In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira. पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं। pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
प्रचार
शनिवार, 8 फ़रवरी 2025
The chains of slavery
बुधवार, 22 जनवरी 2025
गोरो की गुलामी में भी दलित अंबेडकर ने देश विदेश में उच्च शिक्षा की कई डिग्री प्राप्त किया था
गोरो की गुलामी में भी दलित अंबेडकर ने देश विदेश में उच्च शिक्षा की कई डिग्री प्राप्त किया था
रतन लाल को क्या अंबेडकर से ज्यादे उच्च शिक्षा लेने का मौका मिला है, जो अपने भाषण में यह साबित करने की कोशिष कर रहा है कि गोरो से यह देश आजाद होने के बाद कांग्रेस सत्ता में सब मुलनिवासि अब देश विदेश में उच्च शिक्षा लेते हुए पढ़ लिख रहा हैं। जबकि मुल रुप से कांग्रेस सत्ता से ही दरसल मनुवादियों का गुलाम रामराज कायम हो गया है। जिस गुलाम रामराज में जो भी मुलनिवासि पढ़ लिख रहा है सब कांग्रेस अथवा मनुवादियों की देन नही बल्कि स्कूल कॉलेज वगैरा की देन है, जो की गोरो की गुलामी के समय में भी मौजुद थे। जिसे कांग्रेस की देन साबित करने की कोशिष करते हुए रतनलाल चमचा चमचा जो रटा मार रहा है, असल में वह खुद कांग्रेस का चमचा बनकर जीवन जिने का उस रास्ता को अपना लिया है, जिसे जब यह देश मनुवादियों से पुरी तरह से आजाद होगा तो ऐसे चमचो को जो चाहे कांग्रेस का दामन थामकर चमचई कर रहे हो या फिर भाजपा का दामन थामकर चमचई कर रहे हो, उन सबका इतिहास घर का भेदियों के रुप में भी दर्ज होगा। क्योंकि सच्चाई यह है कि गोरो से आजादी मिलने के बाद यह देश मनुवादियों द्वारा फिर से गुलाम हो गया है, जिस गुलाम शासन कायम करने में जो भी मुलनिवासि गुलाम करने वाले मनुवादियों का साथ देगा अपडेट गुलाम रामराज कायम करने में उसका नाम घर के भेदि के रुप में दर्ज होगा। और जिसे यकिन नही है कि यह देश मनुवादियों से फिर गुलाम हो गया है, वह निचे मौजुद लोकसभा पूर्व उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 देख पढ़कर गुलामी के बारे में साक्षात जानकारी प्राप्त कर ले,जो जानकारी वैसे तो रतनलाल को पहले से ही अच्छी तरह से मालुम होगा ही, तो भी वह कांग्रेस का दामन थामकर चमचा चमचा कैसे कर रहा है यह जानते हुए की चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनो ही मनुवादियों की पार्टी है।
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमेब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं!जिसे जानकर कौन से मुलनिवासी को यह यकिन नही होगा कि यह देश मनुवादियों से फिर गुलाम हो गया है!
