Rss प्रमुख मोहन भागवत के लिए रामराज आजादी है
Rss प्रमुख मोहन भागवत के लिए रामराज आजादी है तो इस देश के शंभुक मुलनिवासियों के लिए रामराज गुलामी है जो की 1947 ई. में ही अपडेट गुलाम रामराज कायम हो गया है। क्योंकि इस देश की सत्ता विदेशी मुल के गोरे अंग्रेजो के हाथो से जाने के बाद विदेशी मुल के मनुवादियों के हाथो वापस आ गया है। इस देश के साथ साथ अंबेडकर द्वारा लिखा गया भारत का संविधान भी मनुवादियों के कब्जे में है। बल्कि इस देश का हिंदू धर्म और हिंदू धर्म ग्रंथ भी मनुवादियों के कब्जे में है। मनुवादि हिंदू नही है बल्कि हिंदू नकाब लगाये हुए है। और न ही राम हिंदू भगवान है। बल्कि राम तो इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम करने वाला वह मनुवादि राजा था जो की खुदको भगवान कहकर अपनी पूजा कराता था, जिसे अपना आदर्श और पूर्वज ये मनुवादि मानते हैं। जो मनुवादि इतने विकृत मांशिकता के हैं कि वे आजाद भारत का संविधान का भी शपथ लेकर इस देश में अपडेट गुलाम रामराज कायम किए हुए हैं। संविधान क्या गुलाम करना और उच्च निच जाति भेदभाव करने के लिए बतलाया है? क्या जो कि खुदको जन्म से ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य उच्च जाति आज भी भेदभाव करते हैं इस देश के मुलनिवासियों को निच जाति कहकर, जबकि हिंदू धर्म में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र यह सब वर्ण व्यवस्था है जो कि जन्म पर नही बल्कि कर्म पर आधारित है, जैसे कि न्यायपालिका विधायिका कार्यपालिका कर्म पर आधारित है। जिसमे अपने कर्म अथवा हुनर के आधार पर चयन करने की प्रक्रिया है न की जन्म पर, जो जिस तरह जाति नही है उसी तरह ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र भी कोई जाति नही बल्कि कर्म पर आधारित वर्ण है। जाति तो हम इंसानो की इंसान ही जाती है जैसे की हाथी गाय कुत्ता बिल्ली वगैरा जाति है जो कि एक जाति दुसरे जाति से संभोग करके बच्चा पैदा नही कर सकता जैसे की गाय और शेर के संभोग से बच्चा पैदा नही हो सकता। और न ही कोई इंसान जाति खुदको शेर कहकर शेरनी से संभोग करके बच्चा पैदा करा सकता है। उसी तरह कोई भी जाति का प्राणी दुसरे जाति के प्राणी से संभोग करके बच्चा पैदा नही कर सकता है, क्योंकि यह अप्रकृति है जिसे हिंदू धर्म में अधर्म कहा जाता है। क्योंकि हिंदू धर्म में विज्ञान प्रमाणित सत्य साक्षात प्रकृति की पूजा भगवान की पूजा है न कि हिंदू भगवान पूजा किसी अप्रकृति की पूजा है। अप्रकृति की पूजा हिंदू धर्म में अधर्म है, जिसका होना मतलब धर्म का खतरे में पड़ना है, जैसे की यदि यदि गाय से इंसान पैदा हो जाएगा तो धर्म खतरे में पड़ जाएगा अथवा अप्रकृति अधर्म हो जाएगा, जो होने पर हिंदू धर्म में यह कहा गया है कि जब जब धर्म को खतरा होगा तो भगवान अथवा प्रकृति अवतरित होकर अधर्म का विनास करके धर्म को वापस स्थापित करता है। जिसे इस उदाहरन से समझा जा सकता है कि यदि कोई शासक जिसका कार्य प्रजा की सेवा सुरक्षा देश की सुरक्षा करना होता है जो कि यदि वह न करके प्रजा और देश को गुलाम करता है तो यह धर्म को खतरा होकर भगवान अवतरित होकर अथवा प्रकृति गुलामी का विनास करके आजादी लाता है जैसे की गोरो ने जब गुलाम करने जैसा अधर्म किया तो उसका विनास होकर गोरो से आजादी कायम हुआ उसी तरह मनुवादि भी अपडेट गुलाम रामराज जैसे अधर्म कर रहा है तो उस गुलामी का विनास होकर धर्म की स्थापना पापस कायम होगी अथवा आजादी कायम होगी यहा असली धर्म है। जिसे हिंदू धर्म में करमा धरमा अथवा कर्मा धर्मा अथवा कर्म ही धर्म है कहा जाता है। जो ज्ञान कोई नही बांटेगा इस समय की कलयुग गुलामी में जो कि वही बांटेगा जिसे प्रकृति भगवान इस प्रकृति प्रमाणित सत्य को बांटने भेजा है।
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