संदेश

2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत india चुनाव 2024

  भारत india चुनाव 2024 भारत इंडिया चुनाव में मनुवादि भाजपा गठबंधन भारत या मनुवादि कांग्रेस गठबंधन इंडिया किसे चुना जाय , या फिर मनुवादि गुलाम भारत या अंग्रेज गुलाम इंडिया चुना जाय ? मेरे विचार से तो गुलाम करने वाले मनुवादि और गुलाम करने वाले अंग्रेज से पुरी आजादी पाने के बजाय यदि किसी गुलाम करने वाले को ही फिर से गुलाम होने के लिये चुनना है, तो गुलाम भारत इंडिया चुनाव में भाजपा या कांग्रेस को एकतरफा सिर्फ एक गुलाम करने वाले को ही वोट करने के बजाय मनुवादि और अंग्रेज दोनो को उम्मिदवार बनाकर वोट करनी चाहिए,क्योंकि यदि गुलाम करने वाले को ही वोट करना है तो फिर एकतरफा कांग्रेस भाजपा को ही क्यों अंग्रेज को भी चुनावी उम्मीदवार बनाकर पक्ष विपक्ष वोट होने से चुनाव का परिणाम भी दो गुलाम करने वालो में मनुवादि या फिर अंग्रेज इन दोनो में कौन कम हानिकारक और कम खतरनाक है यह चुना जा सकेगा गुलाम बनाने वालो को ही सत्ता में बैठाने के लिए !   जिस चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल का बयान आया की उप

Only such people are called real professional Randa Randi! whether they do sex for money or for free

Only such people are called real professional Randa Randi! whether they do sex for money or for free ऐसे लोगों को ही असली पेशेवर रंडा रंडी कहा जाता है! चाहे वे पैसे के लिए सेक्स करें या मुफ्त में सच्चा प्यार के बारे में मेरा विचार पहले भी बता चूका हूँ कि "प्यार जुठन पत्तल में किया गया भोजन नही जिसमे कुत्ते कुत्तिया पलते हो , बल्कि प्रेम वह प्रसाद है जिसे हमेशा पवित्र रखा जाता है अपने जीवन साथी के लिए ! " जिसमे प्रसाद मैने मुलता किसे कहा है हर सच्चा प्रेमी को पता है ! जिसने भी सिर्फ अपने सच्चे प्यार के सिवा किसी और को अपना शरिर नही सौंपा है वही सच्चा प्यार है ! क्योंकि मेरा यह मानना है कि किसी से प्यार होने का सबसे बड़ा कारन किसी के साथ शारिरिक सुख भोगने के लिए अपनी मन पसंद का चुनाव करना होता है | जिसके साथ कोई प्यार करके शारिरिक रिस्ता बनाना चाहता है ! जिस विचार को मैं सत्य के तराजू में तौलकर बतला रहा हूँ , न की यह कह रहा हूँ कि सभी प्यार अपनी पसंद के साथ शारिरिक सुख भोगने के लिए ही होता है ! पर ज्यादेतर प्यार अपनी मन पसंद का चुनाव करके उसके साथ सेक्स करने के लिए ही होता है !

पैसे के लिए खुदको निच अथवा भ्रष्ट मत बनाओ

पैसे के लिए खुदको निच अथवा भ्रष्ट मत बनाओ पैसा तो रण्डा रण्डी भी कमा लेते हैं , सत्य इमानदारी अथवा इंसानियत कमाना सबसे बड़ी कमाई है ! इसलिए इंसान को पैसा को ज्यादे महत्व तबतक देना चाहिए ,जबतक कि उसके पास इतना न हो जाय की उससे खुदका भी पेट भर जाय और कोई घर आया मेहमान भी भुखा वापस न लौटे ! लेकिन जो लोग पैसा को इंसानियत और सत्य से भी ज्यादे महत्व देते हैं , उन्ही लोगो के चलते ही तो आज पुरी दुनियाँ में इतनी गरिबी भुखमरी है , और हर रोज पुरी दुनियाँ में गरिबी भुखमरी की वजह से हजारो लोग मर रहे हैं , और ये लोग अपने गांड़ के निचे पैसो का अंबार लगाकर दिन रात महंगे महंगे भोग विलास और झुठी शान में डुबे रहते हैं ! जिसमे बड़ौतरी होता रहे इसके लिये ही तो ये लोग झुठ बोलना ही नही न जाने क्या क्या नही करते हैं ! मसलन अभिनेता अमिताभ को ही ले लिया जाय जिसे मैं नायक नही मानता और न ही असल में भी अभिनेता का मतलब नायक होता है इतनी तो कम पढ़े लिखे लोगो को भी पता रहता है ! फिर भी न जाने कौन सी महानायक वाला सत्यकर्म देखकर अभिनेता अमिताभ को सदी का महानायक जैसे पुरुस्कार दे दिया गया ! जबकि दुनियाँ का सबसे बड़ा घोट