Rss प्रमुख मोहन भागवत के लिए रामराज आजादी है
Rss प्रमुख मोहन भागवत के लिए रामराज आजादी है
Rss प्रमुख मोहन भागवत के लिए रामराज आजादी है तो इस देश के शंभुक मुलनिवासियों के लिए रामराज गुलामी है जो की 1947 ई. में ही अपडेट गुलाम रामराज कायम हो गया है। क्योंकि इस देश की सत्ता विदेशी मुल के गोरे अंग्रेजो के हाथो से जाने के बाद विदेशी मुल के मनुवादियों के हाथो वापस आ गया है। इस देश के साथ साथ अंबेडकर द्वारा लिखा गया भारत का संविधान भी मनुवादियों के कब्जे में है। बल्कि इस देश का हिंदू धर्म और हिंदू धर्म ग्रंथ भी मनुवादियों के कब्जे में है। मनुवादि हिंदू नही है बल्कि हिंदू नकाब लगाये हुए है। और न ही राम हिंदू भगवान है। बल्कि राम तो इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम करने वाला वह मनुवादि राजा था जो की खुदको भगवान कहकर अपनी पूजा कराता था, जिसे अपना आदर्श और पूर्वज ये मनुवादि मानते हैं। जो मनुवादि इतने विकृत मांशिकता के हैं कि वे आजाद भारत का संविधान का भी शपथ लेकर इस देश में अपडेट गुलाम रामराज कायम किए हुए हैं। संविधान क्या गुलाम करना और उच्च निच जाति भेदभाव करने के लिए बतलाया है? क्या जो कि खुदको जन्म से ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य उच्च जाति आज भी भेदभाव करते हैं इस देश के मुलनिवासियों को निच जाति कहकर, जबकि हिंदू धर्म में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र यह सब वर्ण व्यवस्था है जो कि जन्म पर नही बल्कि कर्म पर आधारित है, जैसे कि न्यायपालिका विधायिका कार्यपालिका कर्म पर आधारित है। जिसमे अपने कर्म अथवा हुनर के आधार पर चयन करने की प्रक्रिया है न की जन्म पर, जो जिस तरह जाति नही है उसी तरह ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र भी कोई जाति नही बल्कि कर्म पर आधारित वर्ण है। जाति तो हम इंसानो की इंसान ही जाती है जैसे की हाथी गाय कुत्ता बिल्ली वगैरा जाति है जो कि एक जाति दुसरे जाति से संभोग करके बच्चा पैदा नही कर सकता जैसे की गाय और शेर के संभोग से बच्चा पैदा नही हो सकता। और न ही कोई इंसान जाति खुदको शेर कहकर शेरनी से संभोग करके बच्चा पैदा करा सकता है। उसी तरह कोई भी जाति का प्राणी दुसरे जाति के प्राणी से संभोग करके बच्चा पैदा नही कर सकता है, क्योंकि यह अप्रकृति है जिसे हिंदू धर्म में अधर्म कहा जाता है। क्योंकि हिंदू धर्म में विज्ञान प्रमाणित सत्य साक्षात प्रकृति की पूजा भगवान की पूजा है न कि हिंदू भगवान पूजा किसी अप्रकृति की पूजा है। अप्रकृति की पूजा हिंदू धर्म में अधर्म है, जिसका होना मतलब धर्म का खतरे में पड़ना है, जैसे की यदि यदि गाय से इंसान पैदा हो जाएगा तो धर्म खतरे में पड़ जाएगा अथवा अप्रकृति अधर्म हो जाएगा, जो होने पर हिंदू धर्म में यह कहा गया है कि जब जब धर्म को खतरा होगा तो भगवान अथवा प्रकृति अवतरित होकर अधर्म का विनास करके धर्म को वापस स्थापित करता है। जिसे इस उदाहरन से समझा जा सकता है कि यदि कोई शासक जिसका कार्य प्रजा की सेवा सुरक्षा देश की सुरक्षा करना होता है जो कि यदि वह न करके प्रजा और देश को गुलाम करता है तो यह धर्म को खतरा होकर भगवान अवतरित होकर अथवा प्रकृति गुलामी का विनास करके आजादी लाता है जैसे की गोरो ने जब गुलाम करने जैसा अधर्म किया तो उसका विनास होकर गोरो से आजादी कायम हुआ उसी तरह मनुवादि भी अपडेट गुलाम रामराज जैसे अधर्म कर रहा है तो उस गुलामी का विनास होकर धर्म की स्थापना पापस कायम होगी अथवा आजादी कायम होगी यहा असली धर्म है। जिसे हिंदू धर्म में करमा धरमा अथवा कर्मा धर्मा अथवा कर्म ही धर्म है कहा जाता है। जो ज्ञान कोई नही बांटेगा इस समय की कलयुग गुलामी में जो कि वही बांटेगा जिसे प्रकृति भगवान इस प्रकृति प्रमाणित सत्य को बांटने भेजा है।
बुधवार, 15 जनवरी 2025
ek bhee pradhaanamantree dalit kyon nahee?
एक भी प्रधानमंत्री दलित क्यों नही?
