकता है की गोरो के जाने के बाद अधुरी आजादी मिलकर वर्तमान में भी जो गुलामकाल के दौरान सरकार चल रही है , वह भी इस देश में बहुत से ऐसे आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल विकाश कार्य कर रही थी | जैसे की इस देश में कलर टी०वी० , कम्प्यूटर , 2G 4G 5G की सुरुवात वगैरा कर रही थी | इसका मतलब यह बिल्कुल नही यह विचार किया जा सकता है की गुलामीकाल में चूँकि इस तरह का आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश होता रहा है , इसलिए आजादी से अच्छा हमेशा गुलामी में ही देश को छोड़कर गुलामी जीवन ही जीते रहना चाहिए | जिस तरह का विचार तो गुलाम करने वाले लोग अक्सर करते रहते हैं | जो अपने गुलामो को यह समझाते रहते हैं की इसी तरह गुलामी करते रहो हम सबका आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश करते रहेंगे | जैसे की हर चुनाव में भाजपा कांग्रेस यह कहती रहती है की उसकी सरकार बनेगी तो ही देश बचेगा | जबकि यह देश तब से ही बचा हुआ है , जब इस देश में न तो भाजपा कांग्रेस पैदा हुई थी , और न ही इस देश के पिच्छे से गोरे जैसे कई लुटेरे पैदा हुए थे | इतिहास रहा है कि इस देश को खत्म करने वाले खुद खत्म हो गए , और जोअब भी इस देश को खत्म करने की सपने देखते रहते हैं , वे भी खत्म हो जाएंगे पर यह देश कभी खत्म नही होगा चाहे क्यों न भविष्य में भी जब इस देश को पुरी आजादी मिलेगी तो भी इस देश को लुटने और गुलाम करने वाले कितने ही विदेशी आते रहेंगे | और यदि कोई इस सत्य को झुठ साबित करने के लिए इस देश को खत्म करने के लिए अभी भी लगा हुआ है , तो वह और उसका पुरा DNA वंश ही समाप्त हो जाएगा यह श्राप उसे इस देश से मिलेगा ! यू ही नही इस देश में आनेवाले बड़े बड़े हमलावर पुरी दुनियाँ को तो मानो समाप्त करने निकले , पर इस देश को समाप्त करने के लिए टच करते ही खुद ही साप्त हो गए | जैसे की शैतान सिकंदर समाप्त हुआ , जो किसी गुरुघंटाल से महान बनने का शैतानी दिमाक प्राप्त करके पुरी दुनियाँ को जीतने निकला था | जो इस देश की राजधानी को जीतने से पहले ही इतना पिटाई खाया और उसे श्राप भी मिला की वापस लौटकर भरी जवानी में समाप्त हो गया |
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