मनुवादि हिंदू नही है

मनुवादि हिंदू नही है  मनुवादि हिंदू नही है , उसके अंदर यहूदी dna है साबित हो चूका है ! जो हिंदू कब बने ? दरसल यूरेशिया से आये मनुवादियो ने इस देश को गुलाम करके इस देश के वेद पुराणो में भी कब्जा करके उसके साथ छेड़छाड़ करके अपना संविधान मनुस्मृति की रचना करके खुदको उच्च और इस देश के मुलनिवासियो को जिसे की उन्होने घर के भेदियो की सहायता से गुलाम बनाया उसे निच शूद्र अधम घोषित किया हुआ है , जो की स्वभाविक भी है | क्योंकि जो भी अविकसित इंसान जिसके अंदर इंसानियत का विकाश अबतक भी न होकर अब भी उसके अंदर खुंखार जानवर चोर लुटेरा कबिला  सोच कायम है , वह जब भी किसी को गुलाम बनाता है तो खुदको उच्च और अपने गुलामो को निच शूद्र अधम मानता ही है ! जैसे की गोरे भी अपने गुलामो को अपने से निचे मानते थे , तभी तो उन्होने खुदको उच्च जाति का कहने वाले गाँधी को भी निच समझकर लात मारकर रेल से बाहर फैंक दिया था , जब गाँधी गोरो के साथ सफर करने के लिए रेल में चहड़ा था ! जाहिर है गोरो के लिए चूँकि गाँधी भी उस समय एक गुलाम ही था , इसलिए गाँधी भी गोरो से निचे अथवा निच ही था जिसे अपने जैसा उच्च कभी नही मान सकते थे गोरे !

क्या मतलब है " ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी "

क्या मतलब है " ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी " जबतक मनुवादि अपनी गलती स्वीकार नही करेगा इसी तरह ही झुठी शान में डुबा रहेगा कि वह पुरी दुनियाँ में उच्च है , वह कैसे हो सकता है उसी नारी के योनी से पैदा होनेवाला शैतान सोचवाला ऐसा इंसान जिसे उनके मुताबिक ताड़न की जरुरत नही है यदि ताड़न का मतलब देखना होता है मान भी लिया जाय ! क्योंकि दुःखी तो सिर्फ नारी शूद्र और पशु होते हैं ये मनुवादि नही जो कि खुदको भगवान तक भी मानते रहे हैं ! जैसे उस राम को भगवान माना जाता है जिसके रामराज में प्रवेश के लिये सीता से जीते जी अग्नि परीक्षा लीया गया और रामराज में ही उसके साथ ऐसी ऐसी दुःखभरी घटना हुई की सीता जीते जी रोते हुए धरती में समा गयी और राजा राम भी प्रजा शंभूक के साथ भारी भेदभाव अन्याय अत्याचार बल्कि सिर्फ ज्ञान लेने पर उसकी हत्या करके खुद भी अपने रामराज से इतना दुःखी हुआ की जीते जी सरयू नदी में डूब गया ! ऐसा था रामराज जिसे दुनियाँ का कोई भी देश पसंद नही करेगा ! और करेगा तो उसे भी राम की तरह सरयू नदी में जीते जी डूबकर अपनी रामलीला समाप्त करना होगा ! अभी जो रामलीला हर सा