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एक भी प्रधानमंत्री दलित क्यों नही? |
दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर रतन लाल का एक भाषण देख रहा था जिसमे वह दलितो को लेकर कह रहा था कि
apane sujhaav, shikaayat ya raay hamaare saath sheyar karen
angad kee maan taara kisakee patnee thee
अंगद की माँ तारा किसकी पत्नी थी
मेरा सवाल :-
कुछ अतिरिक्त जानकारी:
* तारा एक अप्सरा थीं और कई किंवदंतियों में उनका उल्लेख मिलता है।
* अंगद एक शक्तिशाली वानर योद्धा थे और उन्होंने राम के साथ मिलकर रावण का वध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
यदि आपके मन में और कोई प्रश्न हैं तो बेझिझक पूछ सकते हैं।
तारा जब बालि की पत्नी थी तो सुग्रीव अपने भाई की पत्नी को प्राप्त करने के लिए जो राम से समझौता करके बालि की हत्या किया वह क्या सही था
तारा जब बालि की पत्नी थी तो सुग्रीव द्वारा राम से समझौता करके बालि की हत्या करना एक जटिल नैतिक प्रश्न है जिसका उत्तर देने के लिए कई पहलुओं पर विचार करना होगा।
सुग्रीव के पक्ष में तर्क:
* स्वयं की रक्षा: बालि ने सुग्रीव को राज्य से निकाल दिया था और उसकी हत्या करने की धमकी दी थी। स्वयं को बचाने के लिए सुग्रीव को यह कदम उठाना पड़ा।
* राम से वचन: सुग्रीव ने राम से वचन लिया था कि वह रावण को मारने में उसकी मदद करेंगे। बदले में राम ने सुग्रीव को किष्किंधा का राज्य वापस दिलाने का वचन दिया था।
* न्याय: सुग्रीव का मानना था कि बालि ने उसके साथ अन्याय किया है और उसे न्याय मिलना चाहिए।
बालि के पक्ष में तर्क:
* भाई के प्रति विश्वासघात: सुग्रीव ने अपने ही भाई की हत्या की, जो एक गंभीर अपराध है।
* छल: सुग्रीव ने राम के साथ मिलकर बालि को छल से मारा, जो धोखे का काम है।
* अधिकार: बालि किष्किंधा का राजा था और उसे राज्य पर शासन करने का अधिकार था।
अन्य पहलू:
* राम की भूमिका: राम ने सुग्रीव की मदद की लेकिन बालि की हत्या में उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण थी।
* धर्म और नैतिकता: इस घटना को धार्मिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है।
* समाज: उस समय के समाज में इस तरह के व्यवहार को कैसे देखा जाता था, यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
निष्कर्ष:
सुग्रीव द्वारा बालि की हत्या करना एक जटिल घटना है जिसका कोई आसान उत्तर नहीं है। इस घटना को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है और हर दृष्टिकोण के अपने तर्क हैं।
यह कहना मुश्किल है कि सुग्रीव का काम सही था या गलत। यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह इस घटना को किस नजरिए से देखता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि:
* यह एक पौराणिक कथा है और इसमें कई अलौकिक तत्व शामिल हैं।
* इस घटना को आधुनिक समय के नैतिक मानकों के अनुसार नहीं आंका जाना चाहिए।
* इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में कई बार हमें जटिल निर्णय लेने पड़ते हैं और इन निर्णयों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
अंत में, यह कहना उचित होगा कि:
सुग्रीव द्वारा बालि की हत्या एक ऐसी घटना है जिसके बारे में सदियों से चर्चा होती रही है और यह हमेशा एक विषय बनी रहेगी।
मंगलवार, 14 जनवरी 2025
gaimini se mera savaal javaab baatacheet
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Gemini से मेरा सवाल जवाब बातचीत |
एक भी प्रधानमंत्री दलित क्यों नही?
एक भी प्रधानमंत्री दलित क्यों नही?
भारत का संविधान दलित अंबेडकर ने लिखा पर 1947 ई. से लेकर 2024 ई. आजतक एक भी दलित को न तो कांग्रेस ने प्रधानमंत्री बनाया और न ही भाजपा ने, क्योंकि दोनो ही पार्टी उन मनुवादियों की पार्टी है जिन्होने की गोरे अंग्रेजो से पहले ही इस देश को गुलाम बनाकर खुदको जन्म से उच्च ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और इस देश के मुलनिवासियों को शूद्र घोषित करके किस तरह से उच्च निच छुवाछुत भेदभाव किया है इसे इस देश के पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुण्डा की 2000 ई. रिपोर्ट देखकर कोई भी इंसान जिनकी सोचने समझने की बुद्धी ज्ञान मौजुद हो वह तुरंत समझ सकता है कि यह देश अब भी किस तरह से मनुवादियों के कब्जे में है, वह भी अंबेडकर द्वारा लिखे संविधान का शपथ लेकर!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमेब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं!
