EconomicFreedomदेश के मूल निवासियों की पहचान और समृद्धि का मार्ग
देश के मूल निवासियों की पहचान और समृद्धि का मार्ग
1. मूल पहचान और डीएनए का महत्व: स्रोतों के अनुसार, इस देश के मूलवासी (Mulvasi) यहाँ के असली मालिक हैं, जिनका डीएनए इस मिट्टी (फादर इंडिया और मदर इंडिया) से गहराई से जुड़ा है,। स्रोतों में यह तर्क दिया गया है कि देश की नारी 100% 'मदर इंडिया' के डीएनए का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि बाहर से आने वाले पुरुषों के समूहों ने यहाँ की नारी के माध्यम से ही अपने वंश को आगे बढ़ाया है।
2. गरीबी और भुखमरी का संकट: आज देश में सबसे अधिक गरीबी और भुखमरी की मार मूलवासी ही झेल रहे हैं,। स्रोतों में चिंता जताई गई है कि जहाँ विदेशी मूल के लोग अमीर होते जा रहे हैं, वहीं देश की खनिज संपदा के असली मालिक (मूलवासी) और अधिक गरीब होते जा रहे हैं। यह स्थिति 'सोने की चिड़िया' कहे जाने वाले देश के लिए एक गंभीर विषय है।
3. राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की आवश्यकता:
• सत्ता की चाबी: स्रोतों का सुझाव है कि देश के 90% प्रमुख सरकारी पदों और सत्ता की स्टेरिंग पर मूलवासियों का नियंत्रण होना चाहिए ताकि देश को 'हाईजेक' होने से बचाया जा सके।
• पार्टियों की भूमिका: वर्तमान प्रमुख राजनीतिक दलों (कांग्रेस और भाजपा) पर यह आरोप लगाया गया है कि वे मूलवासियों को गरीबी की जंजीरों से आजाद करने में विफल रहे हैं। इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू बताया गया है जो केवल आश्वासन देते हैं।
• एकता का आह्वान: यदि सभी बहुसंख्यक मूलवासी एकजुट हो जाएं, तो वे गरीबी की इन जंजीरों को तोड़कर सत्ता की चाबी हासिल कर सकते हैं,।
4. ऐतिहासिक गौरव और भविष्य की राह: स्रोतों के अनुसार, सिंधु घाटी सभ्यता जैसी विकसित कृषि संस्कृति का निर्माण मूलवासियों के हुनर और तप का परिणाम था। जिस प्रकार एक गाड़ी का मालिक उसे सबसे बेहतर तरीके से चला सकता है, उसी प्रकार देश के मूलवासी ही भारत को पुनः समृद्ध बना सकते हैं।
निष्कर्ष: यह पोस्ट इस संदेश के साथ समाप्त हो सकती है कि यदि मूलवासियों के प्रति शोषण और अत्याचार बंद कर दिया जाए और वे अपनी पहचान को पहचानें, तो देश में पुनः सुख, शांति और समृद्धि कायम हो सकती है,।
सुझाव: इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर डालते समय आप #MulvasiIdentity, #SocialJustice, #EconomicFreedom।
एक सरल उपमा: मूलवासियों की स्थिति उस जंजीरों में जकड़े हाथी की तरह है, जिसे उसकी वास्तविक शक्ति का एहसास नहीं है; जिस दिन वह अपनी एकता और पहचान की ताकत समझ जाएगा, गरीबी की जंजीरें खुद-ब-खुद टूट जाएंगी और वह अपने गौरव को पुनः प्राप्त कर लेगा ।
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