सोमवार, 13 जनवरी 2025
कितने लोग यह मानते हैं कि मकर संक्रांति विदेशी मुल के मनुवादियों द्वारा मनाया जानेवाला त्योहार है?
भले क्यों न अंबेडकर का लिखा आजाद भारत का संविधान इस देश में लागू है,पर यह देश मनुवादियों द्वारा उसी आजाद भारत का संविधान का शपथ लेकर फिर से गुलाम हो गया है। और गोरो से आजादी मिलने के बाद मनुवादियों का शासन फिर से स्थापित हो गया है। जिस संविधान का शपथ लेकर इस देश के मुलनिवासि संसद में जाकर क्या हल चलायेंगे यह कहने वाले मनुवादि ही तो इस देश में गोरो के जाने के बाद शासन कर रहे हैं। जो की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अंबेडकर का लिखा आजाद भारत का संविधान का शपथ लेकर भी कब्जा किए हुए हैं। क्योंकि मनुवादि संविधान को भी गुलाम बनाये हुए हैं, जैसे कि हजारो साल पहले भी उन्होने हिंदू नकाब लगाकर इस देश के मुल हिंदूओं को गुलाम बनाकर शूद्र निच घोषित करके खुदको जन्म से उच्च ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य कहकर हिंदू धर्म और हिंदू वेद पुराणो को भी कब्जा जमाकर गुलाम रामराज कायम कर लिए थे, जिसका अपडेट रामराज फिर से कायम हो गया हैं। तभी तो इस देश के मुलनिवासि जो की मुल हिंदू है, उसके साथ मनुवादि खुदको हिंदू कहकर भी उच्च निच छुवाछुत करते हैं। जो उच्च निच भेदभाव हजारो सालो से करते आ रहे हैं। जबकि हिंदू धर्म छुवाछुत को नही मानता है,और न ही इस अप्रकृति अविज्ञान को मानता है कि किसी पुरुष के मुँह हाथ पैर से बच्चा पैदा होता है, और न ही यह मानता है कि कोई नारी पुरुष वीर्य के बजाय खीर खाकर बच्चा करती है, जैसा की मनुवादि बतलाते और मानते हैं कि राम लक्ष्मण भरत शत्रुधन नाम का बच्चा खीर खाकर पैदा हुए थे, जिन बच्चो में ही जिसका नाम राम रखा गया था वही राम हिंदू भगवान है यह भी रटवाया जाता है । जबकि इस तरह के ढोंग पाखंड और अँधविश्वास को हिंदू धर्म नही मानता है। और न ही यह मानता है कि गुलाम रामराज कायम करने वाला राम हिंदू धर्म में भगवान है। वह तो राम को अपना पूर्वज मानने वाले विदेशी मुल के मनुवादि अपने पूर्वजो को हिंदू भगवान बतलाकर जोर जबरजस्ती और हिंदू धर्म को कब्जा करने के बाद हिंदू नकाब लगाकर खुदको जन्म से उच्च ब्राह्मण पंडित कहकर ब्रेनवाश करके भी उनके द्वारा राम को हिंदू भगवान बतलाया और रटवाया जा रहा है, जैसे की हजारो साल पहले इस देश को गुलाम करके और इस देश के हिंदू धर्म को कब्जा करके यह रटवाया जाता रहा है कि हिंदू धर्म में वर्ण व्यवस्था कर्म पर नही बल्कि जन्म पर आधारित है, और विदेशो से आकर इस देश को गुलाम बनाने वाला मनुवादि मुल हिंदू और उच्च ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य है। जो इतनी बुरी तरह से रटवाया गया है हजारो सालो से की बुद्ध और अंबेडकर तक भी यह मानकर पुरी जीवन जिये की मनुवादि ही मुल हिंदू है। बल्कि आज के समय में भी खासकर बौद्ध धर्म अपनाकर खुदको खास तरह का उच्च बुद्धी ज्ञान डिग्री लेने वाले बहुत से मुलनिवासि गुलाम बनाने वाले मनुवादियों को ही मुल हिंदू मानते हैं यह कहते हुए की ब्राह्मण मुल हिंदू है। जबकि सच्चाई यह है कि विदेशी मुल का कबिलई मनुवादि जब कर्म से ब्राह्मण भी नही है, और न ही वह इस कृषि प्रधान देश का मुलनिवासि है, जिस देश का हिंदू धर्म विदेश से लाया गया धर्म नही है यह बात पुरी दुनियाँ जानती है। खासकर जिन व्यक्तियों के भितर प्रकृति विज्ञान सोच विकसित बुद्धी ज्ञान मौजुद है, वह व्यक्ती कभी यह नही मानेगा कि जिन मनुवादियों का dna और यहूदियों का dna एक है अथवा दोनो प्राकृतिक विज्ञान प्रमाणित रुप से एक ही dna का भाई हैं, वे ही मुल हिंदू हैं। क्योंकि ये दोनो मुल रुप से यहूदि हैं, न की एक मुल रुप से हिंदू है। जिसपर विचार कोई भी मुलनिवासि करके यह जान सकता है कि विदेशी मुल का कबिलई मनुवादि मुल हिंदू नही है। बल्कि हिंदू धर्म को इस देश का धर्म मानने और जानने वाला दुनियाँ का कोई भी इंसान यह मान सकता है कि विदेशी मुल के मनुवादि विदेशी मुल के कबिलई यहूदियों के ही भाई हैं, न कि इस देश के उन मुल हिंदूओं के भाई हैं, जिन्हे वे गुलाम बनाकर शूद्र घोषित किए हुए हैं।क्योंकि यह जानते हुए की यहूदियों और मनुवादियों का dna एक है, क्या यह बात पुरी दुनियाँ मानेगी की इस देश के मुलनिवासियों का बाप और मनुवादियों का बाप अथवा पूर्वज एक है? जिसका जवाब प्रकृति विज्ञान प्रमाणित सत्यबुद्धी ज्ञान जिनके अंदर भी मौजुद है, वह कभी यह नही मानेगा कि विदेशी मुल का मनुवादि और इस देश के मुलनिवासियों का बाप एक है। जैसे की वह कभी यह नही मानेगा की गोरो का बाप और इस देश के मुलनिवासियों का बाप एक है। जो बात जिसे भी अबतक समझ में नही आया है, उसे पुरी तरह से समझ में मेरी इस बुद्धी ज्ञान को लेकर आ जाएगा की इस देश के मुलनिवासी और विदेशी मुल के मनुवादियों का बाप एक नही है, और विदेशी मुल का मनुवादि हिंदू नही है, बल्कि इस देश का मुलनिवासि मुल हिंदू है। और बिना छुवाछुत किए आपस में मिल जुलकर प्रकृति पर अधारित हिंदू कलैंडर अनुसार मनाई जानेवाली होली दीवाली मकर संक्रांति, छठ ओनम करमा सरहूल जैसे प्राकृतिक पर्व त्योहार इस देश के मुलनिवासियों का पर्व त्योहार है, न कि विदेशी मुल के कबिलई मनुवादियों का पर्व त्योहार है, जो कि छुवाछुत करते हैं, वे होली दीवाली वैसे भी मना नही सकते छुवाछुत का पालन करते हुए खुदको हिंदू नकाब लगाकर भी वे होली दीवाली कभी नही मिल जुलकर मना सकते। क्योंकि होली दीवाली में हम एक दुसरे से गले भी मिलते जुलते हैं और एक दुसरे के घरो में जाकर खाते पिते भी हैं, जो की छुवाछुत को मानने वाला मनुवादि जो की हिंदू नही है, वह न तो मिल जुलकर होली दीवाली जैसे हिंदू पर्व को मना सकता, और न ही हिंदूओं के घरो में जाकर खा पी सकता है। जो बात बुद्ध को भी पता था और अंबेडकर को भी, लेकिन भी वे छुवाछुत भेदभाव करने वाले मनुवादियों को मुल हिंदू मानकर क्यों खुदको इतिहास में इस बात पर झुठे साबित किये की मनुवादि हिंदू हैं, और इस देश के मुलनिवासी हिंदू नही है। सायद इसलिए क्योंकि वे बुद्धी ज्ञान लेने के बावजुद भी मनुवादियों के विकृत बुद्धी ज्ञान का शिकार होकर उनसे संक्रमित होकर मनुवादियों के द्वारा कही गयी बातो पर ही विश्वास करते हुए इस अँधविश्वास का शिकार हो गए की मनुवादि जो कहता है वही सत्य है कि वह हिंदू है, और राम हिंदू भगवान है और वर्ण व्यवस्था किसी पुरुष के मुँह हाथ पैर पेट से जन्मे ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था है। जो की सरासर झुठ है। जैसे की मनुवादि हिंदू है यह भी सफेद झुठ है, जिसे न बुद्ध समझ सका और न ही अंबेडकर समझ सका, वह भी बुद्ध द्वारा खुदको इतना बुद्धी ज्ञान का गुरु बल्कि खुदको भगवान तक कहकर और अंबेडकर द्वारा देश विदेश में कई उच्च ज्ञान की डिग्री हासिल करके भी उनको पुरी जीवन यह समझ नही आया कि मुल हिंदू धर्म इस देश का धर्म है, और मुल हिंदू इस देश का मुलनिवासि है। जिस धर्म को देश विदेश के लोग चाहे जिस नाम से अभी जानते हो, जैसे की इस देश को पुरी दुनियाँ के लोग अपनी बोली भाषा से अभी चाहे जिस नाम से जानते हो पर यह स्थिर सत्य है कि इस देश के मुलनिवासि जो की मुलता प्राकृति को भगवान मानकर उसकी पूजा करता है, जिसे की आज के समय में हिंदू धर्म माना जाता है, उस धर्म और इस कृषि प्रधान देश का मुल पहचान और जुड़ाव इस देश की सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति से है, जो कि सिंधु नदी के किनारे विकसित होकर सिंधु नाम से ही सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति बल्कि हिंदू, हिंदी, हिंद महासागर, हिंदू कलैंडर, हिंदुस्तान यह नाम सब सिंधु से ही जुड़ा नाम है। और चूँकि सिंधु नदी को पश्चिम से आये कबिलई इंडस नदी भी कहते थे, इसलिए इंडस से ही उन्होने इस देश का नाम इंडिया कहा है। जिसे की अंबेडकर ने अपने अंग्रेजी में रचे संविधान में इस देश का अंग्रेजी में नाम इंडिया लिखा है। जो की उसने चूँकि अंग्रेजी में ही संविधान लिखा है, इसलिए इस देश का नाम अंग्रेजी में ही इंडिया रखा है, और विदेशी मुस्लिमो ने इस देश का नाम हिन्दुस्तान कहा है, और इस देश के मुलनिवासियों को हिंदू कहकर हिंदू मुस्लिम भाई भाई कहकर आजादी का लड़ाई भी छेड़ा है। जिस हिंदू शब्द को मुस्लिम यदि गाली मानते तो वे हिंदू मुस्लिम भाई भाई नही कहते, क्योंकि वे इस देश के मुलनिवासियों को गाली देकर हिंदू मुस्लिम भाई भाई नही कहते। और यदि मान भी लेते हैं कि जिन लोगो को लगता है कि हिंदू विदेशी मुस्लिम शासको द्वारा दिया गया गाली है तो वह तो गोरे भी ब्लेक इंडियन जो कहते थे इंडियन को वह काला इंडियन गाली से कम थी क्या? जैसे कि जो विदेशी मुस्लिम भी इस देश को गुलाम बनाकर हिंदूओं से जजिया कर लेते थे वह हिंदू शब्द उनके लिए किसी गाली से कम थी क्या, जिसे की वे कर वशुली करते थे। जबकि वे मनुवादियों को हिंदूओं की तरह जजिया कर वशुली नही करते थे, बाद के मुस्लिम शासक जजिया कर मनुवादियों को भी हिंदू मानकर वशुली करने लगे थे।जैसे की गोरे भी मनुवादि और इस देश के मुलनिवासि दोनो को ब्लेक इंडियन कहकर गेट में यह लिखते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश करना मना है। जबकि मनुवादि भी इस देश को गुलाम बनाकर खुदको जन्म से उच्च ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य मानकर खुद भी यह लिखते रहे हैं कि अंदर शूद्र का प्रवेश मना है। जाहिर है यह गुलाम करने वाले चाहे विदेशी मुल के गोरे कबिलई हो या फिर मनुवादि कबिलई हो, दोनो ही भेदभाव करने वाले ऐसे अविकसित इंसान हैं जिनके अंदर विकृत मांशिकता होने की वजह से वे गुलाम करने भेदभाव करने जैसे सबसे बड़े पाप कुकर्म करते आ रहे हैं। जो गुलाम बनाने वाले विकृत लोग आज भी मुलता कबिलई लुटेरा सभ्यता संस्कृति को ही अपना सबसे आदर्श सोच मानते हैं। जिन कबिलई में मनुवादि भी विदेशी कबिलई लुटेरा ही है जो कि इस कृषि प्रधान देश में आकर हिंदू नकाब लगाये हुए है। वैसे अभी के समय में अब तो प्रकृति विज्ञान द्वारा भी यह प्रमाणित हो गया है कि कबिलई यहूदियो और कबिलई मनुवादियों का dna एक है,अथवा मनुवादि भी यहूदि है। क्योंकि जिस तरह किसी एक ही बाप के सभी औलादो का dna एक होता है, उसी तरह ये एक ही dna के मनुवादि और यहूदि दोनो का धर्म भी मुल रुप से यहूदि है। जैसे की इस देश के मुलनिवासि चाहे वे अपने पूर्वजो का हिंदू धर्म को छोड़कर जिस भी धर्म को अपनाये हो, जैसा की अंबेडकर ने भी बुढ़ापा में अपने पूर्वजो का हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया हो तो भी वे मुल रुप से हिंदू ही कहलायेंगे इतिहास में जैसे की यदि कोई अपने माता पिता से पैदा होकर चाहे अपने माता पिता को छोड़कर जिसे भी अपना माता पिता बना ले पर मुल माता पिता तो उसका वही कहलायेगा जिसने की उसे जन्म दिया है। बाकि कोई दुसरा माता पिता का तो वह गोद लिया बच्चा ही कहलायेगा, जैसे कि यदि मनुवादि खुदको हिंदू मानकर हिंदू बने रहना ही यदि चाहेगा तो वह हिंदू धर्म का गोद लिया हिंदू कहलायेगा। मुल रुप से तो वह यहूदि ही कहलायेगा। क्योंकि जब विदेशी मुल का मनुवादि अपने dna अनुसार भी यहूदि है तो वह मुल हिंदू कैसे हुआ? और वैसे भी हिंदू धर्म और मुल हिंदू छुवाछुत को नही मानता है। जैसे कि मुल हिंदू अंबेडकर समेत इस देश के कोई भी मुलनिवासि जो की मुल हिंदू हैं, वे सब उच्च निच छुवाछुत को नही मानते है़ं। और हिंदू धर्म भी छुवाछुत को नही मानता है। बल्कि छुवाछुत को विदेशी मुल का मनुवादि मानता है, जोकि हिंदू का नकाब लगाकर इस देश में खुदको जन्म से उच्च ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य कहता है, जो कि असल में वह वही यहूदि कबूला है जो कि पूरब की ओर आकर इस कृषि प्रधान देश में गुम हुआ कबिला है। जो कि यहूदियों का वह बड़ा कबिला कहलाता रहा है, जो कि यहूदियों का इतिहास में गुम हुआ सबसे बड़ा कबिला है, और छोटा कबिला जो पश्चिम की तरफ गया था वह छोटा कबिला वर्तमान में जो इजराईल अमेरिका वगैरा में यहूदि के रुप में मौजुद है वह है। छोटा कबिला तो पुरी दुनियाँ के सामने अपना असली रुप दिखला दिया है कि वह यहूदि है, पर पूरब की ओर आकर गुम हुआ सबसे बड़ा कबिला इस देश में आकर हिंदू नकाब लगाकर अब भी खुदको छिपाया हुआ है उन लोगो से जो कि उसे हिंदू मानते हैं, जो की वह नही है। क्योंकि ये यहूदि और मनुवादि दोनो एक ही dna के दरसल कबिलई यहूदि ही हैं, जिसे यहूदियो के इतिहास में दो कबिला के रुप में जाना जाता है। जो दोनो कबिलई भेदभाव को मानते हैं, और दोनो ही खुदको दुनियाँ में सबसे बुद्धी ज्ञान वाले इंसान भी मानते हैं।
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